जहानाबाद: महर्षि दयानंद सरस्वती 200वी जयंती पर समारोह का आयोजन
जहानाबाद: स्थानीय आर्य समाज मंदिर, जहानाबाद में महान समाज सुधारक और आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती जी का 200 वी जयंती के दो वर्षीय विश्वव्ययपी उत्सव के शुभारंभ के मौके पर समारोह का आयोजन किया गया |
जिसमे प्रातः 8 बजे से पाँच कुंण्डीय वैदिक महायज्ञ का आयोजन किया गया।
यज्ञ के ब्रह्मा पटना से आए आर्योंपदेशक आचार्य पंडित संजय सत्यर्थी जी ने यज्ञ करवाया जिसमे उन्होंने स्वस्तिवाचन के मंत्रों का पाठ कर पूरे विश्व के कल्याण की कामना की तथा शांतिप्रकरण के मंत्रों का पाठ कर पूरे विश्व में शांति स्थापित हो इसकी प्रार्थना की। इसके बाद वेद मंत्रों से सबों ने आहुति दी।
इसके बाद आचार्य संजय सत्यर्थी जी ने स्वामी दयानंद जी के जीवन पर चर्चा करते हुए बतया की स्वामी जी वेदों का अध्ययन कर पूरे देश में वेदों का प्रचार, भारतीय संस्कृति और शिक्षा के गौरव को पुनः स्थापित किया। स्वामी जी ने वेदों को सनातन धर्म का मूल धर्म ग्रंथ बतया क्योंकि वेद आदि ग्रंथ है।
उन्होंने वेदों का भाष्य किया,अमर ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश, आर्योंदेशरत्नमाला, गोकरुणानिधि सहित दर्जनों ग्रंथों की रचना की | स्वामी जी प्रत्येक मनुष्य को पंचमहायज्ञ धारण करने के लिए कहा जिससे की पूरे संसार का कल्याण संभव है।
जिसमे प्रथम यज्ञ संध्या है जिसे प्रातः साँय परमात्मा का ध्यान योग और स्वाध्याय है दूसरा देवयज्ञ जिसे हवन कहा जाता है। जिससे पर्यावरण की शुद्धि हेतु औषधि की आहुति दी जाती है तीसरा पितृयज्ञ जिसमे माता-पिता और घर परिवार के वृद्ध कि सेवा चौथा अतिथि यज्ञ जिसमे विद्वान, गुरुजनो की सेवा सत्कार पाँचवा बलिवैश्य देवयज्ञ जिसमे पशु पंछी असहायों की सेवा करना है।जिसमे पूरे समाज और विश्व का कल्याण निहित है।
इसके बाद प्रोफेसर प्रकाश चंद्र आर्य जी ने बताया की देश की आजादी में अहम भूमिका निभाने वाले में स्वामी दयानंद जी की भूमिका महत्वपूर्ण थी उनके ही प्रेरणा से शहीद भगत सिंह, लाला राजपात राय, राम प्रसाद विस्मिल वीर सवारकर, असफाक उल्लाह खान ये सभी स्वामी जी के विचरों से प्रभावित होकर आजादी की लड़ाई में कूदे थे | 1857 की क्रांति की प्रमुख सूत्रधारो में से एक थे लेकिन हमारे पठ्यक्रम में उन्हे वो स्थान नहीं मिला, कुछ दूषित मानसिकता के लोगों ने नहीं दिया क्योंकि वो वेदों की लौटने का नारा देते थे, पाखंड का खंडन करते थे।
मैकला की शिक्षा पद्धति का विरोध करते हुए गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति पर जोर दिया। लोगों को उनके भारतीय शिक्षा और सांकृति से अवगत करा कर उसे पुनः स्थापित किया। विधवा विवाह, स्त्री शिक्षा, सब को वेद पढ़ने का अधिकार दिया तथा छुआ- छूत, अंधविस्वास को खत्म कर लोगों को तार्किक बनने का संदेश दिया।
प्रोफेसर शिया शरण शर्मा जी ने संबोधित करते हुए बताया की स्वामी जी पूरे देश में सनातन वैदिक धर्म का प्रचार किया वो महान समाज सुधारक थे। उस समय के राजा महाराजा को स्वदेशी और स्वराज्य के लिए प्रेरित किया। स्वराज्य का सर्वप्रथम उद्घोष स्वामी दयानंद जी ने ही किया |
जिसे बाद में बाल गंगाधर तिलक ने आगे जनप्रचरित किया। आर्य समाज की स्थापना की। आर्य का अर्थ श्रेष्ठ, आदर्श है सब श्रेष्ठ बने। अंत में धन्यबाद ज्ञापन आर्य समाज के संरक्षक गुलाब प्रसाद आर्येन्दु जी ने किया।
कार्यक्रम के मुख्य आयोजक आर्य समाज जहनाबाद के प्रधान अजय आर्य, उपमंत्री प्रोफेसर प्रकाश चंद्र आर्य, कोषाध्यक्ष महेंद्र प्रसाद रहे एवं विशेष सहयोग विनोद चंचल, योगगुरु राकेश जी, संजय आर्य, विजय प्रसाद, डॉ संतोष कुमार, श्री सत्य प्रकाश, सुश्री अमृता कुमारी, सुश्री मोनी कुमारी, प्रोफेसर शिया शरण शर्मा, पप्पू जी,बनबारी प्रसाद, राजेश जी, ललित शंकर जी, रंजीत जी इत्यादि गणमान्य लोगों का विशेष सहयोग किया | कर्यक्रम का समापन शांति पाठ एवं ओउम के जय घोष के साथ हुआ |
जहानाबाद से बरुण कुमार
Feb 13 2023, 14:50