विधायक प्रदीप प्रसाद ने शीतकालीन सत्र में उठाए जनहित के महत्वपूर्ण मुद्दे, हजारीबाग़ और राज्यव्यापी समस्याओं पर सरकार से की कार्रवाई की मांग

हजारीबाग़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक प्रदीप प्रसाद ने झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान जनहित से जुड़े अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों को सदन में अत्यंत गंभीरता और दृढ़ता के साथ उठाया। विधायक ने कहा कि जनता की प्रत्येक समस्या को सदन में मुखरता से रखना उनका कर्तव्य है, और इस सत्र में राज्य व्यवस्था की कई कमियों एवं अनदेखियों पर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया गया।

राज्य सूचना आयोग में अनियमितताओं पर सवाल - विधायक ने सूचना आयोग में लंबित नियुक्तियों, पारदर्शिता की कमी और गंभीर प्रशासनिक अनियमितताओं का मामला सदन में उठाते हुए आयोग की कार्यप्रणाली में सुधार और शीघ्र नियुक्तियों की मांग की।

झारखंड पुलिस आधुनिकीकरण की धीमी प्रगति - उन्होंने थानों में CCTV लगाने की सुस्त रफ्तार, रिसेप्शन कक्ष निर्माण की स्थिति और पुलिस बल में लंबित नियुक्तियों को लेकर सरकार से जवाब माँगा। विधायक ने कहा कि सुरक्षा प्रणाली में सुधार के बिना राज्य में कानून-व्यवस्था मजबूत नहीं हो सकती।

कोयला साइडिंग से उत्पन्न प्रदूषण—बिरहोर जनजाति प्रभावित - कटकमसांडी एवं बानादाग स्थित एनटीपीसी कोल साइडिंग से फैले प्रदूषण के कारण बिरहोर जनजाति में श्वास एवं चर्म रोग बढ़ रहे हैं। ट्रकों की अव्यवस्थित पार्किंग से सड़कें क्षतिग्रस्त हो रही हैं। विधायक ने दोनों साइडिंगों में नियमावली के कड़ाई से पालन और प्रभावित परिवारों को मुआवजा दिलाने की मांग की।

सरकारी अस्पतालों की अव्यवस्थाओं पर गंभीर प्रश्न - उन्होंने चिकित्सकीय स्टाफ की कमी, आउटसोर्सिंग कंपनियों की अनियमितताएँ, OPD की ऑनलाइन प्रणाली से हो रही परेशानियाँ और कोयला परिवहन क्षेत्रों में प्रदूषणजनित स्वास्थ्य समस्याओं पर सरकार से त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई की मांग की।

पेयजल परियोजना में L&T द्वारा लापरवाही का मुद्दा - हजारीबाग नगर निगम क्षेत्र में L&T द्वारा संचालित पेयजल परियोजना में पाइपलाइन बिछाने के बाद सड़कों का उचित पुनर्निर्माण न होने से शहर की सड़कें अत्यंत जर्जर स्थिति में पहुँच गई हैं। विधायक ने इस पर कठोर कार्रवाई की मांग की।

हजारीबाग की जर्जर सड़कों के निर्माण की मांग - मरहेता–पौंता, केसुरा मोड़–सरौनी मार्ग सहित दर्जनों खराब सड़कों के निर्माण में हो रही देरी को लेकर विधायक ने सरकार के समक्ष जनता की पीड़ा रखी और तत्काल पुनर्निर्माण की माँग की।

सिंचाई क्षमता में कमी—पुराने डैम उपयोगहीन - कटकमदाग प्रखंड स्थित गोंदा डैम सहित अनेक पुराने जलाशयों की उपेक्षा से सिंचाई क्षमता घट गई है। विधायक ने इन डैमों की मरम्मत, क्षमता-वृद्धि और पुनर्जीवन पर ठोस निर्णय लेने की आवश्यकता पर जोर दिया।

मुख्यमंत्री ग्रामीण पशुधन योजना में अनियमितताएँ - विधायक ने बताया कि लाभार्थियों को योजना का पूरा लाभ नहीं मिल रहा है। बिचौलियों की सक्रियता, व्यवस्थित अवरोध तथा विभाग द्वारा स्वतंत्र क्रय पर रोक के कारण गरीब परिवारों को योजनाओं का वास्तविक लाभ नहीं पहुँच पा रहा है।

विधानसभा परिसर में प्रदर्शन - सत्र के दौरान विधायक प्रदीप प्रसाद ने झारखंड के हित और वर्तमान सरकार के अनदेखी रवैये के खिलाफ शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन भी किया, जिससे जनसमस्याओं को राज्य सरकार तक प्रभावी रूप से पहुंचाया जा सके।

37 करोड़ के पॉलिटेक्निक भवन को लेकर बड़ा मुद्दा - विधायक ने सदन एवं परिसर दोनों में यह मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया कि हजारीबाग के सिलवार में 37 करोड़ रुपये की लागत से बना विशाल पॉलिटेक्निक भवन वर्ष 2015 से तैयार है, फिर भी आज तक बंद पड़ा है। भवन की छतें टूट रही हैं, दीवारें जर्जर हो रहीं हैं और इसका सीधा नुकसान हजारीबाग की बेटियों के भविष्य को हो रहा है। विधायक ने सरकार से अनुरोध किया कि इस भवन को बालिका महाविद्यालय के रूप में तुरंत शुरू किया जाए।

 विधायक प्रदीप प्रसाद ने कहा कि जनता के हक और अधिकारों के लिए वे सड़क से लेकर सदन तक निरंतर संघर्षरत रहेंगे। हर सरकारी योजना का लाभ समय पर जनता तक पहुँचे और हजारीबाग की आवश्यक बुनियादी सुविधाओं में तेजी से सुधार हो, इसी संकल्प के साथ वे निरंतर कार्य कर रहे हैं।

भारतीय किसान यूनियन,( तोमर) का 41सदस्य प्रतिनिधि मंडल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से मिला दिया आश्वासन
बहसुमा। मेरठ। बहसुमा के युवा जिला अध्यक्ष अभिषेक चौधरी ने बतायाभारतीय किसान यूनियन (तोमर) का 41 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी संजीव तोमर के नेतृत्व में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से देहरादून स्थित विधानसभा में मिला। युवा जिला अध्यक्ष अभिषेक चौधरी  बहसुमा ने बताया मुख्यमंत्री ने किसानों की सभी प्रमुख समस्याओं के त्वरित समाधान का आश्वासन दिया।

चौधरी संजीव तोमर ने बताया कि संगठन द्वारा पहले 13 दिसंबर को मुख्यमंत्री घेराव की घोषणा की गई थी, लेकिन पिछले दो दिनों से देहरादून व हरिद्वार प्रशासन की सक्रियता तथा सरकार के आग्रह पर प्रतिनिधिमंडल को सीएम ने वार्ता के लिए बुलाया। बैठक लंबी चली, जिसमें लगभग 31 सूत्रीय ज्ञापन मुख्यमंत्री को सौंपा गया।

मुख्य मांगों में गन्ने का मूल्य 500 रुपये प्रति क्विंटल करने, लंबित गन्ना भुगतान तुरंत कराने, इकबाल शुगर मिल के बकाया जल्द जारी करने, पहाड़ी क्षेत्रों में जंगली जानवरों व हाथियों द्वारा फसल नुकसान पर उचित मुआवजा देने की मांग शामिल रही। इसके अलावा प्राकृतिक आपदाओं, नदियों के कटान से नष्ट फसलों का मुआवजा, उत्तराखंड में 10 वर्ष से निवास कर रहे नागरिकों को नागरिकता प्रदान करने तथा पहाड़ी किसानों को कृषि यंत्र निःशुल्क उपलब्ध कराने की मांग भी रखी गई।

मुख्यमंत्री ने इकबालपुर नहर में जल्द पानी छोड़ने का भरोसा देते हुए कहा कि ज्ञापन के प्रत्येक बिंदु पर गंभीरता से कार्यवाही की जाएगी।

इस अवसर पर राष्ट्रीय प्रतिनिधि पवन त्यागी, तालीब हसन, भूपेंद्र चौहान, अंकित चौहान, हाजी मुस्तकीम, पर्वेन्द्र चौधरी, सुमित, अजय त्यागी, वीरेन्द्र तेवितिया सहित संगठन के अनेक पदाधिकारी मौजूद रहे।
विकसित उत्तर प्रदेश @2047 विजन हेतु योजना भवन में राज्य स्तरीय विचार–मंथन सम्मेलन आयोजित

* भविष्यगत तकनीकों में युवाओं को प्रशिक्षित करने पर मंत्री कपिल देव अग्रवाल का विशेष जोर

* विजन के निर्माण को लेकर विशेषज्ञों, कुलपतियों और उद्योग प्रतिनिधियों ने साझा किए सुझाव

लखनऊ ब्यूरो

लखनऊ। योजना भवन, लखनऊ में शुक्रवार को  व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता विभाग तथा प्राविधिक शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में विकसित उत्तर प्रदेश विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने के उद्देश्य से राज्य स्तरीय विचार-मंथन सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता विभाग कपिल देव अग्रवाल ने दीप प्रज्वलित कर किया।
मंत्री अग्रवाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश को विकसित राज्य बनाने के लिए युवाओं को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम टेक्नोलॉजी, सेमीकंडक्टर, रिन्यूएबल एनर्जी, ग्रीन हाइड्रोजन और ड्रोन जैसे भविष्यगत क्षेत्रों में प्रशिक्षित करने की दिशा में बड़े पैमाने पर कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं को केवल रोजगार पाने वाला नहीं बल्कि रोजगार देने वाला बनाना सरकार की प्राथमिकता है, इसी उद्देश्य से आईटीआई और पॉलिटेक्निक संस्थानों को बाज़ार की मांग के अनुरूप नए कोर्सों से सशक्त किया जा रहा है। मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि इन प्रयासों से भारत की 6 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य मजबूत होगा और उत्तर प्रदेश देश के विकसित भारत के सपने को पूरा करने में सबसे महत्वपूर्ण स्तम्भ बनेगा।
मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी ने कहा कि विकसित भारत के विजन में विकसित उत्तर प्रदेश की केंद्रीय भूमिका है, इसलिए इस दिशा में कोई भी बजट कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि मजबूत मानव पूंजी, उच्च स्तरीय तकनीकी प्रशिक्षण और विश्वस्तरीय कौशल विकास से ही प्रदेश को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री के सलाहकार जे.एन. सिंह ने कहा कि आईटीआई और पॉलिटेक्निक संस्थान विकसित उत्तर प्रदेश 2047 की नींव हैं। इन संस्थानों की मान्यता और एफिलिएशन प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाएगा, ताकि युवा वैश्विक तकनीकी माहौल के अनुरूप दक्ष बन सकें। उन्होंने कहा कि तकनीकी दक्षता, कौशल विकास और औद्योगिक तालमेल ही उत्तर प्रदेश को वैश्विक मंच पर अग्रणी बनाएगा।
अपर मुख्य सचिव, प्राविधिक शिक्षा विभाग, नरेन्द्र भूषण ने अपने संबोधन में बताया कि प्रदेश के पॉलिटेक्निक संस्थानों में प्रशिक्षण की गुणवत्ता सुधारने के लिए एकेडमिक कैलेंडर को राष्ट्रीय स्तर पर एकरूप किया गया है। साथ ही 121 पॉलिटेक्निक संस्थानों को टीटीएल के सहयोग से इंडस्ट्री 4.0 मॉडल के अनुरूप विकसित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि naukri.com के साथ एमओयू के माध्यम से बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है तथा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना कर बच्चों को स्किल आधारित शिक्षा से जोड़ा जा रहा है।
प्रमुख सचिव, व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता विभाग डॉ. हरिओम ने कहा कि विकसित उत्तर प्रदेश 2047 बनाने की दिशा में विभाग बड़े पैमाने पर आईटीआई प्रशिक्षण को आधुनिक स्वरूप दे रहा है। उन्होंने बताया कि 212 आईटीआई को टाटा टेक्नोलॉजी के सहयोग से अपग्रेड किया गया है, जहां पिछले दो वर्षों में लगभग 24 हजार युवाओं को आधुनिक तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया है। प्रदेश में प्रतिवर्ष 7 लाख प्रशिक्षार्थी आईटीआई के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं तथा कौशल विकास मिशन के माध्यम से लगभग 70 हजार युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ड्रोन, एआई, ब्लॉकचेन तथा आईओटी जैसे उभरते क्षेत्रों में प्रशिक्षण देकर उत्तर प्रदेश देश और दुनिया में तकनीकी नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है।
सम्मेलन के विभिन्न सत्रों में फ्रंटियर टेक्नोलॉजी, नवाचार, शिक्षा में गुणवत्ता, उद्यमिता संवर्द्धन और रोजगार सृजन पर विस्तृत चर्चा हुई। पैनल चर्चाओं में मिशन निदेशक पुलकित खरे ने भविष्य की कौशल आवश्यकताओं के अनुरूप नए पाठ्यक्रम आरंभ करने, प्रयोगशालाओं और डिजिटल अधोसंरचना के उन्नयन पर अपने विचार रखे। निदेशक प्रशिक्षण अभिषेक सिंह ने एनएसक्यूएफ, राष्ट्रीय शिक्षा नीति और क्रेडिट फ्रेमवर्क के अनुरूप पाठ्यक्रमों को संरेखित करने के महत्व पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, उद्योग विशेषज्ञों और तकनीकी संस्थानों के प्रतिनिधियों ने बताया कि उद्यमिता, इंटर्नशिप, अप्रेंटिसशिप और इंडस्ट्री-अकादमिक सहयोग को मजबूत करके ही युवाओं को वास्तविक कार्य-परिस्थितियों का अनुभव कराया जा सकता है। प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण, बालिकाओं एवं ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं तक कौशल प्रशिक्षण पहुंचाने, उभरते उद्योगों की मांग के अनुकूल पाठ्यक्रमों को अद्यतन करने, स्टार्टअप एवं इनक्यूबेशन को बढ़ावा देने तथा स्थानीय आर्थिक सहभागिता बढ़ाने पर विशेष जोर दिया गया। प्रतिभागियों ने कहा कि विकसित उत्तर प्रदेश का लक्ष्य तभी साकार होगा जब कौशल विकास को गांव-गांव तक पहुंचाकर सभी वर्गों को समान अवसर प्रदान किए जाएं।
बैठक में विशेष सचिव श्रम  कुणाल सिल्कु,  प्राविधिक शिक्षा महानिदेशक  सेल्वा कुमारी जे., कुलपति एकेटीयू प्रो जेपी पाण्डेय,  निदेशक (प्राविधिक) डीके सिंह, अतिरिक्त निदेशक  राजेन्द्र प्रसाद,  मानपाल सिंह,  संयुक्त निदेशक  योगेन्द्र सिंह,  राम प्रकाश   एवं समस्त उपनिदेशक निदेशालय तथा समस्त सहायक निदेशक निदेशालय, उत्तर प्रदेश के समस्त संयुक्त निदेशक (प्रशि/ शिशिक्षु) एवं प्रधानाचार्य अलीगंज आईटीआई  राज कुमार यादव सहित जनपद लखनऊ के समस्त प्रधानाचार्य एवं अन्य स्टेक होल्डर तथा  अरविन्द कुमार गुप्ता, एसोसियेट डायरेक्ट डेलाइट एवं उनकी पूरी टीम उपस्थित रही।
राज्य के ईको पर्यटन विकास के लिए पर्यटन और वन विभाग की विशेष बैठक
*वन विभाग द्वारा प्रदेश में चिह्नत 52 वेटलैंड्स पर पर्यटन सुविधाओं के विकास पर बनी सहमति-जयवीर सिंह*

लखनऊ ब्यूरो

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में इको टूरिज्म के अंतर्गत कराए जा रहे विभिन्न कार्य और गतिविधियों के मद्देनजर पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह व राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), वन, पर्यावरण, जंतु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार अरुण कुमार सक्सेना की संयुक्त बैठक आज गोमती नगर स्थित पर्यटन निदेशालय में संपन्न हुई। बैठक में प्रदेश के चारों टाइगर रिजर्व, 10 रामसर साइट्स सहित कई वेटलैंड के एकीकृत विकास के निर्देश दिए गए। इसके साथ ही आगामी वर्षों में प्रदेश को वाइल्ड लाइफ टूरिज्म हब के रूप में स्थापित करने की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा हुई।

पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पर्यटन का भविष्य तेज़ी से नए आयाम गढ़ रहा है इसी बदलते परिदृश्य में समग्र पर्यटन विकास, रिस्पांसिबल टूरिज्म और वन एवं पर्यावरण विभाग के सहयोग की भूमिका निर्णायक होगी। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि हमें समस्या नहीं, समाधान की ओर बढ़ना है, इसी सोच के साथ प्रदेश में पर्यटन विकास को अब एकीकृत और भविष्य केंद्रित रूप में आगे बढ़ाया जा रहा है।

बैठक में उत्तर प्रदेश के दुधवा, पीलीभीत, अमानगढ़, रानीपुर टाइगर रिजर्व और 10 रामसर साइट्स नवाबगंज पक्षी अभ्यारण्य (उन्नाव), पार्वती आर्गा पक्षी अभ्यारण्य (गोंडा), समान पक्षी अभ्यारण्य (मैनपुरी), समसपुर पक्षी अभ्यारण्य (रायबरेली), सांडी पक्षी अभ्यारण्य (हरदोई), सरसई नावर झील (इटावा), सूर सरोवर पक्षी विहार (आगरा), ऊपरी गंगा नदी (ब्रजघाट से नरौरा विस्तार), बखिरा वन्यजीव अभ्यारण्य (संत कबीर नगर) और हैदरपुर वेटलैंड (मुजफ्फरनगर) को विश्वस्तरीय इको टूरिज्म मॉडल के रूप में विकसित करने पर केंद्रित चर्चा हुई। इन स्थलों पर आधारभूत संरचना प्रवेश द्वार, नेचर ट्रेल, वॉच टावर, साइनेज, कॉटेज, कैंटीन, गज़ीबो, स्वागत कक्ष और आरओ सहित अन्य सुविधाओं के निर्माण एवं सुदृढ़ीकरण के लिए समुचित वित्तपोषण की आवश्यकता को विस्तृत रूप से रखा गया। बैठक में इको टूरिज्म गाइड, ड्राइवर और हॉस्पिटैलिटी स्टाफ के प्रशिक्षण, पर्यटन स्थलों पर बेहतर साइनेज लगाने और वन विभाग की सहमति से कंसल्टेंट नियुक्त करने जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर भी विमर्श हुआ।

उत्तर प्रदेश सरकार वित्तीय वर्ष 2026-27 में इको-टूरिज्म को नई दिशा देने जा रही है। प्रदेश के महत्वपूर्ण प्राकृतिक स्थलों को विकसित करने की योजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है, जिनमें बरेली के नगर वन और कन्नौज के लाख बहोसी पक्षी विहार को विशेष रूप से उन्नत रूप में संवारने की तैयारी है। बैठक में बर्ड सर्किट सूर सरोवर (आगरा), शेखा झील (अलीगढ़), रपड़ी वेटलैंड (फिरोजाबाद), सरसई नावर (इटावा) तथा लाख बहोसी वेटलैंड (कन्नौज) के समग्र विकास पर भी विस्तृत चर्चा की गई, ताकि इन स्थलों को ‘वन डेस्टिनेशन फॉर टूरिस्ट्स’ के रूप में विकसित किया जा सकता है।

प्रदेश में वेटलैंड आधारित पर्यटन को नई दिशा देने के लिए पर्यटन विभाग और वन विभाग ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन वेटलैंड’ मॉडल पर व्यापक योजना तैयार कर रहे हैं। इसी के अंतर्गत 52 वेटलैंड को चिह्नित किया गया है। इनके समग्र प्रोजेक्शन और उन्हें एकीकृत पर्यटन सर्किट के रूप में संवर्धित करने पर सहमति बनी। जनपद चंदौली स्थित राजदरी-देवदरी वाटरफॉल में ईको टूरिज्म अवस्थापना सुविधाओं के ऑपरेशन एवं मेंटेनेंस के संबंध में चर्चा, वन विभाग के सहयोग से किसी एक रामसर साइट्स पर महोत्सव (बर्ड फेस्टिवल) के आयोजन आदि विषयों पर भी विमर्श हुआ। गोरखपुर प्राणी उद्यान में एम्पीथियेटर, कैंटीन, पार्किंग सहित अन्य अवसंरचना के विकास पर गहनता से चर्चा हुई।
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), वन, पर्यावरण, जंतु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार
अरुण कुमार सक्सेना ने कहा उत्तर प्रदेश के समृद्ध वन्य जीवन और प्राकृतिक धरोहर को संरक्षित करते हुए उसे वैश्विक स्तर पर पर्यटन आकर्षण के रूप में प्रस्तुत करना हमारा मूल उद्देश्य है। इको टूरिज़्म न केवल स्थानीय समुदायों को रोजगार से जोड़ता है, बल्कि प्रकृति संरक्षण के प्रति सामूहिक जिम्मेदारी भी मजबूत करता है। टाइगर रिजर्व, रामसर साइट्स और राज्य के प्रमुख वेटलैंड्स में चल रहे विकास कार्यों से प्रदेश को ‘वाइल्ड लाइफ टूरिज्म हब’ बनाने की दिशा में नई ऊर्जा मिली है। वन विभाग समन्वय के साथ पर्यटन विभाग के प्रयासों को गति देने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि उत्तर प्रदेश प्रकृति-आधारित पर्यटन का राष्ट्रीय मॉडल बन सके।

वन विभाग की ओर से दिल्ली-एनसीआर से सटे ओखला बर्ड सैंक्चुअरी में साइनेज लगाने  के सुझाव और ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर पक्षी विहार में पर्यटक सुविधाओं के विकास का प्रस्ताव रखा गया। पर्यटन मंत्री ने इस पर सहमति जताई। मंत्री द्वय ने कहा कि इन दोनों स्थलों पर बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं, इसलिए उक्त दोनों स्थलों का विकास हमारी प्राथमिकता है।

बैठक में प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति अमृत अभिजात, उत्तर प्रदेश वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुनील चौधरी, महानिदेशक पर्यटन एवं यूपीईटीडीबी के डायरेक्टर (एडमिन) राजेश कुमार, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) बी प्रभाकर, सेक्रेटरी फारेस्ट बी चंद्रकला, यूपी एफसी के एपीपीसीएफ एमडी संजय कुमार, पर्यटन सलाहकार जेपी सिंह सहित वनविभाग, वन निगम तथा पर्यटन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
वार्षिक माध्यमिक एवं इण्टरमीडिएट परीक्षा-2026 हेतु परीक्षा केन्द्रों एवं मूल्यांकन केन्द्रों का चयन करने के लिए जिला चयन समिति की बैठक

उपायुक्त सह जिला दण्डाधिकारी, राँची श्री मंजूनाथ भजन्त्री की अध्यक्षता में आज दिनांक 12 दिसंबर 2025 को समाहरणालय के ब्लॉक-ए स्थित सभागार में JAC द्वारा आयोजित होने वाली वार्षिक माध्यमिक (मैट्रिक) एवं इण्टरमीडिएट (10+2) परीक्षा-2026 के लिए जिला स्तर पर परीक्षा केन्द्रों तथा उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन केन्द्रों के चयन हेतु जिला चयन समिति की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई।

बैठक में उप विकास आयुक्त, राँची, श्री सौरभ कुमार भुवनिया, पुलिस अधीक्षक (नगर), राँची श्री पारस राणा, जिला शिक्षा पदाधिकारी, राँची, श्री विनय कुमार, सांसद प्रतिनिधि, विधायक प्रतिनिधि एवं सम्बंधित पदाधिकारी उपस्थित थे।

बैठक में उपायुक्त श्री भजन्त्री ने निर्देश दिया कि परीक्षा केन्द्रों का चयन पूर्णतः निष्पक्ष, पारदर्शी किसी भी प्रकार की नकल या अनियमितता की कोई गुंजाइश न रहे। उन्होंने कहा कि परीक्षा केन्द्र ऐसे विद्यालयों में बनाए जाएँ जहाँ पर्याप्त संख्या में कक्ष, CCTV कैमरे, पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था, पेयजल एवं शौचालय की सुविधा उपलब्ध हो। साथ ही, परीक्षा केन्द्रों तक पहुँचने के लिए सुगम यातायात व्यवस्था एवं सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम सुनिश्चित किए जाएँ।

बैठक में विभिन्न प्रस्तावित परीक्षा केन्द्रों की सूची पर विचार किया गया। परीक्षार्थीयों कोई असुविधा ना हो इसके लिए कुछ परीक्षा केदो में बदलाव का निर्णय लिया गया है। 

उपस्थित सभी पदाधिकारियों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि परीक्षा-2026 को पूरी तरह पारदर्शी एवं शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न कराना जिला प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

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★ अबुआ साथी-9430328080★

जन शिकायत हेतु रांची जिला प्रशासन का व्हाट्सएप नंबर

★ बाल विवाह मुक्त रांची, हम सब की जिम्मेदारी

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#TeamPrdRanchi

अमेरिका बनाने जा रहा नया ग्रुप, जानें कौन-कौन देश शामिल होगें?

#whatiscore5uspresidentallegedlyplanningto_make

अमेरिका की सियासी गलियारों में इन दिनों एक नए वैश्विक गठबंधन की चर्चाएं तेज हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कथित तौर पर विश्व शक्तियों का एक नया मोर्चा बनाने की तैयारी में हैं। इस ग्रूप का नाम 'C5' या 'कोर फाइव' हो सकता है, जिसमें दुनिया की 5 बड़ी ताकते एक साथ आ सकती है।

अमेरिका अब G7 से बाहर निकलकर दुनिया की पांच सबसे बड़ी और असरदार ताकतों के साथ एक नया मंच बनाना चाहता है। डोनाल्ड ट्रंप की नई ग्रुपिंग अमेरिका, रूस, चीन, भारत और जापान को एक साथ लाएगी। 'C5' में धन या लोकतंत्र के मानदंडों के बजाय बड़ी आबादी और सैन्य-आर्थिक ताकत वाले देशों पर फोकस होगा।

एनएसएस के ड्राफ्ट में 'C5' का आइडिया

ये अमेरिका की अप्रकाशित नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटर्जी के ड्राफ्ट में लिखा एक आइडिया है। इसे डिफेंस वन और पोलिटिको ने उजागर किया है। अमेरिकी पब्लिकेशन पॉलिटिको के 12 दिसंबर के आर्टिकल के मुताबिक, G7 और G20 जैसे मौजूदा फोरम को नाकाफी बताते हुए, यह मल्टीपोलर वर्ल्ड के लिए नया मंच बनेगा।

किस आधार पर देशों का ग्रुप बनेगा?

इस प्रस्तावित फोरम में वे देश शामिल हैं जिनकी आबादी 10 करोड़ से ज्यादा है और जो भू-राजनीति, सैन्य ताकत और वैश्विक अर्थव्यवस्था में निर्णायक भूमिका रखते हैं। ड्राफ्ट के मुताबिक C5 की पहली बैठक में मिडिल ईस्ट की सुरक्षा पर बात होगी, खासकर इजरायल और सऊदी अरब के रिश्तों को सामान्य करने पर

बढ़ सकती है यूरोप की चिंताएं

अभी तक C-5 पर कोई ऑफिशियल कन्फर्मेशन नहीं है। लेकिन यह ट्रंप की विदेश नीति में बड़ा शिफ्ट दिखाता है, जहां चीन और रूस जैसे प्रतिद्वंद्वियों को टेबल पर लाया जा सकता है। भारत के लिए यह मिडिल ईस्ट और इंडो-पैसिफिक मुद्दों पर नया मौका हो सकता है। ट्रंप के इस कदम से यूरोप की चिंताएं बढ़ सकती है। अमेरिका के सहयोगी इस कदम को रूस को यूरोप से ज्यादा प्राथमिकता देने और पश्चिमी एकता और नाटो के तालमेल को कमजोर करने के तौर पर देखते हैं।

जस्टिस जीआर स्वामीनाथन के समर्थन में आए 56 रिटायर्ड जज, महाभियोग प्रस्ताव की कड़ी निंदा की

#justiceswaminathan56exjudgesinsupport

मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन पर महाभियोग प्रस्ताव पेश होने के बाद सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश उनके समर्थन में उतर आए हैं। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के 56 रिटायर्ड जजों ने एक संयुक्त बयान जारी कर मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन के खिलाफ लाए जा रहे महाभियोग प्रस्ताव की कड़ी निंदा की है।

“न्यायपालिका को डराने की कोशिश”

जस्टिस स्वामीनाथन ने तमिलनाडु के मदुरै में तिरुपरनकुंद्रम सुब्रमणिया स्वामी मंदिर के पास पहाड़ी पर पवित्र दीपक जलाने का आदेश दिया था, जिसके बाद विपक्ष उनपर महाभियोग लगाकर उन्हें जज पद से हटाने की मुहिम में जुटा है। जिसके बाद पूर्व जजों ने इस मामले में महाभियोग के प्रस्ताव पर गंभीर आपत्ति जाहिर की है। 56 पूर्व जजों ने अपने बयान में कहा गया है कि कुछ सांसदों और वरिष्ठ वकीलों द्वारा उठाया गया यह कदम राजनीतिक प्रेरित है और इसका उद्देश्य न्यायपालिका को डराना है, जबकि महाभियोग जैसी संवैधानिक प्रक्रिया का इस्तेमाल केवल दुर्लभ और अत्यंत गंभीर मामलों में ही होना चाहिए।

“आपातकाल की याद दिलाता है”

पूर्व जजों ने चेतावनी दी है कि अगर इसे जारी रहने दिया गया, तो यह लोकतंत्र और न्यायपालिका की स्वतंत्रता की जड़ों को ही नष्ट कर देगा। बयान में कहा गया कि जज स्वामीनाथन पर महाभियोग प्रस्ताव पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की सरकार में 1975 में घोषित आपातकाल की याद दिलाता है। जब जजों को प्रताड़ित करने के लिए तमाम तंत्र अपनाए गए थे, जिनमें पदोन्नति को रद्द करना भी शामिल था।

“फैसले अनुकूल नहीं रहे, तो बदनाम करने की कोशिशें”

पूर्व जजों ने पत्र में साफतौर पर कहा कि किसी निर्णय से असहमति हो तो उसका समाधान कानूनी अपील और तर्कपूर्ण आलोचना है न कि न्यायाधीशों को डराने की कोशिश। पूर्व न्यायाधीशों ने यह भी कहा कि हाल के वर्षों में जब-जब अदालतों के फैसले कुछ राजनीतिक हितों के अनुकूल नहीं रहे, तब शीर्ष न्यायाधीशों और प्रमुख न्यायाधीशों को बदनाम करने की कोशिशें हुई हैं।

पूर्व न्यायाधीशों की खास अपील

पूर्व न्यायाधीशों ने सांसदों, बार, नागरिक समाज और आम नागरिकों से अपील की है कि वे ऐसे कदमों को अस्वीकार करें और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को मजबूती से संरक्षित करें। उनका कहना है कि न्यायिक जवाबदेही संवैधानिक मूल्यों और न्यायिक प्रक्रिया के भीतर तय होती है न कि राजनीतिक दबाव या महाभियोग की धमकी से।

जर्जर पड़े प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवन की टीम ने की जांच
कमलेश मेहरोत्रा लहरपुर (सीतापुर)। जिलाधिकारी के निर्देश पर नगर के मोहल्ला बागवानी टोला स्थित जर्जर पड़े प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवन की टीम के द्वारा जांच की गई। शुक्रवार को अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग मिथिलेश कुमार वर्मा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी सुरेश कुमार , उप जिलाधिकारी आकांक्षा गौतम, अधीक्षक डॉक्टर अरविंद बाजपेई, सहायक अभियंता मुदस्सिर हुसैन, अवर अभियंता बाबूराम के द्वारा नगर के मोहल्ला बागवानी टोला स्थित जर्जर पड़े प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण किया गया।

इस मौके पर पालिका परिषद अध्यक्ष हाजी जावेद अहमद, समाजसेवी हसीन अंसारी आदि उपस्थित थे। अधिशासी अभियंता मिथिलेश कुमार वर्मा ने बताया कि जर्जर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का शीघ्र ही ध्वस्ती करण कर  अस्पताल का निर्माण किया जाएगा। ज्ञातव्य है कि इसके पूर्व पालिका परिषद अध्यक्ष हाजी जावेद अहमद के द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी से भेंट कर इस जर्जर प्राथमिक स्वास्थ्य  केंद्र पर महिला चिकित्सालय बनाए जाने की मांग की थी, जिस पर पहले भी जर्जर भवन की टीम के द्वारा जांच की गई थी। इस संबंध में उप जिलाधिकारी आकांक्षा गौतम ने बताया कि ने भूमि पर अवैध कब्जे को लेकर अवैध कब्जे दारों को 3 दिन के अंदर भूमि खाली करने के लिए नोटिस दी जाएगी और स्वास्थ्य केंद्र की भूमि को खाली  कराया जाएगा। शुक्रवार को ही पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता मुदस्सिर हुसैन व अवर अभियंता बाबूराम के द्वारा जर्जर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की नाप जोख भी की गई।
भारतीय राजनीति में उपनामों की परंपरा - डॉ अतुल मलिकराम (राजनीतिक रणनीतिकार)

भारत हो या विश्व का कोई भी देश, राजनीति में राजनेताओं को दिए जाने वाले उपनाम केवल संबोधन के लिए नहीं होते, बल्कि जनता के मन में बसे उनके व्यक्तित्व, योगदान और छवि का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। आज़ादी के पहले या बाद में, यह परंपरा निरंतर चलती रही है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को बच्चे प्यार से चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे। यह उपनाम उनके बच्चों के प्रति विशेष लगाव और उनकी कोमल, सहृदय छवि का प्रतीक बन गया। दूसरी ओर, देश को एकजुट करने वाले प्रथम उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को लौह पुरुष कहा गया। यह उपनाम उनके कठोर इरादों और देश को सैकड़ों रियासतों से जोड़ने की अद्वितीय क्षमता का परिणाम था।

राजनीति में महिला नेतृत्व की पहचान भी उपनामों के माध्यम से ही मजबूत हुई है। भारत की पहली और अब तक की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनके दृढ़ फैसलों और निर्णायक नेतृत्व के कारण आयरन लेडी कहा गया। वहीं तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता को जनता अम्मा के रूप में पूजती थी, क्योंकि उन्होंने कई कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से लोगों तक सीधे लाभ पहुंचाने का काम किया था। इसी तरह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दीदी के नाम से जाना जाता है। यह उपनाम उनकी सादगी और संघर्षशील छवि को दर्शाता है।

बहुजन राजनीति में उपनामों का महत्व और भी अधिक दिखाई देता है। दलित आंदोलन के प्रमुख नेता जगजीवन राम को प्यार से बाबूजी कहा जाता था। उनकी संवेदनशीलता और सिद्धांतवादी राजनीति ने उन्हें देश के सबसे सम्मानित नेताओं में शामिल किया। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को उनकी पार्टी और समर्थकों के बीच बहनजी के नाम से संबोधित किया जाता है, जो उन्हें एक संरक्षक और मार्गदर्शक के रूप में प्रस्तुत करता है। इसके अतिरिक्त डॉ. सोनेलाल पटेल के संदर्भ में दूसरी आज़ादी के महानायक जैसे उपनाम यह सिद्ध करते हैं कि क्षेत्रीय राजनीति में भी नेता केवल अपने संगठनात्मक कौशल से नहीं, बल्कि अपने वैचारिक संघर्षों से जनता में अमिट छाप छोड़ सकते हैं। सामाजिक न्याय को लेकर उनका संघर्ष उन्हें ऐसे नेताओं की श्रेणी में लाता है, जिन्हें लोग किसी विचारधारा की ताकत के रूप में याद करते हैं।

समाजवादी राजनीति में भी यह संस्कृति स्पष्ट रही है। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को उनके अनुयायियों और कार्यकर्ताओं ने नेताजी का दर्जा दिया, क्योंकि वे साधारण कार्यकर्ता से बढ़कर एक बड़े जननेता के रूप में उभरे। वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लोग बुलडोजर बाबा कहकर बुलाने लगे हैं, जहां यह उपनाम उनके जीरो-टॉलरेंस मॉडल और माफिया के खिलाफ कार्रवाई के कारण लोकप्रिय हुआ।

इसी क्रम में समकालीन राजनीति में कुछ और नाम भी विशेष रूप से चर्चित हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनकी सादगीपूर्ण जीवनशैली और आम आदमी वाली छवि के कारण मफलर मैन, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जनता द्वारा स्नेह से मामा, और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उनके प्रशासनिक सुधारों की वजह से सुशासन बाबू कहा जाता है।

यह सभी उदाहरण बताते हैं कि भारत की राजनीतिक संस्कृति में उपनाम केवल संज्ञा नहीं, बल्कि एक प्रतीक होते हैं, जो किसी नेता की विचारधारा, कार्यशैली और जनसंपर्क को समझाने का सरल तरीका समझे जा सकते हैं। यह उपनाम कभी जनता देती है, कभी मीडिया, और कई बार विरोधी दल भी व्यंग्यात्मक रूप से फेंकू या पप्पू जैसे नाम गढ़ते हैं, जो बाद में लोकप्रिय हो जाते हैं।

गुज्जू फिल्म फेस्ट: 10 दिन, 10 हिट फिल्में; हर दिन एक नई गुजराती हिट बिल्कुल मुफ्त, सिर्फ शेमारूमी पर

इस दिसंबर मनाइए गुज्जू फिल्म फेस्ट; हर दिन देखें एक नई गुजराती हिट, बिल्कुल मुफ्त सिर्फ शेमारूमी पर

10 दिन, 10 ब्लॉकबस्टर- 6 से 15 दिसंबर 2025 तक, शेमारूमी पर हर दिन नई गुजराती हिट मुफ्त में हो रही स्ट्रीम

गुजरात, दिसम्बर 2025 : दिसंबर का महीना शेमारूमी ने और भी खास बना दिया है। गुजराती सिनेमा की समृद्ध कला, संस्कृति और मनोरंजन का जश्न मनाते हुए यह प्लेटफॉर्म लेकर आया है ‘गुज्जु फिल्म फेस्ट’, जो 6 दिसंबर, 2025 से शुरू हो चुका है और 15 दिसंबर, 2025 तक चलेगा। इन दस दिनों के दौरान हर दिन एक नई गुजराती सुपरहिट फिल्म बिल्कुल मुफ्त देखने के लिए उपलब्ध है। यह अवसर दर्शकों को, विशेषकर गुजरात के दर्शकों को, उन फिल्मों को फिर से देखने या पहली बार देखने का मौका देता है, जिन्होंने बॉक्स ऑफिस पर न सिर्फ सफलता पाई बल्कि राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर प्रशंसा जीती और दर्शकों के दिलों में जगह बनाई।

इस विशेष महोत्सव में ऐसी फिल्मों का चयन किया गया है, जो गुजराती सिनेमा की विविधता को पूरी तरह दर्शाता है। हर फिल्म गुजरात की किसी न किसी भाव, रंग, परंपरा, हास्य और जीवनशैली को अपने अंदाज़ में पेश करती है। 

हास्य से भरपूर ‘फ़क्त महिलाओं माटे’ में जहाँ एक व्यक्ति को महिलाओं के मन की बातें सुनने की अनोखी शक्ति मिलती है, वहीं ‘झमकुड़ी’ एक रहस्यमयी हवेली में बसे रोमांचक और डरावने अनुभवों को सामने लाती है। ‘बच्चूभाई’ एक बुजुर्ग व्यक्ति की जीवन के नए मोड़ पर शुरू हुई यात्रा को दर्शाती है, जबकि राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता ‘हेलारो’ कच्छ की महिलाओं की मुक्ति, साहस और अभिव्यक्ति की शक्ति को बेहद प्रभावी ढंग से दिखाती है। ‘मिथाडा मेहमान’ रिश्तों और अपनेपन से भरी एक प्यारी कहानी पेश करती है और ‘नाड़ी दोष’ प्रेम और ज्योतिष मान्यताओं के बीच के टकराव को संवेदनशीलता से उभारती है। ‘कच्छ एक्सप्रेस’ एक महिला की आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ती प्रेरक यात्रा को दर्शाती है, वहीं ‘ऑल द बेस्ट पंड्या’ परिवार की हँसी-मज़ाक से भरी उलझनों को मजेदार अंदाज़ में प्रस्तुत करती है। ‘वश’ अपने रोमांचक माहौल और रहस्य से दर्शकों को अंत तक बांधे रखती है और 'उम्बरो’ सात महिलाओं की उस भावनात्मक यात्रा को दिखाती है जहाँ वे अपने भीतर छिपी हिम्मत और खुशियों को नए सिरे से खोजती हैं।

पिछले दस सालों में गुजराती सिनेमा ने कहानी, प्रस्तुति और दर्शकों की पसंद तीनों ही स्तर पर उल्लेखनीय प्रगति की है। इस फेस्टिवल के ज़रिए शेमारूमी का उद्देश्य इस विकास का सम्मान करना और गुजराती कंटेंट को और अधिक लोगों तक बिना किसी बाधा के पहुँचाना है। यह पहल न केवल गुजराती फिल्मों की नई लहर का जश्न है, बल्कि उन दर्शकों के लिए भी एक अवसर है जिन्होंने इन फिल्मों को प्यार दिया और उन्हें लोकप्रिय बनाया।

इन तारीखों पर उपलब्ध फिल्मों की सूची दी गई है:

गुज्जू फिल्म फेस्ट लाइन-अप

10 दिन। 10 मुफ्त फिल्में

6 दिसंबर

झमकुड़ी

7 दिसंबर

बच्चूभाई

8 दिसंबर

हेलारो

9 दिसंबर

मिथाडा मेहमान

10 दिसंबर

नाड़ी दोष

11 दिसंबर

कच्छ एक्सप्रेस

12 दिसंबर

ऑल द बेस्ट पंड्या

13 दिसंबर

वश

14 दिसंबर

उम्बरो

15 दिसंबर

फ़क्त महिलाओं माटे

विधायक प्रदीप प्रसाद ने शीतकालीन सत्र में उठाए जनहित के महत्वपूर्ण मुद्दे, हजारीबाग़ और राज्यव्यापी समस्याओं पर सरकार से की कार्रवाई की मांग

हजारीबाग़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक प्रदीप प्रसाद ने झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान जनहित से जुड़े अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों को सदन में अत्यंत गंभीरता और दृढ़ता के साथ उठाया। विधायक ने कहा कि जनता की प्रत्येक समस्या को सदन में मुखरता से रखना उनका कर्तव्य है, और इस सत्र में राज्य व्यवस्था की कई कमियों एवं अनदेखियों पर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया गया।

राज्य सूचना आयोग में अनियमितताओं पर सवाल - विधायक ने सूचना आयोग में लंबित नियुक्तियों, पारदर्शिता की कमी और गंभीर प्रशासनिक अनियमितताओं का मामला सदन में उठाते हुए आयोग की कार्यप्रणाली में सुधार और शीघ्र नियुक्तियों की मांग की।

झारखंड पुलिस आधुनिकीकरण की धीमी प्रगति - उन्होंने थानों में CCTV लगाने की सुस्त रफ्तार, रिसेप्शन कक्ष निर्माण की स्थिति और पुलिस बल में लंबित नियुक्तियों को लेकर सरकार से जवाब माँगा। विधायक ने कहा कि सुरक्षा प्रणाली में सुधार के बिना राज्य में कानून-व्यवस्था मजबूत नहीं हो सकती।

कोयला साइडिंग से उत्पन्न प्रदूषण—बिरहोर जनजाति प्रभावित - कटकमसांडी एवं बानादाग स्थित एनटीपीसी कोल साइडिंग से फैले प्रदूषण के कारण बिरहोर जनजाति में श्वास एवं चर्म रोग बढ़ रहे हैं। ट्रकों की अव्यवस्थित पार्किंग से सड़कें क्षतिग्रस्त हो रही हैं। विधायक ने दोनों साइडिंगों में नियमावली के कड़ाई से पालन और प्रभावित परिवारों को मुआवजा दिलाने की मांग की।

सरकारी अस्पतालों की अव्यवस्थाओं पर गंभीर प्रश्न - उन्होंने चिकित्सकीय स्टाफ की कमी, आउटसोर्सिंग कंपनियों की अनियमितताएँ, OPD की ऑनलाइन प्रणाली से हो रही परेशानियाँ और कोयला परिवहन क्षेत्रों में प्रदूषणजनित स्वास्थ्य समस्याओं पर सरकार से त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई की मांग की।

पेयजल परियोजना में L&T द्वारा लापरवाही का मुद्दा - हजारीबाग नगर निगम क्षेत्र में L&T द्वारा संचालित पेयजल परियोजना में पाइपलाइन बिछाने के बाद सड़कों का उचित पुनर्निर्माण न होने से शहर की सड़कें अत्यंत जर्जर स्थिति में पहुँच गई हैं। विधायक ने इस पर कठोर कार्रवाई की मांग की।

हजारीबाग की जर्जर सड़कों के निर्माण की मांग - मरहेता–पौंता, केसुरा मोड़–सरौनी मार्ग सहित दर्जनों खराब सड़कों के निर्माण में हो रही देरी को लेकर विधायक ने सरकार के समक्ष जनता की पीड़ा रखी और तत्काल पुनर्निर्माण की माँग की।

सिंचाई क्षमता में कमी—पुराने डैम उपयोगहीन - कटकमदाग प्रखंड स्थित गोंदा डैम सहित अनेक पुराने जलाशयों की उपेक्षा से सिंचाई क्षमता घट गई है। विधायक ने इन डैमों की मरम्मत, क्षमता-वृद्धि और पुनर्जीवन पर ठोस निर्णय लेने की आवश्यकता पर जोर दिया।

मुख्यमंत्री ग्रामीण पशुधन योजना में अनियमितताएँ - विधायक ने बताया कि लाभार्थियों को योजना का पूरा लाभ नहीं मिल रहा है। बिचौलियों की सक्रियता, व्यवस्थित अवरोध तथा विभाग द्वारा स्वतंत्र क्रय पर रोक के कारण गरीब परिवारों को योजनाओं का वास्तविक लाभ नहीं पहुँच पा रहा है।

विधानसभा परिसर में प्रदर्शन - सत्र के दौरान विधायक प्रदीप प्रसाद ने झारखंड के हित और वर्तमान सरकार के अनदेखी रवैये के खिलाफ शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन भी किया, जिससे जनसमस्याओं को राज्य सरकार तक प्रभावी रूप से पहुंचाया जा सके।

37 करोड़ के पॉलिटेक्निक भवन को लेकर बड़ा मुद्दा - विधायक ने सदन एवं परिसर दोनों में यह मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया कि हजारीबाग के सिलवार में 37 करोड़ रुपये की लागत से बना विशाल पॉलिटेक्निक भवन वर्ष 2015 से तैयार है, फिर भी आज तक बंद पड़ा है। भवन की छतें टूट रही हैं, दीवारें जर्जर हो रहीं हैं और इसका सीधा नुकसान हजारीबाग की बेटियों के भविष्य को हो रहा है। विधायक ने सरकार से अनुरोध किया कि इस भवन को बालिका महाविद्यालय के रूप में तुरंत शुरू किया जाए।

 विधायक प्रदीप प्रसाद ने कहा कि जनता के हक और अधिकारों के लिए वे सड़क से लेकर सदन तक निरंतर संघर्षरत रहेंगे। हर सरकारी योजना का लाभ समय पर जनता तक पहुँचे और हजारीबाग की आवश्यक बुनियादी सुविधाओं में तेजी से सुधार हो, इसी संकल्प के साथ वे निरंतर कार्य कर रहे हैं।

भारतीय किसान यूनियन,( तोमर) का 41सदस्य प्रतिनिधि मंडल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से मिला दिया आश्वासन
बहसुमा। मेरठ। बहसुमा के युवा जिला अध्यक्ष अभिषेक चौधरी ने बतायाभारतीय किसान यूनियन (तोमर) का 41 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी संजीव तोमर के नेतृत्व में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से देहरादून स्थित विधानसभा में मिला। युवा जिला अध्यक्ष अभिषेक चौधरी  बहसुमा ने बताया मुख्यमंत्री ने किसानों की सभी प्रमुख समस्याओं के त्वरित समाधान का आश्वासन दिया।

चौधरी संजीव तोमर ने बताया कि संगठन द्वारा पहले 13 दिसंबर को मुख्यमंत्री घेराव की घोषणा की गई थी, लेकिन पिछले दो दिनों से देहरादून व हरिद्वार प्रशासन की सक्रियता तथा सरकार के आग्रह पर प्रतिनिधिमंडल को सीएम ने वार्ता के लिए बुलाया। बैठक लंबी चली, जिसमें लगभग 31 सूत्रीय ज्ञापन मुख्यमंत्री को सौंपा गया।

मुख्य मांगों में गन्ने का मूल्य 500 रुपये प्रति क्विंटल करने, लंबित गन्ना भुगतान तुरंत कराने, इकबाल शुगर मिल के बकाया जल्द जारी करने, पहाड़ी क्षेत्रों में जंगली जानवरों व हाथियों द्वारा फसल नुकसान पर उचित मुआवजा देने की मांग शामिल रही। इसके अलावा प्राकृतिक आपदाओं, नदियों के कटान से नष्ट फसलों का मुआवजा, उत्तराखंड में 10 वर्ष से निवास कर रहे नागरिकों को नागरिकता प्रदान करने तथा पहाड़ी किसानों को कृषि यंत्र निःशुल्क उपलब्ध कराने की मांग भी रखी गई।

मुख्यमंत्री ने इकबालपुर नहर में जल्द पानी छोड़ने का भरोसा देते हुए कहा कि ज्ञापन के प्रत्येक बिंदु पर गंभीरता से कार्यवाही की जाएगी।

इस अवसर पर राष्ट्रीय प्रतिनिधि पवन त्यागी, तालीब हसन, भूपेंद्र चौहान, अंकित चौहान, हाजी मुस्तकीम, पर्वेन्द्र चौधरी, सुमित, अजय त्यागी, वीरेन्द्र तेवितिया सहित संगठन के अनेक पदाधिकारी मौजूद रहे।
विकसित उत्तर प्रदेश @2047 विजन हेतु योजना भवन में राज्य स्तरीय विचार–मंथन सम्मेलन आयोजित

* भविष्यगत तकनीकों में युवाओं को प्रशिक्षित करने पर मंत्री कपिल देव अग्रवाल का विशेष जोर

* विजन के निर्माण को लेकर विशेषज्ञों, कुलपतियों और उद्योग प्रतिनिधियों ने साझा किए सुझाव

लखनऊ ब्यूरो

लखनऊ। योजना भवन, लखनऊ में शुक्रवार को  व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता विभाग तथा प्राविधिक शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में विकसित उत्तर प्रदेश विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने के उद्देश्य से राज्य स्तरीय विचार-मंथन सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता विभाग कपिल देव अग्रवाल ने दीप प्रज्वलित कर किया।
मंत्री अग्रवाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश को विकसित राज्य बनाने के लिए युवाओं को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम टेक्नोलॉजी, सेमीकंडक्टर, रिन्यूएबल एनर्जी, ग्रीन हाइड्रोजन और ड्रोन जैसे भविष्यगत क्षेत्रों में प्रशिक्षित करने की दिशा में बड़े पैमाने पर कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं को केवल रोजगार पाने वाला नहीं बल्कि रोजगार देने वाला बनाना सरकार की प्राथमिकता है, इसी उद्देश्य से आईटीआई और पॉलिटेक्निक संस्थानों को बाज़ार की मांग के अनुरूप नए कोर्सों से सशक्त किया जा रहा है। मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि इन प्रयासों से भारत की 6 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य मजबूत होगा और उत्तर प्रदेश देश के विकसित भारत के सपने को पूरा करने में सबसे महत्वपूर्ण स्तम्भ बनेगा।
मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी ने कहा कि विकसित भारत के विजन में विकसित उत्तर प्रदेश की केंद्रीय भूमिका है, इसलिए इस दिशा में कोई भी बजट कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि मजबूत मानव पूंजी, उच्च स्तरीय तकनीकी प्रशिक्षण और विश्वस्तरीय कौशल विकास से ही प्रदेश को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री के सलाहकार जे.एन. सिंह ने कहा कि आईटीआई और पॉलिटेक्निक संस्थान विकसित उत्तर प्रदेश 2047 की नींव हैं। इन संस्थानों की मान्यता और एफिलिएशन प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाएगा, ताकि युवा वैश्विक तकनीकी माहौल के अनुरूप दक्ष बन सकें। उन्होंने कहा कि तकनीकी दक्षता, कौशल विकास और औद्योगिक तालमेल ही उत्तर प्रदेश को वैश्विक मंच पर अग्रणी बनाएगा।
अपर मुख्य सचिव, प्राविधिक शिक्षा विभाग, नरेन्द्र भूषण ने अपने संबोधन में बताया कि प्रदेश के पॉलिटेक्निक संस्थानों में प्रशिक्षण की गुणवत्ता सुधारने के लिए एकेडमिक कैलेंडर को राष्ट्रीय स्तर पर एकरूप किया गया है। साथ ही 121 पॉलिटेक्निक संस्थानों को टीटीएल के सहयोग से इंडस्ट्री 4.0 मॉडल के अनुरूप विकसित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि naukri.com के साथ एमओयू के माध्यम से बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है तथा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना कर बच्चों को स्किल आधारित शिक्षा से जोड़ा जा रहा है।
प्रमुख सचिव, व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता विभाग डॉ. हरिओम ने कहा कि विकसित उत्तर प्रदेश 2047 बनाने की दिशा में विभाग बड़े पैमाने पर आईटीआई प्रशिक्षण को आधुनिक स्वरूप दे रहा है। उन्होंने बताया कि 212 आईटीआई को टाटा टेक्नोलॉजी के सहयोग से अपग्रेड किया गया है, जहां पिछले दो वर्षों में लगभग 24 हजार युवाओं को आधुनिक तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया है। प्रदेश में प्रतिवर्ष 7 लाख प्रशिक्षार्थी आईटीआई के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं तथा कौशल विकास मिशन के माध्यम से लगभग 70 हजार युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ड्रोन, एआई, ब्लॉकचेन तथा आईओटी जैसे उभरते क्षेत्रों में प्रशिक्षण देकर उत्तर प्रदेश देश और दुनिया में तकनीकी नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है।
सम्मेलन के विभिन्न सत्रों में फ्रंटियर टेक्नोलॉजी, नवाचार, शिक्षा में गुणवत्ता, उद्यमिता संवर्द्धन और रोजगार सृजन पर विस्तृत चर्चा हुई। पैनल चर्चाओं में मिशन निदेशक पुलकित खरे ने भविष्य की कौशल आवश्यकताओं के अनुरूप नए पाठ्यक्रम आरंभ करने, प्रयोगशालाओं और डिजिटल अधोसंरचना के उन्नयन पर अपने विचार रखे। निदेशक प्रशिक्षण अभिषेक सिंह ने एनएसक्यूएफ, राष्ट्रीय शिक्षा नीति और क्रेडिट फ्रेमवर्क के अनुरूप पाठ्यक्रमों को संरेखित करने के महत्व पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, उद्योग विशेषज्ञों और तकनीकी संस्थानों के प्रतिनिधियों ने बताया कि उद्यमिता, इंटर्नशिप, अप्रेंटिसशिप और इंडस्ट्री-अकादमिक सहयोग को मजबूत करके ही युवाओं को वास्तविक कार्य-परिस्थितियों का अनुभव कराया जा सकता है। प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण, बालिकाओं एवं ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं तक कौशल प्रशिक्षण पहुंचाने, उभरते उद्योगों की मांग के अनुकूल पाठ्यक्रमों को अद्यतन करने, स्टार्टअप एवं इनक्यूबेशन को बढ़ावा देने तथा स्थानीय आर्थिक सहभागिता बढ़ाने पर विशेष जोर दिया गया। प्रतिभागियों ने कहा कि विकसित उत्तर प्रदेश का लक्ष्य तभी साकार होगा जब कौशल विकास को गांव-गांव तक पहुंचाकर सभी वर्गों को समान अवसर प्रदान किए जाएं।
बैठक में विशेष सचिव श्रम  कुणाल सिल्कु,  प्राविधिक शिक्षा महानिदेशक  सेल्वा कुमारी जे., कुलपति एकेटीयू प्रो जेपी पाण्डेय,  निदेशक (प्राविधिक) डीके सिंह, अतिरिक्त निदेशक  राजेन्द्र प्रसाद,  मानपाल सिंह,  संयुक्त निदेशक  योगेन्द्र सिंह,  राम प्रकाश   एवं समस्त उपनिदेशक निदेशालय तथा समस्त सहायक निदेशक निदेशालय, उत्तर प्रदेश के समस्त संयुक्त निदेशक (प्रशि/ शिशिक्षु) एवं प्रधानाचार्य अलीगंज आईटीआई  राज कुमार यादव सहित जनपद लखनऊ के समस्त प्रधानाचार्य एवं अन्य स्टेक होल्डर तथा  अरविन्द कुमार गुप्ता, एसोसियेट डायरेक्ट डेलाइट एवं उनकी पूरी टीम उपस्थित रही।
राज्य के ईको पर्यटन विकास के लिए पर्यटन और वन विभाग की विशेष बैठक
*वन विभाग द्वारा प्रदेश में चिह्नत 52 वेटलैंड्स पर पर्यटन सुविधाओं के विकास पर बनी सहमति-जयवीर सिंह*

लखनऊ ब्यूरो

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में इको टूरिज्म के अंतर्गत कराए जा रहे विभिन्न कार्य और गतिविधियों के मद्देनजर पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह व राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), वन, पर्यावरण, जंतु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार अरुण कुमार सक्सेना की संयुक्त बैठक आज गोमती नगर स्थित पर्यटन निदेशालय में संपन्न हुई। बैठक में प्रदेश के चारों टाइगर रिजर्व, 10 रामसर साइट्स सहित कई वेटलैंड के एकीकृत विकास के निर्देश दिए गए। इसके साथ ही आगामी वर्षों में प्रदेश को वाइल्ड लाइफ टूरिज्म हब के रूप में स्थापित करने की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा हुई।

पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पर्यटन का भविष्य तेज़ी से नए आयाम गढ़ रहा है इसी बदलते परिदृश्य में समग्र पर्यटन विकास, रिस्पांसिबल टूरिज्म और वन एवं पर्यावरण विभाग के सहयोग की भूमिका निर्णायक होगी। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि हमें समस्या नहीं, समाधान की ओर बढ़ना है, इसी सोच के साथ प्रदेश में पर्यटन विकास को अब एकीकृत और भविष्य केंद्रित रूप में आगे बढ़ाया जा रहा है।

बैठक में उत्तर प्रदेश के दुधवा, पीलीभीत, अमानगढ़, रानीपुर टाइगर रिजर्व और 10 रामसर साइट्स नवाबगंज पक्षी अभ्यारण्य (उन्नाव), पार्वती आर्गा पक्षी अभ्यारण्य (गोंडा), समान पक्षी अभ्यारण्य (मैनपुरी), समसपुर पक्षी अभ्यारण्य (रायबरेली), सांडी पक्षी अभ्यारण्य (हरदोई), सरसई नावर झील (इटावा), सूर सरोवर पक्षी विहार (आगरा), ऊपरी गंगा नदी (ब्रजघाट से नरौरा विस्तार), बखिरा वन्यजीव अभ्यारण्य (संत कबीर नगर) और हैदरपुर वेटलैंड (मुजफ्फरनगर) को विश्वस्तरीय इको टूरिज्म मॉडल के रूप में विकसित करने पर केंद्रित चर्चा हुई। इन स्थलों पर आधारभूत संरचना प्रवेश द्वार, नेचर ट्रेल, वॉच टावर, साइनेज, कॉटेज, कैंटीन, गज़ीबो, स्वागत कक्ष और आरओ सहित अन्य सुविधाओं के निर्माण एवं सुदृढ़ीकरण के लिए समुचित वित्तपोषण की आवश्यकता को विस्तृत रूप से रखा गया। बैठक में इको टूरिज्म गाइड, ड्राइवर और हॉस्पिटैलिटी स्टाफ के प्रशिक्षण, पर्यटन स्थलों पर बेहतर साइनेज लगाने और वन विभाग की सहमति से कंसल्टेंट नियुक्त करने जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर भी विमर्श हुआ।

उत्तर प्रदेश सरकार वित्तीय वर्ष 2026-27 में इको-टूरिज्म को नई दिशा देने जा रही है। प्रदेश के महत्वपूर्ण प्राकृतिक स्थलों को विकसित करने की योजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है, जिनमें बरेली के नगर वन और कन्नौज के लाख बहोसी पक्षी विहार को विशेष रूप से उन्नत रूप में संवारने की तैयारी है। बैठक में बर्ड सर्किट सूर सरोवर (आगरा), शेखा झील (अलीगढ़), रपड़ी वेटलैंड (फिरोजाबाद), सरसई नावर (इटावा) तथा लाख बहोसी वेटलैंड (कन्नौज) के समग्र विकास पर भी विस्तृत चर्चा की गई, ताकि इन स्थलों को ‘वन डेस्टिनेशन फॉर टूरिस्ट्स’ के रूप में विकसित किया जा सकता है।

प्रदेश में वेटलैंड आधारित पर्यटन को नई दिशा देने के लिए पर्यटन विभाग और वन विभाग ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन वेटलैंड’ मॉडल पर व्यापक योजना तैयार कर रहे हैं। इसी के अंतर्गत 52 वेटलैंड को चिह्नित किया गया है। इनके समग्र प्रोजेक्शन और उन्हें एकीकृत पर्यटन सर्किट के रूप में संवर्धित करने पर सहमति बनी। जनपद चंदौली स्थित राजदरी-देवदरी वाटरफॉल में ईको टूरिज्म अवस्थापना सुविधाओं के ऑपरेशन एवं मेंटेनेंस के संबंध में चर्चा, वन विभाग के सहयोग से किसी एक रामसर साइट्स पर महोत्सव (बर्ड फेस्टिवल) के आयोजन आदि विषयों पर भी विमर्श हुआ। गोरखपुर प्राणी उद्यान में एम्पीथियेटर, कैंटीन, पार्किंग सहित अन्य अवसंरचना के विकास पर गहनता से चर्चा हुई।
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), वन, पर्यावरण, जंतु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार
अरुण कुमार सक्सेना ने कहा उत्तर प्रदेश के समृद्ध वन्य जीवन और प्राकृतिक धरोहर को संरक्षित करते हुए उसे वैश्विक स्तर पर पर्यटन आकर्षण के रूप में प्रस्तुत करना हमारा मूल उद्देश्य है। इको टूरिज़्म न केवल स्थानीय समुदायों को रोजगार से जोड़ता है, बल्कि प्रकृति संरक्षण के प्रति सामूहिक जिम्मेदारी भी मजबूत करता है। टाइगर रिजर्व, रामसर साइट्स और राज्य के प्रमुख वेटलैंड्स में चल रहे विकास कार्यों से प्रदेश को ‘वाइल्ड लाइफ टूरिज्म हब’ बनाने की दिशा में नई ऊर्जा मिली है। वन विभाग समन्वय के साथ पर्यटन विभाग के प्रयासों को गति देने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि उत्तर प्रदेश प्रकृति-आधारित पर्यटन का राष्ट्रीय मॉडल बन सके।

वन विभाग की ओर से दिल्ली-एनसीआर से सटे ओखला बर्ड सैंक्चुअरी में साइनेज लगाने  के सुझाव और ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर पक्षी विहार में पर्यटक सुविधाओं के विकास का प्रस्ताव रखा गया। पर्यटन मंत्री ने इस पर सहमति जताई। मंत्री द्वय ने कहा कि इन दोनों स्थलों पर बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं, इसलिए उक्त दोनों स्थलों का विकास हमारी प्राथमिकता है।

बैठक में प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति अमृत अभिजात, उत्तर प्रदेश वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुनील चौधरी, महानिदेशक पर्यटन एवं यूपीईटीडीबी के डायरेक्टर (एडमिन) राजेश कुमार, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) बी प्रभाकर, सेक्रेटरी फारेस्ट बी चंद्रकला, यूपी एफसी के एपीपीसीएफ एमडी संजय कुमार, पर्यटन सलाहकार जेपी सिंह सहित वनविभाग, वन निगम तथा पर्यटन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
वार्षिक माध्यमिक एवं इण्टरमीडिएट परीक्षा-2026 हेतु परीक्षा केन्द्रों एवं मूल्यांकन केन्द्रों का चयन करने के लिए जिला चयन समिति की बैठक

उपायुक्त सह जिला दण्डाधिकारी, राँची श्री मंजूनाथ भजन्त्री की अध्यक्षता में आज दिनांक 12 दिसंबर 2025 को समाहरणालय के ब्लॉक-ए स्थित सभागार में JAC द्वारा आयोजित होने वाली वार्षिक माध्यमिक (मैट्रिक) एवं इण्टरमीडिएट (10+2) परीक्षा-2026 के लिए जिला स्तर पर परीक्षा केन्द्रों तथा उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन केन्द्रों के चयन हेतु जिला चयन समिति की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई।

बैठक में उप विकास आयुक्त, राँची, श्री सौरभ कुमार भुवनिया, पुलिस अधीक्षक (नगर), राँची श्री पारस राणा, जिला शिक्षा पदाधिकारी, राँची, श्री विनय कुमार, सांसद प्रतिनिधि, विधायक प्रतिनिधि एवं सम्बंधित पदाधिकारी उपस्थित थे।

बैठक में उपायुक्त श्री भजन्त्री ने निर्देश दिया कि परीक्षा केन्द्रों का चयन पूर्णतः निष्पक्ष, पारदर्शी किसी भी प्रकार की नकल या अनियमितता की कोई गुंजाइश न रहे। उन्होंने कहा कि परीक्षा केन्द्र ऐसे विद्यालयों में बनाए जाएँ जहाँ पर्याप्त संख्या में कक्ष, CCTV कैमरे, पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था, पेयजल एवं शौचालय की सुविधा उपलब्ध हो। साथ ही, परीक्षा केन्द्रों तक पहुँचने के लिए सुगम यातायात व्यवस्था एवं सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम सुनिश्चित किए जाएँ।

बैठक में विभिन्न प्रस्तावित परीक्षा केन्द्रों की सूची पर विचार किया गया। परीक्षार्थीयों कोई असुविधा ना हो इसके लिए कुछ परीक्षा केदो में बदलाव का निर्णय लिया गया है। 

उपस्थित सभी पदाधिकारियों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि परीक्षा-2026 को पूरी तरह पारदर्शी एवं शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न कराना जिला प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

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★ अबुआ साथी-9430328080★

जन शिकायत हेतु रांची जिला प्रशासन का व्हाट्सएप नंबर

★ बाल विवाह मुक्त रांची, हम सब की जिम्मेदारी

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अमेरिका बनाने जा रहा नया ग्रुप, जानें कौन-कौन देश शामिल होगें?

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अमेरिका की सियासी गलियारों में इन दिनों एक नए वैश्विक गठबंधन की चर्चाएं तेज हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कथित तौर पर विश्व शक्तियों का एक नया मोर्चा बनाने की तैयारी में हैं। इस ग्रूप का नाम 'C5' या 'कोर फाइव' हो सकता है, जिसमें दुनिया की 5 बड़ी ताकते एक साथ आ सकती है।

अमेरिका अब G7 से बाहर निकलकर दुनिया की पांच सबसे बड़ी और असरदार ताकतों के साथ एक नया मंच बनाना चाहता है। डोनाल्ड ट्रंप की नई ग्रुपिंग अमेरिका, रूस, चीन, भारत और जापान को एक साथ लाएगी। 'C5' में धन या लोकतंत्र के मानदंडों के बजाय बड़ी आबादी और सैन्य-आर्थिक ताकत वाले देशों पर फोकस होगा।

एनएसएस के ड्राफ्ट में 'C5' का आइडिया

ये अमेरिका की अप्रकाशित नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटर्जी के ड्राफ्ट में लिखा एक आइडिया है। इसे डिफेंस वन और पोलिटिको ने उजागर किया है। अमेरिकी पब्लिकेशन पॉलिटिको के 12 दिसंबर के आर्टिकल के मुताबिक, G7 और G20 जैसे मौजूदा फोरम को नाकाफी बताते हुए, यह मल्टीपोलर वर्ल्ड के लिए नया मंच बनेगा।

किस आधार पर देशों का ग्रुप बनेगा?

इस प्रस्तावित फोरम में वे देश शामिल हैं जिनकी आबादी 10 करोड़ से ज्यादा है और जो भू-राजनीति, सैन्य ताकत और वैश्विक अर्थव्यवस्था में निर्णायक भूमिका रखते हैं। ड्राफ्ट के मुताबिक C5 की पहली बैठक में मिडिल ईस्ट की सुरक्षा पर बात होगी, खासकर इजरायल और सऊदी अरब के रिश्तों को सामान्य करने पर

बढ़ सकती है यूरोप की चिंताएं

अभी तक C-5 पर कोई ऑफिशियल कन्फर्मेशन नहीं है। लेकिन यह ट्रंप की विदेश नीति में बड़ा शिफ्ट दिखाता है, जहां चीन और रूस जैसे प्रतिद्वंद्वियों को टेबल पर लाया जा सकता है। भारत के लिए यह मिडिल ईस्ट और इंडो-पैसिफिक मुद्दों पर नया मौका हो सकता है। ट्रंप के इस कदम से यूरोप की चिंताएं बढ़ सकती है। अमेरिका के सहयोगी इस कदम को रूस को यूरोप से ज्यादा प्राथमिकता देने और पश्चिमी एकता और नाटो के तालमेल को कमजोर करने के तौर पर देखते हैं।

जस्टिस जीआर स्वामीनाथन के समर्थन में आए 56 रिटायर्ड जज, महाभियोग प्रस्ताव की कड़ी निंदा की

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मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन पर महाभियोग प्रस्ताव पेश होने के बाद सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश उनके समर्थन में उतर आए हैं। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के 56 रिटायर्ड जजों ने एक संयुक्त बयान जारी कर मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन के खिलाफ लाए जा रहे महाभियोग प्रस्ताव की कड़ी निंदा की है।

“न्यायपालिका को डराने की कोशिश”

जस्टिस स्वामीनाथन ने तमिलनाडु के मदुरै में तिरुपरनकुंद्रम सुब्रमणिया स्वामी मंदिर के पास पहाड़ी पर पवित्र दीपक जलाने का आदेश दिया था, जिसके बाद विपक्ष उनपर महाभियोग लगाकर उन्हें जज पद से हटाने की मुहिम में जुटा है। जिसके बाद पूर्व जजों ने इस मामले में महाभियोग के प्रस्ताव पर गंभीर आपत्ति जाहिर की है। 56 पूर्व जजों ने अपने बयान में कहा गया है कि कुछ सांसदों और वरिष्ठ वकीलों द्वारा उठाया गया यह कदम राजनीतिक प्रेरित है और इसका उद्देश्य न्यायपालिका को डराना है, जबकि महाभियोग जैसी संवैधानिक प्रक्रिया का इस्तेमाल केवल दुर्लभ और अत्यंत गंभीर मामलों में ही होना चाहिए।

“आपातकाल की याद दिलाता है”

पूर्व जजों ने चेतावनी दी है कि अगर इसे जारी रहने दिया गया, तो यह लोकतंत्र और न्यायपालिका की स्वतंत्रता की जड़ों को ही नष्ट कर देगा। बयान में कहा गया कि जज स्वामीनाथन पर महाभियोग प्रस्ताव पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की सरकार में 1975 में घोषित आपातकाल की याद दिलाता है। जब जजों को प्रताड़ित करने के लिए तमाम तंत्र अपनाए गए थे, जिनमें पदोन्नति को रद्द करना भी शामिल था।

“फैसले अनुकूल नहीं रहे, तो बदनाम करने की कोशिशें”

पूर्व जजों ने पत्र में साफतौर पर कहा कि किसी निर्णय से असहमति हो तो उसका समाधान कानूनी अपील और तर्कपूर्ण आलोचना है न कि न्यायाधीशों को डराने की कोशिश। पूर्व न्यायाधीशों ने यह भी कहा कि हाल के वर्षों में जब-जब अदालतों के फैसले कुछ राजनीतिक हितों के अनुकूल नहीं रहे, तब शीर्ष न्यायाधीशों और प्रमुख न्यायाधीशों को बदनाम करने की कोशिशें हुई हैं।

पूर्व न्यायाधीशों की खास अपील

पूर्व न्यायाधीशों ने सांसदों, बार, नागरिक समाज और आम नागरिकों से अपील की है कि वे ऐसे कदमों को अस्वीकार करें और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को मजबूती से संरक्षित करें। उनका कहना है कि न्यायिक जवाबदेही संवैधानिक मूल्यों और न्यायिक प्रक्रिया के भीतर तय होती है न कि राजनीतिक दबाव या महाभियोग की धमकी से।

जर्जर पड़े प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवन की टीम ने की जांच
कमलेश मेहरोत्रा लहरपुर (सीतापुर)। जिलाधिकारी के निर्देश पर नगर के मोहल्ला बागवानी टोला स्थित जर्जर पड़े प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवन की टीम के द्वारा जांच की गई। शुक्रवार को अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग मिथिलेश कुमार वर्मा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी सुरेश कुमार , उप जिलाधिकारी आकांक्षा गौतम, अधीक्षक डॉक्टर अरविंद बाजपेई, सहायक अभियंता मुदस्सिर हुसैन, अवर अभियंता बाबूराम के द्वारा नगर के मोहल्ला बागवानी टोला स्थित जर्जर पड़े प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण किया गया।

इस मौके पर पालिका परिषद अध्यक्ष हाजी जावेद अहमद, समाजसेवी हसीन अंसारी आदि उपस्थित थे। अधिशासी अभियंता मिथिलेश कुमार वर्मा ने बताया कि जर्जर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का शीघ्र ही ध्वस्ती करण कर  अस्पताल का निर्माण किया जाएगा। ज्ञातव्य है कि इसके पूर्व पालिका परिषद अध्यक्ष हाजी जावेद अहमद के द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी से भेंट कर इस जर्जर प्राथमिक स्वास्थ्य  केंद्र पर महिला चिकित्सालय बनाए जाने की मांग की थी, जिस पर पहले भी जर्जर भवन की टीम के द्वारा जांच की गई थी। इस संबंध में उप जिलाधिकारी आकांक्षा गौतम ने बताया कि ने भूमि पर अवैध कब्जे को लेकर अवैध कब्जे दारों को 3 दिन के अंदर भूमि खाली करने के लिए नोटिस दी जाएगी और स्वास्थ्य केंद्र की भूमि को खाली  कराया जाएगा। शुक्रवार को ही पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता मुदस्सिर हुसैन व अवर अभियंता बाबूराम के द्वारा जर्जर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की नाप जोख भी की गई।
भारतीय राजनीति में उपनामों की परंपरा - डॉ अतुल मलिकराम (राजनीतिक रणनीतिकार)

भारत हो या विश्व का कोई भी देश, राजनीति में राजनेताओं को दिए जाने वाले उपनाम केवल संबोधन के लिए नहीं होते, बल्कि जनता के मन में बसे उनके व्यक्तित्व, योगदान और छवि का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। आज़ादी के पहले या बाद में, यह परंपरा निरंतर चलती रही है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को बच्चे प्यार से चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे। यह उपनाम उनके बच्चों के प्रति विशेष लगाव और उनकी कोमल, सहृदय छवि का प्रतीक बन गया। दूसरी ओर, देश को एकजुट करने वाले प्रथम उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को लौह पुरुष कहा गया। यह उपनाम उनके कठोर इरादों और देश को सैकड़ों रियासतों से जोड़ने की अद्वितीय क्षमता का परिणाम था।

राजनीति में महिला नेतृत्व की पहचान भी उपनामों के माध्यम से ही मजबूत हुई है। भारत की पहली और अब तक की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनके दृढ़ फैसलों और निर्णायक नेतृत्व के कारण आयरन लेडी कहा गया। वहीं तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता को जनता अम्मा के रूप में पूजती थी, क्योंकि उन्होंने कई कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से लोगों तक सीधे लाभ पहुंचाने का काम किया था। इसी तरह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दीदी के नाम से जाना जाता है। यह उपनाम उनकी सादगी और संघर्षशील छवि को दर्शाता है।

बहुजन राजनीति में उपनामों का महत्व और भी अधिक दिखाई देता है। दलित आंदोलन के प्रमुख नेता जगजीवन राम को प्यार से बाबूजी कहा जाता था। उनकी संवेदनशीलता और सिद्धांतवादी राजनीति ने उन्हें देश के सबसे सम्मानित नेताओं में शामिल किया। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को उनकी पार्टी और समर्थकों के बीच बहनजी के नाम से संबोधित किया जाता है, जो उन्हें एक संरक्षक और मार्गदर्शक के रूप में प्रस्तुत करता है। इसके अतिरिक्त डॉ. सोनेलाल पटेल के संदर्भ में दूसरी आज़ादी के महानायक जैसे उपनाम यह सिद्ध करते हैं कि क्षेत्रीय राजनीति में भी नेता केवल अपने संगठनात्मक कौशल से नहीं, बल्कि अपने वैचारिक संघर्षों से जनता में अमिट छाप छोड़ सकते हैं। सामाजिक न्याय को लेकर उनका संघर्ष उन्हें ऐसे नेताओं की श्रेणी में लाता है, जिन्हें लोग किसी विचारधारा की ताकत के रूप में याद करते हैं।

समाजवादी राजनीति में भी यह संस्कृति स्पष्ट रही है। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को उनके अनुयायियों और कार्यकर्ताओं ने नेताजी का दर्जा दिया, क्योंकि वे साधारण कार्यकर्ता से बढ़कर एक बड़े जननेता के रूप में उभरे। वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लोग बुलडोजर बाबा कहकर बुलाने लगे हैं, जहां यह उपनाम उनके जीरो-टॉलरेंस मॉडल और माफिया के खिलाफ कार्रवाई के कारण लोकप्रिय हुआ।

इसी क्रम में समकालीन राजनीति में कुछ और नाम भी विशेष रूप से चर्चित हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनकी सादगीपूर्ण जीवनशैली और आम आदमी वाली छवि के कारण मफलर मैन, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जनता द्वारा स्नेह से मामा, और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उनके प्रशासनिक सुधारों की वजह से सुशासन बाबू कहा जाता है।

यह सभी उदाहरण बताते हैं कि भारत की राजनीतिक संस्कृति में उपनाम केवल संज्ञा नहीं, बल्कि एक प्रतीक होते हैं, जो किसी नेता की विचारधारा, कार्यशैली और जनसंपर्क को समझाने का सरल तरीका समझे जा सकते हैं। यह उपनाम कभी जनता देती है, कभी मीडिया, और कई बार विरोधी दल भी व्यंग्यात्मक रूप से फेंकू या पप्पू जैसे नाम गढ़ते हैं, जो बाद में लोकप्रिय हो जाते हैं।

गुज्जू फिल्म फेस्ट: 10 दिन, 10 हिट फिल्में; हर दिन एक नई गुजराती हिट बिल्कुल मुफ्त, सिर्फ शेमारूमी पर

इस दिसंबर मनाइए गुज्जू फिल्म फेस्ट; हर दिन देखें एक नई गुजराती हिट, बिल्कुल मुफ्त सिर्फ शेमारूमी पर

10 दिन, 10 ब्लॉकबस्टर- 6 से 15 दिसंबर 2025 तक, शेमारूमी पर हर दिन नई गुजराती हिट मुफ्त में हो रही स्ट्रीम

गुजरात, दिसम्बर 2025 : दिसंबर का महीना शेमारूमी ने और भी खास बना दिया है। गुजराती सिनेमा की समृद्ध कला, संस्कृति और मनोरंजन का जश्न मनाते हुए यह प्लेटफॉर्म लेकर आया है ‘गुज्जु फिल्म फेस्ट’, जो 6 दिसंबर, 2025 से शुरू हो चुका है और 15 दिसंबर, 2025 तक चलेगा। इन दस दिनों के दौरान हर दिन एक नई गुजराती सुपरहिट फिल्म बिल्कुल मुफ्त देखने के लिए उपलब्ध है। यह अवसर दर्शकों को, विशेषकर गुजरात के दर्शकों को, उन फिल्मों को फिर से देखने या पहली बार देखने का मौका देता है, जिन्होंने बॉक्स ऑफिस पर न सिर्फ सफलता पाई बल्कि राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर प्रशंसा जीती और दर्शकों के दिलों में जगह बनाई।

इस विशेष महोत्सव में ऐसी फिल्मों का चयन किया गया है, जो गुजराती सिनेमा की विविधता को पूरी तरह दर्शाता है। हर फिल्म गुजरात की किसी न किसी भाव, रंग, परंपरा, हास्य और जीवनशैली को अपने अंदाज़ में पेश करती है। 

हास्य से भरपूर ‘फ़क्त महिलाओं माटे’ में जहाँ एक व्यक्ति को महिलाओं के मन की बातें सुनने की अनोखी शक्ति मिलती है, वहीं ‘झमकुड़ी’ एक रहस्यमयी हवेली में बसे रोमांचक और डरावने अनुभवों को सामने लाती है। ‘बच्चूभाई’ एक बुजुर्ग व्यक्ति की जीवन के नए मोड़ पर शुरू हुई यात्रा को दर्शाती है, जबकि राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता ‘हेलारो’ कच्छ की महिलाओं की मुक्ति, साहस और अभिव्यक्ति की शक्ति को बेहद प्रभावी ढंग से दिखाती है। ‘मिथाडा मेहमान’ रिश्तों और अपनेपन से भरी एक प्यारी कहानी पेश करती है और ‘नाड़ी दोष’ प्रेम और ज्योतिष मान्यताओं के बीच के टकराव को संवेदनशीलता से उभारती है। ‘कच्छ एक्सप्रेस’ एक महिला की आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ती प्रेरक यात्रा को दर्शाती है, वहीं ‘ऑल द बेस्ट पंड्या’ परिवार की हँसी-मज़ाक से भरी उलझनों को मजेदार अंदाज़ में प्रस्तुत करती है। ‘वश’ अपने रोमांचक माहौल और रहस्य से दर्शकों को अंत तक बांधे रखती है और 'उम्बरो’ सात महिलाओं की उस भावनात्मक यात्रा को दिखाती है जहाँ वे अपने भीतर छिपी हिम्मत और खुशियों को नए सिरे से खोजती हैं।

पिछले दस सालों में गुजराती सिनेमा ने कहानी, प्रस्तुति और दर्शकों की पसंद तीनों ही स्तर पर उल्लेखनीय प्रगति की है। इस फेस्टिवल के ज़रिए शेमारूमी का उद्देश्य इस विकास का सम्मान करना और गुजराती कंटेंट को और अधिक लोगों तक बिना किसी बाधा के पहुँचाना है। यह पहल न केवल गुजराती फिल्मों की नई लहर का जश्न है, बल्कि उन दर्शकों के लिए भी एक अवसर है जिन्होंने इन फिल्मों को प्यार दिया और उन्हें लोकप्रिय बनाया।

इन तारीखों पर उपलब्ध फिल्मों की सूची दी गई है:

गुज्जू फिल्म फेस्ट लाइन-अप

10 दिन। 10 मुफ्त फिल्में

6 दिसंबर

झमकुड़ी

7 दिसंबर

बच्चूभाई

8 दिसंबर

हेलारो

9 दिसंबर

मिथाडा मेहमान

10 दिसंबर

नाड़ी दोष

11 दिसंबर

कच्छ एक्सप्रेस

12 दिसंबर

ऑल द बेस्ट पंड्या

13 दिसंबर

वश

14 दिसंबर

उम्बरो

15 दिसंबर

फ़क्त महिलाओं माटे