बांग्लादेश की यूनुस सरकार का भारत विरोधी एजेंडा, चीन को दिया बड़ा ऑफर, कोलकाता के बगल में...

#bangladeshsyunusgovernmentsantiindia_agenda

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद बनी अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने कई ऐसे फैसले लिए जिसमें भारत का विरोध झलका। सत्ता संभालने के बाद यूनुस के फैसले बांग्लादेश को चीन और पाकिस्तान के करीब लाते हैं, जबकि भारत के लिए मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। मोहम्मद यूनुस ने कई ऐसे फैसले लिए हैं, जिससे भारत की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ती है। पहले पाकिस्तान से गलबहियां करने के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया यूनुस ने हाल ही में चीन का दौरा किया। अपने इस दौरे के दौरान यूनुस ने भारत के खिलाफ चीन को “चारा” देने की कोशिश की।

प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के बाद भी बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार डॉ. मोहम्मद यूनुस का भारत विरोधी रवैया जारी है। बिमस्टेक समिट में पीएम मोदी से मुलाकात के बाद भी यूनुस सरकार ने चीन और पाकिस्तान को रणनीतिक जगहों पर अहम प्रोजेक्ट सौंप दिए हैं। इनमें एक पोर्ट और एक एयरबेस शामिल है। अपनी चीन यात्रा के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने चीन को बड़ा ऑफर दिया। उन्होंने बांग्लादेश के लालमोनिरहाट जिले में एयरबेस बनाने का न्योता दे डाला।

इकोनॉमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में ये दावा किया गया है। ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक आधिकारिक दस्तावेजों में तो इस एयरबेस का जिक्र नहीं किया गया है लेकिन माना जा रहा है कि मोहम्मद यूनुस ने जब पिछले दिनों बीजिंग की यात्रा की थी तो उन्होंने चीनी अधिकारियों के साथ इस एयरबेस को लेकर बात की थी।

कोलकाता से सिर्फ 200 किमी पोर्ट की जिम्मेदारी चीन को

बांग्लादेश में शेख हसीना (सरकार के सत्ता से बाहर होने और मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के गठन के बाद भारत-बांग्लादेश संबंधों में बदलाव देखने को मिला है। इस बीच नई सरकार ने चीन से घनिष्ठ संबंध बनाने के संकेत दिए हैं। हाल ही में बिजिंग के दौरे पर पहुंचे बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी। इस दौरान बांग्लादेश ने भारत के कोलकाता से सिर्फ 200 किमी दूर मोंगला पोर्ट के विस्तार की जिम्मेदारी चीन को दी है। यूनुस की हालिया बीजिंग यात्रा के दौरान इस डील पर मुहर लगी थी। चीन ने इस पोर्ट के डेवलपमेंट के लिए 400 मिलियन डॉलर (करीब 3,300 करोड़ रुपए) देने का वादा किया है।

चीन को बांग्लादेश में एयरबेस बनाने का न्योता दिया

वहीं, बांग्लादेशी सरकार लालमोनिरहाट जिले में एक सैन्य एयरबेस बना रही है, जो भारत के 'चिकन नेक' यानी सिलीगुड़ी कॉरिडोर से सिर्फ 120 किमी दूर है। मोहम्मद यूनुस ने चीन को बांग्लादेश में एयरबेस बनाने का न्योता दिया। सूत्रों के मुताबिक इसी साल अक्टूबर तक एयरबेस का निर्माण कार्य शुरू हो सकता है। वहीं एक पाकिस्तानी कंपनी एयरबेस निर्माण में सहयोग करेगी। बांग्लादेश के वरिष्ठ पत्रकार सलाहउद्दीन शोएब चौधरी ने एक वेबसाइट पर लिखे अपने लेख में यह दावा किया।

चिकन नेक को लेकर यूनुस का बयान भी अहम

मोहम्मद यूनुस ने चीन जाकर 'चिकन नेक' को लेकर जो बयान दिया था, जिसे भारत की ओर से भड़काऊ बताया गया था यूनुस ने कहा था, 'भारत के सात, राज्य भारत के पूर्वी हिस्से...जिन्हें सेवन सिस्टर्स कहा जाता है, ये भारत के लैंडलॉक्ड इलाके हैं। समुद्र तक उनकी पहुंच का कोई रास्ता नहीं। इस पूरे क्षेत्र के लिए समंदर के अकेले संरक्षक हम हैं। यह चीनी इकनॉमी के लिए मौका हो सकता है।

चिकन नेक क्या है?

चिकन नेक को सिलीगुड़ी कॉरिडोर के नाम से भी जाना जाता है। चिकन नेक, पश्चिम बंगाल में भारत का वह 22 से 25 किलोमीटर चौड़ा गलियारा है जो पूरे पूर्वोत्तर भारत को देश के बाकी हिस्से से जोड़ता है। यह गलियारा नेपाल और भूटान तथा बांग्लादेश से घिरा हुआ है। यह गलियारा दक्षिण-पश्चिम में बांग्लादेश, उत्तर-पश्चिम में नेपाल और उत्तर में भूटान के समीप स्थित है। सिक्किम और भूटान के बीच चुम्बी घाटी तिब्बती क्षेत्र स्थित है। डोलम पठार या डोकलाम ट्राइबाउंड्री क्षेत्र का दक्षिणी छोर गलियारे में ढलान पर है। सबसे संकरी जगह पर, गलियारा आम तौर पर पूर्व में मेची नदी द्वारा निर्मित होता है; नेपाल का भद्रपुर नदी के तट पर स्थित है। आगे उत्तर में मेची ब्रिज मेचीनगर को जोड़ता है। इसकी सबसे पतली चौड़ाई केवल 20 किलोमीटर है।

चिकन नेक पर चीन की नजर?

इस रूट की कोई भी नाकाबंदी भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को मुख्यभूमि से काट सकती है। इसे काटना मतलब 7 राज्यों को भारत के बाकी हिस्सों से काट देना है। लिहाजा बांग्लादेश को चीन को एयरबेस बनाने का न्योता देना भारत के खिलाफ न सिर्फ भौगोलिक, बल्कि सैन्य, राजनीतिक और रणनीतिक लड़ाई की शुरूआत है। ऐसे में अगर इस कॉरिडोर से कुछ किलोमीटर दूर चीन को एयरबेस बनाने की छूट मिल जाती है, तो क्या वह इस जगह की सेंसेटिविटी का फायदा नहीं उठाएगा? यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक मोहम्मद यूनुस ने खुले तौर पर चीन को ‘बांग्लादेश में निवेश’ का न्योता दिया है और यह भी कहा कि वह सैन्य उपयोग की संभावनाओं से इनकार नहीं करते।

चीन की ये कैसी चाल? बांधे बांग्लादेश के जमात-ए-इस्लामी के तारीफों के पुल, कहा-सुव्यवस्थित पार्टी

#chinese_envoy_calls_bangladeshs_jamaat_e_islami_well_organised 

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद नई सरकार में भारत के खिलाफ साजिश रचने का खेल शुरू हो गया है। एक तरफ देश की अंतरिम सरकार ने जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनो पर बैन हटा दिया है, दूसरी ओर अल-कायदा से जुड़े आतंकवादी संगठन अंसारुल्लाह बंगला टीम (एबीटी) के प्रमुख जशीमुद्दीन रहमानी को रिहा कर दिया है। इस बीच बांग्लादेश में चीनी राजदूत याओ वेन ने जमात-ए-इस्लामी को सुव्यवस्थित राजनीतिक पार्टी बताया है।

चीनी राजदूत ने सोमवार को ढाका में पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में जमात के अमीर डॉ. शफीकुर रहमान के साथ बैठक की। जमात के अमीर से मुलाकात के बाद चीनी राजदूत ने बांग्लादेश की तारीफ करते हुए कहा कि यह एक खूबसूरत देश है और जमात-ए-इस्लामी को एक सुव्यवस्थित संगठन बताया। उन्होंने कहा कि चीन बांग्लादेश के लोगों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध चाहता है और बांग्लादेश के विकास, प्रगति और समृद्धि के लिए काम करना जारी रखेगा।

बता दें कि जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश में भारत का विरोध करती है, इस पर शेख हसीना सरकार ने बैन लगा दिया था, लेकिन मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने इस प्रतिबंध को हटा दिया। अब चीन बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों से दोस्ती कर रहा है। यह पूरा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता की बात है, क्योंकि जमात-ए-इस्लामी पार्टी भी बांग्लादेश में भारत के प्रभाव से चिढ़ती रही है।

चीन के समर्थन से अगर यह पार्टी सत्ता में आती है तो बांग्लादेश में एक ऐसी सरकार बनेगी, जो भारत के साथ आतंकवाद, सीमा सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के मुद्दे के खिलाफ रहे। नई सरकार में चीन बांग्लादेश में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव प्रॉजेक्ट को गति दे सकता है, ताकि भारत का प्रभाव कम हो सके।

बांग्लादेश के राजनीतिक संकट के पीछे नहीं अमेरिका का हाथ”, शेख हसीना के आरोपों पर पहली बार बोला अमेरिका

#us_denies_involvement_in_bangladeshs_political_crisis

पिछले हफ्ते बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को ना केवल अपना पीएम पद बल्कि देश छोड़कर भी भागना पड़ा। फिलहाल शेख हसीना ने भारत में शरण ली है। उधर, बांग्लादेश को मोहम्मद यूनुस का नेतृत्व मिल गया है। मगर ये सवाल अब भी बरकरार है कि क्या इन सबके पीछे अमेरिका का हाथ था? इन आरोपों पर पहली बार अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी है।

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन पियरे ने बांग्लादेश संकट से जुड़ी सभी रिपोर्टों और अफवाहों का खंडन किया और कहा, “हमारी इसमें कोई संलिप्तता नहीं है। ऐसी कोई भी रिपोर्ट या अफवाह कि अमेरिका की सरकार इन घटनाओं में शामिल थी, सरासर झूठ है और बिलकुल भी सच नहीं है। जीन पियरे ने यह भी कहा कि बांग्लादेशी नागरिकों को अपने देश की सरकार का भविष्य तय करना चाहिए। उन्होंने कहा, यह बांग्लादेशी नागरिकों के लिए और उनके द्वारा चुना गया विकल्प है। हमारा मानना है कि बांग्लादेशी लोगों को बांग्लादेशी सरकार का भविष्य तय करना चाहिए और हम भी इसी पर कायम हैं। निश्चित रूप से हम किसी भी आरोप पर बोलते रहेंगे और मैंने यहां जो कहा है वह झूठ है।”

जीन पियरे मीडिया में आई उन खबरों पर प्रतिक्रिया दे रही थीं, जिनमें शेख हसीना के कथित दावे के हवाले से कहा गया है कि अगर उन्होंने (शेख हसीना) सेंट मार्टिन द्वीप का आधिपत्य त्याग दिया होता और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर प्रभुत्व स्थापित करने की अनुमति दी होती, तो वह सत्ता में बनी रहतीं।

बता दें कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल में अमेरिका पर अपनी सरकार गिराने का आरोप लगाया था। शेख हसीना का आरोप था कि अमेरिका ने सेंट मार्टिन आइलैंड मांगा था। अगर वह दे देती तो शायद आज मेरी सरकार बनी रहती। मगर ऐसा न करना भारी पड़ गया। हसीना का आरोप है कि इस आइलैंड के सहारे अमेरिका बंगाल की खाड़ी में अपना वर्चस्व बढ़ाना चाहता है।

हालांकि, शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने इस बात से इनकार किया है कि उनकी मां ने ऐसा कोई बयान दिया है। शेख हसीना के बेटे वाजेद ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘हाल ही में एक अखबार में प्रकाशित मेरी मां का इस्तीफे से संबंधित बयान पूरी तरह से झूठा और मनगढ़ंत है। उन्होंने मुझसे बातचीत में पुष्टि की है कि उन्होंने ढाका छोड़ने से पहले या बाद में कोई बयान नहीं दिया।

बांग्लादेश के राजनीतिक संकट के पीछे नहीं अमेरिका का हाथ”, शेख हसीना के आरोपों पर पहली बार बोला अमेरिका

#us_denies_involvement_in_bangladeshs_political_crisis

पिछले हफ्ते बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को ना केवल अपना पीएम पद बल्कि देश छोड़कर भी भागना पड़ा। फिलहाल शेख हसीना ने भारत में शरण ली है। उधर, बांग्लादेश को मोहम्मद यूनुस का नेतृत्व मिल गया है। मगर ये सवाल अब भी बरकरार है कि क्या इन सबके पीछे अमेरिका का हाथ था? इन आरोपों पर पहली बार अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी है।

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन पियरे ने बांग्लादेश संकट से जुड़ी सभी रिपोर्टों और अफवाहों का खंडन किया और कहा, “हमारी इसमें कोई संलिप्तता नहीं है। ऐसी कोई भी रिपोर्ट या अफवाह कि अमेरिका की सरकार इन घटनाओं में शामिल थी, सरासर झूठ है और बिलकुल भी सच नहीं है। जीन पियरे ने यह भी कहा कि बांग्लादेशी नागरिकों को अपने देश की सरकार का भविष्य तय करना चाहिए। उन्होंने कहा, यह बांग्लादेशी नागरिकों के लिए और उनके द्वारा चुना गया विकल्प है। हमारा मानना है कि बांग्लादेशी लोगों को बांग्लादेशी सरकार का भविष्य तय करना चाहिए और हम भी इसी पर कायम हैं। निश्चित रूप से हम किसी भी आरोप पर बोलते रहेंगे और मैंने यहां जो कहा है वह झूठ है।”

जीन पियरे मीडिया में आई उन खबरों पर प्रतिक्रिया दे रही थीं, जिनमें शेख हसीना के कथित दावे के हवाले से कहा गया है कि अगर उन्होंने (शेख हसीना) सेंट मार्टिन द्वीप का आधिपत्य त्याग दिया होता और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर प्रभुत्व स्थापित करने की अनुमति दी होती, तो वह सत्ता में बनी रहतीं।

बता दें कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल में अमेरिका पर अपनी सरकार गिराने का आरोप लगाया था। शेख हसीना का आरोप था कि अमेरिका ने सेंट मार्टिन आइलैंड मांगा था। अगर वह दे देती तो शायद आज मेरी सरकार बनी रहती। मगर ऐसा न करना भारी पड़ गया। हसीना का आरोप है कि इस आइलैंड के सहारे अमेरिका बंगाल की खाड़ी में अपना वर्चस्व बढ़ाना चाहता है।

हालांकि, शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने इस बात से इनकार किया है कि उनकी मां ने ऐसा कोई बयान दिया है। शेख हसीना के बेटे वाजेद ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘हाल ही में एक अखबार में प्रकाशित मेरी मां का इस्तीफे से संबंधित बयान पूरी तरह से झूठा और मनगढ़ंत है। उन्होंने मुझसे बातचीत में पुष्टि की है कि उन्होंने ढाका छोड़ने से पहले या बाद में कोई बयान नहीं दिया।

बांग्लादेश के राजनीतिक संकट के पीछे नहीं अमेरिका का हाथ”, शेख हसीना के आरोपों पर पहली बार बोला अमेरिका*
#us_denies_involvement_in_bangladeshs_political_crisis *
पिछले हफ्ते बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को ना केवल अपना पीएम पद बल्कि देश छोड़कर भी भागना पड़ा। फिलहाल शेख हसीना ने भारत में शरण ली है। उधर, बांग्लादेश को मोहम्मद यूनुस का नेतृत्व मिल गया है। मगर ये सवाल अब भी बरकरार है कि क्या इन सबके पीछे अमेरिका का हाथ था? इन आरोपों पर पहली बार अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन पियरे ने बांग्लादेश संकट से जुड़ी सभी रिपोर्टों और अफवाहों का खंडन किया और कहा, “हमारी इसमें कोई संलिप्तता नहीं है। ऐसी कोई भी रिपोर्ट या अफवाह कि अमेरिका की सरकार इन घटनाओं में शामिल थी, सरासर झूठ है और बिलकुल भी सच नहीं है। जीन पियरे ने यह भी कहा कि बांग्लादेशी नागरिकों को अपने देश की सरकार का भविष्य तय करना चाहिए। उन्होंने कहा, यह बांग्लादेशी नागरिकों के लिए और उनके द्वारा चुना गया विकल्प है। हमारा मानना है कि बांग्लादेशी लोगों को बांग्लादेशी सरकार का भविष्य तय करना चाहिए और हम भी इसी पर कायम हैं। निश्चित रूप से हम किसी भी आरोप पर बोलते रहेंगे और मैंने यहां जो कहा है वह झूठ है।” जीन पियरे मीडिया में आई उन खबरों पर प्रतिक्रिया दे रही थीं, जिनमें शेख हसीना के कथित दावे के हवाले से कहा गया है कि अगर उन्होंने (शेख हसीना) सेंट मार्टिन द्वीप का आधिपत्य त्याग दिया होता और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर प्रभुत्व स्थापित करने की अनुमति दी होती, तो वह सत्ता में बनी रहतीं। बता दें कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल में अमेरिका पर अपनी सरकार गिराने का आरोप लगाया था। शेख हसीना का आरोप था कि अमेरिका ने सेंट मार्टिन आइलैंड मांगा था। अगर वह दे देती तो शायद आज मेरी सरकार बनी रहती। मगर ऐसा न करना भारी पड़ गया। हसीना का आरोप है कि इस आइलैंड के सहारे अमेरिका बंगाल की खाड़ी में अपना वर्चस्व बढ़ाना चाहता है। हालांकि, शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने इस बात से इनकार किया है कि उनकी मां ने ऐसा कोई बयान दिया है। शेख हसीना के बेटे वाजेद ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘हाल ही में एक अखबार में प्रकाशित मेरी मां का इस्तीफे से संबंधित बयान पूरी तरह से झूठा और मनगढ़ंत है। उन्होंने मुझसे बातचीत में पुष्टि की है कि उन्होंने ढाका छोड़ने से पहले या बाद में कोई बयान नहीं दिया।
बांग्लादेश के राजनीतिक संकट के पीछे नहीं अमेरिका का हाथ”, शेख हसीना के आरोपों पर पहली बार बोला अमेरिका*
#us_denies_involvement_in_bangladeshs_political_crisis
पिछले हफ्ते बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को ना केवल अपना पीएम पद बल्कि देश छोड़कर भी भागना पड़ा। फिलहाल शेख हसीना ने भारत में शरण ली है। उधर, बांग्लादेश को मोहम्मद यूनुस का नेतृत्व मिल गया है। मगर ये सवाल अब भी बरकरार है कि क्या इन सबके पीछे अमेरिका का हाथ था? इन आरोपों पर पहली बार अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन पियरे ने बांग्लादेश संकट से जुड़ी सभी रिपोर्टों और अफवाहों का खंडन किया और कहा, “हमारी इसमें कोई संलिप्तता नहीं है। ऐसी कोई भी रिपोर्ट या अफवाह कि अमेरिका की सरकार इन घटनाओं में शामिल थी, सरासर झूठ है और बिलकुल भी सच नहीं है। जीन पियरे ने यह भी कहा कि बांग्लादेशी नागरिकों को अपने देश की सरकार का भविष्य तय करना चाहिए। उन्होंने कहा, यह बांग्लादेशी नागरिकों के लिए और उनके द्वारा चुना गया विकल्प है। हमारा मानना है कि बांग्लादेशी लोगों को बांग्लादेशी सरकार का भविष्य तय करना चाहिए और हम भी इसी पर कायम हैं। निश्चित रूप से हम किसी भी आरोप पर बोलते रहेंगे और मैंने यहां जो कहा है वह झूठ है।” जीन पियरे मीडिया में आई उन खबरों पर प्रतिक्रिया दे रही थीं, जिनमें शेख हसीना के कथित दावे के हवाले से कहा गया है कि अगर उन्होंने (शेख हसीना) सेंट मार्टिन द्वीप का आधिपत्य त्याग दिया होता और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर प्रभुत्व स्थापित करने की अनुमति दी होती, तो वह सत्ता में बनी रहतीं। बता दें कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल में अमेरिका पर अपनी सरकार गिराने का आरोप लगाया था। शेख हसीना का आरोप था कि अमेरिका ने सेंट मार्टिन आइलैंड मांगा था। अगर वह दे देती तो शायद आज मेरी सरकार बनी रहती। मगर ऐसा न करना भारी पड़ गया। हसीना का आरोप है कि इस आइलैंड के सहारे अमेरिका बंगाल की खाड़ी में अपना वर्चस्व बढ़ाना चाहता है। हालांकि, शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने इस बात से इनकार किया है कि उनकी मां ने ऐसा कोई बयान दिया है। शेख हसीना के बेटे वाजेद ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘हाल ही में एक अखबार में प्रकाशित मेरी मां का इस्तीफे से संबंधित बयान पूरी तरह से झूठा और मनगढ़ंत है। उन्होंने मुझसे बातचीत में पुष्टि की है कि उन्होंने ढाका छोड़ने से पहले या बाद में कोई बयान नहीं दिया।
बांग्लादेश के राजनीतिक संकट के पीछे नहीं अमेरिका का हाथ”, शेख हसीना के आरोपों पर पहली बार बोला अमेरिका*
#us_denies_involvement_in_bangladeshs_political_crisis
पिछले हफ्ते बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को ना केवल अपना पीएम पद बल्कि देश छोड़कर भी भागना पड़ा। फिलहाल शेख हसीना ने भारत में शरण ली है। उधर, बांग्लादेश को मोहम्मद यूनुस का नेतृत्व मिल गया है। मगर ये सवाल अब भी बरकरार है कि क्या इन सबके पीछे अमेरिका का हाथ था? इन आरोपों पर पहली बार अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन पियरे ने बांग्लादेश संकट से जुड़ी सभी रिपोर्टों और अफवाहों का खंडन किया और कहा, “हमारी इसमें कोई संलिप्तता नहीं है। ऐसी कोई भी रिपोर्ट या अफवाह कि अमेरिका की सरकार इन घटनाओं में शामिल थी, सरासर झूठ है और बिलकुल भी सच नहीं है। जीन पियरे ने यह भी कहा कि बांग्लादेशी नागरिकों को अपने देश की सरकार का भविष्य तय करना चाहिए। उन्होंने कहा, यह बांग्लादेशी नागरिकों के लिए और उनके द्वारा चुना गया विकल्प है। हमारा मानना है कि बांग्लादेशी लोगों को बांग्लादेशी सरकार का भविष्य तय करना चाहिए और हम भी इसी पर कायम हैं। निश्चित रूप से हम किसी भी आरोप पर बोलते रहेंगे और मैंने यहां जो कहा है वह झूठ है।” जीन पियरे मीडिया में आई उन खबरों पर प्रतिक्रिया दे रही थीं, जिनमें शेख हसीना के कथित दावे के हवाले से कहा गया है कि अगर उन्होंने (शेख हसीना) सेंट मार्टिन द्वीप का आधिपत्य त्याग दिया होता और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर प्रभुत्व स्थापित करने की अनुमति दी होती, तो वह सत्ता में बनी रहतीं। बता दें कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल में अमेरिका पर अपनी सरकार गिराने का आरोप लगाया था। शेख हसीना का आरोप था कि अमेरिका ने सेंट मार्टिन आइलैंड मांगा था। अगर वह दे देती तो शायद आज मेरी सरकार बनी रहती। मगर ऐसा न करना भारी पड़ गया। हसीना का आरोप है कि इस आइलैंड के सहारे अमेरिका बंगाल की खाड़ी में अपना वर्चस्व बढ़ाना चाहता है। हालांकि, शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने इस बात से इनकार किया है कि उनकी मां ने ऐसा कोई बयान दिया है। शेख हसीना के बेटे वाजेद ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘हाल ही में एक अखबार में प्रकाशित मेरी मां का इस्तीफे से संबंधित बयान पूरी तरह से झूठा और मनगढ़ंत है। उन्होंने मुझसे बातचीत में पुष्टि की है कि उन्होंने ढाका छोड़ने से पहले या बाद में कोई बयान नहीं दिया।
बांग्लादेश के राजनीतिक संकट के पीछे नहीं अमेरिका का हाथ
#us_denies_involvement_in_bangladeshs_political_crisis
शेख हसीना के आरोपों पर पहली बार बोला अमेरिका* पिछले हफ्ते बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को ना केवल अपना पीएम पद बल्कि देश छोड़कर भी भागना पड़ा। फिलहाल शेख हसीना ने भारत में शरण ली है। उधर, बांग्लादेश को मोहम्मद यूनुस का नेतृत्व मिल गया है। मगर ये सवाल अब भी बरकरार है कि क्या इन सबके पीछे अमेरिका का हाथ था? इन आरोपों पर पहली बार अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन पियरे ने बांग्लादेश संकट से जुड़ी सभी रिपोर्टों और अफवाहों का खंडन किया और कहा, “हमारी इसमें कोई संलिप्तता नहीं है। ऐसी कोई भी रिपोर्ट या अफवाह कि अमेरिका की सरकार इन घटनाओं में शामिल थी, सरासर झूठ है और बिलकुल भी सच नहीं है। जीन पियरे ने यह भी कहा कि बांग्लादेशी नागरिकों को अपने देश की सरकार का भविष्य तय करना चाहिए। उन्होंने कहा, यह बांग्लादेशी नागरिकों के लिए और उनके द्वारा चुना गया विकल्प है। हमारा मानना है कि बांग्लादेशी लोगों को बांग्लादेशी सरकार का भविष्य तय करना चाहिए और हम भी इसी पर कायम हैं। निश्चित रूप से हम किसी भी आरोप पर बोलते रहेंगे और मैंने यहां जो कहा है वह झूठ है।” जीन पियरे मीडिया में आई उन खबरों पर प्रतिक्रिया दे रही थीं, जिनमें शेख हसीना के कथित दावे के हवाले से कहा गया है कि अगर उन्होंने (शेख हसीना) सेंट मार्टिन द्वीप का आधिपत्य त्याग दिया होता और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर प्रभुत्व स्थापित करने की अनुमति दी होती, तो वह सत्ता में बनी रहतीं। बता दें कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल में अमेरिका पर अपनी सरकार गिराने का आरोप लगाया था। शेख हसीना का आरोप था कि अमेरिका ने सेंट मार्टिन आइलैंड मांगा था। अगर वह दे देती तो शायद आज मेरी सरकार बनी रहती। मगर ऐसा न करना भारी पड़ गया। हसीना का आरोप है कि इस आइलैंड के सहारे अमेरिका बंगाल की खाड़ी में अपना वर्चस्व बढ़ाना चाहता है। हालांकि, शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने इस बात से इनकार किया है कि उनकी मां ने ऐसा कोई बयान दिया है। शेख हसीना के बेटे वाजेद ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘हाल ही में एक अखबार में प्रकाशित मेरी मां का इस्तीफे से संबंधित बयान पूरी तरह से झूठा और मनगढ़ंत है। उन्होंने मुझसे बातचीत में पुष्टि की है कि उन्होंने ढाका छोड़ने से पहले या बाद में कोई बयान नहीं दिया।
मोंगला पोर्ट पर भारत ने चीन को दी जोरदार “पटखनी”, कितनी अहम है ये कामयाबी?

#indiagetsterminalofbangladeshsmonglaport

ईरान के चाबहार और म्यांमार में सित्तवे के लिए सफल समझौतों के बाद, भारत बांग्लादेश में मोंगला बंदरगाह पर एक टर्मिनल संचालित करने के लिए तैयार है। भारत ने बांग्लादेश के मोंगला बंदरगाह के एक टर्मिनल पर संचालन का अधिकार हासिल कर लिया है। यह भारत द्वारा तीसरा विदेशी बंदरगाह संचालन होगा क्योंकि नई दिल्ली बंदरगाहों और शिपिंग क्षेत्र में अपने वाणिज्यिक हितों का विस्तार करने के लिए विदेश में जाने में संकोच को तेजी से दूर कर रहा है। हालांकि, मोंगला पोर्ट के सौदे का विवरण अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस टर्मिनल का संचालन इंडिया बंदरगाह ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) के द्वारा किया जाएगा।

हिंद महासागर में चीन को काउंटर करने की कोशिश

हिंद महासागर और बांग्लादेश में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच विश्लेषक इसे भारत की रणनीतिक जीत बता रहे हैं। चीन भी इस बंदरगाह पर अपनी नजर बनाए हुए था। भारत की इस डील को हिंद महासागर में चीन को काउंटर करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। मोंगला पोर्ट के संचालन से भारत अपने पड़ोसी चीन की बढ़ती रणनीतिक उपस्थिति का मुकाबला करने में और सक्षम हो जाएगा। इसके साथ ही हिंद महासागर क्षेत्र के पश्चिमी और पूर्वी दोनों हिस्सों में बंदरगाहों का प्रबंधन करने में मदद मिलेगी। हिंद महासागर में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन जिबूती में 652 करोड़ और पाकिस्तान के ग्वादर में 1.3 लाख करोड़ की मदद से बंदरगाह बना रहा है।

भारत के लिए कनेक्टिविटी के लिहाज से भी अहम

मोंगला बंदरगाह डील भारत के लिए कनेक्टिविटी के लिहाज से अहम है। इस बंदरगाह के जरिए भारत को उत्तर-पूर्व के राज्यों तक कनेक्टिविटी को बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे चिकन नेक या सिलिगुड़ी कॉरीडोर पर दबाव कम होगा। मोंगला बंदरगाह पर भारत की पहुंच इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह चटगांव के बाद बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा बंदरगाह है।

बता दें कि भारत ने हाल के दिनों में वैश्विक समुद्री दौड़ में चीन का मुकाबला करने के लिए विदेशी बंदरगाहों पर नियंत्रण हासिल करने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। कंटेनर ट्रैफिक के मामले में टॉप 10 बंदरगाह में भारत का एक भी बंदरगाह शामिल नहीं हैं। जबकि टॉप 10 में चीन के 6 बंदरगाह शामिल हैं। वहीं, चीन अब तक 63 से ज्यादा देशों के 100 से ज्यादा बंदरगाहों में निवेश कर चुका है। मोंगला बंदरगाह का संचालन, हिंद महासागर में भारत की बंदरगाह संचालन की क्षमताओं को दिखाने का अच्छा मौका है।

मोंगला बंदरगाह सौदा पिछले महीने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की दो दिवसीय भारत यात्रा के बाद हुआ है। इस यात्रा के दौरान उन्होंने अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। दोनों देशों ने समुद्री क्षेत्र सहित कई सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए। भारत के बाद हसीना चीन की यात्रा पर गई थीं, लेकिन दौरे के बीच में ही लौट आई थीं। इसके ठीक बाद उन्होंने तीस्ता प्रोजेक्ट भारत को देने की घोषणा की थी।

बांग्लादेश की यूनुस सरकार का भारत विरोधी एजेंडा, चीन को दिया बड़ा ऑफर, कोलकाता के बगल में...

#bangladeshsyunusgovernmentsantiindia_agenda

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद बनी अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने कई ऐसे फैसले लिए जिसमें भारत का विरोध झलका। सत्ता संभालने के बाद यूनुस के फैसले बांग्लादेश को चीन और पाकिस्तान के करीब लाते हैं, जबकि भारत के लिए मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। मोहम्मद यूनुस ने कई ऐसे फैसले लिए हैं, जिससे भारत की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ती है। पहले पाकिस्तान से गलबहियां करने के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया यूनुस ने हाल ही में चीन का दौरा किया। अपने इस दौरे के दौरान यूनुस ने भारत के खिलाफ चीन को “चारा” देने की कोशिश की।

प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के बाद भी बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार डॉ. मोहम्मद यूनुस का भारत विरोधी रवैया जारी है। बिमस्टेक समिट में पीएम मोदी से मुलाकात के बाद भी यूनुस सरकार ने चीन और पाकिस्तान को रणनीतिक जगहों पर अहम प्रोजेक्ट सौंप दिए हैं। इनमें एक पोर्ट और एक एयरबेस शामिल है। अपनी चीन यात्रा के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने चीन को बड़ा ऑफर दिया। उन्होंने बांग्लादेश के लालमोनिरहाट जिले में एयरबेस बनाने का न्योता दे डाला।

इकोनॉमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में ये दावा किया गया है। ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक आधिकारिक दस्तावेजों में तो इस एयरबेस का जिक्र नहीं किया गया है लेकिन माना जा रहा है कि मोहम्मद यूनुस ने जब पिछले दिनों बीजिंग की यात्रा की थी तो उन्होंने चीनी अधिकारियों के साथ इस एयरबेस को लेकर बात की थी।

कोलकाता से सिर्फ 200 किमी पोर्ट की जिम्मेदारी चीन को

बांग्लादेश में शेख हसीना (सरकार के सत्ता से बाहर होने और मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के गठन के बाद भारत-बांग्लादेश संबंधों में बदलाव देखने को मिला है। इस बीच नई सरकार ने चीन से घनिष्ठ संबंध बनाने के संकेत दिए हैं। हाल ही में बिजिंग के दौरे पर पहुंचे बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी। इस दौरान बांग्लादेश ने भारत के कोलकाता से सिर्फ 200 किमी दूर मोंगला पोर्ट के विस्तार की जिम्मेदारी चीन को दी है। यूनुस की हालिया बीजिंग यात्रा के दौरान इस डील पर मुहर लगी थी। चीन ने इस पोर्ट के डेवलपमेंट के लिए 400 मिलियन डॉलर (करीब 3,300 करोड़ रुपए) देने का वादा किया है।

चीन को बांग्लादेश में एयरबेस बनाने का न्योता दिया

वहीं, बांग्लादेशी सरकार लालमोनिरहाट जिले में एक सैन्य एयरबेस बना रही है, जो भारत के 'चिकन नेक' यानी सिलीगुड़ी कॉरिडोर से सिर्फ 120 किमी दूर है। मोहम्मद यूनुस ने चीन को बांग्लादेश में एयरबेस बनाने का न्योता दिया। सूत्रों के मुताबिक इसी साल अक्टूबर तक एयरबेस का निर्माण कार्य शुरू हो सकता है। वहीं एक पाकिस्तानी कंपनी एयरबेस निर्माण में सहयोग करेगी। बांग्लादेश के वरिष्ठ पत्रकार सलाहउद्दीन शोएब चौधरी ने एक वेबसाइट पर लिखे अपने लेख में यह दावा किया।

चिकन नेक को लेकर यूनुस का बयान भी अहम

मोहम्मद यूनुस ने चीन जाकर 'चिकन नेक' को लेकर जो बयान दिया था, जिसे भारत की ओर से भड़काऊ बताया गया था यूनुस ने कहा था, 'भारत के सात, राज्य भारत के पूर्वी हिस्से...जिन्हें सेवन सिस्टर्स कहा जाता है, ये भारत के लैंडलॉक्ड इलाके हैं। समुद्र तक उनकी पहुंच का कोई रास्ता नहीं। इस पूरे क्षेत्र के लिए समंदर के अकेले संरक्षक हम हैं। यह चीनी इकनॉमी के लिए मौका हो सकता है।

चिकन नेक क्या है?

चिकन नेक को सिलीगुड़ी कॉरिडोर के नाम से भी जाना जाता है। चिकन नेक, पश्चिम बंगाल में भारत का वह 22 से 25 किलोमीटर चौड़ा गलियारा है जो पूरे पूर्वोत्तर भारत को देश के बाकी हिस्से से जोड़ता है। यह गलियारा नेपाल और भूटान तथा बांग्लादेश से घिरा हुआ है। यह गलियारा दक्षिण-पश्चिम में बांग्लादेश, उत्तर-पश्चिम में नेपाल और उत्तर में भूटान के समीप स्थित है। सिक्किम और भूटान के बीच चुम्बी घाटी तिब्बती क्षेत्र स्थित है। डोलम पठार या डोकलाम ट्राइबाउंड्री क्षेत्र का दक्षिणी छोर गलियारे में ढलान पर है। सबसे संकरी जगह पर, गलियारा आम तौर पर पूर्व में मेची नदी द्वारा निर्मित होता है; नेपाल का भद्रपुर नदी के तट पर स्थित है। आगे उत्तर में मेची ब्रिज मेचीनगर को जोड़ता है। इसकी सबसे पतली चौड़ाई केवल 20 किलोमीटर है।

चिकन नेक पर चीन की नजर?

इस रूट की कोई भी नाकाबंदी भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को मुख्यभूमि से काट सकती है। इसे काटना मतलब 7 राज्यों को भारत के बाकी हिस्सों से काट देना है। लिहाजा बांग्लादेश को चीन को एयरबेस बनाने का न्योता देना भारत के खिलाफ न सिर्फ भौगोलिक, बल्कि सैन्य, राजनीतिक और रणनीतिक लड़ाई की शुरूआत है। ऐसे में अगर इस कॉरिडोर से कुछ किलोमीटर दूर चीन को एयरबेस बनाने की छूट मिल जाती है, तो क्या वह इस जगह की सेंसेटिविटी का फायदा नहीं उठाएगा? यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक मोहम्मद यूनुस ने खुले तौर पर चीन को ‘बांग्लादेश में निवेश’ का न्योता दिया है और यह भी कहा कि वह सैन्य उपयोग की संभावनाओं से इनकार नहीं करते।

चीन की ये कैसी चाल? बांधे बांग्लादेश के जमात-ए-इस्लामी के तारीफों के पुल, कहा-सुव्यवस्थित पार्टी

#chinese_envoy_calls_bangladeshs_jamaat_e_islami_well_organised 

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद नई सरकार में भारत के खिलाफ साजिश रचने का खेल शुरू हो गया है। एक तरफ देश की अंतरिम सरकार ने जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनो पर बैन हटा दिया है, दूसरी ओर अल-कायदा से जुड़े आतंकवादी संगठन अंसारुल्लाह बंगला टीम (एबीटी) के प्रमुख जशीमुद्दीन रहमानी को रिहा कर दिया है। इस बीच बांग्लादेश में चीनी राजदूत याओ वेन ने जमात-ए-इस्लामी को सुव्यवस्थित राजनीतिक पार्टी बताया है।

चीनी राजदूत ने सोमवार को ढाका में पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में जमात के अमीर डॉ. शफीकुर रहमान के साथ बैठक की। जमात के अमीर से मुलाकात के बाद चीनी राजदूत ने बांग्लादेश की तारीफ करते हुए कहा कि यह एक खूबसूरत देश है और जमात-ए-इस्लामी को एक सुव्यवस्थित संगठन बताया। उन्होंने कहा कि चीन बांग्लादेश के लोगों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध चाहता है और बांग्लादेश के विकास, प्रगति और समृद्धि के लिए काम करना जारी रखेगा।

बता दें कि जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश में भारत का विरोध करती है, इस पर शेख हसीना सरकार ने बैन लगा दिया था, लेकिन मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने इस प्रतिबंध को हटा दिया। अब चीन बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों से दोस्ती कर रहा है। यह पूरा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता की बात है, क्योंकि जमात-ए-इस्लामी पार्टी भी बांग्लादेश में भारत के प्रभाव से चिढ़ती रही है।

चीन के समर्थन से अगर यह पार्टी सत्ता में आती है तो बांग्लादेश में एक ऐसी सरकार बनेगी, जो भारत के साथ आतंकवाद, सीमा सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के मुद्दे के खिलाफ रहे। नई सरकार में चीन बांग्लादेश में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव प्रॉजेक्ट को गति दे सकता है, ताकि भारत का प्रभाव कम हो सके।

बांग्लादेश के राजनीतिक संकट के पीछे नहीं अमेरिका का हाथ”, शेख हसीना के आरोपों पर पहली बार बोला अमेरिका

#us_denies_involvement_in_bangladeshs_political_crisis

पिछले हफ्ते बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को ना केवल अपना पीएम पद बल्कि देश छोड़कर भी भागना पड़ा। फिलहाल शेख हसीना ने भारत में शरण ली है। उधर, बांग्लादेश को मोहम्मद यूनुस का नेतृत्व मिल गया है। मगर ये सवाल अब भी बरकरार है कि क्या इन सबके पीछे अमेरिका का हाथ था? इन आरोपों पर पहली बार अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी है।

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन पियरे ने बांग्लादेश संकट से जुड़ी सभी रिपोर्टों और अफवाहों का खंडन किया और कहा, “हमारी इसमें कोई संलिप्तता नहीं है। ऐसी कोई भी रिपोर्ट या अफवाह कि अमेरिका की सरकार इन घटनाओं में शामिल थी, सरासर झूठ है और बिलकुल भी सच नहीं है। जीन पियरे ने यह भी कहा कि बांग्लादेशी नागरिकों को अपने देश की सरकार का भविष्य तय करना चाहिए। उन्होंने कहा, यह बांग्लादेशी नागरिकों के लिए और उनके द्वारा चुना गया विकल्प है। हमारा मानना है कि बांग्लादेशी लोगों को बांग्लादेशी सरकार का भविष्य तय करना चाहिए और हम भी इसी पर कायम हैं। निश्चित रूप से हम किसी भी आरोप पर बोलते रहेंगे और मैंने यहां जो कहा है वह झूठ है।”

जीन पियरे मीडिया में आई उन खबरों पर प्रतिक्रिया दे रही थीं, जिनमें शेख हसीना के कथित दावे के हवाले से कहा गया है कि अगर उन्होंने (शेख हसीना) सेंट मार्टिन द्वीप का आधिपत्य त्याग दिया होता और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर प्रभुत्व स्थापित करने की अनुमति दी होती, तो वह सत्ता में बनी रहतीं।

बता दें कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल में अमेरिका पर अपनी सरकार गिराने का आरोप लगाया था। शेख हसीना का आरोप था कि अमेरिका ने सेंट मार्टिन आइलैंड मांगा था। अगर वह दे देती तो शायद आज मेरी सरकार बनी रहती। मगर ऐसा न करना भारी पड़ गया। हसीना का आरोप है कि इस आइलैंड के सहारे अमेरिका बंगाल की खाड़ी में अपना वर्चस्व बढ़ाना चाहता है।

हालांकि, शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने इस बात से इनकार किया है कि उनकी मां ने ऐसा कोई बयान दिया है। शेख हसीना के बेटे वाजेद ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘हाल ही में एक अखबार में प्रकाशित मेरी मां का इस्तीफे से संबंधित बयान पूरी तरह से झूठा और मनगढ़ंत है। उन्होंने मुझसे बातचीत में पुष्टि की है कि उन्होंने ढाका छोड़ने से पहले या बाद में कोई बयान नहीं दिया।

बांग्लादेश के राजनीतिक संकट के पीछे नहीं अमेरिका का हाथ”, शेख हसीना के आरोपों पर पहली बार बोला अमेरिका

#us_denies_involvement_in_bangladeshs_political_crisis

पिछले हफ्ते बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को ना केवल अपना पीएम पद बल्कि देश छोड़कर भी भागना पड़ा। फिलहाल शेख हसीना ने भारत में शरण ली है। उधर, बांग्लादेश को मोहम्मद यूनुस का नेतृत्व मिल गया है। मगर ये सवाल अब भी बरकरार है कि क्या इन सबके पीछे अमेरिका का हाथ था? इन आरोपों पर पहली बार अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी है।

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन पियरे ने बांग्लादेश संकट से जुड़ी सभी रिपोर्टों और अफवाहों का खंडन किया और कहा, “हमारी इसमें कोई संलिप्तता नहीं है। ऐसी कोई भी रिपोर्ट या अफवाह कि अमेरिका की सरकार इन घटनाओं में शामिल थी, सरासर झूठ है और बिलकुल भी सच नहीं है। जीन पियरे ने यह भी कहा कि बांग्लादेशी नागरिकों को अपने देश की सरकार का भविष्य तय करना चाहिए। उन्होंने कहा, यह बांग्लादेशी नागरिकों के लिए और उनके द्वारा चुना गया विकल्प है। हमारा मानना है कि बांग्लादेशी लोगों को बांग्लादेशी सरकार का भविष्य तय करना चाहिए और हम भी इसी पर कायम हैं। निश्चित रूप से हम किसी भी आरोप पर बोलते रहेंगे और मैंने यहां जो कहा है वह झूठ है।”

जीन पियरे मीडिया में आई उन खबरों पर प्रतिक्रिया दे रही थीं, जिनमें शेख हसीना के कथित दावे के हवाले से कहा गया है कि अगर उन्होंने (शेख हसीना) सेंट मार्टिन द्वीप का आधिपत्य त्याग दिया होता और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर प्रभुत्व स्थापित करने की अनुमति दी होती, तो वह सत्ता में बनी रहतीं।

बता दें कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल में अमेरिका पर अपनी सरकार गिराने का आरोप लगाया था। शेख हसीना का आरोप था कि अमेरिका ने सेंट मार्टिन आइलैंड मांगा था। अगर वह दे देती तो शायद आज मेरी सरकार बनी रहती। मगर ऐसा न करना भारी पड़ गया। हसीना का आरोप है कि इस आइलैंड के सहारे अमेरिका बंगाल की खाड़ी में अपना वर्चस्व बढ़ाना चाहता है।

हालांकि, शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने इस बात से इनकार किया है कि उनकी मां ने ऐसा कोई बयान दिया है। शेख हसीना के बेटे वाजेद ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘हाल ही में एक अखबार में प्रकाशित मेरी मां का इस्तीफे से संबंधित बयान पूरी तरह से झूठा और मनगढ़ंत है। उन्होंने मुझसे बातचीत में पुष्टि की है कि उन्होंने ढाका छोड़ने से पहले या बाद में कोई बयान नहीं दिया।

बांग्लादेश के राजनीतिक संकट के पीछे नहीं अमेरिका का हाथ”, शेख हसीना के आरोपों पर पहली बार बोला अमेरिका*
#us_denies_involvement_in_bangladeshs_political_crisis *
पिछले हफ्ते बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को ना केवल अपना पीएम पद बल्कि देश छोड़कर भी भागना पड़ा। फिलहाल शेख हसीना ने भारत में शरण ली है। उधर, बांग्लादेश को मोहम्मद यूनुस का नेतृत्व मिल गया है। मगर ये सवाल अब भी बरकरार है कि क्या इन सबके पीछे अमेरिका का हाथ था? इन आरोपों पर पहली बार अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन पियरे ने बांग्लादेश संकट से जुड़ी सभी रिपोर्टों और अफवाहों का खंडन किया और कहा, “हमारी इसमें कोई संलिप्तता नहीं है। ऐसी कोई भी रिपोर्ट या अफवाह कि अमेरिका की सरकार इन घटनाओं में शामिल थी, सरासर झूठ है और बिलकुल भी सच नहीं है। जीन पियरे ने यह भी कहा कि बांग्लादेशी नागरिकों को अपने देश की सरकार का भविष्य तय करना चाहिए। उन्होंने कहा, यह बांग्लादेशी नागरिकों के लिए और उनके द्वारा चुना गया विकल्प है। हमारा मानना है कि बांग्लादेशी लोगों को बांग्लादेशी सरकार का भविष्य तय करना चाहिए और हम भी इसी पर कायम हैं। निश्चित रूप से हम किसी भी आरोप पर बोलते रहेंगे और मैंने यहां जो कहा है वह झूठ है।” जीन पियरे मीडिया में आई उन खबरों पर प्रतिक्रिया दे रही थीं, जिनमें शेख हसीना के कथित दावे के हवाले से कहा गया है कि अगर उन्होंने (शेख हसीना) सेंट मार्टिन द्वीप का आधिपत्य त्याग दिया होता और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर प्रभुत्व स्थापित करने की अनुमति दी होती, तो वह सत्ता में बनी रहतीं। बता दें कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल में अमेरिका पर अपनी सरकार गिराने का आरोप लगाया था। शेख हसीना का आरोप था कि अमेरिका ने सेंट मार्टिन आइलैंड मांगा था। अगर वह दे देती तो शायद आज मेरी सरकार बनी रहती। मगर ऐसा न करना भारी पड़ गया। हसीना का आरोप है कि इस आइलैंड के सहारे अमेरिका बंगाल की खाड़ी में अपना वर्चस्व बढ़ाना चाहता है। हालांकि, शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने इस बात से इनकार किया है कि उनकी मां ने ऐसा कोई बयान दिया है। शेख हसीना के बेटे वाजेद ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘हाल ही में एक अखबार में प्रकाशित मेरी मां का इस्तीफे से संबंधित बयान पूरी तरह से झूठा और मनगढ़ंत है। उन्होंने मुझसे बातचीत में पुष्टि की है कि उन्होंने ढाका छोड़ने से पहले या बाद में कोई बयान नहीं दिया।
बांग्लादेश के राजनीतिक संकट के पीछे नहीं अमेरिका का हाथ”, शेख हसीना के आरोपों पर पहली बार बोला अमेरिका*
#us_denies_involvement_in_bangladeshs_political_crisis
पिछले हफ्ते बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को ना केवल अपना पीएम पद बल्कि देश छोड़कर भी भागना पड़ा। फिलहाल शेख हसीना ने भारत में शरण ली है। उधर, बांग्लादेश को मोहम्मद यूनुस का नेतृत्व मिल गया है। मगर ये सवाल अब भी बरकरार है कि क्या इन सबके पीछे अमेरिका का हाथ था? इन आरोपों पर पहली बार अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन पियरे ने बांग्लादेश संकट से जुड़ी सभी रिपोर्टों और अफवाहों का खंडन किया और कहा, “हमारी इसमें कोई संलिप्तता नहीं है। ऐसी कोई भी रिपोर्ट या अफवाह कि अमेरिका की सरकार इन घटनाओं में शामिल थी, सरासर झूठ है और बिलकुल भी सच नहीं है। जीन पियरे ने यह भी कहा कि बांग्लादेशी नागरिकों को अपने देश की सरकार का भविष्य तय करना चाहिए। उन्होंने कहा, यह बांग्लादेशी नागरिकों के लिए और उनके द्वारा चुना गया विकल्प है। हमारा मानना है कि बांग्लादेशी लोगों को बांग्लादेशी सरकार का भविष्य तय करना चाहिए और हम भी इसी पर कायम हैं। निश्चित रूप से हम किसी भी आरोप पर बोलते रहेंगे और मैंने यहां जो कहा है वह झूठ है।” जीन पियरे मीडिया में आई उन खबरों पर प्रतिक्रिया दे रही थीं, जिनमें शेख हसीना के कथित दावे के हवाले से कहा गया है कि अगर उन्होंने (शेख हसीना) सेंट मार्टिन द्वीप का आधिपत्य त्याग दिया होता और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर प्रभुत्व स्थापित करने की अनुमति दी होती, तो वह सत्ता में बनी रहतीं। बता दें कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल में अमेरिका पर अपनी सरकार गिराने का आरोप लगाया था। शेख हसीना का आरोप था कि अमेरिका ने सेंट मार्टिन आइलैंड मांगा था। अगर वह दे देती तो शायद आज मेरी सरकार बनी रहती। मगर ऐसा न करना भारी पड़ गया। हसीना का आरोप है कि इस आइलैंड के सहारे अमेरिका बंगाल की खाड़ी में अपना वर्चस्व बढ़ाना चाहता है। हालांकि, शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने इस बात से इनकार किया है कि उनकी मां ने ऐसा कोई बयान दिया है। शेख हसीना के बेटे वाजेद ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘हाल ही में एक अखबार में प्रकाशित मेरी मां का इस्तीफे से संबंधित बयान पूरी तरह से झूठा और मनगढ़ंत है। उन्होंने मुझसे बातचीत में पुष्टि की है कि उन्होंने ढाका छोड़ने से पहले या बाद में कोई बयान नहीं दिया।
बांग्लादेश के राजनीतिक संकट के पीछे नहीं अमेरिका का हाथ”, शेख हसीना के आरोपों पर पहली बार बोला अमेरिका*
#us_denies_involvement_in_bangladeshs_political_crisis
पिछले हफ्ते बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को ना केवल अपना पीएम पद बल्कि देश छोड़कर भी भागना पड़ा। फिलहाल शेख हसीना ने भारत में शरण ली है। उधर, बांग्लादेश को मोहम्मद यूनुस का नेतृत्व मिल गया है। मगर ये सवाल अब भी बरकरार है कि क्या इन सबके पीछे अमेरिका का हाथ था? इन आरोपों पर पहली बार अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन पियरे ने बांग्लादेश संकट से जुड़ी सभी रिपोर्टों और अफवाहों का खंडन किया और कहा, “हमारी इसमें कोई संलिप्तता नहीं है। ऐसी कोई भी रिपोर्ट या अफवाह कि अमेरिका की सरकार इन घटनाओं में शामिल थी, सरासर झूठ है और बिलकुल भी सच नहीं है। जीन पियरे ने यह भी कहा कि बांग्लादेशी नागरिकों को अपने देश की सरकार का भविष्य तय करना चाहिए। उन्होंने कहा, यह बांग्लादेशी नागरिकों के लिए और उनके द्वारा चुना गया विकल्प है। हमारा मानना है कि बांग्लादेशी लोगों को बांग्लादेशी सरकार का भविष्य तय करना चाहिए और हम भी इसी पर कायम हैं। निश्चित रूप से हम किसी भी आरोप पर बोलते रहेंगे और मैंने यहां जो कहा है वह झूठ है।” जीन पियरे मीडिया में आई उन खबरों पर प्रतिक्रिया दे रही थीं, जिनमें शेख हसीना के कथित दावे के हवाले से कहा गया है कि अगर उन्होंने (शेख हसीना) सेंट मार्टिन द्वीप का आधिपत्य त्याग दिया होता और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर प्रभुत्व स्थापित करने की अनुमति दी होती, तो वह सत्ता में बनी रहतीं। बता दें कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल में अमेरिका पर अपनी सरकार गिराने का आरोप लगाया था। शेख हसीना का आरोप था कि अमेरिका ने सेंट मार्टिन आइलैंड मांगा था। अगर वह दे देती तो शायद आज मेरी सरकार बनी रहती। मगर ऐसा न करना भारी पड़ गया। हसीना का आरोप है कि इस आइलैंड के सहारे अमेरिका बंगाल की खाड़ी में अपना वर्चस्व बढ़ाना चाहता है। हालांकि, शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने इस बात से इनकार किया है कि उनकी मां ने ऐसा कोई बयान दिया है। शेख हसीना के बेटे वाजेद ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘हाल ही में एक अखबार में प्रकाशित मेरी मां का इस्तीफे से संबंधित बयान पूरी तरह से झूठा और मनगढ़ंत है। उन्होंने मुझसे बातचीत में पुष्टि की है कि उन्होंने ढाका छोड़ने से पहले या बाद में कोई बयान नहीं दिया।
बांग्लादेश के राजनीतिक संकट के पीछे नहीं अमेरिका का हाथ
#us_denies_involvement_in_bangladeshs_political_crisis
शेख हसीना के आरोपों पर पहली बार बोला अमेरिका* पिछले हफ्ते बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को ना केवल अपना पीएम पद बल्कि देश छोड़कर भी भागना पड़ा। फिलहाल शेख हसीना ने भारत में शरण ली है। उधर, बांग्लादेश को मोहम्मद यूनुस का नेतृत्व मिल गया है। मगर ये सवाल अब भी बरकरार है कि क्या इन सबके पीछे अमेरिका का हाथ था? इन आरोपों पर पहली बार अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन पियरे ने बांग्लादेश संकट से जुड़ी सभी रिपोर्टों और अफवाहों का खंडन किया और कहा, “हमारी इसमें कोई संलिप्तता नहीं है। ऐसी कोई भी रिपोर्ट या अफवाह कि अमेरिका की सरकार इन घटनाओं में शामिल थी, सरासर झूठ है और बिलकुल भी सच नहीं है। जीन पियरे ने यह भी कहा कि बांग्लादेशी नागरिकों को अपने देश की सरकार का भविष्य तय करना चाहिए। उन्होंने कहा, यह बांग्लादेशी नागरिकों के लिए और उनके द्वारा चुना गया विकल्प है। हमारा मानना है कि बांग्लादेशी लोगों को बांग्लादेशी सरकार का भविष्य तय करना चाहिए और हम भी इसी पर कायम हैं। निश्चित रूप से हम किसी भी आरोप पर बोलते रहेंगे और मैंने यहां जो कहा है वह झूठ है।” जीन पियरे मीडिया में आई उन खबरों पर प्रतिक्रिया दे रही थीं, जिनमें शेख हसीना के कथित दावे के हवाले से कहा गया है कि अगर उन्होंने (शेख हसीना) सेंट मार्टिन द्वीप का आधिपत्य त्याग दिया होता और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर प्रभुत्व स्थापित करने की अनुमति दी होती, तो वह सत्ता में बनी रहतीं। बता दें कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल में अमेरिका पर अपनी सरकार गिराने का आरोप लगाया था। शेख हसीना का आरोप था कि अमेरिका ने सेंट मार्टिन आइलैंड मांगा था। अगर वह दे देती तो शायद आज मेरी सरकार बनी रहती। मगर ऐसा न करना भारी पड़ गया। हसीना का आरोप है कि इस आइलैंड के सहारे अमेरिका बंगाल की खाड़ी में अपना वर्चस्व बढ़ाना चाहता है। हालांकि, शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने इस बात से इनकार किया है कि उनकी मां ने ऐसा कोई बयान दिया है। शेख हसीना के बेटे वाजेद ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘हाल ही में एक अखबार में प्रकाशित मेरी मां का इस्तीफे से संबंधित बयान पूरी तरह से झूठा और मनगढ़ंत है। उन्होंने मुझसे बातचीत में पुष्टि की है कि उन्होंने ढाका छोड़ने से पहले या बाद में कोई बयान नहीं दिया।
मोंगला पोर्ट पर भारत ने चीन को दी जोरदार “पटखनी”, कितनी अहम है ये कामयाबी?

#indiagetsterminalofbangladeshsmonglaport

ईरान के चाबहार और म्यांमार में सित्तवे के लिए सफल समझौतों के बाद, भारत बांग्लादेश में मोंगला बंदरगाह पर एक टर्मिनल संचालित करने के लिए तैयार है। भारत ने बांग्लादेश के मोंगला बंदरगाह के एक टर्मिनल पर संचालन का अधिकार हासिल कर लिया है। यह भारत द्वारा तीसरा विदेशी बंदरगाह संचालन होगा क्योंकि नई दिल्ली बंदरगाहों और शिपिंग क्षेत्र में अपने वाणिज्यिक हितों का विस्तार करने के लिए विदेश में जाने में संकोच को तेजी से दूर कर रहा है। हालांकि, मोंगला पोर्ट के सौदे का विवरण अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस टर्मिनल का संचालन इंडिया बंदरगाह ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) के द्वारा किया जाएगा।

हिंद महासागर में चीन को काउंटर करने की कोशिश

हिंद महासागर और बांग्लादेश में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच विश्लेषक इसे भारत की रणनीतिक जीत बता रहे हैं। चीन भी इस बंदरगाह पर अपनी नजर बनाए हुए था। भारत की इस डील को हिंद महासागर में चीन को काउंटर करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। मोंगला पोर्ट के संचालन से भारत अपने पड़ोसी चीन की बढ़ती रणनीतिक उपस्थिति का मुकाबला करने में और सक्षम हो जाएगा। इसके साथ ही हिंद महासागर क्षेत्र के पश्चिमी और पूर्वी दोनों हिस्सों में बंदरगाहों का प्रबंधन करने में मदद मिलेगी। हिंद महासागर में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन जिबूती में 652 करोड़ और पाकिस्तान के ग्वादर में 1.3 लाख करोड़ की मदद से बंदरगाह बना रहा है।

भारत के लिए कनेक्टिविटी के लिहाज से भी अहम

मोंगला बंदरगाह डील भारत के लिए कनेक्टिविटी के लिहाज से अहम है। इस बंदरगाह के जरिए भारत को उत्तर-पूर्व के राज्यों तक कनेक्टिविटी को बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे चिकन नेक या सिलिगुड़ी कॉरीडोर पर दबाव कम होगा। मोंगला बंदरगाह पर भारत की पहुंच इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह चटगांव के बाद बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा बंदरगाह है।

बता दें कि भारत ने हाल के दिनों में वैश्विक समुद्री दौड़ में चीन का मुकाबला करने के लिए विदेशी बंदरगाहों पर नियंत्रण हासिल करने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। कंटेनर ट्रैफिक के मामले में टॉप 10 बंदरगाह में भारत का एक भी बंदरगाह शामिल नहीं हैं। जबकि टॉप 10 में चीन के 6 बंदरगाह शामिल हैं। वहीं, चीन अब तक 63 से ज्यादा देशों के 100 से ज्यादा बंदरगाहों में निवेश कर चुका है। मोंगला बंदरगाह का संचालन, हिंद महासागर में भारत की बंदरगाह संचालन की क्षमताओं को दिखाने का अच्छा मौका है।

मोंगला बंदरगाह सौदा पिछले महीने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की दो दिवसीय भारत यात्रा के बाद हुआ है। इस यात्रा के दौरान उन्होंने अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। दोनों देशों ने समुद्री क्षेत्र सहित कई सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए। भारत के बाद हसीना चीन की यात्रा पर गई थीं, लेकिन दौरे के बीच में ही लौट आई थीं। इसके ठीक बाद उन्होंने तीस्ता प्रोजेक्ट भारत को देने की घोषणा की थी।