नया श्रम कानून से कामगारों को मिलेगा अधिक लाभ : राजेश दूबे
मीरजापुर। मिर्जापुर असंगठित कामगार यूनियन (माकू) अध्यक्ष राजेश दुबे एडवोकेट ने उ0प्र0 सरकार एवं भारत सरकार को धन्यवाद देते हुए इस नये कानून पर श्रमिकों को बधाई दी।
जिले के मुहकुचवां स्थित कैम्प कार्यालय पर हुई चर्चा के दौरान अध्यक्ष राजेश ने नये श्रम कानून को बेहतर बताया और कहा कि पूर्व मे कुल अलग -अलग 29 प्रकार के श्रम कानून से अलग-अलग बातें सामने निकल कर आई थी। यह कानून आजादी से पूर्व सन् 1930 से सन् 1950 के बीच लाएं गए थे इसी बीच 2019 और 2020 में लाए गए कानून सुधार कानून को 21 नवंबर 2025 को केंद्र सरकार द्वारा लागू किया गया जो श्रमिक हित में बेहतर साबित होंगे। पूर्व के 29 कानूनों की जगह अब केवल चार श्रम कानून पूरे भारत के समस्त प्रदेशों में लागू हो गई है, जिससे तकरीबन 40 करोड़ से अधिक श्रमिकों को लाभ मिलेगा। यह कानून - कोड आंन वेजेज 2019, इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड 2019, कोड आंन सोशल सिक्योरिटी 2020, ऑक्यूपेशनल सेफ्टी,हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड 2020 के नाम से जाना जायेगा जैसा कि सरकार ने कहा है। नए कानून लागू होने से न्यूनतम एवं समय पर वेतन जैसा कि पहले देर से मिलती थी लेकिन अब कामगारों को 01 से 07 तारीख के बीच में प्रत्येक माह मिलेगी और न मिलने पर इसे अपराध माना जाएगा। ग्रेच्युटी के नियम जो पूर्व में 5 साल काम करने पर लागू होते थे अब वह 1 वर्ष में लागू होंगे। हर कामगार को नियुक्ति पत्र मिलेगी। श्रमिक को ओवरटाइम का दुगना भुगतान मिलेगा। 40 साल से अधिक श्रमिकों का मुफ्त स्वास्थ्य चेकअप होगा इस प्रकार के अनेक फायदे इस नए कानून के आ जाने से श्रमिक वर्ग को मिलेगा। यूनियन के अध्यक्ष राजेश दुबे ने कहा सभी क्षेत्रों में श्रमिक कल्याण को मजबूत करने के उद्देश्य से यह हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में जाना जायेगा, भारत के लंबे समय से प्रतिक्षित श्रम सुधार लागू हो गए हैं, सभी चार नए श्रम कोड आधिकारिक तौर पर अधिसूचित और 21 नवंबर, 2025 से लागू हो गए हैं।
महामंत्री मंगल तिवारी ने कहा प्रधानमंत्री द्वारा श्रमिकों के कल्याण के लिए उठाया गया एक बड़ा कदम है। सूचनाओं के अनुसार 18 हजार तक की आय वाले पत्रकारों को भी लाभ मिलेगा।डिलीवरी और मोबिलिटी कर्मचारियों को भी बड़ी राहत होगी। घर और कार्यस्थल के बीच यात्रा के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं को अब रोजगार से संबंधित माना जाएगा, जिससे कर्मचारी दुर्घटना मुआवजे के पात्र बनेंगे। लाभों की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए, सरकार ने आधार से जुड़े एक यूनिवर्सल अकाउंट नंबर शुरू किया है, जिससे राज्यों में कल्याणकारी योजनाओं तक आसान और पोर्टेबल पहुंच संभव हो सकेगी।
ये संहिताए सभी प्रकार के लैंगिक भेदभाव पर रोक लगाती हैं और समान कार्य के लिए समान वेतन सुनिश्चित करती हैं। महिलाएं अब रात्रि प्रहार में काम कर सकती हैं और सभी प्रकार के उद्योगों में काम कर सकती हैं, जिनमें खनन और भारी मशीनरी जैसे पहले प्रतिबंधित क्षेत्र भी शामिल हैं, बशर्ते उनकी सहमति और अनिवार्य सुरक्षा व्यवस्था हो। 26 सप्ताह के सवेतन अवकाश, शिशुगृह सुविधाओं तक पहुंच और घर से काम करने के लचीले विकल्पों के साथ मातृत्व लाभों को और मजबूत किया गया है। महिला कर्मचारियों को 3,500 रुपये का चिकित्सा बोनस भी मिलेगा। इसके अतिरिक्त, महिला श्रमिकों के लिए परिवार की परिभाषा का विस्तार करके इसमें सास-ससुर को भी शामिल किया गया है, जिससे सामाजिक सुरक्षा प्रावधानों के तहत आश्रितों का दायरा बढ़़ गया है। उन्होंने नए श्रम संहिताओं के कार्यान्वयन का स्वागत करते हुए कहा है कि ये सुधार लंबे समय से लंबित सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करेंगे, श्रमिक अधिकारों को सुव्यवस्थित करेंगे और उन लाखों लोगों तक कवरेज का विस्तार करेंगे जो पहले औपचारिक दायरे से बाहर थे।
चर्चा के दौरान अध्यक्ष ने श्रमिकों के प्रति यूनियन की तरफ से शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि हम सभी माकू यूनियन की तरफ से चुनार क्षेत्र के उन तिनों दिवंगत श्रमिकों, अजय कुमार (21) पप्पू कुमार (25) गोविंद मौर्य (22) को अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त करते हैं जिनकी राजस्थान प्रदेश में कार्य के दौरान सीमेंट फैक्ट्री के बॉयलर फटने से मौत हो गई।
6 hours ago
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