करनडीह में संताली 'परसी महा' का ऐतिहासिक समापन: मुख्यमंत्री ने कहा— "ओलचिकी लिपि में पढ़ाई सुनिश्चित करने के लिए सरकार वचनबद्ध"

जमशेदपुर/करनडीह | 29 दिसंबर 2025: दिशोम जाहेर, करनडीह में आयोजित संताली भाषा के सबसे बड़े गौरव दिवस 'परसी महा' और ओलचिकी लिपि के शताब्दी वर्ष समापन समारोह में देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु, राज्यपाल श्री संतोष कुमार गंगवार और मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन एक साथ शामिल हुए।
आदिवासी समाज का मान बढ़ा रही हैं राष्ट्रपति: हेमन्त सोरेन
मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने अपने संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके प्रयासों से आज वैश्विक स्तर पर आदिवासी समाज का मान-सम्मान बढ़ा है। उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति भवन में भी आज हमारी संस्कृति और परंपरा को जो प्रमुख स्थान मिल रहा है, वह माननीय राष्ट्रपति जी की ही पहल का सुखद परिणाम है।"
भाषा और शिक्षा पर बड़ा ऐलान
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान संताली भाषा के संरक्षण हेतु सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा:

ओलचिकी लिपि में शिक्षा: झारखंड में ओलचिकी लिपि के माध्यम से संताली भाषा की पढ़ाई सुनिश्चित करने के लिए सरकार पूरी तरह वचनबद्ध है।
साहित्यकारों का सम्मान: जनजातीय भाषा और साहित्य के विकास में योगदान देने वाले बुद्धिजीवियों को सम्मानित कर सरकार गर्व महसूस कर रही है।
सांस्कृतिक पहचान: सरकार जनजातीय भाषाओं को सुरक्षित और समृद्ध बनाने की दिशा में निरंतर काम कर रही है ताकि आदिवासी समाज की आवाज दूर तक पहुंचे।
पंडित रघुनाथ मुर्मू की विरासत को नमन
ओलचिकी लिपि के आविष्कारक गुरु गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू को श्रद्धांजलि देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 100 वर्ष पहले उन्होंने संताली समाज को जो लिपि दी, उसने समाज को एक अलग पहचान और वजूद दिया। जब तक ओलचिकी लिपि और संताल समाज रहेगा, पंडित रघुनाथ मुर्मू अमर रहेंगे।
प्रमुख हस्तियों की गरिमामय उपस्थिति
समारोह में सांसद एवं ऑल संताली राइटर्स एसोसिएशन के सलाहकार श्री कालीपद सोरेन, एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री लक्ष्मण किस्कू, जाहेर थान कमिटी के अध्यक्ष श्री सीआर मांझी समेत संताली समाज के कई गणमान्य प्रतिनिधि उपस्थित थे।
5 hours ago
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