पुणे में फैली रहस्यमयी बीमारी का कहर: जानें क्या है गुलियेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) और इसके लक्षण

महाराष्ट्र के वेस्टर्न रीजन पुणे में एक रहस्यमयी बीमारी ने सबको डरा रखा है. ये बीमारी पिछले एक सप्ताह से पुणेकर में फैली हुई है. इस रहस्यमयी बीमारी का नाम गुलियेन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barré Syndrome) यानी GBS बताया जा रहा है. पुणे में अब तक इस बीमारी से 70 से ज्यादा लोग अस्पताल हैं भर्ती हैं, जिसमे 15 से ज्यादा मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रख गया है.

इस गंभीर बीमारी को लेकर पुणे महानगर पालिका ने एडवायसरी जारी की है. मनपा कमिश्नर राजेन्द्र भोंसले ने पुणे के कमला नेहरू अस्पताल में इस बीमारी से पीड़ित मरीजों का इलाज मुफ्त में करवाने का निर्णय लिया है. महाराष्ट्र सरकार ने पुणे के किसी भी निजी अस्पताल में इलाज करवाने वाले मरीजों को 2 लाख तक सरकारी मेडिकल इंश्योरेंस देने का भी ऐलान किया है.

70 से ज्यादा लोग बीमार

पुणे में इस बीमारी के कारण 70 से ज्यादा लोगों के बीमार होने की खबर है, जिनमें से 12 से ज्यादा लोग वेंटिलेटर पर हैं. मामला गंभीर है क्योंकि मरीज पुणे के आसपास के हलकों से भी पुणे इलाज करवाने आ रहे हैं. संदेह जताया जा रहा है कि इसका संबंध कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया से है, जो पानी या खाने के जरिए फैल सकता है.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

विशेषज्ञों का कहना है कि ये एक दुर्लभ लेकिन गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी की स्थिति है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से पेरिफेरल नर्वस सिस्टम पर अचानक हमला करने लगता है. इसकी चपेट में आने से मरीज की मांसपेशियों में कमजोरी आने लगती है. शरीर में झुनझुनी पकड़ लेती है और यहां तक कि लकवे जैसी स्थिति हो सकती है. उनका कहना है किये बीमारी पेट के संक्रमण से शुरू होकर पूरे नर्वस सिस्टम पर अपना कब्जा कर लेती है.

गुलियेन-बैरे सिंड्रोम के कारण

बताया जाता है कि ये बीमारी कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया है. यह एक सामान्य कारण है, जो आमतौर पर खाने या पीने के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है. यह फूड पॉइजनिंग और डायरिया के मामलों में देखा जाता है. इसी तरह हैजा, कालरा जैसी संक्रमण की बीमारियों में भी यही लक्षण देखे जाते हैं. बेसिकली ये एक वायरल संक्रमण है, जैसे फ्लू, जीका वायरस, एपस्टीन-बार वायरस या साइटोमेगालोवायरस जैसे वायरस भी इस बीमारी को ट्रिगर कर सकते हैं. ऐसा भी बताया जा रहा है कि कुछ मामलों में टीकाकरण या सर्जरी के बाद यह स्थिति विकसित हो सकती है.

ये हैं लक्षण, इलाज और बचाव

इस संक्रमण के मुख्य लक्षणपैरों और हाथों में झुनझुनी या सुन्नता,मांसपेशियों में कमजोरी जो पैरों से शुरू होकर शरीर के ऊपरी हिस्सों तक पहुंचती है. चलने, बोलने, चबाने और सांस लेने में कठिनाई. गंभीर मामलों में सांस लेने के लिए वेंटिलेटर की आवश्यकता शामिल हैं.इस संक्रमण में अब तक जो कारगर इलाज सामने आया है, उनमें मरीज का प्लाज्मा फेरिसिस करवाना, इसमें ब्लड प्लाज्मा को बदला जाना, इम्यूनोग्लोबुलिन थेरेपी (IVIG), और फिजियोथेरेपी शामिल हैं.

हेल्थ एक्सपर्ट ने इस बीमारी से बचने के लिए उपाय बताए हैं, जिनमें साफ और शुद्ध पानी पीना, अच्छी तरह से पका हुआ भोजन, हाइजीन का ध्यान रखना और संक्रमण से बचने के उपाय अपनाना. साथ हीअगर आपको या किसी को भी उपरोक्त लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

क्या है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम? भारत के इस शहर में फैली ऐसी बीमारी

#guillain_barre_syndrome_in_pune

पुणे में गुलियन-बैरे सिंड्रोम नाम की बीमारी ने चिंता बढ़ा दी है। स्वास्थ्य महकमे से लेकर आम लोग इसको लेकर तनाव में हैं। पुणे में गुलियन-बैरे सिंड्रोम के 24 संदिग्ध मामले सामने आए हैं। जिसके बाद महाराष्‍ट्र सरकार एक्‍शन मोड में नजर आ रही है। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने इस बीमारी के मामलों में अचानक वृद्धि की जांच के लिए एक टीम गठित की है।सभी के ब्लड सैंपल आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ( एनआईवी) में जांच के लिए भेजे गए है।

राज्‍य के एक अधिकारी ने बताया कि पुणे नगर निगम (पीएमसी) के स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों के नमूने जांच के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (आईसीएमआर-एनआईवी) को भेजे हैं। नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि इनमें से अधिकतर मामले शहर के सिंहगढ़ रोड इलाके से सामने आए। चिकित्सकों के अनुसार, गुलियन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ विकार है, जिसमें अचानक सुन्नता और मांसपेशियों में कमजोरी हो जाती है। इसके साथ ही इस बीमारी में हाथ पैरों में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण भी होते हैं।

दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में मेडिसिन विभाग में डॉ अजीत कुमार बताते हैं कि यह न्योरोलॉजिक बीमारी है। जो लाखों में किसी एक मरीज में होती है। स्वाइन फ्लू के तरह इस बीमारी के लक्षण होते हैं। जिसमें सर्दी, जुकाम और तेज बुखार आता है। इस बीमारी में शरीर की इम्यूनिटी ही नसों पर हमला करने लगती है। यह एक अस्थायी बीमारी है, लेकिन कुछ मामलों में यह घातक भी हो सकती है। इससे संक्रमित होने पर हाथों और पैरों में झुनझुनी और कमज़ोरी, दर्द होने लगता है। अगर ये कंट्रोल न हो तो ब्रेन पर भी असर हो सकता है।

इस बीमारी से ठीक होने में लगने वाला समय अलग-अलग होता है, ज़्यादातर लोग कुछ हफ़्तों से लेकर महीनों में ठीक हो जाते हैं। लगभग 80% लोग पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, जबकि 15% में कमज़ोरी रह सकती है और 5% को गंभीर जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। समय रहते इलाज ही इसका उपाय है।

জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল ভ্রমণে ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত সহ পাঁচ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল
# A five-member_ delegation_ including _the Ambassador of France _visited _the Garumara forest _in Duars, _Jalpaiguri



এসবি নিউজ ব্যুরো: জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের জঙ্গলের যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতে ফ্রান্সের এক প্রতিনিধি দল ঘুরলেন জঙ্গলে। মঙ্গলবার ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত থিয়ারি ম্যাথিউয়ের নেতৃত্বে ৫ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল গরুমারায় এসেছিলেন। তাঁরা জানান,ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল কীভাবে পরিচালিত হচ্ছে? জঙ্গলের বন ও বুনোরা কেমন আছে? বন দপ্তরের সঙ্গে জঙ্গল লাগোয়া এলাকার বাসিন্দাদের সম্পর্কই বা কেমন? এইসব যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতেই তাদের এই সফর।ফ্রান্সের এই প্রতিনিধি দল ডুয়ার্সের মূর্তি ও জলঢাকা নদী দেখার পাশাপাশি সেখানে থাকা কুনকিদের পর্যবেক্ষণ ও তাদের সারাদিনের বিভিন্ন কাজকর্ম সম্পর্কে বন দপ্তরের আধিকারিক ও মাহুতদের কাছ থেকে তথ্য সংগ্রহ করেন। ফ্রান্সের এই দলের সঙ্গে উত্তরবঙ্গ বন্যপ্রাণী বিভাগের বনপাল ভাস্কর জেভি, গরুমারা ও জলপাইগুড়ি বনবিভাগের দুই ডিএফও দ্বিজপ্রতীম সেন, বিকাশ ভি, গরুমারা সাউথ রেঞ্জের রেঞ্জার সুদীপ দে ছাড়াও বন দপ্তরের অন্যান্য আধিকারিকরা উপস্থিত ছিলেন। মেদলার পর, গরুমারা যাত্রা প্রসাদ নজর মিনার হয়ে এই প্রতিনিধি দলটি বিকেলে চলে আসে গরুমারার ধূপঝোরা এলিফ্যান্ট ক্যাম্পে। সেখানে বন দপ্তরের আধিকারিকরা এই প্রতিনিধি দলকে কুনকি হাতির পিঠে চাপিয়ে জঙ্গলের আনাচে-কানাচে ঘোরান। এখান থেকে ফিরে তাঁরা স্থানীয় আদিবাসী নৃত্যগোষ্ঠীর নৃত্যও উপভোগ করেন। সেইসাথে কথা বলেন জয়েন্ট ফরেস্ট ম্যানেজমেন্ট কমিটির সদস্যদের সঙ্গেও। ভবিষ্যতে গরুমারার উন্নয়নে তাঁরা সহযোগিতা করবেন বলে আশ্বাস দিয়েছেন বলে বনদপ্তর সূত্রে জানা গিয়েছে।

জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল ভ্রমণে ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত সহ পাঁচ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল
# A five-member_ delegation_ including _the Ambassador of France _visited _the Garumara forest _in Duars, _Jalpaiguri



এসবি নিউজ ব্যুরো: জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের জঙ্গলের যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতে ফ্রান্সের এক প্রতিনিধি দল ঘুরলেন জঙ্গলে। মঙ্গলবার ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত থিয়ারি ম্যাথিউয়ের নেতৃত্বে ৫ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল গরুমারায় এসেছিলেন। তাঁরা জানান,ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল কীভাবে পরিচালিত হচ্ছে? জঙ্গলের বন ও বুনোরা কেমন আছে? বন দপ্তরের সঙ্গে জঙ্গল লাগোয়া এলাকার বাসিন্দাদের সম্পর্কই বা কেমন? এইসব যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতেই তাদের এই সফর।ফ্রান্সের এই প্রতিনিধি দল ডুয়ার্সের মূর্তি ও জলঢাকা নদী দেখার পাশাপাশি সেখানে থাকা কুনকিদের পর্যবেক্ষণ ও তাদের সারাদিনের বিভিন্ন কাজকর্ম সম্পর্কে বন দপ্তরের আধিকারিক ও মাহুতদের কাছ থেকে তথ্য সংগ্রহ করেন। ফ্রান্সের এই দলের সঙ্গে উত্তরবঙ্গ বন্যপ্রাণী বিভাগের বনপাল ভাস্কর জেভি, গরুমারা ও জলপাইগুড়ি বনবিভাগের দুই ডিএফও দ্বিজপ্রতীম সেন, বিকাশ ভি, গরুমারা সাউথ রেঞ্জের রেঞ্জার সুদীপ দে ছাড়াও বন দপ্তরের অন্যান্য আধিকারিকরা উপস্থিত ছিলেন। মেদলার পর, গরুমারা যাত্রা প্রসাদ নজর মিনার হয়ে এই প্রতিনিধি দলটি বিকেলে চলে আসে গরুমারার ধূপঝোরা এলিফ্যান্ট ক্যাম্পে। সেখানে বন দপ্তরের আধিকারিকরা এই প্রতিনিধি দলকে কুনকি হাতির পিঠে চাপিয়ে জঙ্গলের আনাচে-কানাচে ঘোরান। এখান থেকে ফিরে তাঁরা স্থানীয় আদিবাসী নৃত্যগোষ্ঠীর নৃত্যও উপভোগ করেন। সেইসাথে কথা বলেন জয়েন্ট ফরেস্ট ম্যানেজমেন্ট কমিটির সদস্যদের সঙ্গেও। ভবিষ্যতে গরুমারার উন্নয়নে তাঁরা সহযোগিতা করবেন বলে আশ্বাস দিয়েছেন বলে বনদপ্তর সূত্রে জানা গিয়েছে।

না মাটি, না পাথর, না কাঠ.. 8.5 ফুট উঁচু এবং 350 কেজি ওজনের বজরংবলীর মূর্তি বসছে গুজরাটের গোধরায়
#Bajrangbali _idol _in _Godhra Gujarat

এসবি নিউজ ব্যুরো: মধ্যপ্রদেশের ইন্দোরের শিল্পী স্ক্র্যাপ মেটাল থেকে হনুমানজির অনন্য মূর্তি তৈরি করছেন। গতকাল  সারাদেশে পালিত হয়েছে হনুমান জন্মোৎসব। সকাল থেকেই হনুমানজির মন্দিরে ভক্তদের উপচে পড়া ভিড় লক্ষ্য করা যায়। জানা গিয়েছে,8.5 ফুট উঁচু এবং 350 কেজি ওজনের বজরংবলী মূর্তি তৈরি হচ্ছে সম্পূর্ণ স্ক্র্যাপ মেটালে। ইন্দোরের শিল্পী দেবল ভার্মার তৈরি এঈ মূর্তিটি আগামী মাসে গুজরাটের গোধরায় স্থাপন করা হবে। দেবাল ভার্মা বলেন, 'আমরা গত 7-8 বছর ধরে স্ক্র্যাপ-মেটাল আর্ট নিয়ে কাজ করছি। আমরা স্ক্র্যাপ ধাতু থেকে প্রত্নবস্তু তৈরি সহ অর্ডার অনুযায়ী মূর্তি তৈরি করুন। গোধরা থেকে একটা অর্ডার এসেছিল। সাধারণত ক্লায়েন্ট আমাদের স্থান দেখায় এবং সেখানে কী থাকা উচিত সে সম্পর্কে পরামর্শ চায়।তাকে ঈশ্বরের মূর্তি স্থাপন করতে বলা হয়েছিল। তারা আমাদের কাছে জানতে চেয়েছিল কোন মূর্তি তৈরি করা উচিত এবং কীভাবে তৈরি করা উচিত। আমরা তাকে হনুমানজির মূর্তি বসানোর পরামর্শ দিয়েছিলাম। তারপর হনুমানজির মূর্তির নকশা করি।" দেবল ভার্মা আরও বলেন, 'প্রথমত, এটি বজরঙ্গবলীর মূর্তি এবং আমরা স্ক্র্যাপ থেকে কাজ করছি। মানে এটি শুধুমাত্র স্ক্র্যাপ থেকে তৈরি করা উচিত ছিল। কিন্তু এটি এমন ছিল, আমরা সাধারণত যা করি তার থেকে ভিন্ন কিছু করতে হয়েছে ।তার মানে আমরা মূর্তিটা একটু অন্যরকম করব। আমরা এটিতে প্রচুর পিতল এবং স্টেইনলেস স্টিল রাখি। ডিজাইন করতে  2-3 মাস লেগেছে বজরঙ্গবলীজির এই মূর্তিটি ডিজাইন করতে আমাদের 2-3 মাস লেগেছে। প্রস্তাবনা-মাত্রা নকশা সেট. নকশা চূড়ান্ত হওয়ার পর, আমরা মূর্তিটি যে উপাদান থেকে তৈরি করা হবে তা অনুসন্ধান শুরু করেছি। স্ক্র্যাপ খুঁজে পেতে অনেক সময় লাগে। মূর্তিটিতে আছে পিতলের প্যান, প্লেট এবং স্টেইনলেস স্টিলের পাইপ। এসএস শিটও স্থাপন করা হয়। গাড়ির স্প্রিং এবং গিয়ার বিয়ারিং বিভিন্ন ধরনের স্ক্র্যাপ থেকে তৈরি করা হয়। হনুমান চালিসা হনুমানজির মূর্তি বানাতে আমরা হনুমান চালিসার অনুবাদও করেছি। তাদের বৈশিষ্ট্য কি? যেমন, 'কান্ধে মুঞ্জ জেনেউ সাজাই', অর্থাৎ কীভাবে পবিত্র সুতো পরানো হয়। তাহলে কানে দুল কেন? সে রকম ডিটেইলিং করা হয়েছে। প্রায়ই বলেন কথিত আছে, শ্রী রাম জানকী বজরঙ্গবলী জির বুকে বসে আছেন। তাই আমরা একটি অনুরূপ স্কেচ তৈরি করেছি, ডিজিটালভাবে এটি পিতলের মধ্যে খোদাই করেছি, একটি দুল তৈরি করে তার বুকে স্থাপন করেছি। এই ধরনের ডিটেইলিং করা হয়েছে। হনুমানজির মূর্তি তৈরির ক্ষেত্রে সবচেয়ে বড় চ্যালেঞ্জটি হল বজরঙ্গবলী জির শরীর একেবারে সুস্থ। হনুমানজি শক্তিশালী। সেই সঙ্গে হনুমানজির মুখও খুব কোমল। মুখে সেই স্নিগ্ধতা ওভদ্রতা আনা ছিল একটি বড় চ্যালেঞ্জ। স্টেইনলেস স্টিল, ব্রাস, মাইল্ড স্টিল ব্যবহার করা হয়েছে। উদাহরণস্বরূপ, যদি এটি একটি পিতলের প্লেট হয় তবে এটি কোথায় ব্যবহার করা হবে এবং কীভাবে এটি ব্যবহার করা হবে তা কেটে কেটে লাগানো হয়েছে। মূর্তিটি তৈরি করতে কত সময় লেগেছে? বজরংবলী জির এই মূর্তিটি তৈরি করতে মোট 1 বছর সময় লেগেছে। ডিজাইন থেকে উপাদান সংগ্রহ থেকে চূড়ান্ত উত্পাদন পর্যন্ত। অর্ডারটি গত ফেব্রুয়ারিতে আমাদের কাছে এসেছিল এবং চলতি বছরের মার্চে মূর্তিটি তৈরি হয়। এই মূর্তি তৈরিতে আমাদের ৪ জনের দল কাজ করেছে। আমি দেবল ভার্মা, চিফ মেকানিক্যাল ইঞ্জিনিয়ার ফাইজান খান, চিফ ওয়েল্ডার রাজেশ ঝা এবং হেল্পার অর্জুন। ইন্দোরে আমাদের ডিজাইন স্টুডিওতে এই মূর্তিটি তৈরি করা হয়েছে। গোধরায় বাসস্ট্যান্ডের কাছে শ্রীসারভাত রেস্তোরাঁয় এই মূর্তি স্থাপন করা হবে। এই মূর্তি তৈরি করার সময় হনুমানজির সামনে সবচেয়ে বড় চ্যালেঞ্জ ছিল আবেগ আনতে হয়েছে। কারণ, স্ক্র্যাপ উপাদান থেকে কিছু তৈরি করা এবং তার মধ্যে অভিব্যক্তি আনা সবচেয়ে চ্যালেঞ্জিং কাজ। লোকেরা যখন এই মূর্তিটি দেখে, তখন তাদের মনে হয় যেন বজরঙ্গবলী জি তাদের দেখছেন। মানুষ আমাদের তাই বলেছে। প্রিভিউ দেখে অনেকেই বজরঙ্গবলীজির মূর্তির সামনে কেঁদেছিলেন। হনুমানজির দাড়িতে স্টেইনলেস স্টিলের তার লাগানো আছে। গদাটি পিতলের মাথা দিয়ে তৈরি। মুকুট উপর ঘূর্ণিত। নিচে চশমা পিতলের তৈরি। মুকুটের পিছনে সেলাই মেশিনের চাকা।
#:Today Ramlala's_ Suryaavishek _took _place _in Ayodhya *আজ অযোধ্যায় রামলালার সূর্যাভিষেক হল*

#:Today Ramlala's_ Suryaavishek _took _place _in Ayodhya

এসবি নিউজ ব্যুরো: অযোধ্যায় রামনবমীতে রামলালের রামলালার সূর্যাভিষেক হল। ভগবান রামের মাথার অলৌকিক দৃশ্য দেখে সারা দেশের মানুষ আবেগাপ্লুত।আধ্যাত্মিকতা ও বিজ্ঞানের মিলনের এক মনোরম দৃশ্য আজ দেখা গেল অযোধ্যায়। রামনবমীর বিশেষ দিন উপলক্ষ্যে, অযোধ্যার রাম মন্দিরে যখন ভগবান শ্রীরামের কপালে সূর্য তিলক লাগানো হয়েছিল তখন একটি অপূর্ব দৃশ্য দেখা যায়। এই সূর্যাভিষেক দুপুর ১২.০১ মিনিটে শুরু হয়ে প্রায় পাঁচ মিনিট ধরে চলে। এই ঘটনাসারা বিশ্ব কৌতূহল নিয়ে দেখছে, আজ ৫০০ বছর পর অযোধ্যা ও দেশের মানুষের জন্য এই বিশেষ সুযোগ এসেছে। রাম মন্দির প্রতিষ্ঠার পর এটাই প্রথম রাম নবমী। অযোধ্যায় রামনবমী উপলক্ষ্যে, সূর্যের রশ্মি দ্বারা রামলালার তিলক করা হয়। এই উপলক্ষ্যে রামলালার বিশেষ মেকআপও করা হয়েছিল। 500 বছর পর, এই সূর্যাভিষেকের সময় রামলালা মূর্তির সূর্যাভিষেক হয়েছিল প্রায় 4 থেকে রামলালার মূর্তির মাথায় সূর্য তিলক লাগানো হয় ৬ মিনিটের জন্য। সূর্যের আলো রামলালার ওপর এমনভাবে পড়ল যেন ভগবান রামের গায়ে সূর্য তিলক লাগানো হয়েছে। এই দৃশ্যটি সকলের মনকে মোহিত করেছে ।বিজ্ঞানীরা বহু মাস ধরে এই সূর্য তিলকের জন্য প্রস্তুতি নিচ্ছিলেন। এর জন্য অনেক ট্রায়াল করা হয়েছিল। আজ দুপুরে ঘড়ির কাঁটা 12:01 বাজতেই সূর্যের রশ্মি সরাসরি রামের কপালে এসে পৌঁছায়। 12:01 থেকে 12:06 পর্যন্ত সূর্যাভিষেক চলতে থাকে। পাঁচ মিনিট ধরে চলতে থাকে এই প্রক্রিয়া। বিজ্ঞানীরা গত 20 বছরে অযোধ্যার আকাশে সূর্যের গতিবিধি অধ্যয়ন করেছেন। সঠিক দিকনির্দেশ ইত্যাদি নির্ধারণের পর মন্দিরের উপরের তলায় প্রতিফলক ও লেন্স স্থাপন করা হয়েছে। সূর্যের রশ্মি ঘূর্ণায়মান হয়ে রামলালার কপালে পৌঁছে গেল। উপরের সমতলের লেন্সে সূর্যের রশ্মি পড়ল। এর পরে, এটি তিনটি লেন্সের মধ্য দিয়ে যায় এবং দ্বিতীয় তলায় আয়নার কাছে আসে। শেষেসূর্যের রশ্মি রাম লালার কপালকে 75 মিমি বুলেটের আকারে আলোকিত করতে থাকে এবং এটি প্রায় পাঁচ মিনিট ধরে চলতে থাকে। সূর্য তিলকের পরে, ভগবান শ্রী রামের বিশেষ পূজা এবং আরতি করা হয়।রাম নবমীতে ভক্তদের ভিড়ের পরিপ্রেক্ষিতে প্রায় 25 লাখ ভক্তের আগমনের সময়টি 19 ঘন্টা করা হয়েছে।মঙ্গলা আরতি থেকে শুরু হয়ে রাত ১১টা পর্যন্ত খোলা থাকবে মন্দির। এর মধ্যেই রামলালকে ভোগ প্রদান ও আরতি করা হবে।
আজ অযোধ্যায় রামলালার সূর্যাভিষেক হল
#:Today Ramlala's_ Suryaavishek _took _place _in Ayodhya

*আজ অযোধ্যায় রামলালার সূর্যাভিষেক হল।*

*উত্তরবঙ্গ সফর পথে দমদম বিমানবন্দরে শুভেন্দু অধিকারী জানালেন*
#Shuvendu_ Adhikari _is _the Leader of the Opposition _in the _BJP _Legislative Assembly


*এসবি নিউজ ব্যুরো:*

*চপারে আয়কর হানা প্রসঙ্গে*

যেদিন কমিশনের ফুল বেঞ্চ দিল্লিতে প্রেসমিট করেছিল সেদিনই তারা বলেছিল, রাজনৈতিক নেতারা যে চাটার্ড ফ্লাইট বা চপার ব্যবহার করবেন সেখানে তল্লাশি করা হবে। সেই দায়িত্ব আয়কর বিভাগ কে দেওয়া হয়েছিল। একবার মনে করে দেখুন। স্বাভাবিক ভাবেই দেশের আইন সবার জন্য সমান। আইন আলাদা হতে পারেনা। এখানে পিসি ও ভাইপোর জন্য আলাদা আইন হবে না। আপনারও একটা ভোট। দেশের রাষ্ট্রপতিরও একটা ভোট। তিনি ভিডিওগ্রাফি করেছেন, করতে পারেন।

*জোর করে বয়ান আদায়ের চেষ্টা : শেখ শাহাজাহান*
আমি বলতে পারব না। ওটা ওদের অভ্যন্তরীণ বক্তব্য। তদন্তকারী সংস্থার অভ্যন্তরীণ বিষয়। তবে শেখ শাহাজাহান যে অভিযুক্ত এটা সন্দেশখালির লোকেরাই বলেছে। গতকালও আমার পদযাত্রা ছিল ওখানে। মা বোনেরা বলেছেন তারা নতুন করে পয়লা বৈশাখ পালন করেছেন। স্বাভাবিকভাবেই প্রমাণিত, যা যা অভিযোগ হয়েছে তাতে শেখ শাহাজাহান যুক্ত‌

*উত্তরবঙ্গের ত্রাণ বিতর্ক*
ওরা মিথ্যাবাদী। পিসি মিথ্যাবাদী। ভাইপো মিথ্যাবাদী।৯ তারিখ অনুমতি পেয়ে গেছে। ১২ তারিখ হাওয়া গরম করছে যে অনুমতি দেওয়া হয়নি। পিসি ভাইপো দুজন মিলে বাজার গরম করছে। আমাকে নবান্ন থেকে লোক কাল এটা পাঠিয়ে দিয়েছে। আমি ট্যুইট করে দিয়েছি। সব অফিসাররা এখনও পিসি ভাইপোর পে রোলে যায়নি। এখনও মেরুদন্ড অনেকের সোজা আছে।
করণদিঘী পুকুরে স্নান করে পূর্ণ অর্জন
#Bathing _in the _Karandighi pond is a _complete achievement
এসবি নিউজ ব্যুরো: রাত পোহালে করণদিঘী সহ আশপাশের এলাকার মানুষ করণদিঘীর পুকুরে স্নান করে পূর্ন অর্জন করবেন সবাই। এই স্নানকে ঘিরে বসেছে বিরাট মেলা । ইতিমধ্যে দোকানিরা পসরা সাজিয়ে মেলায় বসে পড়েছে। লোকসভা ভোটের কারণে এবারে মেলার দিন কমিয়ে আনা হয়েছে।
কথিত আছে কর্ন রাজা এই করণদিঘী পুকুরে স্নান করতে আসতেন ।

রাজা কর্ন বিহারের পূর্নিয়ার বাসিন্দা ছিলেন। করণদিঘী ব্লকে বিহারের সঙ্গে যুক্ত ছিল। পরবর্তীকালে করণদিঘী ব্লক বিহার থেকে বিচ্ছিন্ন হয়ে বাংলার সঙ্গে যুক্ত হয়।রাজা কর্ণ করণদিঘী পুকুর স্নান করে পূর্ণ অর্জন করতেন। রাজাও নেই রাজ্যপাট নেই। শুধু থেকে গেছে রাজা কর্ণের তৈরী করা বিশাল দিঘি।করণদিঘী ব্লক বাংলার সঙ্গে যুক্ত হবার পর রাজবংশী সম্প্রদায়ের মানুষ ১ বৈশাখের শুভক্ষনে স্নান করে পূর্ণ অর্জন করতেন। কথিত আছে নতুন বছরের প্রথম দিনে কর্ণ রাজার দিঘিতে স্নান করলে মনস্কামনা পূর্ণ হয়। পূর্ণার্থিদের মনস্কামনা পূর্ণ হলে দিঘিতে পাঠা, পায়রা, স্বর্ণলঙ্কার দিঘিতে ভাসিয়ে দেয়।দীর্ঘদিন ধরে এই প্রথা চলে আসছে ।

আগে শুধুমাত্র করণদিঘী এলাকার মানুষই এই স্নানে অংশ নিতেন। দিঘির মাহাত্ব দিকে দিকে ছড়িয়ে পড়ায় কয়েক'শ বছর যাব এই শুভ দিনে লাখো লাখো পূর্ণার্থী  উত্তরবঙ্গ সহ পার্শ্ববর্তী বিহার রাজ্যের এই স্নানে অংশ নিচ্ছেন। লাখো লাখো পূর্ণার্থী স্নানে অংশ নেওয়ায় সেখানে ৭ দিনের বিশাল মেলা বসছে । শুধু কেনাকাটার দোকানই নয় বিনোদনের ব্যাবস্থা করা হয়েছে যেমন - নাগর দোলনা, ব্রেক ডান্স, ট্রেন গাড়ি , অক্টোপাস, টোরাটোরা, খাওয়া দাওয়া ইস্টল ।

বিগত বছর গুলোতে পনেরো দিনের মেলা বসত। লোকসভা নির্বাচন দোড়গোড়ায় থাকায় এবারে মেলার দিন কমিয়ে আনা হয়েছে । এবারে ৭ দিনের মেলা বসবে।।কর্ণ রাজার দিঘিতে লাখো মানুষ স্নানে অংশ নেয়ায় নিরাপত্তা ব্যাবস্থা জোরদার করা হয়েছে, পুকুরের চার দিকে সাজিয়ে তোলা হয়েছে।

*पीएम मोदी आज यूपी में चुनावी अभियान को देंगे धार, सहारनपुर में करेंगे रैली, शाम को गाजियाबाद में रोड शो*
#pm_ modi_ rally _in _uttar_ pradesh_ saharanpur_ ghaziabad

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पीएम मोदी आज धुआंधार प्रचार करने वाले हैं। प्रधानमंत्री आज उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में चुनावी रैली को संबोधित करेगें। वहीं, शाम में गाजियाबाद में रोडशो करेंगे। लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण की वोटिंग कुछ ही दिनों में शुरू होने वाली है। ऐसे में पीएम मोदी पुरजोर तरीके से प्रचार-प्रसार में लगे हुए हैं।

बीजेपी के प्रदेश महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ल के अनुसार पीएम मोदी पहले सहारनपुर में चुनावी रैली को संबोधित करेंगे। दरअसल, यह रैली सहारनपुर संसदीय क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार राघव लखनपाल और कैराना संसदीय क्षेत्र के उम्मीदवार प्रदीप चौधरी के समर्थन में आयोजित हुई है जिसमें पीएम हिस्सा ले रहे हैं। अपने संबोधन के बाद, शाम तकरीबन चार बचे पीएम गाजियाबाद पहुंचेंगे। वहां पीएम भाजपा उम्मीदवार अतुल गर्ग के समर्थन में मालीवाड़ा चौक से अंबेडकर रोड होते हुए चौधरी रोड गाजियाबाद तक आयोजित एक रोड शो में हिस्सा लेंगे।

पश्चिमी यूपी में प्रधानमंत्री की यह दूसरी चुनावी रैली है। 31 मार्च को प्रधानमंत्री ने मेरठ से चुनावी रैली का आगाज किया था। पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री पहले भी सहारनपुर में चार बार आ चुके हैं।

रैली के माध्यम से प्रधानमंत्री सहारनपुर लोकसभा के लिए कैराना लोकसभा के मतदाताओं को भी साधने का काम करेंगे। सहारनपुर लोकसभा सीट मुस्लिम बाहुल्य होने के कारण मुस्लिम मतदाताओं पर भी विशेष फोकस रहेगा।
पुणे में फैली रहस्यमयी बीमारी का कहर: जानें क्या है गुलियेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) और इसके लक्षण

महाराष्ट्र के वेस्टर्न रीजन पुणे में एक रहस्यमयी बीमारी ने सबको डरा रखा है. ये बीमारी पिछले एक सप्ताह से पुणेकर में फैली हुई है. इस रहस्यमयी बीमारी का नाम गुलियेन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barré Syndrome) यानी GBS बताया जा रहा है. पुणे में अब तक इस बीमारी से 70 से ज्यादा लोग अस्पताल हैं भर्ती हैं, जिसमे 15 से ज्यादा मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रख गया है.

इस गंभीर बीमारी को लेकर पुणे महानगर पालिका ने एडवायसरी जारी की है. मनपा कमिश्नर राजेन्द्र भोंसले ने पुणे के कमला नेहरू अस्पताल में इस बीमारी से पीड़ित मरीजों का इलाज मुफ्त में करवाने का निर्णय लिया है. महाराष्ट्र सरकार ने पुणे के किसी भी निजी अस्पताल में इलाज करवाने वाले मरीजों को 2 लाख तक सरकारी मेडिकल इंश्योरेंस देने का भी ऐलान किया है.

70 से ज्यादा लोग बीमार

पुणे में इस बीमारी के कारण 70 से ज्यादा लोगों के बीमार होने की खबर है, जिनमें से 12 से ज्यादा लोग वेंटिलेटर पर हैं. मामला गंभीर है क्योंकि मरीज पुणे के आसपास के हलकों से भी पुणे इलाज करवाने आ रहे हैं. संदेह जताया जा रहा है कि इसका संबंध कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया से है, जो पानी या खाने के जरिए फैल सकता है.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

विशेषज्ञों का कहना है कि ये एक दुर्लभ लेकिन गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी की स्थिति है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से पेरिफेरल नर्वस सिस्टम पर अचानक हमला करने लगता है. इसकी चपेट में आने से मरीज की मांसपेशियों में कमजोरी आने लगती है. शरीर में झुनझुनी पकड़ लेती है और यहां तक कि लकवे जैसी स्थिति हो सकती है. उनका कहना है किये बीमारी पेट के संक्रमण से शुरू होकर पूरे नर्वस सिस्टम पर अपना कब्जा कर लेती है.

गुलियेन-बैरे सिंड्रोम के कारण

बताया जाता है कि ये बीमारी कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया है. यह एक सामान्य कारण है, जो आमतौर पर खाने या पीने के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है. यह फूड पॉइजनिंग और डायरिया के मामलों में देखा जाता है. इसी तरह हैजा, कालरा जैसी संक्रमण की बीमारियों में भी यही लक्षण देखे जाते हैं. बेसिकली ये एक वायरल संक्रमण है, जैसे फ्लू, जीका वायरस, एपस्टीन-बार वायरस या साइटोमेगालोवायरस जैसे वायरस भी इस बीमारी को ट्रिगर कर सकते हैं. ऐसा भी बताया जा रहा है कि कुछ मामलों में टीकाकरण या सर्जरी के बाद यह स्थिति विकसित हो सकती है.

ये हैं लक्षण, इलाज और बचाव

इस संक्रमण के मुख्य लक्षणपैरों और हाथों में झुनझुनी या सुन्नता,मांसपेशियों में कमजोरी जो पैरों से शुरू होकर शरीर के ऊपरी हिस्सों तक पहुंचती है. चलने, बोलने, चबाने और सांस लेने में कठिनाई. गंभीर मामलों में सांस लेने के लिए वेंटिलेटर की आवश्यकता शामिल हैं.इस संक्रमण में अब तक जो कारगर इलाज सामने आया है, उनमें मरीज का प्लाज्मा फेरिसिस करवाना, इसमें ब्लड प्लाज्मा को बदला जाना, इम्यूनोग्लोबुलिन थेरेपी (IVIG), और फिजियोथेरेपी शामिल हैं.

हेल्थ एक्सपर्ट ने इस बीमारी से बचने के लिए उपाय बताए हैं, जिनमें साफ और शुद्ध पानी पीना, अच्छी तरह से पका हुआ भोजन, हाइजीन का ध्यान रखना और संक्रमण से बचने के उपाय अपनाना. साथ हीअगर आपको या किसी को भी उपरोक्त लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

क्या है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम? भारत के इस शहर में फैली ऐसी बीमारी

#guillain_barre_syndrome_in_pune

पुणे में गुलियन-बैरे सिंड्रोम नाम की बीमारी ने चिंता बढ़ा दी है। स्वास्थ्य महकमे से लेकर आम लोग इसको लेकर तनाव में हैं। पुणे में गुलियन-बैरे सिंड्रोम के 24 संदिग्ध मामले सामने आए हैं। जिसके बाद महाराष्‍ट्र सरकार एक्‍शन मोड में नजर आ रही है। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने इस बीमारी के मामलों में अचानक वृद्धि की जांच के लिए एक टीम गठित की है।सभी के ब्लड सैंपल आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ( एनआईवी) में जांच के लिए भेजे गए है।

राज्‍य के एक अधिकारी ने बताया कि पुणे नगर निगम (पीएमसी) के स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों के नमूने जांच के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (आईसीएमआर-एनआईवी) को भेजे हैं। नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि इनमें से अधिकतर मामले शहर के सिंहगढ़ रोड इलाके से सामने आए। चिकित्सकों के अनुसार, गुलियन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ विकार है, जिसमें अचानक सुन्नता और मांसपेशियों में कमजोरी हो जाती है। इसके साथ ही इस बीमारी में हाथ पैरों में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण भी होते हैं।

दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में मेडिसिन विभाग में डॉ अजीत कुमार बताते हैं कि यह न्योरोलॉजिक बीमारी है। जो लाखों में किसी एक मरीज में होती है। स्वाइन फ्लू के तरह इस बीमारी के लक्षण होते हैं। जिसमें सर्दी, जुकाम और तेज बुखार आता है। इस बीमारी में शरीर की इम्यूनिटी ही नसों पर हमला करने लगती है। यह एक अस्थायी बीमारी है, लेकिन कुछ मामलों में यह घातक भी हो सकती है। इससे संक्रमित होने पर हाथों और पैरों में झुनझुनी और कमज़ोरी, दर्द होने लगता है। अगर ये कंट्रोल न हो तो ब्रेन पर भी असर हो सकता है।

इस बीमारी से ठीक होने में लगने वाला समय अलग-अलग होता है, ज़्यादातर लोग कुछ हफ़्तों से लेकर महीनों में ठीक हो जाते हैं। लगभग 80% लोग पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, जबकि 15% में कमज़ोरी रह सकती है और 5% को गंभीर जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। समय रहते इलाज ही इसका उपाय है।

জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল ভ্রমণে ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত সহ পাঁচ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল
# A five-member_ delegation_ including _the Ambassador of France _visited _the Garumara forest _in Duars, _Jalpaiguri



এসবি নিউজ ব্যুরো: জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের জঙ্গলের যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতে ফ্রান্সের এক প্রতিনিধি দল ঘুরলেন জঙ্গলে। মঙ্গলবার ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত থিয়ারি ম্যাথিউয়ের নেতৃত্বে ৫ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল গরুমারায় এসেছিলেন। তাঁরা জানান,ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল কীভাবে পরিচালিত হচ্ছে? জঙ্গলের বন ও বুনোরা কেমন আছে? বন দপ্তরের সঙ্গে জঙ্গল লাগোয়া এলাকার বাসিন্দাদের সম্পর্কই বা কেমন? এইসব যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতেই তাদের এই সফর।ফ্রান্সের এই প্রতিনিধি দল ডুয়ার্সের মূর্তি ও জলঢাকা নদী দেখার পাশাপাশি সেখানে থাকা কুনকিদের পর্যবেক্ষণ ও তাদের সারাদিনের বিভিন্ন কাজকর্ম সম্পর্কে বন দপ্তরের আধিকারিক ও মাহুতদের কাছ থেকে তথ্য সংগ্রহ করেন। ফ্রান্সের এই দলের সঙ্গে উত্তরবঙ্গ বন্যপ্রাণী বিভাগের বনপাল ভাস্কর জেভি, গরুমারা ও জলপাইগুড়ি বনবিভাগের দুই ডিএফও দ্বিজপ্রতীম সেন, বিকাশ ভি, গরুমারা সাউথ রেঞ্জের রেঞ্জার সুদীপ দে ছাড়াও বন দপ্তরের অন্যান্য আধিকারিকরা উপস্থিত ছিলেন। মেদলার পর, গরুমারা যাত্রা প্রসাদ নজর মিনার হয়ে এই প্রতিনিধি দলটি বিকেলে চলে আসে গরুমারার ধূপঝোরা এলিফ্যান্ট ক্যাম্পে। সেখানে বন দপ্তরের আধিকারিকরা এই প্রতিনিধি দলকে কুনকি হাতির পিঠে চাপিয়ে জঙ্গলের আনাচে-কানাচে ঘোরান। এখান থেকে ফিরে তাঁরা স্থানীয় আদিবাসী নৃত্যগোষ্ঠীর নৃত্যও উপভোগ করেন। সেইসাথে কথা বলেন জয়েন্ট ফরেস্ট ম্যানেজমেন্ট কমিটির সদস্যদের সঙ্গেও। ভবিষ্যতে গরুমারার উন্নয়নে তাঁরা সহযোগিতা করবেন বলে আশ্বাস দিয়েছেন বলে বনদপ্তর সূত্রে জানা গিয়েছে।