मस्कट में जयशंकर और बांग्लादेश के विदेश सलाहकार की मुलाकात, भारत के साथ संबंधों पर कही बड़ी बात

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भारत और बांग्लादेश के बीच कई मुद्दों पर टकराव के बावजूद बातचीत का सिलसिला जारी है। ओमान में रविवार को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन से मुलाकात हुई। इस दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों और बिम्सटेक पर चर्चा हुई। बांग्लादेश अप्रैल में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।

जयशंकर ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार विदेश मामलों के सलाहकार तौहिद हुसैन से मुलाकात की। बातचीत में हमारे द्विपक्षीय संबंधों और बिम्सटेक पर फोकस किया गया।

बता दें कि बिम्सटेक सात देशों का एक समूह है, जिसमें बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, भूटान और नेपाल शामिल हैं। बांग्लादेश आगामी बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। यह सम्मेलन 2 से 4 अप्रैल तक बैंकॉक में आयोजित होगा।

वहीं, इस मुलाकात के बाद, अगले मंगलवार से भारत के सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और बांग्लादेश के बॉर्डर गार्ड (बीजीबी) के बीच तीन दिवसीय बैठक शुरू होगी। इस बैठक में सीमा से जुड़े तनावपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी। बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद अंतरिम सरकार के विदेश मंत्रालय के प्रभारी के साथ जयशंकर की यह दूसरी मुलाकात है।

हुसैन ने जयशंकर से ओमान में आठवें हिंद महासागर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की, ताकि द्विपक्षीय संबंधों में और तनाव को टाला जा सके। वहीं, विओन के साथ बात करते हुए हुसैन ने शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद बांग्लादेश की अंदरुनी राजनीति में उथलपुथल और विदेश नीति में आए बदलाव पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि ढाका की ओर से भारत के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया जाएगा।

तौहीद हुसैन ने भारत से संबंधों पर हुए सवाल पर विओन से भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ हुई मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा, दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध जरूरी हैं। एस जयशंकर के साथ मेरी अच्छी मुलाकात हुई है, हमें कई मुद्दों पर बातचीत की है। दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ रहा है। मुझे लगता है कि बांग्लादेश, भारत को पारस्परिक रूप से लाभकारी अच्छे संबंधों की आवश्यकता है। हम इस पर लगातार काम भी कर रहे हैं।

एस जयशंकर ने पश्चिमी देशों को फिर दिखाया आईना, लोकतंत्र पर खतरे को लेकर दिया ये जवाब

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विदेश मंत्री एस जयशंकर अपनी हाजिरजवाबी के लिए जाने जाते हैं। एक बार फिर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पूरी दुनिया को भारत की मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था की झलक दिलाई। साथ ही ‘खतरे में लोकतंत्र’ का झंडा बुलंद करने वाले पश्चिमी देशों को आईना भी दिखाया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने भारत समेत दुनियाभर के लोकतंत्र पर बात की। विदेश मंत्री ने पश्चिमी देशों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे लोग लोकतंत्र को वेस्टर्न कैरेक्टरिस्टिक मानते हैं।

मैं लोकतंत्र को लेकर आशावान हूं-जयशंकर

म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में ‘लाइव टू वोट अनदर डे: फोर्टिफाइंग डेमोक्रेटिक रेजिलिएंस’ पर चर्चा के दौरान जब विदेश मंत्री जयशंकर से पूछा गया कि क्या विश्व स्तर पर लोकतंत्र संकट में है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि मैं इस पैनल में जितने भी लोग बैठे हैं, उसमें मैं सबसे आशावादी व्यक्ति हूं। यहां अधिकतर लोग निराशावादी दृष्टिकोण रखते हैं।

लोकतंत्र केवल सिद्धांत नहीं, डिलीवर किया गया एक वादा-जयशंकर

जर्मनी के म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में जब उनसे पूछा गया कि क्या वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र खतरे में है, तो उन्होंने स्याही लगी इंडेक्स फिंगर दिखा दी। अपनी उंगली दिखाते हुए जयशंकर ने कहा, हमारे लिए, लोकतंत्र केवल एक सिद्धांत नहीं बल्कि एक डिलीवर किया गया वादा है। भारतीय विदेश ने इस दावे को खारिज करतो हुए कहा कि मैं लोकतंत्र को लेकर आशावान हूं। मैं अभी अपने राज्य के चुनाव में हिस्सा लेकर आया हूं। बीते साल हमारे देश में राष्ट्रीय चुनाव हुए और कुल मतदाताओं में से करीब दो तिहाई ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

भारतीय समाज में लोकतंत्र अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा गहरा-जयशंकर

जयशंकर ने कहा कि 'जो कहा जा रहा है कि दुनियाभर में लोकतंत्र खतरे में है, लेकिन मेरा ऐसा मानना नहीं है। लोकतंत्र अच्छे से काम कर रहा है और लोकतंत्र ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है।' उन्होंने माना कि 'लोकतंत्र के लिए चुनौतियां भी हैं और अलग-अलग देशों में हालात अलग हैं, लेकिन कई देशों में लोकतंत्र अच्छे से काम कर रहा है। भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि भारत ने आजादी के बाद ही लोकतंत्र के मॉडल को अपनाया। पश्चिम के देश मानते हैं कि लोकतंत्र उनकी देन हैं, लेकिन वैश्विक दक्षिण के देश मानते हैं कि भारतीय समाज में लोकतंत्र अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा गहरे तक बैठा हुआ है।

ट्रंप भारत के दोस्त या दुश्मन? जानें विदेश मंत्री एस जयशंकर का जवाब

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अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बन चुके हैं। 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति पद की शपथ ली। ट्रंप की वापसी के बाद से ही दुनियाभर में हड़कंप मचा हुआ है। ट्रंप ने भारत का नाम लेकर भी धमकी दी है। ऐसे में भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इस बीच उनके शपथ ग्रहण समारोह में शामिल भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत-अमेरिका के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों पर खुलकर बात की है।

जयशंकर ने भारत-अमेरिका के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों का उल्लेख करते हुए डोनाल्ड ट्रंप को लेकर अहम बात कही। जयशंकर ने ट्रंप को एक 'अमेरिकी राष्ट्रवादी' बताया। विदेश मंत्री जयशंकर दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में एक कार्यक्रम में मौजूद थे। इस दौरान ट्रंप भारत के मित्र हैं या शत्रु, इस बारे में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए जयशंकर ने कहा कि मैंने हाल ही में उनके (ट्रंप के) शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया था और हमारे साथ अच्छा व्यवहार किया गया। मेरा मानना है कि वह एक अमेरिकी राष्ट्रवादी हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि ट्रंप की नीतियां वैश्विक मामलों में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती हैं, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की विदेश नीति राष्ट्रीय हित से निर्देशित होती रहेगी।

जयशंकर ने कहा, ट्रंप बहुत सी चीजें बदलेंगे। हो सकता है कि कुछ चीजें उम्मीद के अनुरूप नहीं हों, लेकिन हमें देश के हित में विदेश नीतियों के संदर्भ में खुला रहना होगा। कुछ मुद्दे हो सकते हैं जिन पर हम एकमत न हों, लेकिन कई क्षेत्र ऐसे होंगे जहां चीजें हमारे दायरे में होंगी। जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच मजबूत व्यक्तिगत संबंधों पर भी जोर देते हुए कहा क‍ि अमेरिका के साथ हमारे संबंध मजबूत हैं और मोदी के ट्रंप के साथ अच्छे व्यक्तिगत संबंध हैं।

भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव पर क्या बोले

इस दौरान, एस जयशंकर ने भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव और देश के बारे में बदलती धारणाओं के बारे में बात की। उन्होंने कहा, यहां तक कि अब गैर-भारतीय भी खुद को भारतीय कहते हैं, उन्हें लगता है कि इससे उन्हें विमान में सीट मिलने में मदद मिलेगी।

खुद के राजनीति में आने पर क्या कहा?

डॉ. एस. जयशंकर ने शिक्षा क्षेत्र और कूटनीति से राजनीति में आने का उल्लेख करते हुए कहा, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं नौकरशाह बनूंगा। राजनीति में मैं अचानक आ गया, या तो इसे भाग्य कहें, या इसे मोदी कहें। उन्होंने (प्रधानमंत्री मोदी) मुझे इस तरह से आगे बढ़ाया कि कोई भी मना नहीं कर सका। उन्होंने रेखांकित किया कि विदेश में रहने वाले भारतीय अभी भी समर्थन के लिए अपनी मातृभूमि पर निर्भर हैं और कहा, जो भी देश के बाहर जाते हैं, वे हमारे पास ही आते हैं। बाहर हम ही रखवाले हैं।

अमेरिका में क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक, मीटिंग के बाद यूएस के नए विदेश मंत्री से मिले जयशंकर

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डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बन चुके हैं। शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे भारतीय विदेशमंत्री जयशंकर ने अमेरिका में शपथ के बाद मंगलवार को क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया। नए ट्रंप प्रशासन में होने वाली ये पहली बड़ी बैठक थी। इसमें मीटिंग में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रियों ने भी हिस्सा लिया। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की ये पहली बैठक थी। वे पद संभालने के महज 1 घंटे बाद ही इसमें शामिल हुए। इसके बाद मार्को रुबियो ने अपनी पहली द्विपक्षीय बातचीत भी भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ की।

क्वाड मंत्रिस्तरीय बैठक के तुरंत बाद अमेरिका के नए विदेश मंत्री रुबियो की जयशंकर के साथ पहली द्विपक्षीय बैठक हुई, जो एक घंटे से अधिक समय तक चली। बैठक में अमेरिका में भारत के राजदूत विनय क्वात्रा भी मौजूद थे। रुबियो और जयशंकर बैठक के बाद एक फोटो सेशन के लिए प्रेस के सामने आए, हाथ मिलाया और कैमरों की ओर देखकर मुस्कुराए।

मार्को रुबियो से मुलाकात के बाद विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने एक्स पर लिखा कि अपनी पहली द्विपक्षीय बैठक के लिए मिलकर खुशी हुई। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘आज वाशिंगटन डीसी में क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल हुआ. मार्को रूबियो का आभार, जिन्होंने हमारी मेजबानी की। पेनी वोंग और ताकेशी इवाया का भी शुक्रिया, जिन्होंने इसमें हिस्सा लिया। ये अहम है कि ट्रंप प्रशासन के शपथ ग्रहण के कुछ घंटों के भीतर ही क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई। इससे पता चलता है कि ये अपने सदस्य देशों की विदेश नीति में कितनी महत्वपूर्ण है। हमारी व्यापक चर्चाओं में एक स्वतंत्र, खुले, स्थिर और समृद्ध इंडो-पैसिफिक को सुनिश्चित करने के अलग-अलग पहलुओं पर बात हुई। इस बात पर सहमति बनी कि हमें बड़ा सोचने, एजेंडा को और गहरा करने और अपने सहयोग को और मजबूत बनाने की जरूरत है। आज की बैठक एक स्पष्ट संदेश देती है कि अनिश्चित और अस्थिर दुनिया में क्वाड देश वैश्विक भलाई के लिए एक ताकत बने रहेंगे।

डॉ जयशंकर और मार्को रुबियो की मुलाकात के बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया, 'विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने आज वाशिंगटन डीसी में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की। विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिका और भारत के बीच साझेदारी को मजबूत करने के लिए साझा प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने क्षेत्रीय मुद्दों और अमेरिका-भारत संबंधों को और गहरा करने के अवसरों सहित कई विषयों पर चर्चा की।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका ने चीन की बढ़ती ताकत पर चिंता जताई। इस बैठक में चीन को साफ-साफ सुना दिया गया। बैठक में चारों देशों के विदेश मंत्रियों ने कहा कि वे किसी भी एकतरफा कार्रवाई का विरोध करते हैं, जो बल या दबाव से यथास्थिति को बदलने की कोशिश करती है। यह बात चीन की उस धमकी के संदर्भ में कही गई है, जिसमें उसने लोकतांत्रिक रूप से शासित ताइवान पर अपनी संप्रभुता का दावा किया है। क्वाड बैठक में यह तय किया गया कि वे एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए प्रतिबद्ध हैं।

अमेरिका के लिए भारत अहम

ट्रंप के शपथ समारोह के बाद क्वाड देशों की अमेरिका में एक अहम बैठक हुई। ट्रंप के शपथ के अगले दिन ही इस बैठक से यह समझ आता है कि अमेरिका के लिए भारत और अन्य सहयोगी कितने अहम साथी हैं। यही नहीं, अमेरिका के लिए भारत कितना अहम है, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो ने मंगलवार को एस जयशंकर से अलग से मुलाकात भी की।

क्वाड के लिए भारत आ सकते हैं ट्रम्प

यही नहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प इस साल क्वाड देशों की बैठक के लिए भारत के दौरे पर आ सकते हैं। भारत ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के नेताओं के साथ क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाला है। ये सम्मेलन अप्रैल या अक्टूबर में आयोजित किया जा सकता है। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस साल के अंत तक अमेरिकी दौरे पर जा सकते हैं। इस दौरान वे व्हाइट हाउस में ट्रम्प के साथ औपचारिक बैठक में हिस्सा लेंगे।

ह‍िन्‍दुओं की सुरक्षा करे बांग्‍लादेश की सरकार”, हिंदुओं पर हो रहे हमलों पर विदेश मंत्री एस जयशंकर की दो टूक

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बांग्लादेश में हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद से हालात तनावपूर्ण हैं। अल्पसंख्यक हिंदू आबादी को पांच अगस्त को शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के पतन के बाद से देश के 50 से अधिक जिलों में 200 से अधिक हमलों का सामना करना पड़ा है। इस हफ्ते हालात तब और खराब हो गए जब हिंदू आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया। बाद में उन्हें एक अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया है, जिसके बाद राजधानी ढाका और बंदरगाह शहर चटगांव सहित कई जगहों पर समुदाय के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। भारत सरकार भी बांग्लादेश में हिंदुओं के हालात पर चिंता जाहिर कर चुकी है। अब बांग्‍लादेश में ह‍िन्‍दुओं के ख‍िलाफ ह‍िंंसा पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में जवाब द‍िया।

अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी बांग्लादेश सरकार की-जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को लोकसभा में बताया कि अगस्त 2024 में शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर कई हमले हुए हैं। दुर्गा पूजा के दौरान भी मंदिरों और पूजा पंडालों पर हमले की खबरें आईं। भारत सरकार ने इन घटनाओं पर बांग्लादेश सरकार से चिंता जताई है। जयशंकर ने कहा कि बांग्लादेश के सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी बांग्लादेश सरकार की है।

बांग्लादेश के हालात पर भारत सरकार की चिंता

उधर, विदेश मंत्रालय ने भी इस बारे में भारत सरकार की चिंता बताई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍त रणधीर जायसवाल ने कहा, भारत ने बांग्लादेश सरकार के साथ ह‍िन्‍दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर खतरों और लक्षित हमलों को लगातार और दृढ़ता से उठाया है। इस मामले पर हमारी स्थिति स्पष्ट है। अंतरिम सरकार को सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

बांग्लादेश के हालात पर भारत में उठ रहे सवाल

बता दें कि भारत में कई राजनेताओं ने, जिनमें विपक्षी नेता भी शामिल हैं, चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और हिंदुओं के साथ हो रही हिंसा पर चिंता जताई है। उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी गिरफ्तार हिंदू साधु का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया है और उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।

रूस-भारत की दोस्ती पर उठाया सवाल, एस जयशंकर ने आस्ट्रेलियाई एंकर को ऐसे किया “लाजवाब”

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विदेश मंत्री एस जशंकर अपने बयानों के लिए जानें जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय मामलों और कूटनीति से जुड़े मामलों में भाषा की बारीकी, उसके टोन, टेनर पर बड़ा ध्यान दिया जाता है। भारतीय विदेश मंत्री इन चीजों में माहीर हैं। इसी कड़ी में एस जयशंकर ने भारत-रूस संबंध पर उठाए गए सवाल का ऐसा जवाब दिया कि वहां मौजूद लोगों की बोलती बंद हो गई।

दरअसल, जयशंकर पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर थे। इस दौरान वहां के एक टीवी चैनल ने उनका इंटरव्यू किया। इंटरव्यू करने वाली पत्रकार एंकर ने भारत की रूस के साथ दोस्ती पर सवाल उठाया और कहा कि इससे ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत के रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं। इस पर हाजिरजवाब जयशंकर ने जो कहा उसके आगे एंकर की बोलने की हिम्मत नहीं हुई। विदेश मंत्री ने अपने जवाब के समर्थन में पाकिस्तान का उदाहरण दिया और कहा कि आपको जैसा दिख रहा है दरअसल वास्तविकता में वैसा नहीं होता।

ऑस्ट्रेलिया की एंकर ने जयशंकर से सवाल किया कि क्या रूस के साथ भारत की दोस्ती से ऑस्ट्रेलिया के साथ रिश्तों में कोई दिक्कत आ रही है। जयशंकर ने जवाब दिया कि उन्हें ऐसा नहीं लगता। उन्होंने कहा कि आज के समय में किसी भी देश के एक्सक्लूसिव रिश्ते नहीं होते। जयशंकर ने पाकिस्तान का उदाहरण देते हुए कहा, 'अगर हम आपके तर्क के हिसाब से सोचें तो हम कह सकते हैं कि पाकिस्तान के साथ कई देशों के रिश्ते हैं। ऐसे में भारत को भी परेशान होने की जरूरत है।'

बताया भारत-रूस संबंध का दुनिया पर क्या असर पड़ा

जयशंकर ने इस दौरान भारत-रूस संबंध का दुनिया पर पड़ने वाले प्रभाव की भी बात की। उन्होंने कहा कि आपके सवाल के उलट रूस के साथ भारत के रिश्ते से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को फायदा हो रहा है। प्रतिबंधों के बावजूद रूस से तेल खरीदने के भारत के फैसले के संदर्भ में उन्होंने कहा कि अगर हमने ऐसा नहीं किया होता तो वैश्विक ऊर्जा बाजार पूरी तरह तबाह हो जाता। वैश्विक स्तर पर ऊर्जा संकट पैदा हो गया होता। इससे पूरी दुनिया में महंगाई चरम पर होती।

रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारत की भूमिका पर कही ये बात

जयशंकर ने इसमें आगे जोड़ा कि रूस के साथ भारत के रिश्ते की वजह से ही हम इस संघर्ष को वार्ता की मेज पर लाने में कामयाब हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि रूस के साथ हमारे अच्छे संबंध हैं। ऐसे में हम रूस और यूक्रेन दोनों के साथ बातचीत करने में सक्षम हैं। हम मानते है कि दुनिया और यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया को भी ऐसे देश की जरूरत है जो जंग को वार्ता की मेज तक लाने में सहयोग कर सके। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा विरले होता है जब कोई जंग युद्ध के मैदान में खत्म हुआ हो, बल्कि अधिकतर समय में यह बातचीत की मेज पर खत्म होता है।

कनाडा के ब्रैम्पटन में मंदिर पर हुए हमले पर पहले पीएम मोदी ने सुनाया, अब एस जयशंकर बोले- ये बेहद चिंताजनक

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कनाडा के ब्रैम्पटन में हिंदू महासभा मंदिर को खालिस्तान समर्थकों ने निशाना बनाया। हिंदू भक्तों पर भी हमला भी किया गया। हिंदू मंदिर और हिंदू समुदाय के लोगों पर खालिस्तानियों के हमले की पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है।कनाडा मामले पर पीएम मोदी ने पहली बार बोला और कनाडा को खूब सुनाया। अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जस्टिन ट्रूडो की सरकार घेरा है।कनाडा मामले पर एस जयशंकर ने साफ कहा कि कनाडा चरमपंथी ताकतों को जगह देता है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि घटना बेहद चिंताजनक है।

हिंसा के ऐसे कृत्य भारत के संकल्प को कमजोर नहीं कर सकते-जयशंकर

विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने मंगलवार को अपने बयान में कहा कि 'सोमवार को खालिस्तानी झंडे लिए प्रदर्शनकारियों द्वारा टोरंटो के पास कनाडा के ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर में की गई हिंसा 'बेहद चिंताजनक' है।' विदेश मंत्री एस जयशंकर इन दिनों ऑस्ट्रेलिया के आधिकारिक दौरे पर हैं और वहीं से उन्होंने यह बयान दिया। इसके अलावा सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में भी विदेश मंत्री ने कनाडा की घटना पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने लिखा कि 'मैं कनाडा में एक हिंदू मंदिर पर जानबूझकर किए गए हमले की कड़ी निंदा करता हूं। हमारे राजनयिकों को डराने-धमकाने के कायराना प्रयास भी उतने ही भयावह हैं। हिंसा के ऐसे कृत्य कभी भी भारत के संकल्प को कमजोर नहीं कर सकते। हम उम्मीद करते हैं कि कनाडा सरकार न्याय सुनिश्चित करेगी और कानून व्यवस्था बनाए रखेगी।'

कनाडा घटना पर पीएम मोदी ने क्या कहा?

इससे पहले कनाडा में मंदिर में हमले की पीएम मोदी ने निंदा की। पीएम मोदी ने कहा कि हिंसा के ऐसे काम भारत के संकल्प को कमजोर नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा, मैं कनाडा में एक हिंदू मंदिर पर जानबूझकर किए गए हमले की कड़ी निंदा करता हूं। हमारे राजनयिकों को डराने-धमकाने की कायरतापूर्ण कोशिशें भी उतनी ही भयावह हैं। हिंसा के ऐसे कृत्य कभी भी भारत के संकल्प को कमजोर नहीं करेंगे। हम कनाडा सरकार से न्याय सुनिश्चित करने और कानून के शासन को बनाए रखने की उम्मीद करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने सख्त लहजे में ये प्रतिक्रिया दी है। इसे कायराना हरकत करार दिया है।

पीएम मोदी के बयान से कनाडा के हिन्दुओं का भी हौसला जगा है। कनाडा के ब्रैम्पटन मंदिर के पुजारी ने कहा है कि कनाडा में हिंदुओं को एकजुट होने की जरूरत है। आप एकजुट रहेंगे तो सुरक्षित बने रहेंगे। उन्होंने कहा, आज हम लोगों को अपने बारे में नहीं अपने आने वाली संतति के बारे में सोचना पड़ेगा। सबको एक होना पड़ेगा। हम किसी का विरोध नहीं करते हैं।

भारत ने हिंसा में शामिल लोगों पर कार्रवाई की उम्मीद जताई

वहीं, सोमवार को विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत कट्टरपंथियों और अलगाववादियों द्वारा की गई हिंसा की निंदा करता है और उम्मीद करता है कि हिंसा में शामिल लोगों पर मुकदमा चलाया जाएगा। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो में टोरंटो के उपनगर ब्रैम्पटन में खालिस्तानियों का हिंदू मंदिर पर अटैक साफ दिख रहा है। उन्होंने झंडे के डंडे से वार मंदिर और मंदिर में मौजूद लोगों पर हमला किया। इस घटना ने कनाडा और भारत के बीच और सिख अलगाववादियों और भारतीय राजनयिकों के बीच तनाव बढ़ा दिया है।

आज एससीओ सम्मेलन में हिस्सा लेने इस्लामाबाद जा रहे हैं एस जयशंकर, जानें क्या-क्या है कार्यक्रम

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विदेश मंत्री एस जयशंकर आज (15 अक्टूबर) शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान पहुंचेंगे। यह भारत का कई सालों के बाद पाकिस्तान में पहला उच्च-स्तरीय दौरा होगा। जबकि, दोनों देशों के बीच संबंध कई सालों से तनावपूर्ण हैं और यह अब भी बरकरार है। पाकिस्तान के इस्लामाबाद में 15 अक्टूबर से दो दिवसीय एससीओ शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।

एस जयशंकर आज शाम इस्लामाबाद पहुंचने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा एससीओ सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के लिए आयोजित स्वागत भोज में शामिल हो सकते हैं।इस्लामाबाद में होने वाली दो दिवसीय एससीओ शासनाध्यक्ष परिषद की बैठक के लिए 76 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल और एससीओ के सात प्रतिनिधि पहुंचने शुरू हो गए हैं।

एससीओ शिखर सम्मेलन में अर्थव्यवस्था, व्यापार और पर्यावरण के क्षेत्र में चल रहे सहयोग पर चर्चा की जाएगी। शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ करेंगे। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि एससीओ सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व चीन, रूस, बेलारूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के साथ-साथ ईरान के प्रथम उपराष्ट्रपति और भारत के विदेश मंत्री करेंगे। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर आज इस्लामाबाद पहुंचेंगे।

भारत-पाकिस्तान के बीच नहीं होगी द्विपक्षीय वार्ता

भारत और पाकिस्तान दोनों पक्षों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि एससीओ के सरकार प्रमुखों की बैठक के दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके पाकिस्तानी समकक्ष इशाक डार के बीच कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं होगी।

9 सालों बाद भारतीय विदेश मंत्री की पाक यात्रा

तकरीबन 9 साल बाद यह पहली बार होगा कि भारत के विदेश मंत्री पाकिस्तान की यात्रा करेंगे। भले ही कश्मीर मुद्दे और पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाले सीमा पार आतंकवाद को लेकर दोनों पड़ोसियों के बीच संबंध ठंडे पड़े हैं। आखिरी बार दिसंबर 2015 में सुषमा स्वराज पाकिस्तान गई थीं, जब उन्होंने अफगानिस्तान पर एक सम्मेलन में भाग लिया था।

भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण माहौल

पुलवामा आतंकी हमले और 2019 में बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत-पाकिस्तान संबंध गंभीर तनाव में आ गए थे। इसके बाद, अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाने के भारत के फैसले ने रिश्तों को और खराब कर दिया। पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी मई 2023 में गोवा में SCO देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने भारत आए थे, जो 12 वर्षों में किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री की पहली भारत यात्रा थी।

बुरा ना माने अमेरिका, भारत को भी जवाब देने का अधिकार…एस जयशंकर की यूएस को दो टूक

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भारत के विदेश मंत्री एस जशंकर ने अमेरिका में बैठकर उसे ही नसीहत दे डाली है। मंगलवार को अमेरिकी के विदेश मंत्री के साथ डॉक्‍टर एस जयशंकर की वाशिंगटन डीसी में मुलाकात हुई तो उन्‍होंने एंटनी ब्लिंकन को पूरी शालीनता के साथ धो डाला। उन्‍होंने एक पत्रकार के सवाल पर ब्लिंकन की मौजूदगी में कहा कि अगर भारत अमेरिका के लोकतंत्र पर कोई टिप्‍पणी करता है तो भी उन्‍हें बुरा नहीं मानना चाहिए। इस दौरान ब्‍लिंकन महज मुस्‍कुराते हुए नजर आए।

जयशंकर ने अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक 'कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस' में एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर आप दो देशों, दो सरकारों के स्तर पर देखें तो हमें लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि लोकतंत्र का परस्पर सम्मान होना। ऐसा नहीं हो सकता कि एक लोकतंत्र को दूसरे पर टिप्पणी करने का अधिकार हो और यह वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ावा देने का हिस्सा है, लेकिन जब दूसरे ऐसा करते हैं तो यह विदेशी हस्तक्षेप बन जाता है।

जयशंकर का अमेरिका को सख्त संदेश

उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि विदेशी हस्तक्षेप विदेशी हस्तक्षेप है, चाहे वह कोई भी करे और कहीं भी हो। मेरा व्यक्तिगत विचार है, जिसे मैंने कई लोगों के साथ साझा किया है। आपको टिप्पणी करने का पूरा अधिकार है, लेकिन मुझे आपकी टिप्पणी पर टिप्पणी करने का भी पूरा अधिकार है। इसलिए जब मैं ऐसा करता हूं तो बुरा नहीं मानना चाहिए। दरअसल हुआ कुछ यूं कि एक पत्रकार ने अमेरिका द्वारा भारतीय लोकतंत्र पर टिप्‍पणी के विषय में सवाल पूछा। जिसके जवाब में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका को सख्त संदेश दिया।

जरूरी नहीं कि देश की राजनीति सीमाओं के भीतर ही रहे-जयशंकर

एस. जयशंकर ने कहा कि दुनिया बहुत वैश्वीकृत हो गई है और इसके परिणामस्वरूप किसी भी देश की राजनीति जरूरी नहीं कि उस देश की राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर ही रहे। उन्होंने कहा, अब अमेरिका निश्चित रूप से यह सुनिश्चित करने का विशेष प्रयास करता है कि ऐसा न हो। यह इस बात का हिस्सा है कि आपने कई वर्षों से अपनी विदेश नीति कैसे संचालित की है। अब एक वैश्वीकृत युग में जहां वैश्विक एजेंडे भी वैश्वीकृत हैं, ऐसे पक्ष हैं जो न केवल अपने देश या अपने क्षेत्र की राजनीति को आकार देना चाहते हैं और सोशल मीडिया, आर्थिक ताकतें, वित्तीय प्रवाह, ये सभी आपको ऐसा करने का अवसर देते हैं। आप विमर्श को कैसे आकार देते हैं? तो आपके पास एक पूरा उद्यम है।

भारत ने कभी डॉलर को सक्रियता से निशाना नहीं बनाया-जयशंकर

जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत ने कभी डॉलर को सक्रियता से निशाना नहीं बनाया। यह उसकी आर्थिक, राजनीति एवं रणनीतिक नीति का हिस्सा नहीं रहा है। उन्होंने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि अमेरिका की कुछ नीतियों के कारण भारत को अपने कुछ व्यापार भागीदारों के साथ डॉलर आधारित व्यापार करने में कठिनाई हो रही है।

'चीन के साथ सब कुछ ठीक नहीं...'यूएस में बोले भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर चीन के साथ संबंधों को लेकर बयान दिया है। अमेरिका में एक कार्यक्रम में बोलते हुए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ 75% विवाद हल होने वाले बयान को लेकर सफाई दी है। जयशंकर ने चीन के साथ भारत के 'कठिन इतिहास' को स्वीकार करते हुए कहा कि जब मैंने दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का 75 प्रतिशत हल होने की बात कही, तो वह केवल 'सैनिकों के पीछे हटने' वाले हिस्से के बारे में थी। विदेश मंत्री ने कहा कि अभी दूसरे पहलुओं में चुनौती बनी हुई है।

'समझौते का उल्लंघन किया'

न्यूयॉर्क में एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ भारत का इतिहास मुश्किलों से भरा रहा है। जयशंकर ने कहा कि चीन साथ एलएसी पर हमारा साफ समझौता था। लेकिन उन्होंने साल 2020 में कोरोना महामारी के दौरान कई सैनिकों को तैनात कर समझौते का उल्लंघन किया। इसके बाद आशंका थी कि कोई हादसा होगा और ऐसा हुआ भी। झड़प हुई और दोनों तरफ के लोग हताहत हुए।

'अगला कदम तनाव कम करना'

जयशंकर ने मंगलवार को यहां एशिया सोसायटी और एशिया सोसायटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित ‘भारत, एशिया और विश्व’ विषयक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि चीन के इस फैसले से दोनों तरफ के रिश्ते प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि अब हम टकराव वाले बिंदुओं पर पीछे हटने के ज्यादातर मामलों को सुलझाने में सक्षम हैं। लेकिन गश्त से जुड़े कुछ मुद्दों को हल करने की जरूरत है। अब अगला कदम तनाव कम करना होगा।

'भारत-चीन संबंध पूरी दुनिया के लिए अहम'

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि भारत-चीन संबंध एशिया के भविष्य के लिए अहम है और इसका असर न केवल इस महाद्वीप बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा। एक तरह से आप कह सकते हैं कि अगर दुनिया को बहु-ध्रुवीय बनाना है, तो एशिया को बहु-ध्रुवीय होना होगा। इसलिए यह रिश्ता न केवल एशिया के भविष्य पर, बल्कि संभवत: दुनिया के भविष्य पर भी असर डालेगा। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों का ‘‘समानांतर विकास’’ आज की वैश्विक राजनीति में ‘‘बहुत अनोखी समस्या’’ पेश करता है।

'भारत-चीन का समानांतर विकास अनोखी समस्या'

जयशंकर ने कहा कि आपके पास दो ऐसे देश हैं जो आपस में पड़ोसी हैं, वे इस दृष्टि से अनोखे भी हैं कि वे ही एक अरब से अधिक आबादी वाले देश भी हैं, दोनों वैश्विक व्यवस्था में उभर रहे हैं और उनकी सीमा अक्सर अस्पष्ट हैं तथा साथ ही उनकी एक साझा सीमा भी है। इसलिए यह बहुत जटिल मुद्दा है। मुझे लगता है कि अगर आप आज वैश्विक राजनीति में देखें तो भारत और चीन का समानांतर विकास बहुत, बहुत अनोखी समस्या है।

इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने 12 सितंबर को जेनेवा में एक समिट में कहा था कि भारत ने चीन के साथ सीमा वार्ता में सफलता मिल रही है और लगभग 75% विवाद सुलझ गए हैं। उन्होंने कहा था कि सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं का एक-दूसरे के करीब होना एक बड़ा मुद्दा है। अगर सीमा विवाद का समाधान हो जाता है, तो भारत-चीन संबंधों में सुधार संभव है। जयशंकर ने कहा था कि 2020 में चीन और भारत के बीच गलवान में हुई झड़प ने दोनों देशों के रिश्तों को बुरी तरह प्रभावित किया। सीमा पर हिंसा होने के बाद कोई यह नहीं कह सकता कि बाकी रिश्ते इससे प्रभावित नहीं होंगे।

मस्कट में जयशंकर और बांग्लादेश के विदेश सलाहकार की मुलाकात, भारत के साथ संबंधों पर कही बड़ी बात

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भारत और बांग्लादेश के बीच कई मुद्दों पर टकराव के बावजूद बातचीत का सिलसिला जारी है। ओमान में रविवार को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन से मुलाकात हुई। इस दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों और बिम्सटेक पर चर्चा हुई। बांग्लादेश अप्रैल में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।

जयशंकर ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार विदेश मामलों के सलाहकार तौहिद हुसैन से मुलाकात की। बातचीत में हमारे द्विपक्षीय संबंधों और बिम्सटेक पर फोकस किया गया।

बता दें कि बिम्सटेक सात देशों का एक समूह है, जिसमें बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, भूटान और नेपाल शामिल हैं। बांग्लादेश आगामी बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। यह सम्मेलन 2 से 4 अप्रैल तक बैंकॉक में आयोजित होगा।

वहीं, इस मुलाकात के बाद, अगले मंगलवार से भारत के सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और बांग्लादेश के बॉर्डर गार्ड (बीजीबी) के बीच तीन दिवसीय बैठक शुरू होगी। इस बैठक में सीमा से जुड़े तनावपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी। बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद अंतरिम सरकार के विदेश मंत्रालय के प्रभारी के साथ जयशंकर की यह दूसरी मुलाकात है।

हुसैन ने जयशंकर से ओमान में आठवें हिंद महासागर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की, ताकि द्विपक्षीय संबंधों में और तनाव को टाला जा सके। वहीं, विओन के साथ बात करते हुए हुसैन ने शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद बांग्लादेश की अंदरुनी राजनीति में उथलपुथल और विदेश नीति में आए बदलाव पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि ढाका की ओर से भारत के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया जाएगा।

तौहीद हुसैन ने भारत से संबंधों पर हुए सवाल पर विओन से भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ हुई मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा, दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध जरूरी हैं। एस जयशंकर के साथ मेरी अच्छी मुलाकात हुई है, हमें कई मुद्दों पर बातचीत की है। दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ रहा है। मुझे लगता है कि बांग्लादेश, भारत को पारस्परिक रूप से लाभकारी अच्छे संबंधों की आवश्यकता है। हम इस पर लगातार काम भी कर रहे हैं।

एस जयशंकर ने पश्चिमी देशों को फिर दिखाया आईना, लोकतंत्र पर खतरे को लेकर दिया ये जवाब

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विदेश मंत्री एस जयशंकर अपनी हाजिरजवाबी के लिए जाने जाते हैं। एक बार फिर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पूरी दुनिया को भारत की मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था की झलक दिलाई। साथ ही ‘खतरे में लोकतंत्र’ का झंडा बुलंद करने वाले पश्चिमी देशों को आईना भी दिखाया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने भारत समेत दुनियाभर के लोकतंत्र पर बात की। विदेश मंत्री ने पश्चिमी देशों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे लोग लोकतंत्र को वेस्टर्न कैरेक्टरिस्टिक मानते हैं।

मैं लोकतंत्र को लेकर आशावान हूं-जयशंकर

म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में ‘लाइव टू वोट अनदर डे: फोर्टिफाइंग डेमोक्रेटिक रेजिलिएंस’ पर चर्चा के दौरान जब विदेश मंत्री जयशंकर से पूछा गया कि क्या विश्व स्तर पर लोकतंत्र संकट में है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि मैं इस पैनल में जितने भी लोग बैठे हैं, उसमें मैं सबसे आशावादी व्यक्ति हूं। यहां अधिकतर लोग निराशावादी दृष्टिकोण रखते हैं।

लोकतंत्र केवल सिद्धांत नहीं, डिलीवर किया गया एक वादा-जयशंकर

जर्मनी के म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में जब उनसे पूछा गया कि क्या वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र खतरे में है, तो उन्होंने स्याही लगी इंडेक्स फिंगर दिखा दी। अपनी उंगली दिखाते हुए जयशंकर ने कहा, हमारे लिए, लोकतंत्र केवल एक सिद्धांत नहीं बल्कि एक डिलीवर किया गया वादा है। भारतीय विदेश ने इस दावे को खारिज करतो हुए कहा कि मैं लोकतंत्र को लेकर आशावान हूं। मैं अभी अपने राज्य के चुनाव में हिस्सा लेकर आया हूं। बीते साल हमारे देश में राष्ट्रीय चुनाव हुए और कुल मतदाताओं में से करीब दो तिहाई ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

भारतीय समाज में लोकतंत्र अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा गहरा-जयशंकर

जयशंकर ने कहा कि 'जो कहा जा रहा है कि दुनियाभर में लोकतंत्र खतरे में है, लेकिन मेरा ऐसा मानना नहीं है। लोकतंत्र अच्छे से काम कर रहा है और लोकतंत्र ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है।' उन्होंने माना कि 'लोकतंत्र के लिए चुनौतियां भी हैं और अलग-अलग देशों में हालात अलग हैं, लेकिन कई देशों में लोकतंत्र अच्छे से काम कर रहा है। भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि भारत ने आजादी के बाद ही लोकतंत्र के मॉडल को अपनाया। पश्चिम के देश मानते हैं कि लोकतंत्र उनकी देन हैं, लेकिन वैश्विक दक्षिण के देश मानते हैं कि भारतीय समाज में लोकतंत्र अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा गहरे तक बैठा हुआ है।

ट्रंप भारत के दोस्त या दुश्मन? जानें विदेश मंत्री एस जयशंकर का जवाब

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अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बन चुके हैं। 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति पद की शपथ ली। ट्रंप की वापसी के बाद से ही दुनियाभर में हड़कंप मचा हुआ है। ट्रंप ने भारत का नाम लेकर भी धमकी दी है। ऐसे में भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इस बीच उनके शपथ ग्रहण समारोह में शामिल भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत-अमेरिका के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों पर खुलकर बात की है।

जयशंकर ने भारत-अमेरिका के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों का उल्लेख करते हुए डोनाल्ड ट्रंप को लेकर अहम बात कही। जयशंकर ने ट्रंप को एक 'अमेरिकी राष्ट्रवादी' बताया। विदेश मंत्री जयशंकर दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में एक कार्यक्रम में मौजूद थे। इस दौरान ट्रंप भारत के मित्र हैं या शत्रु, इस बारे में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए जयशंकर ने कहा कि मैंने हाल ही में उनके (ट्रंप के) शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया था और हमारे साथ अच्छा व्यवहार किया गया। मेरा मानना है कि वह एक अमेरिकी राष्ट्रवादी हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि ट्रंप की नीतियां वैश्विक मामलों में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती हैं, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की विदेश नीति राष्ट्रीय हित से निर्देशित होती रहेगी।

जयशंकर ने कहा, ट्रंप बहुत सी चीजें बदलेंगे। हो सकता है कि कुछ चीजें उम्मीद के अनुरूप नहीं हों, लेकिन हमें देश के हित में विदेश नीतियों के संदर्भ में खुला रहना होगा। कुछ मुद्दे हो सकते हैं जिन पर हम एकमत न हों, लेकिन कई क्षेत्र ऐसे होंगे जहां चीजें हमारे दायरे में होंगी। जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच मजबूत व्यक्तिगत संबंधों पर भी जोर देते हुए कहा क‍ि अमेरिका के साथ हमारे संबंध मजबूत हैं और मोदी के ट्रंप के साथ अच्छे व्यक्तिगत संबंध हैं।

भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव पर क्या बोले

इस दौरान, एस जयशंकर ने भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव और देश के बारे में बदलती धारणाओं के बारे में बात की। उन्होंने कहा, यहां तक कि अब गैर-भारतीय भी खुद को भारतीय कहते हैं, उन्हें लगता है कि इससे उन्हें विमान में सीट मिलने में मदद मिलेगी।

खुद के राजनीति में आने पर क्या कहा?

डॉ. एस. जयशंकर ने शिक्षा क्षेत्र और कूटनीति से राजनीति में आने का उल्लेख करते हुए कहा, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं नौकरशाह बनूंगा। राजनीति में मैं अचानक आ गया, या तो इसे भाग्य कहें, या इसे मोदी कहें। उन्होंने (प्रधानमंत्री मोदी) मुझे इस तरह से आगे बढ़ाया कि कोई भी मना नहीं कर सका। उन्होंने रेखांकित किया कि विदेश में रहने वाले भारतीय अभी भी समर्थन के लिए अपनी मातृभूमि पर निर्भर हैं और कहा, जो भी देश के बाहर जाते हैं, वे हमारे पास ही आते हैं। बाहर हम ही रखवाले हैं।

अमेरिका में क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक, मीटिंग के बाद यूएस के नए विदेश मंत्री से मिले जयशंकर

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डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बन चुके हैं। शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे भारतीय विदेशमंत्री जयशंकर ने अमेरिका में शपथ के बाद मंगलवार को क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया। नए ट्रंप प्रशासन में होने वाली ये पहली बड़ी बैठक थी। इसमें मीटिंग में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रियों ने भी हिस्सा लिया। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की ये पहली बैठक थी। वे पद संभालने के महज 1 घंटे बाद ही इसमें शामिल हुए। इसके बाद मार्को रुबियो ने अपनी पहली द्विपक्षीय बातचीत भी भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ की।

क्वाड मंत्रिस्तरीय बैठक के तुरंत बाद अमेरिका के नए विदेश मंत्री रुबियो की जयशंकर के साथ पहली द्विपक्षीय बैठक हुई, जो एक घंटे से अधिक समय तक चली। बैठक में अमेरिका में भारत के राजदूत विनय क्वात्रा भी मौजूद थे। रुबियो और जयशंकर बैठक के बाद एक फोटो सेशन के लिए प्रेस के सामने आए, हाथ मिलाया और कैमरों की ओर देखकर मुस्कुराए।

मार्को रुबियो से मुलाकात के बाद विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने एक्स पर लिखा कि अपनी पहली द्विपक्षीय बैठक के लिए मिलकर खुशी हुई। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘आज वाशिंगटन डीसी में क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल हुआ. मार्को रूबियो का आभार, जिन्होंने हमारी मेजबानी की। पेनी वोंग और ताकेशी इवाया का भी शुक्रिया, जिन्होंने इसमें हिस्सा लिया। ये अहम है कि ट्रंप प्रशासन के शपथ ग्रहण के कुछ घंटों के भीतर ही क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई। इससे पता चलता है कि ये अपने सदस्य देशों की विदेश नीति में कितनी महत्वपूर्ण है। हमारी व्यापक चर्चाओं में एक स्वतंत्र, खुले, स्थिर और समृद्ध इंडो-पैसिफिक को सुनिश्चित करने के अलग-अलग पहलुओं पर बात हुई। इस बात पर सहमति बनी कि हमें बड़ा सोचने, एजेंडा को और गहरा करने और अपने सहयोग को और मजबूत बनाने की जरूरत है। आज की बैठक एक स्पष्ट संदेश देती है कि अनिश्चित और अस्थिर दुनिया में क्वाड देश वैश्विक भलाई के लिए एक ताकत बने रहेंगे।

डॉ जयशंकर और मार्को रुबियो की मुलाकात के बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया, 'विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने आज वाशिंगटन डीसी में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की। विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिका और भारत के बीच साझेदारी को मजबूत करने के लिए साझा प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने क्षेत्रीय मुद्दों और अमेरिका-भारत संबंधों को और गहरा करने के अवसरों सहित कई विषयों पर चर्चा की।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका ने चीन की बढ़ती ताकत पर चिंता जताई। इस बैठक में चीन को साफ-साफ सुना दिया गया। बैठक में चारों देशों के विदेश मंत्रियों ने कहा कि वे किसी भी एकतरफा कार्रवाई का विरोध करते हैं, जो बल या दबाव से यथास्थिति को बदलने की कोशिश करती है। यह बात चीन की उस धमकी के संदर्भ में कही गई है, जिसमें उसने लोकतांत्रिक रूप से शासित ताइवान पर अपनी संप्रभुता का दावा किया है। क्वाड बैठक में यह तय किया गया कि वे एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए प्रतिबद्ध हैं।

अमेरिका के लिए भारत अहम

ट्रंप के शपथ समारोह के बाद क्वाड देशों की अमेरिका में एक अहम बैठक हुई। ट्रंप के शपथ के अगले दिन ही इस बैठक से यह समझ आता है कि अमेरिका के लिए भारत और अन्य सहयोगी कितने अहम साथी हैं। यही नहीं, अमेरिका के लिए भारत कितना अहम है, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो ने मंगलवार को एस जयशंकर से अलग से मुलाकात भी की।

क्वाड के लिए भारत आ सकते हैं ट्रम्प

यही नहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प इस साल क्वाड देशों की बैठक के लिए भारत के दौरे पर आ सकते हैं। भारत ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के नेताओं के साथ क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाला है। ये सम्मेलन अप्रैल या अक्टूबर में आयोजित किया जा सकता है। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस साल के अंत तक अमेरिकी दौरे पर जा सकते हैं। इस दौरान वे व्हाइट हाउस में ट्रम्प के साथ औपचारिक बैठक में हिस्सा लेंगे।

ह‍िन्‍दुओं की सुरक्षा करे बांग्‍लादेश की सरकार”, हिंदुओं पर हो रहे हमलों पर विदेश मंत्री एस जयशंकर की दो टूक

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बांग्लादेश में हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद से हालात तनावपूर्ण हैं। अल्पसंख्यक हिंदू आबादी को पांच अगस्त को शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के पतन के बाद से देश के 50 से अधिक जिलों में 200 से अधिक हमलों का सामना करना पड़ा है। इस हफ्ते हालात तब और खराब हो गए जब हिंदू आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया। बाद में उन्हें एक अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया है, जिसके बाद राजधानी ढाका और बंदरगाह शहर चटगांव सहित कई जगहों पर समुदाय के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। भारत सरकार भी बांग्लादेश में हिंदुओं के हालात पर चिंता जाहिर कर चुकी है। अब बांग्‍लादेश में ह‍िन्‍दुओं के ख‍िलाफ ह‍िंंसा पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में जवाब द‍िया।

अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी बांग्लादेश सरकार की-जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को लोकसभा में बताया कि अगस्त 2024 में शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर कई हमले हुए हैं। दुर्गा पूजा के दौरान भी मंदिरों और पूजा पंडालों पर हमले की खबरें आईं। भारत सरकार ने इन घटनाओं पर बांग्लादेश सरकार से चिंता जताई है। जयशंकर ने कहा कि बांग्लादेश के सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी बांग्लादेश सरकार की है।

बांग्लादेश के हालात पर भारत सरकार की चिंता

उधर, विदेश मंत्रालय ने भी इस बारे में भारत सरकार की चिंता बताई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍त रणधीर जायसवाल ने कहा, भारत ने बांग्लादेश सरकार के साथ ह‍िन्‍दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर खतरों और लक्षित हमलों को लगातार और दृढ़ता से उठाया है। इस मामले पर हमारी स्थिति स्पष्ट है। अंतरिम सरकार को सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

बांग्लादेश के हालात पर भारत में उठ रहे सवाल

बता दें कि भारत में कई राजनेताओं ने, जिनमें विपक्षी नेता भी शामिल हैं, चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और हिंदुओं के साथ हो रही हिंसा पर चिंता जताई है। उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी गिरफ्तार हिंदू साधु का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया है और उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।

रूस-भारत की दोस्ती पर उठाया सवाल, एस जयशंकर ने आस्ट्रेलियाई एंकर को ऐसे किया “लाजवाब”

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विदेश मंत्री एस जशंकर अपने बयानों के लिए जानें जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय मामलों और कूटनीति से जुड़े मामलों में भाषा की बारीकी, उसके टोन, टेनर पर बड़ा ध्यान दिया जाता है। भारतीय विदेश मंत्री इन चीजों में माहीर हैं। इसी कड़ी में एस जयशंकर ने भारत-रूस संबंध पर उठाए गए सवाल का ऐसा जवाब दिया कि वहां मौजूद लोगों की बोलती बंद हो गई।

दरअसल, जयशंकर पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर थे। इस दौरान वहां के एक टीवी चैनल ने उनका इंटरव्यू किया। इंटरव्यू करने वाली पत्रकार एंकर ने भारत की रूस के साथ दोस्ती पर सवाल उठाया और कहा कि इससे ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत के रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं। इस पर हाजिरजवाब जयशंकर ने जो कहा उसके आगे एंकर की बोलने की हिम्मत नहीं हुई। विदेश मंत्री ने अपने जवाब के समर्थन में पाकिस्तान का उदाहरण दिया और कहा कि आपको जैसा दिख रहा है दरअसल वास्तविकता में वैसा नहीं होता।

ऑस्ट्रेलिया की एंकर ने जयशंकर से सवाल किया कि क्या रूस के साथ भारत की दोस्ती से ऑस्ट्रेलिया के साथ रिश्तों में कोई दिक्कत आ रही है। जयशंकर ने जवाब दिया कि उन्हें ऐसा नहीं लगता। उन्होंने कहा कि आज के समय में किसी भी देश के एक्सक्लूसिव रिश्ते नहीं होते। जयशंकर ने पाकिस्तान का उदाहरण देते हुए कहा, 'अगर हम आपके तर्क के हिसाब से सोचें तो हम कह सकते हैं कि पाकिस्तान के साथ कई देशों के रिश्ते हैं। ऐसे में भारत को भी परेशान होने की जरूरत है।'

बताया भारत-रूस संबंध का दुनिया पर क्या असर पड़ा

जयशंकर ने इस दौरान भारत-रूस संबंध का दुनिया पर पड़ने वाले प्रभाव की भी बात की। उन्होंने कहा कि आपके सवाल के उलट रूस के साथ भारत के रिश्ते से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को फायदा हो रहा है। प्रतिबंधों के बावजूद रूस से तेल खरीदने के भारत के फैसले के संदर्भ में उन्होंने कहा कि अगर हमने ऐसा नहीं किया होता तो वैश्विक ऊर्जा बाजार पूरी तरह तबाह हो जाता। वैश्विक स्तर पर ऊर्जा संकट पैदा हो गया होता। इससे पूरी दुनिया में महंगाई चरम पर होती।

रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारत की भूमिका पर कही ये बात

जयशंकर ने इसमें आगे जोड़ा कि रूस के साथ भारत के रिश्ते की वजह से ही हम इस संघर्ष को वार्ता की मेज पर लाने में कामयाब हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि रूस के साथ हमारे अच्छे संबंध हैं। ऐसे में हम रूस और यूक्रेन दोनों के साथ बातचीत करने में सक्षम हैं। हम मानते है कि दुनिया और यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया को भी ऐसे देश की जरूरत है जो जंग को वार्ता की मेज तक लाने में सहयोग कर सके। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा विरले होता है जब कोई जंग युद्ध के मैदान में खत्म हुआ हो, बल्कि अधिकतर समय में यह बातचीत की मेज पर खत्म होता है।

कनाडा के ब्रैम्पटन में मंदिर पर हुए हमले पर पहले पीएम मोदी ने सुनाया, अब एस जयशंकर बोले- ये बेहद चिंताजनक

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कनाडा के ब्रैम्पटन में हिंदू महासभा मंदिर को खालिस्तान समर्थकों ने निशाना बनाया। हिंदू भक्तों पर भी हमला भी किया गया। हिंदू मंदिर और हिंदू समुदाय के लोगों पर खालिस्तानियों के हमले की पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है।कनाडा मामले पर पीएम मोदी ने पहली बार बोला और कनाडा को खूब सुनाया। अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जस्टिन ट्रूडो की सरकार घेरा है।कनाडा मामले पर एस जयशंकर ने साफ कहा कि कनाडा चरमपंथी ताकतों को जगह देता है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि घटना बेहद चिंताजनक है।

हिंसा के ऐसे कृत्य भारत के संकल्प को कमजोर नहीं कर सकते-जयशंकर

विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने मंगलवार को अपने बयान में कहा कि 'सोमवार को खालिस्तानी झंडे लिए प्रदर्शनकारियों द्वारा टोरंटो के पास कनाडा के ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर में की गई हिंसा 'बेहद चिंताजनक' है।' विदेश मंत्री एस जयशंकर इन दिनों ऑस्ट्रेलिया के आधिकारिक दौरे पर हैं और वहीं से उन्होंने यह बयान दिया। इसके अलावा सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में भी विदेश मंत्री ने कनाडा की घटना पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने लिखा कि 'मैं कनाडा में एक हिंदू मंदिर पर जानबूझकर किए गए हमले की कड़ी निंदा करता हूं। हमारे राजनयिकों को डराने-धमकाने के कायराना प्रयास भी उतने ही भयावह हैं। हिंसा के ऐसे कृत्य कभी भी भारत के संकल्प को कमजोर नहीं कर सकते। हम उम्मीद करते हैं कि कनाडा सरकार न्याय सुनिश्चित करेगी और कानून व्यवस्था बनाए रखेगी।'

कनाडा घटना पर पीएम मोदी ने क्या कहा?

इससे पहले कनाडा में मंदिर में हमले की पीएम मोदी ने निंदा की। पीएम मोदी ने कहा कि हिंसा के ऐसे काम भारत के संकल्प को कमजोर नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा, मैं कनाडा में एक हिंदू मंदिर पर जानबूझकर किए गए हमले की कड़ी निंदा करता हूं। हमारे राजनयिकों को डराने-धमकाने की कायरतापूर्ण कोशिशें भी उतनी ही भयावह हैं। हिंसा के ऐसे कृत्य कभी भी भारत के संकल्प को कमजोर नहीं करेंगे। हम कनाडा सरकार से न्याय सुनिश्चित करने और कानून के शासन को बनाए रखने की उम्मीद करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने सख्त लहजे में ये प्रतिक्रिया दी है। इसे कायराना हरकत करार दिया है।

पीएम मोदी के बयान से कनाडा के हिन्दुओं का भी हौसला जगा है। कनाडा के ब्रैम्पटन मंदिर के पुजारी ने कहा है कि कनाडा में हिंदुओं को एकजुट होने की जरूरत है। आप एकजुट रहेंगे तो सुरक्षित बने रहेंगे। उन्होंने कहा, आज हम लोगों को अपने बारे में नहीं अपने आने वाली संतति के बारे में सोचना पड़ेगा। सबको एक होना पड़ेगा। हम किसी का विरोध नहीं करते हैं।

भारत ने हिंसा में शामिल लोगों पर कार्रवाई की उम्मीद जताई

वहीं, सोमवार को विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत कट्टरपंथियों और अलगाववादियों द्वारा की गई हिंसा की निंदा करता है और उम्मीद करता है कि हिंसा में शामिल लोगों पर मुकदमा चलाया जाएगा। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो में टोरंटो के उपनगर ब्रैम्पटन में खालिस्तानियों का हिंदू मंदिर पर अटैक साफ दिख रहा है। उन्होंने झंडे के डंडे से वार मंदिर और मंदिर में मौजूद लोगों पर हमला किया। इस घटना ने कनाडा और भारत के बीच और सिख अलगाववादियों और भारतीय राजनयिकों के बीच तनाव बढ़ा दिया है।

आज एससीओ सम्मेलन में हिस्सा लेने इस्लामाबाद जा रहे हैं एस जयशंकर, जानें क्या-क्या है कार्यक्रम

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विदेश मंत्री एस जयशंकर आज (15 अक्टूबर) शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान पहुंचेंगे। यह भारत का कई सालों के बाद पाकिस्तान में पहला उच्च-स्तरीय दौरा होगा। जबकि, दोनों देशों के बीच संबंध कई सालों से तनावपूर्ण हैं और यह अब भी बरकरार है। पाकिस्तान के इस्लामाबाद में 15 अक्टूबर से दो दिवसीय एससीओ शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।

एस जयशंकर आज शाम इस्लामाबाद पहुंचने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा एससीओ सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के लिए आयोजित स्वागत भोज में शामिल हो सकते हैं।इस्लामाबाद में होने वाली दो दिवसीय एससीओ शासनाध्यक्ष परिषद की बैठक के लिए 76 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल और एससीओ के सात प्रतिनिधि पहुंचने शुरू हो गए हैं।

एससीओ शिखर सम्मेलन में अर्थव्यवस्था, व्यापार और पर्यावरण के क्षेत्र में चल रहे सहयोग पर चर्चा की जाएगी। शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ करेंगे। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि एससीओ सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व चीन, रूस, बेलारूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के साथ-साथ ईरान के प्रथम उपराष्ट्रपति और भारत के विदेश मंत्री करेंगे। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर आज इस्लामाबाद पहुंचेंगे।

भारत-पाकिस्तान के बीच नहीं होगी द्विपक्षीय वार्ता

भारत और पाकिस्तान दोनों पक्षों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि एससीओ के सरकार प्रमुखों की बैठक के दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके पाकिस्तानी समकक्ष इशाक डार के बीच कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं होगी।

9 सालों बाद भारतीय विदेश मंत्री की पाक यात्रा

तकरीबन 9 साल बाद यह पहली बार होगा कि भारत के विदेश मंत्री पाकिस्तान की यात्रा करेंगे। भले ही कश्मीर मुद्दे और पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाले सीमा पार आतंकवाद को लेकर दोनों पड़ोसियों के बीच संबंध ठंडे पड़े हैं। आखिरी बार दिसंबर 2015 में सुषमा स्वराज पाकिस्तान गई थीं, जब उन्होंने अफगानिस्तान पर एक सम्मेलन में भाग लिया था।

भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण माहौल

पुलवामा आतंकी हमले और 2019 में बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत-पाकिस्तान संबंध गंभीर तनाव में आ गए थे। इसके बाद, अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाने के भारत के फैसले ने रिश्तों को और खराब कर दिया। पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी मई 2023 में गोवा में SCO देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने भारत आए थे, जो 12 वर्षों में किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री की पहली भारत यात्रा थी।

बुरा ना माने अमेरिका, भारत को भी जवाब देने का अधिकार…एस जयशंकर की यूएस को दो टूक

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भारत के विदेश मंत्री एस जशंकर ने अमेरिका में बैठकर उसे ही नसीहत दे डाली है। मंगलवार को अमेरिकी के विदेश मंत्री के साथ डॉक्‍टर एस जयशंकर की वाशिंगटन डीसी में मुलाकात हुई तो उन्‍होंने एंटनी ब्लिंकन को पूरी शालीनता के साथ धो डाला। उन्‍होंने एक पत्रकार के सवाल पर ब्लिंकन की मौजूदगी में कहा कि अगर भारत अमेरिका के लोकतंत्र पर कोई टिप्‍पणी करता है तो भी उन्‍हें बुरा नहीं मानना चाहिए। इस दौरान ब्‍लिंकन महज मुस्‍कुराते हुए नजर आए।

जयशंकर ने अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक 'कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस' में एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर आप दो देशों, दो सरकारों के स्तर पर देखें तो हमें लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि लोकतंत्र का परस्पर सम्मान होना। ऐसा नहीं हो सकता कि एक लोकतंत्र को दूसरे पर टिप्पणी करने का अधिकार हो और यह वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ावा देने का हिस्सा है, लेकिन जब दूसरे ऐसा करते हैं तो यह विदेशी हस्तक्षेप बन जाता है।

जयशंकर का अमेरिका को सख्त संदेश

उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि विदेशी हस्तक्षेप विदेशी हस्तक्षेप है, चाहे वह कोई भी करे और कहीं भी हो। मेरा व्यक्तिगत विचार है, जिसे मैंने कई लोगों के साथ साझा किया है। आपको टिप्पणी करने का पूरा अधिकार है, लेकिन मुझे आपकी टिप्पणी पर टिप्पणी करने का भी पूरा अधिकार है। इसलिए जब मैं ऐसा करता हूं तो बुरा नहीं मानना चाहिए। दरअसल हुआ कुछ यूं कि एक पत्रकार ने अमेरिका द्वारा भारतीय लोकतंत्र पर टिप्‍पणी के विषय में सवाल पूछा। जिसके जवाब में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका को सख्त संदेश दिया।

जरूरी नहीं कि देश की राजनीति सीमाओं के भीतर ही रहे-जयशंकर

एस. जयशंकर ने कहा कि दुनिया बहुत वैश्वीकृत हो गई है और इसके परिणामस्वरूप किसी भी देश की राजनीति जरूरी नहीं कि उस देश की राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर ही रहे। उन्होंने कहा, अब अमेरिका निश्चित रूप से यह सुनिश्चित करने का विशेष प्रयास करता है कि ऐसा न हो। यह इस बात का हिस्सा है कि आपने कई वर्षों से अपनी विदेश नीति कैसे संचालित की है। अब एक वैश्वीकृत युग में जहां वैश्विक एजेंडे भी वैश्वीकृत हैं, ऐसे पक्ष हैं जो न केवल अपने देश या अपने क्षेत्र की राजनीति को आकार देना चाहते हैं और सोशल मीडिया, आर्थिक ताकतें, वित्तीय प्रवाह, ये सभी आपको ऐसा करने का अवसर देते हैं। आप विमर्श को कैसे आकार देते हैं? तो आपके पास एक पूरा उद्यम है।

भारत ने कभी डॉलर को सक्रियता से निशाना नहीं बनाया-जयशंकर

जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत ने कभी डॉलर को सक्रियता से निशाना नहीं बनाया। यह उसकी आर्थिक, राजनीति एवं रणनीतिक नीति का हिस्सा नहीं रहा है। उन्होंने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि अमेरिका की कुछ नीतियों के कारण भारत को अपने कुछ व्यापार भागीदारों के साथ डॉलर आधारित व्यापार करने में कठिनाई हो रही है।

'चीन के साथ सब कुछ ठीक नहीं...'यूएस में बोले भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर चीन के साथ संबंधों को लेकर बयान दिया है। अमेरिका में एक कार्यक्रम में बोलते हुए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ 75% विवाद हल होने वाले बयान को लेकर सफाई दी है। जयशंकर ने चीन के साथ भारत के 'कठिन इतिहास' को स्वीकार करते हुए कहा कि जब मैंने दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का 75 प्रतिशत हल होने की बात कही, तो वह केवल 'सैनिकों के पीछे हटने' वाले हिस्से के बारे में थी। विदेश मंत्री ने कहा कि अभी दूसरे पहलुओं में चुनौती बनी हुई है।

'समझौते का उल्लंघन किया'

न्यूयॉर्क में एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ भारत का इतिहास मुश्किलों से भरा रहा है। जयशंकर ने कहा कि चीन साथ एलएसी पर हमारा साफ समझौता था। लेकिन उन्होंने साल 2020 में कोरोना महामारी के दौरान कई सैनिकों को तैनात कर समझौते का उल्लंघन किया। इसके बाद आशंका थी कि कोई हादसा होगा और ऐसा हुआ भी। झड़प हुई और दोनों तरफ के लोग हताहत हुए।

'अगला कदम तनाव कम करना'

जयशंकर ने मंगलवार को यहां एशिया सोसायटी और एशिया सोसायटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित ‘भारत, एशिया और विश्व’ विषयक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि चीन के इस फैसले से दोनों तरफ के रिश्ते प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि अब हम टकराव वाले बिंदुओं पर पीछे हटने के ज्यादातर मामलों को सुलझाने में सक्षम हैं। लेकिन गश्त से जुड़े कुछ मुद्दों को हल करने की जरूरत है। अब अगला कदम तनाव कम करना होगा।

'भारत-चीन संबंध पूरी दुनिया के लिए अहम'

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि भारत-चीन संबंध एशिया के भविष्य के लिए अहम है और इसका असर न केवल इस महाद्वीप बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा। एक तरह से आप कह सकते हैं कि अगर दुनिया को बहु-ध्रुवीय बनाना है, तो एशिया को बहु-ध्रुवीय होना होगा। इसलिए यह रिश्ता न केवल एशिया के भविष्य पर, बल्कि संभवत: दुनिया के भविष्य पर भी असर डालेगा। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों का ‘‘समानांतर विकास’’ आज की वैश्विक राजनीति में ‘‘बहुत अनोखी समस्या’’ पेश करता है।

'भारत-चीन का समानांतर विकास अनोखी समस्या'

जयशंकर ने कहा कि आपके पास दो ऐसे देश हैं जो आपस में पड़ोसी हैं, वे इस दृष्टि से अनोखे भी हैं कि वे ही एक अरब से अधिक आबादी वाले देश भी हैं, दोनों वैश्विक व्यवस्था में उभर रहे हैं और उनकी सीमा अक्सर अस्पष्ट हैं तथा साथ ही उनकी एक साझा सीमा भी है। इसलिए यह बहुत जटिल मुद्दा है। मुझे लगता है कि अगर आप आज वैश्विक राजनीति में देखें तो भारत और चीन का समानांतर विकास बहुत, बहुत अनोखी समस्या है।

इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने 12 सितंबर को जेनेवा में एक समिट में कहा था कि भारत ने चीन के साथ सीमा वार्ता में सफलता मिल रही है और लगभग 75% विवाद सुलझ गए हैं। उन्होंने कहा था कि सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं का एक-दूसरे के करीब होना एक बड़ा मुद्दा है। अगर सीमा विवाद का समाधान हो जाता है, तो भारत-चीन संबंधों में सुधार संभव है। जयशंकर ने कहा था कि 2020 में चीन और भारत के बीच गलवान में हुई झड़प ने दोनों देशों के रिश्तों को बुरी तरह प्रभावित किया। सीमा पर हिंसा होने के बाद कोई यह नहीं कह सकता कि बाकी रिश्ते इससे प्रभावित नहीं होंगे।