अजीत डोभाल को यूएस कोर्ट के समन, जानें क्या है पूरा मामला?
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे से ठीक पहले एक नया विवाद खड़ा हो गया है। एक अमेरिकी अदालत ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल समेत कई मौजूदा व पूर्व टॉप खुफिया अफसरों को समन भेजा है। यह समन खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की तरफ से दाखिल सिविल केस में भेजा गया है, जिसमें खालिस्तानी आतंकी ने इन अधिकारियों पर अमेरिका में अपनी हत्या की कथित साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया है।
न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले की अमेरिकी जिला कोर्ट ने भारत सरकार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, पूर्व रॉ प्रमुख सामंत गोयल को समन में शामिल किया था। हत्या के मामले में आरोपी दो व्यक्तियों, निखिल गुप्ता और विक्रम यादव को भी समन भेजा गया है। निखिल गुप्ता को पिछले साल चेक गणराज्य में अमेरिकी सरकार के अनुरोध पर न्यूयॉर्क में पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें इस साल जून में चेक गणराज्य से अमेरिका प्रत्यर्पित किया गया था।
अमेरिकी कोर्ट के भारत सरकार और टॉप अफसरों को समन जारी करने पर केंद्र ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने सख्त आपत्ति जताई है और मुकदमे को पूरी तरह से अनुचित करार दिया है। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा है कि जब ये मुद्दे पहली बार हमारे ध्यान में लाए गए, तो हमने कार्रवाई की। (इस मामले में) एक उच्च स्तरीय समिति लगी हुई है।
विदेश मंत्रालय की गुरुवार दोपहर की ब्रीफिंग में मीडिया ने विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि मैं यह केस दाखिल करने वाले व्यक्ति की तरफ आपका ध्यान खींचना चाहूंगा। पन्नू का इतिहास हर कोई जानता है। पन्नू एक कट्टरपंथी गैरकानूनी संगठन सिख फॉर जस्टिस का प्रमुख है, जिसे भारतीय नेताओं और संस्थानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने और धमकियां देने के लिए हर कोई जानता है। नई दिल्ली उसे 2020 में ही आतंकवादी घोषित कर चुकी है।
क्या है पन्नू की हत्या की साजिश का मामला
पिछले साल नवंबर में ब्रिटिश न्यूजपेपर फाइनेंशियल टाइम्स में एक रिपोर्ट छपी थी। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अमेरिका ने पन्नू की हत्या की साजिश को नाकाम कर दिया है। पन्नू के पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है। इस न्यूज रिपोर्ट की पुष्टि बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासनिक अधिकारियों ने भी की थी। इस मामले में भारतीय नागरिकों के नाम सामने आने और उनका लिंक भारतीय खुफिया एजेंसियों से जुड़ा होने का दावा किया गया था। इस जानकारी के सामने आने पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसे चिंता की बात बताया था और भारत की तरफ से एक हाई-लेवल जांच शुरू करने की बात कही थी। इसके बाद से अमेरिका में इस मामले को लेकर जांच चल रही है।
Oct 01 2024, 15:56