सड़क सुरक्षा को मजबूत करने तथा दुर्घटनाओं की रोकथाम के उद्देश्य से चलाया अभियान
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*सड़क सुरक्षा के नियमों का उल्लंघन किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं- एआरटीओ प्रशासन
गोण्डा। सड़क सुरक्षा को मजबूत करने तथा दुर्घटनाओं की रोकथाम के उद्देश्य से एआरटीओ (प्रशासन) आर.सी. भारतीय द्वारा विशेष अभियान चलाया गया। यह अभियान मुख्य रूप से गन्ने से लदी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों एवं एआईटीपी बसों में रेट्रो रिफ्लेक्टिव टेप न लगाए जाने की बढ़ती शिकायतों को देखते हुए संचालित किया गया। रेट्रो रिफ्लेक्टिव टेप वाहन की दृश्यता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, विशेषकर रात के समय, जिससे सड़क दुर्घटनाओं की संभावना कम होती है।अभियान के दौरान एआरटीओ प्रशासन ने विभिन्न मार्गों पर वाहनों की चेकिंग की और उन वाहनों को रोका जिनमें नियमानुसार रिफ्लेक्टिव टेप नहीं लगाए गए थे। उन्होंने चालकों और मालिकों को चेतावनी देते हुए स्पष्ट कहा कि सड़क सुरक्षा के नियमों का उल्लंघन किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि ऐसे वाहन जो रिफ्लेक्टिव टेप लगाए बिना सड़कों पर चलते पाए गए, उनके विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।एआरटीओ आर.सी. भारतीय ने वाहन चालकों को यह भी समझाया कि रिफ्लेक्टिव टेप लगाना सिर्फ नियम का पालन भर नहीं, बल्कि उनकी और अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है। कई सड़क दुर्घटनाएं रात के समय वाहनों की कम दृश्यता के कारण होती हैं, जिसे इस टेप के माध्यम से काफी हद तक रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से गन्ना परिवहन करने वाले ट्रैक्टर-ट्रॉलियाँ भारी व लंबे होने के कारण दुर्घटनाओं की दृष्टि से अधिक संवेदनशील होती हैं, इसलिए इन पर रिफ्लेक्टिव टेप लगाना अनिवार्य है।अभियान के दौरान परिवहन विभाग की टीम ने चालकों को जागरूक भी किया और उन्हें नियमों का पालन करने का आग्रह किया। विभाग द्वारा यह भी कहा गया कि भविष्य में ऐसे वाहनों पर निरंतर निगरानी रखी जाएगी और नियम उल्लंघन की स्थिति में जुर्माना एवं अन्य दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। अभियान के दौरान पांच ट्रैक्टर में रिफ्लेक्टर भी लगाया गया तथा एक बस के विरुद्ध कार्रवाई की गई।इस अभियान का मुख्य उद्देश्य सड़क सुरक्षा को सुदृढ़ बनाना, दुर्घटनाओं में कमी लाना तथा लोगों में यातायात नियमों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। परिवहन विभाग ने सभी वाहन चालकों से अपील की है कि वे नियमों का पालन करते हुए सुरक्षित और जिम्मेदार यातायात व्यवस्था बनाने में सहयोग दें।



संजय द्विवेदी प्रयागराज।भारतीय रेल आपके सुरक्षित और आरामदायक सफर के लिए प्रतिबद्ध है।हालांकि हाल ही में चलती यात्री ट्रेनो के डिब्बों में कूड़ेदानों या गलियारो में रखे कूड़े में धुआं उठने और आग लगने की कुछ अप्रिय घटनाएं सामने आई है।ये घटनाएं मुख्य रूप से यात्रियो द्वारा लापरवाही से जलता हुआ सिगरेट/बीड़ी का टुकड़ा माचिस की तीली या ज्वलनशील सामग्री कूड़ेदान में फेंकने के कारण होती है।यह एक अत्यन्त गम्भीर विषय है जो न केवल रेल संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है बल्कि सह-यात्रियो के जीवन को भी खतरे में डाल सकता है।इस सन्दर्भ में सभी रेल यात्रियो से विनम्र निवेदन है कि वे अपनी और सह-यात्रियो की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित निर्देशो का कड़ाई से पालन करें:-1.धूम्रपान सख्त मना है:ट्रेन के भीतर शौचालय और कूड़ेदान के आसपास धूम्रपान(सिगरेट/बीड़ी)करना सख्त वर्जित है।यह न केवल कानूनी अपराध है बल्कि आग लगने का सबसे बड़ा कारण भी है।2.ज्वलनशील सामग्री से बचें:ट्रेन में पटाखे स्टोव मिट्टी का तेल(केरोसिन)गैस सिलेंडर या अन्य ज्वलनशील/विस्फोटक पदार्थ ले जाना दंडनीय अपराध है और बेहद खतरनाक है।3.कूड़ा सावधानी से डालें:कभी भी जलता हुआ सिगरेट/बीड़ी या माचिस की तीली कूड़ेदान में न फेके।सुनिश्चित करें कि कूड़ेदान में डालने से पहले सभी चीजें पूरी तरह से बुझी हुई हो।4.सतर्क रहें और सूचित करें:यदि आप किसी भी सह-यात्री को ट्रेन के अंदर धूम्रपान करते हुए ज्वलनशील सामग्री ले जाते हुए या लापरवाही से जलती हुई वस्तु फेंकते हुए देखते है तो तुरंत ट्रेन स्टाफ (टीटीई गार्ड या पेंट्री स्टाफ)रेल सुरक्षा बल (RPF)या पुलिस को सूचित करे।5.ज्ञात हो कि रेल प्रशासन द्वारा इस तरह की गतिविधियो पर विशेष निगरानी की जा रही है।इस तरह के कृत्य में शामिल होने पर कड़ी दण्डात्मक कार्यवाई भी की जाएगी।किसी भी अप्रिय घटना की सूचना के लिए तत्काल सम्पर्क करे-• अखिल भारतीय सुरक्षा हेल्पलाइन:139 थोड़ी सी सावधानी एक बड़ी दुर्घटना को रोक सकती है।भारतीय रेल आपकी संपत्ति है इसे सुरक्षित रखना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।

मानवाधिकार दिवस पर समावेशी शिक्षा : दिव्यांग शिक्षार्थियों के अधिकार और शिक्षक की भूमिका” विषयक संगोष्ठी
सुलतानपुर,रा.प्र.पी.जी.कॉलेज के बी.एड. विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर “समावेशी शिक्षा : दिव्यांग शिक्षार्थियों के अधिकार और शिक्षक की भूमिका” विषय पर एक सारगर्भित एवं जागरूकता-परक संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ. भारती सिंह ने की। उन्होंने कहा कि समावेशी शिक्षा मानवाधिकारों की सच्ची अभिव्यक्ति है। हर बच्चे के भीतर सीखने की क्षमता होती है, बस शिक्षक को उसे पहचानने और अवसर देने की आवश्यकता होती है।
असिस्टेंट प्रोफेसर शांतिलता कुमारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि दिव्यांगता किसी विद्यार्थी की सीखने की क्षमता को कम नहीं करती; बाधा केवल समाज की सोच और शिक्षण वातावरण में होती है। शिक्षक यदि सहयोगी दृष्टिकोण अपनाएँ, तो कक्षा हर बच्चे के लिए सहज बन सकती है। डॉ. संतोष अंश ने कहा कि समावेशी शिक्षा से ही हम ऐसा समाज बना सकते हैं जहाँ किसी भी बच्चे को उसकी कमी के आधार पर अलग-थलग न किया जाए। शिक्षक ही वह सेतु हैं जो दिव्यांग विद्यार्थियों को मुख्यधारा से जोड़ते हैं।समावेशी शिक्षा केवल कक्षा का विषय नहीं, बल्कि मानवता का दायित्व है ।
दिव्यांग शिक्षार्थियों की राष्ट्र उन्नयन में महती भूमिका है, उसे समावेशी शिक्षा का अधिकार सुलभ कराना शिक्षक और का दायित्व है। उसके अनुकूल विद्यालय का वातावरण होना चाहिये। डॉ. सीमा सिंह ने कहा कि विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों के लिए बहु-संवेदी शिक्षण अत्यधिक प्रभावी होता है। शिक्षकों को लचीली पद्धतियों को अपनाना चाहिए ताकि हर विद्यार्थी समान रूप से सीख सके। बी.एड. द्वितीय वर्ष की आर्चिता सिंह ने कहा कि समावेशी शिक्षा का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि हर बच्चे को सम्मान और सुरक्षा का वातावरण मिले। एक सच्चा शिक्षक वही है जो विद्यार्थी की कमजोरी नहीं, उसकी क्षमता को पहचानता है। अनुभवी सिंह ने कहा कि दिव्यांग शिक्षार्थियों को केवल सहानुभूति की नहीं, अवसर और उपयुक्त संसाधनों की आवश्यकता होती है।




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