हरियाणा में एमपी-राजस्थान की तरह होंगे 2 डिप्टी सीएम! सैनी कैबिनेट में ये चेहरे हो सकते हैं शामिल

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हरियाणा चुनाव के परिणाम आने के बाद सरकार गठन की कवायद शुरू हो गई हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद बाद प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। कहा जा रहा है कि विजयदशमी के दिन नई सरकार का शपथग्रहण हो सकता है।चर्चाएं हैं कि हरियाणा में भाजपा दो डिप्टी सीएम बना सकती है। इसमें एक दलित तो दूसरा यादव समाज से हो सकता है।

चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी ने कुछ भी नहीं कहा है, लेकिन पार्टी के बड़े नेता पहले ही नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री का चेहरा बता चुके हैं। हरियाणा के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान तो साफ-साफ कह चुके हैं कि सरकार आने पर सैनी ही मुख्यमंत्री बनेंगे। ऐसे में कहा जा रहा है कि सैनी ही हरियाणा के नए मुख्यमंत्री हो सकते हैं। जल्द ही पार्टी की तरफ से इसकी आधिकारिक घोषणा को लेकर प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।

हरियाणा सरकार में मुख्यमंत्री सहित कुल 14 मंत्री हो सकते हैं। पिछली सरकार के 8 मंत्री चुनाव हार चुके हैं। 3 मंत्रियों के टिकट काटे गए थे। सिर्फ 2 मंत्री चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। इसका मतलब है कि भाजपा को 11 नए चेहरों की तलाश करनी होगी। अनिल विज वो सीनियर नेता हैं जिन्होंने अपनी सीट बरकरार रखी है। अनिल विज को मंत्री पद मिल सकता है। बीजेपी जाटों, ब्राह्मणों, पंजाबी और दलितों सहित राज्य की विभिन्न जातियों को ध्यान में रखकर कैबिनेट का गठन करेगी।

बीजेपी के पक्ष में दलित, अहीर, गुर्जर और अन्य गैर-जाट ओबीसी के साथ ब्राह्मण और राजपूतों ने भी जमकर मतदान किया है। ऐसे में सरकार में इन जातियों का सियासी दबदबा दिख सकता है। बीजेपी के पास अब दलित समुदाय से नौ विधायक हैं, आठ पंजाबी मूल के, सात ब्राह्मण और जाटों और यादवों में से प्रत्येक के छह विधायक हैं। पार्टी के पास गुर्जर, राजपूत, वैश्य और एक ओबीसी नेता भी हैं।

 

नौ दलित विधायकों में एक हैं छह बार के विधायक कृष्ण लाल पंवार और दूसरे हैं दो बार के विधायक कृष्णा बेदी। पंजाबी मूल के आठ लोगों में सात बार के विधायक और पूर्व गृह मंत्री अनिल विज हैं, जो मार्च में मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने के बाद नाराज हो गए थे। जींद के विधायक कृष्ण मिड्ढा भी इस रेस में हैं, जिन्होंने लगातार तीसरी बार अपनी सीट जीती है। एक और अब तीन बार के विधायक यमुनानगर से घनश्याम दास अरोड़ा हैं। लेकिन उनकी नियुक्ति को छोड़ दिया जा सकता है क्योंकि उनकी सीट अम्बाला क्षेत्र के भीतर है। अरोड़ा को हांसी से तीन बार के विधायक विनोद भयाना के लिए नजरअंदाज किया जा सकता है।

ब्राह्मण चेहरों में बल्लभगढ़ से तीन बार के विधायक मूल चंद शर्मा शामिल हैं, जिन्हें मंत्रिमंडल में बरकरार रखा जा सकता है। एक और संभावित दो बार के लोकसभा सांसद अरविंद शर्मा हैं जिन्होंने गोहाना जीता। राम कुमार गौतम, जिन्होंने सफीदों को जीत दिलाई, जिसे भाजपा ने कभी नहीं जीता था। भाजपा के लिए अहीरवाल बेल्ट के छह विधायक महत्वपूर्ण हैं जिन्होंने एक बार फिर पार्टी को भारी मतों से वोट दिया। इनमें बादशाहपुर से छह बार के विधायक राव नरबीर सिंह हैं। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव ने पहली बार अटेली सीट जीती है, लेकिन उनका नाम शॉर्टलिस्ट में है। साथ ही दो बार के विधायक लक्ष्मण यादव का नाम भी है।

जाट नेता महीपाल ढांडा अब पानीपत (ग्रामीण) से दो बार के विधायक हैं और उनके बरकरार रहने की संभावना है। राई से दूसरी बार चुने गए कृष्ण गहलोत भी इस दौड़ में शामिल हैं। एक संभावित बड़ा नया नाम पार्टी के राज्यसभा सांसद किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी का है। अन्य संभावित उम्मीदवारों में वैश्य समुदाय के पूर्व मंत्री विपुल गोयल शामिल हैं। हरियाणा में सबसे अमीर महिला और हिसार से निर्दलीय विधायक सावित्री जिंदल ने औपचारिक रूप से भाजपा को अपना समर्थन दे दिया है। इससे उनके नए मंत्रिमंडल में शामिल होने की संभावना बढ़ गई है।

हरियाणा में हार के बाद एक्शन में कांग्रेस, मल्लिकार्जुन खरगे ने हुड्डा-गहलोत से बाबरिया तक को किया तलब!

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हरियाणा में कांग्रेस बुरी तरह हार गई है। हार के लिए मुख्य रूप से कुमारी सैलजा और भूपिंदर सिंह हुड्डा को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।हरियाणा में हार और सहयोगियों के वार के बाद कांग्रेस एक्शन में है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हार की समीक्षा को लेकर आज बड़ी बैठक बुलाई है।इस बैठक में पहले भूपेन्द्र हुड्डा, पर्यवेक्षक अशोक गहलोत, अजय माकन, प्रताप सिंह बाजवा, प्रभारी दीपक बाबरिया, प्रदेश अध्यक्ष उदय भान शामिल होंगे. राहुल गांधी भी इस बैठक में शामिल हो सकते हैं। हरियाणा को लेकर खरगे द्वारा बुलाई गई समीक्षा बैठक में सैलजा और सुरजेवाला को पहले नहीं बुलाया गया है। इन नेताओं को बाद में बुलाया जा सकता है।

चुनाव से पहले यह तय माना जा रहा था कि हरियाणा में इस बार कांग्रेस की वापसी होगी. एग्जिट पोल के सर्वे ने इस अनुमान को थोड़ा और पुख्ता कर दिया. सर्वे के बाद से हरियाणा कांग्रेस में जबरदस्त उत्साह थी. कांग्रेस वाले इस बात को तय मान चुके थे कि 10 साल बाद प्रदेश में उसकी वापसी हो रही है. कोई भी ऐसा सर्वे नहीं था जिसमें कांग्रेस हारती हुई दिख रही थी लेकिन जब नतीजे आए तो सारे सर्वे फेल हो गए. बीजेपी को हरियाणा में ऐतिहासिक जीत मिली. बीजेपी ने प्रदेश में जीत की हैट्रिक लगाई।

जानकारों के अनुसार, कांग्रेस की अंदरूनी कलह, मौजूदा विधायकों पर अत्यधिक निर्भरता और बागियों की वजह से कांग्रेस एक दशक के बाद हरियाणा में वापसी करने में विफल रही। भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा की खींचतान से बीजेपी को बड़ा फायदा मिला। टिकट बंटवारे से लेकर चुनाव प्रचार तक कांग्रेस बंटी नजर आ रही थी। कांग्रेस तीन खेमों में बंट गई थी। इसमें एक खेमा पूर्व सीएम हुड्डा का था तो दूसरा कुमारी सैलजा और तीसरा रणदीप सुरजेवाला का था।

सैलजा-हुड्डा के अलावा इन 4 दिग्गजों का भी हार में हाथ!

सैलजा और हुड्डा के अलावा कांग्रेस के भीतर 4 ऐसे भी दिग्गज हैं, जिनके ऊपर हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनाने की जिम्मेदारी थी, लेकिन जिस तरह से पार्टी की हार हुई है, उससे कहा जा रहा है कि इन नेताओं की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।

1. दीपक बाबरिया- जून 2023 में शक्ति सिंह गोहिल के गुजरात जाने के बाद दीपक बाबरिया को हरियाणा कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया। प्रभारी महासचिव बनने के बाद बाबरिया न तो हरियाणा में कांग्रेस की संगठन तैयार कर पाए और न ही गुटबाजी खत्म कर पाए। इतना ही नहीं, बाबरिया के बयान ने ही कई बार कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी।

2. अजय माकन- कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अजय माकन हरियाणा चुनाव में स्क्रीनिंग कमेटी के प्रमुख थे। कांग्रेस के भीतर टिकट वितरण का काम स्क्रीनिंग कमेटी के पास ही है। कांग्रेस का टिकट वितरण पूरे चुनाव के दौरान विवादों में रहा। आरोप है कि टिकट वितरण में सिर्फ हुड्डा गुट को तरजीह मिली। 89 टिकट में से 72 टिकट कांग्रेस में हुड्डा समर्थकों को दे दी गई। टिकट वितरण के बाद कुमारी सैलजा नाराज होकर प्रचार से दूर हो गई। सैलजा की नाराजगी रिजल्ट पर भी दिखा है।

यही नहीं, राहुल गांधी के कहने पर जब कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से गठबंधन की कवायद शुरू की तो अजय माकन और हुड्डा इसके विरोध में थे। माकन दिल्ली की राजनीति की वजह से शुरू से ही अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी का विरोध कर रहे हैं।

3. अशोक गहलोत- राजस्थान से दिल्ली की तरफ लौटे अशोक गहलोत को कांग्रेस ने हरियाणा का वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया था। कांग्रेस के भीतर पर्यवेक्षक का काम सभी को साथ लेकर चलना, क्राइसिस मैनेजमेंट करना और ग्राउंड की रिपोर्ट से हाईकमान को अवगत कराना होता है। अशोक गहलोत पूरे चुनाव में क्राइसिस मैनेज नहीं कर पाए। कांग्रेस के 29 बागी मैदान में उतर गए, जिसमें से एकाध बागी को ही कांग्रेस मना पाई। अंबाला और जींद में तो कांग्रेस के बागी ने ही पार्टी का खेल खराब कर दिया।

गहलोत पर्यवेक्षक थे, लेकिन सार्वजनिक तौर पर सैलजा और हुड्डा की लड़ाई को रोक नहीं पाए। सैलजा ने आखिर दिन तक मीडिया को इंटरव्यू दिया और हर इंटरव्यू में सीएम पद देने की मांग उठाई.

4. सुनील कनुगोलू-अगस्त 2022 में औपचारिक रूप से कांग्रेस में शामिल होने वाले सुनील कनुगोलू हरियाणा में कांग्रेस की रणनीति देख रहे थे। कहा जाता है कि हरियाणा मांगे हिसाब पदयात्रा का रोडमैप भी कनुगोलू की टीम ने ही तैयार किया था। कनुगोलू के सर्वे को आधार बनाकर ही हुड्डा कैंप ने कई बड़े फैसले हाईकमान से करवाए।

हालांकि, कनुगोलू बीजेपी की रणनीति को समझने में फेल रहे। जमीन पर जिस तरह से बीजेपी ने जाट वर्सेज गैर जाट का फॉर्मूला तैयार किया, उसे भी कनुगोलू की टीम काउंटर नहीं कर पाए।

हुड्डा के हठ से “हाथ” से गया हरियाणा, अब क्या करेगी कांग्रेस?

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हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को लगातार तीसरी बार करारी हार का सामना करना पड़ा है। हरियाणा में कांग्रेस का चूक जाना किसी बड़े झटके से कम नहीं है। क्योंकि एग्जिट पोले से लेकर शुरूआती रूझान भी कांग्रेस के पक्ष में थे। लेकिन कांग्रेस जीतते-जीतते हार गई।कांग्रेस पार्टी को हरियाणा में बीजेपी से सिर्फ 0.85% वोट ही कम आए। बीजेपी को 39.94 प्रतिशत वोट मिले तो कांग्रेस ने भी 39.09 प्रतिशत वोट हासिल किया। यह इस बात की पुष्टि करता है कि हरियाणा में कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना था। फिर भी करारी हार मिली।

पार्टी के अंदर ही कुछ लोग इस हार के लिए हुड्डा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। कांग्रेस हाईकमान ने हुड्डा को चुनाव में टिकट बंटवारे में खुली छूट दी थी। दरअसल, 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की जबरदस्त वापसी हुई थी। कांग्रेस हरियाणा की 5 सीटें जीतने में सफल हुई थी। उस समय हुड्डा को कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा माना जा रहा था।तब हुड्डा के समर्थकों ने दावा किया था कि अगर टिकट बंटवारे की जिम्मेदारी हुड्डा को दी जाती तो कांग्रेस सत्ता में वापस आ जाती। हालांकि, हालिया विधानसभा चुनावों के नतीजों ने कांग्रेस नेतृत्व को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने का मौका दे दिया है।

हुड्डा ने एकतरफा चलते हुए कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला को दरकिनार कर दिया। हुड्डा खेमे ने इन नेताओं को बिना जनाधार वाला बताया और टिकटों से लेकर हर जगह अपनी चलाई। यही नहीं, किरण चौधरी और कुलदीप बिश्नोई जैसे वरिष्ठ नेताओं ने हुड्डा पर पार्टी पर कब्जा करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस छोड़ दी थी।

गठबंधन दलों से नहीं तालमेल नहीं बिठाया

कांग्रेस के दलित-जाट वोट में सेंधमारी के लिए इनेलो-बीएसपी और जेजेपी-आजाद समाज पार्टी के गठबंधन बने तो राहुल ने वोटों का बिखराव रोकने के लिए गठबंधन की सलाह दी। मगर, भूपिंदर हुड्डा ने आम आदमी पार्टी से तालमेल नहीं किया। इसके बाद दीपेंद्र हुड्डा ने सपा को हरियाणा में खारिज कर दिया। विरोधी खेमे ने आरोप लगाया है कि हुड्डा ने विरोधियों को बैठाने की बजाय उनकी मदद की। ताकि इससे सीटें 40 के करीब आएं और निर्दलीय उम्मीदवारों के सहारे वो सीएम बन सकें। सूत्रों के मुताबिक, एक वक्त बीजेपी में नाराज चल रहे अहीरवाल इलाके के बड़े क्षत्रप राव इंद्रजीत को कांग्रेस में लाने के लिए एक खेमे ने हरी झंडी दे दी थी। तब भी हुड्डा ने उनकी जरूरत को खारिज कर दिया। लिहाजा न सपा साथ थी, न राव साथ आए और पूरी बेल्ट में सूपड़ा साफ हो गया।

सैलजा ने भी इशारों-इशारों में लिया हुड्डा का नाम

हरियाणा में कांग्रेस पार्टी का सबसे बड़ा दलित चेहरा कुमारी सैलजा है। उन्होंने चुनाव परिणाम आने के बाद कहा कि सभी अंडे एक ही टोकरी में रखने की नीति कभी सही नहीं मानी जाती है। उनका इशारा उम्मीदवारों के चयन प्रक्रिया में भूपेंद्र सिंह हुड्डा का पूरा दबदबा होने की तरफ है। कांग्रेस को जाटों पर हद से ज्यादा भरोसा करके बाकी जातियों को नजरअंदाज करने की कीमत चुकानी पड़ी है। अब सैलजा कह रही हैं कि शीर्ष नेतृत्व को इस रणनीति पर पुनर्विचार करते हुए हार के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करनी चाहिए। शीर्ष नेतृत्व यह सब कर भी ले तो अब क्या? वो कहते हैं ना- अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।

लगातार तीसरी बार सरकार बनने का रिकॉर्ड

बता दें कि हरियाणा में देवी लाल, भजन लाल, बंशी लाल जैसे दिग्गज नेता हुए, लेकिन प्रदेश के लोगों ने कभी किसी का लगातार तीसरी बार साथ नहीं दिया। कांग्रेस के पास हरियाणा के मतदाताओं के इस माइंडसेट को मजबूत बनाए रखने का मौका था, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाई। उसकी इस नाकामयाबी ने बीजेपी को 54 साल की परंपरा को तोड़कर नया रेकॉर्ड बनाने का अवसर दे दिया। आखिरकार बीजेपी ने हरियाणा में पहली बार लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने का रेकॉर्ड कायम कर लिया।

हरियाणा में जीतते-जीतते कैसे हार गई कांग्रेस? सैलजा, हुड्डा या कोई और वजह

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हरियाणा में बीजेपी ने हैट्रिक लगाई है। भाजपा एक बार फिर सूबे में सरकार बनाती नजर आ रही है। 10 साल से वनवास झेल रही कांग्रेस एक बार फिर सत्ता के करीब आते-आते रह गई।लगभग एग्जिट पोल में कांग्रेस की सरकार बनती हुई दिख रही थी, लेकिन चुनावी नतीजों ने कांग्रेस के अरमानों पर पानी फेर दिया। 60 सीटों पर जीत का दावा करने वाली ओल्ड ग्रैंड पार्टी 40 के नीचे सिमट गई है। इस सियासी जनादेश की वजह से कांग्रेस फिर से 5 साल के लिए सत्ता से दूर हो गई है।

वोटिंग के बाद सामने आए एग्जिट पोल के सर्वे में अनुमान जताया गया था कि हरियाणा में कांग्रेस दमदार तरीके से पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बना सकती है, लेकिन चुनावी नतीजे और रुझान उसके उलट नजर आए। हरियाणा में मोहब्बत की दुकान खोलने वाली कांग्रेस बीजेपी के सियासी समीकरण को पछाड़ने में पूरी तरह से नाकाम रही। हरियाणा में चुनाव परिणाम आने के बाद अब इस सवाल के जवाब तलाशे जा रहे हैं कि कांग्रेस इस चुनाव में क्यों पिछड़ गई?

कांग्रेस की हार के कारण

हुड्डा का पार्टी में एकाधिकार

हरियाणा कांग्रेस में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा पार्टी की हार के सबसे बड़े कारक माने जा रहे हैं। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा का पार्टी में एकाधिकार था। बीते डेढ़-दो साल से हरियाणा कांग्रेस के बड़े फैसले हुड्डा ही ले रहे थे। फिर चाहे प्रदेश अध्यक्ष उदयभान की नियुक्ति हो या लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारा हो, इन सबमें हुड्डा ही अकेले पॉवर सेंटर बनकर उभरे। चुनाव में राहुल गांधी समेत पार्टी के सभी बड़े नेताओं ने हुड्डा पर विश्वास किया, लेकिन अब हरियाणा में लगातार तीसरी बार कांग्रेस की नैया डूब नजर आ रही है।हुड्डा के पसंद के उम्मीदवार को तरजीह

इस बार के विधानसभा चुनाव में भी 90 में से 70 से अधिक सीटें हुड्डा के कहने पर बंटे। टिकट बंटवारे में को लेकर जब दिल्ली में हरियाणा कांग्रेस की बैठक हुई थी तब भी हुड्डा की ही चली थी। कांग्रेस ने सबसे ज्यादा हुड्डा समर्थक उम्मीदवारों को टिकट दिया था। 90 में से करीब-करीब 70 सीटों पर हुड्डा के पसंद वाले उम्मीदवारों को मौका दिया गया। तब कुमारी सैलजा समेत कई नेताओं ने खुले तौर पर तो नहीं लेकिन अंदरूनी रूप से नाराजगी भी जताई थी, लेकिन हाईकमान ने ध्यान नहीं दिया। अब उसका असर चुनाव के नतीजों में देखने को मिल रहे हैं।

दिग्गज नेताओं की नाराजगी

कांग्रेस के दिग्गज नेता कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला टिकट बंटवारे से खुश नहीं थे। दोनों नेताओं ने अपने करीबियों और समर्थकों के लिए प्रचार किया। सूबे की बाकी सीटों पर चुनाव प्रचार करने नहीं गए। कुमारी सैलजा ने लंबे समय तक चुनाव प्रचार से दूरी रखी, इसके बाद वे लौटीं। हालांकि, तब भी कई इंटरव्यूज में सैलजा ने इशारों-इशारों में बताया कि उनकी हुड्डा से बातचीत नहीं है।

गठबंधन दलों को तरजीह नहीं देना

कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के दलों को तरजीह नहीं दी। अहीरवाल बेल्ट में पार्टी ओवर कन्फिडेंस में रही। यहां पर सपा सीट मांग रही थी। हुड्डा ने साफ-साफ कह दिया कि हरियाणा में इंडिया का गठबंधन नहीं होगा। कई सीटों पर आप को भी अच्छे-खासे वोट मिले हैं। चुनाव से पहले आप ने कांग्रेस के सामने गठबंधन का प्रस्ताव रखा था, लेकिन क्षेत्रीय नेताओं के कहने पर कांग्रेस ने हाथ नहीं मिलाया। इसका खामियाजा विधानसभा चुनाव के परिणाम में देखने को मिल रहा है।

हरियाणा में लौट रही कांग्रेस सरकार! अब बढ़ेगा सिरदर्द, कौन बनेगा सीएम- हुड्डा, सैलजा या सुरजेवाला

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हरियाणा में लोगों ने हाथ का साथ दिया है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों की तस्वीर अब धीरे-धीरे साफ होती हुई दिख रही है। शुरुआती रुझानों से ही कांग्रेस पार्टी ने बढ़त बना रखी है। हरियाणा में शुरुआती रुझानों में कांग्रेस की आंधी दिखाई दे रही है। रूझानों की मानें तो कांग्रेस की प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बन रही है। कांग्रेस 10 साल के बाद हरियाणा में वापसी कर रही है। ये कांग्रेस खेमे में बहुत बड़ी जश्न की बात है, हालांकि इसके साथ भी बड़ा सिरदर्द शुरू होने वाला है। सिरदर्द होगा सीएम के सवाल पर। जी हां, सवाल है कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री कौन होगा?

हरियामा में सीएम के कई दावेदार हैं, जो पार्टी आलाकमान की सिरदर्दी बड़ा सकते हैं। इस पद के दोनों प्रमुख दावेदारों भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा ने सोमवार को स्पष्ट किया कि अंतिम फैसला आलाकमान को करना है। हुड्डा और सैलजा ने यह भी कहा कि कांग्रेस आलाकमान का फैसला उन्हें मंजूर होगा।

ये हैं प्रमुख दावेदार

भूपेंद्र सिंह हुड्डा: हरियाणा में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री की रेस में कई नेताओं का नाम चल रहा है। सबसे पहला नाम है भूपेंद्र सिंह हुड्डा का है, जो 10 साल तक हरियाणा के दो बार मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी के लिए जमकर प्रचार किया था। इस दौरान 10 में से पांच सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी।

कुमारी सैलजा: दूसरा नाम इस लिस्ट में कुमारी सैलजा का है, जो एक दलित चेहरा हैं। वह वर्तमान में सिरसा लोकसभा सीट से सांसद हैं और उनका नाम भी सीएम की रेस में शामिल है। उनकी गांधी परिवार से नजदीकी भी जगजाहिर है। वह हरियाणा की प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।

रणदीप सिंह सुरेजवाला: चौथा नाम रणदीप सिंह सुरजेवाला का है। राज्यसभा सांसद और महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला का भी नाम सीएम पद की रेस में शामिल है। इसके अलावा हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष उदय भान के नाम की भी अटकलें लगाई जा रही हैं। बताया जा रहा है कि अगर पार्टी किसी दलित चेहरे के नाम पर आगे बढ़ती है, तो वह भी इस रेस में शामिल हो सकते हैं। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर शनिवार (5 अक्टूबर) को मतदान हुआ था, जबकि नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे।

हरियाणा में वोटों की गिनती शुरू, शुरुआती रुझान में कांग्रेस की धमाकेदार एंट्री

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हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना जारी है। हरियाणा के सभी 22 जिलों की 90 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला आज हो रहा है। 1031 प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में कैद है, जिसपर फैसला आज हो जाएगा। रुझानों में भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर चल रही है। 5 अक्टूबर को वोटिंग खत्म होने के बाद सामने आए एग्जिट पोल के सर्वे में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत के साथ सरकार मिलने का अनुमान जताया गया है। शुरुआती रुझानों में भाजपा ने नौ सीटों पर बढ़त बना रखी है। कांग्रेस पांच पर आगे चल रही है।

हम तीसरी बार सरकार बनाएंगे- सीएम नायब सिंह सैनी

हरियाणा के सीएम और लाडवा विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी उम्मीदवार नायब सिंह सैनी ने कहा, “आज मतगणना का दिन है और मुझे पूरा विश्वास है कि पिछले दस वर्षों में बीजेपी सरकार द्वारा किए गए कार्यों के परिणामस्वरूप हम तीसरी बार हरियाणा में सरकार बनाएंगे। हमारी सरकार हरियाणा के लोगों की सेवा करती रहेगी। कांग्रेस सत्ता के लिए काम करती है, बीजेपी सेवा के लिए काम करती है।

हुड्डा परिवार जीत पर बांटेगा लड्डू और जलेबी, दिया बड़ा ऑर्डर

हरियाणा चुनाव के रिजल्ट को लेकर कांग्रेस उत्साहित नजर आ रही है। उसने इसके लिए खास तैयारी की है। हुड्डा परिवार ने लड्डुओं के साथ ही जलेबी का भी ऑर्डर दिया। गोहाना के प्रसिद्ध मातूराम हलवाई जलेबी का ऑर्डर दिया गया। जीत की तरफ बढ़ने पर लड्डू के साथ रोहतक और दिल्ली में गोहाना के मातूराम हलवाई की प्रसिद्ध जलेबी बंटेगी। रिजल्ट आने के बाद एक डिब्बा जलेबी हुड्डा परिवार मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को भी भेजेगा।

रुझान में हरियाणा में कांग्रेस को बहुमत, मुरझाया “कमल”

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हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती जारी है। शुरुआती रुझानों में हरियाणा में कांग्रेस ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। रूझानों के अनुसार, शुरुआती रुझानों में हरियाणा में कांग्रेस को बहुमत मिल गया है। कांग्रेस 49 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं भाजपा ने 21 और अन्य 9 सीटों पर आगे चल रही हैं।

रणदीप सुरजेवाला के घर कैथल में कार्यकर्ता जोश में। स्क्रीन पर रिजल्ट देख रहे हैं और तालियां बजा कर जश्न मना रहे हैं। कैथल विधानसभा सीट से रणदीप सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला आगे चल रहे हैं। वहीं कुरुक्षेत्र की तीन सीटों पर कांग्रेस आगे चल रही है।

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नततीजों पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “हमें पूरा भरोसा है कि आज पूरे दिन हमें लड्डू और जलेबी खाने को मिलेगी, हम प्रधानमंत्री मोदी को भी जलेबी भेजने वाले हैं। हमें पूरा भरोसा है कि हम जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं।”

कौन-कहां से आगे

• अंबाला कैंट से बीजेपी उम्मीदवार अनिल विज पिछड़ गए हैं.

• ऐलानाबाद से अजय चौटाला आगे चल रहे हैं.

• आदमपुर सीट भव्य विश्नोई आगे हैं.

• फरीदा बाद से लखन सिंगला आगे

• अटेली से बीजेपी की आरती सिंह आगे

• भूपेंद्र सिंह हुड्डा आगे चल रहे हैं.

• कुरुक्षेत्र की तीन सीट से कांग्रेस आगे

• सीएम नायब सैनी लाडवा से पीछे हो गए है.

• हिसार से निर्दलीय प्रत्याशी सावित्री जिंदल आगे चल रही हैं.

• उचाना से दुष्यंत चौटाला पीछे चल रहे हैं.

हरियाणा में हैट्रिक से चूकी बीजेपी! क्या किसानों-जवानों-पहलवानों की नारजगी का असर*
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हरियाणा के चुनाव नतीजे आने में बस 24 घंटे रह गए हैं। राज्य में 8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे। इससे पहले हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को सभी 90 सीटों पर वोटिंग हुई।वोटिंग के बाद एग्जिट पोल के नतीजे भी सामने आ गए हैं। एग्जिट पोल्स ने हरियाणा में कांग्रेस की बड़ी जीत का अनुमान लगाया है। किसी भी सर्वे में बीजेपी बढ़त बनाते हुए नहीं दिखी। एग्जिट पोल के अनुसार हरियाणा में बीजेपी सत्ता से बाहर जाती दिख रही है। एग्जिट पोल के अनुसार प्रदेश में 10 साल बाद कांग्रेस दमदार वापसी करती दिख रही है। सी-वोटर, मैट्रीज, जीस्ट, ध्रुव, दैनिक भास्कर और पी-मार्कयू एग्जिट पोल में कांग्रेस आसानी से बहुमत हासिल करती नजर आ रही है। पोल ऑफ पोल में कांग्रेस को 54 सीट, बीजेपी को 26, जेजेपी और आईएनएलडी को एक-एक सीट मिलती दिख रही है। ऐसे में सवाल है आखिर बीजेपी प्रदेश में सत्ता की हैट्रिक लगाने से कहां चूक गई। राजनीति के जानकारों की मानें तो भाजपा को इस चुनाव में किसान, जवान, पहलवान जैसे मुद्दों की वजह से नुकसान हुआ। किसान आंदोलन की वजह से किसान भाजपा से नाराज थे। पहलवाल के साथ हुए विवाद का भी खासा असर पड़ा और अग्निवीर योजना भी भाजपा के गले की फांस बन गई। *किसानों- जाटों की नाराजगी पड़ी भारी* किसान आंदोलन को लेकर बीजेपी का रुख और केंद्र सरकार का रवैया बीजेपी की हार की अहम वजह में से एक है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार किसानों के मुद्दे पर सरकार बुरी तरह से असफल रही। जानकारों के अनुसार बीजेपी ने किसानों के आंदोलन को बिल्कुल असंवेदनशील तरीके से दबाने की कोशिश की। तीन कृषि कानूनों को लेकर राज्य के किसानों ने उसी तरह की नाराजगी दिखाई थी, जैसी पंजाब के किसानों ने। ध्यान देने लायक है कि किसान आंदोलन के दौरान राज्य के मंत्रियों को कई जगहों पर किसानों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा था। पंजाब की ही तरह यहां किसान परिवारों की संख्या अच्छी भली है। किसान भी ऐसे हैं जिनके लिए खेती आमदनी का अहम जरिया है। इसके अलावा पार्टी को जाटों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा। लोकसभा चुनाव में इसकी झलक दिख गई थी। इसके बावजूद पार्टी की तरफ से इससे निपटने के प्रयास नाकाफी साबित हुए। किसानों में जाट वोटरों की संख्या भी ठीक ठाक है। हरियाणा में जाट बीजेपी के स्वाभाविक वोटर भी नहीं रहे हैं। *अग्निवीर पर आक्रोश* किसानों की इस नाराजगी को सेना में नियमित भर्ती की जगह अग्निवीर योजना से और हवा मिली। हरियाणा वो राज्य है जिसकी देश की आबादी में हिस्सेदारी महज 2 फीसदी के आस-पास है। जबकि सेना में इसकी हिस्सेदारी 5 फीसदी से कुछ ज्यादा होती है। राज्य की आबादी के हिसाब से ये बहुत बड़ी और प्रभावी संख्या है। अग्निवीर की व्यवस्था लागू होने किए जाने के केंद्र के फैसले से जो राज्य सबसे ज्यादा नाराज हुए हैं उनमें हरियाणा प्रमुख है। हरियाणा के युवाओं को ये बात गले से नहीं उतरती कि पांच साल की सेवा के बाद रिटायर अग्निवीर को सरकार ने पैरामिलिट्री और दूसरी जगहों पर नौकरियां देने का वायदा कर रखा है। *पहलवानों का दाव* राज्य के पहलवानों के साथ जिस तरह से जंतर-मंतर पर सलूक हुआ उसका असर भी चुनाव में देखने को मिला। राज्य में पहलवानों के अनदेखी बीजेपी को भारी पड़ी। साक्षी मलिक के साथ विनेश फोगाट ने उस समय के कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह के विरोध में आवाज उठाई। ये मामला किसी न किसी रूप से हरियाणा के लिए बड़ा सवाल था। यही वो राज्य है जहां के पहलवान मेडल जीत कर दुनिया भर में भारत का नाम उंचा करते हैं। पेरिस ओलंपिक की घटना के बाद विनेश जब लौट कर भारत में आईं तब भी बीजेपी ने पार्टी के स्तर पर उनके आंसू पोछने का कोई ऐसा काम नहीं किया, जिससे हरियाणा के वोटरों के जख्मों पर मरहम लगाने जैसा काम किया गया हो। उल्टे विनेश और उनके साथ बजरंग पूनिया पहलवान कांग्रेस के पाले में चले गए। दोनों रेलवे की सरकारी नौकरी छोड़ कर सीधी लड़ाई में आ गए थे। कांग्रेस ने उन्हें टिकट दे कर चुनाव लड़ाया। *बागियों ने बिगाड़ा खेल* इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी का खेल बिगाड़ने में बागी भी एक फैक्टर रहे। राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के मिशन में जुटी भाजपा की टेंशन बढ़ाए रखी। बीजेपी सांसद नवीन जिंदल की मां ने पार्टी से टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर हिसार से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। पार्टी के दिग्गज नेता, प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और राज्य सरकार में मंत्री रह चुके रामबिलास शर्मा ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबी राजीव जैन ने भी पत्नी कविता जैन का टिकट काटे जाने से नाराज होकर सोनीपत से निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया। फरीदाबाद से भाजपा के पूर्व विधायक नागेंद्र भड़ाना ने आईएनएलडी-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार के तौर चुनाव लड़ा।
सहवाग बने कांग्रेस के “खेवनहार”, हरियाणा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी अनिरुद्ध चौधरी के लिए मांगा वोट

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हरियाणा में 5 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। आज चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है। शाम को 6 बजे चुनाव प्रचार का शोर थम जाएगा। इस बीच कोई भी उम्मीदवार अपने प्रचार-प्रसार में कमी नहीं छोड़ना चाहता। इसी कड़ी में बुधवार को पूर्व किक्रेटर वीरेंद्र सहवाग हरियाणा के तोशाम पहुंचे। यहां उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार अनिरुद्ध चौधरी के लिए वोट मांगे।

सहवाग को क्रिकेट की दुनिया में अपनी धमाकेदार बल्लेबाजी के लिए जाना जाता था। साथ ही उनकी हाजिरजवाबी का भी हर कोई कायल है। ऐसे में जब सहवाग कांग्रेस कैंडिडेट के लिए चुनाव प्रचार करने पहुंचे तो ठेठ हरियाणी में लोगों को ध्यान खींचा।सहवाग ने कहा कि लठ गाड़ रखा, इतनी आवाज तो स्टेडियम में ना आई जितनी अड़े आण लाग री है। अब ये आवाजा अनिरुद्ध चौधरी तक भी पहुंचेगी। अर अनिरुद्ध चौधरी ने आप लेके जाओंगे विधानसभा। चंडीगढ़ बैठाओंगे। मैं तो बस अपने बुजुर्गों से, ताऊ और ताइयां ने भाई-बहणा ते और सब ते कि 5 तारीख ने जब वोट डालन जाओ तब 1 नंबर पर अनिरुद्ध चौधरी का नाम आवेगा। बटन दबा के...मान लोंगे मेरी बात। अगर तम मान गए तो बाकी सब मान गए...राम-राम भाइयों।

वीरेंद्र सहवाग का ये वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। जिसमें वह जनता से अनिरुद्ध चौधरी के लिए वोट मांगने की अपील करते हुए दिख रहे हैं। इस दौरान वीरेंद्र सहवाग ने कहा कि वे अपना फर्ज निभाने आएं हैं। जब कोई बड़ा भाई कोई काम करता है तो सभी को मिलकर उसकी मदद करनी होती है। सहवाग ने कहा कि अनिरुद्ध चौधरी ने जनता से जो वादे किए हैं, वो उन्हें जरूर पूरा करेंगे, क्योंकि उनके पास एडमिनिस्ट्रेशन चलाने का एक्सपीरियंस है।

तोशाम सीट पर भाई-बहन के बीच मुकाबला

बता दें कि तोशाम सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी और पोते अनिरुद्ध चौधरी के बीच मुकाबला है। श्रुति चौधरी, अनिरुद्ध चौधरी की चचेरी बहन हैं। श्रुति, किरण चौधरी की बेटी हैं तो वहीं अनिरुद्ध चौधरी बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष रणवीर सिंह महेंद्रा के बेटे हैं। इससे पहले श्रुति चौधरी भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से सांसद रह चुकी हैं।

*हरियाणा चुनाव के लिए बीजेपी ने जारी की उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट, जानें विनेश फोगाट के खिलाफ किसे उतारा

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हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की है। दूसरी लिस्ट में 21 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की गई है। दूसरी लिस्ट के साथ ही बीजेपी ने हरियाणा की 90 में से 88 सीटों पर उम्मीवार घोषित कर दिए। पहली लिस्ट में 67 सीटों पर कैंडिडेट्स के ऐलान किए गए थे। हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटें हैं। सूबे में 5 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। 8 अक्टूबर को वोटों की गिनती होगी।

फोगाट के खिलाफ “खेलेंगे” योगेश बैरागी

बीजेपी ने दूसरी लिस्ट में दो मुस्लिम उम्मीदवार को भी टिकट दिया है। फिरोजपुर झिरका सीट से नसीम अहमद और पुन्हाना सीट से ऐज़ाज़ खान को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। जुलाना सीट पर कैप्टन योगेश बैरागी को बीजेपी ने चुनावी मैदान में उतारा है। यहां से कांग्रेस के टिकट पर पहलवान विनेश फोगाट मैदान में हैं। वहीं, पार्टी ने नारायणगढ़ से पवन सैनी, पेहोवा से जय भगवान, पुंडरी से सतपाल जाम्बा, असंध से योगेंद्र राणा, गनौर से देवेंद्र कौशिक, राई से कृष्णा गहलावत, बरोदा से प्रदीप सांगवान, नरवाना से कुष्ण कुमार बेदी को टिकट दिया है।

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का टिकट कटा

बीजेपी ने दूसरी सूची में मौजूद प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बाडौली का टिकट काट दिया है। बडौली 2019 में सोनीपत जिले की राई सीट से जीते थे। पार्टी ने यहां से कृष्णा गहलावत को उतारा है। इसके साथ बीजेपी ने पहलवान विनेश फोगाट के उतरने से चर्चा में आई जुलाना सीट से कैप्टन योगेश बैरागी को उतारा है। पार्टी ने बड़ा उलटफेर करते हुए राज्य मंत्री संजय सिंह को सोहना की बजाए नूंह से उतार दिया है। नूंह से कांग्रेस के दिग्गज नेता आफताब अहमद विधायक है।

हरियाणा में एमपी-राजस्थान की तरह होंगे 2 डिप्टी सीएम! सैनी कैबिनेट में ये चेहरे हो सकते हैं शामिल

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हरियाणा चुनाव के परिणाम आने के बाद सरकार गठन की कवायद शुरू हो गई हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद बाद प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। कहा जा रहा है कि विजयदशमी के दिन नई सरकार का शपथग्रहण हो सकता है।चर्चाएं हैं कि हरियाणा में भाजपा दो डिप्टी सीएम बना सकती है। इसमें एक दलित तो दूसरा यादव समाज से हो सकता है।

चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी ने कुछ भी नहीं कहा है, लेकिन पार्टी के बड़े नेता पहले ही नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री का चेहरा बता चुके हैं। हरियाणा के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान तो साफ-साफ कह चुके हैं कि सरकार आने पर सैनी ही मुख्यमंत्री बनेंगे। ऐसे में कहा जा रहा है कि सैनी ही हरियाणा के नए मुख्यमंत्री हो सकते हैं। जल्द ही पार्टी की तरफ से इसकी आधिकारिक घोषणा को लेकर प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।

हरियाणा सरकार में मुख्यमंत्री सहित कुल 14 मंत्री हो सकते हैं। पिछली सरकार के 8 मंत्री चुनाव हार चुके हैं। 3 मंत्रियों के टिकट काटे गए थे। सिर्फ 2 मंत्री चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। इसका मतलब है कि भाजपा को 11 नए चेहरों की तलाश करनी होगी। अनिल विज वो सीनियर नेता हैं जिन्होंने अपनी सीट बरकरार रखी है। अनिल विज को मंत्री पद मिल सकता है। बीजेपी जाटों, ब्राह्मणों, पंजाबी और दलितों सहित राज्य की विभिन्न जातियों को ध्यान में रखकर कैबिनेट का गठन करेगी।

बीजेपी के पक्ष में दलित, अहीर, गुर्जर और अन्य गैर-जाट ओबीसी के साथ ब्राह्मण और राजपूतों ने भी जमकर मतदान किया है। ऐसे में सरकार में इन जातियों का सियासी दबदबा दिख सकता है। बीजेपी के पास अब दलित समुदाय से नौ विधायक हैं, आठ पंजाबी मूल के, सात ब्राह्मण और जाटों और यादवों में से प्रत्येक के छह विधायक हैं। पार्टी के पास गुर्जर, राजपूत, वैश्य और एक ओबीसी नेता भी हैं।

 

नौ दलित विधायकों में एक हैं छह बार के विधायक कृष्ण लाल पंवार और दूसरे हैं दो बार के विधायक कृष्णा बेदी। पंजाबी मूल के आठ लोगों में सात बार के विधायक और पूर्व गृह मंत्री अनिल विज हैं, जो मार्च में मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने के बाद नाराज हो गए थे। जींद के विधायक कृष्ण मिड्ढा भी इस रेस में हैं, जिन्होंने लगातार तीसरी बार अपनी सीट जीती है। एक और अब तीन बार के विधायक यमुनानगर से घनश्याम दास अरोड़ा हैं। लेकिन उनकी नियुक्ति को छोड़ दिया जा सकता है क्योंकि उनकी सीट अम्बाला क्षेत्र के भीतर है। अरोड़ा को हांसी से तीन बार के विधायक विनोद भयाना के लिए नजरअंदाज किया जा सकता है।

ब्राह्मण चेहरों में बल्लभगढ़ से तीन बार के विधायक मूल चंद शर्मा शामिल हैं, जिन्हें मंत्रिमंडल में बरकरार रखा जा सकता है। एक और संभावित दो बार के लोकसभा सांसद अरविंद शर्मा हैं जिन्होंने गोहाना जीता। राम कुमार गौतम, जिन्होंने सफीदों को जीत दिलाई, जिसे भाजपा ने कभी नहीं जीता था। भाजपा के लिए अहीरवाल बेल्ट के छह विधायक महत्वपूर्ण हैं जिन्होंने एक बार फिर पार्टी को भारी मतों से वोट दिया। इनमें बादशाहपुर से छह बार के विधायक राव नरबीर सिंह हैं। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव ने पहली बार अटेली सीट जीती है, लेकिन उनका नाम शॉर्टलिस्ट में है। साथ ही दो बार के विधायक लक्ष्मण यादव का नाम भी है।

जाट नेता महीपाल ढांडा अब पानीपत (ग्रामीण) से दो बार के विधायक हैं और उनके बरकरार रहने की संभावना है। राई से दूसरी बार चुने गए कृष्ण गहलोत भी इस दौड़ में शामिल हैं। एक संभावित बड़ा नया नाम पार्टी के राज्यसभा सांसद किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी का है। अन्य संभावित उम्मीदवारों में वैश्य समुदाय के पूर्व मंत्री विपुल गोयल शामिल हैं। हरियाणा में सबसे अमीर महिला और हिसार से निर्दलीय विधायक सावित्री जिंदल ने औपचारिक रूप से भाजपा को अपना समर्थन दे दिया है। इससे उनके नए मंत्रिमंडल में शामिल होने की संभावना बढ़ गई है।

हरियाणा में हार के बाद एक्शन में कांग्रेस, मल्लिकार्जुन खरगे ने हुड्डा-गहलोत से बाबरिया तक को किया तलब!

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हरियाणा में कांग्रेस बुरी तरह हार गई है। हार के लिए मुख्य रूप से कुमारी सैलजा और भूपिंदर सिंह हुड्डा को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।हरियाणा में हार और सहयोगियों के वार के बाद कांग्रेस एक्शन में है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हार की समीक्षा को लेकर आज बड़ी बैठक बुलाई है।इस बैठक में पहले भूपेन्द्र हुड्डा, पर्यवेक्षक अशोक गहलोत, अजय माकन, प्रताप सिंह बाजवा, प्रभारी दीपक बाबरिया, प्रदेश अध्यक्ष उदय भान शामिल होंगे. राहुल गांधी भी इस बैठक में शामिल हो सकते हैं। हरियाणा को लेकर खरगे द्वारा बुलाई गई समीक्षा बैठक में सैलजा और सुरजेवाला को पहले नहीं बुलाया गया है। इन नेताओं को बाद में बुलाया जा सकता है।

चुनाव से पहले यह तय माना जा रहा था कि हरियाणा में इस बार कांग्रेस की वापसी होगी. एग्जिट पोल के सर्वे ने इस अनुमान को थोड़ा और पुख्ता कर दिया. सर्वे के बाद से हरियाणा कांग्रेस में जबरदस्त उत्साह थी. कांग्रेस वाले इस बात को तय मान चुके थे कि 10 साल बाद प्रदेश में उसकी वापसी हो रही है. कोई भी ऐसा सर्वे नहीं था जिसमें कांग्रेस हारती हुई दिख रही थी लेकिन जब नतीजे आए तो सारे सर्वे फेल हो गए. बीजेपी को हरियाणा में ऐतिहासिक जीत मिली. बीजेपी ने प्रदेश में जीत की हैट्रिक लगाई।

जानकारों के अनुसार, कांग्रेस की अंदरूनी कलह, मौजूदा विधायकों पर अत्यधिक निर्भरता और बागियों की वजह से कांग्रेस एक दशक के बाद हरियाणा में वापसी करने में विफल रही। भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा की खींचतान से बीजेपी को बड़ा फायदा मिला। टिकट बंटवारे से लेकर चुनाव प्रचार तक कांग्रेस बंटी नजर आ रही थी। कांग्रेस तीन खेमों में बंट गई थी। इसमें एक खेमा पूर्व सीएम हुड्डा का था तो दूसरा कुमारी सैलजा और तीसरा रणदीप सुरजेवाला का था।

सैलजा-हुड्डा के अलावा इन 4 दिग्गजों का भी हार में हाथ!

सैलजा और हुड्डा के अलावा कांग्रेस के भीतर 4 ऐसे भी दिग्गज हैं, जिनके ऊपर हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनाने की जिम्मेदारी थी, लेकिन जिस तरह से पार्टी की हार हुई है, उससे कहा जा रहा है कि इन नेताओं की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।

1. दीपक बाबरिया- जून 2023 में शक्ति सिंह गोहिल के गुजरात जाने के बाद दीपक बाबरिया को हरियाणा कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया। प्रभारी महासचिव बनने के बाद बाबरिया न तो हरियाणा में कांग्रेस की संगठन तैयार कर पाए और न ही गुटबाजी खत्म कर पाए। इतना ही नहीं, बाबरिया के बयान ने ही कई बार कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी।

2. अजय माकन- कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अजय माकन हरियाणा चुनाव में स्क्रीनिंग कमेटी के प्रमुख थे। कांग्रेस के भीतर टिकट वितरण का काम स्क्रीनिंग कमेटी के पास ही है। कांग्रेस का टिकट वितरण पूरे चुनाव के दौरान विवादों में रहा। आरोप है कि टिकट वितरण में सिर्फ हुड्डा गुट को तरजीह मिली। 89 टिकट में से 72 टिकट कांग्रेस में हुड्डा समर्थकों को दे दी गई। टिकट वितरण के बाद कुमारी सैलजा नाराज होकर प्रचार से दूर हो गई। सैलजा की नाराजगी रिजल्ट पर भी दिखा है।

यही नहीं, राहुल गांधी के कहने पर जब कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से गठबंधन की कवायद शुरू की तो अजय माकन और हुड्डा इसके विरोध में थे। माकन दिल्ली की राजनीति की वजह से शुरू से ही अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी का विरोध कर रहे हैं।

3. अशोक गहलोत- राजस्थान से दिल्ली की तरफ लौटे अशोक गहलोत को कांग्रेस ने हरियाणा का वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया था। कांग्रेस के भीतर पर्यवेक्षक का काम सभी को साथ लेकर चलना, क्राइसिस मैनेजमेंट करना और ग्राउंड की रिपोर्ट से हाईकमान को अवगत कराना होता है। अशोक गहलोत पूरे चुनाव में क्राइसिस मैनेज नहीं कर पाए। कांग्रेस के 29 बागी मैदान में उतर गए, जिसमें से एकाध बागी को ही कांग्रेस मना पाई। अंबाला और जींद में तो कांग्रेस के बागी ने ही पार्टी का खेल खराब कर दिया।

गहलोत पर्यवेक्षक थे, लेकिन सार्वजनिक तौर पर सैलजा और हुड्डा की लड़ाई को रोक नहीं पाए। सैलजा ने आखिर दिन तक मीडिया को इंटरव्यू दिया और हर इंटरव्यू में सीएम पद देने की मांग उठाई.

4. सुनील कनुगोलू-अगस्त 2022 में औपचारिक रूप से कांग्रेस में शामिल होने वाले सुनील कनुगोलू हरियाणा में कांग्रेस की रणनीति देख रहे थे। कहा जाता है कि हरियाणा मांगे हिसाब पदयात्रा का रोडमैप भी कनुगोलू की टीम ने ही तैयार किया था। कनुगोलू के सर्वे को आधार बनाकर ही हुड्डा कैंप ने कई बड़े फैसले हाईकमान से करवाए।

हालांकि, कनुगोलू बीजेपी की रणनीति को समझने में फेल रहे। जमीन पर जिस तरह से बीजेपी ने जाट वर्सेज गैर जाट का फॉर्मूला तैयार किया, उसे भी कनुगोलू की टीम काउंटर नहीं कर पाए।

हुड्डा के हठ से “हाथ” से गया हरियाणा, अब क्या करेगी कांग्रेस?

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हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को लगातार तीसरी बार करारी हार का सामना करना पड़ा है। हरियाणा में कांग्रेस का चूक जाना किसी बड़े झटके से कम नहीं है। क्योंकि एग्जिट पोले से लेकर शुरूआती रूझान भी कांग्रेस के पक्ष में थे। लेकिन कांग्रेस जीतते-जीतते हार गई।कांग्रेस पार्टी को हरियाणा में बीजेपी से सिर्फ 0.85% वोट ही कम आए। बीजेपी को 39.94 प्रतिशत वोट मिले तो कांग्रेस ने भी 39.09 प्रतिशत वोट हासिल किया। यह इस बात की पुष्टि करता है कि हरियाणा में कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना था। फिर भी करारी हार मिली।

पार्टी के अंदर ही कुछ लोग इस हार के लिए हुड्डा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। कांग्रेस हाईकमान ने हुड्डा को चुनाव में टिकट बंटवारे में खुली छूट दी थी। दरअसल, 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की जबरदस्त वापसी हुई थी। कांग्रेस हरियाणा की 5 सीटें जीतने में सफल हुई थी। उस समय हुड्डा को कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा माना जा रहा था।तब हुड्डा के समर्थकों ने दावा किया था कि अगर टिकट बंटवारे की जिम्मेदारी हुड्डा को दी जाती तो कांग्रेस सत्ता में वापस आ जाती। हालांकि, हालिया विधानसभा चुनावों के नतीजों ने कांग्रेस नेतृत्व को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने का मौका दे दिया है।

हुड्डा ने एकतरफा चलते हुए कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला को दरकिनार कर दिया। हुड्डा खेमे ने इन नेताओं को बिना जनाधार वाला बताया और टिकटों से लेकर हर जगह अपनी चलाई। यही नहीं, किरण चौधरी और कुलदीप बिश्नोई जैसे वरिष्ठ नेताओं ने हुड्डा पर पार्टी पर कब्जा करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस छोड़ दी थी।

गठबंधन दलों से नहीं तालमेल नहीं बिठाया

कांग्रेस के दलित-जाट वोट में सेंधमारी के लिए इनेलो-बीएसपी और जेजेपी-आजाद समाज पार्टी के गठबंधन बने तो राहुल ने वोटों का बिखराव रोकने के लिए गठबंधन की सलाह दी। मगर, भूपिंदर हुड्डा ने आम आदमी पार्टी से तालमेल नहीं किया। इसके बाद दीपेंद्र हुड्डा ने सपा को हरियाणा में खारिज कर दिया। विरोधी खेमे ने आरोप लगाया है कि हुड्डा ने विरोधियों को बैठाने की बजाय उनकी मदद की। ताकि इससे सीटें 40 के करीब आएं और निर्दलीय उम्मीदवारों के सहारे वो सीएम बन सकें। सूत्रों के मुताबिक, एक वक्त बीजेपी में नाराज चल रहे अहीरवाल इलाके के बड़े क्षत्रप राव इंद्रजीत को कांग्रेस में लाने के लिए एक खेमे ने हरी झंडी दे दी थी। तब भी हुड्डा ने उनकी जरूरत को खारिज कर दिया। लिहाजा न सपा साथ थी, न राव साथ आए और पूरी बेल्ट में सूपड़ा साफ हो गया।

सैलजा ने भी इशारों-इशारों में लिया हुड्डा का नाम

हरियाणा में कांग्रेस पार्टी का सबसे बड़ा दलित चेहरा कुमारी सैलजा है। उन्होंने चुनाव परिणाम आने के बाद कहा कि सभी अंडे एक ही टोकरी में रखने की नीति कभी सही नहीं मानी जाती है। उनका इशारा उम्मीदवारों के चयन प्रक्रिया में भूपेंद्र सिंह हुड्डा का पूरा दबदबा होने की तरफ है। कांग्रेस को जाटों पर हद से ज्यादा भरोसा करके बाकी जातियों को नजरअंदाज करने की कीमत चुकानी पड़ी है। अब सैलजा कह रही हैं कि शीर्ष नेतृत्व को इस रणनीति पर पुनर्विचार करते हुए हार के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करनी चाहिए। शीर्ष नेतृत्व यह सब कर भी ले तो अब क्या? वो कहते हैं ना- अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।

लगातार तीसरी बार सरकार बनने का रिकॉर्ड

बता दें कि हरियाणा में देवी लाल, भजन लाल, बंशी लाल जैसे दिग्गज नेता हुए, लेकिन प्रदेश के लोगों ने कभी किसी का लगातार तीसरी बार साथ नहीं दिया। कांग्रेस के पास हरियाणा के मतदाताओं के इस माइंडसेट को मजबूत बनाए रखने का मौका था, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाई। उसकी इस नाकामयाबी ने बीजेपी को 54 साल की परंपरा को तोड़कर नया रेकॉर्ड बनाने का अवसर दे दिया। आखिरकार बीजेपी ने हरियाणा में पहली बार लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने का रेकॉर्ड कायम कर लिया।

हरियाणा में जीतते-जीतते कैसे हार गई कांग्रेस? सैलजा, हुड्डा या कोई और वजह

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हरियाणा में बीजेपी ने हैट्रिक लगाई है। भाजपा एक बार फिर सूबे में सरकार बनाती नजर आ रही है। 10 साल से वनवास झेल रही कांग्रेस एक बार फिर सत्ता के करीब आते-आते रह गई।लगभग एग्जिट पोल में कांग्रेस की सरकार बनती हुई दिख रही थी, लेकिन चुनावी नतीजों ने कांग्रेस के अरमानों पर पानी फेर दिया। 60 सीटों पर जीत का दावा करने वाली ओल्ड ग्रैंड पार्टी 40 के नीचे सिमट गई है। इस सियासी जनादेश की वजह से कांग्रेस फिर से 5 साल के लिए सत्ता से दूर हो गई है।

वोटिंग के बाद सामने आए एग्जिट पोल के सर्वे में अनुमान जताया गया था कि हरियाणा में कांग्रेस दमदार तरीके से पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बना सकती है, लेकिन चुनावी नतीजे और रुझान उसके उलट नजर आए। हरियाणा में मोहब्बत की दुकान खोलने वाली कांग्रेस बीजेपी के सियासी समीकरण को पछाड़ने में पूरी तरह से नाकाम रही। हरियाणा में चुनाव परिणाम आने के बाद अब इस सवाल के जवाब तलाशे जा रहे हैं कि कांग्रेस इस चुनाव में क्यों पिछड़ गई?

कांग्रेस की हार के कारण

हुड्डा का पार्टी में एकाधिकार

हरियाणा कांग्रेस में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा पार्टी की हार के सबसे बड़े कारक माने जा रहे हैं। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा का पार्टी में एकाधिकार था। बीते डेढ़-दो साल से हरियाणा कांग्रेस के बड़े फैसले हुड्डा ही ले रहे थे। फिर चाहे प्रदेश अध्यक्ष उदयभान की नियुक्ति हो या लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारा हो, इन सबमें हुड्डा ही अकेले पॉवर सेंटर बनकर उभरे। चुनाव में राहुल गांधी समेत पार्टी के सभी बड़े नेताओं ने हुड्डा पर विश्वास किया, लेकिन अब हरियाणा में लगातार तीसरी बार कांग्रेस की नैया डूब नजर आ रही है।हुड्डा के पसंद के उम्मीदवार को तरजीह

इस बार के विधानसभा चुनाव में भी 90 में से 70 से अधिक सीटें हुड्डा के कहने पर बंटे। टिकट बंटवारे में को लेकर जब दिल्ली में हरियाणा कांग्रेस की बैठक हुई थी तब भी हुड्डा की ही चली थी। कांग्रेस ने सबसे ज्यादा हुड्डा समर्थक उम्मीदवारों को टिकट दिया था। 90 में से करीब-करीब 70 सीटों पर हुड्डा के पसंद वाले उम्मीदवारों को मौका दिया गया। तब कुमारी सैलजा समेत कई नेताओं ने खुले तौर पर तो नहीं लेकिन अंदरूनी रूप से नाराजगी भी जताई थी, लेकिन हाईकमान ने ध्यान नहीं दिया। अब उसका असर चुनाव के नतीजों में देखने को मिल रहे हैं।

दिग्गज नेताओं की नाराजगी

कांग्रेस के दिग्गज नेता कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला टिकट बंटवारे से खुश नहीं थे। दोनों नेताओं ने अपने करीबियों और समर्थकों के लिए प्रचार किया। सूबे की बाकी सीटों पर चुनाव प्रचार करने नहीं गए। कुमारी सैलजा ने लंबे समय तक चुनाव प्रचार से दूरी रखी, इसके बाद वे लौटीं। हालांकि, तब भी कई इंटरव्यूज में सैलजा ने इशारों-इशारों में बताया कि उनकी हुड्डा से बातचीत नहीं है।

गठबंधन दलों को तरजीह नहीं देना

कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के दलों को तरजीह नहीं दी। अहीरवाल बेल्ट में पार्टी ओवर कन्फिडेंस में रही। यहां पर सपा सीट मांग रही थी। हुड्डा ने साफ-साफ कह दिया कि हरियाणा में इंडिया का गठबंधन नहीं होगा। कई सीटों पर आप को भी अच्छे-खासे वोट मिले हैं। चुनाव से पहले आप ने कांग्रेस के सामने गठबंधन का प्रस्ताव रखा था, लेकिन क्षेत्रीय नेताओं के कहने पर कांग्रेस ने हाथ नहीं मिलाया। इसका खामियाजा विधानसभा चुनाव के परिणाम में देखने को मिल रहा है।

हरियाणा में लौट रही कांग्रेस सरकार! अब बढ़ेगा सिरदर्द, कौन बनेगा सीएम- हुड्डा, सैलजा या सुरजेवाला

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हरियाणा में लोगों ने हाथ का साथ दिया है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों की तस्वीर अब धीरे-धीरे साफ होती हुई दिख रही है। शुरुआती रुझानों से ही कांग्रेस पार्टी ने बढ़त बना रखी है। हरियाणा में शुरुआती रुझानों में कांग्रेस की आंधी दिखाई दे रही है। रूझानों की मानें तो कांग्रेस की प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बन रही है। कांग्रेस 10 साल के बाद हरियाणा में वापसी कर रही है। ये कांग्रेस खेमे में बहुत बड़ी जश्न की बात है, हालांकि इसके साथ भी बड़ा सिरदर्द शुरू होने वाला है। सिरदर्द होगा सीएम के सवाल पर। जी हां, सवाल है कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री कौन होगा?

हरियामा में सीएम के कई दावेदार हैं, जो पार्टी आलाकमान की सिरदर्दी बड़ा सकते हैं। इस पद के दोनों प्रमुख दावेदारों भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा ने सोमवार को स्पष्ट किया कि अंतिम फैसला आलाकमान को करना है। हुड्डा और सैलजा ने यह भी कहा कि कांग्रेस आलाकमान का फैसला उन्हें मंजूर होगा।

ये हैं प्रमुख दावेदार

भूपेंद्र सिंह हुड्डा: हरियाणा में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री की रेस में कई नेताओं का नाम चल रहा है। सबसे पहला नाम है भूपेंद्र सिंह हुड्डा का है, जो 10 साल तक हरियाणा के दो बार मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी के लिए जमकर प्रचार किया था। इस दौरान 10 में से पांच सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी।

कुमारी सैलजा: दूसरा नाम इस लिस्ट में कुमारी सैलजा का है, जो एक दलित चेहरा हैं। वह वर्तमान में सिरसा लोकसभा सीट से सांसद हैं और उनका नाम भी सीएम की रेस में शामिल है। उनकी गांधी परिवार से नजदीकी भी जगजाहिर है। वह हरियाणा की प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।

रणदीप सिंह सुरेजवाला: चौथा नाम रणदीप सिंह सुरजेवाला का है। राज्यसभा सांसद और महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला का भी नाम सीएम पद की रेस में शामिल है। इसके अलावा हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष उदय भान के नाम की भी अटकलें लगाई जा रही हैं। बताया जा रहा है कि अगर पार्टी किसी दलित चेहरे के नाम पर आगे बढ़ती है, तो वह भी इस रेस में शामिल हो सकते हैं। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर शनिवार (5 अक्टूबर) को मतदान हुआ था, जबकि नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे।

हरियाणा में वोटों की गिनती शुरू, शुरुआती रुझान में कांग्रेस की धमाकेदार एंट्री

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हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना जारी है। हरियाणा के सभी 22 जिलों की 90 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला आज हो रहा है। 1031 प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में कैद है, जिसपर फैसला आज हो जाएगा। रुझानों में भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर चल रही है। 5 अक्टूबर को वोटिंग खत्म होने के बाद सामने आए एग्जिट पोल के सर्वे में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत के साथ सरकार मिलने का अनुमान जताया गया है। शुरुआती रुझानों में भाजपा ने नौ सीटों पर बढ़त बना रखी है। कांग्रेस पांच पर आगे चल रही है।

हम तीसरी बार सरकार बनाएंगे- सीएम नायब सिंह सैनी

हरियाणा के सीएम और लाडवा विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी उम्मीदवार नायब सिंह सैनी ने कहा, “आज मतगणना का दिन है और मुझे पूरा विश्वास है कि पिछले दस वर्षों में बीजेपी सरकार द्वारा किए गए कार्यों के परिणामस्वरूप हम तीसरी बार हरियाणा में सरकार बनाएंगे। हमारी सरकार हरियाणा के लोगों की सेवा करती रहेगी। कांग्रेस सत्ता के लिए काम करती है, बीजेपी सेवा के लिए काम करती है।

हुड्डा परिवार जीत पर बांटेगा लड्डू और जलेबी, दिया बड़ा ऑर्डर

हरियाणा चुनाव के रिजल्ट को लेकर कांग्रेस उत्साहित नजर आ रही है। उसने इसके लिए खास तैयारी की है। हुड्डा परिवार ने लड्डुओं के साथ ही जलेबी का भी ऑर्डर दिया। गोहाना के प्रसिद्ध मातूराम हलवाई जलेबी का ऑर्डर दिया गया। जीत की तरफ बढ़ने पर लड्डू के साथ रोहतक और दिल्ली में गोहाना के मातूराम हलवाई की प्रसिद्ध जलेबी बंटेगी। रिजल्ट आने के बाद एक डिब्बा जलेबी हुड्डा परिवार मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को भी भेजेगा।

रुझान में हरियाणा में कांग्रेस को बहुमत, मुरझाया “कमल”

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हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती जारी है। शुरुआती रुझानों में हरियाणा में कांग्रेस ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। रूझानों के अनुसार, शुरुआती रुझानों में हरियाणा में कांग्रेस को बहुमत मिल गया है। कांग्रेस 49 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं भाजपा ने 21 और अन्य 9 सीटों पर आगे चल रही हैं।

रणदीप सुरजेवाला के घर कैथल में कार्यकर्ता जोश में। स्क्रीन पर रिजल्ट देख रहे हैं और तालियां बजा कर जश्न मना रहे हैं। कैथल विधानसभा सीट से रणदीप सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला आगे चल रहे हैं। वहीं कुरुक्षेत्र की तीन सीटों पर कांग्रेस आगे चल रही है।

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नततीजों पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “हमें पूरा भरोसा है कि आज पूरे दिन हमें लड्डू और जलेबी खाने को मिलेगी, हम प्रधानमंत्री मोदी को भी जलेबी भेजने वाले हैं। हमें पूरा भरोसा है कि हम जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं।”

कौन-कहां से आगे

• अंबाला कैंट से बीजेपी उम्मीदवार अनिल विज पिछड़ गए हैं.

• ऐलानाबाद से अजय चौटाला आगे चल रहे हैं.

• आदमपुर सीट भव्य विश्नोई आगे हैं.

• फरीदा बाद से लखन सिंगला आगे

• अटेली से बीजेपी की आरती सिंह आगे

• भूपेंद्र सिंह हुड्डा आगे चल रहे हैं.

• कुरुक्षेत्र की तीन सीट से कांग्रेस आगे

• सीएम नायब सैनी लाडवा से पीछे हो गए है.

• हिसार से निर्दलीय प्रत्याशी सावित्री जिंदल आगे चल रही हैं.

• उचाना से दुष्यंत चौटाला पीछे चल रहे हैं.

हरियाणा में हैट्रिक से चूकी बीजेपी! क्या किसानों-जवानों-पहलवानों की नारजगी का असर*
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हरियाणा के चुनाव नतीजे आने में बस 24 घंटे रह गए हैं। राज्य में 8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे। इससे पहले हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को सभी 90 सीटों पर वोटिंग हुई।वोटिंग के बाद एग्जिट पोल के नतीजे भी सामने आ गए हैं। एग्जिट पोल्स ने हरियाणा में कांग्रेस की बड़ी जीत का अनुमान लगाया है। किसी भी सर्वे में बीजेपी बढ़त बनाते हुए नहीं दिखी। एग्जिट पोल के अनुसार हरियाणा में बीजेपी सत्ता से बाहर जाती दिख रही है। एग्जिट पोल के अनुसार प्रदेश में 10 साल बाद कांग्रेस दमदार वापसी करती दिख रही है। सी-वोटर, मैट्रीज, जीस्ट, ध्रुव, दैनिक भास्कर और पी-मार्कयू एग्जिट पोल में कांग्रेस आसानी से बहुमत हासिल करती नजर आ रही है। पोल ऑफ पोल में कांग्रेस को 54 सीट, बीजेपी को 26, जेजेपी और आईएनएलडी को एक-एक सीट मिलती दिख रही है। ऐसे में सवाल है आखिर बीजेपी प्रदेश में सत्ता की हैट्रिक लगाने से कहां चूक गई। राजनीति के जानकारों की मानें तो भाजपा को इस चुनाव में किसान, जवान, पहलवान जैसे मुद्दों की वजह से नुकसान हुआ। किसान आंदोलन की वजह से किसान भाजपा से नाराज थे। पहलवाल के साथ हुए विवाद का भी खासा असर पड़ा और अग्निवीर योजना भी भाजपा के गले की फांस बन गई। *किसानों- जाटों की नाराजगी पड़ी भारी* किसान आंदोलन को लेकर बीजेपी का रुख और केंद्र सरकार का रवैया बीजेपी की हार की अहम वजह में से एक है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार किसानों के मुद्दे पर सरकार बुरी तरह से असफल रही। जानकारों के अनुसार बीजेपी ने किसानों के आंदोलन को बिल्कुल असंवेदनशील तरीके से दबाने की कोशिश की। तीन कृषि कानूनों को लेकर राज्य के किसानों ने उसी तरह की नाराजगी दिखाई थी, जैसी पंजाब के किसानों ने। ध्यान देने लायक है कि किसान आंदोलन के दौरान राज्य के मंत्रियों को कई जगहों पर किसानों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा था। पंजाब की ही तरह यहां किसान परिवारों की संख्या अच्छी भली है। किसान भी ऐसे हैं जिनके लिए खेती आमदनी का अहम जरिया है। इसके अलावा पार्टी को जाटों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा। लोकसभा चुनाव में इसकी झलक दिख गई थी। इसके बावजूद पार्टी की तरफ से इससे निपटने के प्रयास नाकाफी साबित हुए। किसानों में जाट वोटरों की संख्या भी ठीक ठाक है। हरियाणा में जाट बीजेपी के स्वाभाविक वोटर भी नहीं रहे हैं। *अग्निवीर पर आक्रोश* किसानों की इस नाराजगी को सेना में नियमित भर्ती की जगह अग्निवीर योजना से और हवा मिली। हरियाणा वो राज्य है जिसकी देश की आबादी में हिस्सेदारी महज 2 फीसदी के आस-पास है। जबकि सेना में इसकी हिस्सेदारी 5 फीसदी से कुछ ज्यादा होती है। राज्य की आबादी के हिसाब से ये बहुत बड़ी और प्रभावी संख्या है। अग्निवीर की व्यवस्था लागू होने किए जाने के केंद्र के फैसले से जो राज्य सबसे ज्यादा नाराज हुए हैं उनमें हरियाणा प्रमुख है। हरियाणा के युवाओं को ये बात गले से नहीं उतरती कि पांच साल की सेवा के बाद रिटायर अग्निवीर को सरकार ने पैरामिलिट्री और दूसरी जगहों पर नौकरियां देने का वायदा कर रखा है। *पहलवानों का दाव* राज्य के पहलवानों के साथ जिस तरह से जंतर-मंतर पर सलूक हुआ उसका असर भी चुनाव में देखने को मिला। राज्य में पहलवानों के अनदेखी बीजेपी को भारी पड़ी। साक्षी मलिक के साथ विनेश फोगाट ने उस समय के कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह के विरोध में आवाज उठाई। ये मामला किसी न किसी रूप से हरियाणा के लिए बड़ा सवाल था। यही वो राज्य है जहां के पहलवान मेडल जीत कर दुनिया भर में भारत का नाम उंचा करते हैं। पेरिस ओलंपिक की घटना के बाद विनेश जब लौट कर भारत में आईं तब भी बीजेपी ने पार्टी के स्तर पर उनके आंसू पोछने का कोई ऐसा काम नहीं किया, जिससे हरियाणा के वोटरों के जख्मों पर मरहम लगाने जैसा काम किया गया हो। उल्टे विनेश और उनके साथ बजरंग पूनिया पहलवान कांग्रेस के पाले में चले गए। दोनों रेलवे की सरकारी नौकरी छोड़ कर सीधी लड़ाई में आ गए थे। कांग्रेस ने उन्हें टिकट दे कर चुनाव लड़ाया। *बागियों ने बिगाड़ा खेल* इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी का खेल बिगाड़ने में बागी भी एक फैक्टर रहे। राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के मिशन में जुटी भाजपा की टेंशन बढ़ाए रखी। बीजेपी सांसद नवीन जिंदल की मां ने पार्टी से टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर हिसार से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। पार्टी के दिग्गज नेता, प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और राज्य सरकार में मंत्री रह चुके रामबिलास शर्मा ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबी राजीव जैन ने भी पत्नी कविता जैन का टिकट काटे जाने से नाराज होकर सोनीपत से निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया। फरीदाबाद से भाजपा के पूर्व विधायक नागेंद्र भड़ाना ने आईएनएलडी-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार के तौर चुनाव लड़ा।
सहवाग बने कांग्रेस के “खेवनहार”, हरियाणा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी अनिरुद्ध चौधरी के लिए मांगा वोट

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हरियाणा में 5 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। आज चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है। शाम को 6 बजे चुनाव प्रचार का शोर थम जाएगा। इस बीच कोई भी उम्मीदवार अपने प्रचार-प्रसार में कमी नहीं छोड़ना चाहता। इसी कड़ी में बुधवार को पूर्व किक्रेटर वीरेंद्र सहवाग हरियाणा के तोशाम पहुंचे। यहां उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार अनिरुद्ध चौधरी के लिए वोट मांगे।

सहवाग को क्रिकेट की दुनिया में अपनी धमाकेदार बल्लेबाजी के लिए जाना जाता था। साथ ही उनकी हाजिरजवाबी का भी हर कोई कायल है। ऐसे में जब सहवाग कांग्रेस कैंडिडेट के लिए चुनाव प्रचार करने पहुंचे तो ठेठ हरियाणी में लोगों को ध्यान खींचा।सहवाग ने कहा कि लठ गाड़ रखा, इतनी आवाज तो स्टेडियम में ना आई जितनी अड़े आण लाग री है। अब ये आवाजा अनिरुद्ध चौधरी तक भी पहुंचेगी। अर अनिरुद्ध चौधरी ने आप लेके जाओंगे विधानसभा। चंडीगढ़ बैठाओंगे। मैं तो बस अपने बुजुर्गों से, ताऊ और ताइयां ने भाई-बहणा ते और सब ते कि 5 तारीख ने जब वोट डालन जाओ तब 1 नंबर पर अनिरुद्ध चौधरी का नाम आवेगा। बटन दबा के...मान लोंगे मेरी बात। अगर तम मान गए तो बाकी सब मान गए...राम-राम भाइयों।

वीरेंद्र सहवाग का ये वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। जिसमें वह जनता से अनिरुद्ध चौधरी के लिए वोट मांगने की अपील करते हुए दिख रहे हैं। इस दौरान वीरेंद्र सहवाग ने कहा कि वे अपना फर्ज निभाने आएं हैं। जब कोई बड़ा भाई कोई काम करता है तो सभी को मिलकर उसकी मदद करनी होती है। सहवाग ने कहा कि अनिरुद्ध चौधरी ने जनता से जो वादे किए हैं, वो उन्हें जरूर पूरा करेंगे, क्योंकि उनके पास एडमिनिस्ट्रेशन चलाने का एक्सपीरियंस है।

तोशाम सीट पर भाई-बहन के बीच मुकाबला

बता दें कि तोशाम सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी और पोते अनिरुद्ध चौधरी के बीच मुकाबला है। श्रुति चौधरी, अनिरुद्ध चौधरी की चचेरी बहन हैं। श्रुति, किरण चौधरी की बेटी हैं तो वहीं अनिरुद्ध चौधरी बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष रणवीर सिंह महेंद्रा के बेटे हैं। इससे पहले श्रुति चौधरी भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से सांसद रह चुकी हैं।

*हरियाणा चुनाव के लिए बीजेपी ने जारी की उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट, जानें विनेश फोगाट के खिलाफ किसे उतारा

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हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की है। दूसरी लिस्ट में 21 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की गई है। दूसरी लिस्ट के साथ ही बीजेपी ने हरियाणा की 90 में से 88 सीटों पर उम्मीवार घोषित कर दिए। पहली लिस्ट में 67 सीटों पर कैंडिडेट्स के ऐलान किए गए थे। हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटें हैं। सूबे में 5 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। 8 अक्टूबर को वोटों की गिनती होगी।

फोगाट के खिलाफ “खेलेंगे” योगेश बैरागी

बीजेपी ने दूसरी लिस्ट में दो मुस्लिम उम्मीदवार को भी टिकट दिया है। फिरोजपुर झिरका सीट से नसीम अहमद और पुन्हाना सीट से ऐज़ाज़ खान को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। जुलाना सीट पर कैप्टन योगेश बैरागी को बीजेपी ने चुनावी मैदान में उतारा है। यहां से कांग्रेस के टिकट पर पहलवान विनेश फोगाट मैदान में हैं। वहीं, पार्टी ने नारायणगढ़ से पवन सैनी, पेहोवा से जय भगवान, पुंडरी से सतपाल जाम्बा, असंध से योगेंद्र राणा, गनौर से देवेंद्र कौशिक, राई से कृष्णा गहलावत, बरोदा से प्रदीप सांगवान, नरवाना से कुष्ण कुमार बेदी को टिकट दिया है।

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का टिकट कटा

बीजेपी ने दूसरी सूची में मौजूद प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बाडौली का टिकट काट दिया है। बडौली 2019 में सोनीपत जिले की राई सीट से जीते थे। पार्टी ने यहां से कृष्णा गहलावत को उतारा है। इसके साथ बीजेपी ने पहलवान विनेश फोगाट के उतरने से चर्चा में आई जुलाना सीट से कैप्टन योगेश बैरागी को उतारा है। पार्टी ने बड़ा उलटफेर करते हुए राज्य मंत्री संजय सिंह को सोहना की बजाए नूंह से उतार दिया है। नूंह से कांग्रेस के दिग्गज नेता आफताब अहमद विधायक है।