झारखंड में पेसा (PESA) राज का आगाज़: मुख्यमंत्री ने नगाड़ा बजाकर मनाया जश्न, कहा– "अब ग्राम सभाएं होंगी असली सरकार"

रांची | 24 दिसंबर 2025: मुख्यमंत्री आवासीय परिसर आज एक ऐतिहासिक उत्सव का गवाह बना। राज्य मंत्रिपरिषद द्वारा पेसा नियमावली 2025 को मंजूरी दिए जाने के बाद राज्यभर से आए पारंपरिक ग्राम प्रधानों, मानकी-मुंडाओं और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन का आभार जताया। खुद मुख्यमंत्री ने पारंपरिक नगाड़ा बजाकर इस फैसले की खुशी राज्यवासियों के साथ साझा की।

जल-जंगल-जमीन पर अब जनजातीय समाज का अधिकार

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि पेसा कानून का धरातल पर उतरना हमारे पूर्वजों और वीर शहीदों के सपनों को साकार करने की दिशा में सबसे बड़ा कदम है। उन्होंने जोर देकर कहा:
- शक्तियों का विकेंद्रीकरण: अब अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाएं शक्तिशाली होंगी। उन्हें अपनी परंपराओं, संस्कृति और प्राकृतिक संसाधनों (जल, जंगल, जमीन) के प्रबंधन का पूर्ण अधिकार होगा।

- देश के लिए नजीर: मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि झारखंड की पेसा नियमावली अपनी समावेशी प्रकृति के कारण पूरे देश के लिए एक रोल मॉडल साबित होगी।
- भावनाओं का कानून: "पेसा सिर्फ एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, यह हमारी अस्मिता और भावनाओं का परिचायक है," मुख्यमंत्री ने भावुक होते हुए कहा

विकास की लंबी और गाढ़ी लकीर
संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य के भविष्य के लिए अपना विजन साझा किया:

- ग्रामीण मजबूती: गांव मजबूत होंगे, तभी राज्य सशक्त बनेगा।
- युवाओं को संबल: आर्थिक रूप से कमजोर आदिवासी बच्चों के लिए मुफ्त मेडिकल और इंजीनियरिंग कोचिंग की शुरुआत एक बड़े बदलाव की शुरुआत है।
- मइयां सम्मान: योजना के जरिए 50 लाख महिलाओं का सशक्तिकरण ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन रहा है।
"आलोचना से नहीं, योजनाओं की असफलता से डरता हूँ"
अपनी कार्यशैली पर बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वे विरोधियों की आलोचनाओं से विचलित नहीं होते, बल्कि उनका ध्यान इस बात पर रहता है कि योजनाएं शत-प्रतिशत सफल हों और अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक लाभ पहुंचे।
ग्राम प्रधानों ने जताया आभार
गुमला, सरायकेला-खरसावां और पूर्वी सिंहभूम से आए ग्राम प्रधानों (राम प्रसाद बड़ाईक, दिवाकर सोरेन, कान्हू मुर्मू आदि) ने एक स्वर में कहा कि वर्षों पुरानी मांग पूरी कर मुख्यमंत्री ने जनजातीय समाज को वास्तविक मान-सम्मान दिया है।
2 hours and 6 min ago
विकास की लंबी और गाढ़ी लकीर
संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य के भविष्य के लिए अपना विजन साझा किया:
"आलोचना से नहीं, योजनाओं की असफलता से डरता हूँ"
अपनी कार्यशैली पर बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वे विरोधियों की आलोचनाओं से विचलित नहीं होते, बल्कि उनका ध्यान इस बात पर रहता है कि योजनाएं शत-प्रतिशत सफल हों और अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक लाभ पहुंचे।
ग्राम प्रधानों ने जताया आभार
गुमला, सरायकेला-खरसावां और पूर्वी सिंहभूम से आए ग्राम प्रधानों (राम प्रसाद बड़ाईक, दिवाकर सोरेन, कान्हू मुर्मू आदि) ने एक स्वर में कहा कि वर्षों पुरानी मांग पूरी कर मुख्यमंत्री ने जनजातीय समाज को वास्तविक मान-सम्मान दिया है।
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