आतंकी तहव्वुर राणा को बड़ी राहत, कोर्ट ने दी परिवार से फोन पर बात करने की इजाजत

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मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। तहव्वुर राणा की याचिका पर आज दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई हुई। राणा ने कोर्ट से अपने परिवार से बात करने की परमीशन मांगी थी, जिसे कोर्ट ने मान लिया है। फिलहाल कोर्ट की तरफ से केवल एक बार ही बात करने की इजाजत दी गई है।

राणा को एनआईए ने हिरासत में लिया गया तब उसने परिवार से बात करने की इच्छा जताई थी। राणा के वकील की ओर से तर्क दिया गया था कि एक विदेशी नागरिक के तौर पर राणा का यह मौलिक अधिकार है कि वह अपने परिवार से बातचीत करे। राणा का परिवार उसकी भलाई को लेकर चिंतित है।

जेल नियमों के अनुसार होगी बातचीत

पटियाला हाउस कोर्ट ने बातचीत की अनुमति देते हुए कहा कि यह कॉल जेल नियमों के अनुसार और तिहाड़ जेल अधिकारी की निगरानी में होगी। कोर्ट ने राणा के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर 10 दिनों में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। जिसमें इस बात पर उनका रुख स्पष्ट किया गया है कि क्या जेल मैनुअल के अनुसार राणा को भविष्य में नियमित फोन कॉल की अनुमति दी जानी चाहिए।

पहले खारिज हो गई थी याचिका

इससे पहले 24 अप्रैल को विशेष न्यायाधीश चंदर जीत सिंह ने राणा की अपने परिवार से बात करने की अनुमति मांगने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। एनआईए द्वारा उसकी याचिका का विरोध करने के बाद अदालत ने यह फैसला सुनाया था। सुनवाई के दौरान, एनआईए ने तर्क दिया कि अगर राणा को अपने परिवार के सदस्यों से बात करने की अनुमति दी जाती है, तो वह बातचीत के दौरान कई महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कर सकता है।

मुंबई आतंकी हमलों का आरोपी

तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी का करीबी सहयोगी है। वह डेविड कोलमैन हेडली का करीबी साथी है, जिसने मुंबई हमले से पहले कई जगहों की रेकी की थी।जांचकर्ताओं का मानना है कि तहव्वुर राणा ने कंसल्टेंसी फर्म की आड़ में ही डेविड हेडली से रेकी का पूरा काम कराया। साल 2008 में मुंबई में पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने घुसकर शहरभर में हमले किए थे। इन बर्बर हमलों में छह अमेरिकी नागरिकों और कुछ यहूदियों समेत 166 लोग मारे गए थे।

एनआईए के पास है मुंबई हमले का “रहस्यमयी” गवाह, अब केस में आएगा नया मोड़, तहव्‍वुर उगलेगा हर राज

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मुंबई हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को भारत लाने के बाद एनआईए उससे पूछताछ कर रही है। इस बीच मामले में एक 'रहस्यमयी गवाह' की बात सामने आ रही है। एनआईए राणा का सामना उस 'रहस्यमयी गवाह' से कराएगी, जो उसका पुराना जानकार बताया जा रहा है। यही गवाह 2006 में मुंबई आए डेविड हेडली की अगवानी कर चुका है और उसने हेडली के लिए होटल, लॉजिंग और बाकी इंतजाम भी किए थे।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक राणा को गुरुवार शाम अमेरिका से प्रत्यार्पण के बाद शुक्रवार तड़के दिल्ली की एक विशेष अदालत ने उसे 18 दिन की एनआईए हिरासत में भेज दिया। इसके बाद राणा को लोधी रोड पर एनआईए मुख्यालय ले जाया गया, जहां उससे पूछताछ शुरू हुई। रिपोर्ट के मुताबिक इस पूछताछ का केंद्र वह संरक्षित गवाह है, जो राणा का करीबी था और हेडली के लिए मुंबई में ठहरने और अन्य व्यवस्थाएं करने में शामिल था।

एनआईए ने इस गवाह की पहचान अब तक गुप्त रखी है ताकि उसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और लश्कर से खतरा न हो। एक अधिकारी ने बताया कि 2006 में जब हमले की साजिश बन रही थी, हेडली को पाकिस्तान में लश्कर के सरगनाओं ने मुंबई के ताजमहल होटल सहित कई जगहों की वीडियो बनाने का आदेश दिया था। हेडली सितंबर 2006 में भारत आया और उसने राणा के एक करीबी की मदद से यह काम किया। इस करीबी ने हेडली के लिए होटल और अन्य सुविधाएं जुटाई थीं।

एनआईए तहव्वुर राणा से इस बारे में पूछताछ करेगी कि 26/11 हमले के इस साजिशकर्ता से उसकी दुबई में मुलाकात क्यों हुई और किसके निर्देश पर हुई। क्या तहव्वुर राणा ने इस अंजान साजिशकर्ता से मुलाकात हेडली के कहने पर की थी। दरअसल अमेरिका में पकड़े जाने के बाद राणा ने अमेरिका की जांच एजेंसियों के सामने इस शख्स के बारे में खुलासा किया था। जिसको लेकर बकायदा अमेरिकी जांच एजेंसियों ने एक रिपोर्ट तैयार की थी।

गुमनाम शख्स की भूमिका क्यों संदिग्ध?

अमेरिकी एजेंसियों ने जांच इंटरसेप्ट किए गए चैट और बातचीत एनआईए के साथ साझा की हैं। इनमें से एक बातचीत में हेडली ने राणा को 2008 में भारत न आने की चेतावनी दी थी और भारत में संभावित आतंकी हमलों के बारे में बताया था। हेडली ने राणा की दुबई में इस शख्स से मुलाकात भी करवाई थी। एक और इंटरसेप्टेड बातचीत में हेडली ने राणा को बताया था कि साजिशकर्ता ने हमले की पुष्टि कर दी है। यही बात इस गुमनाम शख्स की भूमिका को और संदिग्ध बनाता है।

हमले के वक्त मुंबई ऑफिस की लीज खत्म हो चुका था

जांच में एक और अहम पहलू सामने आया है। मुंबई में राणा की इमिग्रेशन कंपनी की लीज से भी साजिश के सुराग मिल रहे हैं। अगस्त 2005 में हेडली ने राणा को लश्कर की साजिश के बारे में बताया था, जिसमें भारत के सार्वजनिक स्थानों और सरकारी इमारतों की रेकी शामिल थी। हेडली ने सुझाव दिया कि राणा की कंपनी को कवर के रूप में इस्तेमाल किया जाए, और वह मुंबई में एक कंसल्टेंट के रूप में काम करेगा। लेकिन हैरानी की बात यह है कि नवंबर 2008 में जब हमला हुआ, तब तक मुंबई ऑफिस की लीज समाप्त हो चुकी थी। न तो राणा ने और न ही हेडली ने इसे रिन्यू कराया। एनआईए इस सवाल का जवाब तलाश रही है कि क्या यह जानबूझकर किया गया, ताकि हमले के बाद सबूत मिटाए जा सकें।

संजय राउत को अब आई कुलभूषण जाधव की याद, मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा की फांसी पर भी बड़ा दावा

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मुंबई हमले का आरोपी तहव्‍वुर राणा आखिरकार भारत के शिकंजे में आ ही गया है। तहव्वुर राणा को भारत लाए जाने पर अलग अलग प्रतिक्रियाएं मिल रही है। विपक्षी दल भी इसका स्वागत कर रहे हैं, हालांकि इन दलों का कहना है कि सरकार सिर्फ क्रेडिट लेने के लिए इसका प्रचार रह रही है। इस बीच शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को लेकर बड़ा बयान दिया है। राउत ने 26-11 मुंबई अटैक के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा को भारत लाये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की है लेकिन इसी के साथ कुलभूषण जाधव को लेकर उन्होंने भारत सरकार पर तंज भी कसा है। साथ ही राउत ने तहव्‍वुर राणा के प्रत्‍यर्पण का बिहार चुनाव कनेक्‍शन निकाला है।

शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि ये लोग तहव्वुर राणा का फेस्टिवल मना रहें हैं ये लोग। उन्होंने कहा, पकिस्तान के जेल में कुलभूषण जाधव सड़ रहा है, उसे लेकर आइये न। दाऊद इब्राहिम को लेकर आइए। जब तक बिहार का चुनाव होगा तब तक ये देश में तहव्वुर राणा फेस्टिवल मनाएंगे।

यूपीए सरकार के समय से राणा को लाने की कोशिश-राउत

संजय राउत ने कहा कि भारत सरकार 2009 से ही तहव्वुर राणा को लाने की कोशिश कर रही है। यह नहीं भूलना चाहिए कि तब केंद्र में यूपीए सरकार थी न कि मोदी सरकार। साल 2009 में एनआईए ने राणा और हेडली दोनों के खिलाफ पहली एफआईआर दर्ज की थी। उस समय एनआईएच की टीम शिकागो गई थी और दोनों से पूछताछ भी की थी। संजय राउत ने कहा कि साल 2012 में तत्कालीन विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद, तत्कालीन विदेश सचिव अमेरिका गए थे। उन्होंने हिलेरी क्लिंटन जो अमेरिकी सरकार में तब विदेश मंत्री थीं, उनसे राणा को भारत भेजने के बारे में चर्चा की थी। यह एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसका पालन होने से समय लगता है।

कांग्रेस ने ‘सलेम महोत्सव’ नहीं मनाया-राउत

संजय राउत ने तहव्‍वुर राणा का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में ऐसा (प्रत्‍यर्पण) कई बार हो चुका है। साल1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट में दाऊद इब्राहिम के गुर्गे अबू सलेम का हाथ था। वह भेष बदलकर पुर्तगाल में रह रहा था। भारतीय जांच एजेंसियों ने उसका पता लगाया और सलेम के आतंकवादी कृत्य के सबूत पुर्तगाली सरकार के सामने रखे। वहां की अदालत में बहस हुई और नवंबर 2005 में पुर्तगाल को सलेम को भारत के हवाले करना पड़ा। संजय राउत ने आगे लिखा कि सलेम पर भारत में मुकदमा चलाया गया और दो आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। फिर तो इस महत्वपूर्ण प्रत्यर्पण को मनमोहन सरकार की कूटनीति की सफलता ही कहा जाएगा। बेशक, मनमोहन सरकार में सलेम को भारत लाया गया था, इसलिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ‘सलेम महोत्सव’ नहीं मनाया, जो आज तहव्‍वुर राणा के मामले में सोशल मीडिया पर चल रहा है।

कुलभूषण जाधव को वापस लाया जाए-राउत

संजय राउत ने कहा कि जो लोग कहते हैं कि वे घर में घुसकर मारेंगे, लेकिन वे लोग ही कुलभूषण जाधव, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी को लेकर नहीं आ सके हैं। संजय राउत ने मांग की है कि देश में वित्तीय घोटालों के आरोपी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी को भी भारत लाया जाए। हमें राणा जैसे किसी व्यक्ति को भारत लाकर यह नहीं दिखाना चाहिए कि यह एक बड़ी जीत है।

राणा की फांसी पर राउत का बड़ा दावा

शिवसेना सांसद ने आगे कहा कि तहव्वुर राणा को तुरंत फांसी दी जानी चाहिए। हालांकि, उसे बिहार विधानसभा चुनाव (जिसके इस साल के अंत तक होने की संभावना है) के दौरान फांसी दी जाएगी। जब तक बिहार का चुनाव होगा तब तक ये देश में तहव्वुर राणा फेस्टिवल मनाएंगे।

बेड़ियों में जकड़ा नजर आया आतंकी तहव्वुर राणा, पहली फोटो आई सामने

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अमेरिका से तहव्वुर राणा का भारत प्रत्यपर्ण हो चुका है। मुंबई हमले 26/11 के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा इस वक्त भारत में है। एनआईए कोर्ट ने उसे 18 दिनों की कस्टडी में भेज दिया है। इस दौरान एनआईए मुंबई हमले से जुड़े तमाम पहलुओं पर पूछताछ करेगी। अब तहव्वुर राणा की बेड़ियों में जकड़ी हुई तस्वीरें सामने आई हैं।

तहव्वुर राणा की ये तस्वीर उस वक्त की है, जब अमेरिकी अधिकारी उसे एनआईए के हवाले कर रहे हैं। प्रत्यर्पण की तस्वीर में राणा के पैरों में बेड़ियां, कमर में जंजीर बंधी हुई दिखाई दे रही है। इसके साथ ही अमेरिकी मार्शल प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को पूरा करते हुए नजर आ रहे हैं, वहीं एनआईए के अधिकारी भी वहां मौजूद हैं।

अमेरिका के न्याय विभाग ने यह तस्वीर जारी की है। अमेरिकी न्याय विभाग ने जेल द्वारा जारी की गई तस्वीर में राणा ब्राउन कलर की वर्दी पहने और अमेरिकी मार्शलों के साथ खड़ा है। फोटो में राणा की शक्ल तो नहीं दिख रही, लेकिन उसे ले जाता हुआ जरूर देखा जा सकता है। उसके शरीर को जंजीर से बांध रखा है, यानी कि काफी सुरक्षा के बीच उसे भारत को सौंपा गया है।

अमेरिकी न्याय विभाग कैलिपोर्निया के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट में अमेरिकी मार्शलों ने मंगलवार को पाकिस्तानी नागरिक और कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा की हिरासत भारत के विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधियों को सौंप दी। तहव्वुर राणा अब 18 दिनों के लिए एनआईए की हिरासत में है। तहव्वुर राणा को एनआईए के मुख्यालय में ग्राउंड फ्लोर पर ही एक लॉकअप में रखा गया है। लॉकअप के ठीक बगल में एक इंटोरेगेशन रूम बना है. इसी में उससे आज पूछताछ होगी। ताकि 2008 के हमलों के पीछे की पूरी साजिश का पता लगाया जा सके। इन हमलों में कुल 166 लोग मारे गए थे और 238 से अधिक घायल हुए थे।

दयान कृष्णन…निर्भया के गुनहगारों को भेजा “नर्क”, अब राणा को दिलाएंगे “फांसी”

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मुंबई हमलों के मास्‍टरमाइंड तहव्‍वुर हुसैन राणा को सफलतापूर्वक अमेरिका से भारत लाया जा चुका है। अब उसके खिलाफ भारतीय कानून के मुताबिक मुकदमा चलाया जाएगा। ऐसे में अब सवाल यह है कि तहव्‍वुर राणा के खिलाफ कोर्ट में एनआईए का पक्ष रखने की जिम्‍मेदारी किस वकील को दी गई। इस हाई-प्रोफाइल केस में अब एनआईए की तरफ से वरिष्ठ वकील दयान कृष्णन मुख्य वकील होंगे। बता दें कि कृष्णन ने कई हाई-प्रोफाइल मामलों जैसे 2001 के संसद हमले, कावेरी नदी जल विवाद, दूरसंचार मामलों आदि पर काम किया है।

कौन हैं दयान कृष्णन?

दयान कृष्णन वो अनुभवी अधिवक्ता हैं जो कई ऐसे बड़े आपराधिक केस लड़ चुके हैं, जिन्होंने भारत की नींव हिलाने की कोशिश की है। अब वो 26/11 के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा के खिलाफ एनआईए के अभियोजन का नेतृत्व करेंगे। कृष्णन को विशेष अभियोजक नरेंद्र मान सहित एक टीम द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी, जिन्होंने पहले दिल्ली हाईकोर्ट में सीबीआई का प्रतिनिधित्व किया था। बता दें कि मान एक अनुभवी क्रिमिनल वकील हैं।

राणा के प्रत्‍यर्पण में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

बताया जा रहा है कि दयान कृष्णन ने राणा के प्रत्यर्पण की कार्यवाही में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी टीम ने अमेरिकी कोर्ट के समक्ष जबरदस्‍त साक्ष्य प्रस्तुत किए, जिसके चलते राणा की सभी दलीलों और अपीलों को खारिज कर दिया गया। साल 2019-20 में प्रत्यर्पण प्रक्रिया शुरू होने पर कृष्णन एनआईए के साथ मिलकर काम कर रहे थे। वे और उनकी टीम भारत का मामला पेश करने के लिए एनआईए के साथ अमेरिका भी गए थे। राणा ने अमेरिका में प्रत्यर्पण से बचने के लिए ‘डबल जेपर्डी’ का तर्क दिया लेकिन कृष्णन ने अदालत में यह साबित कर दिया कि भारत के आरोप अलग प्रकृति के हैं। इसी मजबूत दलील के चलते अमेरिकी कोर्ट ने उसकी सारी याचिकाएं खारिज कर दीं और भारत के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया।

हेडली से भी है कनेक्शन

हालांकि, दयान कृष्णन की राणा केस से कनेक्शन नया नहीं है। 2010 में वे शिकागो में डेविड हेडली से पूछताछ करने वाली एनआईए टीम का हिस्सा थे। इसके बाद 2014 में उन्हें हेडली और राणा दोनों के प्रत्यर्पण मामलों के लिए विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया।

निर्भया केस बिना फीस लिए लड़ा

दयान कृष्णन वही वकील हैं जिन्होंने निर्भया केस में बिना फीस लिए मुकदमा लड़ा था। दयान कृष्‍णन ने निर्भया मामले में आरोपियों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद कहा था, ‘घटना के बाद मुझे लगा कि समाज के प्रति मेरा कर्तव्य है। जब मैं समाज के प्रति अपना कर्तव्य निभाऊंगा, तो निश्चित रूप से मैं पैसा नहीं कमा पाऊंगा। ‘टाइम्‍स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार, कृष्णन नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी बेंगलुरु के छात्र रहे हैं। जिनका करियर लगभग तीन दशकों का है। उन्होंने साल 2001 के संसद हमले, कावेरी नदी जल विवाद, दूरसंचार मामलों, गोवा बाल शोषण कांड, नीतीश कटारा हत्या मामले और उपहार मामले सहित कई हाई-प्रोफाइल मामलों पर काम किया है।

तहव्वुर राणा को 18 दिन की रिमांड, आज से होगी पूछताछ, एनआईए मुख्यालय में गुजरी पहली रात

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मुंबई हमले का आतंकी तहव्वुर राणा अभी एनआईए की कस्टडी में है। भारत लाने के बाद उसे आधी रात को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया। अदालत ने उसे 18 दिनों की एनआईए की रिमांड में भेज दिया। एनआईए ने 20 दिनों की हिरासत मांगी थी। कोर्ट ने इस मामले में काफी समय तक सोच-विचार के बाद उसे 18 दिनों की हिरासत दी है।

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में देर रात तहव्वुर राणा को पेश किया गया। एनआईए के वकील दयान कृष्णन ने अदालत के सामने राणा के खिलाफ सबूत पेश किए। एनआईए ने अदालत से तहव्वुर की 20 दिन की रिमांड की मांग की थी। बहस के बाद कोर्ट ने फैसले सुरक्षित रख लिया। वहीं रात करीब 2.10 बजे अदालत ने फैसला सुनाते हुए राणा की 18 दिन की कस्टडी एनआईए को दे दी।

तहव्वुर राणा को गुरुवार देर रात राष्ट्रीय जांच एजेंसी मुख्यालय लाया गया है। सूत्रों का कहना है कि एनआईए की रिमांड मिलने के बाद तहव्वुर राणा को जल्द ही नींद आ गई। सुबह आठ बजे तक वह अभी नींद में ही था। एनआईए के अधिकारियों ने जब जाकर चेक किया कि आतंकी तहव्वुर जगा है या नहीं, तो उसे गहरी नींद में ही पाया। उसे जगाने की कोशिश नहीं की।

आतंकी राणा की भारत में पहली रात एनआईए के मुख्यालय के बनी अंदर बनी सेल में कटी। आज राणा से एनआईए की विशेष टीम पूछताछ करेगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस टीम में एनआईए के वरिष्ठ अधिकारी शामिल किए गए हैं। जो राणा से मुंबई हमले की साजिश को लेकर पूछताछ करेंगे।

एनआईए ने कहा कि एजेंसी उससे विस्तार से पूछताछ करेगी, ताकि हमले को लेकर सभी तरह की बातों और उनकी साजिश के एक-एक कदम को लेकर सबूत जुटाए जा सके। 18 दिनों तक एनआईए की हिरासत में रहने के बीच तहव्वुर से एनआईए उससे विस्तार से पूछताछ करेगी। एनआईए 2008 के खतरनाक हमलों के पीछे की पूरी साजिश का पता लगा सके, इसलिए उसे पूछताछ के लिए ये समय चाहिए था। मुंबई हमले में कुल 166 लोग मारे गए थे और 238 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

इससे पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि उसने 26 नवंबर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के मुख्य आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा का प्रत्यर्पण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। 2008 के भयावह हमले के प्रमुख साजिशकर्ता को न्याय के कठघरे में लाने के लिए सालों की लगातार, ठोस और संगठित कोशिशों के बाद यह प्रत्यर्पण संभव हो सका है।

राणा अमेरिका में न्यायिक हिरासत में था। भारत और अमेरिका के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि के तहत उसके प्रत्यर्पण प्रक्रिया शुरू हुई थी। तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाने में लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी गई। तहव्वुर साल 2008 के मुंबई आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी का करीबी सहयोगी है। राणा पर कई धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें आपराधिक साजिश, भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना, हत्या, जालसाजी और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम शामिल हैं।

कैसे दोस्त की गवाही ने बढ़ाई तहव्वुर राणा की मुश्किलें? डेविड हेडली ने खोले थे मुंबई हमले की साजिश के राज

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26/11 मुंबई हमले को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाने वाले तहव्वुर राणा भारत आ चुका है। अमेरिका से तहव्वुर राणा का प्रत्यार्पण सरकार, भारतीय एजेंसियों और भारत की डिप्लोमेसी की बहुत बड़ी जीत मानी जा रही है। राणा पर आतंकी हमलों की साजिश रचने का आरोप है। इसका खुलासा उसके बचपन के दोस्त और आतंकी हमलों के मुख्य आरोपी डेविड कोलमैन हेडली की गवाही से हुआ था।

सबसे पहले जानते हैं डॉक्टर से बिजनेसमैन और फिर आतंकी बना तहव्वुर हुसैन राणा के बारे में। 26/11 आतंकी हमले का साजिशकर्ता 64 वर्षीय तहव्वुर राणा का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चिचावतनी शहर में हुआ था। मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह पाकिस्तानी सेना की मेडिकल कोर में शामिल हो गया। लेकिन, 1990 के दशक के आखिर में तहव्वुर राणा ने पाकिस्तानी आर्मी छोड़ दी और कनाडा चला गया। लेकिन, यहां भी कुछ साल रहने के बाद वह अमेरिका चला गया और यहां इसने शिकागो में अपना इमिग्रेशन बिजनेस शुरू किया। तहव्वुर ने ‘फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज’ नाम से अपना कारोबार जमाया।

हेडली के संपर्क में आकर राणा आतंकी गतिविधियों से जुड़ा

राणा के इसी ऑफिस ने हेडली को भारत में आने में मदद की। हेडली का असली नाम दाऊद सईद गिलानी था। वह एक पाकिस्तानी-अमेरिकी नागरिक है। उसका पिता पाकिस्तानी है और मां अमेरिका से ताल्लुक रखती हैं। अमेरिका में डेविड हेडली के संपर्क में आने के बाद तहव्वुर राणा आतंकी गतिविधियों में शामिल हो गया। इस दौरान वह लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ गया। भारतीय जांच एजेंसियों के अनुसार, राणा ने 26/11 मुंबई हमलों की योजना बनाने में हेडली की मदद की थी। हेडली और राणा ने कथित तौर पर लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल जिहादी इस्लामी के साथ मिलकर मुंबई और अन्य भारतीय शहरों में हमले करने की साजिश रची थी।

2016 में हेडली मुंबई की विशेष कोर्ट में हुआ था पेश

मुंबई में हुए आतंकवादी हमले के करीब एक साल बाद दोनों को गिरफ्तार किया गया था। अक्टूबर 2009 में अमेरिकी अधिकारियों ने हेडली और तहव्वुर राणा को गिरफ्तार किया था। 2010 में हेडली ने सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया था। उसने यह बात कबूल की थी कि 26/11 आतंकी हमले में उसकी भूमिका थी। 2016 में हेडली अमेरिका की अज्ञात जगह से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुंबई की एक विशेष कोर्ट के समक्ष पेश हुआ था। उससे विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम और बचाव पक्ष के वकील वहाब खान ने पूछताछ की थी।

इस दौरान हेडली ने खुलासा किया कि वह राणा के साथ लगातार संपर्क में था। दोनों ने अपनी अवैध गतिविधियों को छिपाने के लिए मुंबई में एक व्यावसायिक कार्यालय खोलने की अनुमति भी ली थी।

5 साल का बिजनेस वीजा दिलाने में मदद की

गवाही के दौरान हेडली ने कहा था, जुलाई 2006 में मैं राणा से मिलने के लिए शिकागो गया था और उसे उस मिशन (मुंबई पर हमले) के बारे में बताया था जो लश्कर ने मुझे सौंपा था। राणा ने मुंबई में एक फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज नाम से कार्यालय स्थापित करने की मेरी योजना को मंजूरी दी थी और उसे 5 साल का बिजनेस वीजा प्राप्त करने में मदद की थी।

हमलों से पहले 8 बार भारत आ हेडली

हेडली ने कहा था, मुंबई पर हमला करने वाले 10 आतंकवादियों ने उसी साल सितंबर-अक्टूबर में हमले के असफल प्रयास किए थे। हेडली ने कहा कि वह हमलों से पहले 8 बार और बाद में एक बार भारत आया था। हेडली ने बताया कि उसने रैकी की और बॉलीवुड सितारों से दोस्ती की। हेडली ने ये भी बताया कि उसने आईएसआई के मेजर अली और मेजर इकबाल से मुलाकात की, जिन्होंने उसकी मुलाकात हैंडलर साजिद मीर से करवाई।

तहव्वुर राणा के भारत आने से खौफ में पाकिस्तान, आतंकी से झाड़ा पल्ला

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मुंबई 26/11 आतंकी हमले का मुख्य आरोपी तहव्वुर राणा अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित हो चुका है। मुंबई हमले के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण की खबर सुनते ही पाकिस्तान घबराहट में है। राणा के प्रत्यर्पण पर पहली बार पाकिस्तान ने अपना बयान जारी किया है, जिसमें पाकिस्तानी विदेश कार्यालय ने भारत पर हुए सबसे बड़े आतंकी हमले के आरोपी से खुद को अलग कर लिया है। पाकिस्तान का कहना है कि तहव्वुर राणा पाकिस्तान का नागरिक नहीं है।

पाकिस्तान में जन्मे तहव्वुर हुसैन राणा के भारत प्रत्यर्पण को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने उसे कनाडाई नागरिक बताया और उसका पाकिस्तान कनेक्शन होने से पल्ला झाड़ने की कोशिश की। पाकिस्तान विदेश कार्यालय ने एक वीडियो बयान में कहा, "तहव्वुर राणा ने पिछले दो दशकों में अपने पाकिस्तानी दस्तावेजों का नवीनीकरण नहीं कराया है। उसकी कनाडाई राष्ट्रीयता बहुत स्पष्ट है।"

भले ही पाकिस्तान तहव्वुर राणा से अपने कनेक्शन से इनकार करे और भले ही राणा के पास कनाडा की नागरिकता हो, लेकिन ये भी सच है कि उसका जन्म पाकिस्तान में हुआ है। यहीं उसने मेडिकल की पढ़ाई की है और पाकिस्तान सेना में 10 साल डॉक्टर रह चुका है। 1997 में वह कनाडा चला गया, जिसके 3 साल बाद उसने अमेरिका के शिकागो में इमीग्रेशन का काम शुरू किया। उसके पास कनाडाई नागरिकता है, लेकिन वह शिकागो में रहता है।

अब जबकि तहव्वुर राणा को भारत लाया गया है तो पाकिस्तान राणा से खुद को इसलिए अलग कर रहा है क्योंकि तहव्वुर राणा पाकिस्तानी सेना, आईएसआई का अंदरूनी सूत्र है। आतंकी राणा अब मुंबई 26/11 हमलों की साजिश में पाकिस्तान की प्रत्यक्ष भूमिका के बारे में खुलासा करेगा।

आखिरकार दिल्ली पहुंच ही गया आतंकी तहव्वुर राणा, एयरपोर्ट से ले जाया जाएगा NIA दफ्तर*

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26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को अमेरिका से एनआईए की 7 सदस्यीय टीम लेकर दिल्ली आ चुकी है। जांच एजेंसी एनआईए की टीम ने दिल्ली में प्लेन के लैंड होते ही आतंकी तहव्वुर राणा को गिरफ्तार कर लिया। अब तहव्वुर राणा का मेडिकल कराया जाएगा और फिर एनआईए उसे कोर्ट में पेश करेगी। राणा को अमेरिका से भारत लाए जाने के बाद तिहाड़ जेल के उच्च सुरक्षा वाले वार्ड में रखा जा सकता है। 

मुंबई 26/11 आतंकी हमलों के 17 साल बाद आज मास्‍टरमाइंड तहव्‍वुर हुसैन राणा भारत आ गया है। अमेरिका से प्रत्‍यर्पण के बाद वो कड़ी सुरक्षा व्‍यवस्‍था के बीच दिल्‍ली के पालम एयरपोर्ट पर लैंड हुआ। इसके साथ ही एनआईए ने उसे आधिकारिक रूप से अरेस्‍ट कर लिया। मेडिकल जांच के बाद उसे सीधे पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया जा सकता है। राणा की कस्‍डडी की मांग कोर्ट से की जाएगी।

दिल्‍ली के पालम हवाई अड्डे पर प्‍लेन लैंड होने के बाद राणा को पहले एनआईए हेडक्‍वार्टर ले जाया जाएगा। राणा को सुरक्षित एनआईए दफ्तर तक ले जाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। उसे ले जाने के लिए पालम एयरपोर्ट से एनआईए ऑफिस तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है। कई लेयर सिक्योरिटी होगी। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के SWAT कमांडो के सुरक्षा घेरे में जायेगा राणा।

तहव्वुर राणा की सुरक्षा के लिए थर्ड बटालियन की एक खास टीम तैनात की गई है। इस टीम में एक जेल वैन के साथ एक पायलट कार और एक एस्कॉर्ट कार भी होगी। टीम में कुल 15 पुलिसकर्मी होंगे, जो सभी आधुनिक हथियारों से लैस रहेंगे। यह टीम तहव्वुर राणा को सुरक्षित तरीके से एआईए मुख्यालय तक लेकर जाएगी।

तहव्वुर राणा को बिरयानी देने की जरूरत नहीं...', जानें किसने सरकार से की तुरंत फांसी देने की मांग

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मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किया जा चुका है। कुछ ही घंटे में आतंकी तहव्वुर राणा भारत की धरती पर होगा। तहव्वुर राणा की भारत वापसी से पहले उसके प्रत्यार्पण पर लोगों की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है। 26/11 अटैक के एक हीरो ने कहा, भारत को उसे आतंकी कसाब की तरह सेल, बिरयानी या और सुविधाएं देने की कोई जरूरत नहीं है। उसे तरंत फांसी दे देनी चाहिए।

छोटू चाय वाला' के नाम से मशहूर मोहम्मद तौफीक को मुंबई आतंकी हमले के हीरो के तौर पर पहचान मिली है। मोहम्मद तौफीक ने हमलों में कई लोगों की जान बचाई थी। अब जब उस हमले का आरोपी भारत के शिकंजे में है, तो उन्होंने कहा कि भारत को तहव्वुर राणा को जेल में खास सेल, बिरयानी और वैसी सुविधाएं देने की कोई जरूरत नहीं है, जो मुंबई हमलों में शामिल आतंकवादियों में से एक अजमल कसाब को दी गई थीं।

न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत में उन्होंने कहा, मैं सबसे पहले ट्रंप जी और अमेरिका की सरकार का धन्यवाद करना चाहता हूं कि इतने बड़े मास्टर माइंड को इंडिया को सौंप दिया। आगे उन्होंने कहा कि, सरकार अपना काम कायदे से करे। पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति से रिक्वेस्ट करता हूं कि 15 दिन के अंदर मिल जाए (फांसी) तो बहुत अच्छी बात है। छोटू चाय वाला ने आगे कहा, मैं दुबई और सउदी के बारे में सुनता हूं कि चोरी पर हाथ काट दिया जाता है, यहां भी आतंकवादी के लिए सिस्टम बनना चाहिए। फास्ट ट्रैक में केस चलना चाहिए।

आतंकी तहव्वुर राणा को बड़ी राहत, कोर्ट ने दी परिवार से फोन पर बात करने की इजाजत

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मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। तहव्वुर राणा की याचिका पर आज दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई हुई। राणा ने कोर्ट से अपने परिवार से बात करने की परमीशन मांगी थी, जिसे कोर्ट ने मान लिया है। फिलहाल कोर्ट की तरफ से केवल एक बार ही बात करने की इजाजत दी गई है।

राणा को एनआईए ने हिरासत में लिया गया तब उसने परिवार से बात करने की इच्छा जताई थी। राणा के वकील की ओर से तर्क दिया गया था कि एक विदेशी नागरिक के तौर पर राणा का यह मौलिक अधिकार है कि वह अपने परिवार से बातचीत करे। राणा का परिवार उसकी भलाई को लेकर चिंतित है।

जेल नियमों के अनुसार होगी बातचीत

पटियाला हाउस कोर्ट ने बातचीत की अनुमति देते हुए कहा कि यह कॉल जेल नियमों के अनुसार और तिहाड़ जेल अधिकारी की निगरानी में होगी। कोर्ट ने राणा के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर 10 दिनों में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। जिसमें इस बात पर उनका रुख स्पष्ट किया गया है कि क्या जेल मैनुअल के अनुसार राणा को भविष्य में नियमित फोन कॉल की अनुमति दी जानी चाहिए।

पहले खारिज हो गई थी याचिका

इससे पहले 24 अप्रैल को विशेष न्यायाधीश चंदर जीत सिंह ने राणा की अपने परिवार से बात करने की अनुमति मांगने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। एनआईए द्वारा उसकी याचिका का विरोध करने के बाद अदालत ने यह फैसला सुनाया था। सुनवाई के दौरान, एनआईए ने तर्क दिया कि अगर राणा को अपने परिवार के सदस्यों से बात करने की अनुमति दी जाती है, तो वह बातचीत के दौरान कई महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कर सकता है।

मुंबई आतंकी हमलों का आरोपी

तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी का करीबी सहयोगी है। वह डेविड कोलमैन हेडली का करीबी साथी है, जिसने मुंबई हमले से पहले कई जगहों की रेकी की थी।जांचकर्ताओं का मानना है कि तहव्वुर राणा ने कंसल्टेंसी फर्म की आड़ में ही डेविड हेडली से रेकी का पूरा काम कराया। साल 2008 में मुंबई में पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने घुसकर शहरभर में हमले किए थे। इन बर्बर हमलों में छह अमेरिकी नागरिकों और कुछ यहूदियों समेत 166 लोग मारे गए थे।

एनआईए के पास है मुंबई हमले का “रहस्यमयी” गवाह, अब केस में आएगा नया मोड़, तहव्‍वुर उगलेगा हर राज

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मुंबई हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को भारत लाने के बाद एनआईए उससे पूछताछ कर रही है। इस बीच मामले में एक 'रहस्यमयी गवाह' की बात सामने आ रही है। एनआईए राणा का सामना उस 'रहस्यमयी गवाह' से कराएगी, जो उसका पुराना जानकार बताया जा रहा है। यही गवाह 2006 में मुंबई आए डेविड हेडली की अगवानी कर चुका है और उसने हेडली के लिए होटल, लॉजिंग और बाकी इंतजाम भी किए थे।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक राणा को गुरुवार शाम अमेरिका से प्रत्यार्पण के बाद शुक्रवार तड़के दिल्ली की एक विशेष अदालत ने उसे 18 दिन की एनआईए हिरासत में भेज दिया। इसके बाद राणा को लोधी रोड पर एनआईए मुख्यालय ले जाया गया, जहां उससे पूछताछ शुरू हुई। रिपोर्ट के मुताबिक इस पूछताछ का केंद्र वह संरक्षित गवाह है, जो राणा का करीबी था और हेडली के लिए मुंबई में ठहरने और अन्य व्यवस्थाएं करने में शामिल था।

एनआईए ने इस गवाह की पहचान अब तक गुप्त रखी है ताकि उसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और लश्कर से खतरा न हो। एक अधिकारी ने बताया कि 2006 में जब हमले की साजिश बन रही थी, हेडली को पाकिस्तान में लश्कर के सरगनाओं ने मुंबई के ताजमहल होटल सहित कई जगहों की वीडियो बनाने का आदेश दिया था। हेडली सितंबर 2006 में भारत आया और उसने राणा के एक करीबी की मदद से यह काम किया। इस करीबी ने हेडली के लिए होटल और अन्य सुविधाएं जुटाई थीं।

एनआईए तहव्वुर राणा से इस बारे में पूछताछ करेगी कि 26/11 हमले के इस साजिशकर्ता से उसकी दुबई में मुलाकात क्यों हुई और किसके निर्देश पर हुई। क्या तहव्वुर राणा ने इस अंजान साजिशकर्ता से मुलाकात हेडली के कहने पर की थी। दरअसल अमेरिका में पकड़े जाने के बाद राणा ने अमेरिका की जांच एजेंसियों के सामने इस शख्स के बारे में खुलासा किया था। जिसको लेकर बकायदा अमेरिकी जांच एजेंसियों ने एक रिपोर्ट तैयार की थी।

गुमनाम शख्स की भूमिका क्यों संदिग्ध?

अमेरिकी एजेंसियों ने जांच इंटरसेप्ट किए गए चैट और बातचीत एनआईए के साथ साझा की हैं। इनमें से एक बातचीत में हेडली ने राणा को 2008 में भारत न आने की चेतावनी दी थी और भारत में संभावित आतंकी हमलों के बारे में बताया था। हेडली ने राणा की दुबई में इस शख्स से मुलाकात भी करवाई थी। एक और इंटरसेप्टेड बातचीत में हेडली ने राणा को बताया था कि साजिशकर्ता ने हमले की पुष्टि कर दी है। यही बात इस गुमनाम शख्स की भूमिका को और संदिग्ध बनाता है।

हमले के वक्त मुंबई ऑफिस की लीज खत्म हो चुका था

जांच में एक और अहम पहलू सामने आया है। मुंबई में राणा की इमिग्रेशन कंपनी की लीज से भी साजिश के सुराग मिल रहे हैं। अगस्त 2005 में हेडली ने राणा को लश्कर की साजिश के बारे में बताया था, जिसमें भारत के सार्वजनिक स्थानों और सरकारी इमारतों की रेकी शामिल थी। हेडली ने सुझाव दिया कि राणा की कंपनी को कवर के रूप में इस्तेमाल किया जाए, और वह मुंबई में एक कंसल्टेंट के रूप में काम करेगा। लेकिन हैरानी की बात यह है कि नवंबर 2008 में जब हमला हुआ, तब तक मुंबई ऑफिस की लीज समाप्त हो चुकी थी। न तो राणा ने और न ही हेडली ने इसे रिन्यू कराया। एनआईए इस सवाल का जवाब तलाश रही है कि क्या यह जानबूझकर किया गया, ताकि हमले के बाद सबूत मिटाए जा सकें।

संजय राउत को अब आई कुलभूषण जाधव की याद, मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा की फांसी पर भी बड़ा दावा

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मुंबई हमले का आरोपी तहव्‍वुर राणा आखिरकार भारत के शिकंजे में आ ही गया है। तहव्वुर राणा को भारत लाए जाने पर अलग अलग प्रतिक्रियाएं मिल रही है। विपक्षी दल भी इसका स्वागत कर रहे हैं, हालांकि इन दलों का कहना है कि सरकार सिर्फ क्रेडिट लेने के लिए इसका प्रचार रह रही है। इस बीच शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को लेकर बड़ा बयान दिया है। राउत ने 26-11 मुंबई अटैक के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा को भारत लाये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की है लेकिन इसी के साथ कुलभूषण जाधव को लेकर उन्होंने भारत सरकार पर तंज भी कसा है। साथ ही राउत ने तहव्‍वुर राणा के प्रत्‍यर्पण का बिहार चुनाव कनेक्‍शन निकाला है।

शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि ये लोग तहव्वुर राणा का फेस्टिवल मना रहें हैं ये लोग। उन्होंने कहा, पकिस्तान के जेल में कुलभूषण जाधव सड़ रहा है, उसे लेकर आइये न। दाऊद इब्राहिम को लेकर आइए। जब तक बिहार का चुनाव होगा तब तक ये देश में तहव्वुर राणा फेस्टिवल मनाएंगे।

यूपीए सरकार के समय से राणा को लाने की कोशिश-राउत

संजय राउत ने कहा कि भारत सरकार 2009 से ही तहव्वुर राणा को लाने की कोशिश कर रही है। यह नहीं भूलना चाहिए कि तब केंद्र में यूपीए सरकार थी न कि मोदी सरकार। साल 2009 में एनआईए ने राणा और हेडली दोनों के खिलाफ पहली एफआईआर दर्ज की थी। उस समय एनआईएच की टीम शिकागो गई थी और दोनों से पूछताछ भी की थी। संजय राउत ने कहा कि साल 2012 में तत्कालीन विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद, तत्कालीन विदेश सचिव अमेरिका गए थे। उन्होंने हिलेरी क्लिंटन जो अमेरिकी सरकार में तब विदेश मंत्री थीं, उनसे राणा को भारत भेजने के बारे में चर्चा की थी। यह एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसका पालन होने से समय लगता है।

कांग्रेस ने ‘सलेम महोत्सव’ नहीं मनाया-राउत

संजय राउत ने तहव्‍वुर राणा का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में ऐसा (प्रत्‍यर्पण) कई बार हो चुका है। साल1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट में दाऊद इब्राहिम के गुर्गे अबू सलेम का हाथ था। वह भेष बदलकर पुर्तगाल में रह रहा था। भारतीय जांच एजेंसियों ने उसका पता लगाया और सलेम के आतंकवादी कृत्य के सबूत पुर्तगाली सरकार के सामने रखे। वहां की अदालत में बहस हुई और नवंबर 2005 में पुर्तगाल को सलेम को भारत के हवाले करना पड़ा। संजय राउत ने आगे लिखा कि सलेम पर भारत में मुकदमा चलाया गया और दो आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। फिर तो इस महत्वपूर्ण प्रत्यर्पण को मनमोहन सरकार की कूटनीति की सफलता ही कहा जाएगा। बेशक, मनमोहन सरकार में सलेम को भारत लाया गया था, इसलिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ‘सलेम महोत्सव’ नहीं मनाया, जो आज तहव्‍वुर राणा के मामले में सोशल मीडिया पर चल रहा है।

कुलभूषण जाधव को वापस लाया जाए-राउत

संजय राउत ने कहा कि जो लोग कहते हैं कि वे घर में घुसकर मारेंगे, लेकिन वे लोग ही कुलभूषण जाधव, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी को लेकर नहीं आ सके हैं। संजय राउत ने मांग की है कि देश में वित्तीय घोटालों के आरोपी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी को भी भारत लाया जाए। हमें राणा जैसे किसी व्यक्ति को भारत लाकर यह नहीं दिखाना चाहिए कि यह एक बड़ी जीत है।

राणा की फांसी पर राउत का बड़ा दावा

शिवसेना सांसद ने आगे कहा कि तहव्वुर राणा को तुरंत फांसी दी जानी चाहिए। हालांकि, उसे बिहार विधानसभा चुनाव (जिसके इस साल के अंत तक होने की संभावना है) के दौरान फांसी दी जाएगी। जब तक बिहार का चुनाव होगा तब तक ये देश में तहव्वुर राणा फेस्टिवल मनाएंगे।

बेड़ियों में जकड़ा नजर आया आतंकी तहव्वुर राणा, पहली फोटो आई सामने

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अमेरिका से तहव्वुर राणा का भारत प्रत्यपर्ण हो चुका है। मुंबई हमले 26/11 के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा इस वक्त भारत में है। एनआईए कोर्ट ने उसे 18 दिनों की कस्टडी में भेज दिया है। इस दौरान एनआईए मुंबई हमले से जुड़े तमाम पहलुओं पर पूछताछ करेगी। अब तहव्वुर राणा की बेड़ियों में जकड़ी हुई तस्वीरें सामने आई हैं।

तहव्वुर राणा की ये तस्वीर उस वक्त की है, जब अमेरिकी अधिकारी उसे एनआईए के हवाले कर रहे हैं। प्रत्यर्पण की तस्वीर में राणा के पैरों में बेड़ियां, कमर में जंजीर बंधी हुई दिखाई दे रही है। इसके साथ ही अमेरिकी मार्शल प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को पूरा करते हुए नजर आ रहे हैं, वहीं एनआईए के अधिकारी भी वहां मौजूद हैं।

अमेरिका के न्याय विभाग ने यह तस्वीर जारी की है। अमेरिकी न्याय विभाग ने जेल द्वारा जारी की गई तस्वीर में राणा ब्राउन कलर की वर्दी पहने और अमेरिकी मार्शलों के साथ खड़ा है। फोटो में राणा की शक्ल तो नहीं दिख रही, लेकिन उसे ले जाता हुआ जरूर देखा जा सकता है। उसके शरीर को जंजीर से बांध रखा है, यानी कि काफी सुरक्षा के बीच उसे भारत को सौंपा गया है।

अमेरिकी न्याय विभाग कैलिपोर्निया के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट में अमेरिकी मार्शलों ने मंगलवार को पाकिस्तानी नागरिक और कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा की हिरासत भारत के विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधियों को सौंप दी। तहव्वुर राणा अब 18 दिनों के लिए एनआईए की हिरासत में है। तहव्वुर राणा को एनआईए के मुख्यालय में ग्राउंड फ्लोर पर ही एक लॉकअप में रखा गया है। लॉकअप के ठीक बगल में एक इंटोरेगेशन रूम बना है. इसी में उससे आज पूछताछ होगी। ताकि 2008 के हमलों के पीछे की पूरी साजिश का पता लगाया जा सके। इन हमलों में कुल 166 लोग मारे गए थे और 238 से अधिक घायल हुए थे।

दयान कृष्णन…निर्भया के गुनहगारों को भेजा “नर्क”, अब राणा को दिलाएंगे “फांसी”

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मुंबई हमलों के मास्‍टरमाइंड तहव्‍वुर हुसैन राणा को सफलतापूर्वक अमेरिका से भारत लाया जा चुका है। अब उसके खिलाफ भारतीय कानून के मुताबिक मुकदमा चलाया जाएगा। ऐसे में अब सवाल यह है कि तहव्‍वुर राणा के खिलाफ कोर्ट में एनआईए का पक्ष रखने की जिम्‍मेदारी किस वकील को दी गई। इस हाई-प्रोफाइल केस में अब एनआईए की तरफ से वरिष्ठ वकील दयान कृष्णन मुख्य वकील होंगे। बता दें कि कृष्णन ने कई हाई-प्रोफाइल मामलों जैसे 2001 के संसद हमले, कावेरी नदी जल विवाद, दूरसंचार मामलों आदि पर काम किया है।

कौन हैं दयान कृष्णन?

दयान कृष्णन वो अनुभवी अधिवक्ता हैं जो कई ऐसे बड़े आपराधिक केस लड़ चुके हैं, जिन्होंने भारत की नींव हिलाने की कोशिश की है। अब वो 26/11 के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा के खिलाफ एनआईए के अभियोजन का नेतृत्व करेंगे। कृष्णन को विशेष अभियोजक नरेंद्र मान सहित एक टीम द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी, जिन्होंने पहले दिल्ली हाईकोर्ट में सीबीआई का प्रतिनिधित्व किया था। बता दें कि मान एक अनुभवी क्रिमिनल वकील हैं।

राणा के प्रत्‍यर्पण में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

बताया जा रहा है कि दयान कृष्णन ने राणा के प्रत्यर्पण की कार्यवाही में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी टीम ने अमेरिकी कोर्ट के समक्ष जबरदस्‍त साक्ष्य प्रस्तुत किए, जिसके चलते राणा की सभी दलीलों और अपीलों को खारिज कर दिया गया। साल 2019-20 में प्रत्यर्पण प्रक्रिया शुरू होने पर कृष्णन एनआईए के साथ मिलकर काम कर रहे थे। वे और उनकी टीम भारत का मामला पेश करने के लिए एनआईए के साथ अमेरिका भी गए थे। राणा ने अमेरिका में प्रत्यर्पण से बचने के लिए ‘डबल जेपर्डी’ का तर्क दिया लेकिन कृष्णन ने अदालत में यह साबित कर दिया कि भारत के आरोप अलग प्रकृति के हैं। इसी मजबूत दलील के चलते अमेरिकी कोर्ट ने उसकी सारी याचिकाएं खारिज कर दीं और भारत के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया।

हेडली से भी है कनेक्शन

हालांकि, दयान कृष्णन की राणा केस से कनेक्शन नया नहीं है। 2010 में वे शिकागो में डेविड हेडली से पूछताछ करने वाली एनआईए टीम का हिस्सा थे। इसके बाद 2014 में उन्हें हेडली और राणा दोनों के प्रत्यर्पण मामलों के लिए विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया।

निर्भया केस बिना फीस लिए लड़ा

दयान कृष्णन वही वकील हैं जिन्होंने निर्भया केस में बिना फीस लिए मुकदमा लड़ा था। दयान कृष्‍णन ने निर्भया मामले में आरोपियों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद कहा था, ‘घटना के बाद मुझे लगा कि समाज के प्रति मेरा कर्तव्य है। जब मैं समाज के प्रति अपना कर्तव्य निभाऊंगा, तो निश्चित रूप से मैं पैसा नहीं कमा पाऊंगा। ‘टाइम्‍स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार, कृष्णन नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी बेंगलुरु के छात्र रहे हैं। जिनका करियर लगभग तीन दशकों का है। उन्होंने साल 2001 के संसद हमले, कावेरी नदी जल विवाद, दूरसंचार मामलों, गोवा बाल शोषण कांड, नीतीश कटारा हत्या मामले और उपहार मामले सहित कई हाई-प्रोफाइल मामलों पर काम किया है।

तहव्वुर राणा को 18 दिन की रिमांड, आज से होगी पूछताछ, एनआईए मुख्यालय में गुजरी पहली रात

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मुंबई हमले का आतंकी तहव्वुर राणा अभी एनआईए की कस्टडी में है। भारत लाने के बाद उसे आधी रात को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया। अदालत ने उसे 18 दिनों की एनआईए की रिमांड में भेज दिया। एनआईए ने 20 दिनों की हिरासत मांगी थी। कोर्ट ने इस मामले में काफी समय तक सोच-विचार के बाद उसे 18 दिनों की हिरासत दी है।

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में देर रात तहव्वुर राणा को पेश किया गया। एनआईए के वकील दयान कृष्णन ने अदालत के सामने राणा के खिलाफ सबूत पेश किए। एनआईए ने अदालत से तहव्वुर की 20 दिन की रिमांड की मांग की थी। बहस के बाद कोर्ट ने फैसले सुरक्षित रख लिया। वहीं रात करीब 2.10 बजे अदालत ने फैसला सुनाते हुए राणा की 18 दिन की कस्टडी एनआईए को दे दी।

तहव्वुर राणा को गुरुवार देर रात राष्ट्रीय जांच एजेंसी मुख्यालय लाया गया है। सूत्रों का कहना है कि एनआईए की रिमांड मिलने के बाद तहव्वुर राणा को जल्द ही नींद आ गई। सुबह आठ बजे तक वह अभी नींद में ही था। एनआईए के अधिकारियों ने जब जाकर चेक किया कि आतंकी तहव्वुर जगा है या नहीं, तो उसे गहरी नींद में ही पाया। उसे जगाने की कोशिश नहीं की।

आतंकी राणा की भारत में पहली रात एनआईए के मुख्यालय के बनी अंदर बनी सेल में कटी। आज राणा से एनआईए की विशेष टीम पूछताछ करेगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस टीम में एनआईए के वरिष्ठ अधिकारी शामिल किए गए हैं। जो राणा से मुंबई हमले की साजिश को लेकर पूछताछ करेंगे।

एनआईए ने कहा कि एजेंसी उससे विस्तार से पूछताछ करेगी, ताकि हमले को लेकर सभी तरह की बातों और उनकी साजिश के एक-एक कदम को लेकर सबूत जुटाए जा सके। 18 दिनों तक एनआईए की हिरासत में रहने के बीच तहव्वुर से एनआईए उससे विस्तार से पूछताछ करेगी। एनआईए 2008 के खतरनाक हमलों के पीछे की पूरी साजिश का पता लगा सके, इसलिए उसे पूछताछ के लिए ये समय चाहिए था। मुंबई हमले में कुल 166 लोग मारे गए थे और 238 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

इससे पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि उसने 26 नवंबर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के मुख्य आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा का प्रत्यर्पण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। 2008 के भयावह हमले के प्रमुख साजिशकर्ता को न्याय के कठघरे में लाने के लिए सालों की लगातार, ठोस और संगठित कोशिशों के बाद यह प्रत्यर्पण संभव हो सका है।

राणा अमेरिका में न्यायिक हिरासत में था। भारत और अमेरिका के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि के तहत उसके प्रत्यर्पण प्रक्रिया शुरू हुई थी। तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाने में लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी गई। तहव्वुर साल 2008 के मुंबई आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी का करीबी सहयोगी है। राणा पर कई धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें आपराधिक साजिश, भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना, हत्या, जालसाजी और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम शामिल हैं।

कैसे दोस्त की गवाही ने बढ़ाई तहव्वुर राणा की मुश्किलें? डेविड हेडली ने खोले थे मुंबई हमले की साजिश के राज

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26/11 मुंबई हमले को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाने वाले तहव्वुर राणा भारत आ चुका है। अमेरिका से तहव्वुर राणा का प्रत्यार्पण सरकार, भारतीय एजेंसियों और भारत की डिप्लोमेसी की बहुत बड़ी जीत मानी जा रही है। राणा पर आतंकी हमलों की साजिश रचने का आरोप है। इसका खुलासा उसके बचपन के दोस्त और आतंकी हमलों के मुख्य आरोपी डेविड कोलमैन हेडली की गवाही से हुआ था।

सबसे पहले जानते हैं डॉक्टर से बिजनेसमैन और फिर आतंकी बना तहव्वुर हुसैन राणा के बारे में। 26/11 आतंकी हमले का साजिशकर्ता 64 वर्षीय तहव्वुर राणा का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चिचावतनी शहर में हुआ था। मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह पाकिस्तानी सेना की मेडिकल कोर में शामिल हो गया। लेकिन, 1990 के दशक के आखिर में तहव्वुर राणा ने पाकिस्तानी आर्मी छोड़ दी और कनाडा चला गया। लेकिन, यहां भी कुछ साल रहने के बाद वह अमेरिका चला गया और यहां इसने शिकागो में अपना इमिग्रेशन बिजनेस शुरू किया। तहव्वुर ने ‘फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज’ नाम से अपना कारोबार जमाया।

हेडली के संपर्क में आकर राणा आतंकी गतिविधियों से जुड़ा

राणा के इसी ऑफिस ने हेडली को भारत में आने में मदद की। हेडली का असली नाम दाऊद सईद गिलानी था। वह एक पाकिस्तानी-अमेरिकी नागरिक है। उसका पिता पाकिस्तानी है और मां अमेरिका से ताल्लुक रखती हैं। अमेरिका में डेविड हेडली के संपर्क में आने के बाद तहव्वुर राणा आतंकी गतिविधियों में शामिल हो गया। इस दौरान वह लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ गया। भारतीय जांच एजेंसियों के अनुसार, राणा ने 26/11 मुंबई हमलों की योजना बनाने में हेडली की मदद की थी। हेडली और राणा ने कथित तौर पर लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल जिहादी इस्लामी के साथ मिलकर मुंबई और अन्य भारतीय शहरों में हमले करने की साजिश रची थी।

2016 में हेडली मुंबई की विशेष कोर्ट में हुआ था पेश

मुंबई में हुए आतंकवादी हमले के करीब एक साल बाद दोनों को गिरफ्तार किया गया था। अक्टूबर 2009 में अमेरिकी अधिकारियों ने हेडली और तहव्वुर राणा को गिरफ्तार किया था। 2010 में हेडली ने सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया था। उसने यह बात कबूल की थी कि 26/11 आतंकी हमले में उसकी भूमिका थी। 2016 में हेडली अमेरिका की अज्ञात जगह से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुंबई की एक विशेष कोर्ट के समक्ष पेश हुआ था। उससे विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम और बचाव पक्ष के वकील वहाब खान ने पूछताछ की थी।

इस दौरान हेडली ने खुलासा किया कि वह राणा के साथ लगातार संपर्क में था। दोनों ने अपनी अवैध गतिविधियों को छिपाने के लिए मुंबई में एक व्यावसायिक कार्यालय खोलने की अनुमति भी ली थी।

5 साल का बिजनेस वीजा दिलाने में मदद की

गवाही के दौरान हेडली ने कहा था, जुलाई 2006 में मैं राणा से मिलने के लिए शिकागो गया था और उसे उस मिशन (मुंबई पर हमले) के बारे में बताया था जो लश्कर ने मुझे सौंपा था। राणा ने मुंबई में एक फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज नाम से कार्यालय स्थापित करने की मेरी योजना को मंजूरी दी थी और उसे 5 साल का बिजनेस वीजा प्राप्त करने में मदद की थी।

हमलों से पहले 8 बार भारत आ हेडली

हेडली ने कहा था, मुंबई पर हमला करने वाले 10 आतंकवादियों ने उसी साल सितंबर-अक्टूबर में हमले के असफल प्रयास किए थे। हेडली ने कहा कि वह हमलों से पहले 8 बार और बाद में एक बार भारत आया था। हेडली ने बताया कि उसने रैकी की और बॉलीवुड सितारों से दोस्ती की। हेडली ने ये भी बताया कि उसने आईएसआई के मेजर अली और मेजर इकबाल से मुलाकात की, जिन्होंने उसकी मुलाकात हैंडलर साजिद मीर से करवाई।

तहव्वुर राणा के भारत आने से खौफ में पाकिस्तान, आतंकी से झाड़ा पल्ला

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मुंबई 26/11 आतंकी हमले का मुख्य आरोपी तहव्वुर राणा अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित हो चुका है। मुंबई हमले के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण की खबर सुनते ही पाकिस्तान घबराहट में है। राणा के प्रत्यर्पण पर पहली बार पाकिस्तान ने अपना बयान जारी किया है, जिसमें पाकिस्तानी विदेश कार्यालय ने भारत पर हुए सबसे बड़े आतंकी हमले के आरोपी से खुद को अलग कर लिया है। पाकिस्तान का कहना है कि तहव्वुर राणा पाकिस्तान का नागरिक नहीं है।

पाकिस्तान में जन्मे तहव्वुर हुसैन राणा के भारत प्रत्यर्पण को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने उसे कनाडाई नागरिक बताया और उसका पाकिस्तान कनेक्शन होने से पल्ला झाड़ने की कोशिश की। पाकिस्तान विदेश कार्यालय ने एक वीडियो बयान में कहा, "तहव्वुर राणा ने पिछले दो दशकों में अपने पाकिस्तानी दस्तावेजों का नवीनीकरण नहीं कराया है। उसकी कनाडाई राष्ट्रीयता बहुत स्पष्ट है।"

भले ही पाकिस्तान तहव्वुर राणा से अपने कनेक्शन से इनकार करे और भले ही राणा के पास कनाडा की नागरिकता हो, लेकिन ये भी सच है कि उसका जन्म पाकिस्तान में हुआ है। यहीं उसने मेडिकल की पढ़ाई की है और पाकिस्तान सेना में 10 साल डॉक्टर रह चुका है। 1997 में वह कनाडा चला गया, जिसके 3 साल बाद उसने अमेरिका के शिकागो में इमीग्रेशन का काम शुरू किया। उसके पास कनाडाई नागरिकता है, लेकिन वह शिकागो में रहता है।

अब जबकि तहव्वुर राणा को भारत लाया गया है तो पाकिस्तान राणा से खुद को इसलिए अलग कर रहा है क्योंकि तहव्वुर राणा पाकिस्तानी सेना, आईएसआई का अंदरूनी सूत्र है। आतंकी राणा अब मुंबई 26/11 हमलों की साजिश में पाकिस्तान की प्रत्यक्ष भूमिका के बारे में खुलासा करेगा।

आखिरकार दिल्ली पहुंच ही गया आतंकी तहव्वुर राणा, एयरपोर्ट से ले जाया जाएगा NIA दफ्तर*

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26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को अमेरिका से एनआईए की 7 सदस्यीय टीम लेकर दिल्ली आ चुकी है। जांच एजेंसी एनआईए की टीम ने दिल्ली में प्लेन के लैंड होते ही आतंकी तहव्वुर राणा को गिरफ्तार कर लिया। अब तहव्वुर राणा का मेडिकल कराया जाएगा और फिर एनआईए उसे कोर्ट में पेश करेगी। राणा को अमेरिका से भारत लाए जाने के बाद तिहाड़ जेल के उच्च सुरक्षा वाले वार्ड में रखा जा सकता है। 

मुंबई 26/11 आतंकी हमलों के 17 साल बाद आज मास्‍टरमाइंड तहव्‍वुर हुसैन राणा भारत आ गया है। अमेरिका से प्रत्‍यर्पण के बाद वो कड़ी सुरक्षा व्‍यवस्‍था के बीच दिल्‍ली के पालम एयरपोर्ट पर लैंड हुआ। इसके साथ ही एनआईए ने उसे आधिकारिक रूप से अरेस्‍ट कर लिया। मेडिकल जांच के बाद उसे सीधे पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया जा सकता है। राणा की कस्‍डडी की मांग कोर्ट से की जाएगी।

दिल्‍ली के पालम हवाई अड्डे पर प्‍लेन लैंड होने के बाद राणा को पहले एनआईए हेडक्‍वार्टर ले जाया जाएगा। राणा को सुरक्षित एनआईए दफ्तर तक ले जाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। उसे ले जाने के लिए पालम एयरपोर्ट से एनआईए ऑफिस तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है। कई लेयर सिक्योरिटी होगी। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के SWAT कमांडो के सुरक्षा घेरे में जायेगा राणा।

तहव्वुर राणा की सुरक्षा के लिए थर्ड बटालियन की एक खास टीम तैनात की गई है। इस टीम में एक जेल वैन के साथ एक पायलट कार और एक एस्कॉर्ट कार भी होगी। टीम में कुल 15 पुलिसकर्मी होंगे, जो सभी आधुनिक हथियारों से लैस रहेंगे। यह टीम तहव्वुर राणा को सुरक्षित तरीके से एआईए मुख्यालय तक लेकर जाएगी।

तहव्वुर राणा को बिरयानी देने की जरूरत नहीं...', जानें किसने सरकार से की तुरंत फांसी देने की मांग

#no_biryani_like_kasab_hang_tahawwur_rana

मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किया जा चुका है। कुछ ही घंटे में आतंकी तहव्वुर राणा भारत की धरती पर होगा। तहव्वुर राणा की भारत वापसी से पहले उसके प्रत्यार्पण पर लोगों की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है। 26/11 अटैक के एक हीरो ने कहा, भारत को उसे आतंकी कसाब की तरह सेल, बिरयानी या और सुविधाएं देने की कोई जरूरत नहीं है। उसे तरंत फांसी दे देनी चाहिए।

छोटू चाय वाला' के नाम से मशहूर मोहम्मद तौफीक को मुंबई आतंकी हमले के हीरो के तौर पर पहचान मिली है। मोहम्मद तौफीक ने हमलों में कई लोगों की जान बचाई थी। अब जब उस हमले का आरोपी भारत के शिकंजे में है, तो उन्होंने कहा कि भारत को तहव्वुर राणा को जेल में खास सेल, बिरयानी और वैसी सुविधाएं देने की कोई जरूरत नहीं है, जो मुंबई हमलों में शामिल आतंकवादियों में से एक अजमल कसाब को दी गई थीं।

न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत में उन्होंने कहा, मैं सबसे पहले ट्रंप जी और अमेरिका की सरकार का धन्यवाद करना चाहता हूं कि इतने बड़े मास्टर माइंड को इंडिया को सौंप दिया। आगे उन्होंने कहा कि, सरकार अपना काम कायदे से करे। पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति से रिक्वेस्ट करता हूं कि 15 दिन के अंदर मिल जाए (फांसी) तो बहुत अच्छी बात है। छोटू चाय वाला ने आगे कहा, मैं दुबई और सउदी के बारे में सुनता हूं कि चोरी पर हाथ काट दिया जाता है, यहां भी आतंकवादी के लिए सिस्टम बनना चाहिए। फास्ट ट्रैक में केस चलना चाहिए।