राजमिस्त्री का बेटा खेलेगा आईपीएल
पंजाब किंग्स ने विशाल निषाद को 30 लाख में खरीदा, संघर्ष से सफलता तक की प्रेरक कहानी गोरखपुर।गोरखपुर के लिए यह गर्व का क्षण है। एक साधारण परिवार से निकलकर गोरखपुर के युवा क्रिकेटर विशाल निषाद ने इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में जगह बनाकर इतिहास रच दिया है। आईपीएल ऑक्शन में पंजाब किंग्स (PBKS) ने विशाल निषाद को उनकी बेस प्राइस 30 लाख रुपये में अपनी टीम में शामिल किया। 21 वर्षीय विशाल एक राइट आर्म मिस्ट्री स्पिन गेंदबाज हैं और अपनी घातक गेंदबाजी के लिए पहचाने जाते हैं। विशाल निषाद बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वह राजघाट थाना क्षेत्र के जंगल अयोध्या प्रसाद लहसड़ी गांव के निवासी हैं। उनके पिता उमेश निषाद पेशे से राजमिस्त्री हैं, जबकि मां सुनीता देवी गृहिणी हैं। आर्थिक तंगी के बावजूद विशाल ने कभी अपने सपनों से समझौता नहीं किया। वह कई बार अपने पिता के साथ मजदूरी के काम में हाथ बंटाते थे, लेकिन दिल में क्रिकेटर बनने का जज्बा हमेशा जिंदा रहा। विशाल की मेहनत और लगन को देखते हुए उनके पिता ने सीमित आय के बावजूद क्रिकेट प्रशिक्षण दिलाने का साहसिक निर्णय लिया। क्रिकेट अकादमी की फीस, किट और आने-जाने के खर्चों को किसी तरह पूरा किया गया। माता-पिता के इस संघर्ष और समर्थन ने विशाल को आगे बढ़ने की ताकत दी। विशाल ने यूपी-टी20 लीग में गोरखपुर लायंस की ओर से खेलते हुए शानदार प्रदर्शन किया। इसी दौरान उन्होंने अनुभवी बल्लेबाज नीतीश राणा को पवेलियन भेजकर क्रिकेट विशेषज्ञों का ध्यान अपनी ओर खींचा। उनकी जादुई मिस्ट्री स्पिन गेंदबाजी के चलते यह माना जाने लगा था कि आईपीएल में उन पर जरूर बोली लगेगी। वर्तमान में विशाल संस्कृति क्रिकेट एकेडमी में प्रशिक्षण ले रहे हैं, जहां उन्हें कोच कल्याण सिंह का मार्गदर्शन मिल रहा है। कोच का कहना है कि विशाल में एक बड़े खिलाड़ी बनने की पूरी क्षमता है और आने वाले समय में वह पंजाब किंग्स के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकते हैं। आईपीएल में चयन की खबर जैसे ही गांव पहुंची, पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई। लोगों ने मिठाइयां बांटी और विशाल की सफलता को संघर्ष और मेहनत की जीत बताया। विशाल निषाद आज हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।
झुग्गी-झोपड़ीवासियों के वेरिफिकेशन से मचा हड़कंप

*फुटपाथ दुकानदारों ने डीएम कार्यालय पहुंचकर सौंपा ज्ञापन, प्रशासन ने स्पष्ट की स्थिति*

गोरखपुर। शहर के विभिन्न इलाकों—जटाशंकर गुरुद्वारे के सामने, रेलवे स्टेशन के सामने सहित अन्य प्रमुख स्थानों पर अवैध तरीके से झुग्गी-झोपड़ी डालकर रह रहे लोगों और फुटपाथ पर दुकान लगाने वालों का मामला एक बार फिर चर्चा में है। वर्षों से इन स्थानों पर रह रहे इन लोगों के बारे में न तो यह स्पष्ट है कि वे किस जनपद, किस प्रदेश अथवा किस देश के निवासी हैं और न ही अब तक उनका समुचित सत्यापन किया गया है। शासन के निर्देश के बाद पुलिस प्रशासन द्वारा वेरिफिकेशन अभियान शुरू होते ही इन झुग्गी-झोपड़ीवासियों की परेशानियां बढ़ गई हैं। इसी क्रम में आज सैकड़ों महिलाएं और पुरुष जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे और डीएम कार्यालय में ड्यूटी पर तैनात अधिकारी (डे अफसर) को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि वे लोग माध्यमिक शिक्षा परिषद क्षेत्रीय कार्यालय, कैंपस रोड के पास प्रत्येक मंगलवार को अपनी दुकान लगाकर रोजी-रोटी का इंतजाम करते थे, लेकिन अब पुलिस द्वारा उन्हें वहां से हटाया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि पुलिस यह स्पष्ट नहीं कर रही है कि उन्हें किस कारण से हटाया जा रहा है, जिससे उनमें भय और असमंजस की स्थिति बनी हुई है। डीएम कार्यालय में मौजूद ड्यूटी अफसर ने इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि शासन के निर्देश पर पुलिस प्रशासन शहर में अवैध रूप से रह रहे लोगों का सत्यापन कर रहा है। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि जो भी व्यक्ति जिस जनपद, प्रदेश या स्थान का निवासी है, उसका वैध साक्ष्य पुलिस विभाग को उपलब्ध कराए। वेरिफिकेशन पूरा होने के बाद वे नियमानुसार अपनी दुकान लगाकर रोजी-रोटी चला सकते हैं और किसी को अनावश्यक रूप से परेशान नहीं किया जाएगा। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, जटाशंकर गुरुद्वारे के सामने और रेलवे स्टेशन के आसपास वर्षों से बड़ी संख्या में लोग झुग्गी-झोपड़ी डालकर रह रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि इतने लंबे समय तक रहने के बावजूद अब तक उनका विधिवत सत्यापन नहीं कराया गया। अब जब शासन के निर्देश पर पुलिस प्रशासन सक्रिय हुआ है और पहचान व पते की जांच शुरू की गई है, तो स्वाभाविक रूप से इन लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जांच के दौरान कुछ ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जिनमें झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों ने कथित तौर पर फर्जी तरीके से अपने नाम मतदाता सूची में दर्ज करवा लिए हैं। डीएम कार्यालय पहुंचे कुछ लोगों ने दावा किया कि उनके पास राशन कार्ड है और वोटर लिस्ट में भी उनका नाम दर्ज है। किसी ने खुद को गुजरात का निवासी बताया, तो किसी ने मेरठ अथवा अन्य जनपदों का रहने वाला होने की बात कही। अलग-अलग बयानों से प्रशासन के सामने कई सवाल खड़े हो गए हैं। प्रशासन अब यह जांच कर रहा है कि आखिर इन लोगों ने राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र किस आधार पर और किन प्रक्रियाओं के तहत बनवाए। इसके लिए संबंधित विभागों से रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं और जरूरत पड़ने पर दस्तावेजों की गहन जांच कराई जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि यदि किसी प्रकार की अनियमितता या फर्जीवाड़ा सामने आता है, तो जिम्मेदारों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। पुलिस और प्रशासन का स्पष्ट कहना है कि किसी को भी बिना कारण परेशान करने का उद्देश्य नहीं है, लेकिन शहर की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था और प्रशासनिक पारदर्शिता के लिए यह जरूरी है कि शहर में रह रहे प्रत्येक व्यक्ति की पहचान और पृष्ठभूमि स्पष्ट हो। सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने के बाद पात्र लोगों को नियमों के तहत जीवनयापन करने की अनुमति दी जाएगी, जबकि अवैध रूप से रह रहे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल यह मामला गोरखपुर में चर्चा का विषय बना हुआ है और प्रशासनिक जांच के नतीजों पर सबकी नजर टिकी है।
एनटीपीसी ने 85.5 गीगावाट से अधिक की कमर्शियल क्षमता हासिल की

नई दिल्ली, 17 दिसंबर 2025: एनटीपीसी ने आज गुजरात और राजस्थान में अपनी सब्सिडियरी कंपनियों के विभिन्न सोलर प्रोजेक्ट्स के माध्यम से 359.58 मेगावाट की नई कमर्शियल क्षमता जुड़ने की घोषणा की है। इसके साथ ही एनटीपीसी ग्रुप की कुल कमर्शियल क्षमता 85.5 गीगावाट से अधिक हो गई है

एनटीपीसी ने आज अपनी सब्सिडियरी एनजीईएल के माध्यम से एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड के गुजरात स्थित 1255 मेगावाट के खावड़ा-1 सोलर पीवी प्रोजेक्ट की 243.66 मेगावाट आंशिक क्षमता के वाणिज्यिक संचालन (COD- कमर्शियल ऑपरेशन डेट) की घोषणा की।

इसके अलावा, कंपनी ने राजस्थान में एनटीपीसी के नोख सोलर पीवी प्रोजेक्ट (3×245 मेगावाट) की कुल 245 मेगावाट क्षमता में से 78 मेगावाट के वाणिज्यिक संचालन (COD) की घोषणा की।

कंपनी ने एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड (NTPC REL) के गुजरात में स्थित 450 मेगावाट हाइब्रिड ट्रेंच-V प्रोजेक्ट के तहत खावड़ा सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट की कुल 300 मेगावाट क्षमता में से 37.925 मेगावाट की आंशिक क्षमता का वाणिज्यिक संचालन (COD) भी घोषित किया है।

इसके साथ ही एनटीपीसी समूह की कुल स्थापित एवं वाणिज्यिक क्षमता बढ़कर 85,541 मेगावाट तक पहुँच गई है।

एनटीपीसी लिमिटेड देश की कुल बिजली जरूरतों का लगभग एक-चौथाई योगदान दे रही है। कंपनी की कुल स्थापित क्षमता 85 गीगावाट से अधिक है, जबकि 30.90 गीगावाट अतिरिक्त क्षमता निर्माणाधीन है, जिसमें 13.3 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता शामिल है। एनटीपीसी वर्ष 2032 तक 60 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे भारत के नेट ज़ीरो लक्ष्यों को मजबूती मिलेगी।

थर्मल, हाइड्रो, सोलर और विंड पावर प्लांट्स के विविध पोर्टफोलियो के साथ एनटीपीसी देश को भरोसेमंद, किफायती और सस्टेनेबल बिजली उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। कंपनी बेहतर भविष्य के लिए सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को अपनाने, नवाचार को बढ़ावा देने और स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों को अपनाने पर लगातार काम कर रही है

बिजली उत्पादन के अलावा, एनटीपीसी ने कई नए व्यवसाय क्षेत्रों में भी कदम रखा है, जिनमें ई-मोबिलिटी, बैटरी स्टोरेज, पंप्ड हाइड्रो स्टोरेज, वेस्ट-टू-एनर्जी, न्यूक्लियर पावर और ग्रीन हाइड्रोजन सॉल्यूशंस शामिल हैं।

काकोरी ट्रेन एक्शन नायकों की स्मृति में ‘शहादत से शहादत तक’ तीन दिवसीय आयोजन
गोरखपुर: महुआ डाबर संग्रहालय, बस्ती द्वारा काकोरी ट्रेन एक्शन के महानायक राजेंद्रनाथ लाहिड़ी के बलिदान दिवस से लेकर ठाकुर रोशन सिंह के बलिदान दिवस तक ‘शहादत से शहादत तक’ शीर्षक से तीन दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ गोरखपुर स्थित रामप्रसाद बिस्मिल स्मारक स्थल से हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन जेलर अरुण कुमार कुशवाहा ने शहीद रामप्रसाद बिस्मिल की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर एवं दीप प्रज्वलन कर किया। इसके पश्चात दुर्लभ ऐतिहासिक दस्तावेजों की प्रदर्शनी का अवलोकन कराया गया। मुख्य अतिथि अरुण कुमार कुशवाहा ने अपने उद्बोधन में कहा कि क्रांतिकारियों का बलिदान केवल इतिहास नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की प्रेरक शक्ति है, जिसे नई पीढ़ी तक पहुंचाना हम सभी की जिम्मेदारी है। इस अवसर पर जेल अधीक्षक दिलीप कुमार पांडे ने काकोरी ट्रेन एक्शन से जुड़े दुर्लभ दस्तावेजों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। कार्यक्रम में शहर के गणमान्य नागरिकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में सहभागिता की तथा चर्चा सत्र में सक्रिय रूप से भाग लिया। नगर निगम कार्यकारिणी सदस्य एवं पार्षद विजेंद्र अग्रही मंगल ने कार्यक्रम का परिचय देते हुए आमजन से ऐसे आयोजनों से जुड़ने की अपील की। चर्चा सत्र में डॉ. पवन कुमार, ऋषि विश्वकर्मा, हरगोविंद प्रवाह, मारुतिनंदन चतुर्वेदी, सुरेंद्र कुमार, संजू चौधरी, सलमान, विकास निषाद, ध्वज चतुर्वेदी, आकाश विश्वकर्मा, दीपक शर्मा, इमरान खान, अरसद, असलम सहित अनेक लोगों ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन करते हुए संयोजक अविनाश कुमार गुप्ता ने बताया कि 18 और 19 दिसंबर को यह आयोजन काकोरी के नायक ठाकुर रोशन सिंह एवं चंद्रशेखर आज़ाद की स्मृति में प्रयागराज (इलाहाबाद) में आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के स्वर्णिम इतिहास में दर्ज महान क्रांतिवीर रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ और उनके साथियों के विचारों, योजनाओं और बलिदान को सही संदर्भ में स्मरण करना अत्यंत आवश्यक है। काकोरी एक्शन और भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन का वास्तविक इतिहास जानना नई पीढ़ी का अधिकार है, ताकि वे समझ सकें कि आज़ादी की नींव कितने अनमोल बलिदानों पर टिकी है। चर्चा सत्र में भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के विद्वान एवं महुआ डाबर संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राणा ने रामप्रसाद बिस्मिल की वंशावली पर प्रकाश डालते हुए बताया कि ग्वालियर रियासत अंतर्गत तोमरधार के बरबाई गांव के निवासी रामप्रसाद बिस्मिल के परदादा ठाकुर अमान सिंह तोमर राजपूत थे। उनके दादा ठाकुर नारायण लाल सिंह एवं दादी विचित्रा देवी थीं। पिता ठाकुर मुरलीधर सिंह और चाचा ठाकुर कल्याणमल सिंह थे, जबकि माता का नाम मूलमति देवी था। रामप्रसाद बिस्मिल के पिता मुरलीधर सिंह का विवाह पिनाहट के समीप छदामीपुरा में हुआ था। बिस्मिल जी का ननिहाल पिनाहट के पास जोधपुरा गांव में परिहार ठाकुरों के यहां था। उनके बड़े भाई का जन्म 1896 में हुआ था, जिनका दुर्भाग्यवश निधन हो गया। बिस्मिल जी दो भाइयों और चार बहनों में से थे। मुरलीधर सिंह के दूसरे पुत्र के रूप में रामप्रसाद बिस्मिल का जन्म 11 जून 1897 को उनके ननिहाल में हुआ। कुछ वर्ष बाद वे शाहजहांपुर आ गए। बिस्मिल जी के भाई का नाम रमेश सिंह उर्फ सुशीलचंद्र था। बहनों में शास्त्री देवी, ब्रह्मा देवी और भगवती देवी थीं। शास्त्री देवी का विवाह मैनपुरी के कोसमा क्षेत्र में जादौन ठाकुर परिवार में हुआ था। उनके पति का निधन 1989 में हुआ। शास्त्री देवी के पुत्र हरिश्चंद्र सिंह जादौन का विवाह मैनपुरी के छिरोड़ गांव में हुआ। दूसरी बहन ब्रह्मा देवी का विवाह मैनपुरी जिले के कुचेला गांव में हुआ था। करीब ग्यारह वर्षों तक स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी जवानी समर्पित करने वाले क्रांतियोद्धा रामप्रसाद बिस्मिल की धमनियों में चंबल के बांकपन का ज्वार सदा प्रवाहित रहा। आनंद प्रकाश, रुद्रराम, परमहंस, मास्टर, महाशय और महंत उनके छद्म नाम थे। उनके व्यक्तित्व में क्रांतिकारी सेनानायक, लेखक, अनुवादक, शायर, वक्ता और रणनीतिकार जैसे अनेक आयाम समाहित थे। अमर योद्धा बिस्मिल क्रांति की वह ज्वाला थे, जिसने अनगिनत मशालों को प्रज्वलित किया। प्रदर्शनी में महुआ डाबर संग्रहालय में संरक्षित अनेक दुर्लभ दस्तावेज प्रदर्शित किए गए हैं। इनमें सप्लीमेंट्री काकोरी षड्यंत्र केस की जजमेंट फाइल, चीफ कोर्ट ऑफ अवध का निर्णय पत्र, प्रिवी काउंसिल लंदन की अपील फाइल, मिशन स्कूल शाहजहांपुर का छात्र रजिस्टर, फैजाबाद एवं गोंडा कारागार के बंदी विवरण, काकोरी ट्रेन एक्शन से प्राप्त धनराशि का रिकॉर्ड, गिरफ्तारी विवरण, क्रांतिकारियों की हस्तलिखित डायरियां, काकोरी केस की चार्जशीट, खुफिया अधीक्षक की डायरी, मैनपुरी षड्यंत्र केस में जब्त बिस्मिल की उत्तरपुस्तिका, वायसराय को भेजी गई अपीलें, ‘सरफरोशी की तमन्ना’ की मूल प्रति, अशफाक उल्ला खां, बिस्मिल, लाहिड़ी, रोशन सिंह एवं दामोदर स्वरूप के पत्र, विभिन्न अखबारों की ऐतिहासिक रिपोर्टिंग, निशानदेही की तस्वीरें, फांसी के बाद पिता के साथ बिस्मिल का दुर्लभ छायाचित्र, काकोरी क्रांतिकारियों का सामूहिक जेल फोटो, बैरक की तस्वीरें तथा मैनपुरी षड्यंत्र केस की फाइलें शामिल हैं। महुआ डाबर संग्रहालय, जनपद बस्ती में स्थित एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक संग्रहालय है, जो 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में महुआ डाबर गांव की भूमिका को समर्पित है। वर्ष 1999 में स्थापित इस संग्रहालय में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी 200 से अधिक छवियां, लगभग 100 अभिलेखीय कलाकृतियां, सिक्के, पांडुलिपियां एवं ऐतिहासिक दस्तावेज संरक्षित हैं। वर्ष 2010 में लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अनिल कुमार के नेतृत्व में हुए उत्खनन में यहां से राख, जली हुई लकड़ियां, मिट्टी के बर्तन और औज़ार प्राप्त हुए, जिससे इस स्थल के ऐतिहासिक महत्व की पुष्टि होती है। उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति 2022 के अंतर्गत महुआ डाबर को स्वतंत्रता संग्राम सर्किट में शामिल किया गया है तथा यहां के क्रांतियोद्धाओं को प्रशासन द्वारा शस्त्र सलामी भी दी जाती है। हजारों बलिदानों की साक्षी यह क्रांति भूमि आज ‘आजादी के महातीर्थ’ के रूप में विख्यात है।
नेशनल हेराल्ड मामले में अनर्गल प्रलाप कर रही कांग्रेस पार्टी...बाबूलाल मरांडी

राउज एवेन्यू कोर्ट ने नहीं दिया है क्लीन चिट, मामले को माना विचाराधीन,ट्रायल रहेगा जारी

भाजपा कार्यालय पर प्रदर्शन के दौरान मूकदर्शक रही पुलिस, पुलिस प्रशासन बन गया है राज्य सरकार का टूल किट

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवम नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने आज नेशनल हेराल्ड मामले में प्रदेश कांग्रेस के प्रदर्शन को कांग्रेस पार्टी का मानसिक दिवालिया पन करार दिया।

श्री मरांडी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस मामले में अनर्गल प्रलाप कर भ्रष्टाचार को छुपाना चाहती है।जबकि कांग्रेस पार्टी भ्रष्टाचार की जननी, पोषक और संरक्षक है।

कहा कि नेशनल हेराल्ड मामले में राउज कोर्ट का फैसला कहीं से भी सोनिया गांधी और राहुल गांधी को क्लीन चिट नहीं है।इस फैसले ने सिर्फ एफआईआर दर्ज नहीं होने की बात कही है और मामले को विचाराधीन करार देते हुए ट्रायल को जारी रखने की बात भी कही है

कहा कि नेशनल हेराल्ड मामला शुद्ध रूप से धोखाधड़ी का मामला है जिसमें धारा 420 के तहत सात साल की सजा है।

कहा कि इसके पहले भी कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी हाई कोर्ट,सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं जहां इन्हें कोई राहत नहीं मिली। दोनों अदालतों ने मामले को प्रथम दृष्ट्या गंभीर मानते हुए खारिज करने से इनकार कर दिया है। और कहा कि इसे निरस्त करने का कोई औचित्य भी नहीं बनता।

कांग्रेस पार्टी द्वारा इसे राग द्वेष से जुड़ा मामला बताए जाने को भी कोर्ट ने निरस्त किया।

श्री मरांडी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी भीतर से खोखली हो चुकी है। संवैधानिक मर्यादाओं के तहत काम करने की राजनीतिक क्षमता कांग्रेस के पास नहीं बची है।

कहा कि नेशनल हेराल्ड की इमारत निर्विवाद रूप से दिल्ली की एक प्रमुख संपत्ति है जिसे व्यावसायिक केलिए लीज पर दिया गया है।

कहा कि यह 2000करोड़ की संपत्ति को हड़पने का मामला है जो खत्म नहीं हुआ है।कानून की नजर में दोषी बक्से नहीं जाएंगे।

कहा कि यही कांग्रेस पार्टी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर न्यायालय का विरोध करती है और आज राउज कोर्ट के फैसले पर जनता को दिग्भ्रमित कर रही है।

श्री मरांडी ने कहा कि लोकतंत्र में किसी भी राजनीतिक सामाजिक संगठन को धरना प्रदर्शन का अधिकर है लेकिन जिस प्रकार से आज पुलिस प्रशासन के संरक्षण में कांग्रेस के नेताओं ने जिसमें कई संवैधानिक दायित्वों से भी जुड़े हैं ने भाजपा प्रदेश कार्यालय के गेट तक पहुंच कर प्रदर्शन किया इससे स्पष्ट है कि पुलिस प्रशासन राज्य सरकार का टूल किट बन गया है।

कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने संयम बरता नहीं तो प्रतिक्रिया में कोई भी बड़ी घटना घट सकती थी।

कहा कि आखिर प्रशासन द्वारा बैरिकेटिंग किए जाने के बाद भी कांग्रेस के लोगों को भाजपा प्रदेश कार्यालय के गेट तक किसके इशारे पर पहुंचने दिया गया।

श्री मरांडी ने इसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग की ।कहा कि राज्य सरकार ऐसे पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई करे।

उत्कृष्ट साहित्य जीवन के स्वर्णिम द्वार खोलने में सहायक:डॉ अंशुल।

शब्द और सृजनकार सदैव अमर रहता है:डॉ वागीश।

वरिष्ठ साहित्यकार जटाशंकर प्रियदर्शी को साहित्यकार सत्कार:आपके द्वार योजना में मिला साहित्य रत्न सम्मान।


संजय द्विवेदी प्रयागराज।उत्कृष्ट साहित्य सर्जक की लेखनी से निसृत विचार शब्दो के रूप में जीवन के स्वर्णिम द्वार खोलने में सहायक होता है जो मनुष्य को उर्जावान बनाए रखता है।उपरोक्त उद्गार सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ शम्भूनाथ त्रिपाठी अंशुल ने उस समय व्यक्त किए जब वह साहित्यांजलि प्रकाशन द्वारा साहित्यकार सत्कार आपके द्वार योजना में रसूलाबाद संजय चौराहे के पास मशहूर कवि साहित्यकार जटाशंकर प्रियदर्शी के आवास पर अध्यक्षीय उद्बोधन कर रहे थे तथा कहा कि प्रियदर्शी को साहित्य रत्न सम्मान मिलना साहित्य जगत में गौरव की बात है।अपने स्वागत भाषण में डॉ राम लखन चौरसिया वागीश ने कहा कि प्रियदर्शी को सम्मानित कर संस्था खुद गौरवान्वित है शब्द और सृजनकार सदैव अमर रहते है वे कभी नही मरते इसीलिए केवल रचनाकार और ब्रह्म को सृजनकर्ता की संज्ञा दी गई है ।साहित्यांजलि प्रकाशन प्रयागराज के व्यवस्थापक डॉ० भगवान प्रसाद उपाध्याय के संचालन में सम्पन्न इस आयोजन में पं.राकेश मालवीय मुस्कान ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत किया और विख्यात कवि- कलाकार रवीन्द्र कुशवाहा ने योजना पर विस्तार से जानकारी दी।कुशवाहा ने साहित्यिक सर्जना की मासिक पत्रिका साहित्यांजलि प्रभा को संरक्षित संवर्धित करने की अपील की।इस अवसर पर जटाशंकर प्रियदर्शी ने अपनी कविताओं का सस्वर पाठ किया और सम्मान योजना के दीर्घायु होने की कामना करते हुए कहा कि यह पूरे देश में अपनी तरह की अनूठी पहल है।उपस्थित सभी सम्मानित कवियों ने अपनी कविताओं से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।अंत में आभार डॉ भगवान प्रसाद उपाध्याय ने व्यक्त किया।
भ्रष्टाचारी पर मेहरबान बने बीएसए की मनमानी से बढ़ने लगा है आक्रोश
महिला शिक्षिका को सुदूर स्कूल पर संबद्ध करने को लेकर शिक्षिकाओं में आक्रोश

मीरजापुर। भ्रष्टाचार में संलिप्त शिक्षक पर मेहरबान बने जिले के बीएसए की मनमानी को लेकर शिक्षकों में आक्रोश देखा जाने लगा है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अनिल कुमार वर्मा द्वारा कम्पोजिट स्कूल घाटमपुर के मामले में सिर्फ प्रधानाध्यापक की शिकायत पर बिना स्थलीय निरीक्षण किए और स्पष्टीकरण लेने के बाद भी महिला शिक्षिका मधुलिका देवी को दोषी पाकर उसे नारायणपुर ब्लॉक से मड़िहान ब्लॉक के सुदूर स्कूल पर संबद्ध कर दिया गया। एक महिला होने के बावजूद यह नहीं सोचा गया कि उसे सुदूर ब्लॉक के स्कूल पर क्यों संबद्ध किया गया, जबकि वही उसी ब्लॉक में वित्तीय अनियमितिता,भ्रष्टाचार, भवन निर्माण में हेराफेरी, आधार बनाने में अवैध वसूली, महिला शिक्षिकाओं से बदसलूकी इत्यादि मामले में तथा जिलाधिकारी द्वारा गठित त्रिस्तरीय जांच समिति की जांच रिपोर्ट में दोषी पाए जाने के बाद भी अभी तक उन्हें उसी नारायणपुर ब्लॉक के मुख्यालय पर सम्बद्ध किया जाना समझ से परे है। इस मामले में पैसा और रसूख का उपयोग साफ़ साफ़ दिख रहा है। बता दें कि धीरज सिंह निलंबन के पश्चात छः माह के बाद भी कार्यालय खंड शिक्षा अधिकारी नारायणपुर कार्यालय को संभाल रहे हैं। यही नहीं बाकायदा विभागीय ग्रुप में संदेशों को भेज रहे हैं। बीईओ के साथ स्कूल-स्कूल जाकर अपना रसूख झाड़ते फिर रहे हैं। जबकि दूसरे शिक्षकों के साथ जिला बेसिक अधिकारी का अन्यायपूर्ण व्यवहार शिक्षकों के समझ से परे दिखाई दे रहा है।
दुष्ट और संत में बहुत अंतर- प्रणव पुरी जी महाराज
गोंडा।जिले के शहीद ए आजम सरदार भगत सिंह इंटर कॉलेज के मैदान में श्रीमहाकाल भक्त परिवार द्वारा 9 दिवसीय रामकथा का आयोजन किया जा रहा है।कार्यक्रम के तीसरे दिन करनैलगंज से भाजपा विधायक अजय कुमार सिंह ने कथा स्थल पर पहुंच कर व्यास पीठ की पूजा कर कथा का शुभारंभ किया।कथावाचक प्रणव पुरी जी महाराज ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि दुष्ट व्यक्ति अपनी दुष्टता करता रहता है जबकि संत प्रतिकार करते हैं।उन्होंने कहा कि संत और दुष्ट में मुख्य अंतर यह है कि संत सज्जन सब कुछ भगवान पर छोड़ देते हैं जबकि दुष्ट लोग ऐसा नहीं करते हैं और अपनी हरकतें जारी रखते हैं। महाराज ने उदाहरण देते हुए कहा कि विश्वामित्र महाराज ने ब्रह्म श्रषि को उपाधि क्रोध को ही त्याग करके दिया था इसलिए वह दुबारा क्रोध नहीं कर सकते थे। चाहते तो विश्वामित्र जी स्वयं सबको नष्ट कर सकते थे लेकिन उन्होंने सब छोड़ दिया था।जब देवताओं पर क्रोध आता था तो वे उसे भगवान पर छोड़ देते थे।इसके विपरीत जब राक्षसों को क्रोध आता था तो वे उसे कहीं न कहीं निकालते हुए दिखाई देते थे।प्रणव पुरी जी महाराज ने समाज जागरूक करते हुए आगे कहा कि जब तक भगवान से आपके नाते संबंध नहीं जुड़ेंगे तब तक भगवान आपके पास नहीं आएंगे।उन्होंने स्पष्ट किया कि भगवान से संबंध जोड़ने के लिए किसी प्रयास की आवश्यकता नहीं है,बस सच्चे मन से भगवान को मानिए:जब भी आप उन्हें बुलाएंगे,वे आपके साथ खड़े रहेंगे। हमारा सनातन धर्म हमें यही सिखाता है कि हमें अपने धर्म से लगाव रखना चाहिए।उन्होंने कहा कि आज सनातन धर्म से जुड़े लोग इसे आगे बढ़ाने में लगे हैं, लेकिन कुछ लोग इसी धर्म के होकर भी इसमें साथ नहीं दे रहे हैं।प्रणव पुरी जी महाराज ने लोगों से अपील किया कि जहाँ कहीं भी कथा होती है,उन्हें पोस्टर देखकर वहां कथा सुनने पहुंच जाना चाहिए।उन्होंने तुलना करते हुए कहा कि यदि कहीं नाच गाने का कार्यक्रम होता है तो लोग बिना बुलाये ही पहुंच जाते हैं।इस दौरान हजारों लोग उपस्थित रहे।
निर्भया की याद में आइसा का कैंडल मार्च, महिला उत्पीड़न पर सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन पर तीखा हमला
प्रयागराज।निर्भया हत्याकांड की 13वीं बरसी पर ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) ने मंगलवार, 16 दिसंबर को इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कैंडल मार्च निकालकर देश में बढ़ते महिला उत्पीड़न और छात्रावासों में महिलाओं पर लगाए गए प्रतिबंधों का विरोध किया। मार्च विश्वविद्यालय के महिला छात्रावास से शुरू होकर बालसन चौराहा स्थित गांधी प्रतिमा तक निकाला गया। आइसा नेताओं और छात्र-छात्राओं ने कहा कि 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप ने पूरे देश को झकझोर दिया था, लेकिन इसके बावजूद महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पिछले वर्ष पश्चिम बंगाल के आरजी कर मेडिकल कॉलेज रेप केस से लेकर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में हुई रेप की घटनाओं तक, महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। संगठन ने मांग की कि ऐसे अपराधों पर सख्ती से रोक लगाई जाए और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए। मार्च की शुरुआत महिला छात्रावास परिसर में एक संक्षिप्त सभा से हुई, जहां छात्र-छात्राओं ने कविता और गीतों के माध्यम से अपने विचार रखे। इसी दौरान आरोप लगाया गया कि कार्यक्रम के समय महिला छात्रावास की दो-तीन वार्डन मेन गेट पर पहुंचीं और छात्राओं को बाहर निकलने व कार्यक्रम में शामिल होने से रोकने का प्रयास किया। आइसा ने इसे महिलाओं की स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए कड़ी निंदा की। सभा को संबोधित करते हुए आइसा प्रदेश अध्यक्ष कॉमरेड मनीष कुमार ने कहा कि मौजूदा भाजपा सरकार मर्दवाद और पितृसत्ता को बढ़ावा दे रही है, जिसके कारण महिलाओं के खिलाफ हिंसा में लगातार वृद्धि हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि अपराधियों पर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है। कार्यक्रम का संचालन आइसा इलाहाबाद विश्वविद्यालय इकाई अध्यक्ष कॉमरेड सोनाली ने किया। उन्होंने कहा कि देश में फासीवादी सत्ता कायम है और इसका सबसे बड़ा हमला महिलाओं पर हो रहा है। कार्यक्रम में कॉमरेड महुआ और कॉमरेड साक्षी ने गीत प्रस्तुत किए, जबकि पूजा, जैनब, आकांक्षा, अनन्या, आशीष, अविराम, श्वेतांक सहित कई छात्र-छात्राओं ने कविताएं पढ़ीं। इस मौके पर भानु, विवेक, शशि भूषण, सुधीर, अमित, मानवेन्द्र, सुजीत, गोविंद, प्रदीप्त, रितेश, अभिनव, कुलदीप, रूपम, प्रतिमा, शिवानी, बंदना, शिल्पी, शुभम, पूजा साहनी, शिवांगी, विकास, अनुज, केतन, आर्यन सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं और शोधार्थी मौजूद रहे।
*बंगाली कायस्थों को साधने के लिए नितिन को बागडोर : जितेन्द्र बच्चन*
पश्चिम बंगाल में खेला होगा, यह तो सभी जानते हैं। लेकिन खेल का असली मदारी कौन है, यह नितिन नबीन की ताजपोशी से पता चलता है। नितिन को देश की सबसे बड़ी पार्टी का ताज उस दौर में मिला है जब बिहार से लेकर देशभर में जाति आधारित वोट बैंक की राजनीति केंद्र में है। कायस्थ समाज के नितिन को बीजेपी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर पीएम मोदी ने सियासत की बाजी पलट दी है। बीजेपी के ऐलान ने जहां उन तमाम अटकलों को गलत साबित कर दिया जिनमें बड़े दिग्गजों को पार्टी की कमान सौंपने की चर्चा हो रही थी, वहीं 45 साल के नितिन नबीन पर दांव खेलकर मोदी ने 'मिशन बंगाल' को लेकर अपने इरादे भी साफ कर दिए हैं। पश्चिम बंगाल में कायस्थों की अच्छी खासी आबादी है और उन्हें ब्राह्मणों व वैद्यों के साथ बंगाल की पारंपरिक उच्च जातियों (भद्रलोक) में गिना जाता है, जो शिक्षा, लेखन और प्रशासन से जुड़े हुए हैं। बंगाल में आजादी के बाद 37 साल तक कायस्थों के हाथ में सत्ता रही है और करीब 24 लाख मतदाता इस वर्ग के हैं। बंगाल में सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले ज्योति बसु भी कायस्थ थे। यहां के कायस्थ सदियों से भूमिधर हैं। बंगाल के सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने में उनका महत्वपूर्ण वर्चस्व है। ऐसे में मोदी का मानना है कि कायस्थ्य समाज के नितिन नबीन बीजेपी के लिए बंगाल विधानसभा चुनाव में ट्रंप कार्ड साबित हो सकते हैं और उनके संकेत पर पार्टी ने 14 दिसंबर को नितिन नबीन को जेपी नड्डा का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। इस तरह यह नियुक्ति भाजपा के इतिहास में सबसे युवा राष्ट्रीय नेता रूप में दर्ज हो गई है। दरसअल, बिहार विधानसभा चुनाव (2025) में बीजेपी ने पारंपरिक रूप से कायस्थ बहुल सीटों, जैसे कुम्हरार में कायस्थ उम्मीदवारों के टिकट काट दिए या उनकी जगह दूसरी जातियों के उम्मीदवारों को मैदान में उतार दिया। इससे कायस्थों में यह भावना पैदा हो गई कि पार्टी उन्हें कम महत्व दे रही है। इससे पहले केंद्र और राज्यों के मंत्रिमंडल में भी कायस्थ संगठनों की शिकायत रही है कि उनके समाज के विधायकों को मंत्रिमंडल में उचित स्थान नहीं दिया गया, जबकि पार्टी का कायस्थ समाज वफादार मतदाता रहा है। अन्य पिछड़ा वर्ग और दलित समुदाय के नेताओं को समायोजित करने की बीजेपी की सामाजिक इंजीनियरिंग नीति में भी कायस्थों को हाशिए पर धकेल दिया गया। इससे कायस्थों में असंतोष पनपने लगा, जिसे दूर करने के प्रयास में बीजेपी ने बिहार के कायस्थ नेता नितिन नबीन को पार्टी की बागडोर सौंप दी। नरेंद्र मोदी के इस कदम को कायस्थ समाज के बीच डैमेज कंट्रोल (नुकसान की भरपाई) के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। मोदी के इस फैसले से कायस्थ समाज की नाराजगी भी दूर हो गई और बंगाल के कायस्थों का वोट मिलना भी अब पक्का माना जा रहा है। लेकिन बीजेपी के नए राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन के सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। बंगाल और असम चुनाव से पहले महाराष्ट्र में बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) समेत 29 नगर निकायों में 15 जनवरी 2026 को चुनाव की घोषणा हो गई है। बीजेपी की अगुवाई वाली महायुति सरकार का एक साल बाद यह पहला लिटमस टेस्ट होगा। जबकि असम विधानसभा चुनाव मार्च-अप्रैल में कराया जा सकता है। बीजेपी यहां लगातार दो बार से सत्ता में है। 126 सीटों वाली विधानसभा में एनडीए ने 75 सीटें जीती थीं। हिमंता बिस्वा सरमा की अगुवाई में बीजेपी के लिए यहां लगातार तीसरी जीत हासिल करने की बड़ी चुनौती होगी। देखना है कि नितिन नबीन इन चुनौतियों से कैसे पार पाते हैं? *(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)*
राजमिस्त्री का बेटा खेलेगा आईपीएल
पंजाब किंग्स ने विशाल निषाद को 30 लाख में खरीदा, संघर्ष से सफलता तक की प्रेरक कहानी गोरखपुर।गोरखपुर के लिए यह गर्व का क्षण है। एक साधारण परिवार से निकलकर गोरखपुर के युवा क्रिकेटर विशाल निषाद ने इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में जगह बनाकर इतिहास रच दिया है। आईपीएल ऑक्शन में पंजाब किंग्स (PBKS) ने विशाल निषाद को उनकी बेस प्राइस 30 लाख रुपये में अपनी टीम में शामिल किया। 21 वर्षीय विशाल एक राइट आर्म मिस्ट्री स्पिन गेंदबाज हैं और अपनी घातक गेंदबाजी के लिए पहचाने जाते हैं। विशाल निषाद बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वह राजघाट थाना क्षेत्र के जंगल अयोध्या प्रसाद लहसड़ी गांव के निवासी हैं। उनके पिता उमेश निषाद पेशे से राजमिस्त्री हैं, जबकि मां सुनीता देवी गृहिणी हैं। आर्थिक तंगी के बावजूद विशाल ने कभी अपने सपनों से समझौता नहीं किया। वह कई बार अपने पिता के साथ मजदूरी के काम में हाथ बंटाते थे, लेकिन दिल में क्रिकेटर बनने का जज्बा हमेशा जिंदा रहा। विशाल की मेहनत और लगन को देखते हुए उनके पिता ने सीमित आय के बावजूद क्रिकेट प्रशिक्षण दिलाने का साहसिक निर्णय लिया। क्रिकेट अकादमी की फीस, किट और आने-जाने के खर्चों को किसी तरह पूरा किया गया। माता-पिता के इस संघर्ष और समर्थन ने विशाल को आगे बढ़ने की ताकत दी। विशाल ने यूपी-टी20 लीग में गोरखपुर लायंस की ओर से खेलते हुए शानदार प्रदर्शन किया। इसी दौरान उन्होंने अनुभवी बल्लेबाज नीतीश राणा को पवेलियन भेजकर क्रिकेट विशेषज्ञों का ध्यान अपनी ओर खींचा। उनकी जादुई मिस्ट्री स्पिन गेंदबाजी के चलते यह माना जाने लगा था कि आईपीएल में उन पर जरूर बोली लगेगी। वर्तमान में विशाल संस्कृति क्रिकेट एकेडमी में प्रशिक्षण ले रहे हैं, जहां उन्हें कोच कल्याण सिंह का मार्गदर्शन मिल रहा है। कोच का कहना है कि विशाल में एक बड़े खिलाड़ी बनने की पूरी क्षमता है और आने वाले समय में वह पंजाब किंग्स के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकते हैं। आईपीएल में चयन की खबर जैसे ही गांव पहुंची, पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई। लोगों ने मिठाइयां बांटी और विशाल की सफलता को संघर्ष और मेहनत की जीत बताया। विशाल निषाद आज हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।
झुग्गी-झोपड़ीवासियों के वेरिफिकेशन से मचा हड़कंप

*फुटपाथ दुकानदारों ने डीएम कार्यालय पहुंचकर सौंपा ज्ञापन, प्रशासन ने स्पष्ट की स्थिति*

गोरखपुर। शहर के विभिन्न इलाकों—जटाशंकर गुरुद्वारे के सामने, रेलवे स्टेशन के सामने सहित अन्य प्रमुख स्थानों पर अवैध तरीके से झुग्गी-झोपड़ी डालकर रह रहे लोगों और फुटपाथ पर दुकान लगाने वालों का मामला एक बार फिर चर्चा में है। वर्षों से इन स्थानों पर रह रहे इन लोगों के बारे में न तो यह स्पष्ट है कि वे किस जनपद, किस प्रदेश अथवा किस देश के निवासी हैं और न ही अब तक उनका समुचित सत्यापन किया गया है। शासन के निर्देश के बाद पुलिस प्रशासन द्वारा वेरिफिकेशन अभियान शुरू होते ही इन झुग्गी-झोपड़ीवासियों की परेशानियां बढ़ गई हैं। इसी क्रम में आज सैकड़ों महिलाएं और पुरुष जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे और डीएम कार्यालय में ड्यूटी पर तैनात अधिकारी (डे अफसर) को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि वे लोग माध्यमिक शिक्षा परिषद क्षेत्रीय कार्यालय, कैंपस रोड के पास प्रत्येक मंगलवार को अपनी दुकान लगाकर रोजी-रोटी का इंतजाम करते थे, लेकिन अब पुलिस द्वारा उन्हें वहां से हटाया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि पुलिस यह स्पष्ट नहीं कर रही है कि उन्हें किस कारण से हटाया जा रहा है, जिससे उनमें भय और असमंजस की स्थिति बनी हुई है। डीएम कार्यालय में मौजूद ड्यूटी अफसर ने इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि शासन के निर्देश पर पुलिस प्रशासन शहर में अवैध रूप से रह रहे लोगों का सत्यापन कर रहा है। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि जो भी व्यक्ति जिस जनपद, प्रदेश या स्थान का निवासी है, उसका वैध साक्ष्य पुलिस विभाग को उपलब्ध कराए। वेरिफिकेशन पूरा होने के बाद वे नियमानुसार अपनी दुकान लगाकर रोजी-रोटी चला सकते हैं और किसी को अनावश्यक रूप से परेशान नहीं किया जाएगा। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, जटाशंकर गुरुद्वारे के सामने और रेलवे स्टेशन के आसपास वर्षों से बड़ी संख्या में लोग झुग्गी-झोपड़ी डालकर रह रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि इतने लंबे समय तक रहने के बावजूद अब तक उनका विधिवत सत्यापन नहीं कराया गया। अब जब शासन के निर्देश पर पुलिस प्रशासन सक्रिय हुआ है और पहचान व पते की जांच शुरू की गई है, तो स्वाभाविक रूप से इन लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जांच के दौरान कुछ ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जिनमें झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों ने कथित तौर पर फर्जी तरीके से अपने नाम मतदाता सूची में दर्ज करवा लिए हैं। डीएम कार्यालय पहुंचे कुछ लोगों ने दावा किया कि उनके पास राशन कार्ड है और वोटर लिस्ट में भी उनका नाम दर्ज है। किसी ने खुद को गुजरात का निवासी बताया, तो किसी ने मेरठ अथवा अन्य जनपदों का रहने वाला होने की बात कही। अलग-अलग बयानों से प्रशासन के सामने कई सवाल खड़े हो गए हैं। प्रशासन अब यह जांच कर रहा है कि आखिर इन लोगों ने राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र किस आधार पर और किन प्रक्रियाओं के तहत बनवाए। इसके लिए संबंधित विभागों से रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं और जरूरत पड़ने पर दस्तावेजों की गहन जांच कराई जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि यदि किसी प्रकार की अनियमितता या फर्जीवाड़ा सामने आता है, तो जिम्मेदारों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। पुलिस और प्रशासन का स्पष्ट कहना है कि किसी को भी बिना कारण परेशान करने का उद्देश्य नहीं है, लेकिन शहर की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था और प्रशासनिक पारदर्शिता के लिए यह जरूरी है कि शहर में रह रहे प्रत्येक व्यक्ति की पहचान और पृष्ठभूमि स्पष्ट हो। सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने के बाद पात्र लोगों को नियमों के तहत जीवनयापन करने की अनुमति दी जाएगी, जबकि अवैध रूप से रह रहे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल यह मामला गोरखपुर में चर्चा का विषय बना हुआ है और प्रशासनिक जांच के नतीजों पर सबकी नजर टिकी है।
एनटीपीसी ने 85.5 गीगावाट से अधिक की कमर्शियल क्षमता हासिल की

नई दिल्ली, 17 दिसंबर 2025: एनटीपीसी ने आज गुजरात और राजस्थान में अपनी सब्सिडियरी कंपनियों के विभिन्न सोलर प्रोजेक्ट्स के माध्यम से 359.58 मेगावाट की नई कमर्शियल क्षमता जुड़ने की घोषणा की है। इसके साथ ही एनटीपीसी ग्रुप की कुल कमर्शियल क्षमता 85.5 गीगावाट से अधिक हो गई है

एनटीपीसी ने आज अपनी सब्सिडियरी एनजीईएल के माध्यम से एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड के गुजरात स्थित 1255 मेगावाट के खावड़ा-1 सोलर पीवी प्रोजेक्ट की 243.66 मेगावाट आंशिक क्षमता के वाणिज्यिक संचालन (COD- कमर्शियल ऑपरेशन डेट) की घोषणा की।

इसके अलावा, कंपनी ने राजस्थान में एनटीपीसी के नोख सोलर पीवी प्रोजेक्ट (3×245 मेगावाट) की कुल 245 मेगावाट क्षमता में से 78 मेगावाट के वाणिज्यिक संचालन (COD) की घोषणा की।

कंपनी ने एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड (NTPC REL) के गुजरात में स्थित 450 मेगावाट हाइब्रिड ट्रेंच-V प्रोजेक्ट के तहत खावड़ा सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट की कुल 300 मेगावाट क्षमता में से 37.925 मेगावाट की आंशिक क्षमता का वाणिज्यिक संचालन (COD) भी घोषित किया है।

इसके साथ ही एनटीपीसी समूह की कुल स्थापित एवं वाणिज्यिक क्षमता बढ़कर 85,541 मेगावाट तक पहुँच गई है।

एनटीपीसी लिमिटेड देश की कुल बिजली जरूरतों का लगभग एक-चौथाई योगदान दे रही है। कंपनी की कुल स्थापित क्षमता 85 गीगावाट से अधिक है, जबकि 30.90 गीगावाट अतिरिक्त क्षमता निर्माणाधीन है, जिसमें 13.3 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता शामिल है। एनटीपीसी वर्ष 2032 तक 60 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे भारत के नेट ज़ीरो लक्ष्यों को मजबूती मिलेगी।

थर्मल, हाइड्रो, सोलर और विंड पावर प्लांट्स के विविध पोर्टफोलियो के साथ एनटीपीसी देश को भरोसेमंद, किफायती और सस्टेनेबल बिजली उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। कंपनी बेहतर भविष्य के लिए सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को अपनाने, नवाचार को बढ़ावा देने और स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों को अपनाने पर लगातार काम कर रही है

बिजली उत्पादन के अलावा, एनटीपीसी ने कई नए व्यवसाय क्षेत्रों में भी कदम रखा है, जिनमें ई-मोबिलिटी, बैटरी स्टोरेज, पंप्ड हाइड्रो स्टोरेज, वेस्ट-टू-एनर्जी, न्यूक्लियर पावर और ग्रीन हाइड्रोजन सॉल्यूशंस शामिल हैं।

काकोरी ट्रेन एक्शन नायकों की स्मृति में ‘शहादत से शहादत तक’ तीन दिवसीय आयोजन
गोरखपुर: महुआ डाबर संग्रहालय, बस्ती द्वारा काकोरी ट्रेन एक्शन के महानायक राजेंद्रनाथ लाहिड़ी के बलिदान दिवस से लेकर ठाकुर रोशन सिंह के बलिदान दिवस तक ‘शहादत से शहादत तक’ शीर्षक से तीन दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ गोरखपुर स्थित रामप्रसाद बिस्मिल स्मारक स्थल से हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन जेलर अरुण कुमार कुशवाहा ने शहीद रामप्रसाद बिस्मिल की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर एवं दीप प्रज्वलन कर किया। इसके पश्चात दुर्लभ ऐतिहासिक दस्तावेजों की प्रदर्शनी का अवलोकन कराया गया। मुख्य अतिथि अरुण कुमार कुशवाहा ने अपने उद्बोधन में कहा कि क्रांतिकारियों का बलिदान केवल इतिहास नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की प्रेरक शक्ति है, जिसे नई पीढ़ी तक पहुंचाना हम सभी की जिम्मेदारी है। इस अवसर पर जेल अधीक्षक दिलीप कुमार पांडे ने काकोरी ट्रेन एक्शन से जुड़े दुर्लभ दस्तावेजों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। कार्यक्रम में शहर के गणमान्य नागरिकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में सहभागिता की तथा चर्चा सत्र में सक्रिय रूप से भाग लिया। नगर निगम कार्यकारिणी सदस्य एवं पार्षद विजेंद्र अग्रही मंगल ने कार्यक्रम का परिचय देते हुए आमजन से ऐसे आयोजनों से जुड़ने की अपील की। चर्चा सत्र में डॉ. पवन कुमार, ऋषि विश्वकर्मा, हरगोविंद प्रवाह, मारुतिनंदन चतुर्वेदी, सुरेंद्र कुमार, संजू चौधरी, सलमान, विकास निषाद, ध्वज चतुर्वेदी, आकाश विश्वकर्मा, दीपक शर्मा, इमरान खान, अरसद, असलम सहित अनेक लोगों ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन करते हुए संयोजक अविनाश कुमार गुप्ता ने बताया कि 18 और 19 दिसंबर को यह आयोजन काकोरी के नायक ठाकुर रोशन सिंह एवं चंद्रशेखर आज़ाद की स्मृति में प्रयागराज (इलाहाबाद) में आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के स्वर्णिम इतिहास में दर्ज महान क्रांतिवीर रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ और उनके साथियों के विचारों, योजनाओं और बलिदान को सही संदर्भ में स्मरण करना अत्यंत आवश्यक है। काकोरी एक्शन और भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन का वास्तविक इतिहास जानना नई पीढ़ी का अधिकार है, ताकि वे समझ सकें कि आज़ादी की नींव कितने अनमोल बलिदानों पर टिकी है। चर्चा सत्र में भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के विद्वान एवं महुआ डाबर संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राणा ने रामप्रसाद बिस्मिल की वंशावली पर प्रकाश डालते हुए बताया कि ग्वालियर रियासत अंतर्गत तोमरधार के बरबाई गांव के निवासी रामप्रसाद बिस्मिल के परदादा ठाकुर अमान सिंह तोमर राजपूत थे। उनके दादा ठाकुर नारायण लाल सिंह एवं दादी विचित्रा देवी थीं। पिता ठाकुर मुरलीधर सिंह और चाचा ठाकुर कल्याणमल सिंह थे, जबकि माता का नाम मूलमति देवी था। रामप्रसाद बिस्मिल के पिता मुरलीधर सिंह का विवाह पिनाहट के समीप छदामीपुरा में हुआ था। बिस्मिल जी का ननिहाल पिनाहट के पास जोधपुरा गांव में परिहार ठाकुरों के यहां था। उनके बड़े भाई का जन्म 1896 में हुआ था, जिनका दुर्भाग्यवश निधन हो गया। बिस्मिल जी दो भाइयों और चार बहनों में से थे। मुरलीधर सिंह के दूसरे पुत्र के रूप में रामप्रसाद बिस्मिल का जन्म 11 जून 1897 को उनके ननिहाल में हुआ। कुछ वर्ष बाद वे शाहजहांपुर आ गए। बिस्मिल जी के भाई का नाम रमेश सिंह उर्फ सुशीलचंद्र था। बहनों में शास्त्री देवी, ब्रह्मा देवी और भगवती देवी थीं। शास्त्री देवी का विवाह मैनपुरी के कोसमा क्षेत्र में जादौन ठाकुर परिवार में हुआ था। उनके पति का निधन 1989 में हुआ। शास्त्री देवी के पुत्र हरिश्चंद्र सिंह जादौन का विवाह मैनपुरी के छिरोड़ गांव में हुआ। दूसरी बहन ब्रह्मा देवी का विवाह मैनपुरी जिले के कुचेला गांव में हुआ था। करीब ग्यारह वर्षों तक स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी जवानी समर्पित करने वाले क्रांतियोद्धा रामप्रसाद बिस्मिल की धमनियों में चंबल के बांकपन का ज्वार सदा प्रवाहित रहा। आनंद प्रकाश, रुद्रराम, परमहंस, मास्टर, महाशय और महंत उनके छद्म नाम थे। उनके व्यक्तित्व में क्रांतिकारी सेनानायक, लेखक, अनुवादक, शायर, वक्ता और रणनीतिकार जैसे अनेक आयाम समाहित थे। अमर योद्धा बिस्मिल क्रांति की वह ज्वाला थे, जिसने अनगिनत मशालों को प्रज्वलित किया। प्रदर्शनी में महुआ डाबर संग्रहालय में संरक्षित अनेक दुर्लभ दस्तावेज प्रदर्शित किए गए हैं। इनमें सप्लीमेंट्री काकोरी षड्यंत्र केस की जजमेंट फाइल, चीफ कोर्ट ऑफ अवध का निर्णय पत्र, प्रिवी काउंसिल लंदन की अपील फाइल, मिशन स्कूल शाहजहांपुर का छात्र रजिस्टर, फैजाबाद एवं गोंडा कारागार के बंदी विवरण, काकोरी ट्रेन एक्शन से प्राप्त धनराशि का रिकॉर्ड, गिरफ्तारी विवरण, क्रांतिकारियों की हस्तलिखित डायरियां, काकोरी केस की चार्जशीट, खुफिया अधीक्षक की डायरी, मैनपुरी षड्यंत्र केस में जब्त बिस्मिल की उत्तरपुस्तिका, वायसराय को भेजी गई अपीलें, ‘सरफरोशी की तमन्ना’ की मूल प्रति, अशफाक उल्ला खां, बिस्मिल, लाहिड़ी, रोशन सिंह एवं दामोदर स्वरूप के पत्र, विभिन्न अखबारों की ऐतिहासिक रिपोर्टिंग, निशानदेही की तस्वीरें, फांसी के बाद पिता के साथ बिस्मिल का दुर्लभ छायाचित्र, काकोरी क्रांतिकारियों का सामूहिक जेल फोटो, बैरक की तस्वीरें तथा मैनपुरी षड्यंत्र केस की फाइलें शामिल हैं। महुआ डाबर संग्रहालय, जनपद बस्ती में स्थित एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक संग्रहालय है, जो 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में महुआ डाबर गांव की भूमिका को समर्पित है। वर्ष 1999 में स्थापित इस संग्रहालय में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी 200 से अधिक छवियां, लगभग 100 अभिलेखीय कलाकृतियां, सिक्के, पांडुलिपियां एवं ऐतिहासिक दस्तावेज संरक्षित हैं। वर्ष 2010 में लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अनिल कुमार के नेतृत्व में हुए उत्खनन में यहां से राख, जली हुई लकड़ियां, मिट्टी के बर्तन और औज़ार प्राप्त हुए, जिससे इस स्थल के ऐतिहासिक महत्व की पुष्टि होती है। उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति 2022 के अंतर्गत महुआ डाबर को स्वतंत्रता संग्राम सर्किट में शामिल किया गया है तथा यहां के क्रांतियोद्धाओं को प्रशासन द्वारा शस्त्र सलामी भी दी जाती है। हजारों बलिदानों की साक्षी यह क्रांति भूमि आज ‘आजादी के महातीर्थ’ के रूप में विख्यात है।
नेशनल हेराल्ड मामले में अनर्गल प्रलाप कर रही कांग्रेस पार्टी...बाबूलाल मरांडी

राउज एवेन्यू कोर्ट ने नहीं दिया है क्लीन चिट, मामले को माना विचाराधीन,ट्रायल रहेगा जारी

भाजपा कार्यालय पर प्रदर्शन के दौरान मूकदर्शक रही पुलिस, पुलिस प्रशासन बन गया है राज्य सरकार का टूल किट

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवम नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने आज नेशनल हेराल्ड मामले में प्रदेश कांग्रेस के प्रदर्शन को कांग्रेस पार्टी का मानसिक दिवालिया पन करार दिया।

श्री मरांडी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस मामले में अनर्गल प्रलाप कर भ्रष्टाचार को छुपाना चाहती है।जबकि कांग्रेस पार्टी भ्रष्टाचार की जननी, पोषक और संरक्षक है।

कहा कि नेशनल हेराल्ड मामले में राउज कोर्ट का फैसला कहीं से भी सोनिया गांधी और राहुल गांधी को क्लीन चिट नहीं है।इस फैसले ने सिर्फ एफआईआर दर्ज नहीं होने की बात कही है और मामले को विचाराधीन करार देते हुए ट्रायल को जारी रखने की बात भी कही है

कहा कि नेशनल हेराल्ड मामला शुद्ध रूप से धोखाधड़ी का मामला है जिसमें धारा 420 के तहत सात साल की सजा है।

कहा कि इसके पहले भी कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी हाई कोर्ट,सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं जहां इन्हें कोई राहत नहीं मिली। दोनों अदालतों ने मामले को प्रथम दृष्ट्या गंभीर मानते हुए खारिज करने से इनकार कर दिया है। और कहा कि इसे निरस्त करने का कोई औचित्य भी नहीं बनता।

कांग्रेस पार्टी द्वारा इसे राग द्वेष से जुड़ा मामला बताए जाने को भी कोर्ट ने निरस्त किया।

श्री मरांडी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी भीतर से खोखली हो चुकी है। संवैधानिक मर्यादाओं के तहत काम करने की राजनीतिक क्षमता कांग्रेस के पास नहीं बची है।

कहा कि नेशनल हेराल्ड की इमारत निर्विवाद रूप से दिल्ली की एक प्रमुख संपत्ति है जिसे व्यावसायिक केलिए लीज पर दिया गया है।

कहा कि यह 2000करोड़ की संपत्ति को हड़पने का मामला है जो खत्म नहीं हुआ है।कानून की नजर में दोषी बक्से नहीं जाएंगे।

कहा कि यही कांग्रेस पार्टी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर न्यायालय का विरोध करती है और आज राउज कोर्ट के फैसले पर जनता को दिग्भ्रमित कर रही है।

श्री मरांडी ने कहा कि लोकतंत्र में किसी भी राजनीतिक सामाजिक संगठन को धरना प्रदर्शन का अधिकर है लेकिन जिस प्रकार से आज पुलिस प्रशासन के संरक्षण में कांग्रेस के नेताओं ने जिसमें कई संवैधानिक दायित्वों से भी जुड़े हैं ने भाजपा प्रदेश कार्यालय के गेट तक पहुंच कर प्रदर्शन किया इससे स्पष्ट है कि पुलिस प्रशासन राज्य सरकार का टूल किट बन गया है।

कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने संयम बरता नहीं तो प्रतिक्रिया में कोई भी बड़ी घटना घट सकती थी।

कहा कि आखिर प्रशासन द्वारा बैरिकेटिंग किए जाने के बाद भी कांग्रेस के लोगों को भाजपा प्रदेश कार्यालय के गेट तक किसके इशारे पर पहुंचने दिया गया।

श्री मरांडी ने इसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग की ।कहा कि राज्य सरकार ऐसे पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई करे।

उत्कृष्ट साहित्य जीवन के स्वर्णिम द्वार खोलने में सहायक:डॉ अंशुल।

शब्द और सृजनकार सदैव अमर रहता है:डॉ वागीश।

वरिष्ठ साहित्यकार जटाशंकर प्रियदर्शी को साहित्यकार सत्कार:आपके द्वार योजना में मिला साहित्य रत्न सम्मान।


संजय द्विवेदी प्रयागराज।उत्कृष्ट साहित्य सर्जक की लेखनी से निसृत विचार शब्दो के रूप में जीवन के स्वर्णिम द्वार खोलने में सहायक होता है जो मनुष्य को उर्जावान बनाए रखता है।उपरोक्त उद्गार सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ शम्भूनाथ त्रिपाठी अंशुल ने उस समय व्यक्त किए जब वह साहित्यांजलि प्रकाशन द्वारा साहित्यकार सत्कार आपके द्वार योजना में रसूलाबाद संजय चौराहे के पास मशहूर कवि साहित्यकार जटाशंकर प्रियदर्शी के आवास पर अध्यक्षीय उद्बोधन कर रहे थे तथा कहा कि प्रियदर्शी को साहित्य रत्न सम्मान मिलना साहित्य जगत में गौरव की बात है।अपने स्वागत भाषण में डॉ राम लखन चौरसिया वागीश ने कहा कि प्रियदर्शी को सम्मानित कर संस्था खुद गौरवान्वित है शब्द और सृजनकार सदैव अमर रहते है वे कभी नही मरते इसीलिए केवल रचनाकार और ब्रह्म को सृजनकर्ता की संज्ञा दी गई है ।साहित्यांजलि प्रकाशन प्रयागराज के व्यवस्थापक डॉ० भगवान प्रसाद उपाध्याय के संचालन में सम्पन्न इस आयोजन में पं.राकेश मालवीय मुस्कान ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत किया और विख्यात कवि- कलाकार रवीन्द्र कुशवाहा ने योजना पर विस्तार से जानकारी दी।कुशवाहा ने साहित्यिक सर्जना की मासिक पत्रिका साहित्यांजलि प्रभा को संरक्षित संवर्धित करने की अपील की।इस अवसर पर जटाशंकर प्रियदर्शी ने अपनी कविताओं का सस्वर पाठ किया और सम्मान योजना के दीर्घायु होने की कामना करते हुए कहा कि यह पूरे देश में अपनी तरह की अनूठी पहल है।उपस्थित सभी सम्मानित कवियों ने अपनी कविताओं से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।अंत में आभार डॉ भगवान प्रसाद उपाध्याय ने व्यक्त किया।
भ्रष्टाचारी पर मेहरबान बने बीएसए की मनमानी से बढ़ने लगा है आक्रोश
महिला शिक्षिका को सुदूर स्कूल पर संबद्ध करने को लेकर शिक्षिकाओं में आक्रोश

मीरजापुर। भ्रष्टाचार में संलिप्त शिक्षक पर मेहरबान बने जिले के बीएसए की मनमानी को लेकर शिक्षकों में आक्रोश देखा जाने लगा है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अनिल कुमार वर्मा द्वारा कम्पोजिट स्कूल घाटमपुर के मामले में सिर्फ प्रधानाध्यापक की शिकायत पर बिना स्थलीय निरीक्षण किए और स्पष्टीकरण लेने के बाद भी महिला शिक्षिका मधुलिका देवी को दोषी पाकर उसे नारायणपुर ब्लॉक से मड़िहान ब्लॉक के सुदूर स्कूल पर संबद्ध कर दिया गया। एक महिला होने के बावजूद यह नहीं सोचा गया कि उसे सुदूर ब्लॉक के स्कूल पर क्यों संबद्ध किया गया, जबकि वही उसी ब्लॉक में वित्तीय अनियमितिता,भ्रष्टाचार, भवन निर्माण में हेराफेरी, आधार बनाने में अवैध वसूली, महिला शिक्षिकाओं से बदसलूकी इत्यादि मामले में तथा जिलाधिकारी द्वारा गठित त्रिस्तरीय जांच समिति की जांच रिपोर्ट में दोषी पाए जाने के बाद भी अभी तक उन्हें उसी नारायणपुर ब्लॉक के मुख्यालय पर सम्बद्ध किया जाना समझ से परे है। इस मामले में पैसा और रसूख का उपयोग साफ़ साफ़ दिख रहा है। बता दें कि धीरज सिंह निलंबन के पश्चात छः माह के बाद भी कार्यालय खंड शिक्षा अधिकारी नारायणपुर कार्यालय को संभाल रहे हैं। यही नहीं बाकायदा विभागीय ग्रुप में संदेशों को भेज रहे हैं। बीईओ के साथ स्कूल-स्कूल जाकर अपना रसूख झाड़ते फिर रहे हैं। जबकि दूसरे शिक्षकों के साथ जिला बेसिक अधिकारी का अन्यायपूर्ण व्यवहार शिक्षकों के समझ से परे दिखाई दे रहा है।
दुष्ट और संत में बहुत अंतर- प्रणव पुरी जी महाराज
गोंडा।जिले के शहीद ए आजम सरदार भगत सिंह इंटर कॉलेज के मैदान में श्रीमहाकाल भक्त परिवार द्वारा 9 दिवसीय रामकथा का आयोजन किया जा रहा है।कार्यक्रम के तीसरे दिन करनैलगंज से भाजपा विधायक अजय कुमार सिंह ने कथा स्थल पर पहुंच कर व्यास पीठ की पूजा कर कथा का शुभारंभ किया।कथावाचक प्रणव पुरी जी महाराज ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि दुष्ट व्यक्ति अपनी दुष्टता करता रहता है जबकि संत प्रतिकार करते हैं।उन्होंने कहा कि संत और दुष्ट में मुख्य अंतर यह है कि संत सज्जन सब कुछ भगवान पर छोड़ देते हैं जबकि दुष्ट लोग ऐसा नहीं करते हैं और अपनी हरकतें जारी रखते हैं। महाराज ने उदाहरण देते हुए कहा कि विश्वामित्र महाराज ने ब्रह्म श्रषि को उपाधि क्रोध को ही त्याग करके दिया था इसलिए वह दुबारा क्रोध नहीं कर सकते थे। चाहते तो विश्वामित्र जी स्वयं सबको नष्ट कर सकते थे लेकिन उन्होंने सब छोड़ दिया था।जब देवताओं पर क्रोध आता था तो वे उसे भगवान पर छोड़ देते थे।इसके विपरीत जब राक्षसों को क्रोध आता था तो वे उसे कहीं न कहीं निकालते हुए दिखाई देते थे।प्रणव पुरी जी महाराज ने समाज जागरूक करते हुए आगे कहा कि जब तक भगवान से आपके नाते संबंध नहीं जुड़ेंगे तब तक भगवान आपके पास नहीं आएंगे।उन्होंने स्पष्ट किया कि भगवान से संबंध जोड़ने के लिए किसी प्रयास की आवश्यकता नहीं है,बस सच्चे मन से भगवान को मानिए:जब भी आप उन्हें बुलाएंगे,वे आपके साथ खड़े रहेंगे। हमारा सनातन धर्म हमें यही सिखाता है कि हमें अपने धर्म से लगाव रखना चाहिए।उन्होंने कहा कि आज सनातन धर्म से जुड़े लोग इसे आगे बढ़ाने में लगे हैं, लेकिन कुछ लोग इसी धर्म के होकर भी इसमें साथ नहीं दे रहे हैं।प्रणव पुरी जी महाराज ने लोगों से अपील किया कि जहाँ कहीं भी कथा होती है,उन्हें पोस्टर देखकर वहां कथा सुनने पहुंच जाना चाहिए।उन्होंने तुलना करते हुए कहा कि यदि कहीं नाच गाने का कार्यक्रम होता है तो लोग बिना बुलाये ही पहुंच जाते हैं।इस दौरान हजारों लोग उपस्थित रहे।
निर्भया की याद में आइसा का कैंडल मार्च, महिला उत्पीड़न पर सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन पर तीखा हमला
प्रयागराज।निर्भया हत्याकांड की 13वीं बरसी पर ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) ने मंगलवार, 16 दिसंबर को इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कैंडल मार्च निकालकर देश में बढ़ते महिला उत्पीड़न और छात्रावासों में महिलाओं पर लगाए गए प्रतिबंधों का विरोध किया। मार्च विश्वविद्यालय के महिला छात्रावास से शुरू होकर बालसन चौराहा स्थित गांधी प्रतिमा तक निकाला गया। आइसा नेताओं और छात्र-छात्राओं ने कहा कि 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप ने पूरे देश को झकझोर दिया था, लेकिन इसके बावजूद महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पिछले वर्ष पश्चिम बंगाल के आरजी कर मेडिकल कॉलेज रेप केस से लेकर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में हुई रेप की घटनाओं तक, महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। संगठन ने मांग की कि ऐसे अपराधों पर सख्ती से रोक लगाई जाए और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए। मार्च की शुरुआत महिला छात्रावास परिसर में एक संक्षिप्त सभा से हुई, जहां छात्र-छात्राओं ने कविता और गीतों के माध्यम से अपने विचार रखे। इसी दौरान आरोप लगाया गया कि कार्यक्रम के समय महिला छात्रावास की दो-तीन वार्डन मेन गेट पर पहुंचीं और छात्राओं को बाहर निकलने व कार्यक्रम में शामिल होने से रोकने का प्रयास किया। आइसा ने इसे महिलाओं की स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए कड़ी निंदा की। सभा को संबोधित करते हुए आइसा प्रदेश अध्यक्ष कॉमरेड मनीष कुमार ने कहा कि मौजूदा भाजपा सरकार मर्दवाद और पितृसत्ता को बढ़ावा दे रही है, जिसके कारण महिलाओं के खिलाफ हिंसा में लगातार वृद्धि हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि अपराधियों पर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है। कार्यक्रम का संचालन आइसा इलाहाबाद विश्वविद्यालय इकाई अध्यक्ष कॉमरेड सोनाली ने किया। उन्होंने कहा कि देश में फासीवादी सत्ता कायम है और इसका सबसे बड़ा हमला महिलाओं पर हो रहा है। कार्यक्रम में कॉमरेड महुआ और कॉमरेड साक्षी ने गीत प्रस्तुत किए, जबकि पूजा, जैनब, आकांक्षा, अनन्या, आशीष, अविराम, श्वेतांक सहित कई छात्र-छात्राओं ने कविताएं पढ़ीं। इस मौके पर भानु, विवेक, शशि भूषण, सुधीर, अमित, मानवेन्द्र, सुजीत, गोविंद, प्रदीप्त, रितेश, अभिनव, कुलदीप, रूपम, प्रतिमा, शिवानी, बंदना, शिल्पी, शुभम, पूजा साहनी, शिवांगी, विकास, अनुज, केतन, आर्यन सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं और शोधार्थी मौजूद रहे।
*बंगाली कायस्थों को साधने के लिए नितिन को बागडोर : जितेन्द्र बच्चन*
पश्चिम बंगाल में खेला होगा, यह तो सभी जानते हैं। लेकिन खेल का असली मदारी कौन है, यह नितिन नबीन की ताजपोशी से पता चलता है। नितिन को देश की सबसे बड़ी पार्टी का ताज उस दौर में मिला है जब बिहार से लेकर देशभर में जाति आधारित वोट बैंक की राजनीति केंद्र में है। कायस्थ समाज के नितिन को बीजेपी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर पीएम मोदी ने सियासत की बाजी पलट दी है। बीजेपी के ऐलान ने जहां उन तमाम अटकलों को गलत साबित कर दिया जिनमें बड़े दिग्गजों को पार्टी की कमान सौंपने की चर्चा हो रही थी, वहीं 45 साल के नितिन नबीन पर दांव खेलकर मोदी ने 'मिशन बंगाल' को लेकर अपने इरादे भी साफ कर दिए हैं। पश्चिम बंगाल में कायस्थों की अच्छी खासी आबादी है और उन्हें ब्राह्मणों व वैद्यों के साथ बंगाल की पारंपरिक उच्च जातियों (भद्रलोक) में गिना जाता है, जो शिक्षा, लेखन और प्रशासन से जुड़े हुए हैं। बंगाल में आजादी के बाद 37 साल तक कायस्थों के हाथ में सत्ता रही है और करीब 24 लाख मतदाता इस वर्ग के हैं। बंगाल में सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले ज्योति बसु भी कायस्थ थे। यहां के कायस्थ सदियों से भूमिधर हैं। बंगाल के सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने में उनका महत्वपूर्ण वर्चस्व है। ऐसे में मोदी का मानना है कि कायस्थ्य समाज के नितिन नबीन बीजेपी के लिए बंगाल विधानसभा चुनाव में ट्रंप कार्ड साबित हो सकते हैं और उनके संकेत पर पार्टी ने 14 दिसंबर को नितिन नबीन को जेपी नड्डा का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। इस तरह यह नियुक्ति भाजपा के इतिहास में सबसे युवा राष्ट्रीय नेता रूप में दर्ज हो गई है। दरसअल, बिहार विधानसभा चुनाव (2025) में बीजेपी ने पारंपरिक रूप से कायस्थ बहुल सीटों, जैसे कुम्हरार में कायस्थ उम्मीदवारों के टिकट काट दिए या उनकी जगह दूसरी जातियों के उम्मीदवारों को मैदान में उतार दिया। इससे कायस्थों में यह भावना पैदा हो गई कि पार्टी उन्हें कम महत्व दे रही है। इससे पहले केंद्र और राज्यों के मंत्रिमंडल में भी कायस्थ संगठनों की शिकायत रही है कि उनके समाज के विधायकों को मंत्रिमंडल में उचित स्थान नहीं दिया गया, जबकि पार्टी का कायस्थ समाज वफादार मतदाता रहा है। अन्य पिछड़ा वर्ग और दलित समुदाय के नेताओं को समायोजित करने की बीजेपी की सामाजिक इंजीनियरिंग नीति में भी कायस्थों को हाशिए पर धकेल दिया गया। इससे कायस्थों में असंतोष पनपने लगा, जिसे दूर करने के प्रयास में बीजेपी ने बिहार के कायस्थ नेता नितिन नबीन को पार्टी की बागडोर सौंप दी। नरेंद्र मोदी के इस कदम को कायस्थ समाज के बीच डैमेज कंट्रोल (नुकसान की भरपाई) के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। मोदी के इस फैसले से कायस्थ समाज की नाराजगी भी दूर हो गई और बंगाल के कायस्थों का वोट मिलना भी अब पक्का माना जा रहा है। लेकिन बीजेपी के नए राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन के सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। बंगाल और असम चुनाव से पहले महाराष्ट्र में बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) समेत 29 नगर निकायों में 15 जनवरी 2026 को चुनाव की घोषणा हो गई है। बीजेपी की अगुवाई वाली महायुति सरकार का एक साल बाद यह पहला लिटमस टेस्ट होगा। जबकि असम विधानसभा चुनाव मार्च-अप्रैल में कराया जा सकता है। बीजेपी यहां लगातार दो बार से सत्ता में है। 126 सीटों वाली विधानसभा में एनडीए ने 75 सीटें जीती थीं। हिमंता बिस्वा सरमा की अगुवाई में बीजेपी के लिए यहां लगातार तीसरी जीत हासिल करने की बड़ी चुनौती होगी। देखना है कि नितिन नबीन इन चुनौतियों से कैसे पार पाते हैं? *(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)*