राम -कृष्ण का अवतार सुख देने वाला: राष्ट्रीय सन्त परम पूज्य राजेंद्र महराज
अमेठी। राधे तू बडभागी तीनो लोको लीन! श्री यशोदा के लाडले श्री कृष्ण भगवान की। श्री राधे गोपाल भज मन श्री राधे गोपाल! प्रातःकाल स्मरणीय अन्नत बिभूषित स्वामी परमहंस जी महराज को नमन,बन्दन कर श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिवस कथा व्यास आचार्य राष्ट्रीय सन्त परम पूज्य राजेंद्र जी महराज ने भगवान के सभी अवतार का स्मण कर शुभारंभ किया।
भगवात का श्रवण कर रहे है। जीवन के चार अवस्था होती है। साधन बन जाए। ज्ञानी बन जा जाए। महापुरुष बन जाए। सिद्ध सन्तो का प्रसाद मिल जाय। जीवन सिद्ध हो जाता है। आगे आने वाली पीढी को लाभ मिलता है। हमारे जीवन मे कुछ आ जाता है। जिसके जीवन मे उथल-पुथल आ जाता है। गोकण महराज ने आकर सुन्दर उपदेश दिये। क्यो रो रहे है। आत्मदेव महराज लिपट कर रोने लगे। पंडित आत्मदेव महराज ने कहा कि बेटे आप ही उपदेश दे। शरीर के अभिमान को त्याग दे।
मै शरीर को भूल जाय। जला दो राख बन जाय, गड दो तो कीडे बन जाए। धरती पर छोड दे जीव खा जायेगे।तीन गति शरीर की होती है। बैराग्य भाव मे स्मरण करे। समाज प्रतिष्ठा मे रहना। घर बनाना ही प्रतिष्ठा है। मन से संसार के बन्धन मे है। मन के हारे हार है। मन के जीते जीत है। संसार मे जो घटनाए घट रही है। सभी धर्मो का सेवा करे। व्यक्ति के दोष और गुण को भूल जाओ। सन्त और साधू की सेवा करे। धुन्धरी ने सोचा। कि मा से धन मांगे। माता जी आत्म हत्था कर ले। धुन्धर कारी ने गणकाओ को रख लिया। गणकाओ ने गर्म गर्म लोहे को मुख मे डाल ले। गोकर्ण महराज ने कहा कौन है।
आप कौन है। छाया बनकर आया। कहा कि मै धुन्धर करी हूँ। मै कितने वर्षो से पानी नही पाया। महा प्रेतात्मा के मुक्ति का मार्ग बताए। सूर्य महराज से पूछा कि श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ से प्रेतात्मा को मुक्ति मिल जाता है। गोकर्ण महराज ने श्रीमद्भागवत कथा सुने। बास की एक एक-एक गाठे फटी। और धुन्धरकरी को गोकर्ण महराज ने प्रेतात्मा से मुक्ति दिलाया। धुन्धरकारी विमान से जाने लगे। धुन्धर कारी ने जो कथा सुनी। उस तरह से किसी ने नही सुनी। श्रोता कई तरह से है। कथा का मंगलाचरण करना,आरती करे। कथा सुने। प्रसाद ले। आरती मे शामिल हो। घर पहुंच कर कथा पर चिन्तन करे।
कथा व्यास आचार्य ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण श्रोता,सरोता को कथा सुनने के हिसाब से लाभ मिलता है। सुन्दर कथा की तिथि, ब्रह्ममण का आमंत्रण,तुलसी पूजन,शोभायात्रा निकले ।तब कथा सुने। श्रोताओ और वक्ता को नियम का पालन करे। भगवान कथा सुने। तो निश्चित लाभ मिलेगा। भक्ति नृत्य करती है। बादन और गायन हो। तब श्रोताओ ने हरिद्वार मे गंगा मे स्नान कर रहे थे। भक्त प्रहलाद महराज तालिया बजा रहे है। सारे सन्तो ने बद्य यन्त्र बजने लगा। सन्तो का संकीर्तन से भगवान श्रीकृष्ण दर्शन आ कर दिए। सन्तो ने कहा कि भगवान जो संकीर्तन करे उन्हे इसी तरह दर्शन दे।" हे नाथ नारायण बासुदेवा " श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे!
किसी भी ग्रन्थ मे देवी और देवता की मंगलाचरण है। लेकिन श्रीमद्भागवत कथा के मंगलाचरण मे महर्षि बेदाब्यास ने सत्य का वर्णन किया ।माखन चोरी क्यो किया। क्यो भगवान ने लीला की। माया और माया से कार्यो से अलग है। उसकी बन्दना बेद व्यास करते है। भगवात मे सत्य है। श्रीमद्भागवत के मंगलाचरण मे सत्य का वर्णन है। सत्य का अनुशरण करे। "धर्म ना दूषण सत्य सामना अगम निगम पुराण बखाना " सत्य से बढ़कर कोई धर्म है असत्य से बडा कोई अधर्म है। दाल मे नमक की तरह करे। तब तो चल जायेगा। भगवात परम धर्म का निरूपण है। छल कपट नही है वही परम धर्म श्रीमद्भागवत कथा है। जो लोगो को कल्याण करती है।दैहिक दैविक भैतिक तपा तीन तप है। भगवात को अपना जीवन उतर ले। भगवान श्रीकृष्ण कृष्ण कथा सुनेने आयेगे। और गोदी मे श्रीकृष्ण बैठ जाते है। भगवान तीन जगह से टेडे है। इस भगवान आते है। तो वापस जाते नही। कल्पवृक्ष का फल भगवात है। वेद रूपी वृक्ष का पका फल कल्पवृक्ष का फल है। तोता मीठा फल मे मुख लगता है। वह फल मीठा हो जाता है। कथा सुनकर ह्दय मे उतर जाय। तो वही भगवात कथा है। जो ससिक है। जो भावुक है। उसे बुलाया है। प्यासे को पानी पिलाये। महर्षि वेदव्यास कहते है कि भगवात अमृत कथा का ग्रहण करे। जब तक मुक्ति ना मिल जाये। तक तक कथा सुने "राम चरित नाही,बिन हरि कथा सुने नही कन्हा,सब ग्रन्थ सब पवन समाना,कथा से तृत्प हो जाए। कथा को औषध की तरह ग्रहण करे। जब तक मर्ज दूर ना हो जाए। भगवान सारे अमंगल को दूर कर देते है। हनुमान्त लाल महराज का जन्मोत्सव मनाना चाहिए। जब तक मोक्ष ना हो जाए। तब तक कथा सुने। सूत महराज से प्रश्न किया। पहला प्रश्न कौन श्रेष्ठ है। सब की अलग अलग पूजा करे। कितने अवतार,गागर को सागर मे पिरोये। भगवान का वर्णन अलग अलग ग्रन्थो मे है। सन्त और विद्वान के मुख्य से सुने। तो अमृत होगा। बडी सुन्दर कथा श्रीमद्भागवत कथा मे सुनाई। सुखदेव महराज के जन्म की कथा सुनाई। नदारद का नाम अज्ञान को नष्ट हो जाएगा। मायापति विष्णु ने कहा कि सुखदेव जी जन्म ले। माया नही छोड़ेगी। जब सुखदेव ने जन्म लिया। जन्म लेते है कि सुखदेव सन्यास ले लिए ।महर्षि वेदव्यास बुलाये। लेकिन सुखदेव महराज नही लौटे। सुखदेव महराज माधव के चरण मिल जाय"मुझको माधव का सहारा मिल गया ,मेरे सृष्टि को किनारा मिल गया "
कथा व्यास आचार्य ने आगे कहा कि सूत जी महराज ने प्रश्न किया किया कि मनुष्य का परम धर्म श्रीकृष्ण चरणो मे प्रेम हो जाय। परमात्मा से सन्त ही जोड दे। उसकी प्रीती करा दे। सन्त का सनिद्ध मिल जाए। राष्ट्र की जय जय कार हो। सब भगवात प्रेमी हो जाए। गोपियो का प्रेम निष्काम से था। कथा सुनने मेरा धर्म है। सत्कार मेरा धर्म है। सृष्टि मे मानव जन्म श्रेष्ठ है। मानव बनने की आवश्यता है ईश्वर अपने आप बन जाओगे। भगवान ने जिसे मानव बनाकर भेजा। वह कीडा बन जाए। माता पिता की इच्छा होती है। मेरा पुत्र राष्ट्र हित मे काम करे। निष्काम भक्ति आ जाती है। तो परम भक्ति मिल जाती है। हनुमान जी से कहे श्री देवी की चरणो मे बन्दना करे। कि और प्रेम मिल जाए। अन्न भाव से जो चिन्ता करता है। उसके भार को सहेजते है। अयोध्या के भक्त कहते है कि राम के अन्न भक्त है। मथुरा के भक्त कहते है कृष्ण के अन्न भक्त है ।"जब जब होयै धर्म की हानि,बढै असुर आधीरा"
शास्त्र के अनुसार चौबीस अवतार है। इन अवतार के अलग अलग कारण है। धर्म के स्थापना के लिए अवतार भगवान लिए है। दो अवतार राम और कृष्ण सुख देने के लिए है। अन्तर कुछ नही। राम का अनुकरण करे। कृष्ण को श्रवण करे। राम रूपी मर्यादा आ जाए। तो कृष्ण के भक्ति पाने देर नही है। देवर्षि नारद के कहा कि सत्रह पुराण,चार वेद बनाया। महर्षि वेदव्यास ने कहा कि हमारे मन मे शान्ति नही हो रहा है। महर्षि नारद ने कहा कि महर्षि वेदव्यास भगवात कथा लिखे। तभी शान्ति मिलेगी। मेरे मन मे प्रबल बैराग्य आ रहा है। मेरे माॅ को साप डस लिए है। किसी माॅ का बालक के आसू ठन्डे आयी। मुझे अब छेडने वाला नही है। अव ऑसू आये। तो गर्म थे ।सुख के आसू थे। भगवात श्रवण वही सुने। जो काम कोध,मद,मोह से मुक्त हो। वेदव्यास ने श्लोक सुनाया। और याद करते गये। पहले बेदान्त का ज्ञान हो। तब भगवात कथा श्रवण करे। सुखदेव महराज कथा सुनकर बन चले गए।
इस अवसर कार्यक्रम मे मंच पर स्वामी 1008श्री ब्रह्मचारी जी महराज,स्वामी हर्ष चैतन्य जी महराज,मुख्य यजमान अवधेश नारायण पाण्डेय, अनिल कुमार पाण्डेय,जिला पंचायत सदस्य जगन्नाथ पाण्डेय,
जय प्रकाश दूवे,शीतला प्रसाद तिवारी,दिनेश शुक्ल,सन्त कुमार सिंह,लाल साहब मिश्र,कृष्ण कुमार दूबे,गिरीश तिवारी,राम कमल शुक्ल,डा रमेश कुमार शुक्ल,डा सुभाष चन्द्र तिवारी,मुन्ना सिंह,संजय सिंह अजय पाण्डेय,राम चन्द्र तिवारी,राम मूर्ति तिवारी,आदि मौजूद रहे।
Apr 11 2023, 15:51