IITF 2025: झारखंड पवेलियन में वन विभाग का स्टॉल बना आकर्षण का केंद्र; प्राकृतिक शहद, लाह और रेशम के साथ दिख रही 31.8% वन क्षेत्र की समृद्धि

नई दिल्ली: दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) के झारखंड पवेलियन में वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग का स्टॉल आगंतुकों के लिए ज्ञान और उत्पादों का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। लोग यहाँ झारखंड के शुद्ध प्राकृतिक शहद, लाह और रेशम से निर्मित उत्पादों को काफी पसंद कर रहे हैं।

वन क्षेत्र पदा अधिकारी श्री राजेंद्र प्रसाद के अनुसार, झारखंड की भूमि पर 31.8% वन पाए जाते हैं, जिनमें शाल वृक्षों की अधिकता है।
वन उत्पाद और वन्यजीव संरक्षण
विभाग के स्टॉल पर वनों के उत्पादों के प्रसंस्करण और बिक्री की जानकारी दी जा रही है। इस वर्ष, पवेलियन में विशेष रूप से राजमहल के उत्पादों की बिक्री की जा रही है।
विशेष उत्पाद: झारखंड की प्राकृतिक शहद के अलावा, लीची, करंज, वन तुलसी और वाइल्ड हनी जैसी विशेष शहद यहाँ उपलब्ध हैं। इसके अलावा, वनों से ऑर्गैनिक काजू, लाह और बहुमूल्य जड़ी-बूटियाँ (शतावर, कालमेघ, ब्राह्मी आदि) भी प्राप्त होती हैं, जो देश के अन्य कोनों की मांग को पूरा करती हैं।
वन संरक्षण पहल: विभाग मुख्यमंत्री जन वन योजना जैसी परियोजनाओं पर काम कर रहा है और वनों की सुरक्षा के लिए ग्रामीणों को साथ लेकर समितियाँ बनाता है, जिससे पर्यावरण संतुलन बना रहता है।
झारखंड में वन्यजीव संरक्षण
विभाग वन्यजीवों के संरक्षण के लिए भी किए जा रहे कार्यों की जानकारी साझा कर रहा है। झारखंड में वन्यजीवों का संरक्षण इन-सीटू (In-situ) और एक्स-सीटू (Ex-situ) दोनों तरह से किया जाता है।
इन-सीटू संरक्षण के प्रमुख उदाहरणों में पलामू व्याघ्र आरक्ष्य (बेतला), सिंहभूम दलमा गज आरक्ष्य और 11 वन्य प्राणी आश्रयणी शामिल हैं। जबकि एक्स-सीटू संरक्षण (चिड़ियाघर) मूटा मगर प्रजनन केंद्र रांची, बिरसा मृग विहार कालामाटी और भगवान बिरसा जैविक उद्यान ओरमांझी में किया जाता है।
5 hours ago
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