When Diplomacy Meets Over Coffee: CD Foundation’s Decade-long Journey Inspires Global Bridges

New Delhi, September 12, 2025 — It wasn’t a conference room, but a coffee table that brought the world together on Friday morning at the Eros Hotel, New Delhi. Against the aroma of freshly brewed coffee and the warmth of Indian hospitality, diplomats, partners, and cultural leaders gathered to celebrate a rare milestone: ten years of CD Foundation’s cultural diplomacy.

Founded in 2015 by Charu Das, Founder & Director, CD Foundation began as a small idea — a neutral, people-first space for embassies and communities to meet beyond politics. A decade later, it has blossomed into an internationally recognized platform spanning 45+ countries, proof that “soft power” can be stronger than any hard negotiation.

A Gathering of Nations

The Diplomatic Coffee Morning turned into a mini-United Nations in New Delhi, with dignitaries from Bangladesh, Belarus, China, Indonesia, Iran, Iraq, and Zambia among the attendees. Their presence not only lent gravitas but also reaffirmed the Coffee Morning’s reputation as a hub of genuine dialogue and exchange.

The event opened with a traditional lamp-lighting ceremony followed by a short film capturing CD Foundation’s journey — from Delhi’s embassy corridors to international festivals and partnerships shaping global conversations.

Voices of Influence

Dr. Amrendra Khatua, Former Secretary, Ministry of External Affairs, set the tone, reminding the audience that “where politics falters, culture succeeds.” His words were echoed by H.E. Mr. Oday Hatim Mohammed of Iraq and Mrs. Phalecy Mwenda Yambayamba of Zambia, who emphasized the shared future that diplomacy-through-culture could nurture.

The event’s global spirit was further amplified through a virtual address from H.E. Dr. Madan Mohan Sethi, Consul General of India in Auckland. His remarks spotlighted the India–New Zealand bridge of trade, tourism, and culture, underlining how cultural diplomacy carries real economic weight. Adding a local yet international flavor, Ms. Mahia Williams of the Whiria Collective (New Zealand) spoke of Māori–Indian collaborations not as symbolic, but as living exchanges.

Partnerships with Purpose

Beyond diplomacy, the Coffee Morning also recognized healthcare and humanitarian champions. Dr. Amit Luthra of Amolik Health Care highlighted India’s emerging role in medical diplomacy, while United Sikh drew attention to its relief efforts in flood-hit Punjab — a reminder that people-to-people diplomacy extends to those who need it most.

Looking Ahead

The celebration was not just about looking back but also about unveiling the future. Upcoming initiatives include:

  • India–UK Festival (Manchester & Leeds, November 2025)
  • Delegations to China (late 2025)
  • Reciprocal Festivals in India (early 2026)

Each marks a continuation of CD Foundation’s mission: to turn connections into collaborations.

A New Beginning at Ten

As the morning ended, there was no sense of closure — only continuity. Ten years may mark a milestone, but for CD Foundation, it is just the first chapter of a much bigger global story waiting to be written.

For more information you can visit https://www.cdfoundation.co.in/

 

इजराइल-ईरान के बीच सीजफायर! डोनाल्ड ट्रंप ने किया ऐलान, खामेनेई का अमेरिकी राष्ट्रपति के दावे से इनकार

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल और ईरान के बीच 12 दिन से जारी युद्ध को खत्म कराने का दावा कर दिया। उन्होंने दोनों देशों के बीच ‘पूर्ण सीजफायर’ की करते हुए इसे ‘12 डे वॉर’ का अंत बताया। उन्होंने ट्रुथ सोशल पर एक के बाद एक कई पोस्ट किए। इनमें उन्होंने यह भी बताया कि यह संघर्ष विराम कैसे हुआ और क्यों इसका एलान ट्रंप ने किया। ट्रंप के इस ऐलान पर इजरायल की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया तो नहीं आई है। धर ईरानी सुप्रीम लीडर ने कहा है कि ईरान सरेंडर करने वाला मुल्क नहीं।

ट्रंप ने क्या कहा?

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को सोशल मीडिया पर कहा कि सभी को बधाई! इजराइल और ईरान के बीच पूरी तरह से सहमति बन गई है। इजराइल और ईरान 24 घंटे में युद्ध विराम करने पर सहमत हो गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने ट्रुथ सोशल पर कहा कि युद्ध विराम से युद्ध का आधिकारिक अंत होगा, जो कि तीन ईरानी परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमले के बाद शत्रुता में एक बड़ा बदलाव है। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि मैं दोनों देशों, इजराइल और ईरान को बधाई देना चाहूंगा कि उनके पास वह सहनशक्ति, साहस और बुद्धिमत्ता है।

ईरान आत्मसमर्पण करने वाला राष्ट्र नहीं- खामेनेई

अयातुल्लाह खामेनेई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में कहा, जो ईरानी लोगों और उनके इतिहास को जानते हैं, वे जानते हैं कि ईरानी राष्ट्र आत्मसमर्पण करने वाला राष्ट्र नहीं है।

इजराइल हमले बंद करता है तो ईरान भी शांत बैठेगा-अराघची

वहीं, ईरान के विदेश मंत्री ने मंगलवार को कहा कि अगर इस्राइल स्थानीय समयानुसार सुबह 4 बजे तक अपने हवाई हमले बंद कर देता है तो तेहरान भी अपने हमले बंद कर देगा।अराघची ने तेहरान समयानुसार सुबह 4:16 बजे सोशल प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर अपना संदेश भेजा। अराघची ने लिखा, 'अभी तक किसी भी युद्ध विराम या सैन्य अभियानों को रोककने पर कोई समझौता नहीं हुआ है। हालांकि, बशर्ते कि इस्राइली शासन ईरानी लोगों के खिलाफ अपने अवैध आक्रमण को तेहरान समय के अनुसार सुबह 4 बजे से पहले बंद कर दे, उसके बाद हमारा जवाबी कार्रवाई जारी रखने का कोई इरादा नहीं है। अराघची ने कहा कि हमारे सैन्य अभियानों को रोकने पर अंतिम निर्णय बाद में लिया जाएगा।

ईरान ने अमेरिका से लिया बदला, कतर के बाद इराक और सीरिया में यूएस सैन्य ठिकानों को बनाया निशाना

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ईरान ने अपने परमाणु ठिकानों पर हुए हमलों का बदला लेने के लिए सोमवार रात को कतर स्थित अमेरिका के अल-उदीद सैन्य ठिकाने को निशाना बनाते हुए मिसाइलें दागी हैं। दोहा के अलावा ईरान ने इराक और सीरिया में मौजूद अमेरिकी सैन्य ठिकानों को भी निशाना बनाया है। कतर में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर ईरानी मिसाइलें गिरी हैं। कतर की राजधानी दोहा में भी विस्फोट की आवाजें सुनी गई हैं। यह धमाके तब हुए हैं, जब कतर में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर ईरान के जवाबी हमले की अटकलें लगाई जा रही थीं।

कतर ने अपना एयरस्पेस अस्थायी रूप से बंद किया

ईरान की हमले की धमकी के बाद ही कतर ने अपना एयरस्पेस अस्थायी रूप से बंद कर दिया था। कतर में नया नोटम जारी किया गया था। ईरान की धमकी के बाद दोहा जाने वाले दर्जनों विमानों का रूट डायवर्ट किया गया। कतर पहुंचने से पहले ही विमान का रूट बदल दिया गया।

बहरीन में ब्लैकआउट किया गया

कुवैत के कतर और इराक में ईरानी हमले के बाद बहरीन में ब्लैकआउट किया गया। लोगों से बाहर न निकलने को कहा गया। कुल मिलाकर इस वक्त मिडिल ईस्ट में हालात काफी खराब हो गए हैं।कुवैत, बहरीन, कतर, यूएई, सीरिया, इराक, जॉर्डन और सऊदी अरब में अमेरिकी ठिकानों पर सायरन बज रहे हैं।

पश्चिम एशिया में अमेरिका के कई सैन्य ठिकाने

बता दें कि पश्चिम एशिया में अमेरिका के कई सैन्य ठिकाने हैं। इनमें सबसे प्रमुख ठिकाने कुवैत, बहरीन, कतर और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में हैं। यह सभी देश ईरान से सिर्फ फारस की खाड़ी के फासले पर मौजूद हैं। सोमवार रात को ईरान ने इन्हीं मुख्य अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाकर कई मिसाइलें दागी।

अमेरिका के बाद अब इजरायल ने ईरान को दिए गहरे घाव, 6 मिलिट्री एयरपोर्ट, 15 लड़ाकू विमान किए तबाह

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पश्चिम एशिया में ईरान और इजराइल के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। अमेरिका के बाद अब इजराइल ने एक बार फिर ईरान पर हमला किया है। दावा किया जा रहा है कि इजराइल ने ईरान के छह सैन्य हवाई ठिकानों को निशाना बनाया। इजरायली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने कहा कि केरमानशाह क्षेत्र में 15 से अधिक लड़ाकू विमानों के साथ ईरानी बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपण स्थलों को निशाना बनाकर हमले किए। हालांकि, इस पर ईरान की ओर से अभी प्रतिक्रिया नहीं आई है।

आईडीएफ ने सोमवार को इसकी जानकारी देते हुए दावा किया है कि रात में किए गए इन हमलों में 15 ईरानी लड़ाकू विमानों, कई हेलीकॉप्टरों और दूसरी अहम सुविधाओं को तबाह कर दिया। इजरायल ने ड्रोन के जरिए ये हमले किए हैं, जिनमें ईरान के एयरफोर्स के ठिकानों पर भारी नुकसान हुआ है। 

ईरानी वायुसेना को भारी नुकसान

आडीएफ के अनुसार, उसके ड्रोन हमले के टारगेट पर ईरानी सेना और शासन के विमान शामिल थे। इनमें एफ-14 और एफ-5 लड़ाकू विमान और एएच-1 हेलीकॉप्टर शामिल थे। एक हवाई ईंधन भरने वाले विमान को भी निशाना बनाया गया। हमलों में रनवे, भूमिगत हैंगर और अतिरिक्त बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा। आईडीएफ ने ड्रोन का इस्तेमाल इजरायली अभियानों के खिलाफ इस्तेमाल होने वाले विमानों को निष्क्रिय करने के लिए किया।

इजरायल के खिलाफ संभावित हमले की तैयारी से पहले निशाना

इजराइली सेना के बयान के अनुसार, उनकी सैन्य खुफिया एजेंसी की सूचना के आधार पर ईरान के कर्मनशाह क्षेत्र में सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों के कई लॉन्च और स्टोरेज साइट्स को भी नष्ट किया गया। ये मिसाइलें इजरायल के खिलाफ संभावित हमले के लिए तैयार की जा रही थीं। 

अमेरिका भी इस जंग में एंट्री

इजरायल को समर्थन देते हुए अमेरिका भी इस लड़ाई में एंट्री कर चुका है। अमेरिकी एयरफोर्स ने रविवार सुबह सैकड़ों लड़ाकू विमानों, बमवर्षकों और बंकर बस्टर बमों से ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले किए हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि उनकी सेना के हमलों में ईरान को भारी नुकसान हुआ है और ईरान का परमाणु कार्यक्रम तबाह हो गया है।

बता दें कि ईरान और इजरायल के बीच बीते दस दिन से लड़ाई चल रही है। दोनों देशों ने सोमवार को ग्यारहवें दिन भी एक-दूसरे पर हमले जारी रखे हैं। इस लड़ाई की शुरुआत 13 जून को हुई थी, जब इजरायल ने ईरान पर भीषण हमला करते हुए उसके कई सैन्य अफसरों और परमाणु वैज्ञानिकों को मार डाला था। इसके बाद ईरान ने भी इजरायल के प्रमुख शहरों पर मिसाइल हमले किए हैं।

ईरान-इजरायल-अमेरिका युद्ध का भारत पर क्या होगा असर?

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ईरान और इजराइल के बीच जारी संघर्ष न केवल मध्य पूर्व को, बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहा है। इस टकराव का असर वैश्विक ऊर्जा बाज़ारों, व्यापारिक मार्गों और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति तक महसूस किया जा रहा है। अमेरिका इस संघर्ष में स्पष्ट रूप से इजराइल का समर्थन कर रहा है। हालांकि, अब अमेरिका भी आधिकारिक तौर पर जंग मे कूद चुका है। अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु केंद्रों पर हमले किए हैं। जिसके बाद युद्ध के विकराल होने के पूरे आसार हैं। इस बीच सवाल उठ रहा है कि इस युद्ध का भारत पर क्या असर होगा?

बीते कुछ सालों में भारत और इजरायल करीब आए हैं। सेक्योरिटी और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत और इजरायल के बीच गहरा सहयोग देखने को मिला है। साल 2023 के अक्तूबर महीने में हमास के हमले को लेकर भारत ने सख्त शब्दों में प्रतिक्रिया दी थी और साथ ही गाजा में सीजफायर से जुड़े यूएन प्रस्ताव पर वोटिंग से किनारा भी किया था। वहीं पहलगाम हमले के बाद इजरायल उन देशों में था जो भारत की आत्मरक्षा के अधिकार के साथ खुलकर सामने आया।

वहीं दूसरी ओर, भारत और ईरान के बीच लंबे समय से मजबूत और सभ्यतागत स्तर के संबंध रहे हैं। दोनों देशों के बीच रणनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जुड़ाव गहरे हैं। ऐसे में भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह बिना अपने दीर्घकालिक हितों को नुकसान पहुंचाए इस संघर्ष में किसके साथ खुलकर खड़ा हो सकता है।

चाबहार पोर्ट पर संकट मंडरा रहा

ऐसे में हालिया युद्ध के मद्देनजर भारत का बहुत कुछ दांव पर लगा है। चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट भारत को अफगानिस्तान, सेंट्रल एशिया और ईरान तक सीधी पहुंच देता है। भारत ने इस प्रोजेक्ट में अच्छा खासा निवेश किया है। चीन की बीआरआई परियोजना के मद्देनजर रूचि और पाकिस्तान की छुपी प्रतिद्वंद्विता की वजह से ये भारत के लिए अहम रणनीतिक प्रोजेक्ट है । सेंट्रल एशिया ना सिर्फ एनर्जी बल्कि रेयर अर्थ मिनरल्स के कारण भी बहुत अहम है। ऐसे में युद्ध कनेक्टिविटी को लेकर भारत की योजना को आघात पहुंचा सकता है।

अपने लोगों के जान और माल की सुरक्षा की चिंता

इजरायल और ईरान, दोनों देशों में अच्छी खासी तादाद में भारतीय नागरिक मौजूद हैं। अगर हालात बिगड़ते हैं तो भारत को तात्कालिक तौर पर इन लोगों की जान और माल की सुरक्षा की चिंता करनी होगी। भारत ने ऑपरेशन सिंधु के चलते इन देशों से अपने नागरिक निकाले भी हैं। लेकिन अभी भी तादाद बहुत बड़ी है। एक आंकड़े के मुताबिक इजरायल में करीब 18 हजार और ईरान में करीब 10000 भारतीय मौजूद हैं।

कई देशों से व्यापार होगा प्रभावित

भारत के मध्य एशिया में कई अहम हित जुड़े हुए हैं। तेल की कीमतों में वृद्धि देश में ऊर्जा सुरक्षा की चुनौती व महंगाई बढ़ा सकती है। अब, ईरान-इजरायल युद्ध के कारण, एक और प्रमुख व्यापारिक मार्ग - होर्मुज जलडमरूमध्य प्रभावित हो रहा है। युद्ध ने पहले ही ईरान और इजरायल को भारत के निर्यात को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। युद्ध के और बढ़ने से इराक, जॉर्डन, लेबनान, सीरिया और यमन सहित पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के व्यापार पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा

क्या इसलिए ट्रंप को नोबेल पीस प्राइज देने की सिफारिश की थी? ईरान पर अमेरिकी हमले के बाद गरजे ओवैसी

#asaduddinowaisislamspakistanonusstrikesoniran 

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने ईरान के तीन परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिकी हमलों के बाद डोनाल्ड ट्रंप और उन्हें नोबल शांति पुरस्कार देने की सिफारिश करने वाले पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाई।ओवैसी ने कहा, अमेरिका ने जो ईरान पर अटैक किया है, उसकी न्यूक्लियर साइट पर हमला किया है यह अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन है।

अब कई अरब देश परमाणु क्षमता की जरूरत पर सोचेंगे-ओवैसी

ईरान पर अमेरिकी हमलों पर एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा, यह अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन है। ऐसा करके मुझे यकीन है कि आने वाले पांच साल में ईरान एक परमाणु राज्य बन जाएगा। हमले से पहले ईरान ने अपने भंडार को स्थानांतरित कर दिया होगा। यह एक निवारक नहीं होगा। अब कई अरब देश सोचेंगे कि उन्हें परमाणु क्षमता की जरूरत है।

कोई नहीं पूछ इजराइल के पास कितने परमाणु भंडार हैं-ओवैसी

ओवैसी ने कहा कि अमेरिका की ओर से किए गए इस हमले से नेतन्याहू को मदद मिली है, जो फिलिस्तीनियों का कत्लेआम करने वाला है। गाजा में नरसंहार हो रहा है और अमेरिका को इसकी कोई चिंता नहीं है। अमेरिका की नीति केवल इजराइली सरकार के अपराधों को छिपाने की है। गाजा में जो हो रहा है, वह नरसंहार है और कोई भी इसके बारे में बात नहीं कर रहा है। कोई यह क्यों नहीं पूछ रहा है कि इजराइल के पास कितने परमाणु भंडार हैं?

उम्मीद है कि हमारी सरकार अमेरिकी हमले की निंदा करेगी-ओवैसी

एआईएमआईएम चीफ ने आगे कहा कि ईरान में इन तीन या चार जगहों पर अमेरिकी बमबारी करने से वे नहीं रुकेंगे। मेरे शब्दों पर ध्यान दें, ईरान भी अगले 5 से 10 वर्षों में ऐसा करेगा, दूसरे देश भी ऐसा करेंगे क्योंकि अब उन्हें एहसास हो गया है कि परमाणु बम और परमाणु हथियार होना ही इजराइल के वर्चस्व के खिलाफ एकमात्र निवारक है। मुझे उम्मीद है कि हमारी सरकार अमेरिका की इस एकतरफा बमबारी की निंदा करेगी, जो अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन है। मुझे उम्मीद है कि सरकार ईरान के परमाणु संयंत्रों पर बमबारी की निंदा करेगी, जो आज हुई है।

बता दें कि अमेरिका शुरू से ही ईरान की परमाणु शक्ति बनने के खिलाफ है। वो हमेशा से कहता आया है कि वो ईरान को परमाणु ताकत बनने से रोकेगा। इसी के चलते अमेरिका ने ईरान की 3 न्यूक्लियर साइट फार्डो, नतांज, इस्फहान पर अटैक किया। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने तीनों साइट को नष्ट कर दिया।

अमेरिकी हमले के बाद ईरान का पलटवार, इजराइल पर दागीं बैलिस्टिक मिसाइलें

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इजराइल और ईरान के बीच जारी संघर्ष दूसरे हफ्ते में प्रवेश कर गया है। संघर्ष विराम के लिए स्विट्जरलैंड के जिनेवा में ईरान और यूरोपीय देशों के बीच हुई बातचीत में कोई नतीजा नहीं निकला है। अब दोनों पक्षों में लगातार जारी हमलों के बीच अमेरिका भी खुलकर युद्ध में कूद गया है। अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु केंद्रों पर सफल हमले का दावा किया। जिसके बाद ईरान ने पलटवार किया है।

ईरान ने इजराइल पर दागीं मिसाइलें

अमेरिकी हमले के बाद ईरान ने इजराइल पर मिसाइलें दागी हैं। इजराइल में धमाकों की आवाज सुनाई दी है। जगह-जगह सायरन बज रहे हैं। ईरान से प्रक्षेपित एक बैलिस्टिक मिसाइल ने हाइफा पर हमला किया। ईरानी मिसाइल हमले के चलते तेल अवीव, हाइफा, नेस जियोना, रिशोन लेजियन समेत मध्य और उत्तरी इजरायल के हिस्सों में सायरन बजने लगे और विस्फोट की आवाजें सुनी गईं। ईरान की फार्स समाचार एजेंसी ने ईरानी सशस्त्र बलों का बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया कि मिसाइल हमले के लक्ष्यों में में हवाई अड्डा, एक 'बॉयोलॉजिकल रिसर्च सेंटर', रसद अड्डे और कमांड और नियंत्रण केंद्रों की विभिन्न लेयर्स शामिल थीं।

हमले में कई घायल

आईडीएफ ने कहा कि ईरान की ओर से लगभग 20-30 बैलिस्टिक मिसाइलें दागी गईं। इजराइल सेना ने कहा है कि उसने ईरान से दागी गई मिसाइलों की पहचान कर ली है। हमारी रक्षात्मक प्रणालियां खतरे को रोकने के लिए काम कर रही हैं। जनता से आश्रय स्थलों और संरक्षित क्षेत्रों में जाने तथा अगले आदेश तक वहीं रहने को कहा गया है। हमलों में 11 लोग घायल हुए हैं।

ईरान ने दागीं 30 मिसाइलें

समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, ईरान की ओर से इजरायल पर 30 मिसाइलें दागी गई हैं। हमले को ईरान के सरकारी टीवी पर दिखाया गया। ईरान के सरकारी टीवी पर इजरायल के खिलाफ मिसाइल हमले की जानकारी देते हुए एंकर ने कहा, 'आप जो लाइव तस्वीरें देख रहे हैं, वे कब्जे वाले क्षेत्रों पर दागी गई ईरानी मिसाइलों की नई बौछार की हैं।' ईरान इजरायल को कब्जे वाला क्षेत्र कहता है।

इजराइल के साथ जंग के बीच ईरान से और 290 भारतीय नागरिक लौटे, अब तक 1117 की स्वदेश वापसी

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ईरान और इजराइल के बीच संघर्ष तेज होता जा रहा है। अब को इस जंग में अमेरिका की भी एंट्री हो गई है। तेज होते तनाव के बाद बिगड़ते हालात के बीच भारत सरकार अपने लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल रही है। भारत सरकार ने "ऑपरेशन सिंधु" चलाकर 1117 से ज़्यादा फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित भारत वापस लाया है। इस ऑपरेशन के तहत कई चरणों में लोग भारत लाए गए हैं। सरकार ने ईरान से सहयोग से इस ऑपरेशन को सफल बनाया है।

इजराइल-ईरान जंग के बिच भारतीय नागरिकों को ईरान से निकाला जा रहा है। इसी क्रम में देर रात एक विशेष उड़ान के जरिये 290 भारतीय नागरिक ईरान के मशहद शहर से भारत लौटे। सुरक्षित वतन वापसी पर भारतीय नागरिकों ने भारत सरकार का आभार जताया।

अब तक 1117 लोग सुरक्षित भारत पहुंचे

ऑपरेशन सिंधु की शुरुआत के बाद अब तक 1117 लोग सुरक्षित भारत पहुंच चुके हैं। इनमें सबसे पहले 110 मेडिकल छात्रों को वापस लाया गया था। 20 जून को रात 2 बैच में 407 भारतीय लौटे थे, इसके बाद रात 10:30 बजे की फ्लाइट में 190 कश्मीरी छात्रों समेत 290 लोगों की वापसी हुई थी। वहीं अब शनिवार रात को 290 नागरिकों को वापस लाया गया है। इनमें दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल से भी लोग थे। इससे पहले शुक्रवार देर रात 3 बजे की फ्लाइट में 117 लोग थे।

ऑपरेशन सिंधु को लेकर विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि ऑपरेशन सिंधु ने गति पकड़ ली है। 290 भारतीय नागरिक ईरान से मशहद से एक विशेष उड़ान द्वारा सुरक्षित रूप से स्वदेश लौट आए हैं, जो 21 जून 2025 को 11:30 बजे नई दिल्ली में उतरी है। इसके साथ ही, 1,117 भारती।

श्रीलंकाई लोगों की भी मदद कर रहा भारत

भारत सरकार ने ना केवल अपने लोगो को खतरे से बाहर निकाला बल्कि पड़ोसी देश की भी मदद की है। भारत ने शनिवार को श्रीलंका को भरोसा दिलाया कि वह ईरान में फंसे हुए श्रीलंकाई नागरिकों को भी वहां से सुरक्षित बाहर निकालने में मदद करेगा। श्रीलंका ने भारत को इसके लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि यह दोनों देशों की मजबूत दोस्ती और सहयोग का उदाहरण है। श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने एक्स पर लिखा, 'हम ईरान में फंसे श्रीलंकाई नागरिकों की मदद करने के लिए भारत सरकार का दिल से धन्यवाद करते हैं।' इससे पहले, ईरान में भारतीय दूतावास ने कहा था कि वह नेपाल और श्रीलंका के निवासियों को भी निकालने में मदद करेगा, क्योंकि दोनों देशों ने भारत से यह अनुरोध किया था।

ईरान के साथ जंग में अब अमेरिका की एंट्री, तीन परमाणु केंद्रों पर किया हमला, ट्रंप बोले-ये शांति का समय है

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ईरान-इजराइल के बीच जारी जंग में अब अमेरिका की एंट्री हो चुकी है। जिसके बाद मध्य पूर्व में इजराइल-ईरान के बीच जारी संघर्ष और विकराल होता दिख रहा है। अमेरिका ने ईरान के खिलाफ सख्ती दिखाते हुए उसके तीन परमाणु स्थलों को निशाना बनाया है। यह कदम अमेरिका द्वारा गुआम में कई बी-2 स्टील्थ बॉम्बर जेट भेजने के बाद उठाया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फ़हान परमाणु स्थलों पर हमलों की पुष्टि की है।

ट्रंप ने पढ़ाया शांति का पाठ

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फ़हान परमाणु स्थलों पर हमलों की पुष्टि की है। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा कि हमने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बहुत सफल हमला किया है, जिसमें फोर्डो, नतांज़ और इस्फ़हान शामिल हैं। सभी विमान अब ईरान के हवाई क्षेत्र से बाहर हैं। प्राथमिक स्थल फोर्डो पर बमों का पूरा पेलोड गिराया गया। सभी विमान सुरक्षित रूप से अपने घर की ओर जा रहे हैं। हमारे महान अमेरिकी योद्धाओं को बधाई। दुनिया में कोई दूसरी सेना नहीं है जो ऐसा कर सकती थी। अब शांति का समय है! इस मामले पर आपका ध्यान देने के लिए धन्यवाद।'

ट्रंप दे रहे थे ईरान पर हमले की चेतावनी

अमेरिका जंग की शुरुआत से ही ईरान पर हमले की चेतावनी दे रहा था। इसके साथ ही खुले तौर पर इजराइल का साथ दे रहा था। पिछले दिनों ट्रंप ने साफ किया था कि ईरान परमाणु हथियार नहीं रख सकता है। हम जल्द ही फैसला करेंगे कि आगे क्या करना है।

पहले भेजे बी-2 बॉम्बर विमान

इस हमले से कुछ ही घंटों पहले अमेरिका ने अपने बी-2 बॉम्बर विमान गुआम भेजे थे। जिसके बाद माना जा रहा था कि किसी भी वक्त ईरान इजराइल युद्ध विकराल रूप ले सकता है। इसके कुछ ही घंटों पर अमेरिका ने ईरान के 3 न्यूक्लियर ठिकानों को तबाह करने का दावा किया है।

मिडिल ईस्ट में बढ़ा तनाव, अब ईरान ने इजरायल पर 150 मिसाइल से किया हमला

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मिडिल ईस्ट इस वक्त गंभीर उथल-पुथल से गुजर रहा है। इजरायल और ईरान के बीच बढ़ती जंग की स्थिति ने पूरे क्षेत्र में तनाव का माहौल बना दिया है। दोनों देश अब युद्ध के कगार पर हैं। पहले इजराइल ने हमला कर जंग की शुरुआत की तो ईरान ने भी जवाबी हमले किए। शुक्रवार को इजरायल ने ईरान पर ताबड़तोड़ हमले किए थे। इसके जवाब में ईरान ने शनिवार सुबह इजरायल पर मिसाइल हमले किए, जिसमें विशेष रूप से इजरायल के उत्तरी क्षेत्र को निशाना बनाया गया।

ईरान ने इजराइल की मदद करने वाले देशों के चेताया

इजराइल ने शुक्रवार को ईरानी परमाणु ठिकानों पर जोरदार हमला करके जंग की शुरुआत की। इस हमले में 70 से ज्यादा लोगों की मौत और 350 से ज्यादा घायल हुए। जवाब में ईरान ने भी 150 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनमें से 6 सीधे तेल अवीव के दिल में आ गिरीं। ईरान के हमले को देखते हुए इजरायल के उत्तरी क्षेत्र में सायरन बजने लगे हैं और वहां की सरकार ने लोगों से बंकरों में शरण लेने का आग्रह किया है। वहीं ईरान ने चेतावनी दी है कि अगर कोई देश इजराइल की मदद करेगा, तो उसके क्षेत्रीय सैन्य अड्डे भी निशाने पर होंगे, जो सीधे अमेरिका को धमकी मानी जा रही है।

ईरानी रॉकेट से एक की मौत, 20 से ज्यादा घायल

ईरान के रॉकेट हमले ने तेल अवीव के दक्षिण में रिशोन लेज़ियोन के रिहायशी इलाके को निशाना बनाया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इजरायल की आपातकालीन सेवाओं ने बताया कि मलबे में कई लोग फँसे थे, और बचाव कार्य जारी है। मौके पर भारी संख्या में पैरामेडिक्स तैनात हैं।

इजराइल ने भी की जवाबी कार्रवाई

इजरायली सेना ने भी जवाबी कार्रवाई की और दावा किया कि उसने ईरान के दो प्रमुख एयरबेस पर हमला कर दिया है। इस हमले से पहले इजरायल ने ईरान के सैन्य कमांडरों और न्यूक्लियर साइट्स को निशाना बनाया। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दुनिया के सामने यह कहते हुए अपना स्टैंड रखा कि यह सिर्फ इजराइल की सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि ईरानी जनता की आज़ादी के लिए भी है। उन्होंने ईरानी लोगों से अपील की कि वे अब इस्लामिक शासन के खिलाफ आवाज उठाएं।

When Diplomacy Meets Over Coffee: CD Foundation’s Decade-long Journey Inspires Global Bridges

New Delhi, September 12, 2025 — It wasn’t a conference room, but a coffee table that brought the world together on Friday morning at the Eros Hotel, New Delhi. Against the aroma of freshly brewed coffee and the warmth of Indian hospitality, diplomats, partners, and cultural leaders gathered to celebrate a rare milestone: ten years of CD Foundation’s cultural diplomacy.

Founded in 2015 by Charu Das, Founder & Director, CD Foundation began as a small idea — a neutral, people-first space for embassies and communities to meet beyond politics. A decade later, it has blossomed into an internationally recognized platform spanning 45+ countries, proof that “soft power” can be stronger than any hard negotiation.

A Gathering of Nations

The Diplomatic Coffee Morning turned into a mini-United Nations in New Delhi, with dignitaries from Bangladesh, Belarus, China, Indonesia, Iran, Iraq, and Zambia among the attendees. Their presence not only lent gravitas but also reaffirmed the Coffee Morning’s reputation as a hub of genuine dialogue and exchange.

The event opened with a traditional lamp-lighting ceremony followed by a short film capturing CD Foundation’s journey — from Delhi’s embassy corridors to international festivals and partnerships shaping global conversations.

Voices of Influence

Dr. Amrendra Khatua, Former Secretary, Ministry of External Affairs, set the tone, reminding the audience that “where politics falters, culture succeeds.” His words were echoed by H.E. Mr. Oday Hatim Mohammed of Iraq and Mrs. Phalecy Mwenda Yambayamba of Zambia, who emphasized the shared future that diplomacy-through-culture could nurture.

The event’s global spirit was further amplified through a virtual address from H.E. Dr. Madan Mohan Sethi, Consul General of India in Auckland. His remarks spotlighted the India–New Zealand bridge of trade, tourism, and culture, underlining how cultural diplomacy carries real economic weight. Adding a local yet international flavor, Ms. Mahia Williams of the Whiria Collective (New Zealand) spoke of Māori–Indian collaborations not as symbolic, but as living exchanges.

Partnerships with Purpose

Beyond diplomacy, the Coffee Morning also recognized healthcare and humanitarian champions. Dr. Amit Luthra of Amolik Health Care highlighted India’s emerging role in medical diplomacy, while United Sikh drew attention to its relief efforts in flood-hit Punjab — a reminder that people-to-people diplomacy extends to those who need it most.

Looking Ahead

The celebration was not just about looking back but also about unveiling the future. Upcoming initiatives include:

  • India–UK Festival (Manchester & Leeds, November 2025)
  • Delegations to China (late 2025)
  • Reciprocal Festivals in India (early 2026)

Each marks a continuation of CD Foundation’s mission: to turn connections into collaborations.

A New Beginning at Ten

As the morning ended, there was no sense of closure — only continuity. Ten years may mark a milestone, but for CD Foundation, it is just the first chapter of a much bigger global story waiting to be written.

For more information you can visit https://www.cdfoundation.co.in/

 

इजराइल-ईरान के बीच सीजफायर! डोनाल्ड ट्रंप ने किया ऐलान, खामेनेई का अमेरिकी राष्ट्रपति के दावे से इनकार

#iranisraelceasefireagreeddonaldtrumpannounced

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल और ईरान के बीच 12 दिन से जारी युद्ध को खत्म कराने का दावा कर दिया। उन्होंने दोनों देशों के बीच ‘पूर्ण सीजफायर’ की करते हुए इसे ‘12 डे वॉर’ का अंत बताया। उन्होंने ट्रुथ सोशल पर एक के बाद एक कई पोस्ट किए। इनमें उन्होंने यह भी बताया कि यह संघर्ष विराम कैसे हुआ और क्यों इसका एलान ट्रंप ने किया। ट्रंप के इस ऐलान पर इजरायल की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया तो नहीं आई है। धर ईरानी सुप्रीम लीडर ने कहा है कि ईरान सरेंडर करने वाला मुल्क नहीं।

ट्रंप ने क्या कहा?

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को सोशल मीडिया पर कहा कि सभी को बधाई! इजराइल और ईरान के बीच पूरी तरह से सहमति बन गई है। इजराइल और ईरान 24 घंटे में युद्ध विराम करने पर सहमत हो गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने ट्रुथ सोशल पर कहा कि युद्ध विराम से युद्ध का आधिकारिक अंत होगा, जो कि तीन ईरानी परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमले के बाद शत्रुता में एक बड़ा बदलाव है। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि मैं दोनों देशों, इजराइल और ईरान को बधाई देना चाहूंगा कि उनके पास वह सहनशक्ति, साहस और बुद्धिमत्ता है।

ईरान आत्मसमर्पण करने वाला राष्ट्र नहीं- खामेनेई

अयातुल्लाह खामेनेई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में कहा, जो ईरानी लोगों और उनके इतिहास को जानते हैं, वे जानते हैं कि ईरानी राष्ट्र आत्मसमर्पण करने वाला राष्ट्र नहीं है।

इजराइल हमले बंद करता है तो ईरान भी शांत बैठेगा-अराघची

वहीं, ईरान के विदेश मंत्री ने मंगलवार को कहा कि अगर इस्राइल स्थानीय समयानुसार सुबह 4 बजे तक अपने हवाई हमले बंद कर देता है तो तेहरान भी अपने हमले बंद कर देगा।अराघची ने तेहरान समयानुसार सुबह 4:16 बजे सोशल प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर अपना संदेश भेजा। अराघची ने लिखा, 'अभी तक किसी भी युद्ध विराम या सैन्य अभियानों को रोककने पर कोई समझौता नहीं हुआ है। हालांकि, बशर्ते कि इस्राइली शासन ईरानी लोगों के खिलाफ अपने अवैध आक्रमण को तेहरान समय के अनुसार सुबह 4 बजे से पहले बंद कर दे, उसके बाद हमारा जवाबी कार्रवाई जारी रखने का कोई इरादा नहीं है। अराघची ने कहा कि हमारे सैन्य अभियानों को रोकने पर अंतिम निर्णय बाद में लिया जाएगा।

ईरान ने अमेरिका से लिया बदला, कतर के बाद इराक और सीरिया में यूएस सैन्य ठिकानों को बनाया निशाना

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ईरान ने अपने परमाणु ठिकानों पर हुए हमलों का बदला लेने के लिए सोमवार रात को कतर स्थित अमेरिका के अल-उदीद सैन्य ठिकाने को निशाना बनाते हुए मिसाइलें दागी हैं। दोहा के अलावा ईरान ने इराक और सीरिया में मौजूद अमेरिकी सैन्य ठिकानों को भी निशाना बनाया है। कतर में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर ईरानी मिसाइलें गिरी हैं। कतर की राजधानी दोहा में भी विस्फोट की आवाजें सुनी गई हैं। यह धमाके तब हुए हैं, जब कतर में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर ईरान के जवाबी हमले की अटकलें लगाई जा रही थीं।

कतर ने अपना एयरस्पेस अस्थायी रूप से बंद किया

ईरान की हमले की धमकी के बाद ही कतर ने अपना एयरस्पेस अस्थायी रूप से बंद कर दिया था। कतर में नया नोटम जारी किया गया था। ईरान की धमकी के बाद दोहा जाने वाले दर्जनों विमानों का रूट डायवर्ट किया गया। कतर पहुंचने से पहले ही विमान का रूट बदल दिया गया।

बहरीन में ब्लैकआउट किया गया

कुवैत के कतर और इराक में ईरानी हमले के बाद बहरीन में ब्लैकआउट किया गया। लोगों से बाहर न निकलने को कहा गया। कुल मिलाकर इस वक्त मिडिल ईस्ट में हालात काफी खराब हो गए हैं।कुवैत, बहरीन, कतर, यूएई, सीरिया, इराक, जॉर्डन और सऊदी अरब में अमेरिकी ठिकानों पर सायरन बज रहे हैं।

पश्चिम एशिया में अमेरिका के कई सैन्य ठिकाने

बता दें कि पश्चिम एशिया में अमेरिका के कई सैन्य ठिकाने हैं। इनमें सबसे प्रमुख ठिकाने कुवैत, बहरीन, कतर और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में हैं। यह सभी देश ईरान से सिर्फ फारस की खाड़ी के फासले पर मौजूद हैं। सोमवार रात को ईरान ने इन्हीं मुख्य अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाकर कई मिसाइलें दागी।

अमेरिका के बाद अब इजरायल ने ईरान को दिए गहरे घाव, 6 मिलिट्री एयरपोर्ट, 15 लड़ाकू विमान किए तबाह

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पश्चिम एशिया में ईरान और इजराइल के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। अमेरिका के बाद अब इजराइल ने एक बार फिर ईरान पर हमला किया है। दावा किया जा रहा है कि इजराइल ने ईरान के छह सैन्य हवाई ठिकानों को निशाना बनाया। इजरायली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने कहा कि केरमानशाह क्षेत्र में 15 से अधिक लड़ाकू विमानों के साथ ईरानी बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपण स्थलों को निशाना बनाकर हमले किए। हालांकि, इस पर ईरान की ओर से अभी प्रतिक्रिया नहीं आई है।

आईडीएफ ने सोमवार को इसकी जानकारी देते हुए दावा किया है कि रात में किए गए इन हमलों में 15 ईरानी लड़ाकू विमानों, कई हेलीकॉप्टरों और दूसरी अहम सुविधाओं को तबाह कर दिया। इजरायल ने ड्रोन के जरिए ये हमले किए हैं, जिनमें ईरान के एयरफोर्स के ठिकानों पर भारी नुकसान हुआ है। 

ईरानी वायुसेना को भारी नुकसान

आडीएफ के अनुसार, उसके ड्रोन हमले के टारगेट पर ईरानी सेना और शासन के विमान शामिल थे। इनमें एफ-14 और एफ-5 लड़ाकू विमान और एएच-1 हेलीकॉप्टर शामिल थे। एक हवाई ईंधन भरने वाले विमान को भी निशाना बनाया गया। हमलों में रनवे, भूमिगत हैंगर और अतिरिक्त बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा। आईडीएफ ने ड्रोन का इस्तेमाल इजरायली अभियानों के खिलाफ इस्तेमाल होने वाले विमानों को निष्क्रिय करने के लिए किया।

इजरायल के खिलाफ संभावित हमले की तैयारी से पहले निशाना

इजराइली सेना के बयान के अनुसार, उनकी सैन्य खुफिया एजेंसी की सूचना के आधार पर ईरान के कर्मनशाह क्षेत्र में सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों के कई लॉन्च और स्टोरेज साइट्स को भी नष्ट किया गया। ये मिसाइलें इजरायल के खिलाफ संभावित हमले के लिए तैयार की जा रही थीं। 

अमेरिका भी इस जंग में एंट्री

इजरायल को समर्थन देते हुए अमेरिका भी इस लड़ाई में एंट्री कर चुका है। अमेरिकी एयरफोर्स ने रविवार सुबह सैकड़ों लड़ाकू विमानों, बमवर्षकों और बंकर बस्टर बमों से ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले किए हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि उनकी सेना के हमलों में ईरान को भारी नुकसान हुआ है और ईरान का परमाणु कार्यक्रम तबाह हो गया है।

बता दें कि ईरान और इजरायल के बीच बीते दस दिन से लड़ाई चल रही है। दोनों देशों ने सोमवार को ग्यारहवें दिन भी एक-दूसरे पर हमले जारी रखे हैं। इस लड़ाई की शुरुआत 13 जून को हुई थी, जब इजरायल ने ईरान पर भीषण हमला करते हुए उसके कई सैन्य अफसरों और परमाणु वैज्ञानिकों को मार डाला था। इसके बाद ईरान ने भी इजरायल के प्रमुख शहरों पर मिसाइल हमले किए हैं।

ईरान-इजरायल-अमेरिका युद्ध का भारत पर क्या होगा असर?

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ईरान और इजराइल के बीच जारी संघर्ष न केवल मध्य पूर्व को, बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहा है। इस टकराव का असर वैश्विक ऊर्जा बाज़ारों, व्यापारिक मार्गों और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति तक महसूस किया जा रहा है। अमेरिका इस संघर्ष में स्पष्ट रूप से इजराइल का समर्थन कर रहा है। हालांकि, अब अमेरिका भी आधिकारिक तौर पर जंग मे कूद चुका है। अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु केंद्रों पर हमले किए हैं। जिसके बाद युद्ध के विकराल होने के पूरे आसार हैं। इस बीच सवाल उठ रहा है कि इस युद्ध का भारत पर क्या असर होगा?

बीते कुछ सालों में भारत और इजरायल करीब आए हैं। सेक्योरिटी और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत और इजरायल के बीच गहरा सहयोग देखने को मिला है। साल 2023 के अक्तूबर महीने में हमास के हमले को लेकर भारत ने सख्त शब्दों में प्रतिक्रिया दी थी और साथ ही गाजा में सीजफायर से जुड़े यूएन प्रस्ताव पर वोटिंग से किनारा भी किया था। वहीं पहलगाम हमले के बाद इजरायल उन देशों में था जो भारत की आत्मरक्षा के अधिकार के साथ खुलकर सामने आया।

वहीं दूसरी ओर, भारत और ईरान के बीच लंबे समय से मजबूत और सभ्यतागत स्तर के संबंध रहे हैं। दोनों देशों के बीच रणनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जुड़ाव गहरे हैं। ऐसे में भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह बिना अपने दीर्घकालिक हितों को नुकसान पहुंचाए इस संघर्ष में किसके साथ खुलकर खड़ा हो सकता है।

चाबहार पोर्ट पर संकट मंडरा रहा

ऐसे में हालिया युद्ध के मद्देनजर भारत का बहुत कुछ दांव पर लगा है। चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट भारत को अफगानिस्तान, सेंट्रल एशिया और ईरान तक सीधी पहुंच देता है। भारत ने इस प्रोजेक्ट में अच्छा खासा निवेश किया है। चीन की बीआरआई परियोजना के मद्देनजर रूचि और पाकिस्तान की छुपी प्रतिद्वंद्विता की वजह से ये भारत के लिए अहम रणनीतिक प्रोजेक्ट है । सेंट्रल एशिया ना सिर्फ एनर्जी बल्कि रेयर अर्थ मिनरल्स के कारण भी बहुत अहम है। ऐसे में युद्ध कनेक्टिविटी को लेकर भारत की योजना को आघात पहुंचा सकता है।

अपने लोगों के जान और माल की सुरक्षा की चिंता

इजरायल और ईरान, दोनों देशों में अच्छी खासी तादाद में भारतीय नागरिक मौजूद हैं। अगर हालात बिगड़ते हैं तो भारत को तात्कालिक तौर पर इन लोगों की जान और माल की सुरक्षा की चिंता करनी होगी। भारत ने ऑपरेशन सिंधु के चलते इन देशों से अपने नागरिक निकाले भी हैं। लेकिन अभी भी तादाद बहुत बड़ी है। एक आंकड़े के मुताबिक इजरायल में करीब 18 हजार और ईरान में करीब 10000 भारतीय मौजूद हैं।

कई देशों से व्यापार होगा प्रभावित

भारत के मध्य एशिया में कई अहम हित जुड़े हुए हैं। तेल की कीमतों में वृद्धि देश में ऊर्जा सुरक्षा की चुनौती व महंगाई बढ़ा सकती है। अब, ईरान-इजरायल युद्ध के कारण, एक और प्रमुख व्यापारिक मार्ग - होर्मुज जलडमरूमध्य प्रभावित हो रहा है। युद्ध ने पहले ही ईरान और इजरायल को भारत के निर्यात को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। युद्ध के और बढ़ने से इराक, जॉर्डन, लेबनान, सीरिया और यमन सहित पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के व्यापार पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा

क्या इसलिए ट्रंप को नोबेल पीस प्राइज देने की सिफारिश की थी? ईरान पर अमेरिकी हमले के बाद गरजे ओवैसी

#asaduddinowaisislamspakistanonusstrikesoniran 

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने ईरान के तीन परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिकी हमलों के बाद डोनाल्ड ट्रंप और उन्हें नोबल शांति पुरस्कार देने की सिफारिश करने वाले पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाई।ओवैसी ने कहा, अमेरिका ने जो ईरान पर अटैक किया है, उसकी न्यूक्लियर साइट पर हमला किया है यह अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन है।

अब कई अरब देश परमाणु क्षमता की जरूरत पर सोचेंगे-ओवैसी

ईरान पर अमेरिकी हमलों पर एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा, यह अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन है। ऐसा करके मुझे यकीन है कि आने वाले पांच साल में ईरान एक परमाणु राज्य बन जाएगा। हमले से पहले ईरान ने अपने भंडार को स्थानांतरित कर दिया होगा। यह एक निवारक नहीं होगा। अब कई अरब देश सोचेंगे कि उन्हें परमाणु क्षमता की जरूरत है।

कोई नहीं पूछ इजराइल के पास कितने परमाणु भंडार हैं-ओवैसी

ओवैसी ने कहा कि अमेरिका की ओर से किए गए इस हमले से नेतन्याहू को मदद मिली है, जो फिलिस्तीनियों का कत्लेआम करने वाला है। गाजा में नरसंहार हो रहा है और अमेरिका को इसकी कोई चिंता नहीं है। अमेरिका की नीति केवल इजराइली सरकार के अपराधों को छिपाने की है। गाजा में जो हो रहा है, वह नरसंहार है और कोई भी इसके बारे में बात नहीं कर रहा है। कोई यह क्यों नहीं पूछ रहा है कि इजराइल के पास कितने परमाणु भंडार हैं?

उम्मीद है कि हमारी सरकार अमेरिकी हमले की निंदा करेगी-ओवैसी

एआईएमआईएम चीफ ने आगे कहा कि ईरान में इन तीन या चार जगहों पर अमेरिकी बमबारी करने से वे नहीं रुकेंगे। मेरे शब्दों पर ध्यान दें, ईरान भी अगले 5 से 10 वर्षों में ऐसा करेगा, दूसरे देश भी ऐसा करेंगे क्योंकि अब उन्हें एहसास हो गया है कि परमाणु बम और परमाणु हथियार होना ही इजराइल के वर्चस्व के खिलाफ एकमात्र निवारक है। मुझे उम्मीद है कि हमारी सरकार अमेरिका की इस एकतरफा बमबारी की निंदा करेगी, जो अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन है। मुझे उम्मीद है कि सरकार ईरान के परमाणु संयंत्रों पर बमबारी की निंदा करेगी, जो आज हुई है।

बता दें कि अमेरिका शुरू से ही ईरान की परमाणु शक्ति बनने के खिलाफ है। वो हमेशा से कहता आया है कि वो ईरान को परमाणु ताकत बनने से रोकेगा। इसी के चलते अमेरिका ने ईरान की 3 न्यूक्लियर साइट फार्डो, नतांज, इस्फहान पर अटैक किया। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने तीनों साइट को नष्ट कर दिया।

अमेरिकी हमले के बाद ईरान का पलटवार, इजराइल पर दागीं बैलिस्टिक मिसाइलें

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इजराइल और ईरान के बीच जारी संघर्ष दूसरे हफ्ते में प्रवेश कर गया है। संघर्ष विराम के लिए स्विट्जरलैंड के जिनेवा में ईरान और यूरोपीय देशों के बीच हुई बातचीत में कोई नतीजा नहीं निकला है। अब दोनों पक्षों में लगातार जारी हमलों के बीच अमेरिका भी खुलकर युद्ध में कूद गया है। अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु केंद्रों पर सफल हमले का दावा किया। जिसके बाद ईरान ने पलटवार किया है।

ईरान ने इजराइल पर दागीं मिसाइलें

अमेरिकी हमले के बाद ईरान ने इजराइल पर मिसाइलें दागी हैं। इजराइल में धमाकों की आवाज सुनाई दी है। जगह-जगह सायरन बज रहे हैं। ईरान से प्रक्षेपित एक बैलिस्टिक मिसाइल ने हाइफा पर हमला किया। ईरानी मिसाइल हमले के चलते तेल अवीव, हाइफा, नेस जियोना, रिशोन लेजियन समेत मध्य और उत्तरी इजरायल के हिस्सों में सायरन बजने लगे और विस्फोट की आवाजें सुनी गईं। ईरान की फार्स समाचार एजेंसी ने ईरानी सशस्त्र बलों का बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया कि मिसाइल हमले के लक्ष्यों में में हवाई अड्डा, एक 'बॉयोलॉजिकल रिसर्च सेंटर', रसद अड्डे और कमांड और नियंत्रण केंद्रों की विभिन्न लेयर्स शामिल थीं।

हमले में कई घायल

आईडीएफ ने कहा कि ईरान की ओर से लगभग 20-30 बैलिस्टिक मिसाइलें दागी गईं। इजराइल सेना ने कहा है कि उसने ईरान से दागी गई मिसाइलों की पहचान कर ली है। हमारी रक्षात्मक प्रणालियां खतरे को रोकने के लिए काम कर रही हैं। जनता से आश्रय स्थलों और संरक्षित क्षेत्रों में जाने तथा अगले आदेश तक वहीं रहने को कहा गया है। हमलों में 11 लोग घायल हुए हैं।

ईरान ने दागीं 30 मिसाइलें

समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, ईरान की ओर से इजरायल पर 30 मिसाइलें दागी गई हैं। हमले को ईरान के सरकारी टीवी पर दिखाया गया। ईरान के सरकारी टीवी पर इजरायल के खिलाफ मिसाइल हमले की जानकारी देते हुए एंकर ने कहा, 'आप जो लाइव तस्वीरें देख रहे हैं, वे कब्जे वाले क्षेत्रों पर दागी गई ईरानी मिसाइलों की नई बौछार की हैं।' ईरान इजरायल को कब्जे वाला क्षेत्र कहता है।

इजराइल के साथ जंग के बीच ईरान से और 290 भारतीय नागरिक लौटे, अब तक 1117 की स्वदेश वापसी

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ईरान और इजराइल के बीच संघर्ष तेज होता जा रहा है। अब को इस जंग में अमेरिका की भी एंट्री हो गई है। तेज होते तनाव के बाद बिगड़ते हालात के बीच भारत सरकार अपने लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल रही है। भारत सरकार ने "ऑपरेशन सिंधु" चलाकर 1117 से ज़्यादा फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित भारत वापस लाया है। इस ऑपरेशन के तहत कई चरणों में लोग भारत लाए गए हैं। सरकार ने ईरान से सहयोग से इस ऑपरेशन को सफल बनाया है।

इजराइल-ईरान जंग के बिच भारतीय नागरिकों को ईरान से निकाला जा रहा है। इसी क्रम में देर रात एक विशेष उड़ान के जरिये 290 भारतीय नागरिक ईरान के मशहद शहर से भारत लौटे। सुरक्षित वतन वापसी पर भारतीय नागरिकों ने भारत सरकार का आभार जताया।

अब तक 1117 लोग सुरक्षित भारत पहुंचे

ऑपरेशन सिंधु की शुरुआत के बाद अब तक 1117 लोग सुरक्षित भारत पहुंच चुके हैं। इनमें सबसे पहले 110 मेडिकल छात्रों को वापस लाया गया था। 20 जून को रात 2 बैच में 407 भारतीय लौटे थे, इसके बाद रात 10:30 बजे की फ्लाइट में 190 कश्मीरी छात्रों समेत 290 लोगों की वापसी हुई थी। वहीं अब शनिवार रात को 290 नागरिकों को वापस लाया गया है। इनमें दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल से भी लोग थे। इससे पहले शुक्रवार देर रात 3 बजे की फ्लाइट में 117 लोग थे।

ऑपरेशन सिंधु को लेकर विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि ऑपरेशन सिंधु ने गति पकड़ ली है। 290 भारतीय नागरिक ईरान से मशहद से एक विशेष उड़ान द्वारा सुरक्षित रूप से स्वदेश लौट आए हैं, जो 21 जून 2025 को 11:30 बजे नई दिल्ली में उतरी है। इसके साथ ही, 1,117 भारती।

श्रीलंकाई लोगों की भी मदद कर रहा भारत

भारत सरकार ने ना केवल अपने लोगो को खतरे से बाहर निकाला बल्कि पड़ोसी देश की भी मदद की है। भारत ने शनिवार को श्रीलंका को भरोसा दिलाया कि वह ईरान में फंसे हुए श्रीलंकाई नागरिकों को भी वहां से सुरक्षित बाहर निकालने में मदद करेगा। श्रीलंका ने भारत को इसके लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि यह दोनों देशों की मजबूत दोस्ती और सहयोग का उदाहरण है। श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने एक्स पर लिखा, 'हम ईरान में फंसे श्रीलंकाई नागरिकों की मदद करने के लिए भारत सरकार का दिल से धन्यवाद करते हैं।' इससे पहले, ईरान में भारतीय दूतावास ने कहा था कि वह नेपाल और श्रीलंका के निवासियों को भी निकालने में मदद करेगा, क्योंकि दोनों देशों ने भारत से यह अनुरोध किया था।

ईरान के साथ जंग में अब अमेरिका की एंट्री, तीन परमाणु केंद्रों पर किया हमला, ट्रंप बोले-ये शांति का समय है

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ईरान-इजराइल के बीच जारी जंग में अब अमेरिका की एंट्री हो चुकी है। जिसके बाद मध्य पूर्व में इजराइल-ईरान के बीच जारी संघर्ष और विकराल होता दिख रहा है। अमेरिका ने ईरान के खिलाफ सख्ती दिखाते हुए उसके तीन परमाणु स्थलों को निशाना बनाया है। यह कदम अमेरिका द्वारा गुआम में कई बी-2 स्टील्थ बॉम्बर जेट भेजने के बाद उठाया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फ़हान परमाणु स्थलों पर हमलों की पुष्टि की है।

ट्रंप ने पढ़ाया शांति का पाठ

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फ़हान परमाणु स्थलों पर हमलों की पुष्टि की है। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा कि हमने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बहुत सफल हमला किया है, जिसमें फोर्डो, नतांज़ और इस्फ़हान शामिल हैं। सभी विमान अब ईरान के हवाई क्षेत्र से बाहर हैं। प्राथमिक स्थल फोर्डो पर बमों का पूरा पेलोड गिराया गया। सभी विमान सुरक्षित रूप से अपने घर की ओर जा रहे हैं। हमारे महान अमेरिकी योद्धाओं को बधाई। दुनिया में कोई दूसरी सेना नहीं है जो ऐसा कर सकती थी। अब शांति का समय है! इस मामले पर आपका ध्यान देने के लिए धन्यवाद।'

ट्रंप दे रहे थे ईरान पर हमले की चेतावनी

अमेरिका जंग की शुरुआत से ही ईरान पर हमले की चेतावनी दे रहा था। इसके साथ ही खुले तौर पर इजराइल का साथ दे रहा था। पिछले दिनों ट्रंप ने साफ किया था कि ईरान परमाणु हथियार नहीं रख सकता है। हम जल्द ही फैसला करेंगे कि आगे क्या करना है।

पहले भेजे बी-2 बॉम्बर विमान

इस हमले से कुछ ही घंटों पहले अमेरिका ने अपने बी-2 बॉम्बर विमान गुआम भेजे थे। जिसके बाद माना जा रहा था कि किसी भी वक्त ईरान इजराइल युद्ध विकराल रूप ले सकता है। इसके कुछ ही घंटों पर अमेरिका ने ईरान के 3 न्यूक्लियर ठिकानों को तबाह करने का दावा किया है।

मिडिल ईस्ट में बढ़ा तनाव, अब ईरान ने इजरायल पर 150 मिसाइल से किया हमला

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मिडिल ईस्ट इस वक्त गंभीर उथल-पुथल से गुजर रहा है। इजरायल और ईरान के बीच बढ़ती जंग की स्थिति ने पूरे क्षेत्र में तनाव का माहौल बना दिया है। दोनों देश अब युद्ध के कगार पर हैं। पहले इजराइल ने हमला कर जंग की शुरुआत की तो ईरान ने भी जवाबी हमले किए। शुक्रवार को इजरायल ने ईरान पर ताबड़तोड़ हमले किए थे। इसके जवाब में ईरान ने शनिवार सुबह इजरायल पर मिसाइल हमले किए, जिसमें विशेष रूप से इजरायल के उत्तरी क्षेत्र को निशाना बनाया गया।

ईरान ने इजराइल की मदद करने वाले देशों के चेताया

इजराइल ने शुक्रवार को ईरानी परमाणु ठिकानों पर जोरदार हमला करके जंग की शुरुआत की। इस हमले में 70 से ज्यादा लोगों की मौत और 350 से ज्यादा घायल हुए। जवाब में ईरान ने भी 150 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनमें से 6 सीधे तेल अवीव के दिल में आ गिरीं। ईरान के हमले को देखते हुए इजरायल के उत्तरी क्षेत्र में सायरन बजने लगे हैं और वहां की सरकार ने लोगों से बंकरों में शरण लेने का आग्रह किया है। वहीं ईरान ने चेतावनी दी है कि अगर कोई देश इजराइल की मदद करेगा, तो उसके क्षेत्रीय सैन्य अड्डे भी निशाने पर होंगे, जो सीधे अमेरिका को धमकी मानी जा रही है।

ईरानी रॉकेट से एक की मौत, 20 से ज्यादा घायल

ईरान के रॉकेट हमले ने तेल अवीव के दक्षिण में रिशोन लेज़ियोन के रिहायशी इलाके को निशाना बनाया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इजरायल की आपातकालीन सेवाओं ने बताया कि मलबे में कई लोग फँसे थे, और बचाव कार्य जारी है। मौके पर भारी संख्या में पैरामेडिक्स तैनात हैं।

इजराइल ने भी की जवाबी कार्रवाई

इजरायली सेना ने भी जवाबी कार्रवाई की और दावा किया कि उसने ईरान के दो प्रमुख एयरबेस पर हमला कर दिया है। इस हमले से पहले इजरायल ने ईरान के सैन्य कमांडरों और न्यूक्लियर साइट्स को निशाना बनाया। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दुनिया के सामने यह कहते हुए अपना स्टैंड रखा कि यह सिर्फ इजराइल की सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि ईरानी जनता की आज़ादी के लिए भी है। उन्होंने ईरानी लोगों से अपील की कि वे अब इस्लामिक शासन के खिलाफ आवाज उठाएं।