मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा- झारखंड की मिट्टी आदिवासी अस्मिता की प्रतीक; संस्कृति, शिक्षा और प्रकृति की रक्षा के लिए सरकार प्रतिबद्ध

कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवासीय परिसर में आज देश के विभिन्न राज्यों से आए आदिवासी प्रतिनिधियों का मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने हार्दिक स्वागत किया। इस अवसर पर देशभर के प्रतिनिधियों ने एकजुट होकर अपने हक-अधिकारों के लिए संघर्ष करने और श्री सोरेन से देश भर के आदिवासी संघर्षों को नेतृत्व प्रदान करने का आह्वान किया।

झारखंड की विरासत और अस्मिता

मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने अपने संबोधन में झारखंड की धरती की विरासत को रेखांकित किया।

वीरों की विरासत: उन्होंने कहा, "झारखंड की धरती हमेशा से वीरता, स्वाभिमान और संघर्ष की प्रतीक रही है। धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा से लेकर दिशोम गुरु शिबू सोरेन जैसे अनेक वीर-वीरांगनाओं के त्याग और संघर्ष ने आदिवासी अस्मिता को नई दिशा दी है।"

अस्मिता की शक्ति: उन्होंने जोर दिया कि वीरों की विरासत, स्वाभिमान की प्रतीक — झारखंड की मिट्टी में ही आदिवासी अस्मिता की शक्ति बसती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज ने मानव सभ्यता के निर्माण एवं संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और अब एकता व जागरूकता की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है।

सरकार की अटूट प्रतिबद्धता

मुख्यमंत्री सोरेन ने आदिवासी समाज के हित में झारखंड सरकार की प्राथमिकताओं को गिनाया:

संस्कृति और शिक्षा: उन्होंने कहा कि सरकार संस्कृति की रक्षा, शिक्षा की प्रगति और प्रकृति के संतुलन के लिए अटूट रूप से प्रतिबद्ध है।

विदेश में उच्च शिक्षा: उन्होंने बताया कि झारखंड आज देश का पहला राज्य है, जहाँ आदिवासी समाज के विद्यार्थी सरकारी खर्च पर विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, जिससे समाज में एक नई रोशनी जगी है।

प्रकृति का उपासक: मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति का उपासक है और पर्यावरण संरक्षण उसकी जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने प्रकृति से संतुलन बनाए रखने को सामूहिक जिम्मेदारी बताया।

एकजुटता और भविष्य की रणनीति

मुख्यमंत्री ने आदिवासी समाज के सर्वांगीण सशक्तीकरण के लिए दो मुख्य मंत्र दिए: एकजुटता और आत्मनिर्भरता।

सक्रिय भूमिका: उन्होंने प्रतिनिधियों की वर्षों की मेहनत की सराहना करते हुए कहा कि आने वाले दिनों में वह स्वयं भी देश के विभिन्न हिस्सों में व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाने में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।

राष्ट्रीय एजेंडा: उन्होंने कहा, "हमें एकजुट होकर ऐसा संघर्ष करना होगा, जिससे हमारी समस्याएं केवल आवाज बनकर न रह जाएं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के एजेंडे का हिस्सा बन सकें।" उन्होंने कहा कि आदिवासी एक बिखरे लोग नहीं, बल्कि एक राष्ट्र-समुदाय हैं।

प्रतिनिधियों का सहयोग

गुजरात, महाराष्ट्र, असम, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और मणिपुर सहित देश के विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने झारखंड सरकार के प्रयासों की सराहना की और राज्य सरकार के साथ सतत सहयोग का आश्वासन दिया। प्रतिनिधियों ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन के त्याग, संघर्ष और योगदान को भी नमन किया।

इस अवसर पर मंत्री श्री दीपक बिरुआ, मंत्री श्री चमरा लिंडा, विधायक श्रीमती कल्पना सोरेन एवं श्री अशोक चौधरी समेत सैकड़ों की संख्या में आदिवासी प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

जनता दरबार में ताबड़तोड़ कार्रवाई: राँची के सभी अंचलों में सैकड़ों आवेदनों का हुआ मौके पर निष्पादन, Panji-2 और मुआवज़े के मामले निपटे

राँची।

उपायुक्त-सह-जिला दंडाधिकारी, राँची श्री मंजूनाथ भजन्त्री के निर्देशानुसार, मंगलवार (02 दिसंबर 2025) को जिले के सभी अंचलों में एक व्यापक जनता दरबार का आयोजन किया गया। इस दौरान शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से आए सैकड़ों लोगों की समस्याओं और आवेदनों का मौके पर ही त्वरित निष्पादन किया गया, जो प्रशासन की पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की दिशा में एक प्रभावी कदम साबित हुआ।

राजस्व से लेकर प्रमाण पत्रों तक की सेवाएं

जनता दरबार के माध्यम से जिलेवासियों को आवश्यक सरकारी सेवाएं त्वरित और सुगम रूप से उपलब्ध कराई गईं। इन सेवाओं में प्रमुख थे:

प्रमाण पत्र निर्गमन (आवासीय, आय, जाति, पारिवारिक सदस्यता)।

राजस्व से संबंधित कार्य और पंजी-2 सुधार।

सामाजिक सुरक्षा और पेंशन के मामले।

भू-अर्जन मुआवज़ा प्रक्रिया को आगे बढ़ाना।

केसीसी (KCC) सहित अन्य आवश्यक कार्य।

अंचल अधिकारियों ने आवेदकों की समस्याओं को गंभीरता से सुनते हुए तत्काल उनके समाधान की दिशा में कदम उठाए।

अंचलवार कार्यों का त्वरित निष्पादन

जनता दरबार में कई लंबित और महत्वपूर्ण मामलों का निपटारा हुआ:

अंचल प्रमुख निष्पादन कार्य आवेदनों की संख्या

बेड़ो राजस्व, प्रमाण पत्र और सामाजिक सुरक्षा/पेंशन से संबंधित 144 मामले। 144

राहे आय, जाति, स्थानीयता, पारिवारिक सदस्यता एवं राजस्व संबंधी 88 आवेदनों का निपटारा। 88

ईटकी आवासीय, जाति, आय प्रमाण पत्र, पंजी-2 सुधार और आपदा प्रबंधन सहित कुल 71 मामलों का समाधान। 71

अनगड़ा लंबित राजस्व मामलों का निपटारा किया गया। चमरु महतो का पंजी-2 में सुधार हुआ। भू-अर्जन से संबंधित मुआवजा राशि भुगतान की प्रक्रिया (जीतराम भोगता) आगे बढ़ाई गई। कई लंबित मामले निपटे।

सोनाहातू दिनेश कुमार महतो को आचरण प्रमाण पत्र और मुटुक देवी को पारिवारिक सदस्यता प्रमाण पत्र निर्गत किया गया। -

माण्डर कालीचरण महतो को शुद्धि पत्र और बहादुर सिंह को लगान रसीद प्रदान की गई। -

ये सभी कार्य नागरिकों के भूमि संबंधी अधिकारों को सुदृढ़ करने और सरकारी सेवाओं को सरल बनाने में महत्वपूर्ण साबित हुए।

DC ने बताया 'सेवा का अधिकार' को मजबूती देने वाला कदम

उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी श्री मंजूनाथ भजन्त्री ने जनता दरबार को पारदर्शी एवं उत्तरदायी प्रशासन की दिशा में एक प्रभावी कदम बताया। उन्होंने कहा कि जनता दरबार का मुख्य उद्देश्य लोगों को सुविधाओं के लिए भटकने से बचाना और सरकारी सेवाओं को जन-जन तक तत्परता के साथ पहुँचाना है।

उपायुक्त ने सभी अधिकारियों को प्रत्येक मंगलवार को जनता दरबार का नियमित आयोजन कर नागरिकों की समस्याओं का समाधान समयबद्ध तरीके से करने के निर्देश को दोहराया।

*डॉ.राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या 2025-2026 की मुख्य परीक्षा आज से शुरू*
आज 2 दिसम्बर 2025 से दो पाली में परीक्षा सम्पन्न हो रही है जिसमें द्वितीय पाली 11:30 से 01:30 तक बी.ए./बी.एस.सी/बी.काम तृतीय सेमेस्टर तथा एम.ए/एम.एस-सी.तृतीय सेमेस्टर एवं तृतीय पाली 02:30 04:30 तक बी.ए/बी.एस-सी/बी.काम पंचम सेमेस्टर की परीक्षाएं बहुत ही सुचिता पूर्ण सुचारू रूप से नक़ल विहीन परीक्षा सम्पन्न कराने के लिए गनपत सहाय पी.जी.कालेज सुलतानपुर के प्राचार्य/केन्द्राध्यक्ष प्रो.अंग्रेज सिंह ने आन्तरिक उड़ाका दल का गठन किया है। परीक्षा के पूर्व मुख्य गेट पर ही तलाशी लेने के बाद ही छात्र/छात्राएं परीक्षा कक्ष में प्रवेश करते हैं। मुख्य रूप से प्रो.मो.शाहिद, प्रो. राजीव कुमार श्रीवास्तव,प्रो.शक्ति सिंह, प्रो.नीलम त्रिपाठी,प्रो.मनोज मिश्र, डॉ.सूर्य प्रकाश मिश्र,डॉ.अजय कुमार मिश्र,डॉ. आशीष द्विवेदी,डॉ.संध्या श्रीवास्तव,डॉ.विष्णु शंकर अग्रहरि परीक्षा के समय उपस्थित रहे।डॉ.कुंवर दिनकर प्रताप सिंह,दिनेश दूबे,अंशू श्रीवास्तव,यमुना प्रसाद,अजय प्रताप सिंह,अरुण मिश्र इत्यादि लोग परीक्षा में महत्वपूर्ण सहयोग कर रहे हैं।द्वितीय पाली में लगभग 500 छात्र/छात्राएं तथा तृतीय पाली में लगभग 300 छात्र/छात्राएँ परीक्षा में सम्मिलित हुए।
Sambhal इंडियन फ्रोजन फूड के अकाउंटेंट के घर आईटी की छापेमारी, लैपटॉप और दस्तावेज खंगाल रही टीम

संभल। इंडियन फ्रोजन फूड से जुड़े एक बड़े मामले में मंगलवार को आयकर विभाग की टीम ने शहर के चमन सराय क्षेत्र में रहने वाले अकाउंटेंट गुफरान पुत्र अरकान के आवास पर छापेमारी की। आईटी टीम ने घर को अपने कब्जे में लेकर अंदर मौजूद इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जांच शुरू कर दी। बताया जा रहा है कि गुफरान सम्भल स्थित इंडियन फ्रोजन फूड फैक्ट्री में अकाउंटेंट के पद पर कार्यरत है और लंबे समय से वित्तीय व्यवस्थाओं से जुड़ा हुआ है।

सूत्रों के अनुसार, आईटी टीम सबसे पहले घर में रखे गए लैपटॉप और कंप्यूटर सिस्टम को खंगालने में जुट गई। टीम डिजिटल फाइलों, लेनदेन के रिकॉर्ड तथा अकाउंट से जुड़े संभावित डेटा की गहन जांच कर रही है। अधिकारियों का शक है कि फर्म से जुड़े कुछ वित्तीय लेनदेन संदेह के घेरे में हैं, जिनकी कड़ियां अकाउंटेंट के निजी रिकॉर्ड से जुड़ सकती हैं। छापेमारी के दौरान घर के बाहर पुलिस बल भी तैनात किया गया ताकि भीड़ न जुटे और कार्रवाई सुगमता से पूरी की जा सके। इस छापे की जानकारी मिलते ही क्षेत्र में हलचल बढ़ गई और कई लोग मौके पर हालात देखने जुटने लगे, मगर सुरक्षा बल ने किसी को भी आवास के करीब जाने की अनुमति नहीं दी। आईटी विभाग की यह कार्रवाई इंडियन फ्रोजन फूड से जुड़े संभावित कर चोरी और आर्थिक अनियमितताओं की जांच के हिस्से के रूप में देखी जा रही है। फिलहाल विभाग की ओर से आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन जांच पूरी होने तक टीम मौके पर डटी हुई है।

छात्रवृत्ति वितरण में देरी पर कल्याण मंत्री चमरा लिंडा सख्त, बोकारो, चतरा, गिरिडीह के अधिकारियों को लगाई फटकार


रांची/

कल्याण मंत्री श्री चमरा लिंडा ने सोमवार (01 दिसंबर 2025) को राज्य में छात्रवृत्ति योजना की प्रगति की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने साफ कहा कि छात्रों को छात्रवृत्ति मिलने में किसी भी हाल में देर नहीं होनी चाहिए।

धीमी गति पर चिंता और फटकार

मंत्री श्री लिंडा ने बोकारो, चतरा, और गिरिडीह जिलों में प्री-मैट्रिक (कक्षा 1-8 और 9-10) और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति के वितरण की धीमी गति पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में शत-प्रतिशत छात्रवृत्ति वितरण सुनिश्चित किया जाना चाहिए था।

इस धीमी प्रगति पर नाराजगी जताते हुए, उन्होंने बोकारो, चतरा, और गिरिडीह के जिला कल्याण पदाधिकारियों से कारण पृच्छा (कारण बताओ नोटिस) करने का भी निर्देश दिया।

शैक्षणिक सत्र समाप्त होने से पहले भुगतान का सख्त आदेश

कल्याण मंत्री श्री लिंडा ने जिला कल्याण पदाधिकारियों को कड़े निर्देश दिए हैं कि वे यथाशीघ्र वर्तमान शैक्षणिक सत्र समाप्त होने से पहले छात्रवृत्ति भुगतान संबंधी सभी कार्रवाई सुनिश्चित करें।

इसके साथ ही, उन्होंने सभी जिलों के उपायुक्तों (DCs) को निर्देश दिया कि वे ससमय जिला स्तरीय समिति की बैठक आयोजित करें और लंबित छात्रवृत्ति के आवेदनों पर तुरंत स्वीकृति प्रदान करने की कार्रवाई पूरी करें, ताकि छात्रों को समय पर आर्थिक सहायता मिल सके।

भक्ति की धारा में डूबा गढ़ी: प्राचीन पंचमुखी शिवालय में दिव्तीय वार्षिकोत्सव, उमड़ा जनसैलाब

ब्रह्म प्रकाश शर्मा,मुजफ्फरनगर।जानसठ । जानसठ कस्बे से सटे गांव गढ़ी में स्थित प्राचीन पंचमुखी शिवालय में सोमवार को भव्य दिव्तीय वार्षिकोत्सव समारोह का आयोजन किया गया, जिसने पूरे क्षेत्र को भक्तिमय बना दिया। इस अवसर पर आयोजित रूद्राभिषेक ,यज्ञ और विशाल भंडारे में शामिल होने के लिए दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।

वार्षिकोत्सव की शुरुआत सुबह पवित्र रूद्राभिषेक व यज्ञ से हुई। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच, विद्वान पंडितों ने विधि-विधान से भगवान शिव का अभिषेक किया। दूध, दही, घी, शहद, गन्ने का रस और विभिन्न औषधियों से किए गए इस अलौकिक अभिषेक को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिला-पुरुष और बच्चे मंदिर परिसर में मौजूद रहे।

पूरा वातावरण 'बम-बम भोले' के जयकारों से गूंज उठा। श्रद्धालुओं ने हाथ जोड़कर भगवान शिव से सुख-शांति और समृद्धि की कामना की। मंदिर समिति के नितिन कंबोज व अन्य सदस्यों ने बताया कि वार्षिकोत्सव का उद्देश्य धर्म के प्रति लोगों की आस्था को मजबूत करना और सामाजिक सद्भाव को बढ़ाना है। रूद्राभिषेक व यज्ञ की पूर्णाहुति के पश्चात, मंदिर परिसर में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। स्वादिष्ट व्यंजनों से सजे इस भंडारे में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पंक्तिबद्ध होकर प्रसाद ग्रहण किया।

गांव के युवाओं और मंदिर कमेटी के स्वयंसेवकों ने प्रसाद वितरण की व्यवस्था संभाली, ताकि किसी भी श्रद्धालु को असुविधा न हो। इस दौरान भंडारे में सेवा कर रहे एक स्थानीय निवासी ने बताया, "भगवान शिव की कृपा से यह आयोजन हर वर्ष सफल होता है। इस वर्ष भी भक्तों की अपार भीड़ ने आयोजन को भव्यता प्रदान की है। वार्षिकोत्सव के प्रति क्षेत्र के लोगों में भारी उत्साह देखने को मिला। भजन-कीर्तन और भक्ति गीतों के समय एक मनोरम दृश्य रहा ।

आयोजक कमेटी ने सभी श्रद्धालुओं के प्रति आभार व्यक्त किया और भविष्य में भी इसी तरह के धार्मिक आयोजनों को निरंतर जारी रखने का संकल्प दोहराया। इस सफल आयोजन ने एक बार फिर गढ़ी के प्राचीन पंचमुखी शिवालय को धार्मिक आस्था के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित किया है।

भारत ने साउथ अफ्रीका को हराया, विराट-कुलदीप और हर्षित ने रांची में दिलाई जीत

साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में बुरी तरह हारने वाली टीम इंडिया ने वनडे सीरीज में जोरदार आगाज करते हुए पहले मैच में जीत दर्ज कर ली. रांची में खेले गए पहले वनडे में टीम इंडिया ने विराट कोहली के शानदार और रिकॉर्डतोड़ शतक की मदद से 349 रन का बड़ा स्कोर खड़ा किया. इसके बाद हर्षित राणा के पहले ओवर और कुलदीप यादव के बीच के ओवर में किए करिश्मे से साउथ अफ्रीका को 332 रन पर रोक दिया. इस तरह भारत ने 17 रन से जीत दर्ज करते हुए 3 मैच की सीरीज में 1-0 की बढ़त ले ली.

कोहली का शतक, रोहित-राहुल भी चमके

रांची के JSCA क्रिकेट स्टेडियम में टीम इंडिया ने पहले बैटिंग की और शहर की खुशनुमा दोपहर में फैंस के लिए ये कदम अच्छा साबित हुआ. रांची के दर्शकों को विराट कोहली और रोहित शर्मा की बेहतरीन साझेदारी देखने का मौका मिला. एक महीने पहले सिडनी में कमाल की मैच जिताऊ पार्टनरशिप करने वाले दोनों दिग्गजों ने यहां भी शतकीय साझेदारी की और 136 रन जोड़े. रोहित (57) ने जहां अर्धशतक जमाया तो वहीं विराट ने शतक जड़कर ही दम लिया.

कोहली ने वनडे करियर का 52वां शतक जमाया और इस तरह सचिन तेंदुलकर के एक फॉर्मेट में सबसे ज्यादा शतक के रिकॉर्ड को तोड़ दिया. तेंदुलकर ने टेस्ट में 51 शतक लगाए थे. वहीं रांची के मैदान पर कोहली का ये तीसरा शतक था. उन्होंने सिर्फ 120 गेंदों में 135 रन ठोके, जिसमें 11 चौके और 7 छक्के थे. वहीं कप्तान केएल राहुल (60) ने भी अर्धशतक जमाया, जबकि रवींद्र जडेजा (32) ने भी तेज पारी खेली. साउथ अफ्रीका के लिए कॉर्बिन बॉश समेत 4 तेज गेंदबाजों ने 2-2 विकेट लिए.

हर्षित-कुलदीप ने 3-3 गेंदों में किया खेल

टीम इंडिया की पारी के बाद ये साफ था कि साउथ अफ्रीका के लिए भी रन बनाना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा. मगर दूसरे ही ओवर में हर्षित राणा (3/65) ने कहर बरपा दिया. अपने ओवर की पहली गेंद पर उन्होंने रायन रिकल्टन को बोल्ड किया और तीसरी गेंद पर क्विंटन डिकॉक को आउट कर दिया. दोनों ही खाता नहीं खोल सके. फिर अर्शदीप सिंह (2/64) ने तीसरी सफलता दिलाते हुए कप्तान एडन मार्करम को पवेलियन लौटाया. सिर्फ 11 रन पर ही 3 विकेट गिर गए थे लेकिन इसके बावजूद साउथ अफ्रीका के बल्लेबाजों ने हमला जारी रखा और अहम साझेदारी करते हुए भारत को आसानी से आगे नहीं आने दिया.

खास तौर पर मैथ्यू ब्रीत्जकी (72) और मार्को यानसन (70) की 97 रन की तूफानी साझेदारी ने टीम इंडिया को मुश्किल में डाल दिया था. मगर यहीं पर 34वें ओवर में कुलदीप यादव (4/68) ने तीन गेंदों के अंदर इन दोनों को पवेलियन लौटाते हुए टीम इंडिया की वापसी करवा दी. हालांकि इसके बाद भी साउथ अफ्रीका ने आसानी से हथियार नहीं डाले. कॉर्बिन बॉश (67) ने धुआंधार बल्लेबाजी करते हुए सिर्फ 40 गेंदों में अर्धशतक जमा दिया. आखिरी ओवर में साउथ अफ्रीका को 18 रन की जरूरत थी लेकिन प्रसिद्ध कृष्णा ने दूसरी गेंद पर बॉश को आउट करते हुए साउथ अफ्रीका की उम्मीदों को खत्म किया.

*पुलिस लाइन में रिक्रूट्स का शौर्य चमका,तीन दिवसीय खेल महोत्सव संपन्न* सुलतानपुर।पुलिस लाइन सुलतानपुर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे रिक्रूट्स के
*पुलिस लाइन में रिक्रूट्स का शौर्य चमका,तीन दिवसीय खेल महोत्सव संपन्न*


सुलतानपुर।पुलिस लाइन सुलतानपुर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे रिक्रूट्स के लिए आयोजित तीन दिवसीय खेल प्रतियोगिता एकता और शौर्य रविवार को उत्साह के साथ संपन्न हुई। पुलिस अधीक्षक कुँवर अनुपम सिंह के निर्देशन में हुए इस आयोजन में रिक्रूट्स ने एथलेटिक्स, कोर्ट गेम्स और टीम खेलों में दमखम दिखाया।एसपी ने फीता काटकर प्रतियोगिता का शुभारंभ किया और रिक्रूट्स को खेलों के माध्यम से टीम भावना, अनुशासन और निर्णय क्षमता को मजबूत करने का संदेश दिया। तीन दिनों तक चले इस आयोजन में 1600 मीटर दौड़, रिले, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल, रस्साकसी और चेस जैसे मुकाबलों में प्रतिभागियों ने शानदार प्रदर्शन किया।खेलों के दौरान अपर पुलिस अधीक्षक सहित क्षेत्राधिकारी लाइन, प्रतिसार निरीक्षक, प्रभारी आरटीसी और समस्त आरटीसी स्टाफ मौजूद रहा। अधिकारियों ने खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाया और उनके प्रदर्शन की सराहना की।बैडमिंटन में टोली नंबर 02 के मनोज सिंह चेस्ट 47 व अशोक धाकड़ चेस्ट 46 विजेता रहे, जबकि टोली 09 के रितिक चंदेल चेस्ट 255 व साहिल यादव चेस्ट 261 उपविजेता बने।टेबल टेनिस में टोली नंबर 01 से साहिल यादव चेस्ट 261 और रितिक चंदेल चेस्ट 255 विजेता रहे, वहीं टोली 02 के शशांक कुमार चेस्ट 157 व सतेन्द्र कुमार चेस्ट 175 उपविजेता रहे।
गृहस्थ आश्रम : जीवन-दर्शन का स्वर्णिम मध्यस्थ
संजीव सिंह बलिया! गृहस्थ आश्रम : भारतीय जीवन-दर्शन का केंद्रबिंदु भारतीय ज्ञान परम्परा का प्रवाह हजारों वर्षों से ऐसे चलता आया है, मानो हिमालय की शाश्वत शृंखलाओं से निकली कोई दिव्य नदी हो—कभी शांत, कभी प्रचण्ड, परन्तु सदैव जीवनदायिनी। इस परम्परा में गृहस्थ आश्रम कभी न तो उपेक्षा का विषय रहा है, न ही निन्दा का। भारतीय मानस समझता रहा है कि जीवन केवल संन्यास की पथरीली कंदराओं में ही नहीं, बल्कि गृहस्थी के दीप-स्तंभों में भी वैसे ही प्रकाशित होता है जैसे किसी मन्दिर की ज्योति में ईश्वर का तेज। भारत के ऋषि-कुल को देखें तो प्रतीत होगा कि हमारा समाज वास्तव में “ऋषियों की संतान” है। लगभग प्रत्येक ऋषि—अत्रि, वशिष्ठ, कश्यप, याज्ञवल्क्य—सभी गृहस्थ थे; उनकी ऋचाएँ, ब्रह्मज्ञान और अध्यात्म की ऊँचाइयाँ गृहस्थ जीवन की गोद में ही पलकर विराटता प्राप्त कर सकीं। सोलह संस्कारों में विवाह को प्रमुख इसलिए कहा गया कि यह न केवल एक वैयक्तिक संस्कार था, बल्कि सम्पूर्ण समाज के संतुलन का आधार-स्तंभ था—मानो मनुष्य-जीवन का वह द्वार जहाँ से कर्तव्य, प्रेम, त्याग और सृजन सब मिलकर प्रवेश करते हों। सनातन वैदिक धर्म ने मनुष्य-जीवन को सौ वर्ष का पूर्ण वृत्त मानकर उसे चार आश्रमों में विभाजित किया—ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास। यह विभाजन मात्र आयु-क्रम नहीं था; यह जीवन का एक चतुर्ऋतु-चक्र था—ब्रह्मचर्य वसंत की तरह ज्ञान और उत्साह का; गृहस्थ ग्रीष्म की भाँति कर्म, तप और दायित्व का; वानप्रस्थ शरद की तरह मन्द, उज्ज्वल और अनुभवों का; और संन्यास हेमंत की तरह निर्मल, शांत और मोक्षमार्ग का। सबको इन चारों से होकर गुजरना था ताकि व्यक्ति जीवन को सम्पूर्ण रूप में जी सके और अन्ततः समाज को अपनी परिपक्व प्रतिभा अर्पित कर सके। जो पंथ जीवन के प्रारम्भिक वर्षों में ही संन्यास अनिवार्य कर बैठे—वे एक ओर सूखे हुए वृक्षों की तरह खड़े रहे, जिनकी जड़ें समाज की मिट्टी से कट गईं; और जब जड़ों का रस ही समाप्त हो जाए, तो वृक्ष कितने दिन टिक सकता है? फलतः ऐसे पंथ काल के थपेड़ों में विलीन हो गए। भारतीय इतिहास पर दृष्टि डालें तो ऐसा प्रतीत होता है मानो प्रवृत्ति और निवृत्ति किसी विशाल समुद्र में उठती-गिरती लहरों की तरह हैं—कभी प्रवृत्ति की ज्वार, तो कभी निवृत्ति का भाटा। वैदिक काल कर्म, यज्ञ और सामाजिक सक्रियता का युग था; उपनिषदकाल में निवृत्ति के बीज अंकुरित हुए—मौन, ध्यान, आत्मबोध शिखर की ओर बढ़े; बौद्ध काल में निवृत्ति ने वटवृक्ष का रूप ले लिया—विस्तार, गहराई और व्यापकता के साथ; और पुनः मुगल व आधुनिक युग में प्रवृत्ति ने अपनी जमीन वापस पा ली—कर्म, समाज, कुटुम्ब और राष्ट्र की चेतना उन्नत हुई। इस प्रकार भारत में प्रवृत्ति से निवृत्ति और निवृत्ति से प्रवृत्ति का आवागमन निरंतर चलता रहा—मानो सूर्य दिन में चमके और रात में चन्द्रमा; दोनों आवश्यक, दोनों पूरक। समाज ने मनुष्य को सामाजिक बनाया है; इसलिए समाज का ऋण चुकाए बिना संन्यास लेकर पलायन कर जाना भारतीय मनस्विता का मार्ग नहीं रहा। वन ही सत्य का एकमात्र द्वार नहीं—गृहस्थ का अन्न, गृहस्थ की अग्नि और गृहस्थ की करुणा से ही ऋषियों का वन-जीवन पोषित हुआ। गृहस्थ आश्रम बिना पानी के वह नदी होता, जिसमें न तो प्रवाह होता न जीवन। अतः संन्यास को भी वही व्यक्ति ग्रहण करता था जिसने गृहस्थ-धर्म को पूर्ण निष्ठा से निभाया हो—तभी उसका संन्यास समाज के लिए प्रकाश-दीप होता था, पलायन नहीं। भारतीय जीवन-दर्शन कभी एकांगी नहीं रहा। उसने प्रवृत्ति और निवृत्ति, गृहस्थ और संन्यास, कर्म और ध्यान—सबको एक ही सूत्र में पिरोया। इससे सम्बंधित दृष्टांत महाभारत के वन पर्व में वर्णित है, जिसमें ऋषि माकंदव्य ने युधिष्ठिर को यह कहानी सुनाई थी। इसे कपोतोपाख्यान (कबूतर की कहानी) के नाम से जाना जाता है। यह कहानी धर्म, वैराग्य, और गृहस्थ धर्म के श्रेष्ठ आदर्शों को दर्शाती है -एक समय की बात है, एक अति सुंदर और गुणवान ऋषिकुमार थे, जो बचपन से ही विरक्त (दुनिया से मोह रहित) और तपस्वी स्वभाव के थे। वह ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए वन में वास करते थे। उसी राज्य में एक राजकुमारी थी, जो अत्यंत रूपवती और धर्मात्मा थी। जब वह विवाह योग्य हुई, तो राजा ने उसका स्वयंवर आयोजित किया। देश-विदेश के अनेक राजकुमार और प्रतिष्ठित व्यक्ति उस स्वयंवर में उपस्थित हुए। राजकुमारी ने जब सभा में उपस्थित सभी लोगों को देखा, तो उसे कोई भी अपने योग्य नहीं लगा। तभी उसकी दृष्टि उस ऋषिकुमार पर पड़ी जो किसी कारणवश सभा में मौजूद थे। ऋषिकुमार का तेजस्वी रूप, शांत स्वभाव और वैराग्य से भरा व्यक्तित्व राजकुमारी को इतना भाया कि उसने लेशमात्र भी विचार किए बिना, उन ऋषिकुमार के गले में वरमाला डाल दी। यह देखकर पूरी सभा चकित रह गई, क्योंकि ऋषिकुमार तो वैरागी थे और विवाह के बंधन से दूर रहना चाहते थे। जैसे ही राजकुमारी ने ऋषिकुमार को वरमाला पहनाई, तो ऋषिकुमार को लगा कि उनका ब्रह्मचर्य भंग हो रहा है और वह सांसारिक मोह-माया के बंधन में फंस रहे हैं। राजकुमारी के चयन को स्वीकार न करते हुए, वह तत्काल उस स्वयंवर सभा से उठकर गहन वन की ओर भाग गए। राजकुमारी भी उनके पीछे भागी, लेकिन ऋषिकुमार वैराग्य की धुन में तेजी से आगे निकल गए और घने जंगल में अदृश्य हो गए। राजकुमारी ने जब ऋषिकुमार को भागते हुए देखा, तो वह अत्यंत दुखी हुई और राजा से कहा कि वह उसी ऋषिकुमार को पति के रूप में स्वीकार करेंगी। राजा अपनी बेटी के हठ के कारण चिंतित हुए और अपने मंत्री के साथ उस ऋषिकुमार को ढूंढने के लिए जंगल की ओर निकल पड़े। काफी देर तक भटकने के बाद भी वे ऋषिकुमार को नहीं ढूंढ पाए। राजा और मंत्री दोनों ही जंगल में रास्ता भटक गए और दिन ढलने लगा। वे भूख-प्यास से व्याकुल हो गए और थककर एक विशाल वृक्ष के नीचे बैठ गए। जिस पेड़ के नीचे राजा और मंत्री बैठे थे, उसी पर एक कबूतर (कपोत) अपनी पत्नी कबूतरी (कपोती) के साथ एक घोंसले में रहता था। जब कबूतरी ने नीचे राजा और मंत्री को ठंड से ठिठुरते और भूख से पीड़ित देखा, तो वह अपने पति कबूतर से बोली - "हे नाथ! ये दोनों अतिथि हैं और भूख-प्यास से व्याकुल हैं। अतिथि का सत्कार करना गृहस्थ का परम धर्म है। हमारे पास इन्हें देने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन हमें किसी भी प्रकार से इनकी सेवा करनी चाहिए।" कबूतर, जो धर्मात्मा और परम ज्ञानी था, अपनी पत्नी के धर्मनिष्ठ विचार से अत्यंत प्रसन्न हुआ और बोला -"तुम धन्य हो प्रिये! आज तुमने मुझे गृहस्थ धर्म का सच्चा महत्व समझा दिया।" सबसे पहले, कबूतर पास से सूखी टहनियाँ और घास लाकर लाया और एक जगह पर आग जलाई, ताकि राजा और मंत्री ठंड से बच सकें। फिर कबूतर ने राजा से कहा - "हे अतिथि! मैं आपका सत्कार कैसे करूँ? मेरे पास आपको खिलाने के लिए कोई अन्न नहीं है। इसलिए, मैं स्वयं ही आपकी क्षुधा शांत करने के लिए अपने शरीर की आहुति देता हूँ। आप मुझे पकाकर अपनी भूख मिटाइए।" यह कहकर, वह धर्मात्मा कबूतर बिना किसी संकोच के धधकती आग में कूद गया और अपने प्राणों का त्याग कर दिया। राजा और मंत्री यह देखकर बहुत दुखी और शर्मिंदा हुए। अभी उनकी भूख पूरी तरह शांत नहीं हुई थी। तब कबूतरी ने अपने पति के पदचिह्नों पर चलते हुए राजा से कहा - "महाराज! मेरे पति ने अतिथि धर्म का पालन किया है। मैं भी उनके मार्ग पर चलते हुए आपकी सेवा करना चाहती हूँ। मेरी देह भी आपकी क्षुधा शांत करने में सहायक हो।" और कबूतरी भी तुरंत उस आग में कूद गई और अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। कबूतर दम्पत्ति के इस अभूतपूर्व आत्म-त्याग और अतिथि सत्कार को देखकर राजा और मंत्री की आँखें खुल गईं। उनकी भूख तो शांत हुई या नहीं, लेकिन उनका अहंकार और मोह पूरी तरह शांत हो गया। उन्होंने कबूतर दम्पत्ति के चरणों में सिर नवाया और उस स्थान को छोड़कर वापस लौट गए। ऋषि माकंदव्य ने युधिष्ठिर से कहा - सन्यासी हो तो उस ऋषिकुमार की तरह जिसने राज्य-वैभव और राजकुमारी के प्रेम को ठुकराकर वैराग्य को सर्वोपरि माना और मोह से बचने के लिए जंगल में भाग गया। गृहस्थ हो तो कबूतर दम्पत्ति की तरह जिन्होंने अपने जीवन का मोह त्यागकर, केवल 'अतिथि सत्कार' और 'गृहस्थ धर्म' के पालन को ही अपना परम कर्तव्य समझा। यह कथा सिखाती है कि सच्चा त्याग वैराग्य में भी है और निःस्वार्थ सेवा भाव से युक्त गृहस्थ जीवन में भी है। ऋषिकुमार का त्याग विरक्ति का प्रतीक है, जबकि कबूतर दम्पत्ति का त्याग परमार्थ (दूसरों के हित) का प्रतीक है। यह वह भूमि है जहाँ कृषक हल चलाते समय भी ऋग्वेद की ऋचाएँ गाता है, और संन्यासी गहन समाधि में भी “सर्वभूतहिते रतः” का संकल्प लेता है। अतः भारत की आत्मा का सन्देश स्पष्ट है—जीवन को सम्पूर्णता में जियो, प्रत्येक आश्रम का सम्मान करो, और समाज को कुछ दिए बिना किसी एक मार्ग को श्रेष्ठ कहकर दूसरे को तुच्छ मत समझो। गृहस्थ हो या संन्यासी—दोनों भारतीय संस्कृति के दो पंख हैं; एक भी टूट जाए तो उड़ान अधूरी रह जाती है। ©® डॉ. विद्यासागर उपाध्याय
कटकमदाग में दिनदहाड़े चोरी का खुलासा: 3 आरोपी गिरफ्तार, सोना–चांदी के भारी मात्रा में गहने बरामद

कटकमदाग थाना क्षेत्र के विष्णुपुरी गली नंबर 15 में 22 नवंबर 2025 को हुई दिनदहाड़े चोरी की घटना का हजारीबाग पुलिस ने खुलासा कर दिया है। पिंकी कुमारी के बंद घर का ताला तोड़कर हुए इस चोरी कांड में अज्ञात चोरों ने सोने और चांदी के कई गहने चुरा लिए थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए अपर पुलिस अधीक्षक (मुख्यालय) अमित कुमार के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया था।

पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कुल 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। मुख्य आरोपी सुभाष चन्द्र बोस उर्फ टैक्सी (25 वर्ष), जो डोकोटांड, लोहसिंघना का रहने वाला है, को पुलिस ने उस समय पकड़ा जब वह विष्णुपुरी गली नंबर 4 में फिर से चोरी की फिराक में घूम रहा था। इसकी निशानदेही पर भोला प्रसाद सोनी (46 वर्ष), निवासी तिलैया, थाना दारु और अमित दुबे (21 वर्ष), निवासी कस्तूरीखाप, थाना कटकमदाग को गिरफ्तार किया गया।

गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने सोना और चांदी के भारी मात्रा में गहने बरामद किए हैं। इसमें 54.5 ग्राम सोना (नेकलेस, दुर्गा माँ का लॉकेट, मांगटीका, टॉप्स, नोज पिन, बाला और कली सोना) और 653.55 ग्राम चाँदी (कटोरी, चम्मच, पायल, बिछिया, सिक्के, ब्रेसलेट और चेन) शामिल हैं। साथ ही 1 आर्टिफिशियल ज्वेलरी सेट, लीवफास्ट कंपनी का 1 इन्वर्टर, FND कंपनी का होम थियेटर, 1 लैपटॉप-चार्जर और जेवर गलाने का सामान भी बरामद किया गया है।

मुख्य आरोपी ‘टैक्सी’ ने पूछताछ में स्वीकार किया है कि वह पहले भी कई चोरियों में शामिल रहा है। उसकी गिरफ्तारी से कुल 10 पुराने कांडों का खुलासा हुआ है, जिनमें कटकमदाग क्षेत्र में 4, लोहसिंघना क्षेत्र में 2 और सदर क्षेत्र में 4 चोरियां शामिल हैं।

इस सफल कार्रवाई में अपर पुलिस अधीक्षक अमित कुमार, इंस्पेक्टर शाहिद रजा (पेलावल अंचल), थाना प्रभारी प्रमोद कुमार, SI चितरंजन कुमार, SI विक्की ठाकुर और तकनीकी शाखा की टीम शामिल रही। पुलिस टीम की इस उपलब्धि से क्षेत्र में सुरक्षा और पुलिस के प्रति विश्वास और मजबूत हुआ है।

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा- झारखंड की मिट्टी आदिवासी अस्मिता की प्रतीक; संस्कृति, शिक्षा और प्रकृति की रक्षा के लिए सरकार प्रतिबद्ध

कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवासीय परिसर में आज देश के विभिन्न राज्यों से आए आदिवासी प्रतिनिधियों का मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने हार्दिक स्वागत किया। इस अवसर पर देशभर के प्रतिनिधियों ने एकजुट होकर अपने हक-अधिकारों के लिए संघर्ष करने और श्री सोरेन से देश भर के आदिवासी संघर्षों को नेतृत्व प्रदान करने का आह्वान किया।

झारखंड की विरासत और अस्मिता

मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने अपने संबोधन में झारखंड की धरती की विरासत को रेखांकित किया।

वीरों की विरासत: उन्होंने कहा, "झारखंड की धरती हमेशा से वीरता, स्वाभिमान और संघर्ष की प्रतीक रही है। धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा से लेकर दिशोम गुरु शिबू सोरेन जैसे अनेक वीर-वीरांगनाओं के त्याग और संघर्ष ने आदिवासी अस्मिता को नई दिशा दी है।"

अस्मिता की शक्ति: उन्होंने जोर दिया कि वीरों की विरासत, स्वाभिमान की प्रतीक — झारखंड की मिट्टी में ही आदिवासी अस्मिता की शक्ति बसती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज ने मानव सभ्यता के निर्माण एवं संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और अब एकता व जागरूकता की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है।

सरकार की अटूट प्रतिबद्धता

मुख्यमंत्री सोरेन ने आदिवासी समाज के हित में झारखंड सरकार की प्राथमिकताओं को गिनाया:

संस्कृति और शिक्षा: उन्होंने कहा कि सरकार संस्कृति की रक्षा, शिक्षा की प्रगति और प्रकृति के संतुलन के लिए अटूट रूप से प्रतिबद्ध है।

विदेश में उच्च शिक्षा: उन्होंने बताया कि झारखंड आज देश का पहला राज्य है, जहाँ आदिवासी समाज के विद्यार्थी सरकारी खर्च पर विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, जिससे समाज में एक नई रोशनी जगी है।

प्रकृति का उपासक: मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति का उपासक है और पर्यावरण संरक्षण उसकी जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने प्रकृति से संतुलन बनाए रखने को सामूहिक जिम्मेदारी बताया।

एकजुटता और भविष्य की रणनीति

मुख्यमंत्री ने आदिवासी समाज के सर्वांगीण सशक्तीकरण के लिए दो मुख्य मंत्र दिए: एकजुटता और आत्मनिर्भरता।

सक्रिय भूमिका: उन्होंने प्रतिनिधियों की वर्षों की मेहनत की सराहना करते हुए कहा कि आने वाले दिनों में वह स्वयं भी देश के विभिन्न हिस्सों में व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाने में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।

राष्ट्रीय एजेंडा: उन्होंने कहा, "हमें एकजुट होकर ऐसा संघर्ष करना होगा, जिससे हमारी समस्याएं केवल आवाज बनकर न रह जाएं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के एजेंडे का हिस्सा बन सकें।" उन्होंने कहा कि आदिवासी एक बिखरे लोग नहीं, बल्कि एक राष्ट्र-समुदाय हैं।

प्रतिनिधियों का सहयोग

गुजरात, महाराष्ट्र, असम, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और मणिपुर सहित देश के विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने झारखंड सरकार के प्रयासों की सराहना की और राज्य सरकार के साथ सतत सहयोग का आश्वासन दिया। प्रतिनिधियों ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन के त्याग, संघर्ष और योगदान को भी नमन किया।

इस अवसर पर मंत्री श्री दीपक बिरुआ, मंत्री श्री चमरा लिंडा, विधायक श्रीमती कल्पना सोरेन एवं श्री अशोक चौधरी समेत सैकड़ों की संख्या में आदिवासी प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

जनता दरबार में ताबड़तोड़ कार्रवाई: राँची के सभी अंचलों में सैकड़ों आवेदनों का हुआ मौके पर निष्पादन, Panji-2 और मुआवज़े के मामले निपटे

राँची।

उपायुक्त-सह-जिला दंडाधिकारी, राँची श्री मंजूनाथ भजन्त्री के निर्देशानुसार, मंगलवार (02 दिसंबर 2025) को जिले के सभी अंचलों में एक व्यापक जनता दरबार का आयोजन किया गया। इस दौरान शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से आए सैकड़ों लोगों की समस्याओं और आवेदनों का मौके पर ही त्वरित निष्पादन किया गया, जो प्रशासन की पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की दिशा में एक प्रभावी कदम साबित हुआ।

राजस्व से लेकर प्रमाण पत्रों तक की सेवाएं

जनता दरबार के माध्यम से जिलेवासियों को आवश्यक सरकारी सेवाएं त्वरित और सुगम रूप से उपलब्ध कराई गईं। इन सेवाओं में प्रमुख थे:

प्रमाण पत्र निर्गमन (आवासीय, आय, जाति, पारिवारिक सदस्यता)।

राजस्व से संबंधित कार्य और पंजी-2 सुधार।

सामाजिक सुरक्षा और पेंशन के मामले।

भू-अर्जन मुआवज़ा प्रक्रिया को आगे बढ़ाना।

केसीसी (KCC) सहित अन्य आवश्यक कार्य।

अंचल अधिकारियों ने आवेदकों की समस्याओं को गंभीरता से सुनते हुए तत्काल उनके समाधान की दिशा में कदम उठाए।

अंचलवार कार्यों का त्वरित निष्पादन

जनता दरबार में कई लंबित और महत्वपूर्ण मामलों का निपटारा हुआ:

अंचल प्रमुख निष्पादन कार्य आवेदनों की संख्या

बेड़ो राजस्व, प्रमाण पत्र और सामाजिक सुरक्षा/पेंशन से संबंधित 144 मामले। 144

राहे आय, जाति, स्थानीयता, पारिवारिक सदस्यता एवं राजस्व संबंधी 88 आवेदनों का निपटारा। 88

ईटकी आवासीय, जाति, आय प्रमाण पत्र, पंजी-2 सुधार और आपदा प्रबंधन सहित कुल 71 मामलों का समाधान। 71

अनगड़ा लंबित राजस्व मामलों का निपटारा किया गया। चमरु महतो का पंजी-2 में सुधार हुआ। भू-अर्जन से संबंधित मुआवजा राशि भुगतान की प्रक्रिया (जीतराम भोगता) आगे बढ़ाई गई। कई लंबित मामले निपटे।

सोनाहातू दिनेश कुमार महतो को आचरण प्रमाण पत्र और मुटुक देवी को पारिवारिक सदस्यता प्रमाण पत्र निर्गत किया गया। -

माण्डर कालीचरण महतो को शुद्धि पत्र और बहादुर सिंह को लगान रसीद प्रदान की गई। -

ये सभी कार्य नागरिकों के भूमि संबंधी अधिकारों को सुदृढ़ करने और सरकारी सेवाओं को सरल बनाने में महत्वपूर्ण साबित हुए।

DC ने बताया 'सेवा का अधिकार' को मजबूती देने वाला कदम

उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी श्री मंजूनाथ भजन्त्री ने जनता दरबार को पारदर्शी एवं उत्तरदायी प्रशासन की दिशा में एक प्रभावी कदम बताया। उन्होंने कहा कि जनता दरबार का मुख्य उद्देश्य लोगों को सुविधाओं के लिए भटकने से बचाना और सरकारी सेवाओं को जन-जन तक तत्परता के साथ पहुँचाना है।

उपायुक्त ने सभी अधिकारियों को प्रत्येक मंगलवार को जनता दरबार का नियमित आयोजन कर नागरिकों की समस्याओं का समाधान समयबद्ध तरीके से करने के निर्देश को दोहराया।

*डॉ.राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या 2025-2026 की मुख्य परीक्षा आज से शुरू*
आज 2 दिसम्बर 2025 से दो पाली में परीक्षा सम्पन्न हो रही है जिसमें द्वितीय पाली 11:30 से 01:30 तक बी.ए./बी.एस.सी/बी.काम तृतीय सेमेस्टर तथा एम.ए/एम.एस-सी.तृतीय सेमेस्टर एवं तृतीय पाली 02:30 04:30 तक बी.ए/बी.एस-सी/बी.काम पंचम सेमेस्टर की परीक्षाएं बहुत ही सुचिता पूर्ण सुचारू रूप से नक़ल विहीन परीक्षा सम्पन्न कराने के लिए गनपत सहाय पी.जी.कालेज सुलतानपुर के प्राचार्य/केन्द्राध्यक्ष प्रो.अंग्रेज सिंह ने आन्तरिक उड़ाका दल का गठन किया है। परीक्षा के पूर्व मुख्य गेट पर ही तलाशी लेने के बाद ही छात्र/छात्राएं परीक्षा कक्ष में प्रवेश करते हैं। मुख्य रूप से प्रो.मो.शाहिद, प्रो. राजीव कुमार श्रीवास्तव,प्रो.शक्ति सिंह, प्रो.नीलम त्रिपाठी,प्रो.मनोज मिश्र, डॉ.सूर्य प्रकाश मिश्र,डॉ.अजय कुमार मिश्र,डॉ. आशीष द्विवेदी,डॉ.संध्या श्रीवास्तव,डॉ.विष्णु शंकर अग्रहरि परीक्षा के समय उपस्थित रहे।डॉ.कुंवर दिनकर प्रताप सिंह,दिनेश दूबे,अंशू श्रीवास्तव,यमुना प्रसाद,अजय प्रताप सिंह,अरुण मिश्र इत्यादि लोग परीक्षा में महत्वपूर्ण सहयोग कर रहे हैं।द्वितीय पाली में लगभग 500 छात्र/छात्राएं तथा तृतीय पाली में लगभग 300 छात्र/छात्राएँ परीक्षा में सम्मिलित हुए।
Sambhal इंडियन फ्रोजन फूड के अकाउंटेंट के घर आईटी की छापेमारी, लैपटॉप और दस्तावेज खंगाल रही टीम

संभल। इंडियन फ्रोजन फूड से जुड़े एक बड़े मामले में मंगलवार को आयकर विभाग की टीम ने शहर के चमन सराय क्षेत्र में रहने वाले अकाउंटेंट गुफरान पुत्र अरकान के आवास पर छापेमारी की। आईटी टीम ने घर को अपने कब्जे में लेकर अंदर मौजूद इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जांच शुरू कर दी। बताया जा रहा है कि गुफरान सम्भल स्थित इंडियन फ्रोजन फूड फैक्ट्री में अकाउंटेंट के पद पर कार्यरत है और लंबे समय से वित्तीय व्यवस्थाओं से जुड़ा हुआ है।

सूत्रों के अनुसार, आईटी टीम सबसे पहले घर में रखे गए लैपटॉप और कंप्यूटर सिस्टम को खंगालने में जुट गई। टीम डिजिटल फाइलों, लेनदेन के रिकॉर्ड तथा अकाउंट से जुड़े संभावित डेटा की गहन जांच कर रही है। अधिकारियों का शक है कि फर्म से जुड़े कुछ वित्तीय लेनदेन संदेह के घेरे में हैं, जिनकी कड़ियां अकाउंटेंट के निजी रिकॉर्ड से जुड़ सकती हैं। छापेमारी के दौरान घर के बाहर पुलिस बल भी तैनात किया गया ताकि भीड़ न जुटे और कार्रवाई सुगमता से पूरी की जा सके। इस छापे की जानकारी मिलते ही क्षेत्र में हलचल बढ़ गई और कई लोग मौके पर हालात देखने जुटने लगे, मगर सुरक्षा बल ने किसी को भी आवास के करीब जाने की अनुमति नहीं दी। आईटी विभाग की यह कार्रवाई इंडियन फ्रोजन फूड से जुड़े संभावित कर चोरी और आर्थिक अनियमितताओं की जांच के हिस्से के रूप में देखी जा रही है। फिलहाल विभाग की ओर से आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन जांच पूरी होने तक टीम मौके पर डटी हुई है।

छात्रवृत्ति वितरण में देरी पर कल्याण मंत्री चमरा लिंडा सख्त, बोकारो, चतरा, गिरिडीह के अधिकारियों को लगाई फटकार


रांची/

कल्याण मंत्री श्री चमरा लिंडा ने सोमवार (01 दिसंबर 2025) को राज्य में छात्रवृत्ति योजना की प्रगति की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने साफ कहा कि छात्रों को छात्रवृत्ति मिलने में किसी भी हाल में देर नहीं होनी चाहिए।

धीमी गति पर चिंता और फटकार

मंत्री श्री लिंडा ने बोकारो, चतरा, और गिरिडीह जिलों में प्री-मैट्रिक (कक्षा 1-8 और 9-10) और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति के वितरण की धीमी गति पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में शत-प्रतिशत छात्रवृत्ति वितरण सुनिश्चित किया जाना चाहिए था।

इस धीमी प्रगति पर नाराजगी जताते हुए, उन्होंने बोकारो, चतरा, और गिरिडीह के जिला कल्याण पदाधिकारियों से कारण पृच्छा (कारण बताओ नोटिस) करने का भी निर्देश दिया।

शैक्षणिक सत्र समाप्त होने से पहले भुगतान का सख्त आदेश

कल्याण मंत्री श्री लिंडा ने जिला कल्याण पदाधिकारियों को कड़े निर्देश दिए हैं कि वे यथाशीघ्र वर्तमान शैक्षणिक सत्र समाप्त होने से पहले छात्रवृत्ति भुगतान संबंधी सभी कार्रवाई सुनिश्चित करें।

इसके साथ ही, उन्होंने सभी जिलों के उपायुक्तों (DCs) को निर्देश दिया कि वे ससमय जिला स्तरीय समिति की बैठक आयोजित करें और लंबित छात्रवृत्ति के आवेदनों पर तुरंत स्वीकृति प्रदान करने की कार्रवाई पूरी करें, ताकि छात्रों को समय पर आर्थिक सहायता मिल सके।

भक्ति की धारा में डूबा गढ़ी: प्राचीन पंचमुखी शिवालय में दिव्तीय वार्षिकोत्सव, उमड़ा जनसैलाब

ब्रह्म प्रकाश शर्मा,मुजफ्फरनगर।जानसठ । जानसठ कस्बे से सटे गांव गढ़ी में स्थित प्राचीन पंचमुखी शिवालय में सोमवार को भव्य दिव्तीय वार्षिकोत्सव समारोह का आयोजन किया गया, जिसने पूरे क्षेत्र को भक्तिमय बना दिया। इस अवसर पर आयोजित रूद्राभिषेक ,यज्ञ और विशाल भंडारे में शामिल होने के लिए दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।

वार्षिकोत्सव की शुरुआत सुबह पवित्र रूद्राभिषेक व यज्ञ से हुई। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच, विद्वान पंडितों ने विधि-विधान से भगवान शिव का अभिषेक किया। दूध, दही, घी, शहद, गन्ने का रस और विभिन्न औषधियों से किए गए इस अलौकिक अभिषेक को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिला-पुरुष और बच्चे मंदिर परिसर में मौजूद रहे।

पूरा वातावरण 'बम-बम भोले' के जयकारों से गूंज उठा। श्रद्धालुओं ने हाथ जोड़कर भगवान शिव से सुख-शांति और समृद्धि की कामना की। मंदिर समिति के नितिन कंबोज व अन्य सदस्यों ने बताया कि वार्षिकोत्सव का उद्देश्य धर्म के प्रति लोगों की आस्था को मजबूत करना और सामाजिक सद्भाव को बढ़ाना है। रूद्राभिषेक व यज्ञ की पूर्णाहुति के पश्चात, मंदिर परिसर में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। स्वादिष्ट व्यंजनों से सजे इस भंडारे में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पंक्तिबद्ध होकर प्रसाद ग्रहण किया।

गांव के युवाओं और मंदिर कमेटी के स्वयंसेवकों ने प्रसाद वितरण की व्यवस्था संभाली, ताकि किसी भी श्रद्धालु को असुविधा न हो। इस दौरान भंडारे में सेवा कर रहे एक स्थानीय निवासी ने बताया, "भगवान शिव की कृपा से यह आयोजन हर वर्ष सफल होता है। इस वर्ष भी भक्तों की अपार भीड़ ने आयोजन को भव्यता प्रदान की है। वार्षिकोत्सव के प्रति क्षेत्र के लोगों में भारी उत्साह देखने को मिला। भजन-कीर्तन और भक्ति गीतों के समय एक मनोरम दृश्य रहा ।

आयोजक कमेटी ने सभी श्रद्धालुओं के प्रति आभार व्यक्त किया और भविष्य में भी इसी तरह के धार्मिक आयोजनों को निरंतर जारी रखने का संकल्प दोहराया। इस सफल आयोजन ने एक बार फिर गढ़ी के प्राचीन पंचमुखी शिवालय को धार्मिक आस्था के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित किया है।

भारत ने साउथ अफ्रीका को हराया, विराट-कुलदीप और हर्षित ने रांची में दिलाई जीत

साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में बुरी तरह हारने वाली टीम इंडिया ने वनडे सीरीज में जोरदार आगाज करते हुए पहले मैच में जीत दर्ज कर ली. रांची में खेले गए पहले वनडे में टीम इंडिया ने विराट कोहली के शानदार और रिकॉर्डतोड़ शतक की मदद से 349 रन का बड़ा स्कोर खड़ा किया. इसके बाद हर्षित राणा के पहले ओवर और कुलदीप यादव के बीच के ओवर में किए करिश्मे से साउथ अफ्रीका को 332 रन पर रोक दिया. इस तरह भारत ने 17 रन से जीत दर्ज करते हुए 3 मैच की सीरीज में 1-0 की बढ़त ले ली.

कोहली का शतक, रोहित-राहुल भी चमके

रांची के JSCA क्रिकेट स्टेडियम में टीम इंडिया ने पहले बैटिंग की और शहर की खुशनुमा दोपहर में फैंस के लिए ये कदम अच्छा साबित हुआ. रांची के दर्शकों को विराट कोहली और रोहित शर्मा की बेहतरीन साझेदारी देखने का मौका मिला. एक महीने पहले सिडनी में कमाल की मैच जिताऊ पार्टनरशिप करने वाले दोनों दिग्गजों ने यहां भी शतकीय साझेदारी की और 136 रन जोड़े. रोहित (57) ने जहां अर्धशतक जमाया तो वहीं विराट ने शतक जड़कर ही दम लिया.

कोहली ने वनडे करियर का 52वां शतक जमाया और इस तरह सचिन तेंदुलकर के एक फॉर्मेट में सबसे ज्यादा शतक के रिकॉर्ड को तोड़ दिया. तेंदुलकर ने टेस्ट में 51 शतक लगाए थे. वहीं रांची के मैदान पर कोहली का ये तीसरा शतक था. उन्होंने सिर्फ 120 गेंदों में 135 रन ठोके, जिसमें 11 चौके और 7 छक्के थे. वहीं कप्तान केएल राहुल (60) ने भी अर्धशतक जमाया, जबकि रवींद्र जडेजा (32) ने भी तेज पारी खेली. साउथ अफ्रीका के लिए कॉर्बिन बॉश समेत 4 तेज गेंदबाजों ने 2-2 विकेट लिए.

हर्षित-कुलदीप ने 3-3 गेंदों में किया खेल

टीम इंडिया की पारी के बाद ये साफ था कि साउथ अफ्रीका के लिए भी रन बनाना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा. मगर दूसरे ही ओवर में हर्षित राणा (3/65) ने कहर बरपा दिया. अपने ओवर की पहली गेंद पर उन्होंने रायन रिकल्टन को बोल्ड किया और तीसरी गेंद पर क्विंटन डिकॉक को आउट कर दिया. दोनों ही खाता नहीं खोल सके. फिर अर्शदीप सिंह (2/64) ने तीसरी सफलता दिलाते हुए कप्तान एडन मार्करम को पवेलियन लौटाया. सिर्फ 11 रन पर ही 3 विकेट गिर गए थे लेकिन इसके बावजूद साउथ अफ्रीका के बल्लेबाजों ने हमला जारी रखा और अहम साझेदारी करते हुए भारत को आसानी से आगे नहीं आने दिया.

खास तौर पर मैथ्यू ब्रीत्जकी (72) और मार्को यानसन (70) की 97 रन की तूफानी साझेदारी ने टीम इंडिया को मुश्किल में डाल दिया था. मगर यहीं पर 34वें ओवर में कुलदीप यादव (4/68) ने तीन गेंदों के अंदर इन दोनों को पवेलियन लौटाते हुए टीम इंडिया की वापसी करवा दी. हालांकि इसके बाद भी साउथ अफ्रीका ने आसानी से हथियार नहीं डाले. कॉर्बिन बॉश (67) ने धुआंधार बल्लेबाजी करते हुए सिर्फ 40 गेंदों में अर्धशतक जमा दिया. आखिरी ओवर में साउथ अफ्रीका को 18 रन की जरूरत थी लेकिन प्रसिद्ध कृष्णा ने दूसरी गेंद पर बॉश को आउट करते हुए साउथ अफ्रीका की उम्मीदों को खत्म किया.

*पुलिस लाइन में रिक्रूट्स का शौर्य चमका,तीन दिवसीय खेल महोत्सव संपन्न* सुलतानपुर।पुलिस लाइन सुलतानपुर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे रिक्रूट्स के
*पुलिस लाइन में रिक्रूट्स का शौर्य चमका,तीन दिवसीय खेल महोत्सव संपन्न*


सुलतानपुर।पुलिस लाइन सुलतानपुर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे रिक्रूट्स के लिए आयोजित तीन दिवसीय खेल प्रतियोगिता एकता और शौर्य रविवार को उत्साह के साथ संपन्न हुई। पुलिस अधीक्षक कुँवर अनुपम सिंह के निर्देशन में हुए इस आयोजन में रिक्रूट्स ने एथलेटिक्स, कोर्ट गेम्स और टीम खेलों में दमखम दिखाया।एसपी ने फीता काटकर प्रतियोगिता का शुभारंभ किया और रिक्रूट्स को खेलों के माध्यम से टीम भावना, अनुशासन और निर्णय क्षमता को मजबूत करने का संदेश दिया। तीन दिनों तक चले इस आयोजन में 1600 मीटर दौड़, रिले, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल, रस्साकसी और चेस जैसे मुकाबलों में प्रतिभागियों ने शानदार प्रदर्शन किया।खेलों के दौरान अपर पुलिस अधीक्षक सहित क्षेत्राधिकारी लाइन, प्रतिसार निरीक्षक, प्रभारी आरटीसी और समस्त आरटीसी स्टाफ मौजूद रहा। अधिकारियों ने खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाया और उनके प्रदर्शन की सराहना की।बैडमिंटन में टोली नंबर 02 के मनोज सिंह चेस्ट 47 व अशोक धाकड़ चेस्ट 46 विजेता रहे, जबकि टोली 09 के रितिक चंदेल चेस्ट 255 व साहिल यादव चेस्ट 261 उपविजेता बने।टेबल टेनिस में टोली नंबर 01 से साहिल यादव चेस्ट 261 और रितिक चंदेल चेस्ट 255 विजेता रहे, वहीं टोली 02 के शशांक कुमार चेस्ट 157 व सतेन्द्र कुमार चेस्ट 175 उपविजेता रहे।
गृहस्थ आश्रम : जीवन-दर्शन का स्वर्णिम मध्यस्थ
संजीव सिंह बलिया! गृहस्थ आश्रम : भारतीय जीवन-दर्शन का केंद्रबिंदु भारतीय ज्ञान परम्परा का प्रवाह हजारों वर्षों से ऐसे चलता आया है, मानो हिमालय की शाश्वत शृंखलाओं से निकली कोई दिव्य नदी हो—कभी शांत, कभी प्रचण्ड, परन्तु सदैव जीवनदायिनी। इस परम्परा में गृहस्थ आश्रम कभी न तो उपेक्षा का विषय रहा है, न ही निन्दा का। भारतीय मानस समझता रहा है कि जीवन केवल संन्यास की पथरीली कंदराओं में ही नहीं, बल्कि गृहस्थी के दीप-स्तंभों में भी वैसे ही प्रकाशित होता है जैसे किसी मन्दिर की ज्योति में ईश्वर का तेज। भारत के ऋषि-कुल को देखें तो प्रतीत होगा कि हमारा समाज वास्तव में “ऋषियों की संतान” है। लगभग प्रत्येक ऋषि—अत्रि, वशिष्ठ, कश्यप, याज्ञवल्क्य—सभी गृहस्थ थे; उनकी ऋचाएँ, ब्रह्मज्ञान और अध्यात्म की ऊँचाइयाँ गृहस्थ जीवन की गोद में ही पलकर विराटता प्राप्त कर सकीं। सोलह संस्कारों में विवाह को प्रमुख इसलिए कहा गया कि यह न केवल एक वैयक्तिक संस्कार था, बल्कि सम्पूर्ण समाज के संतुलन का आधार-स्तंभ था—मानो मनुष्य-जीवन का वह द्वार जहाँ से कर्तव्य, प्रेम, त्याग और सृजन सब मिलकर प्रवेश करते हों। सनातन वैदिक धर्म ने मनुष्य-जीवन को सौ वर्ष का पूर्ण वृत्त मानकर उसे चार आश्रमों में विभाजित किया—ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास। यह विभाजन मात्र आयु-क्रम नहीं था; यह जीवन का एक चतुर्ऋतु-चक्र था—ब्रह्मचर्य वसंत की तरह ज्ञान और उत्साह का; गृहस्थ ग्रीष्म की भाँति कर्म, तप और दायित्व का; वानप्रस्थ शरद की तरह मन्द, उज्ज्वल और अनुभवों का; और संन्यास हेमंत की तरह निर्मल, शांत और मोक्षमार्ग का। सबको इन चारों से होकर गुजरना था ताकि व्यक्ति जीवन को सम्पूर्ण रूप में जी सके और अन्ततः समाज को अपनी परिपक्व प्रतिभा अर्पित कर सके। जो पंथ जीवन के प्रारम्भिक वर्षों में ही संन्यास अनिवार्य कर बैठे—वे एक ओर सूखे हुए वृक्षों की तरह खड़े रहे, जिनकी जड़ें समाज की मिट्टी से कट गईं; और जब जड़ों का रस ही समाप्त हो जाए, तो वृक्ष कितने दिन टिक सकता है? फलतः ऐसे पंथ काल के थपेड़ों में विलीन हो गए। भारतीय इतिहास पर दृष्टि डालें तो ऐसा प्रतीत होता है मानो प्रवृत्ति और निवृत्ति किसी विशाल समुद्र में उठती-गिरती लहरों की तरह हैं—कभी प्रवृत्ति की ज्वार, तो कभी निवृत्ति का भाटा। वैदिक काल कर्म, यज्ञ और सामाजिक सक्रियता का युग था; उपनिषदकाल में निवृत्ति के बीज अंकुरित हुए—मौन, ध्यान, आत्मबोध शिखर की ओर बढ़े; बौद्ध काल में निवृत्ति ने वटवृक्ष का रूप ले लिया—विस्तार, गहराई और व्यापकता के साथ; और पुनः मुगल व आधुनिक युग में प्रवृत्ति ने अपनी जमीन वापस पा ली—कर्म, समाज, कुटुम्ब और राष्ट्र की चेतना उन्नत हुई। इस प्रकार भारत में प्रवृत्ति से निवृत्ति और निवृत्ति से प्रवृत्ति का आवागमन निरंतर चलता रहा—मानो सूर्य दिन में चमके और रात में चन्द्रमा; दोनों आवश्यक, दोनों पूरक। समाज ने मनुष्य को सामाजिक बनाया है; इसलिए समाज का ऋण चुकाए बिना संन्यास लेकर पलायन कर जाना भारतीय मनस्विता का मार्ग नहीं रहा। वन ही सत्य का एकमात्र द्वार नहीं—गृहस्थ का अन्न, गृहस्थ की अग्नि और गृहस्थ की करुणा से ही ऋषियों का वन-जीवन पोषित हुआ। गृहस्थ आश्रम बिना पानी के वह नदी होता, जिसमें न तो प्रवाह होता न जीवन। अतः संन्यास को भी वही व्यक्ति ग्रहण करता था जिसने गृहस्थ-धर्म को पूर्ण निष्ठा से निभाया हो—तभी उसका संन्यास समाज के लिए प्रकाश-दीप होता था, पलायन नहीं। भारतीय जीवन-दर्शन कभी एकांगी नहीं रहा। उसने प्रवृत्ति और निवृत्ति, गृहस्थ और संन्यास, कर्म और ध्यान—सबको एक ही सूत्र में पिरोया। इससे सम्बंधित दृष्टांत महाभारत के वन पर्व में वर्णित है, जिसमें ऋषि माकंदव्य ने युधिष्ठिर को यह कहानी सुनाई थी। इसे कपोतोपाख्यान (कबूतर की कहानी) के नाम से जाना जाता है। यह कहानी धर्म, वैराग्य, और गृहस्थ धर्म के श्रेष्ठ आदर्शों को दर्शाती है -एक समय की बात है, एक अति सुंदर और गुणवान ऋषिकुमार थे, जो बचपन से ही विरक्त (दुनिया से मोह रहित) और तपस्वी स्वभाव के थे। वह ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए वन में वास करते थे। उसी राज्य में एक राजकुमारी थी, जो अत्यंत रूपवती और धर्मात्मा थी। जब वह विवाह योग्य हुई, तो राजा ने उसका स्वयंवर आयोजित किया। देश-विदेश के अनेक राजकुमार और प्रतिष्ठित व्यक्ति उस स्वयंवर में उपस्थित हुए। राजकुमारी ने जब सभा में उपस्थित सभी लोगों को देखा, तो उसे कोई भी अपने योग्य नहीं लगा। तभी उसकी दृष्टि उस ऋषिकुमार पर पड़ी जो किसी कारणवश सभा में मौजूद थे। ऋषिकुमार का तेजस्वी रूप, शांत स्वभाव और वैराग्य से भरा व्यक्तित्व राजकुमारी को इतना भाया कि उसने लेशमात्र भी विचार किए बिना, उन ऋषिकुमार के गले में वरमाला डाल दी। यह देखकर पूरी सभा चकित रह गई, क्योंकि ऋषिकुमार तो वैरागी थे और विवाह के बंधन से दूर रहना चाहते थे। जैसे ही राजकुमारी ने ऋषिकुमार को वरमाला पहनाई, तो ऋषिकुमार को लगा कि उनका ब्रह्मचर्य भंग हो रहा है और वह सांसारिक मोह-माया के बंधन में फंस रहे हैं। राजकुमारी के चयन को स्वीकार न करते हुए, वह तत्काल उस स्वयंवर सभा से उठकर गहन वन की ओर भाग गए। राजकुमारी भी उनके पीछे भागी, लेकिन ऋषिकुमार वैराग्य की धुन में तेजी से आगे निकल गए और घने जंगल में अदृश्य हो गए। राजकुमारी ने जब ऋषिकुमार को भागते हुए देखा, तो वह अत्यंत दुखी हुई और राजा से कहा कि वह उसी ऋषिकुमार को पति के रूप में स्वीकार करेंगी। राजा अपनी बेटी के हठ के कारण चिंतित हुए और अपने मंत्री के साथ उस ऋषिकुमार को ढूंढने के लिए जंगल की ओर निकल पड़े। काफी देर तक भटकने के बाद भी वे ऋषिकुमार को नहीं ढूंढ पाए। राजा और मंत्री दोनों ही जंगल में रास्ता भटक गए और दिन ढलने लगा। वे भूख-प्यास से व्याकुल हो गए और थककर एक विशाल वृक्ष के नीचे बैठ गए। जिस पेड़ के नीचे राजा और मंत्री बैठे थे, उसी पर एक कबूतर (कपोत) अपनी पत्नी कबूतरी (कपोती) के साथ एक घोंसले में रहता था। जब कबूतरी ने नीचे राजा और मंत्री को ठंड से ठिठुरते और भूख से पीड़ित देखा, तो वह अपने पति कबूतर से बोली - "हे नाथ! ये दोनों अतिथि हैं और भूख-प्यास से व्याकुल हैं। अतिथि का सत्कार करना गृहस्थ का परम धर्म है। हमारे पास इन्हें देने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन हमें किसी भी प्रकार से इनकी सेवा करनी चाहिए।" कबूतर, जो धर्मात्मा और परम ज्ञानी था, अपनी पत्नी के धर्मनिष्ठ विचार से अत्यंत प्रसन्न हुआ और बोला -"तुम धन्य हो प्रिये! आज तुमने मुझे गृहस्थ धर्म का सच्चा महत्व समझा दिया।" सबसे पहले, कबूतर पास से सूखी टहनियाँ और घास लाकर लाया और एक जगह पर आग जलाई, ताकि राजा और मंत्री ठंड से बच सकें। फिर कबूतर ने राजा से कहा - "हे अतिथि! मैं आपका सत्कार कैसे करूँ? मेरे पास आपको खिलाने के लिए कोई अन्न नहीं है। इसलिए, मैं स्वयं ही आपकी क्षुधा शांत करने के लिए अपने शरीर की आहुति देता हूँ। आप मुझे पकाकर अपनी भूख मिटाइए।" यह कहकर, वह धर्मात्मा कबूतर बिना किसी संकोच के धधकती आग में कूद गया और अपने प्राणों का त्याग कर दिया। राजा और मंत्री यह देखकर बहुत दुखी और शर्मिंदा हुए। अभी उनकी भूख पूरी तरह शांत नहीं हुई थी। तब कबूतरी ने अपने पति के पदचिह्नों पर चलते हुए राजा से कहा - "महाराज! मेरे पति ने अतिथि धर्म का पालन किया है। मैं भी उनके मार्ग पर चलते हुए आपकी सेवा करना चाहती हूँ। मेरी देह भी आपकी क्षुधा शांत करने में सहायक हो।" और कबूतरी भी तुरंत उस आग में कूद गई और अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। कबूतर दम्पत्ति के इस अभूतपूर्व आत्म-त्याग और अतिथि सत्कार को देखकर राजा और मंत्री की आँखें खुल गईं। उनकी भूख तो शांत हुई या नहीं, लेकिन उनका अहंकार और मोह पूरी तरह शांत हो गया। उन्होंने कबूतर दम्पत्ति के चरणों में सिर नवाया और उस स्थान को छोड़कर वापस लौट गए। ऋषि माकंदव्य ने युधिष्ठिर से कहा - सन्यासी हो तो उस ऋषिकुमार की तरह जिसने राज्य-वैभव और राजकुमारी के प्रेम को ठुकराकर वैराग्य को सर्वोपरि माना और मोह से बचने के लिए जंगल में भाग गया। गृहस्थ हो तो कबूतर दम्पत्ति की तरह जिन्होंने अपने जीवन का मोह त्यागकर, केवल 'अतिथि सत्कार' और 'गृहस्थ धर्म' के पालन को ही अपना परम कर्तव्य समझा। यह कथा सिखाती है कि सच्चा त्याग वैराग्य में भी है और निःस्वार्थ सेवा भाव से युक्त गृहस्थ जीवन में भी है। ऋषिकुमार का त्याग विरक्ति का प्रतीक है, जबकि कबूतर दम्पत्ति का त्याग परमार्थ (दूसरों के हित) का प्रतीक है। यह वह भूमि है जहाँ कृषक हल चलाते समय भी ऋग्वेद की ऋचाएँ गाता है, और संन्यासी गहन समाधि में भी “सर्वभूतहिते रतः” का संकल्प लेता है। अतः भारत की आत्मा का सन्देश स्पष्ट है—जीवन को सम्पूर्णता में जियो, प्रत्येक आश्रम का सम्मान करो, और समाज को कुछ दिए बिना किसी एक मार्ग को श्रेष्ठ कहकर दूसरे को तुच्छ मत समझो। गृहस्थ हो या संन्यासी—दोनों भारतीय संस्कृति के दो पंख हैं; एक भी टूट जाए तो उड़ान अधूरी रह जाती है। ©® डॉ. विद्यासागर उपाध्याय
कटकमदाग में दिनदहाड़े चोरी का खुलासा: 3 आरोपी गिरफ्तार, सोना–चांदी के भारी मात्रा में गहने बरामद

कटकमदाग थाना क्षेत्र के विष्णुपुरी गली नंबर 15 में 22 नवंबर 2025 को हुई दिनदहाड़े चोरी की घटना का हजारीबाग पुलिस ने खुलासा कर दिया है। पिंकी कुमारी के बंद घर का ताला तोड़कर हुए इस चोरी कांड में अज्ञात चोरों ने सोने और चांदी के कई गहने चुरा लिए थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए अपर पुलिस अधीक्षक (मुख्यालय) अमित कुमार के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया था।

पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कुल 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। मुख्य आरोपी सुभाष चन्द्र बोस उर्फ टैक्सी (25 वर्ष), जो डोकोटांड, लोहसिंघना का रहने वाला है, को पुलिस ने उस समय पकड़ा जब वह विष्णुपुरी गली नंबर 4 में फिर से चोरी की फिराक में घूम रहा था। इसकी निशानदेही पर भोला प्रसाद सोनी (46 वर्ष), निवासी तिलैया, थाना दारु और अमित दुबे (21 वर्ष), निवासी कस्तूरीखाप, थाना कटकमदाग को गिरफ्तार किया गया।

गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने सोना और चांदी के भारी मात्रा में गहने बरामद किए हैं। इसमें 54.5 ग्राम सोना (नेकलेस, दुर्गा माँ का लॉकेट, मांगटीका, टॉप्स, नोज पिन, बाला और कली सोना) और 653.55 ग्राम चाँदी (कटोरी, चम्मच, पायल, बिछिया, सिक्के, ब्रेसलेट और चेन) शामिल हैं। साथ ही 1 आर्टिफिशियल ज्वेलरी सेट, लीवफास्ट कंपनी का 1 इन्वर्टर, FND कंपनी का होम थियेटर, 1 लैपटॉप-चार्जर और जेवर गलाने का सामान भी बरामद किया गया है।

मुख्य आरोपी ‘टैक्सी’ ने पूछताछ में स्वीकार किया है कि वह पहले भी कई चोरियों में शामिल रहा है। उसकी गिरफ्तारी से कुल 10 पुराने कांडों का खुलासा हुआ है, जिनमें कटकमदाग क्षेत्र में 4, लोहसिंघना क्षेत्र में 2 और सदर क्षेत्र में 4 चोरियां शामिल हैं।

इस सफल कार्रवाई में अपर पुलिस अधीक्षक अमित कुमार, इंस्पेक्टर शाहिद रजा (पेलावल अंचल), थाना प्रभारी प्रमोद कुमार, SI चितरंजन कुमार, SI विक्की ठाकुर और तकनीकी शाखा की टीम शामिल रही। पुलिस टीम की इस उपलब्धि से क्षेत्र में सुरक्षा और पुलिस के प्रति विश्वास और मजबूत हुआ है।