15 महीने बाद गाजा में बंद होगा युद्, इजरायल-हमास के बीच हुआ समझौता

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इजराइल और हमास ने 15 महीने से गाजा में चल रहे युद्ध को खत्म करने के लिए सीजफायर पर सहमति दी है। यह समझौता इजराइली बंधकों के बदले फिलिस्तीनी कैदियों के आदान-प्रदान के तहत हुआ है। ये समझौता 19 जनवरी से लागू होने की बात की जा रही है।मिस्र और कतर की मध्यस्थता से हुआ यह सौदा अमेरिकी समर्थन से संभव हो पाया है। अक्टूबर 2023 में शुरू हुए इस युद्ध में 46,000 से अधिक लोगों की मौत हुई।

कतर, मिस्र और अमेरिका ने बुधवार को एक संयुक्त बयान जारी किया। इसमें बताया गया कि इस्राइल और हमास ने युद्ध विराम और बंधकों की रिहाई के लिए समझौता किया है। यह समझौता 19 जनवरी 2025 से प्रभावी होगा और इसमें तीन चरणों में शांति लाने की योजना है। साथ ही मामले में कतर, मिस्र और अमेरिका ने यह सुनिश्चित करने का वचन दिया है कि सभी तीन चरणों का पालन किया जाएगा और यह समझौता पूरी तरह से लागू होगा। इन देशों ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ मिलकर इस प्रक्रिया को सफल बनाने का भी वादा किया है।

वहीं, सीजफायर को लेकर इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि हमास के साथ युद्ध विराम समझौता अभी पूरी तरह से तय नहीं हुआ है और इस पर आखिरी विवरण पर काम किया जा रहा है। साथ ही पीएम नेतन्याहू ने इजाराइली बंधकों की रिहाई और वापसी के लिए प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और डोनाल्ड ट्रंप को धन्यवाद किया।

33 इजरायली बंधकों को रिहा किया जाएगा

समझौते के विवरण की अभी औपचारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन एक अधिकारी ने बताया कि शुरुआती चरण में छह हफ्ते का प्रारंभिक युद्धविराम होगा जिसमें गाजा पट्टी से इजरायली सेना की धीरे-धीरे वापसी, हमास के कब्जे से इजरायली बंधकों की रिहाई और इजरायल की कैद से फलस्तीनी कैदियों की रिहाई शामिल है। 

इस चरण में 33 इजरायली बंधकों को रिहा किया जाएगा जिनमें सभी महिलाएं, बच्चे और 50 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष हैं। दूसरे चरण को लागू करने के लिए पहले चरण के 16वें दिन वार्ता शुरू होगी और इसमें सैनिकों समेत सभी बाकी बंधकों की रिहाई, स्थायी युद्ध विराम और गाजा से इजरायली सेना की पूर्ण वापसी शामिल होने की संभावना है। तीसरे चरण में सभी बाकी शवों को लौटाने और मिस्त्र, कतर व संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में गाजा का पुनर्निर्माण शुरू करने की बात हो सकती है।

46 हजार से अधिक लोगों ने गंवाई जान

बीते 7 अक्तूबर 2023 को हमास के हमले के साथ शुरू हुए इस्राइल और फलस्तीन के बीच जंग ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। इस युद्ध में अब तक 23 लाख की आबादी वाली गाजा पट्टी में लगभग 90 प्रतिशत लोग विस्थापित हो चुके हैं और 46 हजार से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं।

भारत से FTA वार्ता फिर शुरू करेगा ब्रिटेन, मोदी-स्टार्मर मुलाकात के बाद डाउनिंग स्ट्रीट का बड़ा एलान, क्या है इसका मतलब?

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ब्राजील में चल रहे जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान ब्रिटेन ने नए साल में भारत के साथ फिर से व्यापार वार्ता शुरू करने की बात कही है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने पीएम मोदी से मीटिंग के बाद इस बात की घोषणा कर दी। पीटीआई की खबर के मुताबिक, डाउनिंग स्ट्रीट ने कहा कि ब्रिटेन भारत के साथ एक नई रणनीतिक साझेदारी की तलाश करेगा, जिसमें व्यापार समझौता और सुरक्षा, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करना शामिल है।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के प्रवक्ता ने कहा, ब्रिटेन भारत के साथ एफटीए पर बातचीत के लिए प्रतिबद्ध है, जो दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यस्थाओं में से एक है। डाउनिंग स्ट्रीट ने स्टार्मर के हवाले से एक बयान में कहा, भारत के साथ एक नए एफटीए से ब्रिटेन में रोजगार और समृद्धि बढ़ेगी और यह हमारे देश में विकास और अवसर लाने के हमारे मिशन को एक कदम आगे ले जाएगा।

पीएम मोदी ने भी पहल को सराहा

प्रधानमंत्री ने ब्रिटेन की तरफ से किए गए इस ऐलान का स्वागत किया और कहा कि भारत के लिए, यू.के. के साथ व्यापक रणनीतिक साझेदारी अत्यधिक प्राथमिकता वाली है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मोदी ने कहा कि हम व्यापार के साथ-साथ सांस्कृतिक संबंधों को भी मजबूत करना चाहते हैं। भारत के विदेश मंत्रालय (एमईए) ने भी कहा कि द्विपक्षीय बैठक ने भारत-यू.के. व्यापक रणनीतिक साझेदारी को नई गति दी है।

भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट

आपको बता दें, कि भारत और यूके जनवरी 2022 से मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं और इस साल की शुरुआत में दोनों देशों में आम चुनावों के दौरान से बातचीत रुकी हुई है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, जून तक 12 महीनों में द्विपक्षीय व्यापार संबंध 42 बिलियन ब्रिटिश पाउंड के बराबर था। मुक्त व्यापार समझौते से इस आंकड़े में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। यू.के. में लेबर पार्टी की सरकार घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के साधन के रूप में व्यापार अनुकूल संदेश को उजागर करने में दिलचस्पी रखती है।

यह घोषणा दोनों देशों के बीच प्रमुख क्षेत्रों में संबंधों को गहरा करने के लिए नए सिरे से प्रयास को दर्शाती है। डाउनिंग स्ट्रीट ने भारत के साथ एक नई रणनीतिक साझेदारी स्थापित करने के यूके के इरादे को सामने रखा है, जिसमें व्यापक व्यापार समझौते और सुरक्षा, शिक्षा, टेक्नोलॉजी और जलवायु परिवर्तन में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा

भारत-मॉरीशस संबंध: इतिहास, सहयोग और रणनीतिक साझेदारी पर आधारित दोस्ती

#indiamauritiusrelations

Narendra Modi with Mauritius President

भारत और मॉरीशस के बीच संबंधों की जड़ें इतिहास, संस्कृति और आपसी हितों में गहरी हैं। भारतीय महासागर क्षेत्र में स्थित ये दो देश एक मजबूत, स्थायी साझेदारी के उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, जो दशकों से निरंतर विकसित हो रही है। इन संबंधों की नींव साझा ऐतिहासिक अनुभवों, व्यापारिक हितों और सांस्कृतिक समानताओं पर आधारित है, जबकि वर्तमान में यह द्विपक्षीय व्यापार, रक्षा सहयोग, जलवायु परिवर्तन और समुद्री सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है।

ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध

भारत और मॉरीशस का ऐतिहासिक संबंध 19वीं शताबदी में शुरू हुआ, जब भारतीय श्रमिकों को ब्रिटिश साम्राज्य के तहत मॉरीशस में चीनी बागानों में काम करने के लिए लाया गया। आज मॉरीशस की अधिकांश जनसंख्या भारतीय मूल की है, और भारतीय संस्कृति ने इस द्वीप राष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने को गहरे तौर पर प्रभावित किया है। मॉरीशस में हिंदी और भोजपुरी भाषाएं आम हैं, और भारतीय धार्मिक उत्सव जैसे दीवाली, महाशिवरात्रि और गणेश चतुर्थी बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं। भारत और मॉरीशस के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान निरंतर होता रहा है। भारतीय शास्त्रीय नृत्य, संगीत और साहित्य भी मॉरीशस की सांस्कृतिक धारा का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। इस साझा सांस्कृतिक परंपरा ने दोनों देशों के बीच एक अनूठा और स्थायी संबंध स्थापित किया है।

कूटनीतिक संबंध और उच्च स्तरीय दौरे

1968 में मॉरीशस के स्वतंत्र होने के बाद, भारत ने इस नए राष्ट्र को अपनी संप्रभुता की मान्यता दी और दोनों देशों के बीच औपचारिक कूटनीतिक संबंध स्थापित किए। भारत ने मॉरीशस के साथ कूटनीतिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए कई उच्चस्तरीय दौरे किए हैं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भारत के शीर्ष नेताओं ने मॉरीशस का दौरा किया, और मॉरीशस के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और अन्य नेताओं ने भी भारत की यात्रा की। इन दौरों का मुख्य उद्देश्य व्यापार, निवेश, रक्षा, और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर सहयोग बढ़ाना रहा है। भारत और मॉरीशस ने संयुक्त राष्ट्र (UN), विश्व व्यापार संगठन (WTO) और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक-दूसरे का समर्थन किया है, और दोनों देशों के बीच वैश्विक मंचों पर सहयोग निरंतर बढ़ता जा रहा है। दोनों देश साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय नियमों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को साझा करते हैं।

आर्थिक और व्यापारिक सहयोग

भारत और मॉरीशस के बीच आर्थिक संबंध समय के साथ और मजबूत हुए हैं। मॉरीशस भारतीय कंपनियों के लिए अफ्रीकी बाजारों तक पहुँचने का एक प्रमुख हब बन गया है। भारत, बदले में, मॉरीशस को महत्वपूर्ण निवेश और व्यापार का स्रोत प्रदान करता है। दोनों देशों के बीच व्यापार का प्रमुख क्षेत्र मशीनरी, पेट्रोलियम उत्पाद, दवाइयाँ, वस्त्र, और चीनी के रूप में होता है।

भारत-मॉरीशस व्यापार के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। भारत ने अपने Comprehensive Economic Cooperation and Partnership Agreement (CECPA) के तहत मॉरीशस के साथ व्यापारिक संबंधों को और भी मजबूत किया है। इस समझौते के तहत दोनों देशों ने माल और सेवाओं के व्यापार में तेजी लाने, निवेश को प्रोत्साहित करने और व्यापारिक बाधाओं को कम करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। मॉरीशस को भारत के लिए एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार और अफ्रीका में भारतीय निवेश का एक प्रवेश द्वार के रूप में देखा जाता है।

विकास सहयोग और तकनीकी सहायता

भारत ने हमेशा मॉरीशस की विकास यात्रा में मदद की है। भारत ने मॉरीशस को बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा, और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहायता प्रदान की है। भारत ने मॉरीशस को लाइन ऑफ क्रेडिट (LoC) भी दिया है, जो कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए इस्तेमाल किया गया है, जिनमें बंदरगाह विकास, नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ और शहरी बुनियादी ढांचा शामिल हैं। भारत ने मॉरीशस में क्षमता निर्माण पर भी विशेष ध्यान दिया है। भारतीय विशेषज्ञों ने विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने में मदद की है। इस सहयोग के परिणामस्वरूप, मॉरीशस के विभिन्न सरकारी और निजी संस्थान भारत से प्रौद्योगिकी और प्रबंधन में मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं।

समुद्री सुरक्षा और रक्षा सहयोग

भारत और मॉरीशस के बीच रक्षा सहयोग भी मजबूत हुआ है। दोनों देशों के पास साझा हित हैं – भारतीय महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समुद्री सुरक्षा बनाए रखना। भारत ने मॉरीशस को अपनी समुद्री निगरानी और रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए आवश्यक तकनीकी सहायता और उपकरण प्रदान किए हैं। भारतीय नौसेना मॉरीशस के बंदरगाहों पर नियमित रूप से आकर नौसैनिक अभ्यास करती है, और दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा पर सहयोग बढ़ रहा है।

भारत और मॉरीशस के बीच एक प्रमुख रक्षा सहयोग क्षेत्र संयुक्त समुद्री गश्त, आतंकवाद विरोधी कार्रवाई और आपदा राहत ऑपरेशंस है। दोनों देशों ने भारतीय महासागर में समुद्री डकैती, अवैध मछली पकड़ने और अन्य खतरों से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाया है।

जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ विकास

मॉरीशस, एक छोटे द्वीप राष्ट्र के रूप में, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से काफी प्रभावित हो सकता है। इसके मद्देनजर, भारत और मॉरीशस ने नवीकरणीय ऊर्जा, जल संसाधन प्रबंधन और आपदा प्रबंधन जैसी पहलों में सहयोग किया है। भारत ने मॉरीशस को सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए सहायता प्रदान की है और दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त रूप से काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।

भारत और मॉरीशस ने मिलकर संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प लिया है और इस दिशा में कई सहयोगी योजनाओं को लागू किया है। 

चुनौतियाँ और तनाव के क्षेत्र

भारत और मॉरीशस के रिश्ते आम तौर पर सकारात्मक रहे हैं, लेकिन कुछ मुद्दों पर मतभेद भी रहे हैं। एक प्रमुख मुद्दा डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (DTAA) था, जिसे कुछ आलोचकों ने भारत से निवेशों के रास्ते के रूप में देखा था, जिससे करों से बचने का अवसर मिलता था। हालांकि, भारत और मॉरीशस ने हाल के वर्षों में इस समझौते की शर्तों पर पुनर्विचार किया है और अब यह अधिक पारदर्शी और निवेशक मित्रवत है।

इसके अलावा, एक अन्य विवाद का मुद्दा चागोस द्वीपसमूह पर है। मॉरीशस ने इसे अपने क्षेत्र के रूप में दावा किया है, और भारत ने इस दावे का समर्थन किया है। भारत ने ब्रिटेन से द्वीपों की पुन: स्वामित्व को लेकर मॉरीशस के पक्ष में कड़ी स्थिति अपनाई है।

भारत-मॉरीशस संबंधों का भविष्य

भारत और मॉरीशस के रिश्तों का भविष्य और भी उज्जवल दिख रहा है। दोनों देशों के बीच CECPA और अन्य व्यापारिक समझौतों के तहत व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के नए अवसर खुलेंगे। भारत अपनी रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं को बढ़ाता जा रहा है, और मॉरीशस के लिए यह एक प्रभावी सहयोगी के रूप में उभरने का अवसर है।

समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी सहयोग, जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ विकास जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के रिश्ते और अधिक गहरे और व्यापक होंगे। भारत, एक बढ़ती वैश्विक शक्ति के रूप में, मॉरीशस के लिए एक भरोसेमंद साझेदार बना रहेगा, और मॉरीशस के लिए भारत का समर्थन भारतीय महासागर में अपनी शक्ति और सुरक्षा बढ़ाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा।

भारत और मॉरीशस के संबंध एक आदर्श साझेदारी का उदाहरण पेश करते हैं, जो पारस्परिक सहयोग, रणनीतिक दृष्टिकोण और साझा ऐतिहासिक बंधनों पर आधारित है। आने वाले वर्षों में ये दोनों देश अपने संबंधों को और मजबूत करेंगे, और भारतीय महासागर क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देंगे।

 

क्या भारत-चीन सीमा समझौते में अमेरिका का भूमिका? जानें क्या कह रहा यूएस

#usareactionindiachinalacpatrollingagreement 

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर समझौता हो गया है। समजौते के तहत दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट रही हैं। भारत-चीन संबंध पर दुनियाभर की नजर है, खासकर अमेरिका की। अब दोनों देशों के बीच हे सीमा समझौते के बाद अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी है।अमेरिका ने कहा है कि वह भारत-चीन के बीच एलएसी समझौते पर 'गहरी नजर' बनाए हुए है और सीमा पर तनाव कम होने का "स्वागत" करता है। ये बात अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कही। बता दें कि भारत और चीन के बीच बड़ी डील हुई है। 5 साल से पूर्वी लद्दाख में बॉर्डर पर जो तनातनी चल रही थी, वो कई बैठकों के बाद आखिरकार समाप्त हो रही है।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि वह भारत-चीन सीमा पर तनाव की स्थिति कम होने का स्वागत करता है। साथ ही कहा कि नई दिल्ली ने इस संबंध में उसे जानकारी दी है। विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने पत्रकारों से कहा, हम भारत और चीन के बीच के घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहे हैं। हम समझते हैं कि दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर टकराव वाले बिंदुओं से सैनिकों को वापस बुलाने के लिए शुरुआती कदम उठाए हैं। हम सीमा पर तनाव की स्थिति में किसी भी कमी का स्वागत करते हैं।

वहीं, जब मिलर से पूछा गया कि क्या इस मामले में अमेरिका की कोई भूमिका है, तो उन्होंने जवाब दिया, नहीं, हमने भारतीय साझेदारों से इस बारे में जानकारी ली है, लेकिन इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है।

भारत-चीन के बीच समझौता

बता दें कि जून 2020 से भारत और चीन के बीच एलएसी पर तनाव बना हुआ था। तब गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच संघर्ष हुआ था और दोनों ओर से सैनिक हताहत हुए थे। एलएसी पेट्रोलिंग समझौता 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले घोषित किया गया था। सम्मेलन रूस के कजान में 22 से 24 अक्टूबर के बीच हुआ था। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भाग लिया।उस दौरान उनकी रूस के कजान शहर में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय मुलाकात भी हुई थी।

एलएसी पर भारत-चीन समझौते को लेकर कांग्रेस ने खड़े किए सवाल, पूछा-क्या 26 पेट्रोलिंग पॉइंट तक जा सकेंगे हमारे जवान?

#congress_raised_questions_on_india_china_patrol_agreement

भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पेट्रोलिंग को लेकर हुए समझौते पर कांग्रेस ने सवाल उठाया है।कांग्रेस ने समझौते पर सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार को घेरने को की कोशिश की है। कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि सैनिकों के पीछे हटने से मार्च 2020 जैसी यथास्थिति बहाल हो जाएगी। कांग्रेस ने सरकार से इस मामले में भारत के लोगों को विश्वास में लेने की बात भी कही है। कांग्रेस पार्टी का यह बयान रूस में आयोजित हो रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की द्विपक्षीय वार्ता से पहले आया है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ भारत के संघर्ष विराम पर बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को छह सीधे सवाल दागे और कहा कि उसे उम्मीद है कि नई दिल्ली की “दशकों में सबसे खराब विदेश नीति का झटका” सम्मानजनक तरीके से हल हो जाएगा।

जयराम रमेश ने कहा, यह दुखद घटना चीन के मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मूर्खता और नासमझी का पूर्ण दोषारोपण है। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी को चीन ने तीन बार भव्य तरीके से मेजबानी की थी। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने चीन की पांच आधिकारिक यात्राएं कीं और चीनी प्रधानमंत्री शी जिनपिंग के साथ 18 बैठकें कीं, जिसमें उनके 64वें जन्मदिन पर साबरमती के तट पर एक दोस्ताना झूला सत्र भी शामिल है।

कांग्रेस नेता ने आगे कहा, भारत की स्थिति 19 जून 2020 को सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई, जब प्रधानमंत्री ने चीन को अपनी कुख्यात क्लीन चिट देते हुए कहा, न कोई हमारी सीमा में घुस आया है, न ही कोई घुसा हुआ है। यह बयान गलवान में हुई झड़प के सिर्फ़ चार दिन बाद दिया गया था, जिसमें हमारे 20 बहादुर सैनिकों ने सर्वोच्च बलिदान दिया था। यह हमारे शहीद सैनिकों का घोर अपमान था, इसने चीन की आक्रामकता को भी वैध बना दिया और इस तरह एलएसी पर गतिरोध के समय पर समाधान में बाधा उत्पन्न की। पूरे संकट के प्रति मोदी सरकार के दृष्टिकोण को डीडीएलजे के रूप में वर्णित किया जा सकता है: Deny(इंकार करो), Distract ( ध्यान भटकाओ), Lie(झूठ बोलो) and Justify (न्यायोचित ठहराओ)|

कांग्रेस नेता ने कहा कि चीन के साथ इस समझौते पर पहुंचने के बाद, सरकार को भारत के लोगों को विश्वास में लेना चाहिए और इन महत्वपूर्ण सवालों का जवाब देना चाहिए:

1.. क्या भारतीय सैनिक डेपसांग में हमारी दावा रेखा तक, बॉटलनेक जंक्शन से आगे पांच गश्ती बिंदुओं तक गश्त कर सकेंगे, जैसा कि वे पहले कर पाते थे?

2. क्या हमारे सैनिक डेमचोक के उन तीन गश्ती बिंदुओं तक पहुंच पाएंगे जो चार वर्षों से अधिक समय से सीमा से बाहर हैं?

3. क्या हमारे सैनिक पैंगोंग त्सो में फिंगर 3 तक ही सीमित रहेंगे, जबकि पहले वे फिंगर 8 तक जा सकते थे?

4. क्या हमारे गश्ती दल को गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में तीन गश्ती बिंदुओं तक पहुंचने की अनुमति है, जहां वे पहले जा सकते थे?

5. क्या भारतीय चरवाहों को एक बार फिर हेलमेट टॉप, मुकपा रे, रेजांग ला, रिनचेन ला, टेबल टॉप और चुशुल के गुरुंग हिल में पारंपरिक चरागाहों तक पहुंचने का अधिकार दिया जाएगा?

6. क्या "बफर जोन" जो हमारी सरकार ने चीन को सौंपे थे, जिसमें युद्ध नायक और मरणोपरांत परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह के लिए रेजांग ला में एक स्मारक स्थल भी शामिल था, अब अतीत की बात हो गई है?

भारत-चीन गतिरोध होगा खत्म, भारत के साथ समझौते की चीन ने भी पुष्टि
#china_confirms_reached_agreement_with_india
भारत और चीन के बीच बीते कई वर्षों से पूर्वी लद्दाख में जारी सैन्य गतिरोध अब समाप्त होता हुआ नजर आ रहा है। पूर्वी लद्दाख में दोनों सेनाओं के बीच गतिरोध समाप्त करने के लिए भारत-चीन के साथ समझौता हो गया है।एलएसी पर गतिरोध खत्म होने को लेकर चीन ने भी बयान जारी कर दिया है। चीन ने गतिरोध खत्म होने और भारत के साथ समझौता होने की पुष्टि करते हुए कहा है कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर सहमति बनी है। गौरतलब है कि कल ही इसे लेकर भारत के विदेश सचिव ने भी बयान जारी किया था।

*सीमा समझौते पर चीन ने क्या कहा*
विवादित क्षेत्रों में सीमा गश्त पर चीन और भारत के बीच समझौते के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने वर्तमान समझौते की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि चीन और भारत ने सीमा से संबंधित मुद्दों के बारे में कूटनीतिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से संचार बनाए रखा है।
लिन जियान ने कहा कि वर्तमान में, दोनों पक्ष (भारत-चीन) मामलों को लेकर एक समाधान पर पहुंच गए हैं, जिसे चीन सकारात्मक रूप से देखता है। लिन ने कहा कि अगले चरण में, चीन समाधान योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए भारत के साथ काम करेगा।

*भारत ने समझौते पर क्या कहा था*
इससे पहले सोमवार को भारत ने घोषणा की थी कि दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गश्त के लिए एक समझौते पर सहमत हुए हैं। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, ‘पिछले कई हफ्तों से भारतीय और चीनी राजनयिक तथा सैन्य वार्ताकार कई प्लैटफॉर्मों पर एक-दूसरे के साथ निकट संपर्क में हैं। इस चर्चा के परिणामस्वरूप भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में एलएसी पर गश्त को लेकर सहमति बनी है। इस समझौते से सैनिकों की वापसी होगी और 2020 में उठे मुद्दों का समाधान होगा। हम इस पर अगला कदम उठाएंगे।

*गलवां घाटी झड़प के बाद से गतिरोध*
इस समझौते को पूर्वी लद्दाख में चार वर्ष से अधिक समय से जारी सैन्य गतिरोध के समाधान की दिशा में एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। 15 जून, 2020 को गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद भारत और चीन के बीच संबंध निचले स्तर पर पहुंच गए थे। यह झड़प पिछले कुछ दशकों में दोनों पक्षों के बीच हुई सबसे भीषण सैन्य झड़प थी।
भारत-चीन के बीच पेट्रोलिंग पर बनी नई सहमति, ड्रैगन के साथ सीमा समझौते पर जयशंकर का बड़ा बयान
#s_jaishankar_on_the_agreement_between_india_and_china
भारत ने चीन के साथ लद्दाख एरिया में वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चल रहे विवाद को सुलझाने की बात कही है। दिपसांग और डेमचोक में अब साल 2020 से पहले वाली स्थिति बहाल हो जाएगी। भारतीय जवान पहले की तरह इस इलाके में पेट्रोलिंग कर सकेंगे। इससे चीन की आर्मी के मूवमेंट पर पैनी नजर रखना संभव हो सकेगा।भारत और चीन के बीच पेट्रोलिंग को लेकर हुए समझौते पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत और चीन 2020 से पहले की स्थिति को वापस लाने के लिए गश्त पर एक समझौते पर पहुंच गए हैं। अगले कदमों पर चर्चा के लिए महत्वपूर्ण बैठकें होने की जरूरत है। एनडीटीवी से बात करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, भारत और चीन में सीमा पर पेट्रोलिंग सिस्टम को लेकर समझौता हुआ है। यह एक सकारात्मक और अच्छा घटनाक्रम है। यह बहुत धैर्य और बहुत दृढ़ कूटनीति का नतीजा है। हम सितंबर, 2020 से बातचीत कर रहे हैं। उस समय मास्को में चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात के बाद मुझे लगा था कि हम शांति और 2020 से पहले की स्थिति में वापस आ सकेंगे। एस जयशंकर ने कहा, भारत या चीन जैसे कई बड़े देशों के बीच अलग-अलग नजरिए हैं। अगर टकराव होगा और यह इतना आसान नहीं होगा। लेकिन ये समझौता बहुत अहम है। इस समझौते के बाद हम 2020 में जो गश्त कर रहे थे, उसे वापस करने में सक्षम होंगे। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि दोनों देशों के बीच सहमति कैसे हुई? उन्होंने कहा, यह सहमति धैर्य और कूटनीति के चलते हुई है। उन्होंने कहा, चीन से बात करने में कई बार लोगों ने लगभग हार मान ली, लेकिन हम सितंबर 2020 से चीन से बातचीत कर रहे हैं। हमने चीन के साथ बातचीत की पूरी प्रक्रिया में बहुत धैर्य रखा। विदेश मंत्री ने इस समझौते की अहमियत पर बात करते हुए कहा, सबसे ज्यादा अहम बात यह है कि अगर दोनों देशों के बीच समझौता हो गया है तो यह दोनों देशों के बीच कई समझौतों का आधार बनता है। साथ ही सीमा पर शांति का आधार बनता है। उन्होंने कहा, अगर दोनों देशों के बीच सीमा पर शांति नहीं है तो फिर द्विपक्षीय संबंधों में सुधार कैसे होगा इससे पहले भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को ही इस समझौते की जानकारी दी थी। साथ ही उन्होंने बताया था कि पेट्रोलिंग के नए सिस्टम पर सहमति के बाद दोनों देश सेनाएं पीछे हटा सकते हैं।देपसांग प्लेन डेमचोक में सैनिकों को पेट्रोलिंग पॉइंट्स पर जाने की इजाजत अभी नहीं है। यहां सेनाएं अभी मौजूद हैं। पेट्रोलिंग का नया सिस्टम इन्हीं पॉइंट्स से संबंधित है। इससे गलवान जैसे टकराव को टाला जा सकेगा।
क्या AI के जरिए परमाणु हथियार कंट्रोल करना चाहता है चीन? ड्रैगन की इस चाल ने दुनिया को डराया

#china_refuses_to_sign_agreement_banning_ai_from_controlling_nuclear_weapons

आज के समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI मानवीय जीवन का सबसे बड़ा साथी बनता जा रहा। हालांकि हर चीज के दो पहलू होते हैं। एआ के भी फायदे और नुकसान दोनों हैं। नुकसान खासकर तब है, जब दुनिया के तमाम देशों के पास परमाणु हथियार हैं। अमेरिका, चीन समेत कई देश AI के सैन्य इस्तेमाल पर प्रयोग कर रहे हैं। बात यहां तक बढ़ी है कि अब AI के जरिए परमाणु हथियार कंट्रोल किए जाने का खतरा पैदा हो गया है।

परमाणु हथियारों को कंट्रोल करने में भी इसका उपयोग करने की संभावनाएं बढ़ रही हैं, जो मानव सभ्यता के लिए खतरा बन सकता है। परमाणु हथियार कैसी तबाही मचा सकते हैं, यह दुनिया ने उनके विकास के साथ ही 1945 में देख लिया था। जापान के नागासाकी और हिरोशिमा पर अमेरिका ने 6 और 9 अगस्त को परमाणु बम गिराए थे। वह दुनिया में परमाणु बमों के इस्तेमाल का पहला और अब तक का इकलौता वाकया है। हालांकि, बाद के दशकों में रूस, फ्रांस, ब्रिटेन, चीन, भारत समेत कई देशों ने परमाणु हथियार बनाने की क्षमता पा ली। ऐसे में दुनिया के किसी भी कोने में होने वाली जंग के परमाणु युद्ध में बदलने का खतरा बरकरार लगातार बरकरार है।

इस खौफ से निपटने के लिए 100 से ज्‍यादा देशों ने तय क‍िया है क‍ि परमाणु बम को AI के कंट्रोल में नहीं रखा जाएगा, क्‍योंक‍ि इससे कभी भी महाविनाश हो सकता है। इसी कारण साउथ कोरिया में आयोजित REAIM सम्मेलन में परमाणु उपकरणों और हथियारों को कंट्रोल करने में AI का इस्तेमाल नहीं करने का आह्वान किया गया। इसे लेकर एक समझौता करने की कोशिश की गई, जिस पर सहमति जताने से चीन ने इंकार कर दिया है।

दक्ष‍िण कोर‍िया की राजधानी सियोल में हाल ही में एक बैठक का मकसद था, इस बात पर चर्चा करना क‍ि आर्मी और जंग के मैदान में AI कैसे और क‍ितना इस्‍तेमाल क‍िया जाए, इस पर निर्णय लेना। आर्मी में AI के इस्‍तेमाल पर ज्‍यादातर देशों की एक राय थी, लेकिन जब बात एटामिक बमों को AI के कंट्रोल में देने की आई तो चीन ने अपने कदम पीछे खींच ल‍िए। उससे इस पैक्‍ट पर सिग्‍नेचर करने से साफ मना कर दिया। ड्रैगन के इस चाल से पूरी दुनिया चिंता में पड़ गई है।

अभी तक दुनियाभर में सेनाएं AI का इस्तेमाल निगरानी, सर्विलांस और एनालिसिस के लिए करती आई हैं। इस बात पर आम सहमति सी रही कि परमाणु हथियार दागने का फैसला हमेशा इंसानों के हाथ में रहेगा। AFP की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी योजना है कि भविष्य में AI का उपयोग लक्ष्य चुनने के लिए किया जा सकता है, लेकिन अधिकांश देश अभी भी इस बात पर सहमत हैं कि लॉन्च का फैसला निर्णय मनुष्यों के हाथ में होना चाहिए। लेकिन चीन के साथ ऐसा नहीं है। जून में व्हाइट हाउस ने कहा था कि चीन ने परमाणु हथियारों के लॉन्च को कंट्रोल करने में AI की भूमिका को सीमित करने के अमेरिकी प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।

चीन का इस समझौते से पीछे हटना कई सवाल खड़े कर रहा है। चीन बार-बार यह साबित कर चुका है कि वह आधुनिक तकनीकों में निवेश और अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के प्रति प्रतिबद्ध है। AI तकनीक के उपयोग से अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत करने की उसकी मंशा साफ दिख रही है। इस संदर्भ में चीन का AI संचालित सैन्य प्रणालियों में बढ़ती रुचि और इस समझौते से दूरी बनाना यह संकेत देता है कि वह AI के जरिए परमाणु हथियारों के नियंत्रण की संभावना को खारिज नहीं कर रहा है।

क्या AI के जरिए परमाणु हथियार कंट्रोल करना चाहता है चीन? ड्रैगन की इस चाल ने दुनिया को डराया

#china_refuses_to_sign_agreement_banning_ai_from_controlling_nuclear_weapons

आज के समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI मानवीय जीवन का सबसे बड़ा साथी बनता जा रहा। हालांकि हर चीज के दो पहलू होते हैं। एआ के भी फायदे और नुकसान दोनों हैं। नुकसान खासकर तब है, जब दुनिया के तमाम देशों के पास परमाणु हथियार हैं। अमेरिका, चीन समेत कई देश AI के सैन्य इस्तेमाल पर प्रयोग कर रहे हैं। बात यहां तक बढ़ी है कि अब AI के जरिए परमाणु हथियार कंट्रोल किए जाने का खतरा पैदा हो गया है।

परमाणु हथियारों को कंट्रोल करने में भी इसका उपयोग करने की संभावनाएं बढ़ रही हैं, जो मानव सभ्यता के लिए खतरा बन सकता है। परमाणु हथियार कैसी तबाही मचा सकते हैं, यह दुनिया ने उनके विकास के साथ ही 1945 में देख लिया था। जापान के नागासाकी और हिरोशिमा पर अमेरिका ने 6 और 9 अगस्त को परमाणु बम गिराए थे। वह दुनिया में परमाणु बमों के इस्तेमाल का पहला और अब तक का इकलौता वाकया है। हालांकि, बाद के दशकों में रूस, फ्रांस, ब्रिटेन, चीन, भारत समेत कई देशों ने परमाणु हथियार बनाने की क्षमता पा ली। ऐसे में दुनिया के किसी भी कोने में होने वाली जंग के परमाणु युद्ध में बदलने का खतरा बरकरार लगातार बरकरार है।

इस खौफ से निपटने के लिए 100 से ज्‍यादा देशों ने तय क‍िया है क‍ि परमाणु बम को AI के कंट्रोल में नहीं रखा जाएगा, क्‍योंक‍ि इससे कभी भी महाविनाश हो सकता है। इसी कारण साउथ कोरिया में आयोजित REAIM सम्मेलन में परमाणु उपकरणों और हथियारों को कंट्रोल करने में AI का इस्तेमाल नहीं करने का आह्वान किया गया। इसे लेकर एक समझौता करने की कोशिश की गई, जिस पर सहमति जताने से चीन ने इंकार कर दिया है। 

दक्ष‍िण कोर‍िया की राजधानी सियोल में हाल ही में एक बैठक का मकसद था, इस बात पर चर्चा करना क‍ि आर्मी और जंग के मैदान में AI कैसे और क‍ितना इस्‍तेमाल क‍िया जाए, इस पर निर्णय लेना। आर्मी में AI के इस्‍तेमाल पर ज्‍यादातर देशों की एक राय थी, लेकिन जब बात एटामिक बमों को AI के कंट्रोल में देने की आई तो चीन ने अपने कदम पीछे खींच ल‍िए। उससे इस पैक्‍ट पर सिग्‍नेचर करने से साफ मना कर दिया। ड्रैगन के इस चाल से पूरी दुनिया चिंता में पड़ गई है।

अभी तक दुनियाभर में सेनाएं AI का इस्तेमाल निगरानी, सर्विलांस और एनालिसिस के लिए करती आई हैं। इस बात पर आम सहमति सी रही कि परमाणु हथियार दागने का फैसला हमेशा इंसानों के हाथ में रहेगा। AFP की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी योजना है कि भविष्य में AI का उपयोग लक्ष्य चुनने के लिए किया जा सकता है, लेकिन अधिकांश देश अभी भी इस बात पर सहमत हैं कि लॉन्च का फैसला निर्णय मनुष्यों के हाथ में होना चाहिए। लेकिन चीन के साथ ऐसा नहीं है। जून में व्हाइट हाउस ने कहा था कि चीन ने परमाणु हथियारों के लॉन्च को कंट्रोल करने में AI की भूमिका को सीमित करने के अमेरिकी प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।

चीन का इस समझौते से पीछे हटना कई सवाल खड़े कर रहा है। चीन बार-बार यह साबित कर चुका है कि वह आधुनिक तकनीकों में निवेश और अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के प्रति प्रतिबद्ध है। AI तकनीक के उपयोग से अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत करने की उसकी मंशा साफ दिख रही है। इस संदर्भ में चीन का AI संचालित सैन्य प्रणालियों में बढ़ती रुचि और इस समझौते से दूरी बनाना यह संकेत देता है कि वह AI के जरिए परमाणु हथियारों के नियंत्रण की संभावना को खारिज नहीं कर रहा है।

देवघर- मंत्री हफीजुल हसन ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों, स्कूली बच्चों, समाज सेवियों को प्रशस्ति देकर पुरस्कृत किया
देवघर: 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुख्य समारोह स्थल केकेएन स्टेडियम में माननीय मंत्री अल्पसंख्यक कल्याण, नगर विकास एवं आवास विभाग, पर्यटन, कला संस्कृति, खेल एवं युवा कार्य तथा निबंधन विभाग, झारखण्ड सरकार हफीजुल हसन द्वारा ध्वजारोहण किया गया। इस दौरान माननीय मंत्री ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि 78वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर आप सभी जिलावासियों जनप्रतिनिधि, स्वतंत्रता सेनानी, गणमान्य एवं प्रबुद्ध नागरिक, प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार बन्धु एवं तमाम देवघर वासियों को राष्ट्रीय पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ दी। आगे उन्होंने उन सभी अमर शहीदों को कोटि-कोटि नमन है, जिनके त्याग एवं बलिदान के बदौलत हम आज एक सम्प्रभु, समाजवादी, धर्म निरपेक्ष एवं लोकतांत्रिक गणराज्य के नागरिक हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, सुभाष चन्द्र बोस, पंडित जवाहर लाल नेहरू, बाबा साहेब अम्बेडकर, लाल बहादुर शास्त्री, सरदार बल्लव भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद, अमर शहीद भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, धरती आबा-बिरसा मुण्डा, सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव जैसे वीर सपूतों, फूलो-झानो जैसी वीरांगणाओं, अमानत अली, सलामत अली एवं शेख हारूण व अन्य अमर महापुरूषों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके आदर्शों पर अनवरत चलने का प्रण लेते हैं। आगे उन्होंने कहा कि झारखण्ड राज्य देश के मानचित्र पर 15 नवम्बर 2000 को 28वें राज्य के रूप में स्थापित हुआ। अप्रतिम प्राकृतिक सौन्दर्य को समेटे, वन, खनिज सम्पदा से भरपूर इस राज्य का निर्माण यहाँ के किसानों, मेहनतकश मजदूरों, सामाजिक एवं आर्थिक रूप से हाशिए पर खड़े तबके एवं जनजातीय समुदाय का जीवन स्तर ऊँचा उठाकर समाज की मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से की गई। जल, जंगल एवं जमीन के सरोकार से जुड़कर जिले के सर्वांगीण एवं चहुमुखी विकास की परिकल्पना करते हुए विगत 23 वर्षों में हमने कुछ उपलब्धियाँ हासिल की हैं और अभी बहुत कुछ करना बाकी है। राज्य सरकार द्वारा द्रुत गति से कल्याणकारी योजनाओं को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावे माननीय मंत्री श्री हफीजुल हसन ने जश्न-ए-आज़ादी के इस स्वर्णिम अवसर पर देवघर जिला में चलाए जा रहे विकास कार्यों तथा उपलब्धियों को संक्षेप में बताते हुए कहा कि झारखण्ड शिक्षा परियोजना के तहत प्रोजेक्ट सम्पूर्णा अन्तर्गत देवघर जिला के तीन विद्यालय क्रमशः 1. आर मित्रा +2 विद्यालय, 2. मातृ मंदिर उच्च विद्यालय एवं 3. कस्तुरबा गाँधी बालिका विद्यालय, देवधर, को उत्कृष्ट विद्यालय की श्रेणी में शामिल किया गया है। देवघर जिला में नियुक्त 104 में से ग्यारह T.G.T शिक्षकों को तीनों उत्कृष्ट विद्यालयों में अतिरिक्त प्रतिनियुक्त किया गया है इसके अतिरिक्त 127 P.G.T शिक्षक, 24 प्रयोगशाला सहायक की नियुक्ति की गई। कक्षा 01 से 12 के सामान्य विद्यार्थियों को वर्ष 2024-25 में मुख्यमंत्री छात्रवृत्ति कुल लक्ष्य 17381 के विरूद्ध 15383, वर्ष 2021-22 से 2023-24 तक कक्षा-08 के सामान्य विद्यार्थियों के लिए कुल लक्ष्य 4338 है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 74725 एवं बाबा साहेब भीम राव अम्बेदकर आवास योजना के तहत 1553 सुयोग्य लाभुकों को आवास मुहैया कराया गया। वित्तीय वर्ष 2024-25 में अबुआ आवास योजना अन्तर्गत 25389 सुयोग्य लाभुकों को आवास मुहैया कराने की कार्रवाई की जा रही है। मृदा एवं जल संरक्षण योजना अन्तर्गत 74 तालाबों का जीर्णाेद्धार, 216 परकोलेशन टैंक, 107 डीप बोरिंग का कार्य कराया गया। झारखण्ड बिजली वितरण निगम लिमिटेड के तहत वैसे घरेलू एवं कृषि उपभोक्ता जिनके परिवार में मीटर लगे हुए है एवं बिजली यूनिट 200 तक है, उन्हें मुफ्त बिजली दी जा रही है। पथ निर्माण विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 में अबतक लगभग 18 कि०मी० पथ तैयार किया जा चुका है 12023-24 एवं 2024-25 में कुल 46 योजनाएँ स्वीकृत है जिसमें 1 योजना पूर्ण हो चुका है, 28 योजनाओं का कार्य प्रगति पर है। मुख्यमंत्री ग्राम सड़क सुदृढ़ीकरण योजना के तहत वर्ष 2023-24 में कुल 17 पैकेज अन्तर्गत 118 सड़कों का मरम्मत एवं सुदृढ़ीकरण कार्य जारी है, जिसमें अधिकांश योजनाएँ पूर्ण होने पर है। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, देवघर द्वारा जल जीवन मिशन अन्तर्गत सारवाँ एवं भण्डारो आसन्न ग्रामीण जलापूर्ति योजना में 11663 अदद एवं देवघर प्रमंडल अन्तर्गत 75316 अद्द घरों में गृह संयोजन किया गया। अपने संबोधन में माननीय मंत्री श्री हफीजुल हसन ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के द्वारा हुए कार्यों की जानकारी देते हुए कहा कि अल्पसंख्यक कब्रिस्तान घेराबंदी योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल 1294 नई योजनाएँ स्वीकृत की गई है। उक्त योजत्ता में 100 करोड़ का बजट का प्रावधान है साथ ही पिछले चार सालों में लगभग 3000 कब्रिस्तान की घेराबंदी एवं सौन्दर्गीकरण कार्य किया जा चुका है। अल्पसंख्यक छात्रावास निर्माण/जीर्णाेद्धार योजना में कुल 91 अल्पसंख्यक छात्रावास का निर्माण किया गया है। 2023-24 में 44 नयी छात्रावास निर्माण योजनाओं की स्वीकृति प्रदान की गयी है। अल्पसंख्यकों के आर्थिक क उन्नयन हेतु छोटे-छोटे व्यवसाय के लिए कियोस्क निर्माण योजना संचालित है। अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं के लिए देवघर सहित अन्य जिलों में आवासीय विद्यालय का निर्माण कराया जा रहा है। पर्यटन, कला-संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के द्वारा हुए कार्यों की विवरणी। देवघर जिलान्तर्गत बुद्धा पहाड़ पर विभिन्न पर्यटकीय विकास कार्य प्रगति पर है। देवघर में फुड क्राफ्ट का संचालन इस वर्ष हो जाऐगा। संस्थान के शैक्षणिक सत्र प्रारंभ करने हेतु एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर की नियुक्ति कर ली गई है। महिला हॉकी ओलंपिक क्वालीफायर का सफल आयोजन राँची के मरांग गोमके जयपाल सिंह एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम में किया गया। इस अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में कुल 08 देशों द्वारा भाग लिया गया। राज्य में झारखण्ड खिलाड़ी पेंशन योजना का प्रारंभ की गई है। झारखण्ड महिला एशियन हॉकी चेम्पियनशीप ट्रोफी-2023 का सफल आयोजन रांची के मरांग गोमके जयपाल सिंह एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम में किया गया। इस अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में कुल 06 देशों द्वारा भाग लिया गया। वित्तीय वर्ष 2023-24 में मेगा स्पोट्स कॉम्प्लेक्स, कुमैठा, देवधर में सभी संरचनाओं के मरम्मति एवं जीर्णाेद्धार कार्य की स्वीकृति दी गई। वित्तीय वर्ष 2023-24 में मेगा स्पोट्स कॉम्प्लेक्स, कुमैठा, देवघर में 200 बेडेड खेल छात्रावास के मरम्मति एवं जीर्णाेद्धार कार्य की स्वीकृति दी गई है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में मधुपुर प्रखण्ड के पंचायत जगदीशपुर के निकट स्टेडियम निर्माण की स्वीकृति दी गई है। राज्य में विभिन्न जिलों में स्टेडियम निर्माण की स्वीकृति दी गई है। देवघर जिलान्तर्गत बुद्धा पहाड़ पर विभिन्न पर्यटकीय विकास कार्य प्रगति पर है। राज्य में युवाओं के सामाजिक, मानसिक, बौद्धिक, सांस्कृतिक एवं खेल विकास हेतु राज्य के सभी गांवों में एक-एक सिद्धो-कान्हु युवा क्लब की स्थापना की जायेगी। झारखण्ड उत्कृष्ट खिलाड़ी सीधी नियुक्ति, (भर्ती एवं सेवाशर्त) नियमावली 2024 का गठन प्रक्रियाधीन है। राज्य प्रशिक्षण केन्द्रों व जिला स्तर के बड़े स्टेडियम में एथलेटिक ट्रैक एवं एस्ट्रोटर्फ अधिष्ठापन का कार्य करया जायेगा ताकि खिलाड़ी अत्याधुनिक खेल संरचना में प्रशिक्षण प्राप्त कर सके। आगे उन्होंने नगर विकास एवं आवास विभाग के द्वारा हुए कार्यों की जानकारी देते हुए कहा कि ताज होटल के निर्माण हेतु MOU (Lease Agreement) पर हस्ताक्षर हुआ। झारखण्ड सरकार द्वारा राजधानी, राँची के कोर कैपिटल एरिया में 06 एकड़ भूमि पर ग्रीन फिल्ड प्रोजेक्ट के साथ आलिशान एवं अत्याधुनिक सुविधाओं वाला 200 कमरों का ताज होटल का निर्माण कराया जायेगा। फ्लाईओवर परियोजना के तहत रॉची शहर के दो व्यस्ततम चौराहें यथा कॉटाटोली चौक एवं बहुबाजार चौक के ऊपर 225 करोड़ की लागत से कुल 2240 मी० लंबे फ्लाईओवर का निर्माण अंतिम चरण में है। राज्य संपोषित मद से कुल 1432 करोड़ रूपये की लागत से मधुपुर, बासुकीनाथ सहित अन्य शहरों में शहरी जलापूर्ति योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्रमिक योजना अंतर्गत अबतक 14,437 परिवारों को जॉब कार्ड प्रदान कर दिया गया है। निबंधित श्रमिकों में से 389214 मानवबल दिवस का काम/भुगतान विभिन्न नगर निकायों के माध्यम से किया गया है। पर्यावरण संरक्षण हेतु साहेबगंज जिला में गंगा नदी के तट पर 586 हेक्टेयर भूमि पर कुल 783620 वृक्षारोपन किया गया है। इसके अतिरिक्त अन्य दार्शनिक स्थल यथा बुद्धा पहाड, पनाह कोला मजार, लालगढ़ मजार, गोसुआ मंदिर, जामा शिव मंदिर, सारठ मजार, फागो मंदिर, वभन गामा दुबे मंदिर, लालगढ़ मजार के निकट तालाब घाट, कजरा शिव मंदिर, पिपरा सॉल दुबे मंदिर, नावाडीह-भेड़वा मजार, संघरा मजार, लखना मोहल्ला कर्बला, धर्मराज मंदिर के पर्यटकीय विकास की स्वीकृति झारखण्ड सरकार द्वारा प्रदान की गयी है। साथ्रा ही जिला पुलिस प्रशासन, देवधर का अपराध नियंत्रण में हमेशा से उल्लेखनीय योगदान रहा है। पूरे देश के कई अनसुलझे साईबर अपराध का उद्भेदन किया गया। साईबर अपराध नियंत्रण मामले में देवघर जिला राष्ट्र में सर्वाेपरि रहा है। अन्यान्य जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन, देवघर द्वारा बाया वैद्यनाथ मंदिर में जलाभिषेक हेतु काँवरियों के लिए बेहतर व्यवस्था की गई है। अबतक लाखों कॉवरियों द्वारा बाबा वैद्यनाथ का जलार्पण किया गया है। इसके लिए पुलिस प्रशासन, जनप्रतिनिधि, मिडियाकर्मी एवं जिला देवघर के आम नागरिक धन्यवाद के पात्र है। पुनः एक बार आप सबों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। इस दौरान उपरोक्त के अलावा उपायुक्त सह जिला दण्डाधिकारी विशाल सागर, पुलिस अधीक्षक अजीत पीटर डुंगडूग, उप विकास आयुक्त नवीन कुमार, जिला बीस सूत्री उपाध्यक्ष मुन्नम संजय, अध्यक्ष जिला परिषद किरण कुमारी, विधायक प्रतिनिधि संजय शर्मा, अनुमंडल पदाधिकारी सागरी बराल, प्रभारी पदाधिकारी गोपनीय शाखा  प्रशांत लायक, जिला नजारत उपसमाहर्ता शैलेष कुमार, जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी राहुल कुमार भारती, जिला खेल पदाधिकारी संतोष कुमार, स्थापना उपसमाहर्ता, जिला आपूर्ति पदाधिकारी, जिला कल्याण पदाधिकारी, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, जिला पंचायती राज पदाधिकारी, सहायक जनसम्पर्क पदाधिकारी के साथ-साथ संबंधित विभाग के अधिकारी, जनप्रतिनिधि, समाजसेवी व कर्मी आदि उपस्थित थे।
15 महीने बाद गाजा में बंद होगा युद्, इजरायल-हमास के बीच हुआ समझौता

#agreementsignedbetweenisraelandhamashostageswillbe_released

इजराइल और हमास ने 15 महीने से गाजा में चल रहे युद्ध को खत्म करने के लिए सीजफायर पर सहमति दी है। यह समझौता इजराइली बंधकों के बदले फिलिस्तीनी कैदियों के आदान-प्रदान के तहत हुआ है। ये समझौता 19 जनवरी से लागू होने की बात की जा रही है।मिस्र और कतर की मध्यस्थता से हुआ यह सौदा अमेरिकी समर्थन से संभव हो पाया है। अक्टूबर 2023 में शुरू हुए इस युद्ध में 46,000 से अधिक लोगों की मौत हुई।

कतर, मिस्र और अमेरिका ने बुधवार को एक संयुक्त बयान जारी किया। इसमें बताया गया कि इस्राइल और हमास ने युद्ध विराम और बंधकों की रिहाई के लिए समझौता किया है। यह समझौता 19 जनवरी 2025 से प्रभावी होगा और इसमें तीन चरणों में शांति लाने की योजना है। साथ ही मामले में कतर, मिस्र और अमेरिका ने यह सुनिश्चित करने का वचन दिया है कि सभी तीन चरणों का पालन किया जाएगा और यह समझौता पूरी तरह से लागू होगा। इन देशों ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ मिलकर इस प्रक्रिया को सफल बनाने का भी वादा किया है।

वहीं, सीजफायर को लेकर इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि हमास के साथ युद्ध विराम समझौता अभी पूरी तरह से तय नहीं हुआ है और इस पर आखिरी विवरण पर काम किया जा रहा है। साथ ही पीएम नेतन्याहू ने इजाराइली बंधकों की रिहाई और वापसी के लिए प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और डोनाल्ड ट्रंप को धन्यवाद किया।

33 इजरायली बंधकों को रिहा किया जाएगा

समझौते के विवरण की अभी औपचारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन एक अधिकारी ने बताया कि शुरुआती चरण में छह हफ्ते का प्रारंभिक युद्धविराम होगा जिसमें गाजा पट्टी से इजरायली सेना की धीरे-धीरे वापसी, हमास के कब्जे से इजरायली बंधकों की रिहाई और इजरायल की कैद से फलस्तीनी कैदियों की रिहाई शामिल है। 

इस चरण में 33 इजरायली बंधकों को रिहा किया जाएगा जिनमें सभी महिलाएं, बच्चे और 50 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष हैं। दूसरे चरण को लागू करने के लिए पहले चरण के 16वें दिन वार्ता शुरू होगी और इसमें सैनिकों समेत सभी बाकी बंधकों की रिहाई, स्थायी युद्ध विराम और गाजा से इजरायली सेना की पूर्ण वापसी शामिल होने की संभावना है। तीसरे चरण में सभी बाकी शवों को लौटाने और मिस्त्र, कतर व संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में गाजा का पुनर्निर्माण शुरू करने की बात हो सकती है।

46 हजार से अधिक लोगों ने गंवाई जान

बीते 7 अक्तूबर 2023 को हमास के हमले के साथ शुरू हुए इस्राइल और फलस्तीन के बीच जंग ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। इस युद्ध में अब तक 23 लाख की आबादी वाली गाजा पट्टी में लगभग 90 प्रतिशत लोग विस्थापित हो चुके हैं और 46 हजार से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं।

भारत से FTA वार्ता फिर शुरू करेगा ब्रिटेन, मोदी-स्टार्मर मुलाकात के बाद डाउनिंग स्ट्रीट का बड़ा एलान, क्या है इसका मतलब?

#india_uk_free_trade_agreement_uk_pm_announces

ब्राजील में चल रहे जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान ब्रिटेन ने नए साल में भारत के साथ फिर से व्यापार वार्ता शुरू करने की बात कही है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने पीएम मोदी से मीटिंग के बाद इस बात की घोषणा कर दी। पीटीआई की खबर के मुताबिक, डाउनिंग स्ट्रीट ने कहा कि ब्रिटेन भारत के साथ एक नई रणनीतिक साझेदारी की तलाश करेगा, जिसमें व्यापार समझौता और सुरक्षा, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करना शामिल है।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के प्रवक्ता ने कहा, ब्रिटेन भारत के साथ एफटीए पर बातचीत के लिए प्रतिबद्ध है, जो दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यस्थाओं में से एक है। डाउनिंग स्ट्रीट ने स्टार्मर के हवाले से एक बयान में कहा, भारत के साथ एक नए एफटीए से ब्रिटेन में रोजगार और समृद्धि बढ़ेगी और यह हमारे देश में विकास और अवसर लाने के हमारे मिशन को एक कदम आगे ले जाएगा।

पीएम मोदी ने भी पहल को सराहा

प्रधानमंत्री ने ब्रिटेन की तरफ से किए गए इस ऐलान का स्वागत किया और कहा कि भारत के लिए, यू.के. के साथ व्यापक रणनीतिक साझेदारी अत्यधिक प्राथमिकता वाली है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मोदी ने कहा कि हम व्यापार के साथ-साथ सांस्कृतिक संबंधों को भी मजबूत करना चाहते हैं। भारत के विदेश मंत्रालय (एमईए) ने भी कहा कि द्विपक्षीय बैठक ने भारत-यू.के. व्यापक रणनीतिक साझेदारी को नई गति दी है।

भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट

आपको बता दें, कि भारत और यूके जनवरी 2022 से मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं और इस साल की शुरुआत में दोनों देशों में आम चुनावों के दौरान से बातचीत रुकी हुई है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, जून तक 12 महीनों में द्विपक्षीय व्यापार संबंध 42 बिलियन ब्रिटिश पाउंड के बराबर था। मुक्त व्यापार समझौते से इस आंकड़े में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। यू.के. में लेबर पार्टी की सरकार घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के साधन के रूप में व्यापार अनुकूल संदेश को उजागर करने में दिलचस्पी रखती है।

यह घोषणा दोनों देशों के बीच प्रमुख क्षेत्रों में संबंधों को गहरा करने के लिए नए सिरे से प्रयास को दर्शाती है। डाउनिंग स्ट्रीट ने भारत के साथ एक नई रणनीतिक साझेदारी स्थापित करने के यूके के इरादे को सामने रखा है, जिसमें व्यापक व्यापार समझौते और सुरक्षा, शिक्षा, टेक्नोलॉजी और जलवायु परिवर्तन में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा

भारत-मॉरीशस संबंध: इतिहास, सहयोग और रणनीतिक साझेदारी पर आधारित दोस्ती

#indiamauritiusrelations

Narendra Modi with Mauritius President

भारत और मॉरीशस के बीच संबंधों की जड़ें इतिहास, संस्कृति और आपसी हितों में गहरी हैं। भारतीय महासागर क्षेत्र में स्थित ये दो देश एक मजबूत, स्थायी साझेदारी के उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, जो दशकों से निरंतर विकसित हो रही है। इन संबंधों की नींव साझा ऐतिहासिक अनुभवों, व्यापारिक हितों और सांस्कृतिक समानताओं पर आधारित है, जबकि वर्तमान में यह द्विपक्षीय व्यापार, रक्षा सहयोग, जलवायु परिवर्तन और समुद्री सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है।

ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध

भारत और मॉरीशस का ऐतिहासिक संबंध 19वीं शताबदी में शुरू हुआ, जब भारतीय श्रमिकों को ब्रिटिश साम्राज्य के तहत मॉरीशस में चीनी बागानों में काम करने के लिए लाया गया। आज मॉरीशस की अधिकांश जनसंख्या भारतीय मूल की है, और भारतीय संस्कृति ने इस द्वीप राष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने को गहरे तौर पर प्रभावित किया है। मॉरीशस में हिंदी और भोजपुरी भाषाएं आम हैं, और भारतीय धार्मिक उत्सव जैसे दीवाली, महाशिवरात्रि और गणेश चतुर्थी बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं। भारत और मॉरीशस के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान निरंतर होता रहा है। भारतीय शास्त्रीय नृत्य, संगीत और साहित्य भी मॉरीशस की सांस्कृतिक धारा का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। इस साझा सांस्कृतिक परंपरा ने दोनों देशों के बीच एक अनूठा और स्थायी संबंध स्थापित किया है।

कूटनीतिक संबंध और उच्च स्तरीय दौरे

1968 में मॉरीशस के स्वतंत्र होने के बाद, भारत ने इस नए राष्ट्र को अपनी संप्रभुता की मान्यता दी और दोनों देशों के बीच औपचारिक कूटनीतिक संबंध स्थापित किए। भारत ने मॉरीशस के साथ कूटनीतिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए कई उच्चस्तरीय दौरे किए हैं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भारत के शीर्ष नेताओं ने मॉरीशस का दौरा किया, और मॉरीशस के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और अन्य नेताओं ने भी भारत की यात्रा की। इन दौरों का मुख्य उद्देश्य व्यापार, निवेश, रक्षा, और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर सहयोग बढ़ाना रहा है। भारत और मॉरीशस ने संयुक्त राष्ट्र (UN), विश्व व्यापार संगठन (WTO) और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक-दूसरे का समर्थन किया है, और दोनों देशों के बीच वैश्विक मंचों पर सहयोग निरंतर बढ़ता जा रहा है। दोनों देश साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय नियमों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को साझा करते हैं।

आर्थिक और व्यापारिक सहयोग

भारत और मॉरीशस के बीच आर्थिक संबंध समय के साथ और मजबूत हुए हैं। मॉरीशस भारतीय कंपनियों के लिए अफ्रीकी बाजारों तक पहुँचने का एक प्रमुख हब बन गया है। भारत, बदले में, मॉरीशस को महत्वपूर्ण निवेश और व्यापार का स्रोत प्रदान करता है। दोनों देशों के बीच व्यापार का प्रमुख क्षेत्र मशीनरी, पेट्रोलियम उत्पाद, दवाइयाँ, वस्त्र, और चीनी के रूप में होता है।

भारत-मॉरीशस व्यापार के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। भारत ने अपने Comprehensive Economic Cooperation and Partnership Agreement (CECPA) के तहत मॉरीशस के साथ व्यापारिक संबंधों को और भी मजबूत किया है। इस समझौते के तहत दोनों देशों ने माल और सेवाओं के व्यापार में तेजी लाने, निवेश को प्रोत्साहित करने और व्यापारिक बाधाओं को कम करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। मॉरीशस को भारत के लिए एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार और अफ्रीका में भारतीय निवेश का एक प्रवेश द्वार के रूप में देखा जाता है।

विकास सहयोग और तकनीकी सहायता

भारत ने हमेशा मॉरीशस की विकास यात्रा में मदद की है। भारत ने मॉरीशस को बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा, और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहायता प्रदान की है। भारत ने मॉरीशस को लाइन ऑफ क्रेडिट (LoC) भी दिया है, जो कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए इस्तेमाल किया गया है, जिनमें बंदरगाह विकास, नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ और शहरी बुनियादी ढांचा शामिल हैं। भारत ने मॉरीशस में क्षमता निर्माण पर भी विशेष ध्यान दिया है। भारतीय विशेषज्ञों ने विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने में मदद की है। इस सहयोग के परिणामस्वरूप, मॉरीशस के विभिन्न सरकारी और निजी संस्थान भारत से प्रौद्योगिकी और प्रबंधन में मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं।

समुद्री सुरक्षा और रक्षा सहयोग

भारत और मॉरीशस के बीच रक्षा सहयोग भी मजबूत हुआ है। दोनों देशों के पास साझा हित हैं – भारतीय महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समुद्री सुरक्षा बनाए रखना। भारत ने मॉरीशस को अपनी समुद्री निगरानी और रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए आवश्यक तकनीकी सहायता और उपकरण प्रदान किए हैं। भारतीय नौसेना मॉरीशस के बंदरगाहों पर नियमित रूप से आकर नौसैनिक अभ्यास करती है, और दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा पर सहयोग बढ़ रहा है।

भारत और मॉरीशस के बीच एक प्रमुख रक्षा सहयोग क्षेत्र संयुक्त समुद्री गश्त, आतंकवाद विरोधी कार्रवाई और आपदा राहत ऑपरेशंस है। दोनों देशों ने भारतीय महासागर में समुद्री डकैती, अवैध मछली पकड़ने और अन्य खतरों से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाया है।

जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ विकास

मॉरीशस, एक छोटे द्वीप राष्ट्र के रूप में, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से काफी प्रभावित हो सकता है। इसके मद्देनजर, भारत और मॉरीशस ने नवीकरणीय ऊर्जा, जल संसाधन प्रबंधन और आपदा प्रबंधन जैसी पहलों में सहयोग किया है। भारत ने मॉरीशस को सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए सहायता प्रदान की है और दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त रूप से काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।

भारत और मॉरीशस ने मिलकर संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प लिया है और इस दिशा में कई सहयोगी योजनाओं को लागू किया है। 

चुनौतियाँ और तनाव के क्षेत्र

भारत और मॉरीशस के रिश्ते आम तौर पर सकारात्मक रहे हैं, लेकिन कुछ मुद्दों पर मतभेद भी रहे हैं। एक प्रमुख मुद्दा डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (DTAA) था, जिसे कुछ आलोचकों ने भारत से निवेशों के रास्ते के रूप में देखा था, जिससे करों से बचने का अवसर मिलता था। हालांकि, भारत और मॉरीशस ने हाल के वर्षों में इस समझौते की शर्तों पर पुनर्विचार किया है और अब यह अधिक पारदर्शी और निवेशक मित्रवत है।

इसके अलावा, एक अन्य विवाद का मुद्दा चागोस द्वीपसमूह पर है। मॉरीशस ने इसे अपने क्षेत्र के रूप में दावा किया है, और भारत ने इस दावे का समर्थन किया है। भारत ने ब्रिटेन से द्वीपों की पुन: स्वामित्व को लेकर मॉरीशस के पक्ष में कड़ी स्थिति अपनाई है।

भारत-मॉरीशस संबंधों का भविष्य

भारत और मॉरीशस के रिश्तों का भविष्य और भी उज्जवल दिख रहा है। दोनों देशों के बीच CECPA और अन्य व्यापारिक समझौतों के तहत व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के नए अवसर खुलेंगे। भारत अपनी रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं को बढ़ाता जा रहा है, और मॉरीशस के लिए यह एक प्रभावी सहयोगी के रूप में उभरने का अवसर है।

समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी सहयोग, जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ विकास जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के रिश्ते और अधिक गहरे और व्यापक होंगे। भारत, एक बढ़ती वैश्विक शक्ति के रूप में, मॉरीशस के लिए एक भरोसेमंद साझेदार बना रहेगा, और मॉरीशस के लिए भारत का समर्थन भारतीय महासागर में अपनी शक्ति और सुरक्षा बढ़ाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा।

भारत और मॉरीशस के संबंध एक आदर्श साझेदारी का उदाहरण पेश करते हैं, जो पारस्परिक सहयोग, रणनीतिक दृष्टिकोण और साझा ऐतिहासिक बंधनों पर आधारित है। आने वाले वर्षों में ये दोनों देश अपने संबंधों को और मजबूत करेंगे, और भारतीय महासागर क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देंगे।

 

क्या भारत-चीन सीमा समझौते में अमेरिका का भूमिका? जानें क्या कह रहा यूएस

#usareactionindiachinalacpatrollingagreement 

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर समझौता हो गया है। समजौते के तहत दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट रही हैं। भारत-चीन संबंध पर दुनियाभर की नजर है, खासकर अमेरिका की। अब दोनों देशों के बीच हे सीमा समझौते के बाद अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी है।अमेरिका ने कहा है कि वह भारत-चीन के बीच एलएसी समझौते पर 'गहरी नजर' बनाए हुए है और सीमा पर तनाव कम होने का "स्वागत" करता है। ये बात अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कही। बता दें कि भारत और चीन के बीच बड़ी डील हुई है। 5 साल से पूर्वी लद्दाख में बॉर्डर पर जो तनातनी चल रही थी, वो कई बैठकों के बाद आखिरकार समाप्त हो रही है।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि वह भारत-चीन सीमा पर तनाव की स्थिति कम होने का स्वागत करता है। साथ ही कहा कि नई दिल्ली ने इस संबंध में उसे जानकारी दी है। विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने पत्रकारों से कहा, हम भारत और चीन के बीच के घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहे हैं। हम समझते हैं कि दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर टकराव वाले बिंदुओं से सैनिकों को वापस बुलाने के लिए शुरुआती कदम उठाए हैं। हम सीमा पर तनाव की स्थिति में किसी भी कमी का स्वागत करते हैं।

वहीं, जब मिलर से पूछा गया कि क्या इस मामले में अमेरिका की कोई भूमिका है, तो उन्होंने जवाब दिया, नहीं, हमने भारतीय साझेदारों से इस बारे में जानकारी ली है, लेकिन इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है।

भारत-चीन के बीच समझौता

बता दें कि जून 2020 से भारत और चीन के बीच एलएसी पर तनाव बना हुआ था। तब गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच संघर्ष हुआ था और दोनों ओर से सैनिक हताहत हुए थे। एलएसी पेट्रोलिंग समझौता 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले घोषित किया गया था। सम्मेलन रूस के कजान में 22 से 24 अक्टूबर के बीच हुआ था। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भाग लिया।उस दौरान उनकी रूस के कजान शहर में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय मुलाकात भी हुई थी।

एलएसी पर भारत-चीन समझौते को लेकर कांग्रेस ने खड़े किए सवाल, पूछा-क्या 26 पेट्रोलिंग पॉइंट तक जा सकेंगे हमारे जवान?

#congress_raised_questions_on_india_china_patrol_agreement

भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पेट्रोलिंग को लेकर हुए समझौते पर कांग्रेस ने सवाल उठाया है।कांग्रेस ने समझौते पर सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार को घेरने को की कोशिश की है। कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि सैनिकों के पीछे हटने से मार्च 2020 जैसी यथास्थिति बहाल हो जाएगी। कांग्रेस ने सरकार से इस मामले में भारत के लोगों को विश्वास में लेने की बात भी कही है। कांग्रेस पार्टी का यह बयान रूस में आयोजित हो रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की द्विपक्षीय वार्ता से पहले आया है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ भारत के संघर्ष विराम पर बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को छह सीधे सवाल दागे और कहा कि उसे उम्मीद है कि नई दिल्ली की “दशकों में सबसे खराब विदेश नीति का झटका” सम्मानजनक तरीके से हल हो जाएगा।

जयराम रमेश ने कहा, यह दुखद घटना चीन के मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मूर्खता और नासमझी का पूर्ण दोषारोपण है। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी को चीन ने तीन बार भव्य तरीके से मेजबानी की थी। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने चीन की पांच आधिकारिक यात्राएं कीं और चीनी प्रधानमंत्री शी जिनपिंग के साथ 18 बैठकें कीं, जिसमें उनके 64वें जन्मदिन पर साबरमती के तट पर एक दोस्ताना झूला सत्र भी शामिल है।

कांग्रेस नेता ने आगे कहा, भारत की स्थिति 19 जून 2020 को सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई, जब प्रधानमंत्री ने चीन को अपनी कुख्यात क्लीन चिट देते हुए कहा, न कोई हमारी सीमा में घुस आया है, न ही कोई घुसा हुआ है। यह बयान गलवान में हुई झड़प के सिर्फ़ चार दिन बाद दिया गया था, जिसमें हमारे 20 बहादुर सैनिकों ने सर्वोच्च बलिदान दिया था। यह हमारे शहीद सैनिकों का घोर अपमान था, इसने चीन की आक्रामकता को भी वैध बना दिया और इस तरह एलएसी पर गतिरोध के समय पर समाधान में बाधा उत्पन्न की। पूरे संकट के प्रति मोदी सरकार के दृष्टिकोण को डीडीएलजे के रूप में वर्णित किया जा सकता है: Deny(इंकार करो), Distract ( ध्यान भटकाओ), Lie(झूठ बोलो) and Justify (न्यायोचित ठहराओ)|

कांग्रेस नेता ने कहा कि चीन के साथ इस समझौते पर पहुंचने के बाद, सरकार को भारत के लोगों को विश्वास में लेना चाहिए और इन महत्वपूर्ण सवालों का जवाब देना चाहिए:

1.. क्या भारतीय सैनिक डेपसांग में हमारी दावा रेखा तक, बॉटलनेक जंक्शन से आगे पांच गश्ती बिंदुओं तक गश्त कर सकेंगे, जैसा कि वे पहले कर पाते थे?

2. क्या हमारे सैनिक डेमचोक के उन तीन गश्ती बिंदुओं तक पहुंच पाएंगे जो चार वर्षों से अधिक समय से सीमा से बाहर हैं?

3. क्या हमारे सैनिक पैंगोंग त्सो में फिंगर 3 तक ही सीमित रहेंगे, जबकि पहले वे फिंगर 8 तक जा सकते थे?

4. क्या हमारे गश्ती दल को गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में तीन गश्ती बिंदुओं तक पहुंचने की अनुमति है, जहां वे पहले जा सकते थे?

5. क्या भारतीय चरवाहों को एक बार फिर हेलमेट टॉप, मुकपा रे, रेजांग ला, रिनचेन ला, टेबल टॉप और चुशुल के गुरुंग हिल में पारंपरिक चरागाहों तक पहुंचने का अधिकार दिया जाएगा?

6. क्या "बफर जोन" जो हमारी सरकार ने चीन को सौंपे थे, जिसमें युद्ध नायक और मरणोपरांत परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह के लिए रेजांग ला में एक स्मारक स्थल भी शामिल था, अब अतीत की बात हो गई है?

भारत-चीन गतिरोध होगा खत्म, भारत के साथ समझौते की चीन ने भी पुष्टि
#china_confirms_reached_agreement_with_india
भारत और चीन के बीच बीते कई वर्षों से पूर्वी लद्दाख में जारी सैन्य गतिरोध अब समाप्त होता हुआ नजर आ रहा है। पूर्वी लद्दाख में दोनों सेनाओं के बीच गतिरोध समाप्त करने के लिए भारत-चीन के साथ समझौता हो गया है।एलएसी पर गतिरोध खत्म होने को लेकर चीन ने भी बयान जारी कर दिया है। चीन ने गतिरोध खत्म होने और भारत के साथ समझौता होने की पुष्टि करते हुए कहा है कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर सहमति बनी है। गौरतलब है कि कल ही इसे लेकर भारत के विदेश सचिव ने भी बयान जारी किया था।

*सीमा समझौते पर चीन ने क्या कहा*
विवादित क्षेत्रों में सीमा गश्त पर चीन और भारत के बीच समझौते के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने वर्तमान समझौते की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि चीन और भारत ने सीमा से संबंधित मुद्दों के बारे में कूटनीतिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से संचार बनाए रखा है।
लिन जियान ने कहा कि वर्तमान में, दोनों पक्ष (भारत-चीन) मामलों को लेकर एक समाधान पर पहुंच गए हैं, जिसे चीन सकारात्मक रूप से देखता है। लिन ने कहा कि अगले चरण में, चीन समाधान योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए भारत के साथ काम करेगा।

*भारत ने समझौते पर क्या कहा था*
इससे पहले सोमवार को भारत ने घोषणा की थी कि दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गश्त के लिए एक समझौते पर सहमत हुए हैं। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, ‘पिछले कई हफ्तों से भारतीय और चीनी राजनयिक तथा सैन्य वार्ताकार कई प्लैटफॉर्मों पर एक-दूसरे के साथ निकट संपर्क में हैं। इस चर्चा के परिणामस्वरूप भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में एलएसी पर गश्त को लेकर सहमति बनी है। इस समझौते से सैनिकों की वापसी होगी और 2020 में उठे मुद्दों का समाधान होगा। हम इस पर अगला कदम उठाएंगे।

*गलवां घाटी झड़प के बाद से गतिरोध*
इस समझौते को पूर्वी लद्दाख में चार वर्ष से अधिक समय से जारी सैन्य गतिरोध के समाधान की दिशा में एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। 15 जून, 2020 को गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद भारत और चीन के बीच संबंध निचले स्तर पर पहुंच गए थे। यह झड़प पिछले कुछ दशकों में दोनों पक्षों के बीच हुई सबसे भीषण सैन्य झड़प थी।
भारत-चीन के बीच पेट्रोलिंग पर बनी नई सहमति, ड्रैगन के साथ सीमा समझौते पर जयशंकर का बड़ा बयान
#s_jaishankar_on_the_agreement_between_india_and_china
भारत ने चीन के साथ लद्दाख एरिया में वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चल रहे विवाद को सुलझाने की बात कही है। दिपसांग और डेमचोक में अब साल 2020 से पहले वाली स्थिति बहाल हो जाएगी। भारतीय जवान पहले की तरह इस इलाके में पेट्रोलिंग कर सकेंगे। इससे चीन की आर्मी के मूवमेंट पर पैनी नजर रखना संभव हो सकेगा।भारत और चीन के बीच पेट्रोलिंग को लेकर हुए समझौते पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत और चीन 2020 से पहले की स्थिति को वापस लाने के लिए गश्त पर एक समझौते पर पहुंच गए हैं। अगले कदमों पर चर्चा के लिए महत्वपूर्ण बैठकें होने की जरूरत है। एनडीटीवी से बात करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, भारत और चीन में सीमा पर पेट्रोलिंग सिस्टम को लेकर समझौता हुआ है। यह एक सकारात्मक और अच्छा घटनाक्रम है। यह बहुत धैर्य और बहुत दृढ़ कूटनीति का नतीजा है। हम सितंबर, 2020 से बातचीत कर रहे हैं। उस समय मास्को में चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात के बाद मुझे लगा था कि हम शांति और 2020 से पहले की स्थिति में वापस आ सकेंगे। एस जयशंकर ने कहा, भारत या चीन जैसे कई बड़े देशों के बीच अलग-अलग नजरिए हैं। अगर टकराव होगा और यह इतना आसान नहीं होगा। लेकिन ये समझौता बहुत अहम है। इस समझौते के बाद हम 2020 में जो गश्त कर रहे थे, उसे वापस करने में सक्षम होंगे। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि दोनों देशों के बीच सहमति कैसे हुई? उन्होंने कहा, यह सहमति धैर्य और कूटनीति के चलते हुई है। उन्होंने कहा, चीन से बात करने में कई बार लोगों ने लगभग हार मान ली, लेकिन हम सितंबर 2020 से चीन से बातचीत कर रहे हैं। हमने चीन के साथ बातचीत की पूरी प्रक्रिया में बहुत धैर्य रखा। विदेश मंत्री ने इस समझौते की अहमियत पर बात करते हुए कहा, सबसे ज्यादा अहम बात यह है कि अगर दोनों देशों के बीच समझौता हो गया है तो यह दोनों देशों के बीच कई समझौतों का आधार बनता है। साथ ही सीमा पर शांति का आधार बनता है। उन्होंने कहा, अगर दोनों देशों के बीच सीमा पर शांति नहीं है तो फिर द्विपक्षीय संबंधों में सुधार कैसे होगा इससे पहले भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को ही इस समझौते की जानकारी दी थी। साथ ही उन्होंने बताया था कि पेट्रोलिंग के नए सिस्टम पर सहमति के बाद दोनों देश सेनाएं पीछे हटा सकते हैं।देपसांग प्लेन डेमचोक में सैनिकों को पेट्रोलिंग पॉइंट्स पर जाने की इजाजत अभी नहीं है। यहां सेनाएं अभी मौजूद हैं। पेट्रोलिंग का नया सिस्टम इन्हीं पॉइंट्स से संबंधित है। इससे गलवान जैसे टकराव को टाला जा सकेगा।
क्या AI के जरिए परमाणु हथियार कंट्रोल करना चाहता है चीन? ड्रैगन की इस चाल ने दुनिया को डराया

#china_refuses_to_sign_agreement_banning_ai_from_controlling_nuclear_weapons

आज के समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI मानवीय जीवन का सबसे बड़ा साथी बनता जा रहा। हालांकि हर चीज के दो पहलू होते हैं। एआ के भी फायदे और नुकसान दोनों हैं। नुकसान खासकर तब है, जब दुनिया के तमाम देशों के पास परमाणु हथियार हैं। अमेरिका, चीन समेत कई देश AI के सैन्य इस्तेमाल पर प्रयोग कर रहे हैं। बात यहां तक बढ़ी है कि अब AI के जरिए परमाणु हथियार कंट्रोल किए जाने का खतरा पैदा हो गया है।

परमाणु हथियारों को कंट्रोल करने में भी इसका उपयोग करने की संभावनाएं बढ़ रही हैं, जो मानव सभ्यता के लिए खतरा बन सकता है। परमाणु हथियार कैसी तबाही मचा सकते हैं, यह दुनिया ने उनके विकास के साथ ही 1945 में देख लिया था। जापान के नागासाकी और हिरोशिमा पर अमेरिका ने 6 और 9 अगस्त को परमाणु बम गिराए थे। वह दुनिया में परमाणु बमों के इस्तेमाल का पहला और अब तक का इकलौता वाकया है। हालांकि, बाद के दशकों में रूस, फ्रांस, ब्रिटेन, चीन, भारत समेत कई देशों ने परमाणु हथियार बनाने की क्षमता पा ली। ऐसे में दुनिया के किसी भी कोने में होने वाली जंग के परमाणु युद्ध में बदलने का खतरा बरकरार लगातार बरकरार है।

इस खौफ से निपटने के लिए 100 से ज्‍यादा देशों ने तय क‍िया है क‍ि परमाणु बम को AI के कंट्रोल में नहीं रखा जाएगा, क्‍योंक‍ि इससे कभी भी महाविनाश हो सकता है। इसी कारण साउथ कोरिया में आयोजित REAIM सम्मेलन में परमाणु उपकरणों और हथियारों को कंट्रोल करने में AI का इस्तेमाल नहीं करने का आह्वान किया गया। इसे लेकर एक समझौता करने की कोशिश की गई, जिस पर सहमति जताने से चीन ने इंकार कर दिया है।

दक्ष‍िण कोर‍िया की राजधानी सियोल में हाल ही में एक बैठक का मकसद था, इस बात पर चर्चा करना क‍ि आर्मी और जंग के मैदान में AI कैसे और क‍ितना इस्‍तेमाल क‍िया जाए, इस पर निर्णय लेना। आर्मी में AI के इस्‍तेमाल पर ज्‍यादातर देशों की एक राय थी, लेकिन जब बात एटामिक बमों को AI के कंट्रोल में देने की आई तो चीन ने अपने कदम पीछे खींच ल‍िए। उससे इस पैक्‍ट पर सिग्‍नेचर करने से साफ मना कर दिया। ड्रैगन के इस चाल से पूरी दुनिया चिंता में पड़ गई है।

अभी तक दुनियाभर में सेनाएं AI का इस्तेमाल निगरानी, सर्विलांस और एनालिसिस के लिए करती आई हैं। इस बात पर आम सहमति सी रही कि परमाणु हथियार दागने का फैसला हमेशा इंसानों के हाथ में रहेगा। AFP की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी योजना है कि भविष्य में AI का उपयोग लक्ष्य चुनने के लिए किया जा सकता है, लेकिन अधिकांश देश अभी भी इस बात पर सहमत हैं कि लॉन्च का फैसला निर्णय मनुष्यों के हाथ में होना चाहिए। लेकिन चीन के साथ ऐसा नहीं है। जून में व्हाइट हाउस ने कहा था कि चीन ने परमाणु हथियारों के लॉन्च को कंट्रोल करने में AI की भूमिका को सीमित करने के अमेरिकी प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।

चीन का इस समझौते से पीछे हटना कई सवाल खड़े कर रहा है। चीन बार-बार यह साबित कर चुका है कि वह आधुनिक तकनीकों में निवेश और अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के प्रति प्रतिबद्ध है। AI तकनीक के उपयोग से अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत करने की उसकी मंशा साफ दिख रही है। इस संदर्भ में चीन का AI संचालित सैन्य प्रणालियों में बढ़ती रुचि और इस समझौते से दूरी बनाना यह संकेत देता है कि वह AI के जरिए परमाणु हथियारों के नियंत्रण की संभावना को खारिज नहीं कर रहा है।

क्या AI के जरिए परमाणु हथियार कंट्रोल करना चाहता है चीन? ड्रैगन की इस चाल ने दुनिया को डराया

#china_refuses_to_sign_agreement_banning_ai_from_controlling_nuclear_weapons

आज के समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI मानवीय जीवन का सबसे बड़ा साथी बनता जा रहा। हालांकि हर चीज के दो पहलू होते हैं। एआ के भी फायदे और नुकसान दोनों हैं। नुकसान खासकर तब है, जब दुनिया के तमाम देशों के पास परमाणु हथियार हैं। अमेरिका, चीन समेत कई देश AI के सैन्य इस्तेमाल पर प्रयोग कर रहे हैं। बात यहां तक बढ़ी है कि अब AI के जरिए परमाणु हथियार कंट्रोल किए जाने का खतरा पैदा हो गया है।

परमाणु हथियारों को कंट्रोल करने में भी इसका उपयोग करने की संभावनाएं बढ़ रही हैं, जो मानव सभ्यता के लिए खतरा बन सकता है। परमाणु हथियार कैसी तबाही मचा सकते हैं, यह दुनिया ने उनके विकास के साथ ही 1945 में देख लिया था। जापान के नागासाकी और हिरोशिमा पर अमेरिका ने 6 और 9 अगस्त को परमाणु बम गिराए थे। वह दुनिया में परमाणु बमों के इस्तेमाल का पहला और अब तक का इकलौता वाकया है। हालांकि, बाद के दशकों में रूस, फ्रांस, ब्रिटेन, चीन, भारत समेत कई देशों ने परमाणु हथियार बनाने की क्षमता पा ली। ऐसे में दुनिया के किसी भी कोने में होने वाली जंग के परमाणु युद्ध में बदलने का खतरा बरकरार लगातार बरकरार है।

इस खौफ से निपटने के लिए 100 से ज्‍यादा देशों ने तय क‍िया है क‍ि परमाणु बम को AI के कंट्रोल में नहीं रखा जाएगा, क्‍योंक‍ि इससे कभी भी महाविनाश हो सकता है। इसी कारण साउथ कोरिया में आयोजित REAIM सम्मेलन में परमाणु उपकरणों और हथियारों को कंट्रोल करने में AI का इस्तेमाल नहीं करने का आह्वान किया गया। इसे लेकर एक समझौता करने की कोशिश की गई, जिस पर सहमति जताने से चीन ने इंकार कर दिया है। 

दक्ष‍िण कोर‍िया की राजधानी सियोल में हाल ही में एक बैठक का मकसद था, इस बात पर चर्चा करना क‍ि आर्मी और जंग के मैदान में AI कैसे और क‍ितना इस्‍तेमाल क‍िया जाए, इस पर निर्णय लेना। आर्मी में AI के इस्‍तेमाल पर ज्‍यादातर देशों की एक राय थी, लेकिन जब बात एटामिक बमों को AI के कंट्रोल में देने की आई तो चीन ने अपने कदम पीछे खींच ल‍िए। उससे इस पैक्‍ट पर सिग्‍नेचर करने से साफ मना कर दिया। ड्रैगन के इस चाल से पूरी दुनिया चिंता में पड़ गई है।

अभी तक दुनियाभर में सेनाएं AI का इस्तेमाल निगरानी, सर्विलांस और एनालिसिस के लिए करती आई हैं। इस बात पर आम सहमति सी रही कि परमाणु हथियार दागने का फैसला हमेशा इंसानों के हाथ में रहेगा। AFP की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी योजना है कि भविष्य में AI का उपयोग लक्ष्य चुनने के लिए किया जा सकता है, लेकिन अधिकांश देश अभी भी इस बात पर सहमत हैं कि लॉन्च का फैसला निर्णय मनुष्यों के हाथ में होना चाहिए। लेकिन चीन के साथ ऐसा नहीं है। जून में व्हाइट हाउस ने कहा था कि चीन ने परमाणु हथियारों के लॉन्च को कंट्रोल करने में AI की भूमिका को सीमित करने के अमेरिकी प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।

चीन का इस समझौते से पीछे हटना कई सवाल खड़े कर रहा है। चीन बार-बार यह साबित कर चुका है कि वह आधुनिक तकनीकों में निवेश और अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के प्रति प्रतिबद्ध है। AI तकनीक के उपयोग से अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत करने की उसकी मंशा साफ दिख रही है। इस संदर्भ में चीन का AI संचालित सैन्य प्रणालियों में बढ़ती रुचि और इस समझौते से दूरी बनाना यह संकेत देता है कि वह AI के जरिए परमाणु हथियारों के नियंत्रण की संभावना को खारिज नहीं कर रहा है।

देवघर- मंत्री हफीजुल हसन ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों, स्कूली बच्चों, समाज सेवियों को प्रशस्ति देकर पुरस्कृत किया
देवघर: 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुख्य समारोह स्थल केकेएन स्टेडियम में माननीय मंत्री अल्पसंख्यक कल्याण, नगर विकास एवं आवास विभाग, पर्यटन, कला संस्कृति, खेल एवं युवा कार्य तथा निबंधन विभाग, झारखण्ड सरकार हफीजुल हसन द्वारा ध्वजारोहण किया गया। इस दौरान माननीय मंत्री ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि 78वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर आप सभी जिलावासियों जनप्रतिनिधि, स्वतंत्रता सेनानी, गणमान्य एवं प्रबुद्ध नागरिक, प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार बन्धु एवं तमाम देवघर वासियों को राष्ट्रीय पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ दी। आगे उन्होंने उन सभी अमर शहीदों को कोटि-कोटि नमन है, जिनके त्याग एवं बलिदान के बदौलत हम आज एक सम्प्रभु, समाजवादी, धर्म निरपेक्ष एवं लोकतांत्रिक गणराज्य के नागरिक हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, सुभाष चन्द्र बोस, पंडित जवाहर लाल नेहरू, बाबा साहेब अम्बेडकर, लाल बहादुर शास्त्री, सरदार बल्लव भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद, अमर शहीद भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, धरती आबा-बिरसा मुण्डा, सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव जैसे वीर सपूतों, फूलो-झानो जैसी वीरांगणाओं, अमानत अली, सलामत अली एवं शेख हारूण व अन्य अमर महापुरूषों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके आदर्शों पर अनवरत चलने का प्रण लेते हैं। आगे उन्होंने कहा कि झारखण्ड राज्य देश के मानचित्र पर 15 नवम्बर 2000 को 28वें राज्य के रूप में स्थापित हुआ। अप्रतिम प्राकृतिक सौन्दर्य को समेटे, वन, खनिज सम्पदा से भरपूर इस राज्य का निर्माण यहाँ के किसानों, मेहनतकश मजदूरों, सामाजिक एवं आर्थिक रूप से हाशिए पर खड़े तबके एवं जनजातीय समुदाय का जीवन स्तर ऊँचा उठाकर समाज की मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से की गई। जल, जंगल एवं जमीन के सरोकार से जुड़कर जिले के सर्वांगीण एवं चहुमुखी विकास की परिकल्पना करते हुए विगत 23 वर्षों में हमने कुछ उपलब्धियाँ हासिल की हैं और अभी बहुत कुछ करना बाकी है। राज्य सरकार द्वारा द्रुत गति से कल्याणकारी योजनाओं को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावे माननीय मंत्री श्री हफीजुल हसन ने जश्न-ए-आज़ादी के इस स्वर्णिम अवसर पर देवघर जिला में चलाए जा रहे विकास कार्यों तथा उपलब्धियों को संक्षेप में बताते हुए कहा कि झारखण्ड शिक्षा परियोजना के तहत प्रोजेक्ट सम्पूर्णा अन्तर्गत देवघर जिला के तीन विद्यालय क्रमशः 1. आर मित्रा +2 विद्यालय, 2. मातृ मंदिर उच्च विद्यालय एवं 3. कस्तुरबा गाँधी बालिका विद्यालय, देवधर, को उत्कृष्ट विद्यालय की श्रेणी में शामिल किया गया है। देवघर जिला में नियुक्त 104 में से ग्यारह T.G.T शिक्षकों को तीनों उत्कृष्ट विद्यालयों में अतिरिक्त प्रतिनियुक्त किया गया है इसके अतिरिक्त 127 P.G.T शिक्षक, 24 प्रयोगशाला सहायक की नियुक्ति की गई। कक्षा 01 से 12 के सामान्य विद्यार्थियों को वर्ष 2024-25 में मुख्यमंत्री छात्रवृत्ति कुल लक्ष्य 17381 के विरूद्ध 15383, वर्ष 2021-22 से 2023-24 तक कक्षा-08 के सामान्य विद्यार्थियों के लिए कुल लक्ष्य 4338 है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 74725 एवं बाबा साहेब भीम राव अम्बेदकर आवास योजना के तहत 1553 सुयोग्य लाभुकों को आवास मुहैया कराया गया। वित्तीय वर्ष 2024-25 में अबुआ आवास योजना अन्तर्गत 25389 सुयोग्य लाभुकों को आवास मुहैया कराने की कार्रवाई की जा रही है। मृदा एवं जल संरक्षण योजना अन्तर्गत 74 तालाबों का जीर्णाेद्धार, 216 परकोलेशन टैंक, 107 डीप बोरिंग का कार्य कराया गया। झारखण्ड बिजली वितरण निगम लिमिटेड के तहत वैसे घरेलू एवं कृषि उपभोक्ता जिनके परिवार में मीटर लगे हुए है एवं बिजली यूनिट 200 तक है, उन्हें मुफ्त बिजली दी जा रही है। पथ निर्माण विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 में अबतक लगभग 18 कि०मी० पथ तैयार किया जा चुका है 12023-24 एवं 2024-25 में कुल 46 योजनाएँ स्वीकृत है जिसमें 1 योजना पूर्ण हो चुका है, 28 योजनाओं का कार्य प्रगति पर है। मुख्यमंत्री ग्राम सड़क सुदृढ़ीकरण योजना के तहत वर्ष 2023-24 में कुल 17 पैकेज अन्तर्गत 118 सड़कों का मरम्मत एवं सुदृढ़ीकरण कार्य जारी है, जिसमें अधिकांश योजनाएँ पूर्ण होने पर है। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, देवघर द्वारा जल जीवन मिशन अन्तर्गत सारवाँ एवं भण्डारो आसन्न ग्रामीण जलापूर्ति योजना में 11663 अदद एवं देवघर प्रमंडल अन्तर्गत 75316 अद्द घरों में गृह संयोजन किया गया। अपने संबोधन में माननीय मंत्री श्री हफीजुल हसन ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के द्वारा हुए कार्यों की जानकारी देते हुए कहा कि अल्पसंख्यक कब्रिस्तान घेराबंदी योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल 1294 नई योजनाएँ स्वीकृत की गई है। उक्त योजत्ता में 100 करोड़ का बजट का प्रावधान है साथ ही पिछले चार सालों में लगभग 3000 कब्रिस्तान की घेराबंदी एवं सौन्दर्गीकरण कार्य किया जा चुका है। अल्पसंख्यक छात्रावास निर्माण/जीर्णाेद्धार योजना में कुल 91 अल्पसंख्यक छात्रावास का निर्माण किया गया है। 2023-24 में 44 नयी छात्रावास निर्माण योजनाओं की स्वीकृति प्रदान की गयी है। अल्पसंख्यकों के आर्थिक क उन्नयन हेतु छोटे-छोटे व्यवसाय के लिए कियोस्क निर्माण योजना संचालित है। अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं के लिए देवघर सहित अन्य जिलों में आवासीय विद्यालय का निर्माण कराया जा रहा है। पर्यटन, कला-संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के द्वारा हुए कार्यों की विवरणी। देवघर जिलान्तर्गत बुद्धा पहाड़ पर विभिन्न पर्यटकीय विकास कार्य प्रगति पर है। देवघर में फुड क्राफ्ट का संचालन इस वर्ष हो जाऐगा। संस्थान के शैक्षणिक सत्र प्रारंभ करने हेतु एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर की नियुक्ति कर ली गई है। महिला हॉकी ओलंपिक क्वालीफायर का सफल आयोजन राँची के मरांग गोमके जयपाल सिंह एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम में किया गया। इस अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में कुल 08 देशों द्वारा भाग लिया गया। राज्य में झारखण्ड खिलाड़ी पेंशन योजना का प्रारंभ की गई है। झारखण्ड महिला एशियन हॉकी चेम्पियनशीप ट्रोफी-2023 का सफल आयोजन रांची के मरांग गोमके जयपाल सिंह एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम में किया गया। इस अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में कुल 06 देशों द्वारा भाग लिया गया। वित्तीय वर्ष 2023-24 में मेगा स्पोट्स कॉम्प्लेक्स, कुमैठा, देवधर में सभी संरचनाओं के मरम्मति एवं जीर्णाेद्धार कार्य की स्वीकृति दी गई। वित्तीय वर्ष 2023-24 में मेगा स्पोट्स कॉम्प्लेक्स, कुमैठा, देवघर में 200 बेडेड खेल छात्रावास के मरम्मति एवं जीर्णाेद्धार कार्य की स्वीकृति दी गई है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में मधुपुर प्रखण्ड के पंचायत जगदीशपुर के निकट स्टेडियम निर्माण की स्वीकृति दी गई है। राज्य में विभिन्न जिलों में स्टेडियम निर्माण की स्वीकृति दी गई है। देवघर जिलान्तर्गत बुद्धा पहाड़ पर विभिन्न पर्यटकीय विकास कार्य प्रगति पर है। राज्य में युवाओं के सामाजिक, मानसिक, बौद्धिक, सांस्कृतिक एवं खेल विकास हेतु राज्य के सभी गांवों में एक-एक सिद्धो-कान्हु युवा क्लब की स्थापना की जायेगी। झारखण्ड उत्कृष्ट खिलाड़ी सीधी नियुक्ति, (भर्ती एवं सेवाशर्त) नियमावली 2024 का गठन प्रक्रियाधीन है। राज्य प्रशिक्षण केन्द्रों व जिला स्तर के बड़े स्टेडियम में एथलेटिक ट्रैक एवं एस्ट्रोटर्फ अधिष्ठापन का कार्य करया जायेगा ताकि खिलाड़ी अत्याधुनिक खेल संरचना में प्रशिक्षण प्राप्त कर सके। आगे उन्होंने नगर विकास एवं आवास विभाग के द्वारा हुए कार्यों की जानकारी देते हुए कहा कि ताज होटल के निर्माण हेतु MOU (Lease Agreement) पर हस्ताक्षर हुआ। झारखण्ड सरकार द्वारा राजधानी, राँची के कोर कैपिटल एरिया में 06 एकड़ भूमि पर ग्रीन फिल्ड प्रोजेक्ट के साथ आलिशान एवं अत्याधुनिक सुविधाओं वाला 200 कमरों का ताज होटल का निर्माण कराया जायेगा। फ्लाईओवर परियोजना के तहत रॉची शहर के दो व्यस्ततम चौराहें यथा कॉटाटोली चौक एवं बहुबाजार चौक के ऊपर 225 करोड़ की लागत से कुल 2240 मी० लंबे फ्लाईओवर का निर्माण अंतिम चरण में है। राज्य संपोषित मद से कुल 1432 करोड़ रूपये की लागत से मधुपुर, बासुकीनाथ सहित अन्य शहरों में शहरी जलापूर्ति योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्रमिक योजना अंतर्गत अबतक 14,437 परिवारों को जॉब कार्ड प्रदान कर दिया गया है। निबंधित श्रमिकों में से 389214 मानवबल दिवस का काम/भुगतान विभिन्न नगर निकायों के माध्यम से किया गया है। पर्यावरण संरक्षण हेतु साहेबगंज जिला में गंगा नदी के तट पर 586 हेक्टेयर भूमि पर कुल 783620 वृक्षारोपन किया गया है। इसके अतिरिक्त अन्य दार्शनिक स्थल यथा बुद्धा पहाड, पनाह कोला मजार, लालगढ़ मजार, गोसुआ मंदिर, जामा शिव मंदिर, सारठ मजार, फागो मंदिर, वभन गामा दुबे मंदिर, लालगढ़ मजार के निकट तालाब घाट, कजरा शिव मंदिर, पिपरा सॉल दुबे मंदिर, नावाडीह-भेड़वा मजार, संघरा मजार, लखना मोहल्ला कर्बला, धर्मराज मंदिर के पर्यटकीय विकास की स्वीकृति झारखण्ड सरकार द्वारा प्रदान की गयी है। साथ्रा ही जिला पुलिस प्रशासन, देवधर का अपराध नियंत्रण में हमेशा से उल्लेखनीय योगदान रहा है। पूरे देश के कई अनसुलझे साईबर अपराध का उद्भेदन किया गया। साईबर अपराध नियंत्रण मामले में देवघर जिला राष्ट्र में सर्वाेपरि रहा है। अन्यान्य जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन, देवघर द्वारा बाया वैद्यनाथ मंदिर में जलाभिषेक हेतु काँवरियों के लिए बेहतर व्यवस्था की गई है। अबतक लाखों कॉवरियों द्वारा बाबा वैद्यनाथ का जलार्पण किया गया है। इसके लिए पुलिस प्रशासन, जनप्रतिनिधि, मिडियाकर्मी एवं जिला देवघर के आम नागरिक धन्यवाद के पात्र है। पुनः एक बार आप सबों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। इस दौरान उपरोक्त के अलावा उपायुक्त सह जिला दण्डाधिकारी विशाल सागर, पुलिस अधीक्षक अजीत पीटर डुंगडूग, उप विकास आयुक्त नवीन कुमार, जिला बीस सूत्री उपाध्यक्ष मुन्नम संजय, अध्यक्ष जिला परिषद किरण कुमारी, विधायक प्रतिनिधि संजय शर्मा, अनुमंडल पदाधिकारी सागरी बराल, प्रभारी पदाधिकारी गोपनीय शाखा  प्रशांत लायक, जिला नजारत उपसमाहर्ता शैलेष कुमार, जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी राहुल कुमार भारती, जिला खेल पदाधिकारी संतोष कुमार, स्थापना उपसमाहर्ता, जिला आपूर्ति पदाधिकारी, जिला कल्याण पदाधिकारी, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, जिला पंचायती राज पदाधिकारी, सहायक जनसम्पर्क पदाधिकारी के साथ-साथ संबंधित विभाग के अधिकारी, जनप्रतिनिधि, समाजसेवी व कर्मी आदि उपस्थित थे।