झारखंड विधानसभा: हंगामे के बीच ₹7,721 करोड़ का द्वितीय अनुपूरक बजट पेश
विपक्ष ने छात्रवृत्ति, धान खरीद पर की नारेबाजी; सामाजिक सुरक्षा विभाग को मिली सबसे ज्यादा ₹2,082 करोड़ की तवज्जो
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झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन (सोमवार) की कार्यवाही विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गई। प्रश्नकाल पूरी तरह बाधित रहा, और बाद में शून्यकाल और ध्यानाकर्षण की कार्यवाही भी विपक्षी विधायकों की नारेबाजी के बीच चलती रही।
द्वितीय अनुपूरक बजट हुआ पेश
शोर-शराबे और हंगामे के बीच ही वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए ₹7,721.25 करोड़ का द्वितीय अनुपूरक बजट सदन पटल पर रखा।
पिछला बजट: बता दें कि पिछले मानसून सत्र के दौरान सरकार ने ₹4,296.62 करोड़ का प्रथम अनुपूरक बजट पास कराया था।
बजट पेश किए जाने के दौरान भी विपक्षी विधायक वेल में थे और लगातार सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे, खासकर छात्रवृत्ति नहीं मिलने और किसानों से धान खरीद न होने के मुद्दे पर सवाल उठाए जा रहे थे।
बजट में किस विभाग को कितनी तवज्जो
द्वितीय अनुपूरक बजट में ₹7,721.25 करोड़ की राशि विभिन्न विभागों के लिए आवंटित की गई है। इस बजट में मुख्य रूप से सामाजिक सुरक्षा और ग्रामीण विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है:
क्रम विभाग का नाम प्रावधानित राशि (करोड़ रु.)
1. महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग 2,082.25 करोड़
2. ग्रामीण कार्य विभाग 1,324.82 करोड़
3. स्वास्थ्य विभाग 729.00 करोड़
4. आपदा प्रबंधन प्रभाग 526.00 करोड़
5. वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग 500.00 करोड़
6. गृह विभाग 443.00 करोड़
सर्वाधिक फोकस: महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के लिए प्रावधान की गई ₹2,082.25 करोड़ की राशि में से सबसे ज्यादा ₹2,077 करोड़ की मांग सामाजिक सुरक्षा और कल्याण मद में की गई है।
बाबूलाल मरांडी की विशेष चर्चा की मांग
बजट पेश होने से ठीक पहले नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने आसन से जोरदार आग्रह किया।
ज़रूरी मुद्दे: उन्होंने कहा कि शून्यकाल की कार्यवाही से ज्यादा ज़रूरी नौजवानों की छात्रवृत्ति और किसानों की धान खरीद का मसला है।
किसानों की दुर्दशा: मरांडी ने सवाल उठाया कि सरकार के वादे के बावजूद किसानों से ₹3,200 प्रति क्विंटल की दर से धान क्यों नहीं खरीदी जा रही है, जबकि लाचार होकर किसान ₹1500-1600 प्रति क्विंटल की दर से बिचौलियों को धान बेचने को मजबूर हो रहे हैं।
मांग: उन्होंने माँग की कि बाकी कार्य बंद कर इस गंभीर विषय पर विशेष चर्चा होनी चाहिए।
इसके बाद, शून्यकाल की सूचनाओं पर विभाग की ओर से जवाब नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए विपक्षी विधायक वेल में आ गए और नारेबाजी करने लगे, जिसके बावजूद शून्यकाल और ध्यानाकर्षण की सूचनाएं ली गईं।
अगली कार्यवाही
संसदीय कार्यमंत्री ने कार्यमंत्रणा समिति की बैठक के फैसले पर सभा की सहमति मांगी, जो ध्वनिमत से पारित हो गई। स्पीकर ने जानकारी दी कि मंगलवार (9 दिसंबर) को अनुपूरक बजट पर तीन घंटा वाद-विवाद के लिए आवंटित रहेगा।




सदन के पटल पर उठाए महत्वपूर्ण मुद्दें , झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र में हज़ारीबाग़ के विधायक प्रदीप प्रसाद ने राज्य सूचना आयोग की गंभीर अनियमितताओं, पुलिस आधुनिकीकरण की धीमी प्रगति, कानून-व्यवस्था में गिरावट और छात्रवृत्ति वितरण में सरकार की विफलताओं जैसे महत्वपूर्ण जनसरोकार के मुद्दों को सदन में उठाया।
हजारीबाग: उपायुक्त श्री शशि प्रकाश सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को समाहरणालय सभाकक्ष में जिला स्वास्थ्य समिति की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं एवं नियमित स्वास्थ्य सेवाओं की विस्तृत समीक्षा की गई।




पिपरा पट्टी बहोरापुर गांव में चल रहे नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा एवं पंचकुंडीय रुद्र महायज्ञ के तीसरे दिन रविवार की संध्या भक्ति रस में डूबी रही। कथा मंच पर जैसे ही मानस मंदाकिनी रागिनी सरस्वती (डॉ. रागिनी मिश्रा) ने कथा प्रवचन का शुभारंभ किया, वैसे ही श्रोता भावविभोर हो उठे। उनके मधुर स्वर, सधी हुई वाणी और शास्त्रीय शैली में किए गए भावपूर्ण व्याख्यान ने पूरे वातावरण को अलौकिक बना दिया। डॉ. रागिनी ने भगवान शंकर की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि भोलेनाथ केवल देवों के देव नहीं, बल्कि सभी जीवों के हितैषी हैं। उन्होंने कहा कि भगवान शिव इतने दयालु हैं कि यदि कोई भक्त सच्चे हृदय से ‘भो’ शब्द तक कह दे, तो वे तुरंत कृपा कर देते हैं। उनका स्वभाव सरल, सुलभ और निष्कपट है। वे भक्त के भाव से बंध जाते हैं, न कि उसकी वाणी या वैभव से। कथावाचक ने पुराणों और दार्शनिक ग्रंथों के उदाहरणों द्वारा शिव की उदारता और त्यागमयी वृत्ति को व्याख्यायित किया। उन्होंने कहा कि शिव परिवार का प्रत्येक अंश—माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और नंदी—मानव जीवन के कर्तव्य, तप और समर्पण के प्रतीक हैं। भक्ति और ज्ञान का संगम कराते हुए उन्होंने श्रोताओं को संदेश दिया कि शिव केवल पूजन के देव नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला हैं। जो व्यक्ति क्षमाशील, त्यागी और निष्कपट है, उसमें स्वयं शिव का वास होता है। डॉ. रागिनी की सजीव कथा शैली, उनके भावपूर्ण गायन और शास्त्रीय प्रस्तुति ने श्रोताओं को देर रात तक मंत्रमुग्ध रखा। प्रातःकाल यज्ञशाला में पूजन हुआ। उसके पश्चात बुढ़वा शिव मंदिर पर रुद्राभिषेक का कार्यक्रम संपन्न हुआ। यज्ञशाला के मध्य रितेश मिश्रा जी महाराज ने अरणी मंथन का कार्यक्रम कराया। आचार्य विवेक शुक्ल नव्यव्याकरणचार्य एवं उनके सहयोगी ब्राह्मण द्वारा विधि पूर्वक मंत्रोचार के बीच पूरे गांव के समक्ष लकड़ी से लकड़ी के घर्षण से अग्नि देव बालक स्वरूप यज्ञशाला में उत्पन्न कराया गया। इस दौरान पूरे गांव के लोगों में भक्ति और उत्साह देखने को मिला।
5 hours ago
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