झारखंड के मौसम ने ली नई करवट: शीतलहर थमने से 10 जिलों का पारा 10°C से ऊपर; 23 नवंबर से छा सकते हैं आंशिक बादल

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रांची: झारखंड के मौसम ने 19 नवंबर से नई करवट ली है, जिससे राज्य में शीतलहर का प्रकोप थम गया है और कनकनी कम हो गई है। मौसम केंद्र, रांची के मुताबिक उत्तरी-पूर्वी हवाओं के चलने से यह बदलाव आया है। दो दिन पहले तक राज्य के 10 जिलों का न्यूनतम पारा 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे था, जो अब 10 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया है।

आगामी दिनों का मौसम पूर्वानुमान

22 नवंबर तक: सुबह के वक्त हल्के से मध्यम दर्जे का कोहरा रह सकता है, लेकिन बाद में आसमान साफ रहेगा।

23 नवंबर से 25 नवंबर तक: सुबह को कोहरा या धुंध के बाद आसमान में आंशिक बादल छाए रहने की संभावना है। इस दौरान भी न्यूनतम पारा 10 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहने का अनुमान है।

तापमान की स्थिति

पिछले 24 घंटों में तापमान में महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई है:

न्यूनतम तापमान: गुमला में 10.5 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जबकि दो दिन पहले यह 6.6 डिग्री सेल्सियस था। 19 नवंबर को शाम 5:30 बजे तक डाल्टनगंज में 11.3°C, रांची में 12.4°C, और जमशेदपुर में 13.6°C रिकॉर्ड हुआ।

अधिकतम तापमान: गोड्डा में सबसे ज्यादा अधिकतम तापमान 29.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ है।

लापरवाही से बचने की सलाह

मौसम केंद्र ने राहत के बावजूद राज्यवासियों को एहतियात बरतने की सलाह दी है। सुबह धूप निकलने से पहले और शाम को सूर्य ढलने के बाद ठंड का अहसास जारी रहेगा।

बीपी के मरीजों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।

ठंड से बचाव के लिए गर्म कपड़ों का सेवन करें।

गर्म भोजन का सेवन, व्यायाम, योगा और विटामिन-सी से भरपूर फल/सब्जियों का सेवन करने की सलाह दी गई है, ताकि ब्लड सर्कुलेशन बना रहे।

*सत्यकाम स्कूल ट्रस्टी के वादों पर उठे सवाल, अभिभावकों में नाराज़गी*

मेरठ।सत्यकाम स्कूल द्वारा दिवाली के मौके पर किए गए बड़े-बड़े दावे अब खोखले साबित होते नजर आ रहे हैं। ट्रस्टी और समाजसेविका द्वारा नवंबर माह के लिए बस किराया व ट्यूशन फीस माफ करने का जो “दीवाली गिफ्ट” बताया गया था, वह अभिभावकों को अब तक जमीन पर उतरता दिखाई नहीं दे रहा। इससे स्कूल प्रबंधन पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

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वादे कहाँ गए? अभिभावकों में गहरी नाराज़गी

सितंबर-अक्टूबर में स्कूल ट्रस्टी की ओर से यह घोषणा की गई थी कि नवंबर माह में—

बच्चों की ट्यूशन फीस नहीं ली जाएगी,

स्कूल बस का किराया पूर्णतया माफ रहेगा,

कोई फॉर्म चार्ज या अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा।

यह घोषणा सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर बड़े स्तर पर प्रचारित भी की गई। लेकिन नवंबर आधा बीत जाने के बाद भी अभिभावकों को किसी भी प्रकार की छूट का लाभ नहीं मिला।

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“दिवाली गिफ्ट” निकला फुस्स — अभिभावक ठगा महसूस कर रहे

ट्रस्टी और समाजसेविका द्वारा बड़े उत्साह से किया गया “दिवाली गिफ्ट घोषणा” अब गुमराह करने वाली साबित हो रही है।

अभिभावकों का आरोप है कि—

स्कूल अब भी पूरी ट्यूशन फीस मांग रहा है।

नवम्बर माह का बस किराया भी पहले की तरह वसूल किया जा रहा है।

वादों का कहीं कोई लिखित नोटिस स्कूल की ओर से जारी नहीं किया गया।

इससे अभिभावक कह रहे हैं कि ट्रस्टी द्वारा किया गया प्रचार सिर्फ दिखावा था, जिसका उद्देश्य लोगों को प्रभावित करना भर था।

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“बच्चों को नहीं मिली छूट, वादे हुए टूट — अभिभावकों की लूट जारी”

स्थानीय अभिभावकों का कहना है कि जब वादा किया गया था तो उसे पूरा करना चाहिए था। स्कूल की फीस पहले ही कई परिवारों पर आर्थिक बोझ है, और उस पर झूठे वादों ने लोगों को और निराश किया है।

कुछ अभिभावकों ने यह भी कहा कि—

> “अगर ट्रस्टी ने वादा किया था तो उसे निभाना चाहिए। बिना सोचे-समझे प्रचार करना बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है।”

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कहा जा रहा है कि प्रचार सिर्फ लोकप्रियता बढ़ाने की कोशिश थी

ट्रस्टी की इस घोषणा को कई लोग लोकप्रियता का स्टंट बता रहे हैं।

स्कूल में कोई आधिकारिक मीटिंग नहीं हुई,

न ही किसी नोटिस बोर्ड पर शुल्क माफी का विवरण चस्पा किया गया।

इससे साफ है कि घोषणा सिर्फ शब्दों तक सीमित रह गई और अभिभावकों को इसका कोई वास्तविक लाभ नहीं मिला।

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अभिभावकों की मांग – स्कूल प्रशासन दे स्पष्ट जवाब

अभिभावकों ने प्रशासन से अपील की है कि—

स्कूल ट्रस्ट से इस पर स्पष्ट जवाब तलब किया जाए,

माफी का वादा किया गया था तो लिखित रूप में आदेश जारी किए जाएं,

और यदि यह घोषणा गलत साबित होती है तो ट्रस्टी को जवाबदेह ठहराया जाए।

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निष्कर्ष

सत्यकाम स्कूल का "दिवाली गिफ्ट" फिलहाल संदेह के घेरे में आ गया है। वादे और प्रचार कुछ और कहते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग दिखाई दे रही है। अभिभावकों की नाराज़गी लगातार बढ़ रही है और अब सबकी नजरें स्कूल प्रबंधन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।

*घरेलू सिलेंडरों पर विभाग की ‘चयनात्मक’ कार्रवाई पर उठ रहे सवाल*, *हलवाई कि दुकानों पर क्यों नहीं जाँच*:

मेरठ। शहर में घरेलू गैस सिलेंडरों के अवैध उपयोग पर विभाग की कार्रवाई अब सवालों के घेरे में है। कुछ चुनिंदा स्थानों पर छापेमारी के बाद ऐसा लग रहा है कि विभाग की सक्रियता एक-दो मामलों तक ही सीमित रह गई है, जबकि पूरे शहर में इस खतरे का दायरा कहीं बड़ा है।

हरिया लस्सी पर कार्रवाई, लेकिन बाकी शहर क्यों सुरक्षित?

बीते दिनों लालकुर्ती स्थित हरिया लस्सी पर घरेलु सिलेंडरों के गलत उपयोग को लेकर विभाग ने कार्रवाई करते हुए सिलेंडर जब्त किए। लेकिन इसके बाद विभाग की गतिविधियां अचानक सुस्त पड़ती दिखाई दे रही हैं। सवाल यह उठ रहा है कि एक दुकान पर कार्रवाई कर देना क्या पूरे शहर को सुरक्षित कर देता है? सेंट्रल मार्किट और गुरुद्वारा रोड पर घरेलू सिलेंडरों का खुलेआम इस्तेमाल :

शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्किट और गुरुद्वारा रोड पर अधिकांश फास्ट फूड के ठेले, चाट-स्टॉल और हलवाई की दुकानों में खुलेआम घरेलू सिलेंडरों का उपयोग किया जा रहा है। ये सिलेंडर सिर्फ घरेलू उपयोग के लिए अधिकृत हैं, ऐसे में बाजारों में चल रहा यह प्रयोग न सिर्फ अवैध है बल्कि कभी भी बड़ा हादसा कराने की क्षमता रखता है। साथ हीं सूरजकुंड पार्क के पास लगने वाले ठेलों पर विभाग की नजर क्यों नहीं? ये भी एक सवाल है! सूरजकुंड पार्क के पास शाम होते ही दर्जनों ठेले सजते हैं, जहां खानपान का कारोबार घरेलू सिलेंडरों पर ही चलता है। यहां भी स्थिति कम खतरनाक नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि विभागीय अधिकारी कई बार इस रास्ते से गुजरते हैं, लेकिन कार्रवाई शून्य है।

क्या विभाग शिकायत का इंतजार करता है?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या विभाग स्वयं सघन जांच करेगा या फिर सिर्फ शिकायत आने पर ही एक्टिव होगा? यदि शिकायत-आधारित कार्रवाई ही होनी है, तो शहर में फैल रहे इस गैस-खतरे को रोकना असंभव हो जाएगा।

लोगों का कहना है कि विभाग को चाहिए कि—

सभी बाजारों में सघन अभियान चलाए,

अवैध सिलेंडर उपयोग करने वालों को चेतावनी के साथ नोटिस जारी करे,

और बार-बार दोहराने वालों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।

घरेलू सिलेंडरों का व्यावसायिक उपयोग सिर्फ अवैध नहीं, बल्कि लोगों की जान से खिलवाड़ है। विभाग को चाहिए कि एक-दो जगह की औपचारिक कार्रवाई के बजाय पूरे शहर में समान रूप से जांच अभियान चलाए, ताकि किसी बड़े हादसे को होने से रोका जा सके।

*सुबह 10 से पहले रात 10 बजे के बाद हो रही ओवर रेट पर शराब कि बिक्री,अधिकारी मौन क्यों:*

मेरठ। शहर में कानून व्यवस्था और प्रशासन के दावों को धत्ता बताते हुए शराब माफियाओं का बोलबाला एक बार फिर खुलकर सामने आ गया है। शहर के कई इलाकों में सुबह 10 से पहले और रात 10 बजे के बाद भी खुलेआम शराब बेची जा रही है, और वह भी ओवर रेट पर। सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी गतिविधि के बावजूद आबकारी विभाग और पुलिस मौन क्यों है?

पहले फूलबाग कॉलोनी फिर केंटोमेंट हॉस्पिटल के सामने और अब कुटी पर सुबह हीं बिकती मिली शराब!

कुटी स्थित पेट्रोल पंप के बराबर मे देशी शराब का ठेका सुबह जल्दी व देर रात के समय नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है। जानकारी के अनुसार, यहाँ रात 10 बजे के बाद भी शराब बिक्री जारी रहती है, और ₹ 75 की बोतल ₹90 में बेची जा रही है। स्थानीय लोगों ने कई बार वीडियो साक्ष्यों सहित आबकारी विभाग में शिकायतें दर्ज कराई, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभाई गई। वीडियो सबूतों के बावजूद न तो ओवररेट का चालान हुआ और न ही किसी कर्मचारी पर कार्रवाई। सूत्रों के अनुसार,

ओवर रेट पर चालान की राशि ₹75,000 तय है,

जबकि ओवर टाइम बिक्री पर मात्र ₹5,000 का चालान होता है। ऐसे में अधिकारी ओवररेट को ओवर टाइम बताकर मामूली चालान कर अपनी जिम्मेदारी से बच निकलते हैं। जिसका जीता जागता सबूत केंटमेंट के सामने ठेके कि विडिओ वायरल के बाद हुआ! और यही कारण है कि अवैध बिक्री का खेल अब भी जारी है।

गढ़ अड्डे और कुटी पर खुलेआम शराबखोरी:

फूलबाग ही नहीं, बल्कि गढ़ अड्डा, और शहर के कुछ मुख्य चौराहे भी देर रात शराबियों के अड्डे बन चुके हैं। गढ़ अड्डे के सामने तो खुलेआम सड़क किनारे शराब पी जाती है।

कुछ समय पहले इस मामले में शहर के कप्तान ने सख्ती दिखाते हुए चौकी इंचार्ज को निलंबित किया था, लेकिन कुछ ही दिनों बाद वही हालात दोबारा लौट आए — जो दर्शाता है कि पुलिस की कार्रवाई सिर्फ कागज़ों तक सीमित है।

बाबू डॉन’ और होटल-ढाबों की आड़ में अवैध कारोबार

बस अड्डे के बराबर में चलने वाला ‘बाबू डॉन जूस ठेला’ और गढ़ अड्डे के सामने हिमालय गेस्ट हाउस भी इन दिनों चर्चा में है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह ठेला रात में जूस नहीं, बल्कि शराब परोसने का अड्डा बन जाता है।और होटल गेस्ट हाउस भी अय्याशी के लिए मशहूर है!

इसी तरह हारमोनी होटल के पास और कुटी पेट्रोल पंप के नजदीक भी देर रात शराब की बिक्री होती है। इन स्थानों पर आए दिन लोगों की भीड़ और झगड़े की घटनाएँ होती रहती हैं,

फिर भी प्रशासनिक अमला मानो आँखें मूँदे बैठा है।

प्रशासनिक मिलीभगत या लापरवाही?

शहर के जानकारों का कहना है कि जब इतने वीडियो और शिकायतें प्रशासन के पास पहुँच चुकी हैं, तो कार्रवाई न होने का मतलब है कि कहीं न कहीं अंदरूनी मिलीभगत है।

आबकारी विभाग अधिकारियों की निष्क्रियता ने न केवल कानून व्यवस्था को कमजोर किया है,

बल्कि ईमानदार पुलिसकर्मियों की छवि पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

जनता की माँग – सख्त कार्रवाई हो

स्थानीय नागरिकों और समाजसेवी संगठनों ने आबकारी आयुक्त से तत्काल जांच की माँग की है।

लोगों का कहना है कि—

ओवर रेट और ओवर टाइम में संलिप्त ठेकेदारों पर भारी जुर्माना लगे। संबंधित अधिकारियों की भूमिका की जांच कर निलंबन और विभागीय कार्यवाही की जाए।

रात 10 बजे के बाद शराब बिक्री पर सख्त निगरानी रखी जाए।

मेरठ शहर में शराब का कारोबार अब खुलेआम चुनौती बनता जा रहा है। जहाँ एक ओर जनता सुरक्षा और शांति की उम्मीद करती है, वहीं दूसरी ओर अधिकारी भ्रष्टाचार की चादर ओढ़कर कानून की धज्जियाँ उड़ाने वालों को संरक्षण देते दिख रहे हैं।

> अगर अब भी प्रशासन नहीं जागा, तो मेरठ जल्द ही ‘ओवर रेट और ओवर टाइम के शहर’ के नाम से जाना जाएगा।*

सोनभद्र खनन हादसा: 7 शव बरामद, दर्जन भर फंसे! मजदूर नेता मंगल तिवारी ने सीएम योगी से की भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों जांच की मांग

सोनभद्र। उत्तर प्रदेश: सोनभद्र जिले के बिल्ली-मारकुण्डी घाटी में बीते शनिवार को हुए भयंकर खनन हादसे ने प्रदेश में श्रमिकों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस हृदय विदारक दुर्घटना में बचाव दल द्वारा अब तक 7 मजदूर मृतकों के शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि अभी भी लगभग एक दर्जन मजदूरों के मलबे में फंसे होने की आशंका व्यक्त की जा रही है।

हादसे पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए, मजदूर नेता एवं वरिष्ठ पत्रकार मंगल तिवारी ने इस मामले में गहन जांच की मांग उठाते हुए बड़ा बयान दिया है। उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को संबोधित करते हुए एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने खदानों में होने वाले श्रमिकों की मौत की गहराई से जांच कराने तथा खनन कारोबारियों से लगाए संबंधित विभाग एवं संलिप्त लोगों की संपत्तियों की जांच की मांग की है।

सीएम योगी को पत्र में मुख्य मांगें

मिर्ज़ापुर असंगठित कामगार यूनियन (माकू यूनियन) के महामंत्री मंगल तिवारी ने मुख्यमंत्री से निवेदन भरे शब्दों में कहा है कि यदि उनके प्रत्यक्ष नियंत्रण वाले मंत्रालय में भी कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार तथा अपने पद एवं दायित्वों के प्रति घोर लापरवाही बरती जा रही है, तो अन्य मंत्रालयों की स्थिति का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।

माकू यूनियन ने उत्तर प्रदेश सरकार की शून्य सहनशीलता (Zero Tolerance) नीति पर पूर्ण विश्वास व्यक्त करते हुए निम्नलिखित निष्पक्ष जांचों की मांग की है:

 दोषी अधिकारियों की जांच: खनन विभाग के संबंधित अधिकारी, स्थानीय पुलिस अधिकारी, सहायक निदेशक कारखाना (ADF) तथा श्रम विभाग के संबंधित मॉनिटरिंग अधिकारी (सहायक श्रमायुक्त, उप श्रमायुक्त) की भूमिका एवं दायित्वों की निष्पक्ष जांच कराई जाए।

 संपत्ति की विस्तृत जांच: दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों एवं लीज धारकों की संपत्ति की विस्तृत जांच की जाए।

 स्वतंत्र एजेंसी से जांच: इस घटना सहित विगत दो वर्षों में खनन क्षेत्र में मजदूरों के साथ हुई दुर्घटनाओं एवं मौतों की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए।एनजीटी मानकों पर जांच: मिर्जापुर-सोनभद्र के सभी खनन पट्टों की एनजीटी (NGT) के मानकों के तर्ज पर जांच कराई जाए।

 समान आर्थिक सहायता: सभी दिवंगत श्रमिक आश्रितों को एक समान आर्थिक सहायता मिले।

"यह परिस्थिति शासन-प्रशासन की निगरानी व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न उत्पन्न करती है।"

मंगल तिवारी, मजदूर नेता एवं वरिष्ठ पत्रकार

भविष्य के लिए बड़े आंदोलन की चेतावनी

मंगल तिवारी ने बताया कि माकू यूनियन श्रमिकों के लिए पूर्ण रूप से समर्पित संगठन है, जिसका एकमात्र लक्ष्य श्रमिकों और उनके परिवार का उत्थान, उनको मान सम्मान और अधिकार दिलाना है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यूनियन का उद्देश्य केवल इतना है कि प्रदेश में कार्यरत श्रमिक भाइयों को सुरक्षा का अधिकार मिले तथा इस भीषण घटना में मारे गए श्रमिकों के परिजनों को शीघ्र न्याय मिल सके।

मंगल तिवारी ने बड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि जल्द ही सोनभद्र जिले में श्रमिकों के हक अधिकारों को लेकर एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा, ताकि प्रति वर्ष खदानों में खाक होती मजदूरों की जिंदगी को बचाया जा सके और उन पूँजिपतियों से लेकर सफेदपोशों के कारनामों का भी खुलासा किया जा सके जो इन मजदूरों के कंधों का उपयोग कर अपने लिए सुख-सुविधाएं तो बना लेते हैं लेकिन मजदूरों की जिंदगी जस की तस ही बनी रह जाती है।

जानसठ में चुनावी तैयारी तेज जिलाधिकारी के निर्देश पर बी एल ए की महत्वपूर्ण बैठक ।

ब्रह्म प्रकाश शर्मा

मतदाता सूची पुनरीक्षण में फोटो अनिवार्य, लापरवाही पर होगी सख्त कार्रवाई की --एसडीएम राजकुमार भारती

जानसठ, । जिलाधिकारी उमेश मिश्रा के स्पष्ट निर्देशों के क्रम में एसडीएम जानसठ राजकुमार भारती ने आगामी चुनावों के लिए मतदाता सूची के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम को गति देने हेतु जानसठ तहसील सभागार में आज बूथ लेवल एजेंटों (BLA) की एक महत्वपूर्ण और विस्तृत बैठक आयोजित की गई। प्रशासनिक अधिकारियों ने इस दौरान चुनावी प्रक्रिया की शुचिता बनाए रखने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए और BLA के सहयोग की अपील भी की।

बुधवार को जानसठ तहसील स्थित सभागार में आयोजित बैठक में एसडीएम राजकुमार भारती ने चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए एक नई प्रक्रिया लागू करने पर जोर दिया। BLA को कहा की बीएलओ का सहयोग करें उन्होंने कहा कि वे प्रत्येक मतदाता को गणना पत्रक की दो प्रतियाँ अनिवार्य रूप से प्रदान कराए।और

मतदाता एक प्रति भरकर बीएलओ को सौंपेगा, जबकि दूसरी प्रति मतदाता के पास रिकॉर्ड के रूप में रहेगी। इस प्रक्रिया से प्राप्त डेटा को बीएलओ मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से तुरंत अपलोड किया जाएगा, जिससे डेटा प्रविष्टि की त्रुटियाँ कम होंगी। मतदाता पहचान पत्र को अत्याधुनिक और प्रमाणिक बनाने की दिशा में प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाया है। बैठक में स्पष्ट किया गया कि प्रत्येक मतदाता को अपना वर्तमान पासपोर्ट साइज का फोटो उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा। यह कदम डुप्लीकेसी रोकने और मतदाता की पहचान सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम है। इस विशाल कार्य को समयबद्ध तरीके से पूरा करने हेतु, उपस्थित अधिकारियों ने सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों (BLA) से सक्रिय और निष्ठापूर्ण सहयोग की अपील की। इस अपील पर, सभी BLA ने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए पूर्ण सहयोग का सर्वसम्मत आश्वासन प्रदान किया। प्रशासनिक अधिकारियों ने चुनावी कार्य में शिथिलता बरतने वाले कर्मचारियों के लिए कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने साफ शब्दों में चेताया कि जो बूथ लेवल अधिकारी निर्वाचन आयोग द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार कार्य नहीं कर रहे हैं, उनके विरुद्ध तत्काल और नियमानुसार दंडात्मक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।इस बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जानसठ प्रशासन आगामी चुनावों के लिए एक त्रुटिरहित और अद्यतन मतदाता सूची तैयार करने हेतु पूरी तरह गंभीर है, और इसमें किसी भी स्तर पर लापरवाही स्वीकार्य नहीं होगी। इस दौरान मुख्य रूप से राजनीतिक पार्टियों से योगेंद्र चौधरी प्रेम सिंह कश्यप रामनिवास प्रजापति डॉक्टर अंकित शर्मा गौरव वाल्मीकि मोहम्मद नजर डॉक्टर अली शेर अहमद अंसारी रेशू दीन मोहम्मद दानिश राजेंद्र कुमार सुभाष कुमार इमरान खान रजनीश यादव वीरेंद्र नगर सादिक चौहान शाहनजर अहमद बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

Sambhal अवैध वाहनों पर एक्शन मोड में प्रशासन, संयुक्त चेकिंग अभियान में हड़कंप, चार वाहन सीज

सदर कोतवाली क्षेत्र के चौधरी सराय में बुधवार को एआरटीओ विभाग और यातायात पुलिस की संयुक्त टीम ने अवैध व नियम विरुद्ध वाहनों पर नकेल कसने के लिए सख्त चेकिंग अभियान चलाया। अभियान की कमान खुद एआरटीओ सम्भल अमिताभ चतुर्वेदी और टीआई दुष्यंत कुमार ने संभाली, जिनकी मौजूदगी में टीम ने ई-रिक्शा से लेकर दोपहिया और छोटे वाहनों तक की बारीकी से जांच की।

अभियान के दौरान कई चौंकाने वाली अनियमितताएँ पकड़ में आईं। कुछ ई-रिक्शा चालक क्षमता से कहीं ज्यादा सवारियां ढोते मिले—एक वाहन में 10 तक लोग बैठे हुए पाए गए, जो ओवरलोडिंग की गंभीर श्रेणी में आता है। वहीं कुछ ड्राइवर ई-रिक्शा को बतौर मालवाही इस्तेमाल करते दिखे, जो पूरी तरह अवैध है। टीम ने तुरंत ऐसे वाहनों को रोका और मौके पर कार्रवाई की। एआरटीओ अमिताभ चतुर्वेदी ने बताया कि कई वाहन बिना नंबर प्लेट या पेंटेड नंबर प्लेट के दौड़ते मिले। कुछ ई-रिक्शा बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे थे, जबकि कई वाहनों के पास फिटनेस और अन्य जरूरी कागज़ात तक नहीं थे। हेलमेट न पहनने वालों पर भी कार्रवाई हुई। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा को खतरे में डालने वाले किसी भी वाहन चालक को छोड़ा नहीं जाएगा। अभियान के परिणामस्वरूप अब तक एक दर्जन से ज्यादा चालान काटे गए हैं, जबकि चार वाहन मौके से सीज किए गए। अधिकारी शाम तक इस चेकिंग को जारी रखेंगे। संयुक्त टीम की इस मुहिम से उम्मीद है कि क्षेत्र में अवैध रूप से और बिना अनुमति के दौड़ने वाले वाहनों पर लगाम लगेगी। विभाग ने आम जनता से अपील की है कि वे यातायात नियमों का पालन करें और अपने वाहन के दस्तावेज हमेशा अपडेट रखें।

मिर्जापुर अभिलेखागार राजस्व में दलालों का ठेका प्रथा चरम पर

करणी सेना ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करने की उठाई मांग

मीरजापुर। मिर्जापुर जनपद में राजस्व अभिलेखागार में वर्तमान में ठेकेदारी प्रथा का प्रचलन तेजी से बढ़ गया है । ठेकेदारों द्वारा लंबी लिस्ट लेकर कई भूखंडों के अभिलेखों की जांच का ठेका लिया जा रहा है। जिसके कारण अधिवक्ता अपने मुअक्किल का कार्य संपादित नहीं कर पा रहे हैं । और कई घंटा लाइन में लगने के बाद भी उनका नंबर नहीं आ रहा है।

राजस्व के लेखागार मिर्जापुर में ठेकेदारों द्वारा सुबह 6:00 बजे से ही मुआयना करने के लिए नंबर लग जा रहा है , जबकि कचहरी सुबह 10:00 बजे से खुलता है । और अधिवक्ता जब 10:00 बजे कचहरी आता है तो पता लगता है कि ठेकेदारों द्वारा लंबी लिस्ट लेकर सुबह से ही राजस्व अभिलेखागार ऑफिस को अपने गिरफ्त में कर लिया गया है । इस समस्या के निराकरण को ध्यान में रखकर करणी सेना ने राजस्व अभिलेखागार में एक दिन में केवल एक मुआयना करने का प्रावधान करने के लिए आदेश पारित हो , ऐसा प्रस्ताव और प्रार्थना पत्र जिलाधिकारी को सौंप कर तत्काल इस समस्या के निराकरण की मांग की है।

. विद्यासागर उपाध्याय : दो नये महाग्रंथों के साथ 20 दार्शनिक कृतियों का दिव्य शिखर
संजीव सिंह बलिया| भारतीय बौद्धिक–परंपरा में समय–समय पर ऐसे मनीषी अवतरित होते रहे हैं, जिनकी सोच केवल अपने युग को नहीं, आने वाली सहस्राब्दियों को दिशा देती है। समकालीन भारत में ऐसा ही एक तेजस्वी नाम है—डॉ. विद्यासागर उपाध्याय, जिनके द्वारा लिखित 20 महत्वपूर्ण ग्रंथ भारतीय दर्शन, समाज–चिंतन और राष्ट्रीय विमर्श के क्षेत्र में अमूल्य योगदान हैं। भारतीय ज्ञानपरंपरा के आकाश में यह तारा अत्यन्त उज्ज्वल हो उठा है, जिसे समकालीन युग “विद्या–सरस्वती का जीवंत पुरुष विस्तार” कहकर श्रद्धा प्रकट करता है। डॉ. उपाध्याय के ग्रंथों की विलक्षणता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि अनेक कृतियाँ 800 पृष्ठों के ज्ञान-हिमालय की तरह खड़ी हैं, जबकि अन्य 300 पृष्ठों में भी “गागर में सागर” भर देती हैं। कई ग्रंथों के मूल्य 1000 रुपये से अधिक होने पर भी पाठकों का अटूट अनुराग, उनकी लेखनी की स्वर्ण-तुल्य गुणवत्ता का प्रमाण है। उनके 100 से अधिक शोध-आलेख देश-विदेश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। भारतवर्ष के समस्त प्रान्त व अनेक अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संस्थान उन्हें मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित करते रहे हैं। उनकी ओजस्वी वाणी, व्यापक दृष्टि और विश्लेषण की तीक्ष्णता श्रोताओं पर अमिट छाप छोड़ती है। अब तक उन्हें सैकड़ों राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सम्मान/उपाधि प्राप्त हैं—जो उनकी प्रज्ञा, तपस्या और दार्शनिक ऊँचाई का प्रमाण है। मात्र 39 वर्ष की आयु में 20 दार्शनिक ग्रंथों का विरल शिखर स्पर्श करने वाले, अंतरराष्ट्रीय वक्ता, मौलिक चिंतक, प्रसिद्ध शिक्षाविद् और शोध-प्रज्ञा के आलोक–पुंज डॉ. विद्यासागर उपाध्याय ने वर्तमान में बौद्धिक-जगत को दो महत् वैचारिक नवीन ग्रंथ सौंपकर आधुनिक भारतीय विमर्श को नए आयाम प्रदान किए हैं। नवप्रकाशित दोनो महाग्रंथ— “सत्य कौन? तिलक अथवा आम्बेडकर! : विलुप्त प्रज्ञा का महाकोष”। और “लॉर्ड मैकाले : नायक अथवा खलनायक?” — पहुँचते ही विद्वत्-समाज में गहन बहस, विचार-मंथन और दार्शनिक पुनर्पाठ का सृजन कर चुके हैं। यह दोनों कृतियाँ ऐसी हैं, मानो भारतीय चिंतनभूमि के लिए दो दीप्तिमान वैचारिक यज्ञाहुतियाँ प्रस्तुत हो गई हों। प्रस्तुत निबंध में मैं इन दोनों ग्रंथों के गहन अध्ययन के आधार पर डॉ. उपाध्याय की शोध–दृष्टि, वैचारिक प्रस्तुति, तर्कप्रणाली और उनके विचार–लोक की व्यापकता का समीक्षात्मक विश्लेषण कर रही हूँ। 1. डॉ. विद्यासागर उपाध्याय : परंपरा और आधुनिकता के अद्वितीय सेतु - अध्ययन के दौरान यह तथ्य स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आता है कि डॉ. उपाध्याय न तो परंपरा के अंध–समर्थक हैं और न ही आधुनिकता के अंध–अनुयायी। उनकी लेखनी में परंपरा की आत्मा और आधुनिकता की वैज्ञानिक दृष्टि दोनों साथ–साथ चलती हैं। ऐसे लेखक आज विरले हैं जो प्राचीन भारतीय ग्रंथों—उपनिषदों, धर्मशास्त्रों, न्याय–मीमांसा—की तर्क–शक्ति को आधुनिक राजनीतिक–समाजशास्त्रीय विमर्श के साथ जोड़कर प्रस्तुत करते हों। डॉ. उपाध्याय का यह समन्वय–बोध स्वयं में एक उपलब्धि है। 2. “लॉर्ड मैकाले : नायक अथवा खलनायक?”—इतिहास पर पुनर्विचार का आह्वान - यह एक ऐसी साहसिक बौद्धिक शल्य-क्रिया है, जिसने आधुनिक भारत की शिक्षा-नीति, सांस्कृतिक चेतना और मानसिक रूपांतरण की जटिल परतों को निर्भीकता से उघाड़ दिया है। ग्रंथ में मैकाले की नीतियों के भारतीय मन, सामाजिक ढाँचे और सांस्कृतिक अस्मिता पर पड़े दीर्घकालीन घावों का सुसंगत, निष्पक्ष और अत्यंत मौलिक पुनर्मूल्यांकन किया गया है। लेखक केवल आलोचना नहीं करते, बल्कि उबरने का मार्ग भी प्रदान करते हैं—जो इस कृति की सर्वाधिक विशिष्टता है। वर्तमान भारत में हिन्दी साहित्य के मूर्धन्य विद्वान प्रो. (डॉ.) पुनीत बिसारिया, अधिष्ठाता कला संकाय एवं विभागाध्यक्ष (हिन्दी), बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, इसे “सांस्कृतिक पुनरुत्थान का घोषणापत्र” बताते हुए लिखते हैं कि "डॉ. उपाध्याय की लेखनी इतिहास को केवल तिथियों का दस्तावेज़ नहीं रहने देती, बल्कि भारतीय आत्मा की जीवित आवाज़ बना देती है। न अंधभक्ति, न अंधघृणा—बल्कि संतुलन, तर्क, और भावनात्मक पारदर्शिता—इस कृति को अद्वितीय बनाती है।"इस ग्रंथ का मूल उद्देश्य किसी व्यक्तिविशेष का महिमागान अथवा निंदा करना नहीं, बल्कि मैकाले की शिक्षा–नीति के माध्यम से भारतीय मानसिकता के औपनिवेशिक पुनर्गठन का विश्लेषण करना है। डॉ. उपाध्याय ने यहाँ मात्र इतिहास नहीं बताया; अपितु उन्होंने इतिहास का तर्कसंगत पुनर्पाठ प्रस्तुत किया है। उनका प्रश्न— “क्या अंग्रेज़ी शिक्षा ने भारतीय मन को स्वतंत्र बनाया या परतंत्र?” आज भी प्रासंगिक है। यह पुस्तक न केवल शोधार्थियों के लिए उपयोगी है, बल्कि उन बुद्धिजीवियों के लिए भी अत्यंत आवश्यक है, जो भारतीय शिक्षा–दर्शन की पुनर्स्थापना में रुचि रखते हैं। 3. “सत्य कौन? तिलक अथवा आम्बेडकर!”— विलुप्त प्रज्ञा का वास्तव में महाकोष - यह ग्रंथ आधुनिक भारतीय मनीषा के दो महान विचारकों—लोकमान्य तिलक और डॉ. आम्बेडकर—के विचारों का गहन तुलनात्मक विश्लेषण तो है ही; परंतु इसका वास्तविक वैभव यह है कि इसमें विश्व के चालीस महान दार्शनिकों के दृष्टिकोणों का अद्भुत समन्वय उपस्थित है। बौद्ध दिग्नाग, जैन अकलंकदेव, वेदांती विद्यारण्य, महर्षि रमण, अरविन्द, हेगेल, मेकियावली, एक्विनास, ओशो, स्वामी करपात्री, शोज, फिरदौसी, टैगोर, गाँधी तथा अनगिनत दार्शनिक धाराएँ—सब एक ही वैचारिक पट पर ऐसे संलयित होती हैं, जैसे अनेक पवित्र सरिताएँ अंततः एक ही महासागर में विलीन होती हों। इस वैचारिक महाकोष की मंगल-शुभाशंसा करते हुए आयरलैंड में भारत के राजदूत एवं दर्शन शास्त्र के शीर्ष विद्वान् आई.एफ.एस. डॉ. अखिलेश मिश्र लिखते हैं कि - यह कृति भारतीय ज्ञान-परंपरा के “सत्य–अन्वेषण की अनन्त यात्रा” का अद्भुत दस्तावेज है, जो इन्द्रियातीत सत्ता, आत्मबोध और विश्वमानवता के विराट भाव को पुनर्जीवित करती है। वहीं नेपाल के प्रसिद्ध दार्शनिक विद्यावाचस्पति अजय कुमार झा इसे “विलुप्त प्रज्ञा के पुनरुत्थान का महाग्रंथ” बताते हुए लिखते हैं कि यहाँ झ्वांग-त्ज़ु, बर्द्यायेव, गुरुदास, माइमोनीडीज़, कबीर, रामतीर्थ, पतंजलि और वाचस्पति—सभी के विचार एक ही विश्वदर्शी चेतना में एकाकार हो जाते हैं। यह ग्रंथ डॉ. उपाध्याय की विद्वत्ता का अद्भुत और तेजोमय उदाहरण है जहां उन्होंने तिलक और आम्बेडकर के साथ ही चालीस चिन्तनधाराओं का दार्शनिक, सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक तर्कों का गहन तुलनात्मक विश्लेषण करके गागर में सागर भर दिया है। ऐसा दुर्लभ वैचारिक साहस और व्यापक अध्ययन आज के लेखक–जगत में बहुत कम देखने को मिलता है। ग्रंथ की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि लेखक न तो किसी विचारक का चयनित समर्थन करते हैं, और न ही किसी का पक्षपातपूर्ण खंडन; वे केवल यह पूछते हैं— “सत्य किसके पास है?” यही प्रश्न और उसका प्रामाणिक उत्तर पाठक को विचार–यात्रा पर ले जाता है। 4. शोध–दृष्टि और प्रस्तुति : स्पष्टता, निर्भीकता और तर्क–समृद्धि का समन्वय - डॉ. उपाध्याय की सबसे बड़ी विशेषता है बौद्धिक निर्भीकता। वे जटिल विषयों को सरल बनाकर प्रस्तुत करते हैं, परन्तु सरलता में उथलापन नहीं आने देते। उनके ग्रंथ संदर्भ–समृद्ध, तथ्य–संगत, प्रमाण–निष्ठ और दार्शनिक गहराई से पूर्ण हैं। वाक्य–बंध में साहित्यिक माधुर्य है और तर्क में ऐसी कठोरता जो पाठक को हर पंक्ति पर चिंतन करने को बाध्य करती है। 5. भारतीय चिंतन–जगत में उनका स्थान - समग्रता में देखा जाए तो डॉ. उपाध्याय उन दुर्लभ लेखकों में हैं जो न केवल इतिहास को पुनर्पाठित करते हैं, बल्कि आने वाले कालखंड के लिए विचार–ईंधन भी प्रदान करते हैं। उनके 20 ग्रंथ — दर्शन, समाज, राजनीति, इतिहास, साहित्य— हर क्षेत्र में नवीन दृष्टि का उद्घाटन करते हैं। उनकी लेखनी में ज्ञान की प्रखरता, अध्ययन की व्यापकता, और राष्ट्र–चिंतन की गरिमा स्पष्ट रूप से प्रतिध्वनित होती है। एक अध्येता होने के नाते मैं यह निस्संकोच कह सकती हूँ कि डॉ. विद्यासागर उपाध्याय आज के भारतीय चिंतन–जगत के सबसे प्रभावशाली, सबसे साहसी और सबसे अधिक मौलिक लेखकों में से एक हैं। उनकी नवीनतम कृतियाँ केवल पुस्तकें नहीं— वे विमर्श का आमंत्रण, चिंतन का आलोक, और राष्ट्रीय स्वाभिमान की पुनर्स्मृति हैं। ज्ञान–क्षेत्र में ऐसे तेजस्वी प्रतिभाशाली लेखक का होना भारतीय बौद्धिक परंपरा के लिए एक अत्यंत शुभ संकेत है। दोनों महाग्रंथों के प्रकाशन के साथ यह तथ्य पुनः प्रतिष्ठित हो गया कि डॉ. विद्यासागर उपाध्याय केवल लेखक नहीं, बल्कि भारतीय ज्ञान–परंपरा के जीवंत प्रतिनिधि, मौलिक शोध के अग्रदूत और आधुनिक वैचारिक जगत् के धैर्यवान तपस्वी हैं। उनकी कृतियाँ केवल पठन का विषय नहीं—बल्कि सतत् मनन, विमर्श और आत्मबोध के शाश्वत निमंत्रण हैं। समकालीन भारतीय दर्शन को इन ग्रंथों ने नई ऊँचाई, नई दृष्टि और नया गौरव प्रदान किया है। यह ग्रंथ निस्संदेह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमर वैचारिक दीपस्तम्भ सिद्ध होंगे। समीक्षक डॉ. मणिकर्णिका (NET, JRF, SRF, Ph.D)
लखनऊ में हिंदू नेताओं की रेकी का अाया मामला सामने, गोपाल राय ने जताई सुरक्षा की चिंता
लखनऊ। विश्व हिंदू रक्षा परिषद के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल राय ने मंगलवार को प्रेस वार्ता कर बताया कि दिल्ली विस्फोट मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने पूछताछ में खुलासा किया है कि कई हिंदूवादी नेता उनके निशाने पर थे, जिनमें लखनऊ के कुछ नेता और उनका नाम भी शामिल है।

गोपाल राय ने बताया कि यह जानकारी उन्हें तब मिली जब वह मथुरा में एक कार्यक्रम में शामिल होने गए थे। उसी दौरान इंटेलिजेंस ब्यूरो ने उनसे फोन पर संपर्क कर उनके घर के बाहर नजर आए संदिग्ध व्यक्तियों की तारीख और जानकारी मांगी। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले दो संदिग्ध युवक रात में उनके घर के आसपास देखे गए थे, जिनकी CCTV फुटेज उन्होंने जांच एजेंसियों को दे दी है।

उन्होंने बताया कि संदिग्ध युवक 7 नवंबर की रात दो बार उनके घर के बाहर दिखाई दिए थे। यह फुटेज उन्होंने पुलिस, एलआईयू और आईबी समेत सभी संबंधित अधिकारियों को भेज दी है।

गोपाल राय ने कहा कि वे पहले भी जैश-ए-मोहम्मद के नेटवर्क, आईएसआई एजेंट और धर्मांतरण रैकेट के मामलों का खुलासा कर चुके हैं, इसलिए उन पर खतरा होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें पहले सुरक्षा मिली थी, लेकिन बाद में उसे हटा दिया गया, जबकि जिला सुरक्षा समिति ने पहले एक्स कैटेगरी सुरक्षा की संस्तुति की थी।

उन्होंने बताया कि पहले भी उन पर 2006 वाराणसी और 2015 जम्मू में हमले हो चुके हैं। ऐसे में सुरक्षा हटाया जाना चिंता का विषय है। उन्होंने पूरे मामले की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी है।
झारखंड के मौसम ने ली नई करवट: शीतलहर थमने से 10 जिलों का पारा 10°C से ऊपर; 23 नवंबर से छा सकते हैं आंशिक बादल

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रांची: झारखंड के मौसम ने 19 नवंबर से नई करवट ली है, जिससे राज्य में शीतलहर का प्रकोप थम गया है और कनकनी कम हो गई है। मौसम केंद्र, रांची के मुताबिक उत्तरी-पूर्वी हवाओं के चलने से यह बदलाव आया है। दो दिन पहले तक राज्य के 10 जिलों का न्यूनतम पारा 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे था, जो अब 10 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया है।

आगामी दिनों का मौसम पूर्वानुमान

22 नवंबर तक: सुबह के वक्त हल्के से मध्यम दर्जे का कोहरा रह सकता है, लेकिन बाद में आसमान साफ रहेगा।

23 नवंबर से 25 नवंबर तक: सुबह को कोहरा या धुंध के बाद आसमान में आंशिक बादल छाए रहने की संभावना है। इस दौरान भी न्यूनतम पारा 10 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहने का अनुमान है।

तापमान की स्थिति

पिछले 24 घंटों में तापमान में महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई है:

न्यूनतम तापमान: गुमला में 10.5 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जबकि दो दिन पहले यह 6.6 डिग्री सेल्सियस था। 19 नवंबर को शाम 5:30 बजे तक डाल्टनगंज में 11.3°C, रांची में 12.4°C, और जमशेदपुर में 13.6°C रिकॉर्ड हुआ।

अधिकतम तापमान: गोड्डा में सबसे ज्यादा अधिकतम तापमान 29.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ है।

लापरवाही से बचने की सलाह

मौसम केंद्र ने राहत के बावजूद राज्यवासियों को एहतियात बरतने की सलाह दी है। सुबह धूप निकलने से पहले और शाम को सूर्य ढलने के बाद ठंड का अहसास जारी रहेगा।

बीपी के मरीजों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।

ठंड से बचाव के लिए गर्म कपड़ों का सेवन करें।

गर्म भोजन का सेवन, व्यायाम, योगा और विटामिन-सी से भरपूर फल/सब्जियों का सेवन करने की सलाह दी गई है, ताकि ब्लड सर्कुलेशन बना रहे।

*सत्यकाम स्कूल ट्रस्टी के वादों पर उठे सवाल, अभिभावकों में नाराज़गी*

मेरठ।सत्यकाम स्कूल द्वारा दिवाली के मौके पर किए गए बड़े-बड़े दावे अब खोखले साबित होते नजर आ रहे हैं। ट्रस्टी और समाजसेविका द्वारा नवंबर माह के लिए बस किराया व ट्यूशन फीस माफ करने का जो “दीवाली गिफ्ट” बताया गया था, वह अभिभावकों को अब तक जमीन पर उतरता दिखाई नहीं दे रहा। इससे स्कूल प्रबंधन पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

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वादे कहाँ गए? अभिभावकों में गहरी नाराज़गी

सितंबर-अक्टूबर में स्कूल ट्रस्टी की ओर से यह घोषणा की गई थी कि नवंबर माह में—

बच्चों की ट्यूशन फीस नहीं ली जाएगी,

स्कूल बस का किराया पूर्णतया माफ रहेगा,

कोई फॉर्म चार्ज या अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा।

यह घोषणा सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर बड़े स्तर पर प्रचारित भी की गई। लेकिन नवंबर आधा बीत जाने के बाद भी अभिभावकों को किसी भी प्रकार की छूट का लाभ नहीं मिला।

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“दिवाली गिफ्ट” निकला फुस्स — अभिभावक ठगा महसूस कर रहे

ट्रस्टी और समाजसेविका द्वारा बड़े उत्साह से किया गया “दिवाली गिफ्ट घोषणा” अब गुमराह करने वाली साबित हो रही है।

अभिभावकों का आरोप है कि—

स्कूल अब भी पूरी ट्यूशन फीस मांग रहा है।

नवम्बर माह का बस किराया भी पहले की तरह वसूल किया जा रहा है।

वादों का कहीं कोई लिखित नोटिस स्कूल की ओर से जारी नहीं किया गया।

इससे अभिभावक कह रहे हैं कि ट्रस्टी द्वारा किया गया प्रचार सिर्फ दिखावा था, जिसका उद्देश्य लोगों को प्रभावित करना भर था।

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“बच्चों को नहीं मिली छूट, वादे हुए टूट — अभिभावकों की लूट जारी”

स्थानीय अभिभावकों का कहना है कि जब वादा किया गया था तो उसे पूरा करना चाहिए था। स्कूल की फीस पहले ही कई परिवारों पर आर्थिक बोझ है, और उस पर झूठे वादों ने लोगों को और निराश किया है।

कुछ अभिभावकों ने यह भी कहा कि—

> “अगर ट्रस्टी ने वादा किया था तो उसे निभाना चाहिए। बिना सोचे-समझे प्रचार करना बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है।”

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कहा जा रहा है कि प्रचार सिर्फ लोकप्रियता बढ़ाने की कोशिश थी

ट्रस्टी की इस घोषणा को कई लोग लोकप्रियता का स्टंट बता रहे हैं।

स्कूल में कोई आधिकारिक मीटिंग नहीं हुई,

न ही किसी नोटिस बोर्ड पर शुल्क माफी का विवरण चस्पा किया गया।

इससे साफ है कि घोषणा सिर्फ शब्दों तक सीमित रह गई और अभिभावकों को इसका कोई वास्तविक लाभ नहीं मिला।

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अभिभावकों की मांग – स्कूल प्रशासन दे स्पष्ट जवाब

अभिभावकों ने प्रशासन से अपील की है कि—

स्कूल ट्रस्ट से इस पर स्पष्ट जवाब तलब किया जाए,

माफी का वादा किया गया था तो लिखित रूप में आदेश जारी किए जाएं,

और यदि यह घोषणा गलत साबित होती है तो ट्रस्टी को जवाबदेह ठहराया जाए।

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निष्कर्ष

सत्यकाम स्कूल का "दिवाली गिफ्ट" फिलहाल संदेह के घेरे में आ गया है। वादे और प्रचार कुछ और कहते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग दिखाई दे रही है। अभिभावकों की नाराज़गी लगातार बढ़ रही है और अब सबकी नजरें स्कूल प्रबंधन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।

*घरेलू सिलेंडरों पर विभाग की ‘चयनात्मक’ कार्रवाई पर उठ रहे सवाल*, *हलवाई कि दुकानों पर क्यों नहीं जाँच*:

मेरठ। शहर में घरेलू गैस सिलेंडरों के अवैध उपयोग पर विभाग की कार्रवाई अब सवालों के घेरे में है। कुछ चुनिंदा स्थानों पर छापेमारी के बाद ऐसा लग रहा है कि विभाग की सक्रियता एक-दो मामलों तक ही सीमित रह गई है, जबकि पूरे शहर में इस खतरे का दायरा कहीं बड़ा है।

हरिया लस्सी पर कार्रवाई, लेकिन बाकी शहर क्यों सुरक्षित?

बीते दिनों लालकुर्ती स्थित हरिया लस्सी पर घरेलु सिलेंडरों के गलत उपयोग को लेकर विभाग ने कार्रवाई करते हुए सिलेंडर जब्त किए। लेकिन इसके बाद विभाग की गतिविधियां अचानक सुस्त पड़ती दिखाई दे रही हैं। सवाल यह उठ रहा है कि एक दुकान पर कार्रवाई कर देना क्या पूरे शहर को सुरक्षित कर देता है? सेंट्रल मार्किट और गुरुद्वारा रोड पर घरेलू सिलेंडरों का खुलेआम इस्तेमाल :

शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्किट और गुरुद्वारा रोड पर अधिकांश फास्ट फूड के ठेले, चाट-स्टॉल और हलवाई की दुकानों में खुलेआम घरेलू सिलेंडरों का उपयोग किया जा रहा है। ये सिलेंडर सिर्फ घरेलू उपयोग के लिए अधिकृत हैं, ऐसे में बाजारों में चल रहा यह प्रयोग न सिर्फ अवैध है बल्कि कभी भी बड़ा हादसा कराने की क्षमता रखता है। साथ हीं सूरजकुंड पार्क के पास लगने वाले ठेलों पर विभाग की नजर क्यों नहीं? ये भी एक सवाल है! सूरजकुंड पार्क के पास शाम होते ही दर्जनों ठेले सजते हैं, जहां खानपान का कारोबार घरेलू सिलेंडरों पर ही चलता है। यहां भी स्थिति कम खतरनाक नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि विभागीय अधिकारी कई बार इस रास्ते से गुजरते हैं, लेकिन कार्रवाई शून्य है।

क्या विभाग शिकायत का इंतजार करता है?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या विभाग स्वयं सघन जांच करेगा या फिर सिर्फ शिकायत आने पर ही एक्टिव होगा? यदि शिकायत-आधारित कार्रवाई ही होनी है, तो शहर में फैल रहे इस गैस-खतरे को रोकना असंभव हो जाएगा।

लोगों का कहना है कि विभाग को चाहिए कि—

सभी बाजारों में सघन अभियान चलाए,

अवैध सिलेंडर उपयोग करने वालों को चेतावनी के साथ नोटिस जारी करे,

और बार-बार दोहराने वालों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।

घरेलू सिलेंडरों का व्यावसायिक उपयोग सिर्फ अवैध नहीं, बल्कि लोगों की जान से खिलवाड़ है। विभाग को चाहिए कि एक-दो जगह की औपचारिक कार्रवाई के बजाय पूरे शहर में समान रूप से जांच अभियान चलाए, ताकि किसी बड़े हादसे को होने से रोका जा सके।

*सुबह 10 से पहले रात 10 बजे के बाद हो रही ओवर रेट पर शराब कि बिक्री,अधिकारी मौन क्यों:*

मेरठ। शहर में कानून व्यवस्था और प्रशासन के दावों को धत्ता बताते हुए शराब माफियाओं का बोलबाला एक बार फिर खुलकर सामने आ गया है। शहर के कई इलाकों में सुबह 10 से पहले और रात 10 बजे के बाद भी खुलेआम शराब बेची जा रही है, और वह भी ओवर रेट पर। सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी गतिविधि के बावजूद आबकारी विभाग और पुलिस मौन क्यों है?

पहले फूलबाग कॉलोनी फिर केंटोमेंट हॉस्पिटल के सामने और अब कुटी पर सुबह हीं बिकती मिली शराब!

कुटी स्थित पेट्रोल पंप के बराबर मे देशी शराब का ठेका सुबह जल्दी व देर रात के समय नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है। जानकारी के अनुसार, यहाँ रात 10 बजे के बाद भी शराब बिक्री जारी रहती है, और ₹ 75 की बोतल ₹90 में बेची जा रही है। स्थानीय लोगों ने कई बार वीडियो साक्ष्यों सहित आबकारी विभाग में शिकायतें दर्ज कराई, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभाई गई। वीडियो सबूतों के बावजूद न तो ओवररेट का चालान हुआ और न ही किसी कर्मचारी पर कार्रवाई। सूत्रों के अनुसार,

ओवर रेट पर चालान की राशि ₹75,000 तय है,

जबकि ओवर टाइम बिक्री पर मात्र ₹5,000 का चालान होता है। ऐसे में अधिकारी ओवररेट को ओवर टाइम बताकर मामूली चालान कर अपनी जिम्मेदारी से बच निकलते हैं। जिसका जीता जागता सबूत केंटमेंट के सामने ठेके कि विडिओ वायरल के बाद हुआ! और यही कारण है कि अवैध बिक्री का खेल अब भी जारी है।

गढ़ अड्डे और कुटी पर खुलेआम शराबखोरी:

फूलबाग ही नहीं, बल्कि गढ़ अड्डा, और शहर के कुछ मुख्य चौराहे भी देर रात शराबियों के अड्डे बन चुके हैं। गढ़ अड्डे के सामने तो खुलेआम सड़क किनारे शराब पी जाती है।

कुछ समय पहले इस मामले में शहर के कप्तान ने सख्ती दिखाते हुए चौकी इंचार्ज को निलंबित किया था, लेकिन कुछ ही दिनों बाद वही हालात दोबारा लौट आए — जो दर्शाता है कि पुलिस की कार्रवाई सिर्फ कागज़ों तक सीमित है।

बाबू डॉन’ और होटल-ढाबों की आड़ में अवैध कारोबार

बस अड्डे के बराबर में चलने वाला ‘बाबू डॉन जूस ठेला’ और गढ़ अड्डे के सामने हिमालय गेस्ट हाउस भी इन दिनों चर्चा में है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह ठेला रात में जूस नहीं, बल्कि शराब परोसने का अड्डा बन जाता है।और होटल गेस्ट हाउस भी अय्याशी के लिए मशहूर है!

इसी तरह हारमोनी होटल के पास और कुटी पेट्रोल पंप के नजदीक भी देर रात शराब की बिक्री होती है। इन स्थानों पर आए दिन लोगों की भीड़ और झगड़े की घटनाएँ होती रहती हैं,

फिर भी प्रशासनिक अमला मानो आँखें मूँदे बैठा है।

प्रशासनिक मिलीभगत या लापरवाही?

शहर के जानकारों का कहना है कि जब इतने वीडियो और शिकायतें प्रशासन के पास पहुँच चुकी हैं, तो कार्रवाई न होने का मतलब है कि कहीं न कहीं अंदरूनी मिलीभगत है।

आबकारी विभाग अधिकारियों की निष्क्रियता ने न केवल कानून व्यवस्था को कमजोर किया है,

बल्कि ईमानदार पुलिसकर्मियों की छवि पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

जनता की माँग – सख्त कार्रवाई हो

स्थानीय नागरिकों और समाजसेवी संगठनों ने आबकारी आयुक्त से तत्काल जांच की माँग की है।

लोगों का कहना है कि—

ओवर रेट और ओवर टाइम में संलिप्त ठेकेदारों पर भारी जुर्माना लगे। संबंधित अधिकारियों की भूमिका की जांच कर निलंबन और विभागीय कार्यवाही की जाए।

रात 10 बजे के बाद शराब बिक्री पर सख्त निगरानी रखी जाए।

मेरठ शहर में शराब का कारोबार अब खुलेआम चुनौती बनता जा रहा है। जहाँ एक ओर जनता सुरक्षा और शांति की उम्मीद करती है, वहीं दूसरी ओर अधिकारी भ्रष्टाचार की चादर ओढ़कर कानून की धज्जियाँ उड़ाने वालों को संरक्षण देते दिख रहे हैं।

> अगर अब भी प्रशासन नहीं जागा, तो मेरठ जल्द ही ‘ओवर रेट और ओवर टाइम के शहर’ के नाम से जाना जाएगा।*

सोनभद्र खनन हादसा: 7 शव बरामद, दर्जन भर फंसे! मजदूर नेता मंगल तिवारी ने सीएम योगी से की भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों जांच की मांग

सोनभद्र। उत्तर प्रदेश: सोनभद्र जिले के बिल्ली-मारकुण्डी घाटी में बीते शनिवार को हुए भयंकर खनन हादसे ने प्रदेश में श्रमिकों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस हृदय विदारक दुर्घटना में बचाव दल द्वारा अब तक 7 मजदूर मृतकों के शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि अभी भी लगभग एक दर्जन मजदूरों के मलबे में फंसे होने की आशंका व्यक्त की जा रही है।

हादसे पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए, मजदूर नेता एवं वरिष्ठ पत्रकार मंगल तिवारी ने इस मामले में गहन जांच की मांग उठाते हुए बड़ा बयान दिया है। उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को संबोधित करते हुए एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने खदानों में होने वाले श्रमिकों की मौत की गहराई से जांच कराने तथा खनन कारोबारियों से लगाए संबंधित विभाग एवं संलिप्त लोगों की संपत्तियों की जांच की मांग की है।

सीएम योगी को पत्र में मुख्य मांगें

मिर्ज़ापुर असंगठित कामगार यूनियन (माकू यूनियन) के महामंत्री मंगल तिवारी ने मुख्यमंत्री से निवेदन भरे शब्दों में कहा है कि यदि उनके प्रत्यक्ष नियंत्रण वाले मंत्रालय में भी कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार तथा अपने पद एवं दायित्वों के प्रति घोर लापरवाही बरती जा रही है, तो अन्य मंत्रालयों की स्थिति का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।

माकू यूनियन ने उत्तर प्रदेश सरकार की शून्य सहनशीलता (Zero Tolerance) नीति पर पूर्ण विश्वास व्यक्त करते हुए निम्नलिखित निष्पक्ष जांचों की मांग की है:

 दोषी अधिकारियों की जांच: खनन विभाग के संबंधित अधिकारी, स्थानीय पुलिस अधिकारी, सहायक निदेशक कारखाना (ADF) तथा श्रम विभाग के संबंधित मॉनिटरिंग अधिकारी (सहायक श्रमायुक्त, उप श्रमायुक्त) की भूमिका एवं दायित्वों की निष्पक्ष जांच कराई जाए।

 संपत्ति की विस्तृत जांच: दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों एवं लीज धारकों की संपत्ति की विस्तृत जांच की जाए।

 स्वतंत्र एजेंसी से जांच: इस घटना सहित विगत दो वर्षों में खनन क्षेत्र में मजदूरों के साथ हुई दुर्घटनाओं एवं मौतों की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए।एनजीटी मानकों पर जांच: मिर्जापुर-सोनभद्र के सभी खनन पट्टों की एनजीटी (NGT) के मानकों के तर्ज पर जांच कराई जाए।

 समान आर्थिक सहायता: सभी दिवंगत श्रमिक आश्रितों को एक समान आर्थिक सहायता मिले।

"यह परिस्थिति शासन-प्रशासन की निगरानी व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न उत्पन्न करती है।"

मंगल तिवारी, मजदूर नेता एवं वरिष्ठ पत्रकार

भविष्य के लिए बड़े आंदोलन की चेतावनी

मंगल तिवारी ने बताया कि माकू यूनियन श्रमिकों के लिए पूर्ण रूप से समर्पित संगठन है, जिसका एकमात्र लक्ष्य श्रमिकों और उनके परिवार का उत्थान, उनको मान सम्मान और अधिकार दिलाना है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यूनियन का उद्देश्य केवल इतना है कि प्रदेश में कार्यरत श्रमिक भाइयों को सुरक्षा का अधिकार मिले तथा इस भीषण घटना में मारे गए श्रमिकों के परिजनों को शीघ्र न्याय मिल सके।

मंगल तिवारी ने बड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि जल्द ही सोनभद्र जिले में श्रमिकों के हक अधिकारों को लेकर एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा, ताकि प्रति वर्ष खदानों में खाक होती मजदूरों की जिंदगी को बचाया जा सके और उन पूँजिपतियों से लेकर सफेदपोशों के कारनामों का भी खुलासा किया जा सके जो इन मजदूरों के कंधों का उपयोग कर अपने लिए सुख-सुविधाएं तो बना लेते हैं लेकिन मजदूरों की जिंदगी जस की तस ही बनी रह जाती है।

जानसठ में चुनावी तैयारी तेज जिलाधिकारी के निर्देश पर बी एल ए की महत्वपूर्ण बैठक ।

ब्रह्म प्रकाश शर्मा

मतदाता सूची पुनरीक्षण में फोटो अनिवार्य, लापरवाही पर होगी सख्त कार्रवाई की --एसडीएम राजकुमार भारती

जानसठ, । जिलाधिकारी उमेश मिश्रा के स्पष्ट निर्देशों के क्रम में एसडीएम जानसठ राजकुमार भारती ने आगामी चुनावों के लिए मतदाता सूची के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम को गति देने हेतु जानसठ तहसील सभागार में आज बूथ लेवल एजेंटों (BLA) की एक महत्वपूर्ण और विस्तृत बैठक आयोजित की गई। प्रशासनिक अधिकारियों ने इस दौरान चुनावी प्रक्रिया की शुचिता बनाए रखने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए और BLA के सहयोग की अपील भी की।

बुधवार को जानसठ तहसील स्थित सभागार में आयोजित बैठक में एसडीएम राजकुमार भारती ने चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए एक नई प्रक्रिया लागू करने पर जोर दिया। BLA को कहा की बीएलओ का सहयोग करें उन्होंने कहा कि वे प्रत्येक मतदाता को गणना पत्रक की दो प्रतियाँ अनिवार्य रूप से प्रदान कराए।और

मतदाता एक प्रति भरकर बीएलओ को सौंपेगा, जबकि दूसरी प्रति मतदाता के पास रिकॉर्ड के रूप में रहेगी। इस प्रक्रिया से प्राप्त डेटा को बीएलओ मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से तुरंत अपलोड किया जाएगा, जिससे डेटा प्रविष्टि की त्रुटियाँ कम होंगी। मतदाता पहचान पत्र को अत्याधुनिक और प्रमाणिक बनाने की दिशा में प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाया है। बैठक में स्पष्ट किया गया कि प्रत्येक मतदाता को अपना वर्तमान पासपोर्ट साइज का फोटो उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा। यह कदम डुप्लीकेसी रोकने और मतदाता की पहचान सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम है। इस विशाल कार्य को समयबद्ध तरीके से पूरा करने हेतु, उपस्थित अधिकारियों ने सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों (BLA) से सक्रिय और निष्ठापूर्ण सहयोग की अपील की। इस अपील पर, सभी BLA ने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए पूर्ण सहयोग का सर्वसम्मत आश्वासन प्रदान किया। प्रशासनिक अधिकारियों ने चुनावी कार्य में शिथिलता बरतने वाले कर्मचारियों के लिए कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने साफ शब्दों में चेताया कि जो बूथ लेवल अधिकारी निर्वाचन आयोग द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार कार्य नहीं कर रहे हैं, उनके विरुद्ध तत्काल और नियमानुसार दंडात्मक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।इस बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जानसठ प्रशासन आगामी चुनावों के लिए एक त्रुटिरहित और अद्यतन मतदाता सूची तैयार करने हेतु पूरी तरह गंभीर है, और इसमें किसी भी स्तर पर लापरवाही स्वीकार्य नहीं होगी। इस दौरान मुख्य रूप से राजनीतिक पार्टियों से योगेंद्र चौधरी प्रेम सिंह कश्यप रामनिवास प्रजापति डॉक्टर अंकित शर्मा गौरव वाल्मीकि मोहम्मद नजर डॉक्टर अली शेर अहमद अंसारी रेशू दीन मोहम्मद दानिश राजेंद्र कुमार सुभाष कुमार इमरान खान रजनीश यादव वीरेंद्र नगर सादिक चौहान शाहनजर अहमद बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

Sambhal अवैध वाहनों पर एक्शन मोड में प्रशासन, संयुक्त चेकिंग अभियान में हड़कंप, चार वाहन सीज

सदर कोतवाली क्षेत्र के चौधरी सराय में बुधवार को एआरटीओ विभाग और यातायात पुलिस की संयुक्त टीम ने अवैध व नियम विरुद्ध वाहनों पर नकेल कसने के लिए सख्त चेकिंग अभियान चलाया। अभियान की कमान खुद एआरटीओ सम्भल अमिताभ चतुर्वेदी और टीआई दुष्यंत कुमार ने संभाली, जिनकी मौजूदगी में टीम ने ई-रिक्शा से लेकर दोपहिया और छोटे वाहनों तक की बारीकी से जांच की।

अभियान के दौरान कई चौंकाने वाली अनियमितताएँ पकड़ में आईं। कुछ ई-रिक्शा चालक क्षमता से कहीं ज्यादा सवारियां ढोते मिले—एक वाहन में 10 तक लोग बैठे हुए पाए गए, जो ओवरलोडिंग की गंभीर श्रेणी में आता है। वहीं कुछ ड्राइवर ई-रिक्शा को बतौर मालवाही इस्तेमाल करते दिखे, जो पूरी तरह अवैध है। टीम ने तुरंत ऐसे वाहनों को रोका और मौके पर कार्रवाई की। एआरटीओ अमिताभ चतुर्वेदी ने बताया कि कई वाहन बिना नंबर प्लेट या पेंटेड नंबर प्लेट के दौड़ते मिले। कुछ ई-रिक्शा बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे थे, जबकि कई वाहनों के पास फिटनेस और अन्य जरूरी कागज़ात तक नहीं थे। हेलमेट न पहनने वालों पर भी कार्रवाई हुई। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा को खतरे में डालने वाले किसी भी वाहन चालक को छोड़ा नहीं जाएगा। अभियान के परिणामस्वरूप अब तक एक दर्जन से ज्यादा चालान काटे गए हैं, जबकि चार वाहन मौके से सीज किए गए। अधिकारी शाम तक इस चेकिंग को जारी रखेंगे। संयुक्त टीम की इस मुहिम से उम्मीद है कि क्षेत्र में अवैध रूप से और बिना अनुमति के दौड़ने वाले वाहनों पर लगाम लगेगी। विभाग ने आम जनता से अपील की है कि वे यातायात नियमों का पालन करें और अपने वाहन के दस्तावेज हमेशा अपडेट रखें।

मिर्जापुर अभिलेखागार राजस्व में दलालों का ठेका प्रथा चरम पर

करणी सेना ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करने की उठाई मांग

मीरजापुर। मिर्जापुर जनपद में राजस्व अभिलेखागार में वर्तमान में ठेकेदारी प्रथा का प्रचलन तेजी से बढ़ गया है । ठेकेदारों द्वारा लंबी लिस्ट लेकर कई भूखंडों के अभिलेखों की जांच का ठेका लिया जा रहा है। जिसके कारण अधिवक्ता अपने मुअक्किल का कार्य संपादित नहीं कर पा रहे हैं । और कई घंटा लाइन में लगने के बाद भी उनका नंबर नहीं आ रहा है।

राजस्व के लेखागार मिर्जापुर में ठेकेदारों द्वारा सुबह 6:00 बजे से ही मुआयना करने के लिए नंबर लग जा रहा है , जबकि कचहरी सुबह 10:00 बजे से खुलता है । और अधिवक्ता जब 10:00 बजे कचहरी आता है तो पता लगता है कि ठेकेदारों द्वारा लंबी लिस्ट लेकर सुबह से ही राजस्व अभिलेखागार ऑफिस को अपने गिरफ्त में कर लिया गया है । इस समस्या के निराकरण को ध्यान में रखकर करणी सेना ने राजस्व अभिलेखागार में एक दिन में केवल एक मुआयना करने का प्रावधान करने के लिए आदेश पारित हो , ऐसा प्रस्ताव और प्रार्थना पत्र जिलाधिकारी को सौंप कर तत्काल इस समस्या के निराकरण की मांग की है।

. विद्यासागर उपाध्याय : दो नये महाग्रंथों के साथ 20 दार्शनिक कृतियों का दिव्य शिखर
संजीव सिंह बलिया| भारतीय बौद्धिक–परंपरा में समय–समय पर ऐसे मनीषी अवतरित होते रहे हैं, जिनकी सोच केवल अपने युग को नहीं, आने वाली सहस्राब्दियों को दिशा देती है। समकालीन भारत में ऐसा ही एक तेजस्वी नाम है—डॉ. विद्यासागर उपाध्याय, जिनके द्वारा लिखित 20 महत्वपूर्ण ग्रंथ भारतीय दर्शन, समाज–चिंतन और राष्ट्रीय विमर्श के क्षेत्र में अमूल्य योगदान हैं। भारतीय ज्ञानपरंपरा के आकाश में यह तारा अत्यन्त उज्ज्वल हो उठा है, जिसे समकालीन युग “विद्या–सरस्वती का जीवंत पुरुष विस्तार” कहकर श्रद्धा प्रकट करता है। डॉ. उपाध्याय के ग्रंथों की विलक्षणता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि अनेक कृतियाँ 800 पृष्ठों के ज्ञान-हिमालय की तरह खड़ी हैं, जबकि अन्य 300 पृष्ठों में भी “गागर में सागर” भर देती हैं। कई ग्रंथों के मूल्य 1000 रुपये से अधिक होने पर भी पाठकों का अटूट अनुराग, उनकी लेखनी की स्वर्ण-तुल्य गुणवत्ता का प्रमाण है। उनके 100 से अधिक शोध-आलेख देश-विदेश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। भारतवर्ष के समस्त प्रान्त व अनेक अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संस्थान उन्हें मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित करते रहे हैं। उनकी ओजस्वी वाणी, व्यापक दृष्टि और विश्लेषण की तीक्ष्णता श्रोताओं पर अमिट छाप छोड़ती है। अब तक उन्हें सैकड़ों राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सम्मान/उपाधि प्राप्त हैं—जो उनकी प्रज्ञा, तपस्या और दार्शनिक ऊँचाई का प्रमाण है। मात्र 39 वर्ष की आयु में 20 दार्शनिक ग्रंथों का विरल शिखर स्पर्श करने वाले, अंतरराष्ट्रीय वक्ता, मौलिक चिंतक, प्रसिद्ध शिक्षाविद् और शोध-प्रज्ञा के आलोक–पुंज डॉ. विद्यासागर उपाध्याय ने वर्तमान में बौद्धिक-जगत को दो महत् वैचारिक नवीन ग्रंथ सौंपकर आधुनिक भारतीय विमर्श को नए आयाम प्रदान किए हैं। नवप्रकाशित दोनो महाग्रंथ— “सत्य कौन? तिलक अथवा आम्बेडकर! : विलुप्त प्रज्ञा का महाकोष”। और “लॉर्ड मैकाले : नायक अथवा खलनायक?” — पहुँचते ही विद्वत्-समाज में गहन बहस, विचार-मंथन और दार्शनिक पुनर्पाठ का सृजन कर चुके हैं। यह दोनों कृतियाँ ऐसी हैं, मानो भारतीय चिंतनभूमि के लिए दो दीप्तिमान वैचारिक यज्ञाहुतियाँ प्रस्तुत हो गई हों। प्रस्तुत निबंध में मैं इन दोनों ग्रंथों के गहन अध्ययन के आधार पर डॉ. उपाध्याय की शोध–दृष्टि, वैचारिक प्रस्तुति, तर्कप्रणाली और उनके विचार–लोक की व्यापकता का समीक्षात्मक विश्लेषण कर रही हूँ। 1. डॉ. विद्यासागर उपाध्याय : परंपरा और आधुनिकता के अद्वितीय सेतु - अध्ययन के दौरान यह तथ्य स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आता है कि डॉ. उपाध्याय न तो परंपरा के अंध–समर्थक हैं और न ही आधुनिकता के अंध–अनुयायी। उनकी लेखनी में परंपरा की आत्मा और आधुनिकता की वैज्ञानिक दृष्टि दोनों साथ–साथ चलती हैं। ऐसे लेखक आज विरले हैं जो प्राचीन भारतीय ग्रंथों—उपनिषदों, धर्मशास्त्रों, न्याय–मीमांसा—की तर्क–शक्ति को आधुनिक राजनीतिक–समाजशास्त्रीय विमर्श के साथ जोड़कर प्रस्तुत करते हों। डॉ. उपाध्याय का यह समन्वय–बोध स्वयं में एक उपलब्धि है। 2. “लॉर्ड मैकाले : नायक अथवा खलनायक?”—इतिहास पर पुनर्विचार का आह्वान - यह एक ऐसी साहसिक बौद्धिक शल्य-क्रिया है, जिसने आधुनिक भारत की शिक्षा-नीति, सांस्कृतिक चेतना और मानसिक रूपांतरण की जटिल परतों को निर्भीकता से उघाड़ दिया है। ग्रंथ में मैकाले की नीतियों के भारतीय मन, सामाजिक ढाँचे और सांस्कृतिक अस्मिता पर पड़े दीर्घकालीन घावों का सुसंगत, निष्पक्ष और अत्यंत मौलिक पुनर्मूल्यांकन किया गया है। लेखक केवल आलोचना नहीं करते, बल्कि उबरने का मार्ग भी प्रदान करते हैं—जो इस कृति की सर्वाधिक विशिष्टता है। वर्तमान भारत में हिन्दी साहित्य के मूर्धन्य विद्वान प्रो. (डॉ.) पुनीत बिसारिया, अधिष्ठाता कला संकाय एवं विभागाध्यक्ष (हिन्दी), बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, इसे “सांस्कृतिक पुनरुत्थान का घोषणापत्र” बताते हुए लिखते हैं कि "डॉ. उपाध्याय की लेखनी इतिहास को केवल तिथियों का दस्तावेज़ नहीं रहने देती, बल्कि भारतीय आत्मा की जीवित आवाज़ बना देती है। न अंधभक्ति, न अंधघृणा—बल्कि संतुलन, तर्क, और भावनात्मक पारदर्शिता—इस कृति को अद्वितीय बनाती है।"इस ग्रंथ का मूल उद्देश्य किसी व्यक्तिविशेष का महिमागान अथवा निंदा करना नहीं, बल्कि मैकाले की शिक्षा–नीति के माध्यम से भारतीय मानसिकता के औपनिवेशिक पुनर्गठन का विश्लेषण करना है। डॉ. उपाध्याय ने यहाँ मात्र इतिहास नहीं बताया; अपितु उन्होंने इतिहास का तर्कसंगत पुनर्पाठ प्रस्तुत किया है। उनका प्रश्न— “क्या अंग्रेज़ी शिक्षा ने भारतीय मन को स्वतंत्र बनाया या परतंत्र?” आज भी प्रासंगिक है। यह पुस्तक न केवल शोधार्थियों के लिए उपयोगी है, बल्कि उन बुद्धिजीवियों के लिए भी अत्यंत आवश्यक है, जो भारतीय शिक्षा–दर्शन की पुनर्स्थापना में रुचि रखते हैं। 3. “सत्य कौन? तिलक अथवा आम्बेडकर!”— विलुप्त प्रज्ञा का वास्तव में महाकोष - यह ग्रंथ आधुनिक भारतीय मनीषा के दो महान विचारकों—लोकमान्य तिलक और डॉ. आम्बेडकर—के विचारों का गहन तुलनात्मक विश्लेषण तो है ही; परंतु इसका वास्तविक वैभव यह है कि इसमें विश्व के चालीस महान दार्शनिकों के दृष्टिकोणों का अद्भुत समन्वय उपस्थित है। बौद्ध दिग्नाग, जैन अकलंकदेव, वेदांती विद्यारण्य, महर्षि रमण, अरविन्द, हेगेल, मेकियावली, एक्विनास, ओशो, स्वामी करपात्री, शोज, फिरदौसी, टैगोर, गाँधी तथा अनगिनत दार्शनिक धाराएँ—सब एक ही वैचारिक पट पर ऐसे संलयित होती हैं, जैसे अनेक पवित्र सरिताएँ अंततः एक ही महासागर में विलीन होती हों। इस वैचारिक महाकोष की मंगल-शुभाशंसा करते हुए आयरलैंड में भारत के राजदूत एवं दर्शन शास्त्र के शीर्ष विद्वान् आई.एफ.एस. डॉ. अखिलेश मिश्र लिखते हैं कि - यह कृति भारतीय ज्ञान-परंपरा के “सत्य–अन्वेषण की अनन्त यात्रा” का अद्भुत दस्तावेज है, जो इन्द्रियातीत सत्ता, आत्मबोध और विश्वमानवता के विराट भाव को पुनर्जीवित करती है। वहीं नेपाल के प्रसिद्ध दार्शनिक विद्यावाचस्पति अजय कुमार झा इसे “विलुप्त प्रज्ञा के पुनरुत्थान का महाग्रंथ” बताते हुए लिखते हैं कि यहाँ झ्वांग-त्ज़ु, बर्द्यायेव, गुरुदास, माइमोनीडीज़, कबीर, रामतीर्थ, पतंजलि और वाचस्पति—सभी के विचार एक ही विश्वदर्शी चेतना में एकाकार हो जाते हैं। यह ग्रंथ डॉ. उपाध्याय की विद्वत्ता का अद्भुत और तेजोमय उदाहरण है जहां उन्होंने तिलक और आम्बेडकर के साथ ही चालीस चिन्तनधाराओं का दार्शनिक, सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक तर्कों का गहन तुलनात्मक विश्लेषण करके गागर में सागर भर दिया है। ऐसा दुर्लभ वैचारिक साहस और व्यापक अध्ययन आज के लेखक–जगत में बहुत कम देखने को मिलता है। ग्रंथ की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि लेखक न तो किसी विचारक का चयनित समर्थन करते हैं, और न ही किसी का पक्षपातपूर्ण खंडन; वे केवल यह पूछते हैं— “सत्य किसके पास है?” यही प्रश्न और उसका प्रामाणिक उत्तर पाठक को विचार–यात्रा पर ले जाता है। 4. शोध–दृष्टि और प्रस्तुति : स्पष्टता, निर्भीकता और तर्क–समृद्धि का समन्वय - डॉ. उपाध्याय की सबसे बड़ी विशेषता है बौद्धिक निर्भीकता। वे जटिल विषयों को सरल बनाकर प्रस्तुत करते हैं, परन्तु सरलता में उथलापन नहीं आने देते। उनके ग्रंथ संदर्भ–समृद्ध, तथ्य–संगत, प्रमाण–निष्ठ और दार्शनिक गहराई से पूर्ण हैं। वाक्य–बंध में साहित्यिक माधुर्य है और तर्क में ऐसी कठोरता जो पाठक को हर पंक्ति पर चिंतन करने को बाध्य करती है। 5. भारतीय चिंतन–जगत में उनका स्थान - समग्रता में देखा जाए तो डॉ. उपाध्याय उन दुर्लभ लेखकों में हैं जो न केवल इतिहास को पुनर्पाठित करते हैं, बल्कि आने वाले कालखंड के लिए विचार–ईंधन भी प्रदान करते हैं। उनके 20 ग्रंथ — दर्शन, समाज, राजनीति, इतिहास, साहित्य— हर क्षेत्र में नवीन दृष्टि का उद्घाटन करते हैं। उनकी लेखनी में ज्ञान की प्रखरता, अध्ययन की व्यापकता, और राष्ट्र–चिंतन की गरिमा स्पष्ट रूप से प्रतिध्वनित होती है। एक अध्येता होने के नाते मैं यह निस्संकोच कह सकती हूँ कि डॉ. विद्यासागर उपाध्याय आज के भारतीय चिंतन–जगत के सबसे प्रभावशाली, सबसे साहसी और सबसे अधिक मौलिक लेखकों में से एक हैं। उनकी नवीनतम कृतियाँ केवल पुस्तकें नहीं— वे विमर्श का आमंत्रण, चिंतन का आलोक, और राष्ट्रीय स्वाभिमान की पुनर्स्मृति हैं। ज्ञान–क्षेत्र में ऐसे तेजस्वी प्रतिभाशाली लेखक का होना भारतीय बौद्धिक परंपरा के लिए एक अत्यंत शुभ संकेत है। दोनों महाग्रंथों के प्रकाशन के साथ यह तथ्य पुनः प्रतिष्ठित हो गया कि डॉ. विद्यासागर उपाध्याय केवल लेखक नहीं, बल्कि भारतीय ज्ञान–परंपरा के जीवंत प्रतिनिधि, मौलिक शोध के अग्रदूत और आधुनिक वैचारिक जगत् के धैर्यवान तपस्वी हैं। उनकी कृतियाँ केवल पठन का विषय नहीं—बल्कि सतत् मनन, विमर्श और आत्मबोध के शाश्वत निमंत्रण हैं। समकालीन भारतीय दर्शन को इन ग्रंथों ने नई ऊँचाई, नई दृष्टि और नया गौरव प्रदान किया है। यह ग्रंथ निस्संदेह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमर वैचारिक दीपस्तम्भ सिद्ध होंगे। समीक्षक डॉ. मणिकर्णिका (NET, JRF, SRF, Ph.D)
लखनऊ में हिंदू नेताओं की रेकी का अाया मामला सामने, गोपाल राय ने जताई सुरक्षा की चिंता
लखनऊ। विश्व हिंदू रक्षा परिषद के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल राय ने मंगलवार को प्रेस वार्ता कर बताया कि दिल्ली विस्फोट मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने पूछताछ में खुलासा किया है कि कई हिंदूवादी नेता उनके निशाने पर थे, जिनमें लखनऊ के कुछ नेता और उनका नाम भी शामिल है।

गोपाल राय ने बताया कि यह जानकारी उन्हें तब मिली जब वह मथुरा में एक कार्यक्रम में शामिल होने गए थे। उसी दौरान इंटेलिजेंस ब्यूरो ने उनसे फोन पर संपर्क कर उनके घर के बाहर नजर आए संदिग्ध व्यक्तियों की तारीख और जानकारी मांगी। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले दो संदिग्ध युवक रात में उनके घर के आसपास देखे गए थे, जिनकी CCTV फुटेज उन्होंने जांच एजेंसियों को दे दी है।

उन्होंने बताया कि संदिग्ध युवक 7 नवंबर की रात दो बार उनके घर के बाहर दिखाई दिए थे। यह फुटेज उन्होंने पुलिस, एलआईयू और आईबी समेत सभी संबंधित अधिकारियों को भेज दी है।

गोपाल राय ने कहा कि वे पहले भी जैश-ए-मोहम्मद के नेटवर्क, आईएसआई एजेंट और धर्मांतरण रैकेट के मामलों का खुलासा कर चुके हैं, इसलिए उन पर खतरा होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें पहले सुरक्षा मिली थी, लेकिन बाद में उसे हटा दिया गया, जबकि जिला सुरक्षा समिति ने पहले एक्स कैटेगरी सुरक्षा की संस्तुति की थी।

उन्होंने बताया कि पहले भी उन पर 2006 वाराणसी और 2015 जम्मू में हमले हो चुके हैं। ऐसे में सुरक्षा हटाया जाना चिंता का विषय है। उन्होंने पूरे मामले की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी है।