मुसलमानों नया साल नहीं मनाने की हिदायत, मौलाना ने जारी किया फतवा, बताया शरियत के खिलाफ

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साल 2024 बस खत्म होने ही वाला है। हर तरफ नए साल के स्वागत की तैयारियां हो रही हैं। इस बीच एक मौलाना ने मुसलमानों को लिए फतवा जारी कर दिया है। उन्होंने कहा कि ये नया साल हमारा नहीं, बल्कि, ईसाइयों का है। इसलिए नए साल का जश्न मुसलमानों को नहीं मनाना चाहिए।

उत्तर प्रदेश के बरेली के मौलाना चश्म-ए-दारुल इफ्ता ने नए साल का जश्न मनाने और मुबारकबाद देने को गैर इस्लामी करार दिया है।उन्होंने कहा कि मुसलमानों के लिए नया साल मनाना हराम है और गुनाह है। ये इसाइयों का धार्मिक त्योहार है, जिसे मुसलमानों को नहीं मनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि गैर-मजहबी प्रथाओं को मानना मुसलमानों के लिए सख्त नाजायज है। ऐसे में मुसलमानों खासतौर पर नए लड़के-लड़कियों को नए साल का जश्न मनाने से बचना चाहिए। मौलाना ने कहा कि मुसलमान के लिए नए साल का जश्न मनाना फख्र की बात नहीं है।

नया साल ईसाईयों का ?

मौलाना शहाबुद्दीन ने फतवा जारी करते हुए कहा- नए साल का जश्न मनाना, मुबारकबाद देना और प्रोग्राम आयोजित करना इस्लामी शरियत की रोशनी में नाजायज है। फतवे में कहा गया है कि नया साल जनवरी से शुरू होता है जो अंग्रेज, ईसाईयों का नया साल है। ईसाईयों का मजहबी और धार्मिक कार्यक्रम है कि वो हर साल के पहले दिन ज़श्न मनाते हैं. इसमें विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन करते हैं. ये ईसाईयों का खालीस ‘मजहबी शिआर’ (धार्मिक कार्यक्रम) है. इसलिए मुसलमानों को नए साल का जश्न मनाना जायज नहीं है. इस्लाम इस तरह के कार्यक्रमों को सख्ती के साथ रोकता है.

फतवे में इन्हें बताया गया नाजायज

शाहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने फतवे में आगे कहा- नए साल का जश्न मनाना, एक दूसरे को मुबारकबाद देना, पटाखे दागना, तालियां बजाना, शोर मचाना, सीटियां बजाना, लाइट बंद करके हुड़दंग करना फिर लाइट को दोबारा जलाना, नाच-गाना करना, शराब पीना, जुआ खेलना, अपने मोबाइल वाट्सअप से एक -दूसरे को मैसेज भेजकर मुबारकबाद देना, ये सारे काम इस्लामी शरियत की रोशनी में नाजायज हैं।

क्या होता है फतवा?

मालूम हो कि इस्लामिक फतवा एक धार्मिक राय या निर्णय है, जो इस्लामी कानून के अनुसार दिया जाता है। यह एक इस्लामी विद्वान या मुफ्ती द्वारा दिया जाता है, जो इस्लामी कानून के जानकार होते हैं। फतवा किसी धार्मिक मसले पर पूछे गये सवाल पर मुफ्ती द्वारा जारी जवाब का दस्तावेज होता है। हालांकि, फतवे को मानना वांछनीय होता है लेकिन बाध्यकारी नहीं है।

कब तक कठपुतली की तरह नाचते रहेंगे मुसलमान?” हरियाणा-कश्मीर के चुनावी नतीजों से पहले रिजिजू का सवाल*
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मोदी सरकार के वरिष्ठ मंत्री और तीसरे कार्यकाल में संसदीय कार्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे किरेन रिजिजू ने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर हिंदुओं को बांटने के साथ मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाया है। आईएएनएस को दिए इंटरव्यू में कांग्रेस पार्टी पर हिंदुओं को बांटने के साथ मुस्लिम तुष्टिकरण का भी आरोप लगाया। इसके साथ ही वीडियो शेयर करते हुए रिजिजू ने अंग्रेजी की दो लाइनें लिखीं। पहले में उन्होंने मुसलमानों को वॉर्निंग देते हुए कहा, 'My warning to the Muslims: Do not become vote bank of the Congress!' दूसरी लाइन में उन्होंने हिंदुओं और अन्य को वॉर्निंग दी। रिजिजू ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की बांटो और राज करो वाली नीतियों के पीड़ित न बनें। किरेन रिजिजू ने आगे कहा कि कांग्रेस मुसलमानों को अपना वोट बैंक मानती है। चुनावों के दौरान कांग्रेस पार्टी कहती है कि उसका 15 प्रतिशत वोट शेयर मुस्लिम वोट आरक्षित है। ये पार्टी की मानसिकता दर्शाता है। ये पार्टी की मानसिकता दर्शाता है और ये मुसलमानों के लिए भी बड़ा नुकसान है। केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि कांग्रेस का मूल प्लान ही यही है कि मुसलमानों को वोट बैंक बनाकर रखो और हिंदुओँ को बांटो। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने आगे राहुल गांधी को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि इसलिए आजकल राहुल गांधी के मुंह से एससी-एसटी, ओबीसी जैसे शब्द निकल रहे हैं। एससी, एसटी, ओबीसी के अंदर की जो तकलीफें हैं उसका एबीसीडी भी राहुल गांधी को पता नहीं है लेकिन हर वक्त उनके मुंह से एससी, एसटी, ओबीसी निकलता रहता है। उनको इसी बात का पाठ पढ़ाया गया है। उन्होंने मुसलमान को वोट बैंक बनाया और अब एसटी, एससी, ओबीसी को हिंदुओं में विभाजित करके वोट हासिल करना चाहते हैं। इससे देश को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। रिजिजू ने आगे कहा कि पीएम मोदी ने देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए काम शुरू कर दिया है। पीएम मोदी के इस अभियान को बाधित करने के लिए कांग्रेस ने डिवाइड एंड रूल की पॉलिसी को अपनाया है। अंग्रेजों ने भी हिंदुओं को विभाजित किया अब और कांग्रेस पार्टी फिर से हिंदुओं को विभाजित करना चाहती है। मैं समझता हूं देश को सबसे ज्यादा नुकसान ऐसी चीज से होगा। ऐसे में हमको संगठित रहना होगा। हम मुसलमानों से भी कहना चाहेंगे कि कब तक आप कांग्रेस का वोट बैंक बनकर कठपुतली की तरह नाचते रहेंगे। पीएम मोदी ने समाज के हर तबके के लिए काम किया है। सरकार की योजनाओं का सबको लाभ मिल रहा है।
मुसलमानों को भाईचारे का संदेश, इजराइल को चेतावनी...जानें ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने क्या-क्या कहा

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ईरान और इजरायल के बीच चल रही जंग के बीच आज तेहरान में हुई जुमे की नमाज बहुत ही खास रही। नसरल्लाह की मौत के बाद ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामनेई ने पहली बार जुमे की नमाज की अगुवाई की है।खामेनेई ने अपने संबोधन में कहा कि हम दुश्मनों के मंसूबे कामयाब नहीं होने देंगे। इस दौरान ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने सभी मुस्लिमों को भाईचारे का संदेश दिया।इसके साथ ही उन्होंने सभी मुश्लिम देशों को साथ आने के लिए कहा।

खामेनेई ने जुमे की नमाज के बाद लोगों को संबोधित किया। उन्होंने मंगलवार को किए गए ईरान के हमले को लेकर कहा है कि ये हमला फिलिस्तीन के हक के लिए इजराइल पर हमला किया और आने वाले समय में जरूरत पड़ी तो फिर इसे अंजाम देंगे। हमने अपनी जिम्मेदारी निभाई और आगे भी इसे निभाएंगे। हम न जल्दबाजी करेंगे न रुकेंगे।

खामेनेई ने कहा कि ये इस्लामी कानून है कि हम मुसलमानों की मदद करें और ये अंतरराष्ट्रीय कानून भी कहते हैं कि कोई अपनी जमीन की रक्षा करे। पिछले साल भी इसी समय में इस अत्याचार को अंजाम दिया गया। गाजा में जो हुआ वो सबने देखा। लोग ऐतराज जताते हैं कि हिजबुल्लाह गाजा के लोगों की मदद क्यों कर रहा है। लेकिन यह एक कानून है कि हम दुनियाभर के मुसलमानों की मदद करें।

ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई ने कहा कि अगर मुसलमान एकजुट हो जाएं तो सभी दुश्मन हार जाएंगे, क्योंकि हमें ऊपर वाले का साथ मिलेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अलग-अलग तरीकों के बावजूद, इस्लामी राष्ट्र का दुश्मन एकमात्र है और अहंकारी मुसलमानों के बीच विभाजन और कलह का कारण बनते हैं।

खामेनेई ने कहा कि ईरानी राष्ट्र का दुश्मन वही है, जो इराकी राष्ट्र का दुश्मन है। वही लेबनानी राष्ट्र का भी दुश्मन है, वही मिस्र राष्ट्र का दुश्मन है। हम सबका दुश्मन एक है। अपने इस बयान के जरिए उन्होंने सभी मुस्लिम राष्ट्र के लिए एकजुटता का संदेश दिया। खामेनेई ने इजराइल की तरफ संकेत करते हुए कहा जब वे एक देश से संतुष्ट हो जाते हैं, तो दूसरे देश में चले जाते हैं। हर देश जो दुश्मन के कब्जे में नहीं आना चाहता, उसे शुरू से ही सचेत रहना चाहिए। जब दुश्मन दूसरे देश में जाता है, तो उसकी मदद करनी चाहिए। हम मुसलमानों ने कई सालों तक इसकी उपेक्षा की। अपने पूरे भाषण के दौरान खामेनेई ने सभी मुस्लिम राष्ट्रों को एकजुट होने का संदेश दिया।

नसरल्लाह के मारे जाने के बाद खामनेई पहली बार देश को संबोधन किया। खामनेई इस दौरान क्या कुछ कह रहे हैं, इस पर पूरी दुनिया की निगाहें हैं। सरल्लाह की मौत के बाद से किसी सीक्रेट जगह पर छिपे खामनेई आज पहली बार सार्वजनिक तौर पर बाहर निकले हैं।तेहरान में जुमे की नमाज और खामनेई के भाषण को सुनने के लिए बड़ी तादात में भीड़ जुटी। बड़ी संख्या में महिलाएं भी नमाज में शामिल हुईं।

ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने भारतीय मुसलमानो को लेकर ऐसा क्या कहा? भारत ने दिया करार जवाब

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ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने भारतीय मुसलमानों को लेकर चिंता जताई है।अयातुल्लाह अली खामेनेई को भारतीय मुसलमान पीड़ित नजर आ रहा है।उन्होंने भारत पर मुस्लिम उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए उसे म्यांमार और गाजा के साथ तुलना की। हालांकि, भारत की तरफ से करार जवाब मिला है।भारत ने ईरान को जवाब देते हुए कहा कि वो पहले अपना रिकॉर्ड देखें।

दरअसल, ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने सोमवार को भारत पर अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न का आरोप लगाया।इसके साथ ही ईरान के सुप्रीम लीडर ने दुनियाभर के मुसलमानों से एकजुट होने का आह्वान भी किया।खामेनेई ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, "इस्लाम के दुश्मनों ने हमेशा हमें इस्लामी उम्माह के रूप में हमारी साझा पहचान के प्रति उदासीन बनाने की कोशिश की है। अगर हम #म्यांमार, #गाजा, #भारत या किसी अन्य स्थान पर एक मुसलमान को होने वाली पीड़ा से अनजान हैं, तो हम खुद को मुसलमान नहीं मान सकते।"

भारत सरकार ने देश में अल्पसंख्यकों के संबंध में ईरान के सर्वोच्च धर्मगुरु अली ख़ामेनेई की तरफ से की गई टिप्पणियों की कड़ी निंदा की और बयान को “गलत जानकारी वाला और अस्वीकार्य” बताया। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने ख़ामेनेई के बयान को सिरे से खारिज किया और कहा कि भारत को लेकर उनकी समझ कम है। एमईए ने कहा, “हम ईरान के सर्वोच्च नेता द्वारा भारत में अल्पसंख्यकों के संबंध में की गई टिप्पणियों की कड़ी आलोचना करते हैं। ये बिल्कुल गलत जानकारी है और कहीं से भी स्वीकार्य नहीं है।”

मंत्रालय ने उन देशों से भी आग्रह किया जो अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार के बारे में टिप्पणी करते हैं और उनसे कहा कि दूसरों की आलोचना करने से पहले अपने रिकॉर्ड के बारे में विचार करना चाहिए। विदेश मंत्रालय ने कहा, “अल्पसंख्यकों पर टिप्पणी करने वाले देशों को सलाह दी जाती है कि वे दूसरों के बारे में कोई भी टिप्पणी करने से पहले अपना रिकॉर्ड देख लें।”

यह पहली बार नहीं है कि ईरान के सुप्रीम लीडर ने भारत में मुसलमानों को लेकर ऐसा बयान दिया। खामेनेई 2020 के दिल्ली दंगों पर भी बयान दे चुके हैं। उन्होंने दंगों को मुसलमानों का नरसंहार बताया था। उन्होंने दिल्ली दंगे पर ट्वीट किया था कि दुनिया भर के मुसलमान भारत में मुसलमानों के नरसंहार पर दुखी हैं। भारत सरकार को चरमपंथी हिंदुओं और उनकी पार्टियों का मुकाबला करना चाहिए और इस्लाम की दुनिया से भारत के अलगाव को रोकने के लिए मुसलमानों के नरसंहार को रोकना चाहिए। इसके बाद उन्होंने हैशटैग IndianMuslimslnDanger का इस्तेमाल किया था। 

ऐसी ही 2019 में J-K में अनुच्छेद 370 हटने पर खामेनेई ने चिंता जताई थी। तब उन्होंने कहा था कि हम कश्मीर में मुसलमानों की स्थिति को लेकर चिंतित हैं। हमारे भारत के साथ अच्छे संबंध हैं, लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार कश्मीर के लोगों के प्रति उचित नीति अपनाएगी और इस क्षेत्र में मुसलमानों के उत्पीड़न को रोकेगी।

CM Yogi Adityanath calls for all Hindus to unite.

BIGGEST BREAKING NEWS  CM Yogi Adityanath calls for all Hindus to unite.

He said "If we remain divided, we will be cut like what happened in Bangladesh. We can survive only if we remain united"

He said "Opposition spoke for Gaza Muslims but not for Bangladeshi Hindus. 90% of Bangladeshi Hindus are Dalits"

"India has only one Religion - Sanatan Dharma & it is the National religion of this country" - CM YOGI

Islamic Terror in France Elections
Just after Marine Le Pen, a right wing french politician won the first round of elections, Muslims started rioting, burning public properties while chanting Allahu Akbar. Most of them are illegal immigrants accepted by the French left win

Muslims protesting in Chicago USA, not to buy groceries from Hindu stores which is run by Patels. Because they are funding to RSS.
Muslims protesting in Chicago USA, not to buy groceries from Hindu stores which is run by Patels. Because they are funding to RSS.

मुस्लिम सबसे ज्यादा कंडोम इस्तेमाल करते हैं', पीएम मोदी के 'ज्यादा बच्चे' वाले बयान पर ओवैसी का पलटवार

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लोकसभा चुनाव 2024 के लिए दो चरणों का मतदान समाप्त हो चुका है और 5 चरणों का चुनाव बाकी है। सभी राजनीतिक दलों के दिग्गज नेता लगातार चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं। हर चुनाव की तरह इस चुनाव में भी बयानबाजियां चरम पर हैं। इस चुनाव में अगर किसी के बयान की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, तो वो है पीएम मोदी की।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'संपत्ति बांटने' वाले बयान पर राजनीतिक संग्राम छिड़ा हुआ है। पीएम मोदी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस 'देश की संपत्ति उन लोगों को बांटना चाहती है जिनके ज्यादा बच्चे हैं। कांग्रेस समेत तमाम दलों ने इसे सीधे मुस्लिमों पर हमला बताया है। इस बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी के बयान पर पलटवार किया है।उन्होंने कहा, पीएम कहते हैं कि मुसलमान अधिक बच्चे पैदा कर रहे हैं। सच तो ये है कि मुसलमानों में प्रजनन दर गिरी है। भारत में मुस्लिम पुरुष सबसे ज्यादा कंडोम का इस्तेमाल करते हैं।

पीएम मोदी देश में मुसलमानों को लेकर नफरत फैला रहे-ओवैसी

हैदराबाद में एक चुनावी सभा में असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बीते दिनों पीएम मोदी ने देश के मुसलमानों को घुसपैठिया कहा था। घुसपैठिया वो होता है जो बाहर के देश से बिना इजाजत घुस आए। यकीनन हमारा मजहब अलग है, मगर हम हैं तो इसी देश के निवासी। ये देश हमारा भी है।पीएम मोदी देश में मुसलमानों को लेकर नफरत फैला रहे हैं। पीएम कहते हैं कि मुसलमान अधिक बच्चे पैदा कर रहे हैं. सच तो ये है कि मुसलमानों में प्रजनन दर गिरी है। इतना ही नहीं भारत में मुस्लिम पुरुष सबसे ज्यादा कंडोम का इस्तेमाल करते हैं। ये मैं नहीं, सरकार की रिपोर्ट कहती है।

देश में हमेशा हिंदू ही बहुसंख्यक रहेंगे- ओवैसी

ओवैसी ने कहा कि ये बात बिल्कुल झूठ है कि मुस्लिम इस देश में ज्यादा हो जाएंगे। इस बात को जानबूझकर हिंदुओं को डराने के लिए फैलाया जाता है। ओवैसी ने कहा कि इस देश में हमेशा हिंदू समुदाय के लोग ही बहुसंख्यक रहेंगे। ओवैसी ने पीएम मोदी पर दलितों और मुसलमानों के प्रति दुश्मनी भड़काने के लिए झूठ फैलाने का आरोप लगाया।

क्या है पीएम मोदी का बयान?

बता दें कि पीएम मोदी ने राजस्थान की एक चुनावी रैली में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए बयान दिया था। बांसवाड़ा में मोदी ने कहा था, ये कांग्रेस का मेनिफेस्टो कह रहा है कि वो मां-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे, उसकी जानकारी लेंगे और फिर उसे बांट देंगे और उनको बांटेंगे जिनको मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। पीएम ने कहा, अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो लोगों की संपत्ति मुसलमानों में बांट देगी। ये शहरी-नक्सली मानसिकता माताओं-बहनों के मंगलसूत्र भी नहीं छोड़ेगी।

कर्नाटक में सभी मुसलमान ओबीसी लिस्ट में शामिल, पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट में खुलासा

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हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी एससी, एसटी और ओबीसी समाज का आरक्षण छीन कर मुस्लिमों को देना चाहती है। कर्नाटक के आँकड़े पीएम मोदी के इन आरोपों की तस्दीक करते हैं। दरअसल, कर्नाटक सरकार ने आरक्षण का लाभ देने के लिए मुसलमानों को पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल किया है। कर्नाटक सरकार के इस फैसले की जानकारी राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग ने प्रेस रिलीज जारी करके दी।राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने इस पर अपत्ति भी जताई है। 

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने जानकारी दी कि कर्नाटक में शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में मुस्लिम समुदाय को आरक्षण मिल रहा है। आयोग ने ये भी जानकारी दी कि कर्नाटक के मुस्लिमों की सभी जातियों और समुदायों को सरकारी नौकरियों एवं शिक्षण संस्थानों में आरक्षण दिया जा रहा है। इस मामले पर कर्नाटक सरकार द्वारा आयोग को कोई स्पष्टीकरण नहीं दी गई है।

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने कहा कि हमने इस मामले पर कर्नाटक सरकार से पूछा था कि आखिर किस आधार पर यह कोटा दिया जा रहा है। इस मामले पर हमें कोई स्पष्टीकरण नहीं मिला है। हंसराज गंगाराम अहीर के ओर से जारी बयान में कहा गया, कर्नाटक सरकार के नियंत्रणाधीन नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण हेतु कर्नाटक के सभी मुस्लिम धर्मावलंबियों को ओबीसी की राज्य लिस्ट में शामिल किया गया है। बयान में आगे लिखा है,"कर्नाटक सरकार के पिछड़ा वर्ग विभाग ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग को लिखित रूप में बताया है कि मुस्लिम और ईसाई जैसे समुदाय न तो जाति है और न धर्म है। कर्नाटक में मुस्लिम की आबादी 12.92 प्रतिशत है। राज्य में मुस्लिमों को धार्मिक अल्पसंख्यक माना जाता है।"

कर्नाटक सरकार की नीती सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने कर्नाटक की इस नीति को सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध बताया है। पिछले साल NCBC ने ग्राउंड पर जाकर आरक्षण की स्थति का पता लगाया था। आयोग का कहना है कि ऐसे में मुस्लिमों में जो जातियाँ शिक्षिक-सामाजिक रूप से पिछड़ी हैं उनकी भी हकमारी हो रही है। सभी मुस्लिमों को पिछड़े समाज में डालना इस समाज की विविधता और जटिलता को नज़रअंदाज़ करने के जैसा है। 

कर्नाटक सरकार से स्पष्टीकरण मांगा

हंसराज अहीर ने कहा कर्नाटक में कैटेगरी 1बी और बी2 में कुल 34 मुस्लिम ओबीसी जातियां आती हैं, लेकिन आरक्षण जो दिया है वो समूचे मुस्लिम जातियों को दे दिया गया है। हमने पूछा कि 4 प्रतिशत की जगह 16 प्रतिशत आरक्षण कैसे दिया तो उनका गोलमोल जवाब आया है। हंसराज अहीर ने कहा कि हमने कर्नाटक सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। हम कर्नाटक के चीफ सेक्रेटरी को तलब कर रहे हैं। हम किसी भी तरह मूल ओबीसी के हक को मरने नहीं देंगे। हमारे आयोग का यही काम है। जरूरत पड़ेगी तो हम कर्नाटक में ओबीसी आरक्षण के कोटा से इनको हटाएंगे। हम राष्ट्रपति से भी शिकायत कर सकते हैं। बहुत सारे कानूनी उपाय हैं।

ओबीसी आरक्षण कोटे में अनियमितता की शिकायत के बाद जांच

दरअसल, राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग को कर्नाटक में ओबीसी आरक्षण कोटे में अनियमितता की जानकारी मिली थी। उसके बाद आयोग ने पिछले 6 महीने में इसकी जांच शुरू की। आयोग ने अपने जांच के दरमियान सरकारी नौकरी, मेडिकल, इंजीनियरिंग एडमिशन और तमाम सरकारी पदों पर सीमा से अधिक मुस्लिम आरक्षण दिए जाने की बात सामने आई। गत वर्ष राज्य के सरकारी पीजी मेडिकल के 930 सीटों में दिए गए आरक्षण की जब जांच की तो उसमें चौकाने वाले तथ्य सामने आए। आयोग ने पाया कि 930 में से 150 सीट मुस्लिम वर्ग को आरक्षित किया गया है जो करीब कुल सीट का 16 प्रतिशत है। खास बात ये है कि इनमें मुस्लिम वर्ग के उन जातियों को भी लाभ दिया गया है जो आरक्षण के दायरे में नहीं आते।

क्या सीएए लागू होने के बाद भारतीय मुसलमानों की नागरिकता पर पड़ेगा कोई प्रभाव, मुस्लिम प्रवासियों का क्या होगा ?

#will_citizenship_amendment_act_affect_citizenship_of_indian_muslims

देश में नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए लागू हो गया है।जब भारत में आम चुनाव कुछ ही हफ़्तों बाद होने जा रहे हैं, उसके ठीक पहले गृह मंत्रालय ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन नियम को लागू कर दिया।नागरिकता संशोधन नियम लागू होने के बाद अब पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आए थे, उन्हें भारतीय नागरिकता बिना वैध पासपोर्ट और भारत के वीज़ा के बिना मिल सकती है। हालांकि जब से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू किया गया है, तब से ही इसे लेकर काफी विवाद हो रहा है।

सीएए लागू होने के साथ ही देश में कई तरह की अफवाहों और भ्रांतियों का बाजार गर्म होने लगा है। खासतौर से भारतीय मुसलमानों को लेकर। इन तमाम तरह की भ्रांतियों को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कोरी अफवाह करार देते हुए स्पष्ट किया है कि सीएए से भारतीय मुसलमानों को किसी भी तरह की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। इस कानून में उनकी भारतीय नागरिकता को प्रभावित करने वाला कोई प्रावधान नहीं है। देश के वर्तमान 18 करोड़ भारतीय मुसलमानों की नागरिकता और अधिकारों के अधिकार एकदम हिंदू भारतीय नागरिकों के समान ही हैं। नागरिकता कानून का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

दरअसल, विपक्ष का कहना है कि सरकार सीएए को लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए लाई है, ताकि धार्मिक धुव्रीकरण किया जा सके। बता दें कि सीएए में तीन देशों के प्रवासियों को भारत में नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। ये देश हैं पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान। जिन गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दी जानी है उनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के वो लोग शामिल हैं, जो अपने मुल्क में धार्मिक तौर पर प्रताड़ित रहे हैं। ऐसे में बहुत से लोगों ने इसे मुस्लिमों के खिलाफ साजिश बताया, लेकिन सच ये है कि मुस्लिमों को नागरिकता देने का काम पुराने कानूनों द्वारा संचालित होता रहेगा।

गृह मंत्रालय ने कहा, नागरिकता अधिनियम की धारा 6 के तहत दुनिया में कहीं से भी मुसलमान भारतीय नागरिकता मांग सकते हैं। ये प्राकृतिककरण यानी नेचुरलाइजेशन के जरिए नागरिकता से जुड़ा हुआ है। मंत्रालय ने कहा, इस्लाम के अपने तौर-तरीकों का पालन करने की वजह से इस्लामिक देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान) में सताए जाने वाले मुस्लिमों को मौजूदा कानूनों के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने से नहीं रोका जा रहा है। मंत्रालय ने आगे कहा, सीएए नेचुरलाइजेशन को रद्द नहीं करता है। इसलिए, किसी भी विदेशी देश से आए मुस्लिम प्रवासियों सहित कोई भी व्यक्ति, जो भारतीय नागरिक बनना चाहता है, मौजूदा कानूनों के तहत इसके लिए आवेदन कर सकता है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस कानून में देश में रह रहे अवैध मुस्लिम प्रवासियों को बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान वापस भेजने के लिए कोई समझौता नहीं किया गया है। इसलिए मुसलमानों और छात्रों समेत लोगों के एक वर्ग की यह चिंता की सीएए मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। पूरी तरह से निराधार है।

मुसलमानों नया साल नहीं मनाने की हिदायत, मौलाना ने जारी किया फतवा, बताया शरियत के खिलाफ

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साल 2024 बस खत्म होने ही वाला है। हर तरफ नए साल के स्वागत की तैयारियां हो रही हैं। इस बीच एक मौलाना ने मुसलमानों को लिए फतवा जारी कर दिया है। उन्होंने कहा कि ये नया साल हमारा नहीं, बल्कि, ईसाइयों का है। इसलिए नए साल का जश्न मुसलमानों को नहीं मनाना चाहिए।

उत्तर प्रदेश के बरेली के मौलाना चश्म-ए-दारुल इफ्ता ने नए साल का जश्न मनाने और मुबारकबाद देने को गैर इस्लामी करार दिया है।उन्होंने कहा कि मुसलमानों के लिए नया साल मनाना हराम है और गुनाह है। ये इसाइयों का धार्मिक त्योहार है, जिसे मुसलमानों को नहीं मनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि गैर-मजहबी प्रथाओं को मानना मुसलमानों के लिए सख्त नाजायज है। ऐसे में मुसलमानों खासतौर पर नए लड़के-लड़कियों को नए साल का जश्न मनाने से बचना चाहिए। मौलाना ने कहा कि मुसलमान के लिए नए साल का जश्न मनाना फख्र की बात नहीं है।

नया साल ईसाईयों का ?

मौलाना शहाबुद्दीन ने फतवा जारी करते हुए कहा- नए साल का जश्न मनाना, मुबारकबाद देना और प्रोग्राम आयोजित करना इस्लामी शरियत की रोशनी में नाजायज है। फतवे में कहा गया है कि नया साल जनवरी से शुरू होता है जो अंग्रेज, ईसाईयों का नया साल है। ईसाईयों का मजहबी और धार्मिक कार्यक्रम है कि वो हर साल के पहले दिन ज़श्न मनाते हैं. इसमें विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन करते हैं. ये ईसाईयों का खालीस ‘मजहबी शिआर’ (धार्मिक कार्यक्रम) है. इसलिए मुसलमानों को नए साल का जश्न मनाना जायज नहीं है. इस्लाम इस तरह के कार्यक्रमों को सख्ती के साथ रोकता है.

फतवे में इन्हें बताया गया नाजायज

शाहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने फतवे में आगे कहा- नए साल का जश्न मनाना, एक दूसरे को मुबारकबाद देना, पटाखे दागना, तालियां बजाना, शोर मचाना, सीटियां बजाना, लाइट बंद करके हुड़दंग करना फिर लाइट को दोबारा जलाना, नाच-गाना करना, शराब पीना, जुआ खेलना, अपने मोबाइल वाट्सअप से एक -दूसरे को मैसेज भेजकर मुबारकबाद देना, ये सारे काम इस्लामी शरियत की रोशनी में नाजायज हैं।

क्या होता है फतवा?

मालूम हो कि इस्लामिक फतवा एक धार्मिक राय या निर्णय है, जो इस्लामी कानून के अनुसार दिया जाता है। यह एक इस्लामी विद्वान या मुफ्ती द्वारा दिया जाता है, जो इस्लामी कानून के जानकार होते हैं। फतवा किसी धार्मिक मसले पर पूछे गये सवाल पर मुफ्ती द्वारा जारी जवाब का दस्तावेज होता है। हालांकि, फतवे को मानना वांछनीय होता है लेकिन बाध्यकारी नहीं है।

कब तक कठपुतली की तरह नाचते रहेंगे मुसलमान?” हरियाणा-कश्मीर के चुनावी नतीजों से पहले रिजिजू का सवाल*
#kiren_rijiju_targets_congress_keeping_muslims_as_vote_bank
मोदी सरकार के वरिष्ठ मंत्री और तीसरे कार्यकाल में संसदीय कार्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे किरेन रिजिजू ने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर हिंदुओं को बांटने के साथ मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाया है। आईएएनएस को दिए इंटरव्यू में कांग्रेस पार्टी पर हिंदुओं को बांटने के साथ मुस्लिम तुष्टिकरण का भी आरोप लगाया। इसके साथ ही वीडियो शेयर करते हुए रिजिजू ने अंग्रेजी की दो लाइनें लिखीं। पहले में उन्होंने मुसलमानों को वॉर्निंग देते हुए कहा, 'My warning to the Muslims: Do not become vote bank of the Congress!' दूसरी लाइन में उन्होंने हिंदुओं और अन्य को वॉर्निंग दी। रिजिजू ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की बांटो और राज करो वाली नीतियों के पीड़ित न बनें। किरेन रिजिजू ने आगे कहा कि कांग्रेस मुसलमानों को अपना वोट बैंक मानती है। चुनावों के दौरान कांग्रेस पार्टी कहती है कि उसका 15 प्रतिशत वोट शेयर मुस्लिम वोट आरक्षित है। ये पार्टी की मानसिकता दर्शाता है। ये पार्टी की मानसिकता दर्शाता है और ये मुसलमानों के लिए भी बड़ा नुकसान है। केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि कांग्रेस का मूल प्लान ही यही है कि मुसलमानों को वोट बैंक बनाकर रखो और हिंदुओँ को बांटो। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने आगे राहुल गांधी को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि इसलिए आजकल राहुल गांधी के मुंह से एससी-एसटी, ओबीसी जैसे शब्द निकल रहे हैं। एससी, एसटी, ओबीसी के अंदर की जो तकलीफें हैं उसका एबीसीडी भी राहुल गांधी को पता नहीं है लेकिन हर वक्त उनके मुंह से एससी, एसटी, ओबीसी निकलता रहता है। उनको इसी बात का पाठ पढ़ाया गया है। उन्होंने मुसलमान को वोट बैंक बनाया और अब एसटी, एससी, ओबीसी को हिंदुओं में विभाजित करके वोट हासिल करना चाहते हैं। इससे देश को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। रिजिजू ने आगे कहा कि पीएम मोदी ने देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए काम शुरू कर दिया है। पीएम मोदी के इस अभियान को बाधित करने के लिए कांग्रेस ने डिवाइड एंड रूल की पॉलिसी को अपनाया है। अंग्रेजों ने भी हिंदुओं को विभाजित किया अब और कांग्रेस पार्टी फिर से हिंदुओं को विभाजित करना चाहती है। मैं समझता हूं देश को सबसे ज्यादा नुकसान ऐसी चीज से होगा। ऐसे में हमको संगठित रहना होगा। हम मुसलमानों से भी कहना चाहेंगे कि कब तक आप कांग्रेस का वोट बैंक बनकर कठपुतली की तरह नाचते रहेंगे। पीएम मोदी ने समाज के हर तबके के लिए काम किया है। सरकार की योजनाओं का सबको लाभ मिल रहा है।
मुसलमानों को भाईचारे का संदेश, इजराइल को चेतावनी...जानें ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने क्या-क्या कहा

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ईरान और इजरायल के बीच चल रही जंग के बीच आज तेहरान में हुई जुमे की नमाज बहुत ही खास रही। नसरल्लाह की मौत के बाद ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामनेई ने पहली बार जुमे की नमाज की अगुवाई की है।खामेनेई ने अपने संबोधन में कहा कि हम दुश्मनों के मंसूबे कामयाब नहीं होने देंगे। इस दौरान ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने सभी मुस्लिमों को भाईचारे का संदेश दिया।इसके साथ ही उन्होंने सभी मुश्लिम देशों को साथ आने के लिए कहा।

खामेनेई ने जुमे की नमाज के बाद लोगों को संबोधित किया। उन्होंने मंगलवार को किए गए ईरान के हमले को लेकर कहा है कि ये हमला फिलिस्तीन के हक के लिए इजराइल पर हमला किया और आने वाले समय में जरूरत पड़ी तो फिर इसे अंजाम देंगे। हमने अपनी जिम्मेदारी निभाई और आगे भी इसे निभाएंगे। हम न जल्दबाजी करेंगे न रुकेंगे।

खामेनेई ने कहा कि ये इस्लामी कानून है कि हम मुसलमानों की मदद करें और ये अंतरराष्ट्रीय कानून भी कहते हैं कि कोई अपनी जमीन की रक्षा करे। पिछले साल भी इसी समय में इस अत्याचार को अंजाम दिया गया। गाजा में जो हुआ वो सबने देखा। लोग ऐतराज जताते हैं कि हिजबुल्लाह गाजा के लोगों की मदद क्यों कर रहा है। लेकिन यह एक कानून है कि हम दुनियाभर के मुसलमानों की मदद करें।

ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई ने कहा कि अगर मुसलमान एकजुट हो जाएं तो सभी दुश्मन हार जाएंगे, क्योंकि हमें ऊपर वाले का साथ मिलेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अलग-अलग तरीकों के बावजूद, इस्लामी राष्ट्र का दुश्मन एकमात्र है और अहंकारी मुसलमानों के बीच विभाजन और कलह का कारण बनते हैं।

खामेनेई ने कहा कि ईरानी राष्ट्र का दुश्मन वही है, जो इराकी राष्ट्र का दुश्मन है। वही लेबनानी राष्ट्र का भी दुश्मन है, वही मिस्र राष्ट्र का दुश्मन है। हम सबका दुश्मन एक है। अपने इस बयान के जरिए उन्होंने सभी मुस्लिम राष्ट्र के लिए एकजुटता का संदेश दिया। खामेनेई ने इजराइल की तरफ संकेत करते हुए कहा जब वे एक देश से संतुष्ट हो जाते हैं, तो दूसरे देश में चले जाते हैं। हर देश जो दुश्मन के कब्जे में नहीं आना चाहता, उसे शुरू से ही सचेत रहना चाहिए। जब दुश्मन दूसरे देश में जाता है, तो उसकी मदद करनी चाहिए। हम मुसलमानों ने कई सालों तक इसकी उपेक्षा की। अपने पूरे भाषण के दौरान खामेनेई ने सभी मुस्लिम राष्ट्रों को एकजुट होने का संदेश दिया।

नसरल्लाह के मारे जाने के बाद खामनेई पहली बार देश को संबोधन किया। खामनेई इस दौरान क्या कुछ कह रहे हैं, इस पर पूरी दुनिया की निगाहें हैं। सरल्लाह की मौत के बाद से किसी सीक्रेट जगह पर छिपे खामनेई आज पहली बार सार्वजनिक तौर पर बाहर निकले हैं।तेहरान में जुमे की नमाज और खामनेई के भाषण को सुनने के लिए बड़ी तादात में भीड़ जुटी। बड़ी संख्या में महिलाएं भी नमाज में शामिल हुईं।

ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने भारतीय मुसलमानो को लेकर ऐसा क्या कहा? भारत ने दिया करार जवाब

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ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने भारतीय मुसलमानों को लेकर चिंता जताई है।अयातुल्लाह अली खामेनेई को भारतीय मुसलमान पीड़ित नजर आ रहा है।उन्होंने भारत पर मुस्लिम उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए उसे म्यांमार और गाजा के साथ तुलना की। हालांकि, भारत की तरफ से करार जवाब मिला है।भारत ने ईरान को जवाब देते हुए कहा कि वो पहले अपना रिकॉर्ड देखें।

दरअसल, ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने सोमवार को भारत पर अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न का आरोप लगाया।इसके साथ ही ईरान के सुप्रीम लीडर ने दुनियाभर के मुसलमानों से एकजुट होने का आह्वान भी किया।खामेनेई ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, "इस्लाम के दुश्मनों ने हमेशा हमें इस्लामी उम्माह के रूप में हमारी साझा पहचान के प्रति उदासीन बनाने की कोशिश की है। अगर हम #म्यांमार, #गाजा, #भारत या किसी अन्य स्थान पर एक मुसलमान को होने वाली पीड़ा से अनजान हैं, तो हम खुद को मुसलमान नहीं मान सकते।"

भारत सरकार ने देश में अल्पसंख्यकों के संबंध में ईरान के सर्वोच्च धर्मगुरु अली ख़ामेनेई की तरफ से की गई टिप्पणियों की कड़ी निंदा की और बयान को “गलत जानकारी वाला और अस्वीकार्य” बताया। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने ख़ामेनेई के बयान को सिरे से खारिज किया और कहा कि भारत को लेकर उनकी समझ कम है। एमईए ने कहा, “हम ईरान के सर्वोच्च नेता द्वारा भारत में अल्पसंख्यकों के संबंध में की गई टिप्पणियों की कड़ी आलोचना करते हैं। ये बिल्कुल गलत जानकारी है और कहीं से भी स्वीकार्य नहीं है।”

मंत्रालय ने उन देशों से भी आग्रह किया जो अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार के बारे में टिप्पणी करते हैं और उनसे कहा कि दूसरों की आलोचना करने से पहले अपने रिकॉर्ड के बारे में विचार करना चाहिए। विदेश मंत्रालय ने कहा, “अल्पसंख्यकों पर टिप्पणी करने वाले देशों को सलाह दी जाती है कि वे दूसरों के बारे में कोई भी टिप्पणी करने से पहले अपना रिकॉर्ड देख लें।”

यह पहली बार नहीं है कि ईरान के सुप्रीम लीडर ने भारत में मुसलमानों को लेकर ऐसा बयान दिया। खामेनेई 2020 के दिल्ली दंगों पर भी बयान दे चुके हैं। उन्होंने दंगों को मुसलमानों का नरसंहार बताया था। उन्होंने दिल्ली दंगे पर ट्वीट किया था कि दुनिया भर के मुसलमान भारत में मुसलमानों के नरसंहार पर दुखी हैं। भारत सरकार को चरमपंथी हिंदुओं और उनकी पार्टियों का मुकाबला करना चाहिए और इस्लाम की दुनिया से भारत के अलगाव को रोकने के लिए मुसलमानों के नरसंहार को रोकना चाहिए। इसके बाद उन्होंने हैशटैग IndianMuslimslnDanger का इस्तेमाल किया था। 

ऐसी ही 2019 में J-K में अनुच्छेद 370 हटने पर खामेनेई ने चिंता जताई थी। तब उन्होंने कहा था कि हम कश्मीर में मुसलमानों की स्थिति को लेकर चिंतित हैं। हमारे भारत के साथ अच्छे संबंध हैं, लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार कश्मीर के लोगों के प्रति उचित नीति अपनाएगी और इस क्षेत्र में मुसलमानों के उत्पीड़न को रोकेगी।

CM Yogi Adityanath calls for all Hindus to unite.

BIGGEST BREAKING NEWS  CM Yogi Adityanath calls for all Hindus to unite.

He said "If we remain divided, we will be cut like what happened in Bangladesh. We can survive only if we remain united"

He said "Opposition spoke for Gaza Muslims but not for Bangladeshi Hindus. 90% of Bangladeshi Hindus are Dalits"

"India has only one Religion - Sanatan Dharma & it is the National religion of this country" - CM YOGI

Islamic Terror in France Elections
Just after Marine Le Pen, a right wing french politician won the first round of elections, Muslims started rioting, burning public properties while chanting Allahu Akbar. Most of them are illegal immigrants accepted by the French left win

Muslims protesting in Chicago USA, not to buy groceries from Hindu stores which is run by Patels. Because they are funding to RSS.
Muslims protesting in Chicago USA, not to buy groceries from Hindu stores which is run by Patels. Because they are funding to RSS.

मुस्लिम सबसे ज्यादा कंडोम इस्तेमाल करते हैं', पीएम मोदी के 'ज्यादा बच्चे' वाले बयान पर ओवैसी का पलटवार

#muslimsusecondomsthemostowaisicountertopm_modi

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए दो चरणों का मतदान समाप्त हो चुका है और 5 चरणों का चुनाव बाकी है। सभी राजनीतिक दलों के दिग्गज नेता लगातार चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं। हर चुनाव की तरह इस चुनाव में भी बयानबाजियां चरम पर हैं। इस चुनाव में अगर किसी के बयान की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, तो वो है पीएम मोदी की।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'संपत्ति बांटने' वाले बयान पर राजनीतिक संग्राम छिड़ा हुआ है। पीएम मोदी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस 'देश की संपत्ति उन लोगों को बांटना चाहती है जिनके ज्यादा बच्चे हैं। कांग्रेस समेत तमाम दलों ने इसे सीधे मुस्लिमों पर हमला बताया है। इस बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी के बयान पर पलटवार किया है।उन्होंने कहा, पीएम कहते हैं कि मुसलमान अधिक बच्चे पैदा कर रहे हैं। सच तो ये है कि मुसलमानों में प्रजनन दर गिरी है। भारत में मुस्लिम पुरुष सबसे ज्यादा कंडोम का इस्तेमाल करते हैं।

पीएम मोदी देश में मुसलमानों को लेकर नफरत फैला रहे-ओवैसी

हैदराबाद में एक चुनावी सभा में असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बीते दिनों पीएम मोदी ने देश के मुसलमानों को घुसपैठिया कहा था। घुसपैठिया वो होता है जो बाहर के देश से बिना इजाजत घुस आए। यकीनन हमारा मजहब अलग है, मगर हम हैं तो इसी देश के निवासी। ये देश हमारा भी है।पीएम मोदी देश में मुसलमानों को लेकर नफरत फैला रहे हैं। पीएम कहते हैं कि मुसलमान अधिक बच्चे पैदा कर रहे हैं. सच तो ये है कि मुसलमानों में प्रजनन दर गिरी है। इतना ही नहीं भारत में मुस्लिम पुरुष सबसे ज्यादा कंडोम का इस्तेमाल करते हैं। ये मैं नहीं, सरकार की रिपोर्ट कहती है।

देश में हमेशा हिंदू ही बहुसंख्यक रहेंगे- ओवैसी

ओवैसी ने कहा कि ये बात बिल्कुल झूठ है कि मुस्लिम इस देश में ज्यादा हो जाएंगे। इस बात को जानबूझकर हिंदुओं को डराने के लिए फैलाया जाता है। ओवैसी ने कहा कि इस देश में हमेशा हिंदू समुदाय के लोग ही बहुसंख्यक रहेंगे। ओवैसी ने पीएम मोदी पर दलितों और मुसलमानों के प्रति दुश्मनी भड़काने के लिए झूठ फैलाने का आरोप लगाया।

क्या है पीएम मोदी का बयान?

बता दें कि पीएम मोदी ने राजस्थान की एक चुनावी रैली में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए बयान दिया था। बांसवाड़ा में मोदी ने कहा था, ये कांग्रेस का मेनिफेस्टो कह रहा है कि वो मां-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे, उसकी जानकारी लेंगे और फिर उसे बांट देंगे और उनको बांटेंगे जिनको मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। पीएम ने कहा, अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो लोगों की संपत्ति मुसलमानों में बांट देगी। ये शहरी-नक्सली मानसिकता माताओं-बहनों के मंगलसूत्र भी नहीं छोड़ेगी।

कर्नाटक में सभी मुसलमान ओबीसी लिस्ट में शामिल, पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट में खुलासा

#allmuslimscomeunderobcreservationin_karnataka

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी एससी, एसटी और ओबीसी समाज का आरक्षण छीन कर मुस्लिमों को देना चाहती है। कर्नाटक के आँकड़े पीएम मोदी के इन आरोपों की तस्दीक करते हैं। दरअसल, कर्नाटक सरकार ने आरक्षण का लाभ देने के लिए मुसलमानों को पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल किया है। कर्नाटक सरकार के इस फैसले की जानकारी राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग ने प्रेस रिलीज जारी करके दी।राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने इस पर अपत्ति भी जताई है। 

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने जानकारी दी कि कर्नाटक में शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में मुस्लिम समुदाय को आरक्षण मिल रहा है। आयोग ने ये भी जानकारी दी कि कर्नाटक के मुस्लिमों की सभी जातियों और समुदायों को सरकारी नौकरियों एवं शिक्षण संस्थानों में आरक्षण दिया जा रहा है। इस मामले पर कर्नाटक सरकार द्वारा आयोग को कोई स्पष्टीकरण नहीं दी गई है।

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने कहा कि हमने इस मामले पर कर्नाटक सरकार से पूछा था कि आखिर किस आधार पर यह कोटा दिया जा रहा है। इस मामले पर हमें कोई स्पष्टीकरण नहीं मिला है। हंसराज गंगाराम अहीर के ओर से जारी बयान में कहा गया, कर्नाटक सरकार के नियंत्रणाधीन नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण हेतु कर्नाटक के सभी मुस्लिम धर्मावलंबियों को ओबीसी की राज्य लिस्ट में शामिल किया गया है। बयान में आगे लिखा है,"कर्नाटक सरकार के पिछड़ा वर्ग विभाग ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग को लिखित रूप में बताया है कि मुस्लिम और ईसाई जैसे समुदाय न तो जाति है और न धर्म है। कर्नाटक में मुस्लिम की आबादी 12.92 प्रतिशत है। राज्य में मुस्लिमों को धार्मिक अल्पसंख्यक माना जाता है।"

कर्नाटक सरकार की नीती सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने कर्नाटक की इस नीति को सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध बताया है। पिछले साल NCBC ने ग्राउंड पर जाकर आरक्षण की स्थति का पता लगाया था। आयोग का कहना है कि ऐसे में मुस्लिमों में जो जातियाँ शिक्षिक-सामाजिक रूप से पिछड़ी हैं उनकी भी हकमारी हो रही है। सभी मुस्लिमों को पिछड़े समाज में डालना इस समाज की विविधता और जटिलता को नज़रअंदाज़ करने के जैसा है। 

कर्नाटक सरकार से स्पष्टीकरण मांगा

हंसराज अहीर ने कहा कर्नाटक में कैटेगरी 1बी और बी2 में कुल 34 मुस्लिम ओबीसी जातियां आती हैं, लेकिन आरक्षण जो दिया है वो समूचे मुस्लिम जातियों को दे दिया गया है। हमने पूछा कि 4 प्रतिशत की जगह 16 प्रतिशत आरक्षण कैसे दिया तो उनका गोलमोल जवाब आया है। हंसराज अहीर ने कहा कि हमने कर्नाटक सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। हम कर्नाटक के चीफ सेक्रेटरी को तलब कर रहे हैं। हम किसी भी तरह मूल ओबीसी के हक को मरने नहीं देंगे। हमारे आयोग का यही काम है। जरूरत पड़ेगी तो हम कर्नाटक में ओबीसी आरक्षण के कोटा से इनको हटाएंगे। हम राष्ट्रपति से भी शिकायत कर सकते हैं। बहुत सारे कानूनी उपाय हैं।

ओबीसी आरक्षण कोटे में अनियमितता की शिकायत के बाद जांच

दरअसल, राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग को कर्नाटक में ओबीसी आरक्षण कोटे में अनियमितता की जानकारी मिली थी। उसके बाद आयोग ने पिछले 6 महीने में इसकी जांच शुरू की। आयोग ने अपने जांच के दरमियान सरकारी नौकरी, मेडिकल, इंजीनियरिंग एडमिशन और तमाम सरकारी पदों पर सीमा से अधिक मुस्लिम आरक्षण दिए जाने की बात सामने आई। गत वर्ष राज्य के सरकारी पीजी मेडिकल के 930 सीटों में दिए गए आरक्षण की जब जांच की तो उसमें चौकाने वाले तथ्य सामने आए। आयोग ने पाया कि 930 में से 150 सीट मुस्लिम वर्ग को आरक्षित किया गया है जो करीब कुल सीट का 16 प्रतिशत है। खास बात ये है कि इनमें मुस्लिम वर्ग के उन जातियों को भी लाभ दिया गया है जो आरक्षण के दायरे में नहीं आते।

क्या सीएए लागू होने के बाद भारतीय मुसलमानों की नागरिकता पर पड़ेगा कोई प्रभाव, मुस्लिम प्रवासियों का क्या होगा ?

#will_citizenship_amendment_act_affect_citizenship_of_indian_muslims

देश में नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए लागू हो गया है।जब भारत में आम चुनाव कुछ ही हफ़्तों बाद होने जा रहे हैं, उसके ठीक पहले गृह मंत्रालय ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन नियम को लागू कर दिया।नागरिकता संशोधन नियम लागू होने के बाद अब पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आए थे, उन्हें भारतीय नागरिकता बिना वैध पासपोर्ट और भारत के वीज़ा के बिना मिल सकती है। हालांकि जब से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू किया गया है, तब से ही इसे लेकर काफी विवाद हो रहा है।

सीएए लागू होने के साथ ही देश में कई तरह की अफवाहों और भ्रांतियों का बाजार गर्म होने लगा है। खासतौर से भारतीय मुसलमानों को लेकर। इन तमाम तरह की भ्रांतियों को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कोरी अफवाह करार देते हुए स्पष्ट किया है कि सीएए से भारतीय मुसलमानों को किसी भी तरह की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। इस कानून में उनकी भारतीय नागरिकता को प्रभावित करने वाला कोई प्रावधान नहीं है। देश के वर्तमान 18 करोड़ भारतीय मुसलमानों की नागरिकता और अधिकारों के अधिकार एकदम हिंदू भारतीय नागरिकों के समान ही हैं। नागरिकता कानून का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

दरअसल, विपक्ष का कहना है कि सरकार सीएए को लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए लाई है, ताकि धार्मिक धुव्रीकरण किया जा सके। बता दें कि सीएए में तीन देशों के प्रवासियों को भारत में नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। ये देश हैं पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान। जिन गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दी जानी है उनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के वो लोग शामिल हैं, जो अपने मुल्क में धार्मिक तौर पर प्रताड़ित रहे हैं। ऐसे में बहुत से लोगों ने इसे मुस्लिमों के खिलाफ साजिश बताया, लेकिन सच ये है कि मुस्लिमों को नागरिकता देने का काम पुराने कानूनों द्वारा संचालित होता रहेगा।

गृह मंत्रालय ने कहा, नागरिकता अधिनियम की धारा 6 के तहत दुनिया में कहीं से भी मुसलमान भारतीय नागरिकता मांग सकते हैं। ये प्राकृतिककरण यानी नेचुरलाइजेशन के जरिए नागरिकता से जुड़ा हुआ है। मंत्रालय ने कहा, इस्लाम के अपने तौर-तरीकों का पालन करने की वजह से इस्लामिक देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान) में सताए जाने वाले मुस्लिमों को मौजूदा कानूनों के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने से नहीं रोका जा रहा है। मंत्रालय ने आगे कहा, सीएए नेचुरलाइजेशन को रद्द नहीं करता है। इसलिए, किसी भी विदेशी देश से आए मुस्लिम प्रवासियों सहित कोई भी व्यक्ति, जो भारतीय नागरिक बनना चाहता है, मौजूदा कानूनों के तहत इसके लिए आवेदन कर सकता है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस कानून में देश में रह रहे अवैध मुस्लिम प्रवासियों को बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान वापस भेजने के लिए कोई समझौता नहीं किया गया है। इसलिए मुसलमानों और छात्रों समेत लोगों के एक वर्ग की यह चिंता की सीएए मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। पूरी तरह से निराधार है।