हजारीबाग डेंटल काॅलेज द्वारा मांडू स्थित सपोर्ट पब्लिक स्कूल में निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का हुआ आयोजन

हजारीबाग कॉलेज ऑफ डेंटल साइंसेस एंड हॉस्पिटल द्वारा मांडू के गोविन्दपूर अवस्थित सपोर्ट पब्लिक विद्यालय में शुक्रवार को निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन हुआ। इसमें सामान्य स्वास्थ्य, दांत एवं नेत्र का जांच व उपचार निशुल्क किया गया। विद्यालय के बच्चे, शिक्षकगण एवं कर्मचारीगण सहित कई जरूरतमंद मरीजों ने निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का लाभ उठाया। जिसमें 255 जनों ने शिविर में जांच एवं उपचार करवाकर उत्तम स्वास्थ्य का परामर्श प्राप्त किया। इस दौरान चिकित्सकों ने बच्चों को स्वच्छता के प्रति आदतें विकसित करना और स्वस्थ जीवनशैली के लिए प्रेरित किया। शिविर के आयोजन में विद्यालय प्रबंधन ने विधि- व्यवस्था एवं सहयोग में अपना सरहानीय योगदान दिया। साथ ही हजारीबाग डेंटल काॅलेज द्वारा लगाए गए निशुल्क स्वास्थ्य शिविर की प्रशंसा कर चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों के प्रति कृतज्ञ व्यक्त किया। मौके पर हजारीबाग डेंटल काॅलेज के सचिव डाॅ प्रवीण श्रीनिवास ने कहा कि बुनियादी उपचार जरूरतमंदों को निशुल्क उपलब्ध कराना एवं स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना मुख्य उद्देश्य है। मौके की पर हजारीबाग डेंटल काॅलेज के डाॅ दीपांशु रंजन, रूपेश कुमार सिंह, स्नेहा कुमारी, ईशा दत्ता, प्रिंयाशु कुमार एवं पीआरओ राज कुमार ने सरहानीय योगदान दिया। मुख्य रूप से सपोर्ट पब्लिक विद्यालय के प्रधानाचार्य स्वाति प्रियंका, पिंकी कुमारी, मनीष कुमार एवं शिखा सिंह सहित कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे।

बड़कागांव के लिए ऐतिहासिक दिन, हरली में 26 करोड़ की लागत से बनने वाले डिग्री कॉलेज का भूमिपूजन हुआ संपन्न

बड़कागांव - हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र के लिए शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक रहा। क्षेत्र की चिर-लंबित मांग और यहां के विद्यार्थियों के सपनों को साकार करते हुए बड़कागांव पूर्वी क्षेत्र के हरली पंचायत स्थित ग्राम हरली में डिग्री कॉलेज के निर्माण कार्य का विधिवत् भूमिपूजन संपन्न हो गया।इस अवसर पर आयोजित समारोह में बतौर मुख्य अतिथि हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के सांसद मनीष जायसवाल और विशिष्ट अतिथि के रूप में बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र के विधायक रोशन लाल चौधरी शामिल हुए और विधिवत् पूजा- अर्चना कर,

नारियल फोड़कर, शिलापट्ट का अनावरण कर और ईंट जोड़कर डिग्री कॉलेज का नींव रखा ।

यह डिग्री कॉलेज विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग के अंतर्गत संचालित होगा। करीब 26 करोड़ रुपये की लागत से यह कॉलेज 4.07 एकड़ भूखंड पर निर्मित किया जाएगा। निर्माण का जिम्मा भवन निर्माण निगम लिमिटेड को सौंपा गया है, जिसे अगले 21 महीने में कार्य पूर्ण करना है। कॉलेज परिसर में जी+2 (ग्राउंड प्लस टू) का एकेडमिक भवन, एसआरसी भवन, एक विशाल खेल मैदान, और अन्य सभी आवश्यक आधारभूत संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा। इस अत्याधुनिक भवन में एक साथ करीब 2000 से अधिक विद्यार्थियों के बैठकर पढ़ाई करने की क्षमता होगी।

मौके पर सांसद मनीष जायसवाल ने कहा कि इस कॉलेज के निर्माण में किसी प्रकार का कोई विघ्न-बाधा या अड़चन ना आए इस दिशा में स्थानीय लोगों को शिक्षा के उत्थान में संकल्प लेकर इसके जल्द निर्माण के दिशा में सकारात्मक सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बरसों पूर्व से इस क्षेत्र के विद्यार्थियों के दर्द को मैंने बतौर हजारीबाग सदर विधायक रहते हुए हजारीबाग के विभिन्न कॉलेजों में नामांकन हेतु अनुशंसा के माध्यम से करीब से देखा और जाना है। पहले यहाँ के छात्र-छात्राओं को स्नातक की पढ़ाई के लिए हजारीबाग, रामगढ़ या रांची जैसे बड़े शहरों की ओर रुख करना पड़ता था। लेकिन अब जल्द ही उन्हें उनके गृह क्षेत्र में ही उच्च शिक्षा की सुविधा उपलब्ध होगी, जिससे क्षेत्र के विद्यार्थियों में उड़ान का नया पंख लगेगा। उन्होंने इस डिग्री कॉलेज के स्वीकृति के लिए प्रयासरत सभी जनों के साथ सरकार का भी आभार जताया की देर से ही सही लेकिन इस क्षेत्र के लोगों की लंबे अरसे की मांग पूरी होने जा रही है। बड़कागांव विधायक रोशन लाल चौधरी ने कहा कि शिक्षा से ही समाज में बदलाव और विकास संभव है। ऐसे में अभी डिग्री कॉलेज का भूमि पूजन हुआ है भविष्य में तकनीकी शिक्षा के साथ अन्य जरूरी शिक्षा के लिए सांसद मनीष जायसवाल के साथ मैं कटिबद्ध रहूंगा ।

समारोह में मंच का संचालन बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र के सांसद मीडिया प्रतिनिधि उमेश दांगी ने किया। मौके पर विशेष रूप से इस महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम में क्षेत्र के प्रसिद्ध शिक्षाविद् महेंद्र नाथ पांडेय, हरली पंचायत की मुखिया कविता देवी, पंचायत समिति सदस्य कौशल्या देवी, लोकसभा सांसद प्रतिनिधि सत्येंद्र नारायण सिंह, बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र के सांसद प्रतिनिधि पूनम साहू, पूर्व मुखिया सह बड़कागांव पूर्वी सांसद प्रतिनिधि महेंद्र महतो, पूर्व मुखिया बिगेश्वर महतो, भाजपा पूर्वी मंडल अध्यक्ष खेमलाल महतो, पश्चिमी भाजपा मंडल अध्यक्ष आदित्य साहू सोनी, भाजपा नेता जुगनू सिंह, अनिल मिश्रा, जयनारायण मेहता, उपेंद्र प्रसाद, बेचन साव, सबूर महतो, सुमन गिरी, भीखन महतो, राजकिशोर साव, विनोद महतो, पारस नाथ महतो, किशोर राणा, सोहन लाल मेहता, मनीष पाण्डेय, प्रमोद साव, हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के सांसद मीडिया प्रतिनिधि रंजन चौधरी सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहें ।

सतर्कता जागरूकता सप्ताह 2025 का भव्य समापन समारोह

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सतर्कता जागरूकता सप्ताह 2025 का भव्य समापन समारोह उत्साह, उमंग और पारदर्शिता व निष्ठा के सामूहिक संकल्प के साथ सफलतापूर्वक टाउनशिप में आयोजित किया गया। समारोह में विविध प्रतियोगिताओं के विजेताओं व प्रतिभागियों को सैकड़ों पुरस्कार प्रदान किए गए,

जिनमें कर्मचारियों के आश्रितों के लिए वीडियो वाद-विवाद, कर्मचारियों एवं उनके जीवनसाथियों के लिए रील मेकिंग, निबंध लेखन, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, नुक्कड़ नाटक तथा लोकनृत्य प्रस्तुतियाँ शामिल थीं।

कार्यक्रम की विशेष आकर्षण रही ऊर्जावान बैगपाइपर प्रस्तुति तथा कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छात्राओं द्वारा “जोहड़ झारखंड” एवं “सुंदर झारखंड” विषय पर प्रेरक सांस्कृतिक नृत्य।

कार्यक्रम में कर्मचारियों, परिजनों, विद्यार्थियों एवं समुदाय के सदस्यों की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखी गई, जिसने नैतिक प्रशासन के संकल्प को और सुदृढ़ किया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में श्री ए.के. सेहगल, सीईओ PVUNL; श्री अनुपम मुखर्जी, सीजीएम (प्रोजेक्ट); श्री ज़ियाउर रहमान, HOHR तथा स्वर्णरेखा महिला समिति की अध्यक्ष श्रीमती रेनु सहगल सहित अनेक गणमान्य व्यक्तित्व उपस्थित रहे।

आपकी योजना–आपकी सरकार–आपके द्वार कार्यक्रम के अंतर्गत “सेवा का अधिकार सप्ताह” का शुभारंभ

आपकी योजना–आपकी सरकार–आपके द्वार” कार्यक्रम के अंतर्गत “सेवा का अधिकार सप्ताह” के प्रथम दिन 21 नवंबर को उपायुक्त श्री शशि प्रकाश सिंह ने दारू, टाटीझरिया एवं विष्णुगढ़ प्रखंड में आयोजित शिविरों का निरीक्षण किया।

उपायुक्त ने शिविरों में चल रहे विभिन्न सेवा-काउंटरों का जायजा लिया तथा आमजन को योजनाओं का लाभ सुगमता से उपलब्ध कराने हेतु दिए गए निर्देशों की समीक्षा की। उन्होंने प्रत्येक काउंटर पर प्राप्त आवेदनों की अद्यतन स्थिति, निपटान की गति तथा सेवा प्रदायगी से संबंधित प्रक्रियाओं की विस्तृत जानकारी ली।

निरीक्षण के क्रम में उपायुक्त ने आवेदनों की ऑनलाइन प्रविष्टि प्रणाली (Online Entry System) का भी अवलोकन किया और तकनीकी टीम से इसके सुचारू संचालन के संबंध में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रत्येक प्राप्त आवेदन का समयबद्ध ऑनलाइन पंजीकरण, सत्यापन एवं निपटान सुनिश्चित किया जाए, ताकि सेवा का अधिकार अधिनियम की भावना के अनुरूप नागरिकों को समय से सेवाएँ प्राप्त हों।

उपायुक्त ने कहा कि “सेवा का अधिकार सप्ताह” का उद्देश्य जनता की पहुंच सभी सरकारी सेवाओं तक आसान, पारदर्शी और प्रभावी बनाना है। उन्होंने उपस्थित आमजन से भी बातचीत कर उनकी समस्याएँ सुनीं तथा तत्काल समाधान हेतु संबंधित पदाधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए।

कार्यक्रम में प्रखंड स्तरीय अधिकारी, विभिन्न विभागों के कर्मी, तकनीकी सहायक तथा बड़ी संख्या में आमजन उपस्थित रहे। जिला प्रशासन द्वारा सभी प्रखंडों में सप्ताह भर विशेष शिविरों के माध्यम से अधिकतम सेवाएँ प्रदान करने के लिए शिविर का आयोजन कर रहा है।

पूर्वी यूपी में पहली बार PFO डिवाइस क्लोज़र से क्रॉनिक माइग्रेन का सफल इलाज।

15 वर्षो से पीड़ित 50 वर्षीय महिला को मिली बड़ी राहत।

संजय द्विवेदी प्रयागराज।पूर्वी उत्तर प्रदेश के चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की गई है।यहां 50 वर्षीय महिला के हृदय में मौजूद 5 मिमी के पीएफओ(Patent Foramen Ovale)को डिवाइस क्लोज़र तकनीक के माध्यम से सफलतापूर्वक बंद कर दिया गया। महिला पिछले 15 वर्षो से गम्भीर क्रॉनिक माइग्रेन से पीड़ित थी और लगातार इलाज के बावजूद उसे कोई राहत नहीं मिल पा रही थी।यह प्रक्रिया पूर्वी यूपी में अपने प्रकार की पहली सफल प्रक्रिया मानी जा रही है।इस जटिल प्रक्रिया (ऑपरेशन) को कार्डियोलॉजी विभाग की विशेषज्ञ टीम—डॉ. वैभव श्रीवास्तव, डॉ.विमल निषाद एवं डॉ.ऋषिका पटेल — ने सफलता पूर्वक अंजाम दिया। प्रक्रिया के दौरान कार्डियक तकनीशियन रामनिवास और जयप्रकाश ने भी महत्वपूर्ण तकनीकी सहयोग प्रदान किया।

प्रक्रिया के बाद जानकारी देते हुए डॉ. वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि पीएफओ सामान्यतः हर चार में से एक व्यक्ति में पाया जाता है लेकिन इसका माइग्रेन से सम्बन्ध बहुत ही कम मामलों में देखने को मिलता है। जब हृदय के दाएं हिस्से का रक्त इस छोटे छिद्र के माध्यम से बाएं हिस्से में पहुंचता है तो कुछ मरीजों में असहनीय माइग्रेन की समस्या उत्पन्न हो सकती है।ऐसे चयनित मामलों में डिवाइस क्लोज़र एक प्रभावी उपचार विकल्प साबित होता है।वही डॉ.विमल निषाद ने बताया कि कुछ उच्च जोखिम वाले पीएफओ मामलों में स्ट्रोक की संभावना भी बनी रहती है इसलिए समय रहते जांच और उपचार बेहद जरूरी है।

विभागाध्यक्ष डॉ.पीयूष सक्सेना ने इसे क्रॉनिक माइग्रेन से पीड़ित मरीजो के लिए एक नवीन और आशाजनक उपचार विधि बताते हुए कहा कि इससे उन मरीजों को राहत मिल सकेगी जो लम्बे समय से दवाइयों पर निर्भर रहने के बावजूद आराम नहीं पा रहे थे।मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ वी.के.पाण्डेय के अनुसार यह उपलब्धि पूर्वी उत्तर प्रदेश में आधुनिक चिकित्सा के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ती है और भविष्य में गम्भीर माइग्रेन व पीएफओ से पीड़ित मरीजो के लिए नई उम्मीद का मार्ग प्रशस्त करेगी।

बिना चुनाव लड़े मंत्री बने उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश, इंजीनियरिंग छोड़ राजनीति में एंट्री

पटना :राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) सुप्रीमो एवं पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा और सासाराम की नवनिर्वाचित विधायक स्नेहलता के पुत्र, लगभग 37 वर्षीय दीपक प्रकाश को रालोमो कोटे से मंत्री मंडल में स्थान मिला है।

इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने वाले दीपक मूलरूप से महनार प्रखंड की नारायणपुर डेढ़पुरा पंचायत के जावज गांव के निवासी हैं।

दीपक प्रकाश का जन्म 22 अक्टूबर 1989 को हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा पटना में हुई, जहां उन्होंने वर्ष 2005 में आइसीएसई बोर्ड से 10वीं और वर्ष 2007 में सीबीएसई बोर्ड से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की।

इसके बाद उन्होंने एमआRटी, मणिपाल से कंप्यूटर साइंस में बीटेक (2011) पूरा किया। तकनीकी क्षेत्र से आने वाले दीपक ने वर्ष 2011 से 2013 तक साफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में कार्य किया। बाद में वे स्वयं के व्यवसाय से जुड़ गए।

2019-20 में राजनीति में एंट्री

राजनीति में इनकी सक्रिय भूमिका वर्ष 2019-20 के आसपास शुरू हुई, जब उन्होंने अपने पिता उपेंद्र कुशवाहा के संगठनात्मक और राजनीतिक कामों में हिस्सा लेना शुरू किया। पार्टी की नीतियों, युवाओं के मुद्दों और सामाजिक न्याय की सोच के साथ वे जल्द ही राजनीतिक दायरे में सक्रिय हो गए।

परिवार की राजनीतिक पकड़ मजबूत

दीपक एक ऐसे परिवार से आते हैं, जिसकी राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में मजबूत पकड़ रही है। उनके दादा स्वर्गीय मुनेश्वर सिंह प्रसिद्ध समाजसेवी और कारोबारी थे। जंदाहा के अरनिया स्थित समता कॉलेज की स्थापना में उनका अहम योगदान रहा, जिसके सम्मान में इस महाविद्यालय का नामकरण मुनेश्वर सिंह मुनेश्वरी समता महाविद्यालय किया गया।

दीपक की दादी का नाम मुनेश्वरी देवी है। दीपक के पिता उपेंद्र कुशवाहा एक कुशल राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ समता कॉलेज, जंदाहा में प्रोफेसर भी रहे। वे पिछले वर्ष ही सेवानिवृत्त हुए। उनका राजनीतिक सफर समता पार्टी से शुरू हुआ, जहां से वे वर्ष 2000 में जंदाहा विधानसभा (परिसीमन के बाद अब विलोपित) से विधायक निर्वाचित हुए।

भारत सरकार में मंत्री रहे उपेंद्र कुशवाहा

वर्ष 2000 से 2005 तक वे बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे। इसके बाद उपेंद्र कुशवाहा ने राज्यसभा सांसद, विधान पार्षद के रूप में अपनी भूमिका निभाई और वर्ष 2014 में काराकाट लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित होकर केंद्र सरकार में मानव संसाधन राज्य मंत्री भी बने। वर्तमान में वे राज्यसभा सांसद हैं।

दूसरी ओर, दीपक की मां स्नेहलता कुशवाहा इस बार के विधानसभा चुनाव में सासाराम विधानसभा क्षेत्र से विधायिका बनी हैं। ऐसे सशक्त राजनीतिक और सामाजिक परिवेश से आने वाले दीपक प्रकाश की मंत्री पद पर नियुक्ति को लेकर क्षेत्र में उत्साह और चर्चा दोनों है।

प्रशासन का उद्देश्य पारदर्शीए विश्वसनीय एवं सुव्यवस्थित निर्वाचन प्रक्रिया सुनिश्चित करना-जिला निर्वाचन अधिकारी

गोण्डा। 21 नवम्बर,2025 जिला निर्वाचन अधिकारी/जिलाधिकारी गोण्डा प्रियंका निरंजन ने विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण के कार्यों को पूर्णतः पारदर्शी एवं समयबद्ध रूप से संपन्न कराने हेतु कड़े निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि एसआईआर (SIR) फॉर्म के वितरण एवं उसके शतप्रतिशत डिजिटाइजेशन में लापरवाही किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं होगी।

जिलाधिकारी ने समीक्षा के दौरान पाया कि कुछ तहसीलों एवं संबंधित इकाइयों में एसआईआर फॉर्म का वितरण और डिजिटाइजेशन कार्य निर्धारित समयसीमा के अनुरूप नहीं किया जा रहा है। इस पर गंभीर नाराज़गी व्यक्त करते हुए उन्होंने निर्देश दिया कि हर स्तर पर निर्वाचन कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि निर्वाचन कार्यों में किसी भी प्रकार की ढिलाई लोकतांत्रिक व्यवस्था को प्रभावित कर सकती है। इसलिए सभी अधिकारी और कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन ईमानदारी एवं तत्परता के साथ करें।

जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जिन अधिकारियों अथवा कर्मचारियों द्वारा एसआईआर फार्म के वितरण अथवा डिजिटाइजेशन में लापरवाही बरती जा रही है, उनकी पहचान कर उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही विधिक कार्रवाई सहित आवश्यक कड़ी से कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। 

उन्होंने संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे लापरवाह कर्मचारियों का ब्योरा तत्काल उपलब्ध कराएं ताकि समय पर आवश्यक कार्रवाई की जा सके।

जिलाधिकारी ने कहा कि निर्वाचन आयोग के निर्देशों के अनुरूप काम करना सभी संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों की प्राथमिक जिम्मेदारी है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि किसी भी स्तर पर की गई लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा तथा प्रशासनिक कार्रवाई में किसी प्रकार की ढिलाई नहीं बरती जाएगी। उन्होंने निर्देशित किया कि सभी विकासखंड, नगर निकाय तथा निर्वाचन से जुड़े विभाग यह सुनिश्चित करें कि एसआईआर फॉर्म का वितरण और डिजिटाइजेशन कार्य समयबद्ध पूर्ण एवं त्रुटिरहित रूप से किया जाए।

बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि निर्वाचन कार्यों की सफलता टीम वर्क और जवाबदेही पर आधारित है। अतः सभी अधिकारी एवं कर्मचारी समन्वय बनाते हुए निर्धारित दायित्वों का निर्वहन करें, ताकि विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण से संबंधित सभी कार्य समय पर पूर्ण हो सकें। प्रशासन का उद्देश्य पारदर्शी, विश्वसनीय एवं सुव्यवस्थित निर्वाचन प्रक्रिया सुनिश्चित करना है। जिसके लिए सभी का सहयोग आवश्यक है।

मां विंध्यवासिनी मेडिकल कॉलेज अंतर्गत मंडलीय चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड डॉक्टर का कारनामा

मीरजापुर। मां विंध्यवासिनी स्वायत्तशासी महाविद्यालय अंतर्गत मंडलीय चिकित्सालय इस समय अपने ऊल- जुलुल हरकतों व नौसीखीया डॉक्टरो के उपेक्षा पूर्ण रवैया और गुंडागर्दी से काफी चर्चा में चल रहा है । इसी क्रम में 19 नवंबर को अल्ट्रासाउंड डॉक्टर ने एक और कारनामा कर दिखाया। अल्ट्रासाउंड के डॉक्टर और उनकी पूरी टीम ने फर्जी जॉच व रिपोर्ट तैयार कर प्रार्थी की घोर मानसिक क्षति कारित किया। अपने साथ हुए इस खिलवाड़ के संदर्भ में पीड़ित अधिवक्ता अजीत कुमार सिंह पुत्र कमलापति सिंह निवासी ग्राम लखौली, पो०-नेवढ़ियाघाट, थाना-को० दैहात, जनपद- मीरजापुर ने डा० अंकित शर्मा एमबीबीएस एमडी , डा० के० के० सिंह (अल्ट्रासाउण्ड डाक्टर) डा० एस० के० नायक (अल्ट्रासाउण्ड डाक्टर सीनियर), व 3 अन्य डाक्टर सहयोगियो के विरुद्ध जिलाधिकारी मिर्जापुर के यहां प्रार्थना पत्र देकर अपने साथ हुए घृणित मजाक के संदर्भ में डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में जिलाधिकारी को लिखा है कि प्रार्थी के कमर में दर्द की शिकायत थी जिसके कारण उसी दिन दिन समय लगभग 10:44 सुबह सरकारी अस्पताल जाकर विपक्षी सं0-1 से अपनी बात बताई जिस पर विपक्षी सं०-1 द्वारा अल्ट्रासाउण्ड करने की सलाह देते हुए प्रार्थी के पर्चा पर अल्ट्रासाउण्ड करने हेतु कहा गया तब प्रार्थी अस्पताल के अल्ट्रासाउण्ड विभाग में जाकर उसी दिन अपनी जाँच कराया जॉच रिपोर्ट में विपक्षी सं0-2 द्वारा यह लिखा गया कि प्रार्थी की दाहिने साइट की किडनी नही है। प्रार्थी जब उक्त रिपोर्ट विपक्षी सं०-1 जो कि उक्त विभाग के डाक्टर है को दिखाया तो वह उनके साथ बैठे 3 अन्य डाक्टरो को उक्त रिपोर्ट दिखाकर प्रार्थी को आश्चर्य भरी नजरो से देखने लगे प्रार्थी को शंका हुआ तो प्रार्थी उनसे पूछा कि डाक्टर साहब मेरी रिपोर्ट सही है कि नही तो डाक्टर विपक्षी सं०-1 मुझसे कहे कि आप कि दाहिनी किडनी जन्म से ही नहीं है।

 यह सुनते ही प्रार्थी का ब्लड पेसर काफी बढ़ गया । वहाँ मौके पर मौजूद कर्मचारी द्वारा मुझे कुर्सी पर बैठाकर मेरा बी०पी० चेक किय जिसमें बी०पी० 150 से ज्यादा बढ़ने लगा तब हमे डाक्टरो द्वारा बी०पी० की दवा देते हुए आश्वासन दिया गया कि आप एक किडनी पर जीवित रह सकते है। प्रार्थी उक्त विपक्षी गणो के द्वारा बताये गये जॉच रिपोर्ट से अवसाद में चला गया।

 तब मेरे परिवार वालो ने इसका कारण पूछा, तो मैने उन्हे सारी बात बताई । जिस पर परिवार वाले मुझे सतीश डायग्नोस्टिक रामबाग मीरजापुर लेकर आये और प्रार्थी का फुल चेक/अल्ट्रासाउण्ड कराया। उस जॉच में प्रार्थी की दोनो किडनी सही पाई गई। विपक्षीग फर्जी जॉच व रिपोर्ट तैयार कर प्रार्थी को घोर मानसिक शारीरिक आर्थिक छति पहुचाने का कार्य किये है। प्रार्थी प्रार्थना पत्र के साथ उक्त दोनो अल्ट्रासाउण्ड की रिपोर्ट संल कर रहा है। ऐसी स्थिति में उक्त विपक्षीगण की विभागीय जाँच कराकर दोषी पाये पर इनके विरूद्ध विभागीय कार्यवाही किया जाना उचित एवं न्याय संगत होगा। इस संदर्भ में पीड़ित के द्वारा श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के जिलाध्यक्ष दिलीप सिंह गहरवार से भी मदद मांगी गई , और उन्होंने जिलाधिकारी महोदय से मिलकर इस संदर्भ में प्रार्थना पत्र दिलवा कर तत्काल ऐसे अयोग्य डॉक्टरो के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की है । उन्होंने साथ ही साथ यह भी चेतावनी दी है कि यदि जीवन के साथ खिलवाड़ करने वाले ऐसे डॉक्टरों को तत्काल यहां से कार्य मुक्त नहीं किया गया तो श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना बड़े स्तर पर मंडलीय चिकित्सालय में धरना प्रदर्शन व अग्रिम कार्यवाही के लिए बाध्य होगी जिसकी सारी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी। 

मौके पर उपस्थित रहने वालों में जिला अध्यक्ष दिलीप सिंह गहरवार पूर्वांचल सचिव अभिषेक सिंह धवल ,जिला उपाध्यक्ष राकेश सिंह राणा, जिला उपाध्यक्ष इंस्पेक्टर सिंह शिवम, नगर अध्यक्ष युवराज सिंह युवा जिला अध्यक्ष  ऋषि कुमार सिंह प्रांजल, शाश्वत सिंह जंग बहादुर सिंह अजीत कुमार सिंह मधुकर मिश्रा एडवोकेट अरुण सिंह एडवोकेट हेमंत कुमार प्रवीण दीक्षित एडवोकेट सहित श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना सभी पदाधिकारी उपस्थित रहे।

विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ से हुए सम्मानित



रायपुर- आज हिंदी के शीर्ष कवि-कथाकार विनोद कुमार शुक्ल को हिंदी का सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार, उनके रायपुर स्थित निवास पर दिया गया. ज्ञानपीठ के महाप्रबंधक आरएन तिवारी ने सम्मान के साथ उन्हें वाग्देवी की प्रतिमा और पुरस्कार का चेक उन्हें प्रदान किया गया.

विनोद कुमार शुक्ल ने अपने पाठकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा- “जब हिन्दी भाषा सहित तमाम भाषाओं पर संकट की बात कही जा रही है, मुझे पूरी उम्मीद है नई पीढ़ी हर भाषा का सम्मान करेगी. हर विचारधारा का सम्मान करेगी. किसी भाषा या अच्छे विचार का नष्ट होना, मनुष्यता का नष्ट होना है.”

वे पिछले कई सालों से बच्चों और किशोरों के लिए भी लिख रहे हैं. अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि “मुझे बच्चों, किशोरों और युवाओं से बहुत उम्मीदें हैं. मैं हमेशा कहता रहा हूँ कि हर मनुष्य को अपने जीवन में एक किताब जरूर लिखनी चाहिए. अच्छी किताबें हमेशा साथ होनी चाहिए. अच्छी किताब को समझने के लिए हमेशा जूझना पड़ता है. किसी भी क्षेत्र में शास्त्रीयता को पाना है तो उस क्षेत्र के सबसे अच्छे साहित्य के पास जाना चाहिये.”

आलोचना को लेकर उन्होंने कहा कि “किसी अच्छे काम की आलोचना अगर की जाती है तो उन आलोचनाओं को अपनी ताकत बना लें. आलोचना जो है, दूसरों का विचार है, जो उपयोगी या अनुपयोगी हो सकता है. किसी कविता की सबसे अच्छी आलोचना का उत्तर उससे अच्छी एक और नयी कविता को रच देना है. किसी काम की सबसे अच्छी आलोचना का उत्तर, उससे और अच्छा काम करके दिखाना होना चाहिए. साहित्य में गलत आलोचनाओं ने अच्छे साहित्य का नुक़सान ज्यादा किया है.”

उन्होंने कहा कि “जीवन में असफलताएँ, गलतियाँ, आलोचनाएँ सभी तरफ़ बिखरी पड़ी मिल सकती हैं, वे बहुत सारी हो सकती हैं. उस बिखराव के किसी कोने में अच्छा, कहीं छिटका सा पड़ा होगा. दुनिया में जो अच्छा है, उस अच्छे को देखने की दृष्टि हमें स्वयं ही पाना होगा. इसकी समझ खुद विकसित करनी होगी. हमें अपनी रचनात्मकता पर ध्यान देना चाहिये. जब कहीं, किसी का साथ न दिखाई दे, तब भी चलो. अकेले चलो. चलते रहो. जीवन में उम्मीद सबसे बड़ी ताकत है. मेरे लिये पढ़ना और लिखना साँस लेने की तरह है.”

इससे पहले उन्होंने अपनी एक कविता का भी पाठ किया-

सबके साथ

सबके साथ हो गया हूँ

अपने पैरों से नहीं

सबके पैरों से चल रहा हूँ

अपनी आँखों से नहीं

सबकी आँखों से देख रहा हूँ

जागता हूँ तो सबकी नींद से

सोता हूँ तो सबकी नींद में

मैं अकेला नहीं

मुझमें लोगों की भीड़ इकट्ठी है

मुझे ढूँढो मत

मैं सब लोग हो चुका हूँ

मैं सबके मिल जाने के बाद

आख़िर में मिलूँगा

या नहीं मिल पाया तो

मेरे बदले किसी से मिल लेना.

विनोद कुमार शुक्ल के बारे में

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में 1 जनवरी 1937 को जन्मे, लगभग 90 की उम्र के होने को आए विनोद कुमार शुक्ल हिंदी साहित्य के ऐसे रचनाकार हैं, जो बहुत धीमे बोलते हैं, लेकिन साहित्य की दुनिया में उनकी आवाज़ बहुत दूर तक सुनाई देती है. मध्यमवर्गीय, साधारण और लगभग अनदेखे रह जाने वाले जीवन को शब्द देते हुए हिंदी में एक बिल्कुल अलग तरह की संवेदनशील, न्यूनतम और जादुई दुनिया रची. वे उन दुर्लभ लेखकों में हैं, जिनके यहाँ एक साधारण कमरा, एक खिड़की, एक पेड़, एक कमीज़ या घास का छोटा-सा टुकड़ा भी किसी पूरे ब्रह्मांड की तरह खुल जाता है.

उनका पहला कविता संग्रह ‘लगभग जय हिन्द’ 1971 में आया और वहीं से उनकी विशिष्ट भाषिक बनावट, चुप्पी और भीतर तक उतरती कोमल संवेदनाएँ हिंदी कविता में दर्ज होने लगीं. आगे चलकर ‘वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहिनकर विचार की तरह’ (1981), ‘सब कुछ होना बचा रहेगा’ (1992), ‘अतिरिक्त नहीं’ (2000), ‘कविता से लंबी कविता’ (2001), ‘आकाश धरती को खटखटाता है’ (2006), ‘पचास कविताएँ’ (2011), ‘कभी के बाद अभी’ (2012), ‘कवि ने कहा’, चुनी हुई कविताएँ (2012) और ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ (2013) जैसे संग्रहों ने उन्हें समकालीन हिंदी कविता के सबसे मौलिक स्वरों में शुमार कर दिया. उनकी कविताएँ बोलने से ज़्यादा सुनने वाली, नारेबाज़ी से कहीं अधिक, धीमी फुसफुसाहट की तरह काम करती हैं, लेकिन असर उनका बहुत दीर्घकालिक है.

उनके उपन्यास ‘नौकर की कमीज़’ (1979) ने हिंदी कथा-साहित्य में एक नया मोड़ दिया, जिस पर मणि कौल ने फिल्म भी बनाई. इसके बाद ‘खिलेगा तो देखेंगे’ (1996), ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ (1997, साहित्य अकादमी पुरस्कार), ‘हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़’ (2011), ‘यासि रासा त’ (2016) और ‘एक चुप्पी जगह’ (2018) के माध्यम से उन्होंने लोकआख्यान, स्वप्न, स्मृति, मध्यवर्गीय जीवन और मनुष्य की अस्तित्वगत जटिल आकांक्षाओं को एक नये कथा-ढांचे में समाहित किया.

कहानी-संग्रह ‘पेड़ पर कमरा’ (1988), ‘महाविद्यालय’ (1996), ‘एक कहानी’ (2021) और ‘घोड़ा और अन्य कहानियाँ’ (2021) में भी वही सूक्ष्म, घरेलू और लगभग उपेक्षित जीवन-कण अद्भुत कथा-समृद्धि के साथ उपस्थित होते हैं.

उनकी रचनाएँ अनेक भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित हुईं. ‘The Servant’s Shirt’, ‘A Window Lived In The Wall’, ‘Once It Flowers’, ‘Moonrise From The Green Grass Roof’, ‘Blue Is Like Blue’, ‘The Windows In Our House Are Little Doors’ जैसे अंग्रेज़ी अनुवादों ने उन्हें वैश्विक पाठकों तक पहुँचाया. ‘नौकर की कमीज़’ और ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ के साथ ‘पेड़ पर कमरा’ और अनेक कविताएँ विदेशी तथा भारतीय भाषाओं में रूपांतरित होकर एक व्यापक पाठक-वृत्त तक पहुँचीं. कई रचनाओं पर फिल्में बनीं, नाटक लिखे गए.

साहित्य अकादमी पुरस्कार, गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप, रज़ा पुरस्कार, शिखर सम्मान, राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान, हिंदी गौरव सम्मान, ‘Blue Is Like Blue’ के लिए मातृभूमि पुरस्कार, साहित्य अकादमी का महत्तर सदस्य सम्मान और 2023 का पैन-नाबोकोव पुरस्कार जैसी उपलब्धियाँ उनके दीर्घ, शांत और गहन रचनात्मक सफ़र की सार्वजनिक स्वीकृति हैं.

लेकिन इन सब के बीच उनका लेखक-स्वर वही बना रहा-संकोची, आंतरिक, लगभग अदृश्य, जो शब्दों की अत्यधिक सजावट से बचते हुए, बेहद सरल वाक्यों में हमारे भीतर एक खिड़की खोल देता है, जहाँ से दुनिया थोड़ी और मानवीय, थोड़ी और कल्पनाशील और थोड़ी और सच दिखाई देने लगती है.

कहां से कहां पहुंचने के चक्कर में भारतीय नारियां कहां से कहां पहुंच रही हैं : कविता तिवारी

लखनऊ । भारतीय समाज को पुरुष प्रधान समाज कहा जाता था किंतु समाज को संवारने का कार्य महिलाओं ने भी कुशलता पूर्वक किया है । विश्व पटल पर भारतीय नारियों ने अपनी छवि आज चमकाई है चाहे वह खेल जगत हो उद्योग जगत शिक्षा हो या अन्य क्षेत्र में। आज भारतीय नारियां हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं यह हमारे लिए गर्व की बात है आज से ही नहीं भारत में स्त्रियां प्राचीन काल से ही आगे रही हैं गार्गी मैत्रेई अपला जैसी विदुषी, महारानी लक्ष्मीबाई जैसी साहसी और सीता सती पार्वती जैसी पवित्रता की प्रतीक हुई है कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स जैसी महिलाओं के साहस एवं योग्यता को सारा विश्व देख चुका है सोफिया एवं व्योमिका सिंह जैसी साहसी महिलाओं के पराक्रम से तो दुश्मन भी हैरान हो चुका है किंतु भारतीय नारियों के लिए कुछ चिंता चिंता का विषय भी है जैसी सामाजिक असुरक्षा जिस पर देश में लगातार प्रयास हो रहे हैं किंतु एक ऐसा विषय है जिस के लिए महिला समाज स्वयं जिम्मेदार है जैसे घर गृहस्थी के निर्वहन में असर्मथता आजकल महिलाएं जितना ज्यादा शिक्षित होती जा रही है उतना ही गृहस्थ जीवन में रहना नहीं पसंद कर रही हैं कभी तलाक कभी कभी घर छोड़ कभी जीवन साथी को ही मार देना जैसी स्थिति उत्पन्न कर रही हैं मै यह नहीं कह रही हूं कि सारी गलतियां महिलाओं की ही है मगर कहीं न कहीं महिलाएं अपनी सहनशीलता को खो रही हैं अपनी पुरानी पीढ़ी की महिलाओं से नहीं सीखने की कोशिश कर रही हैं पुरानी पीढ़ी की महिलाएं अशिक्षित बेशक थी मगर परिवार को चलाना बखूबी जानती थी उसके लिए चाहे उनको कितना भी कुछ सहन करना पड़ता था मगर परिवार को लेकर चलती थी आधुनिक भारतीय नारियां अपनी प्राचीन भारतीय नारियों को अपना आदर्श न मानकर अपितु पश्चिमी सभ्यता को अपनाती जा रही हैं परिणास्वरुप आज कल कहीं नीले ड्रम की घटना तो कहीं कुछ घटित हो रहा है जिससे भारतीय नारियों की छवि धूमिल हो रही है।उक्त विचार राष्ट्रीय सवर्ण आर्मी भारत के राष्ट्रीय प्रचारक कविता तिवारी ने कही।
हजारीबाग डेंटल काॅलेज द्वारा मांडू स्थित सपोर्ट पब्लिक स्कूल में निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का हुआ आयोजन

हजारीबाग कॉलेज ऑफ डेंटल साइंसेस एंड हॉस्पिटल द्वारा मांडू के गोविन्दपूर अवस्थित सपोर्ट पब्लिक विद्यालय में शुक्रवार को निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन हुआ। इसमें सामान्य स्वास्थ्य, दांत एवं नेत्र का जांच व उपचार निशुल्क किया गया। विद्यालय के बच्चे, शिक्षकगण एवं कर्मचारीगण सहित कई जरूरतमंद मरीजों ने निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का लाभ उठाया। जिसमें 255 जनों ने शिविर में जांच एवं उपचार करवाकर उत्तम स्वास्थ्य का परामर्श प्राप्त किया। इस दौरान चिकित्सकों ने बच्चों को स्वच्छता के प्रति आदतें विकसित करना और स्वस्थ जीवनशैली के लिए प्रेरित किया। शिविर के आयोजन में विद्यालय प्रबंधन ने विधि- व्यवस्था एवं सहयोग में अपना सरहानीय योगदान दिया। साथ ही हजारीबाग डेंटल काॅलेज द्वारा लगाए गए निशुल्क स्वास्थ्य शिविर की प्रशंसा कर चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों के प्रति कृतज्ञ व्यक्त किया। मौके पर हजारीबाग डेंटल काॅलेज के सचिव डाॅ प्रवीण श्रीनिवास ने कहा कि बुनियादी उपचार जरूरतमंदों को निशुल्क उपलब्ध कराना एवं स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना मुख्य उद्देश्य है। मौके की पर हजारीबाग डेंटल काॅलेज के डाॅ दीपांशु रंजन, रूपेश कुमार सिंह, स्नेहा कुमारी, ईशा दत्ता, प्रिंयाशु कुमार एवं पीआरओ राज कुमार ने सरहानीय योगदान दिया। मुख्य रूप से सपोर्ट पब्लिक विद्यालय के प्रधानाचार्य स्वाति प्रियंका, पिंकी कुमारी, मनीष कुमार एवं शिखा सिंह सहित कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे।

बड़कागांव के लिए ऐतिहासिक दिन, हरली में 26 करोड़ की लागत से बनने वाले डिग्री कॉलेज का भूमिपूजन हुआ संपन्न

बड़कागांव - हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र के लिए शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक रहा। क्षेत्र की चिर-लंबित मांग और यहां के विद्यार्थियों के सपनों को साकार करते हुए बड़कागांव पूर्वी क्षेत्र के हरली पंचायत स्थित ग्राम हरली में डिग्री कॉलेज के निर्माण कार्य का विधिवत् भूमिपूजन संपन्न हो गया।इस अवसर पर आयोजित समारोह में बतौर मुख्य अतिथि हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के सांसद मनीष जायसवाल और विशिष्ट अतिथि के रूप में बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र के विधायक रोशन लाल चौधरी शामिल हुए और विधिवत् पूजा- अर्चना कर,

नारियल फोड़कर, शिलापट्ट का अनावरण कर और ईंट जोड़कर डिग्री कॉलेज का नींव रखा ।

यह डिग्री कॉलेज विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग के अंतर्गत संचालित होगा। करीब 26 करोड़ रुपये की लागत से यह कॉलेज 4.07 एकड़ भूखंड पर निर्मित किया जाएगा। निर्माण का जिम्मा भवन निर्माण निगम लिमिटेड को सौंपा गया है, जिसे अगले 21 महीने में कार्य पूर्ण करना है। कॉलेज परिसर में जी+2 (ग्राउंड प्लस टू) का एकेडमिक भवन, एसआरसी भवन, एक विशाल खेल मैदान, और अन्य सभी आवश्यक आधारभूत संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा। इस अत्याधुनिक भवन में एक साथ करीब 2000 से अधिक विद्यार्थियों के बैठकर पढ़ाई करने की क्षमता होगी।

मौके पर सांसद मनीष जायसवाल ने कहा कि इस कॉलेज के निर्माण में किसी प्रकार का कोई विघ्न-बाधा या अड़चन ना आए इस दिशा में स्थानीय लोगों को शिक्षा के उत्थान में संकल्प लेकर इसके जल्द निर्माण के दिशा में सकारात्मक सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बरसों पूर्व से इस क्षेत्र के विद्यार्थियों के दर्द को मैंने बतौर हजारीबाग सदर विधायक रहते हुए हजारीबाग के विभिन्न कॉलेजों में नामांकन हेतु अनुशंसा के माध्यम से करीब से देखा और जाना है। पहले यहाँ के छात्र-छात्राओं को स्नातक की पढ़ाई के लिए हजारीबाग, रामगढ़ या रांची जैसे बड़े शहरों की ओर रुख करना पड़ता था। लेकिन अब जल्द ही उन्हें उनके गृह क्षेत्र में ही उच्च शिक्षा की सुविधा उपलब्ध होगी, जिससे क्षेत्र के विद्यार्थियों में उड़ान का नया पंख लगेगा। उन्होंने इस डिग्री कॉलेज के स्वीकृति के लिए प्रयासरत सभी जनों के साथ सरकार का भी आभार जताया की देर से ही सही लेकिन इस क्षेत्र के लोगों की लंबे अरसे की मांग पूरी होने जा रही है। बड़कागांव विधायक रोशन लाल चौधरी ने कहा कि शिक्षा से ही समाज में बदलाव और विकास संभव है। ऐसे में अभी डिग्री कॉलेज का भूमि पूजन हुआ है भविष्य में तकनीकी शिक्षा के साथ अन्य जरूरी शिक्षा के लिए सांसद मनीष जायसवाल के साथ मैं कटिबद्ध रहूंगा ।

समारोह में मंच का संचालन बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र के सांसद मीडिया प्रतिनिधि उमेश दांगी ने किया। मौके पर विशेष रूप से इस महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम में क्षेत्र के प्रसिद्ध शिक्षाविद् महेंद्र नाथ पांडेय, हरली पंचायत की मुखिया कविता देवी, पंचायत समिति सदस्य कौशल्या देवी, लोकसभा सांसद प्रतिनिधि सत्येंद्र नारायण सिंह, बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र के सांसद प्रतिनिधि पूनम साहू, पूर्व मुखिया सह बड़कागांव पूर्वी सांसद प्रतिनिधि महेंद्र महतो, पूर्व मुखिया बिगेश्वर महतो, भाजपा पूर्वी मंडल अध्यक्ष खेमलाल महतो, पश्चिमी भाजपा मंडल अध्यक्ष आदित्य साहू सोनी, भाजपा नेता जुगनू सिंह, अनिल मिश्रा, जयनारायण मेहता, उपेंद्र प्रसाद, बेचन साव, सबूर महतो, सुमन गिरी, भीखन महतो, राजकिशोर साव, विनोद महतो, पारस नाथ महतो, किशोर राणा, सोहन लाल मेहता, मनीष पाण्डेय, प्रमोद साव, हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के सांसद मीडिया प्रतिनिधि रंजन चौधरी सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहें ।

सतर्कता जागरूकता सप्ताह 2025 का भव्य समापन समारोह

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सतर्कता जागरूकता सप्ताह 2025 का भव्य समापन समारोह उत्साह, उमंग और पारदर्शिता व निष्ठा के सामूहिक संकल्प के साथ सफलतापूर्वक टाउनशिप में आयोजित किया गया। समारोह में विविध प्रतियोगिताओं के विजेताओं व प्रतिभागियों को सैकड़ों पुरस्कार प्रदान किए गए,

जिनमें कर्मचारियों के आश्रितों के लिए वीडियो वाद-विवाद, कर्मचारियों एवं उनके जीवनसाथियों के लिए रील मेकिंग, निबंध लेखन, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, नुक्कड़ नाटक तथा लोकनृत्य प्रस्तुतियाँ शामिल थीं।

कार्यक्रम की विशेष आकर्षण रही ऊर्जावान बैगपाइपर प्रस्तुति तथा कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छात्राओं द्वारा “जोहड़ झारखंड” एवं “सुंदर झारखंड” विषय पर प्रेरक सांस्कृतिक नृत्य।

कार्यक्रम में कर्मचारियों, परिजनों, विद्यार्थियों एवं समुदाय के सदस्यों की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखी गई, जिसने नैतिक प्रशासन के संकल्प को और सुदृढ़ किया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में श्री ए.के. सेहगल, सीईओ PVUNL; श्री अनुपम मुखर्जी, सीजीएम (प्रोजेक्ट); श्री ज़ियाउर रहमान, HOHR तथा स्वर्णरेखा महिला समिति की अध्यक्ष श्रीमती रेनु सहगल सहित अनेक गणमान्य व्यक्तित्व उपस्थित रहे।

आपकी योजना–आपकी सरकार–आपके द्वार कार्यक्रम के अंतर्गत “सेवा का अधिकार सप्ताह” का शुभारंभ

आपकी योजना–आपकी सरकार–आपके द्वार” कार्यक्रम के अंतर्गत “सेवा का अधिकार सप्ताह” के प्रथम दिन 21 नवंबर को उपायुक्त श्री शशि प्रकाश सिंह ने दारू, टाटीझरिया एवं विष्णुगढ़ प्रखंड में आयोजित शिविरों का निरीक्षण किया।

उपायुक्त ने शिविरों में चल रहे विभिन्न सेवा-काउंटरों का जायजा लिया तथा आमजन को योजनाओं का लाभ सुगमता से उपलब्ध कराने हेतु दिए गए निर्देशों की समीक्षा की। उन्होंने प्रत्येक काउंटर पर प्राप्त आवेदनों की अद्यतन स्थिति, निपटान की गति तथा सेवा प्रदायगी से संबंधित प्रक्रियाओं की विस्तृत जानकारी ली।

निरीक्षण के क्रम में उपायुक्त ने आवेदनों की ऑनलाइन प्रविष्टि प्रणाली (Online Entry System) का भी अवलोकन किया और तकनीकी टीम से इसके सुचारू संचालन के संबंध में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रत्येक प्राप्त आवेदन का समयबद्ध ऑनलाइन पंजीकरण, सत्यापन एवं निपटान सुनिश्चित किया जाए, ताकि सेवा का अधिकार अधिनियम की भावना के अनुरूप नागरिकों को समय से सेवाएँ प्राप्त हों।

उपायुक्त ने कहा कि “सेवा का अधिकार सप्ताह” का उद्देश्य जनता की पहुंच सभी सरकारी सेवाओं तक आसान, पारदर्शी और प्रभावी बनाना है। उन्होंने उपस्थित आमजन से भी बातचीत कर उनकी समस्याएँ सुनीं तथा तत्काल समाधान हेतु संबंधित पदाधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए।

कार्यक्रम में प्रखंड स्तरीय अधिकारी, विभिन्न विभागों के कर्मी, तकनीकी सहायक तथा बड़ी संख्या में आमजन उपस्थित रहे। जिला प्रशासन द्वारा सभी प्रखंडों में सप्ताह भर विशेष शिविरों के माध्यम से अधिकतम सेवाएँ प्रदान करने के लिए शिविर का आयोजन कर रहा है।

पूर्वी यूपी में पहली बार PFO डिवाइस क्लोज़र से क्रॉनिक माइग्रेन का सफल इलाज।

15 वर्षो से पीड़ित 50 वर्षीय महिला को मिली बड़ी राहत।

संजय द्विवेदी प्रयागराज।पूर्वी उत्तर प्रदेश के चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की गई है।यहां 50 वर्षीय महिला के हृदय में मौजूद 5 मिमी के पीएफओ(Patent Foramen Ovale)को डिवाइस क्लोज़र तकनीक के माध्यम से सफलतापूर्वक बंद कर दिया गया। महिला पिछले 15 वर्षो से गम्भीर क्रॉनिक माइग्रेन से पीड़ित थी और लगातार इलाज के बावजूद उसे कोई राहत नहीं मिल पा रही थी।यह प्रक्रिया पूर्वी यूपी में अपने प्रकार की पहली सफल प्रक्रिया मानी जा रही है।इस जटिल प्रक्रिया (ऑपरेशन) को कार्डियोलॉजी विभाग की विशेषज्ञ टीम—डॉ. वैभव श्रीवास्तव, डॉ.विमल निषाद एवं डॉ.ऋषिका पटेल — ने सफलता पूर्वक अंजाम दिया। प्रक्रिया के दौरान कार्डियक तकनीशियन रामनिवास और जयप्रकाश ने भी महत्वपूर्ण तकनीकी सहयोग प्रदान किया।

प्रक्रिया के बाद जानकारी देते हुए डॉ. वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि पीएफओ सामान्यतः हर चार में से एक व्यक्ति में पाया जाता है लेकिन इसका माइग्रेन से सम्बन्ध बहुत ही कम मामलों में देखने को मिलता है। जब हृदय के दाएं हिस्से का रक्त इस छोटे छिद्र के माध्यम से बाएं हिस्से में पहुंचता है तो कुछ मरीजों में असहनीय माइग्रेन की समस्या उत्पन्न हो सकती है।ऐसे चयनित मामलों में डिवाइस क्लोज़र एक प्रभावी उपचार विकल्प साबित होता है।वही डॉ.विमल निषाद ने बताया कि कुछ उच्च जोखिम वाले पीएफओ मामलों में स्ट्रोक की संभावना भी बनी रहती है इसलिए समय रहते जांच और उपचार बेहद जरूरी है।

विभागाध्यक्ष डॉ.पीयूष सक्सेना ने इसे क्रॉनिक माइग्रेन से पीड़ित मरीजो के लिए एक नवीन और आशाजनक उपचार विधि बताते हुए कहा कि इससे उन मरीजों को राहत मिल सकेगी जो लम्बे समय से दवाइयों पर निर्भर रहने के बावजूद आराम नहीं पा रहे थे।मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ वी.के.पाण्डेय के अनुसार यह उपलब्धि पूर्वी उत्तर प्रदेश में आधुनिक चिकित्सा के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ती है और भविष्य में गम्भीर माइग्रेन व पीएफओ से पीड़ित मरीजो के लिए नई उम्मीद का मार्ग प्रशस्त करेगी।

बिना चुनाव लड़े मंत्री बने उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश, इंजीनियरिंग छोड़ राजनीति में एंट्री

पटना :राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) सुप्रीमो एवं पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा और सासाराम की नवनिर्वाचित विधायक स्नेहलता के पुत्र, लगभग 37 वर्षीय दीपक प्रकाश को रालोमो कोटे से मंत्री मंडल में स्थान मिला है।

इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने वाले दीपक मूलरूप से महनार प्रखंड की नारायणपुर डेढ़पुरा पंचायत के जावज गांव के निवासी हैं।

दीपक प्रकाश का जन्म 22 अक्टूबर 1989 को हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा पटना में हुई, जहां उन्होंने वर्ष 2005 में आइसीएसई बोर्ड से 10वीं और वर्ष 2007 में सीबीएसई बोर्ड से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की।

इसके बाद उन्होंने एमआRटी, मणिपाल से कंप्यूटर साइंस में बीटेक (2011) पूरा किया। तकनीकी क्षेत्र से आने वाले दीपक ने वर्ष 2011 से 2013 तक साफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में कार्य किया। बाद में वे स्वयं के व्यवसाय से जुड़ गए।

2019-20 में राजनीति में एंट्री

राजनीति में इनकी सक्रिय भूमिका वर्ष 2019-20 के आसपास शुरू हुई, जब उन्होंने अपने पिता उपेंद्र कुशवाहा के संगठनात्मक और राजनीतिक कामों में हिस्सा लेना शुरू किया। पार्टी की नीतियों, युवाओं के मुद्दों और सामाजिक न्याय की सोच के साथ वे जल्द ही राजनीतिक दायरे में सक्रिय हो गए।

परिवार की राजनीतिक पकड़ मजबूत

दीपक एक ऐसे परिवार से आते हैं, जिसकी राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में मजबूत पकड़ रही है। उनके दादा स्वर्गीय मुनेश्वर सिंह प्रसिद्ध समाजसेवी और कारोबारी थे। जंदाहा के अरनिया स्थित समता कॉलेज की स्थापना में उनका अहम योगदान रहा, जिसके सम्मान में इस महाविद्यालय का नामकरण मुनेश्वर सिंह मुनेश्वरी समता महाविद्यालय किया गया।

दीपक की दादी का नाम मुनेश्वरी देवी है। दीपक के पिता उपेंद्र कुशवाहा एक कुशल राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ समता कॉलेज, जंदाहा में प्रोफेसर भी रहे। वे पिछले वर्ष ही सेवानिवृत्त हुए। उनका राजनीतिक सफर समता पार्टी से शुरू हुआ, जहां से वे वर्ष 2000 में जंदाहा विधानसभा (परिसीमन के बाद अब विलोपित) से विधायक निर्वाचित हुए।

भारत सरकार में मंत्री रहे उपेंद्र कुशवाहा

वर्ष 2000 से 2005 तक वे बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे। इसके बाद उपेंद्र कुशवाहा ने राज्यसभा सांसद, विधान पार्षद के रूप में अपनी भूमिका निभाई और वर्ष 2014 में काराकाट लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित होकर केंद्र सरकार में मानव संसाधन राज्य मंत्री भी बने। वर्तमान में वे राज्यसभा सांसद हैं।

दूसरी ओर, दीपक की मां स्नेहलता कुशवाहा इस बार के विधानसभा चुनाव में सासाराम विधानसभा क्षेत्र से विधायिका बनी हैं। ऐसे सशक्त राजनीतिक और सामाजिक परिवेश से आने वाले दीपक प्रकाश की मंत्री पद पर नियुक्ति को लेकर क्षेत्र में उत्साह और चर्चा दोनों है।

प्रशासन का उद्देश्य पारदर्शीए विश्वसनीय एवं सुव्यवस्थित निर्वाचन प्रक्रिया सुनिश्चित करना-जिला निर्वाचन अधिकारी

गोण्डा। 21 नवम्बर,2025 जिला निर्वाचन अधिकारी/जिलाधिकारी गोण्डा प्रियंका निरंजन ने विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण के कार्यों को पूर्णतः पारदर्शी एवं समयबद्ध रूप से संपन्न कराने हेतु कड़े निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि एसआईआर (SIR) फॉर्म के वितरण एवं उसके शतप्रतिशत डिजिटाइजेशन में लापरवाही किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं होगी।

जिलाधिकारी ने समीक्षा के दौरान पाया कि कुछ तहसीलों एवं संबंधित इकाइयों में एसआईआर फॉर्म का वितरण और डिजिटाइजेशन कार्य निर्धारित समयसीमा के अनुरूप नहीं किया जा रहा है। इस पर गंभीर नाराज़गी व्यक्त करते हुए उन्होंने निर्देश दिया कि हर स्तर पर निर्वाचन कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि निर्वाचन कार्यों में किसी भी प्रकार की ढिलाई लोकतांत्रिक व्यवस्था को प्रभावित कर सकती है। इसलिए सभी अधिकारी और कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन ईमानदारी एवं तत्परता के साथ करें।

जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जिन अधिकारियों अथवा कर्मचारियों द्वारा एसआईआर फार्म के वितरण अथवा डिजिटाइजेशन में लापरवाही बरती जा रही है, उनकी पहचान कर उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही विधिक कार्रवाई सहित आवश्यक कड़ी से कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। 

उन्होंने संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे लापरवाह कर्मचारियों का ब्योरा तत्काल उपलब्ध कराएं ताकि समय पर आवश्यक कार्रवाई की जा सके।

जिलाधिकारी ने कहा कि निर्वाचन आयोग के निर्देशों के अनुरूप काम करना सभी संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों की प्राथमिक जिम्मेदारी है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि किसी भी स्तर पर की गई लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा तथा प्रशासनिक कार्रवाई में किसी प्रकार की ढिलाई नहीं बरती जाएगी। उन्होंने निर्देशित किया कि सभी विकासखंड, नगर निकाय तथा निर्वाचन से जुड़े विभाग यह सुनिश्चित करें कि एसआईआर फॉर्म का वितरण और डिजिटाइजेशन कार्य समयबद्ध पूर्ण एवं त्रुटिरहित रूप से किया जाए।

बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि निर्वाचन कार्यों की सफलता टीम वर्क और जवाबदेही पर आधारित है। अतः सभी अधिकारी एवं कर्मचारी समन्वय बनाते हुए निर्धारित दायित्वों का निर्वहन करें, ताकि विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण से संबंधित सभी कार्य समय पर पूर्ण हो सकें। प्रशासन का उद्देश्य पारदर्शी, विश्वसनीय एवं सुव्यवस्थित निर्वाचन प्रक्रिया सुनिश्चित करना है। जिसके लिए सभी का सहयोग आवश्यक है।

मां विंध्यवासिनी मेडिकल कॉलेज अंतर्गत मंडलीय चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड डॉक्टर का कारनामा

मीरजापुर। मां विंध्यवासिनी स्वायत्तशासी महाविद्यालय अंतर्गत मंडलीय चिकित्सालय इस समय अपने ऊल- जुलुल हरकतों व नौसीखीया डॉक्टरो के उपेक्षा पूर्ण रवैया और गुंडागर्दी से काफी चर्चा में चल रहा है । इसी क्रम में 19 नवंबर को अल्ट्रासाउंड डॉक्टर ने एक और कारनामा कर दिखाया। अल्ट्रासाउंड के डॉक्टर और उनकी पूरी टीम ने फर्जी जॉच व रिपोर्ट तैयार कर प्रार्थी की घोर मानसिक क्षति कारित किया। अपने साथ हुए इस खिलवाड़ के संदर्भ में पीड़ित अधिवक्ता अजीत कुमार सिंह पुत्र कमलापति सिंह निवासी ग्राम लखौली, पो०-नेवढ़ियाघाट, थाना-को० दैहात, जनपद- मीरजापुर ने डा० अंकित शर्मा एमबीबीएस एमडी , डा० के० के० सिंह (अल्ट्रासाउण्ड डाक्टर) डा० एस० के० नायक (अल्ट्रासाउण्ड डाक्टर सीनियर), व 3 अन्य डाक्टर सहयोगियो के विरुद्ध जिलाधिकारी मिर्जापुर के यहां प्रार्थना पत्र देकर अपने साथ हुए घृणित मजाक के संदर्भ में डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में जिलाधिकारी को लिखा है कि प्रार्थी के कमर में दर्द की शिकायत थी जिसके कारण उसी दिन दिन समय लगभग 10:44 सुबह सरकारी अस्पताल जाकर विपक्षी सं0-1 से अपनी बात बताई जिस पर विपक्षी सं०-1 द्वारा अल्ट्रासाउण्ड करने की सलाह देते हुए प्रार्थी के पर्चा पर अल्ट्रासाउण्ड करने हेतु कहा गया तब प्रार्थी अस्पताल के अल्ट्रासाउण्ड विभाग में जाकर उसी दिन अपनी जाँच कराया जॉच रिपोर्ट में विपक्षी सं0-2 द्वारा यह लिखा गया कि प्रार्थी की दाहिने साइट की किडनी नही है। प्रार्थी जब उक्त रिपोर्ट विपक्षी सं०-1 जो कि उक्त विभाग के डाक्टर है को दिखाया तो वह उनके साथ बैठे 3 अन्य डाक्टरो को उक्त रिपोर्ट दिखाकर प्रार्थी को आश्चर्य भरी नजरो से देखने लगे प्रार्थी को शंका हुआ तो प्रार्थी उनसे पूछा कि डाक्टर साहब मेरी रिपोर्ट सही है कि नही तो डाक्टर विपक्षी सं०-1 मुझसे कहे कि आप कि दाहिनी किडनी जन्म से ही नहीं है।

 यह सुनते ही प्रार्थी का ब्लड पेसर काफी बढ़ गया । वहाँ मौके पर मौजूद कर्मचारी द्वारा मुझे कुर्सी पर बैठाकर मेरा बी०पी० चेक किय जिसमें बी०पी० 150 से ज्यादा बढ़ने लगा तब हमे डाक्टरो द्वारा बी०पी० की दवा देते हुए आश्वासन दिया गया कि आप एक किडनी पर जीवित रह सकते है। प्रार्थी उक्त विपक्षी गणो के द्वारा बताये गये जॉच रिपोर्ट से अवसाद में चला गया।

 तब मेरे परिवार वालो ने इसका कारण पूछा, तो मैने उन्हे सारी बात बताई । जिस पर परिवार वाले मुझे सतीश डायग्नोस्टिक रामबाग मीरजापुर लेकर आये और प्रार्थी का फुल चेक/अल्ट्रासाउण्ड कराया। उस जॉच में प्रार्थी की दोनो किडनी सही पाई गई। विपक्षीग फर्जी जॉच व रिपोर्ट तैयार कर प्रार्थी को घोर मानसिक शारीरिक आर्थिक छति पहुचाने का कार्य किये है। प्रार्थी प्रार्थना पत्र के साथ उक्त दोनो अल्ट्रासाउण्ड की रिपोर्ट संल कर रहा है। ऐसी स्थिति में उक्त विपक्षीगण की विभागीय जाँच कराकर दोषी पाये पर इनके विरूद्ध विभागीय कार्यवाही किया जाना उचित एवं न्याय संगत होगा। इस संदर्भ में पीड़ित के द्वारा श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के जिलाध्यक्ष दिलीप सिंह गहरवार से भी मदद मांगी गई , और उन्होंने जिलाधिकारी महोदय से मिलकर इस संदर्भ में प्रार्थना पत्र दिलवा कर तत्काल ऐसे अयोग्य डॉक्टरो के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की है । उन्होंने साथ ही साथ यह भी चेतावनी दी है कि यदि जीवन के साथ खिलवाड़ करने वाले ऐसे डॉक्टरों को तत्काल यहां से कार्य मुक्त नहीं किया गया तो श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना बड़े स्तर पर मंडलीय चिकित्सालय में धरना प्रदर्शन व अग्रिम कार्यवाही के लिए बाध्य होगी जिसकी सारी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी। 

मौके पर उपस्थित रहने वालों में जिला अध्यक्ष दिलीप सिंह गहरवार पूर्वांचल सचिव अभिषेक सिंह धवल ,जिला उपाध्यक्ष राकेश सिंह राणा, जिला उपाध्यक्ष इंस्पेक्टर सिंह शिवम, नगर अध्यक्ष युवराज सिंह युवा जिला अध्यक्ष  ऋषि कुमार सिंह प्रांजल, शाश्वत सिंह जंग बहादुर सिंह अजीत कुमार सिंह मधुकर मिश्रा एडवोकेट अरुण सिंह एडवोकेट हेमंत कुमार प्रवीण दीक्षित एडवोकेट सहित श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना सभी पदाधिकारी उपस्थित रहे।

विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ से हुए सम्मानित



रायपुर- आज हिंदी के शीर्ष कवि-कथाकार विनोद कुमार शुक्ल को हिंदी का सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार, उनके रायपुर स्थित निवास पर दिया गया. ज्ञानपीठ के महाप्रबंधक आरएन तिवारी ने सम्मान के साथ उन्हें वाग्देवी की प्रतिमा और पुरस्कार का चेक उन्हें प्रदान किया गया.

विनोद कुमार शुक्ल ने अपने पाठकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा- “जब हिन्दी भाषा सहित तमाम भाषाओं पर संकट की बात कही जा रही है, मुझे पूरी उम्मीद है नई पीढ़ी हर भाषा का सम्मान करेगी. हर विचारधारा का सम्मान करेगी. किसी भाषा या अच्छे विचार का नष्ट होना, मनुष्यता का नष्ट होना है.”

वे पिछले कई सालों से बच्चों और किशोरों के लिए भी लिख रहे हैं. अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि “मुझे बच्चों, किशोरों और युवाओं से बहुत उम्मीदें हैं. मैं हमेशा कहता रहा हूँ कि हर मनुष्य को अपने जीवन में एक किताब जरूर लिखनी चाहिए. अच्छी किताबें हमेशा साथ होनी चाहिए. अच्छी किताब को समझने के लिए हमेशा जूझना पड़ता है. किसी भी क्षेत्र में शास्त्रीयता को पाना है तो उस क्षेत्र के सबसे अच्छे साहित्य के पास जाना चाहिये.”

आलोचना को लेकर उन्होंने कहा कि “किसी अच्छे काम की आलोचना अगर की जाती है तो उन आलोचनाओं को अपनी ताकत बना लें. आलोचना जो है, दूसरों का विचार है, जो उपयोगी या अनुपयोगी हो सकता है. किसी कविता की सबसे अच्छी आलोचना का उत्तर उससे अच्छी एक और नयी कविता को रच देना है. किसी काम की सबसे अच्छी आलोचना का उत्तर, उससे और अच्छा काम करके दिखाना होना चाहिए. साहित्य में गलत आलोचनाओं ने अच्छे साहित्य का नुक़सान ज्यादा किया है.”

उन्होंने कहा कि “जीवन में असफलताएँ, गलतियाँ, आलोचनाएँ सभी तरफ़ बिखरी पड़ी मिल सकती हैं, वे बहुत सारी हो सकती हैं. उस बिखराव के किसी कोने में अच्छा, कहीं छिटका सा पड़ा होगा. दुनिया में जो अच्छा है, उस अच्छे को देखने की दृष्टि हमें स्वयं ही पाना होगा. इसकी समझ खुद विकसित करनी होगी. हमें अपनी रचनात्मकता पर ध्यान देना चाहिये. जब कहीं, किसी का साथ न दिखाई दे, तब भी चलो. अकेले चलो. चलते रहो. जीवन में उम्मीद सबसे बड़ी ताकत है. मेरे लिये पढ़ना और लिखना साँस लेने की तरह है.”

इससे पहले उन्होंने अपनी एक कविता का भी पाठ किया-

सबके साथ

सबके साथ हो गया हूँ

अपने पैरों से नहीं

सबके पैरों से चल रहा हूँ

अपनी आँखों से नहीं

सबकी आँखों से देख रहा हूँ

जागता हूँ तो सबकी नींद से

सोता हूँ तो सबकी नींद में

मैं अकेला नहीं

मुझमें लोगों की भीड़ इकट्ठी है

मुझे ढूँढो मत

मैं सब लोग हो चुका हूँ

मैं सबके मिल जाने के बाद

आख़िर में मिलूँगा

या नहीं मिल पाया तो

मेरे बदले किसी से मिल लेना.

विनोद कुमार शुक्ल के बारे में

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में 1 जनवरी 1937 को जन्मे, लगभग 90 की उम्र के होने को आए विनोद कुमार शुक्ल हिंदी साहित्य के ऐसे रचनाकार हैं, जो बहुत धीमे बोलते हैं, लेकिन साहित्य की दुनिया में उनकी आवाज़ बहुत दूर तक सुनाई देती है. मध्यमवर्गीय, साधारण और लगभग अनदेखे रह जाने वाले जीवन को शब्द देते हुए हिंदी में एक बिल्कुल अलग तरह की संवेदनशील, न्यूनतम और जादुई दुनिया रची. वे उन दुर्लभ लेखकों में हैं, जिनके यहाँ एक साधारण कमरा, एक खिड़की, एक पेड़, एक कमीज़ या घास का छोटा-सा टुकड़ा भी किसी पूरे ब्रह्मांड की तरह खुल जाता है.

उनका पहला कविता संग्रह ‘लगभग जय हिन्द’ 1971 में आया और वहीं से उनकी विशिष्ट भाषिक बनावट, चुप्पी और भीतर तक उतरती कोमल संवेदनाएँ हिंदी कविता में दर्ज होने लगीं. आगे चलकर ‘वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहिनकर विचार की तरह’ (1981), ‘सब कुछ होना बचा रहेगा’ (1992), ‘अतिरिक्त नहीं’ (2000), ‘कविता से लंबी कविता’ (2001), ‘आकाश धरती को खटखटाता है’ (2006), ‘पचास कविताएँ’ (2011), ‘कभी के बाद अभी’ (2012), ‘कवि ने कहा’, चुनी हुई कविताएँ (2012) और ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ (2013) जैसे संग्रहों ने उन्हें समकालीन हिंदी कविता के सबसे मौलिक स्वरों में शुमार कर दिया. उनकी कविताएँ बोलने से ज़्यादा सुनने वाली, नारेबाज़ी से कहीं अधिक, धीमी फुसफुसाहट की तरह काम करती हैं, लेकिन असर उनका बहुत दीर्घकालिक है.

उनके उपन्यास ‘नौकर की कमीज़’ (1979) ने हिंदी कथा-साहित्य में एक नया मोड़ दिया, जिस पर मणि कौल ने फिल्म भी बनाई. इसके बाद ‘खिलेगा तो देखेंगे’ (1996), ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ (1997, साहित्य अकादमी पुरस्कार), ‘हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़’ (2011), ‘यासि रासा त’ (2016) और ‘एक चुप्पी जगह’ (2018) के माध्यम से उन्होंने लोकआख्यान, स्वप्न, स्मृति, मध्यवर्गीय जीवन और मनुष्य की अस्तित्वगत जटिल आकांक्षाओं को एक नये कथा-ढांचे में समाहित किया.

कहानी-संग्रह ‘पेड़ पर कमरा’ (1988), ‘महाविद्यालय’ (1996), ‘एक कहानी’ (2021) और ‘घोड़ा और अन्य कहानियाँ’ (2021) में भी वही सूक्ष्म, घरेलू और लगभग उपेक्षित जीवन-कण अद्भुत कथा-समृद्धि के साथ उपस्थित होते हैं.

उनकी रचनाएँ अनेक भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित हुईं. ‘The Servant’s Shirt’, ‘A Window Lived In The Wall’, ‘Once It Flowers’, ‘Moonrise From The Green Grass Roof’, ‘Blue Is Like Blue’, ‘The Windows In Our House Are Little Doors’ जैसे अंग्रेज़ी अनुवादों ने उन्हें वैश्विक पाठकों तक पहुँचाया. ‘नौकर की कमीज़’ और ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ के साथ ‘पेड़ पर कमरा’ और अनेक कविताएँ विदेशी तथा भारतीय भाषाओं में रूपांतरित होकर एक व्यापक पाठक-वृत्त तक पहुँचीं. कई रचनाओं पर फिल्में बनीं, नाटक लिखे गए.

साहित्य अकादमी पुरस्कार, गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप, रज़ा पुरस्कार, शिखर सम्मान, राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान, हिंदी गौरव सम्मान, ‘Blue Is Like Blue’ के लिए मातृभूमि पुरस्कार, साहित्य अकादमी का महत्तर सदस्य सम्मान और 2023 का पैन-नाबोकोव पुरस्कार जैसी उपलब्धियाँ उनके दीर्घ, शांत और गहन रचनात्मक सफ़र की सार्वजनिक स्वीकृति हैं.

लेकिन इन सब के बीच उनका लेखक-स्वर वही बना रहा-संकोची, आंतरिक, लगभग अदृश्य, जो शब्दों की अत्यधिक सजावट से बचते हुए, बेहद सरल वाक्यों में हमारे भीतर एक खिड़की खोल देता है, जहाँ से दुनिया थोड़ी और मानवीय, थोड़ी और कल्पनाशील और थोड़ी और सच दिखाई देने लगती है.

कहां से कहां पहुंचने के चक्कर में भारतीय नारियां कहां से कहां पहुंच रही हैं : कविता तिवारी

लखनऊ । भारतीय समाज को पुरुष प्रधान समाज कहा जाता था किंतु समाज को संवारने का कार्य महिलाओं ने भी कुशलता पूर्वक किया है । विश्व पटल पर भारतीय नारियों ने अपनी छवि आज चमकाई है चाहे वह खेल जगत हो उद्योग जगत शिक्षा हो या अन्य क्षेत्र में। आज भारतीय नारियां हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं यह हमारे लिए गर्व की बात है आज से ही नहीं भारत में स्त्रियां प्राचीन काल से ही आगे रही हैं गार्गी मैत्रेई अपला जैसी विदुषी, महारानी लक्ष्मीबाई जैसी साहसी और सीता सती पार्वती जैसी पवित्रता की प्रतीक हुई है कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स जैसी महिलाओं के साहस एवं योग्यता को सारा विश्व देख चुका है सोफिया एवं व्योमिका सिंह जैसी साहसी महिलाओं के पराक्रम से तो दुश्मन भी हैरान हो चुका है किंतु भारतीय नारियों के लिए कुछ चिंता चिंता का विषय भी है जैसी सामाजिक असुरक्षा जिस पर देश में लगातार प्रयास हो रहे हैं किंतु एक ऐसा विषय है जिस के लिए महिला समाज स्वयं जिम्मेदार है जैसे घर गृहस्थी के निर्वहन में असर्मथता आजकल महिलाएं जितना ज्यादा शिक्षित होती जा रही है उतना ही गृहस्थ जीवन में रहना नहीं पसंद कर रही हैं कभी तलाक कभी कभी घर छोड़ कभी जीवन साथी को ही मार देना जैसी स्थिति उत्पन्न कर रही हैं मै यह नहीं कह रही हूं कि सारी गलतियां महिलाओं की ही है मगर कहीं न कहीं महिलाएं अपनी सहनशीलता को खो रही हैं अपनी पुरानी पीढ़ी की महिलाओं से नहीं सीखने की कोशिश कर रही हैं पुरानी पीढ़ी की महिलाएं अशिक्षित बेशक थी मगर परिवार को चलाना बखूबी जानती थी उसके लिए चाहे उनको कितना भी कुछ सहन करना पड़ता था मगर परिवार को लेकर चलती थी आधुनिक भारतीय नारियां अपनी प्राचीन भारतीय नारियों को अपना आदर्श न मानकर अपितु पश्चिमी सभ्यता को अपनाती जा रही हैं परिणास्वरुप आज कल कहीं नीले ड्रम की घटना तो कहीं कुछ घटित हो रहा है जिससे भारतीय नारियों की छवि धूमिल हो रही है।उक्त विचार राष्ट्रीय सवर्ण आर्मी भारत के राष्ट्रीय प्रचारक कविता तिवारी ने कही।