भारत ने साउथ अफ्रीका को हराया, विराट-कुलदीप और हर्षित ने रांची में दिलाई जीत

साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में बुरी तरह हारने वाली टीम इंडिया ने वनडे सीरीज में जोरदार आगाज करते हुए पहले मैच में जीत दर्ज कर ली. रांची में खेले गए पहले वनडे में टीम इंडिया ने विराट कोहली के शानदार और रिकॉर्डतोड़ शतक की मदद से 349 रन का बड़ा स्कोर खड़ा किया. इसके बाद हर्षित राणा के पहले ओवर और कुलदीप यादव के बीच के ओवर में किए करिश्मे से साउथ अफ्रीका को 332 रन पर रोक दिया. इस तरह भारत ने 17 रन से जीत दर्ज करते हुए 3 मैच की सीरीज में 1-0 की बढ़त ले ली.

कोहली का शतक, रोहित-राहुल भी चमके

रांची के JSCA क्रिकेट स्टेडियम में टीम इंडिया ने पहले बैटिंग की और शहर की खुशनुमा दोपहर में फैंस के लिए ये कदम अच्छा साबित हुआ. रांची के दर्शकों को विराट कोहली और रोहित शर्मा की बेहतरीन साझेदारी देखने का मौका मिला. एक महीने पहले सिडनी में कमाल की मैच जिताऊ पार्टनरशिप करने वाले दोनों दिग्गजों ने यहां भी शतकीय साझेदारी की और 136 रन जोड़े. रोहित (57) ने जहां अर्धशतक जमाया तो वहीं विराट ने शतक जड़कर ही दम लिया.

कोहली ने वनडे करियर का 52वां शतक जमाया और इस तरह सचिन तेंदुलकर के एक फॉर्मेट में सबसे ज्यादा शतक के रिकॉर्ड को तोड़ दिया. तेंदुलकर ने टेस्ट में 51 शतक लगाए थे. वहीं रांची के मैदान पर कोहली का ये तीसरा शतक था. उन्होंने सिर्फ 120 गेंदों में 135 रन ठोके, जिसमें 11 चौके और 7 छक्के थे. वहीं कप्तान केएल राहुल (60) ने भी अर्धशतक जमाया, जबकि रवींद्र जडेजा (32) ने भी तेज पारी खेली. साउथ अफ्रीका के लिए कॉर्बिन बॉश समेत 4 तेज गेंदबाजों ने 2-2 विकेट लिए.

हर्षित-कुलदीप ने 3-3 गेंदों में किया खेल

टीम इंडिया की पारी के बाद ये साफ था कि साउथ अफ्रीका के लिए भी रन बनाना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा. मगर दूसरे ही ओवर में हर्षित राणा (3/65) ने कहर बरपा दिया. अपने ओवर की पहली गेंद पर उन्होंने रायन रिकल्टन को बोल्ड किया और तीसरी गेंद पर क्विंटन डिकॉक को आउट कर दिया. दोनों ही खाता नहीं खोल सके. फिर अर्शदीप सिंह (2/64) ने तीसरी सफलता दिलाते हुए कप्तान एडन मार्करम को पवेलियन लौटाया. सिर्फ 11 रन पर ही 3 विकेट गिर गए थे लेकिन इसके बावजूद साउथ अफ्रीका के बल्लेबाजों ने हमला जारी रखा और अहम साझेदारी करते हुए भारत को आसानी से आगे नहीं आने दिया.

खास तौर पर मैथ्यू ब्रीत्जकी (72) और मार्को यानसन (70) की 97 रन की तूफानी साझेदारी ने टीम इंडिया को मुश्किल में डाल दिया था. मगर यहीं पर 34वें ओवर में कुलदीप यादव (4/68) ने तीन गेंदों के अंदर इन दोनों को पवेलियन लौटाते हुए टीम इंडिया की वापसी करवा दी. हालांकि इसके बाद भी साउथ अफ्रीका ने आसानी से हथियार नहीं डाले. कॉर्बिन बॉश (67) ने धुआंधार बल्लेबाजी करते हुए सिर्फ 40 गेंदों में अर्धशतक जमा दिया. आखिरी ओवर में साउथ अफ्रीका को 18 रन की जरूरत थी लेकिन प्रसिद्ध कृष्णा ने दूसरी गेंद पर बॉश को आउट करते हुए साउथ अफ्रीका की उम्मीदों को खत्म किया.

*पुलिस लाइन में रिक्रूट्स का शौर्य चमका,तीन दिवसीय खेल महोत्सव संपन्न* सुलतानपुर।पुलिस लाइन सुलतानपुर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे रिक्रूट्स के
*पुलिस लाइन में रिक्रूट्स का शौर्य चमका,तीन दिवसीय खेल महोत्सव संपन्न*


सुलतानपुर।पुलिस लाइन सुलतानपुर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे रिक्रूट्स के लिए आयोजित तीन दिवसीय खेल प्रतियोगिता एकता और शौर्य रविवार को उत्साह के साथ संपन्न हुई। पुलिस अधीक्षक कुँवर अनुपम सिंह के निर्देशन में हुए इस आयोजन में रिक्रूट्स ने एथलेटिक्स, कोर्ट गेम्स और टीम खेलों में दमखम दिखाया।एसपी ने फीता काटकर प्रतियोगिता का शुभारंभ किया और रिक्रूट्स को खेलों के माध्यम से टीम भावना, अनुशासन और निर्णय क्षमता को मजबूत करने का संदेश दिया। तीन दिनों तक चले इस आयोजन में 1600 मीटर दौड़, रिले, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल, रस्साकसी और चेस जैसे मुकाबलों में प्रतिभागियों ने शानदार प्रदर्शन किया।खेलों के दौरान अपर पुलिस अधीक्षक सहित क्षेत्राधिकारी लाइन, प्रतिसार निरीक्षक, प्रभारी आरटीसी और समस्त आरटीसी स्टाफ मौजूद रहा। अधिकारियों ने खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाया और उनके प्रदर्शन की सराहना की।बैडमिंटन में टोली नंबर 02 के मनोज सिंह चेस्ट 47 व अशोक धाकड़ चेस्ट 46 विजेता रहे, जबकि टोली 09 के रितिक चंदेल चेस्ट 255 व साहिल यादव चेस्ट 261 उपविजेता बने।टेबल टेनिस में टोली नंबर 01 से साहिल यादव चेस्ट 261 और रितिक चंदेल चेस्ट 255 विजेता रहे, वहीं टोली 02 के शशांक कुमार चेस्ट 157 व सतेन्द्र कुमार चेस्ट 175 उपविजेता रहे।
गृहस्थ आश्रम : जीवन-दर्शन का स्वर्णिम मध्यस्थ
संजीव सिंह बलिया! गृहस्थ आश्रम : भारतीय जीवन-दर्शन का केंद्रबिंदु भारतीय ज्ञान परम्परा का प्रवाह हजारों वर्षों से ऐसे चलता आया है, मानो हिमालय की शाश्वत शृंखलाओं से निकली कोई दिव्य नदी हो—कभी शांत, कभी प्रचण्ड, परन्तु सदैव जीवनदायिनी। इस परम्परा में गृहस्थ आश्रम कभी न तो उपेक्षा का विषय रहा है, न ही निन्दा का। भारतीय मानस समझता रहा है कि जीवन केवल संन्यास की पथरीली कंदराओं में ही नहीं, बल्कि गृहस्थी के दीप-स्तंभों में भी वैसे ही प्रकाशित होता है जैसे किसी मन्दिर की ज्योति में ईश्वर का तेज। भारत के ऋषि-कुल को देखें तो प्रतीत होगा कि हमारा समाज वास्तव में “ऋषियों की संतान” है। लगभग प्रत्येक ऋषि—अत्रि, वशिष्ठ, कश्यप, याज्ञवल्क्य—सभी गृहस्थ थे; उनकी ऋचाएँ, ब्रह्मज्ञान और अध्यात्म की ऊँचाइयाँ गृहस्थ जीवन की गोद में ही पलकर विराटता प्राप्त कर सकीं। सोलह संस्कारों में विवाह को प्रमुख इसलिए कहा गया कि यह न केवल एक वैयक्तिक संस्कार था, बल्कि सम्पूर्ण समाज के संतुलन का आधार-स्तंभ था—मानो मनुष्य-जीवन का वह द्वार जहाँ से कर्तव्य, प्रेम, त्याग और सृजन सब मिलकर प्रवेश करते हों। सनातन वैदिक धर्म ने मनुष्य-जीवन को सौ वर्ष का पूर्ण वृत्त मानकर उसे चार आश्रमों में विभाजित किया—ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास। यह विभाजन मात्र आयु-क्रम नहीं था; यह जीवन का एक चतुर्ऋतु-चक्र था—ब्रह्मचर्य वसंत की तरह ज्ञान और उत्साह का; गृहस्थ ग्रीष्म की भाँति कर्म, तप और दायित्व का; वानप्रस्थ शरद की तरह मन्द, उज्ज्वल और अनुभवों का; और संन्यास हेमंत की तरह निर्मल, शांत और मोक्षमार्ग का। सबको इन चारों से होकर गुजरना था ताकि व्यक्ति जीवन को सम्पूर्ण रूप में जी सके और अन्ततः समाज को अपनी परिपक्व प्रतिभा अर्पित कर सके। जो पंथ जीवन के प्रारम्भिक वर्षों में ही संन्यास अनिवार्य कर बैठे—वे एक ओर सूखे हुए वृक्षों की तरह खड़े रहे, जिनकी जड़ें समाज की मिट्टी से कट गईं; और जब जड़ों का रस ही समाप्त हो जाए, तो वृक्ष कितने दिन टिक सकता है? फलतः ऐसे पंथ काल के थपेड़ों में विलीन हो गए। भारतीय इतिहास पर दृष्टि डालें तो ऐसा प्रतीत होता है मानो प्रवृत्ति और निवृत्ति किसी विशाल समुद्र में उठती-गिरती लहरों की तरह हैं—कभी प्रवृत्ति की ज्वार, तो कभी निवृत्ति का भाटा। वैदिक काल कर्म, यज्ञ और सामाजिक सक्रियता का युग था; उपनिषदकाल में निवृत्ति के बीज अंकुरित हुए—मौन, ध्यान, आत्मबोध शिखर की ओर बढ़े; बौद्ध काल में निवृत्ति ने वटवृक्ष का रूप ले लिया—विस्तार, गहराई और व्यापकता के साथ; और पुनः मुगल व आधुनिक युग में प्रवृत्ति ने अपनी जमीन वापस पा ली—कर्म, समाज, कुटुम्ब और राष्ट्र की चेतना उन्नत हुई। इस प्रकार भारत में प्रवृत्ति से निवृत्ति और निवृत्ति से प्रवृत्ति का आवागमन निरंतर चलता रहा—मानो सूर्य दिन में चमके और रात में चन्द्रमा; दोनों आवश्यक, दोनों पूरक। समाज ने मनुष्य को सामाजिक बनाया है; इसलिए समाज का ऋण चुकाए बिना संन्यास लेकर पलायन कर जाना भारतीय मनस्विता का मार्ग नहीं रहा। वन ही सत्य का एकमात्र द्वार नहीं—गृहस्थ का अन्न, गृहस्थ की अग्नि और गृहस्थ की करुणा से ही ऋषियों का वन-जीवन पोषित हुआ। गृहस्थ आश्रम बिना पानी के वह नदी होता, जिसमें न तो प्रवाह होता न जीवन। अतः संन्यास को भी वही व्यक्ति ग्रहण करता था जिसने गृहस्थ-धर्म को पूर्ण निष्ठा से निभाया हो—तभी उसका संन्यास समाज के लिए प्रकाश-दीप होता था, पलायन नहीं। भारतीय जीवन-दर्शन कभी एकांगी नहीं रहा। उसने प्रवृत्ति और निवृत्ति, गृहस्थ और संन्यास, कर्म और ध्यान—सबको एक ही सूत्र में पिरोया। इससे सम्बंधित दृष्टांत महाभारत के वन पर्व में वर्णित है, जिसमें ऋषि माकंदव्य ने युधिष्ठिर को यह कहानी सुनाई थी। इसे कपोतोपाख्यान (कबूतर की कहानी) के नाम से जाना जाता है। यह कहानी धर्म, वैराग्य, और गृहस्थ धर्म के श्रेष्ठ आदर्शों को दर्शाती है -एक समय की बात है, एक अति सुंदर और गुणवान ऋषिकुमार थे, जो बचपन से ही विरक्त (दुनिया से मोह रहित) और तपस्वी स्वभाव के थे। वह ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए वन में वास करते थे। उसी राज्य में एक राजकुमारी थी, जो अत्यंत रूपवती और धर्मात्मा थी। जब वह विवाह योग्य हुई, तो राजा ने उसका स्वयंवर आयोजित किया। देश-विदेश के अनेक राजकुमार और प्रतिष्ठित व्यक्ति उस स्वयंवर में उपस्थित हुए। राजकुमारी ने जब सभा में उपस्थित सभी लोगों को देखा, तो उसे कोई भी अपने योग्य नहीं लगा। तभी उसकी दृष्टि उस ऋषिकुमार पर पड़ी जो किसी कारणवश सभा में मौजूद थे। ऋषिकुमार का तेजस्वी रूप, शांत स्वभाव और वैराग्य से भरा व्यक्तित्व राजकुमारी को इतना भाया कि उसने लेशमात्र भी विचार किए बिना, उन ऋषिकुमार के गले में वरमाला डाल दी। यह देखकर पूरी सभा चकित रह गई, क्योंकि ऋषिकुमार तो वैरागी थे और विवाह के बंधन से दूर रहना चाहते थे। जैसे ही राजकुमारी ने ऋषिकुमार को वरमाला पहनाई, तो ऋषिकुमार को लगा कि उनका ब्रह्मचर्य भंग हो रहा है और वह सांसारिक मोह-माया के बंधन में फंस रहे हैं। राजकुमारी के चयन को स्वीकार न करते हुए, वह तत्काल उस स्वयंवर सभा से उठकर गहन वन की ओर भाग गए। राजकुमारी भी उनके पीछे भागी, लेकिन ऋषिकुमार वैराग्य की धुन में तेजी से आगे निकल गए और घने जंगल में अदृश्य हो गए। राजकुमारी ने जब ऋषिकुमार को भागते हुए देखा, तो वह अत्यंत दुखी हुई और राजा से कहा कि वह उसी ऋषिकुमार को पति के रूप में स्वीकार करेंगी। राजा अपनी बेटी के हठ के कारण चिंतित हुए और अपने मंत्री के साथ उस ऋषिकुमार को ढूंढने के लिए जंगल की ओर निकल पड़े। काफी देर तक भटकने के बाद भी वे ऋषिकुमार को नहीं ढूंढ पाए। राजा और मंत्री दोनों ही जंगल में रास्ता भटक गए और दिन ढलने लगा। वे भूख-प्यास से व्याकुल हो गए और थककर एक विशाल वृक्ष के नीचे बैठ गए। जिस पेड़ के नीचे राजा और मंत्री बैठे थे, उसी पर एक कबूतर (कपोत) अपनी पत्नी कबूतरी (कपोती) के साथ एक घोंसले में रहता था। जब कबूतरी ने नीचे राजा और मंत्री को ठंड से ठिठुरते और भूख से पीड़ित देखा, तो वह अपने पति कबूतर से बोली - "हे नाथ! ये दोनों अतिथि हैं और भूख-प्यास से व्याकुल हैं। अतिथि का सत्कार करना गृहस्थ का परम धर्म है। हमारे पास इन्हें देने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन हमें किसी भी प्रकार से इनकी सेवा करनी चाहिए।" कबूतर, जो धर्मात्मा और परम ज्ञानी था, अपनी पत्नी के धर्मनिष्ठ विचार से अत्यंत प्रसन्न हुआ और बोला -"तुम धन्य हो प्रिये! आज तुमने मुझे गृहस्थ धर्म का सच्चा महत्व समझा दिया।" सबसे पहले, कबूतर पास से सूखी टहनियाँ और घास लाकर लाया और एक जगह पर आग जलाई, ताकि राजा और मंत्री ठंड से बच सकें। फिर कबूतर ने राजा से कहा - "हे अतिथि! मैं आपका सत्कार कैसे करूँ? मेरे पास आपको खिलाने के लिए कोई अन्न नहीं है। इसलिए, मैं स्वयं ही आपकी क्षुधा शांत करने के लिए अपने शरीर की आहुति देता हूँ। आप मुझे पकाकर अपनी भूख मिटाइए।" यह कहकर, वह धर्मात्मा कबूतर बिना किसी संकोच के धधकती आग में कूद गया और अपने प्राणों का त्याग कर दिया। राजा और मंत्री यह देखकर बहुत दुखी और शर्मिंदा हुए। अभी उनकी भूख पूरी तरह शांत नहीं हुई थी। तब कबूतरी ने अपने पति के पदचिह्नों पर चलते हुए राजा से कहा - "महाराज! मेरे पति ने अतिथि धर्म का पालन किया है। मैं भी उनके मार्ग पर चलते हुए आपकी सेवा करना चाहती हूँ। मेरी देह भी आपकी क्षुधा शांत करने में सहायक हो।" और कबूतरी भी तुरंत उस आग में कूद गई और अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। कबूतर दम्पत्ति के इस अभूतपूर्व आत्म-त्याग और अतिथि सत्कार को देखकर राजा और मंत्री की आँखें खुल गईं। उनकी भूख तो शांत हुई या नहीं, लेकिन उनका अहंकार और मोह पूरी तरह शांत हो गया। उन्होंने कबूतर दम्पत्ति के चरणों में सिर नवाया और उस स्थान को छोड़कर वापस लौट गए। ऋषि माकंदव्य ने युधिष्ठिर से कहा - सन्यासी हो तो उस ऋषिकुमार की तरह जिसने राज्य-वैभव और राजकुमारी के प्रेम को ठुकराकर वैराग्य को सर्वोपरि माना और मोह से बचने के लिए जंगल में भाग गया। गृहस्थ हो तो कबूतर दम्पत्ति की तरह जिन्होंने अपने जीवन का मोह त्यागकर, केवल 'अतिथि सत्कार' और 'गृहस्थ धर्म' के पालन को ही अपना परम कर्तव्य समझा। यह कथा सिखाती है कि सच्चा त्याग वैराग्य में भी है और निःस्वार्थ सेवा भाव से युक्त गृहस्थ जीवन में भी है। ऋषिकुमार का त्याग विरक्ति का प्रतीक है, जबकि कबूतर दम्पत्ति का त्याग परमार्थ (दूसरों के हित) का प्रतीक है। यह वह भूमि है जहाँ कृषक हल चलाते समय भी ऋग्वेद की ऋचाएँ गाता है, और संन्यासी गहन समाधि में भी “सर्वभूतहिते रतः” का संकल्प लेता है। अतः भारत की आत्मा का सन्देश स्पष्ट है—जीवन को सम्पूर्णता में जियो, प्रत्येक आश्रम का सम्मान करो, और समाज को कुछ दिए बिना किसी एक मार्ग को श्रेष्ठ कहकर दूसरे को तुच्छ मत समझो। गृहस्थ हो या संन्यासी—दोनों भारतीय संस्कृति के दो पंख हैं; एक भी टूट जाए तो उड़ान अधूरी रह जाती है। ©® डॉ. विद्यासागर उपाध्याय
कटकमदाग में दिनदहाड़े चोरी का खुलासा: 3 आरोपी गिरफ्तार, सोना–चांदी के भारी मात्रा में गहने बरामद

कटकमदाग थाना क्षेत्र के विष्णुपुरी गली नंबर 15 में 22 नवंबर 2025 को हुई दिनदहाड़े चोरी की घटना का हजारीबाग पुलिस ने खुलासा कर दिया है। पिंकी कुमारी के बंद घर का ताला तोड़कर हुए इस चोरी कांड में अज्ञात चोरों ने सोने और चांदी के कई गहने चुरा लिए थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए अपर पुलिस अधीक्षक (मुख्यालय) अमित कुमार के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया था।

पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कुल 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। मुख्य आरोपी सुभाष चन्द्र बोस उर्फ टैक्सी (25 वर्ष), जो डोकोटांड, लोहसिंघना का रहने वाला है, को पुलिस ने उस समय पकड़ा जब वह विष्णुपुरी गली नंबर 4 में फिर से चोरी की फिराक में घूम रहा था। इसकी निशानदेही पर भोला प्रसाद सोनी (46 वर्ष), निवासी तिलैया, थाना दारु और अमित दुबे (21 वर्ष), निवासी कस्तूरीखाप, थाना कटकमदाग को गिरफ्तार किया गया।

गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने सोना और चांदी के भारी मात्रा में गहने बरामद किए हैं। इसमें 54.5 ग्राम सोना (नेकलेस, दुर्गा माँ का लॉकेट, मांगटीका, टॉप्स, नोज पिन, बाला और कली सोना) और 653.55 ग्राम चाँदी (कटोरी, चम्मच, पायल, बिछिया, सिक्के, ब्रेसलेट और चेन) शामिल हैं। साथ ही 1 आर्टिफिशियल ज्वेलरी सेट, लीवफास्ट कंपनी का 1 इन्वर्टर, FND कंपनी का होम थियेटर, 1 लैपटॉप-चार्जर और जेवर गलाने का सामान भी बरामद किया गया है।

मुख्य आरोपी ‘टैक्सी’ ने पूछताछ में स्वीकार किया है कि वह पहले भी कई चोरियों में शामिल रहा है। उसकी गिरफ्तारी से कुल 10 पुराने कांडों का खुलासा हुआ है, जिनमें कटकमदाग क्षेत्र में 4, लोहसिंघना क्षेत्र में 2 और सदर क्षेत्र में 4 चोरियां शामिल हैं।

इस सफल कार्रवाई में अपर पुलिस अधीक्षक अमित कुमार, इंस्पेक्टर शाहिद रजा (पेलावल अंचल), थाना प्रभारी प्रमोद कुमार, SI चितरंजन कुमार, SI विक्की ठाकुर और तकनीकी शाखा की टीम शामिल रही। पुलिस टीम की इस उपलब्धि से क्षेत्र में सुरक्षा और पुलिस के प्रति विश्वास और मजबूत हुआ है।

*पौराणिक ज्ञान विद्यार्थी की व्याख्यात्मक क्षमता को बढ़ाता है- प्रो निशा सिंह*
अंग्रेजी विभाग द्वारा क्विज प्रतियोगिता का सफल आयोजन प्रतियोगिता में खुशी गुप्ता ने प्रथम,शशि प्रभा द्वितीय, मुस्कान एवं गौरव गॉड तृतीय स्थान हासिल किया।

सुलतानपुर,राणा प्रताप पी.जी. कॉलेज के अंग्रेजी विभाग द्वारा विद्यार्थियों की शैक्षिक दक्षता एवं प्रतियोगी दृष्टिकोण को सुदृढ़ करने हेतु एक क्विज प्रतियोगिता का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में बी.ए. प्रथम, तृतीय और पंचम सेमेस्टर के छात्रों–छात्राओं ने उत्साहपूर्वक प्रतिभाग किया। प्रतियोगिता में बी.ए. तृतीय सेमेस्टर की छात्रा खुशी गुप्ता ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया। बी.ए. प्रथम सेमेस्टर की छात्रा शशि प्रभा द्वितीय स्थान पर रहीं। वहीं बी.ए. प्रथम सेमेस्टर की ही छात्रा मुस्कान एवं गौरव गॉड ने शानदार प्रस्तुति देते हुए संयुक्त रूप से तृतीय स्थान हासिल किया। यह क्विज आगामी विश्वविद्यालय परीक्षा की दृष्टि से विद्यार्थियों की तैयारी को मजबूत करने तथा उनकी विषयगत समझ को विकसित करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रो. निशा सिंह ने की। उन्होंने प्रतियोगिता के दौरान विद्यार्थियों से पौराणिक ग्रंथों से संबंधित प्रश्न भी पूछे। इस पहल का उद्देश्य विद्यार्थियों की भारतीय पौराणिक ज्ञान–परंपरा की समझ को परखना तथा उन्हें अपने सांस्कृतिक अध्ययन के प्रति प्रेरित करना था। अपने उद्बोधन में प्रो. निशा सिंह ने कहा कि “अंग्रेजी साहित्य के अध्ययन में पौराणिक सन्दर्भों, मिथकीय चरित्रों एवं सांस्कृतिक प्रतीकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। पौराणिक ज्ञान विद्यार्थी की व्याख्यात्मक क्षमता को बढ़ाता है और साहित्यिक आलोचना की दृष्टि को विस्तृत बनाता है। आगामी परीक्षाओं में भी ऐसे संदर्भ अत्यंत उपयोगी सिद्ध होंगे।” उन्होंने विद्यार्थियों को नियमित अध्ययन, संदर्भग्रंथों के उपयोग और बहुविषयी दृष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा दी।प्रतियोगिता में आर्या मिश्रा, आकृति सिंह, मुस्कान पांडे, शोभित, आकांक्षा सिंह, शिफा खान, फातिमा खातून, रश्मि, नेहा, सानिया बानो, अर्पित सिंह, नीरज मौर्य, विकास कुमार, मोहम्मद अकरम, अदिति पाल, रिचा सिंह आदि छात्रों–छात्राओं ने प्रतिभाग कर कार्यक्रम को सफल बनाया।कार्यक्रम का संचालन अंग्रेजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर श्रीमती ज्योति सक्सेना ने कुशलतापूर्वक किया। अंग्रेजी विभाग द्वारा आयोजित यह गतिविधि विद्यार्थियों के ज्ञानवर्धन एवं आत्मविश्वास को बढ़ाने में अत्यंत सहायक सिद्ध हुई।
आजमगढ़ : एमएलसी ने अधिवक्ता संघ भवन का किया शिलान्यास,  फूलपुर में 10 लाख से बनेगा अधिवक्ता संघ भवन
सिद्धेश्वर पाण्डेय
  व्यूरो चीफ
आजमगढ़।  जिले के फूलपुर तहसील परिसर में अधिवक्ता संघ भवन का शिलान्यास बृहस्पतिवार को विधान परिषद सदस्य रामसूरत राजभर ने विधिवत पूजन अर्चन कर किया। यह संघ भवन 10 लाख रूपये में निर्मित होगा । इस दौरान एमएलसी राम सूरत राजभर ने कहा अधिवक्ताओं के हित में जो भी जरूरत होगी काम करूंगा और सरकार भी अधिवक्ता हित मे काम कर रही है । अधिवक्ता भवन के शिलान्यास के दौरान एमएलसी राम सूरत राजभर ने कहा कि मैं खुद अधिवक्ता संघ का सदस्य रहा हूं हमारी सरकार ने हमेशा ही अधिवक्ता समाज के हित में काम किया है। इसके अलावा अन्य जो भी अधिवक्ताओं को आवश्यकता पड़ेगी मै निश्चित रूप से उसे पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं। अधिवक्ता हमेशा लोगो को न्याय दिलाने का कार्य करता है। अधिवक्ता समाज अपने कार्यों से समाज को एक नई दिशा और ऊंचाई प्रदान कर सकता है। फूलपुर हमारा तहसील क्षेत्र है । इसे चमकाना हमारी जिम्मेदारी बनती है ।
बार संघ अध्यक्ष विनोद यादव ने कहा कि अधिवक्ता संघ भवन न रहने से काफी दिक्कतें होती थी एमएलसी महोदय ने वादा किया था उन्होंने आज इस वादे को पूरा किया है। उन्होंने आज ही दस लाख रुपए रिलीज कर दिया है। उन्होंने शुद्ध पेय जल सहित अन्य सुविधाएं मुहैय्या करने का आश्वासन दिया उन्होंने उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन मंत्री संजय यादव ने किया। इस मौके पर पूर्व अध्यक्ष राम नारायण यादव, इंदुशेखर पाठक, श्री नाथ सिंह, लालचंद यादव, रमेश चंद शुक्ला, सैयद शमीम काजिम, ओमप्रकाश चौहान, श्रीराम यादव, सुभाष, आफताब, अंगद, राजकुमार, जावेद, मुमताज मंसूरी, ईश्वर देव मौर्य आदि लोग थे।
आजमगढ़ : एमएलसी ने अधिवक्ता संघ भवन का किया शिलान्यास ,फूलपुर में 10 लाख से बनेगा अधिवक्ता संघ भवन

  सिद्धेश्वर पाण्डेय
    व्यूरो चीफ
आजमगढ़। जिले के फूलपुर तहसील परिसर में अधिवक्ता संघ भवन का शिलान्यास बृहस्पतिवार को विधान परिषद सदस्य रामसूरत राजभर ने विधिवत पूजन अर्चन कर किया। यह संघ भवन 10 लाख रूपये में निर्मित होगा । इस दौरान एमएलसी राम सूरत राजभर ने कहा अधिवक्ताओं के हित में जो भी जरूरत होगी काम करूंगा और सरकार भी अधिवक्ता हित मे काम कर रही है । अधिवक्ता भवन के शिलान्यास के दौरान एमएलसी राम सूरत राजभर ने कहा कि मैं खुद अधिवक्ता संघ का सदस्य रहा हूं हमारी सरकार ने हमेशा ही अधिवक्ता समाज के हित में काम किया है। इसके अलावा अन्य जो भी अधिवक्ताओं को आवश्यकता पड़ेगी मै निश्चित रूप से उसे पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं। अधिवक्ता हमेशा लोगो को न्याय दिलाने का कार्य करता है। अधिवक्ता समाज अपने कार्यों से समाज को एक नई दिशा और ऊंचाई प्रदान कर सकता है। फूलपुर हमारा तहसील क्षेत्र है । इसे चमकाना हमारी जिम्मेदारी बनती है ।
बार संघ अध्यक्ष विनोद यादव ने कहा कि अधिवक्ता संघ भवन न रहने से काफी दिक्कतें होती थी एमएलसी महोदय ने वादा किया था उन्होंने आज इस वादे को पूरा किया है। उन्होंने आज ही दस लाख रुपए रिलीज कर दिया है। उन्होंने शुद्ध पेय जल सहित अन्य सुविधाएं मुहैय्या करने का आश्वासन दिया उन्होंने उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन मंत्री संजय यादव ने किया। इस मौके पर पूर्व अध्यक्ष राम नारायण यादव, इंदुशेखर पाठक, श्री नाथ सिंह, लालचंद यादव, रमेश चंद शुक्ला, सैयद शमीम काजिम, ओमप्रकाश चौहान, श्रीराम यादव, सुभाष, आफताब, अंगद, राजकुमार, जावेद, मुमताज मंसूरी, ईश्वर देव मौर्य आदि लोग थे।
बाराबंकी में तेज रफ्तार डंपर रेल ट्रैक पर गिरा, हिल गई गरीब रथ , बड़ा हादसा टला
लखनऊ । बाराबंकी में रामनगर से फतेहपुर मार्ग पर अगानपुर गांव के पास बुधवार रात एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। प्लाई से लदा एक तेज रफ्तार डंपर अचानक अनियंत्रित होकर पुल की रेलिंग तोड़ते हुए करीब 25–30 फीट नीचे रेलवे लाइन पर जा गिरा। ठीक उसी समय दूसरी लाइन पर अमृतसर से बिहार जा रही गरीब रथ सुपरफास्ट एक्सप्रेस गुजर रही थी, जिसके चालक ने सूझबूझ दिखाते हुए इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को समय रहते रोक लिया।

जोरदार धमाका होने से सहमे लोग

डंपर के गिरते ही जोरदार धमाका हुआ, जिससे पूरी ट्रेन हिल गई और यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई। कई यात्री अनहोनी की आशंका में ट्रेन से नीचे उतर आए। लोगों को शुरुआत में लगा कि कोई विस्फोट हुआ है, लेकिन ट्रैक पर पलटा डंपर देखकर सभी ने राहत की सांस ली।

ओवरहेड बिजली लाइन टूटी, बुढ़वल–गोंडा रेलमार्ग बाधित

डंपर के सीधे बिजली तारों पर गिरने से ओवरहेड इलेक्ट्रिक लाइन (ओएचई) बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई, जिसके चलते बुढ़वल–गोंडा रेलमार्ग पर ट्रेनों का संचालन तुरंत रोक दिया गया। बुढ़वल जंक्शन से सीतापुर, गोरखपुर–बिहार और बाराबंकी–लखनऊ की लाइनें जुड़ती हैं, ऐसे में सैकड़ों यात्रियों की यात्राएं प्रभावित हुईं।रेल विभाग की कई टीमें मौके पर पहुंचकर नुकसान का आकलन और मरम्मत कार्य में जुट गईं। देर रात तक विद्युत लाइन दुरुस्त न हो पाने के कारण कई ट्रेनों को अयोध्या–मनकापुर मार्ग पर डायवर्ट किया गया।

डंपर चालक को काटकर निकाला गया, हालत गंभीर

डंपर बुरी तरह मलबे में दब गया था। कड़ी मशक्कत के बाद चालक को वाहन के केबिन को काटकर बाहर निकाला गया। उसकी पहचान पंकज कुमार, निवासी मनिहारी गांव, थाना करनैलगंज (गोंडा) के रूप में हुई है। चालक को गंभीर हालत में लखनऊ ट्रॉमा सेंटर रेफर किया गया।

धमाका होने पर ट्रेन के दरवाजे पर बैठक लोग सहम गए

सहरसा (बिहार) निवासी पिंटू ने बताया हम ट्रेन के दरवाजे पर बैठे थे कि अचानक जबरदस्त धमाका हुआ। ऊपर से चिंगारियां गिर रही थीं। लगा पूरा डिब्बा पलट जाएगा। दुकानदार राजबहादुर ने कहा पहले रेलिंग टूटने की आवाज आई, फिर ऐसा लगा जैसे पूरी ट्रेन पटरी से उछल गई हो। नीचे देखा तो डंपर उलटा लटका था। वाराणसी निवासी यात्री चमन सिंह ने बताया पहले लगा कि बम धमाका हुआ है। कुछ यात्री तो घबराकर हनुमान चालीसा पढ़ने लगे।”

रेलवे ने ट्रेनों का रूट बदला

पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने जानकारी दी कि ओएचई लाइन पूरी तरह टूटने के कारण सभी ट्रेनों को बाराबंकी–अयोध्या–मनकापुर रूट पर डायवर्ट किया गया है। गोरखपुर और बिहार से आने वाली ट्रेनों को भी वैकल्पिक मार्ग से लखनऊ भेजा जा रहा है।एसपी अर्पित विजयवर्गीय ने कहा कि डंपर फतेहपुर की तरफ से तेज रफ्तार में आ रहा था, जो पुल की रेलिंग तोड़कर सीधा रेलवे लाइन पर जा गिरा। समय रहते ट्रेन रुक जाने से बड़ा रेल हादसा टल गया।
सम्मन देने गये दो पुलिस कर्मियों से मारपीट, दो आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज

गोंडा।जिले के नगर कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत सम्मन देने गये दो पुलिस कर्मियों पर हमला कर दिया गया।बताते चलें कि महराजगंज जनपद से आये दिव्यांग हेडकांसटेबल छोटे लाल यादव व नगर कोतवाली क्षेत्र के महराजगंज पुलिस चौकी पर तैनात सिपाही अरुण कुमार गुप्ता के साथ इमामबाड़ा के चमरटोलिया गांव में मारपीट की गई।इस दौरान उनके मोबाइल भी पटक कर तोड़ दिये गये, जिससे उसकी स्क्रीन भी टूट गयी।मारपीट में हेड कांस्टेबल छोटे लाल यादव व सिपाही अरुण कुमार गुप्ता घायल हो गए।उनका गोंडा मेडिकल कॉलेज में इलाज करवाया गया।पुलिस के अनुसार,आरोपियों ने सम्मन लेने से इन्कार कर दिया और पुलिस कर्मियों से मारपीट कर जान से मारने की धमकी दी।नगर कोतवाली पुलिस ने हेडकांसटेबल छोटे लाल यादव की तहरीर पर शशि आनंद व राजन के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा,मारपीट व गाली गलौज की धाराओं में मुकदमा दर्ज दोनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया है और मामले की जांच उपनिरीक्षक मनीष कुमार को सौंपी गई है।पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है।उक्त घटना का एक 53 सेकेण्ड का वीडियो भी सामने आया है,जो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।वीडियो में हैडकांस्टेबल छोटे लाल यादव वीडिओ रिकार्डिंग करते दिख रहे हैं,जबकि कांस्टेबल अरुण कुमार गुप्ता आरोपियों से सम्मन लेने के लिए कह रहे हैं।इस दौरान भी आरोपी पुलिसकर्मियों के मोबाइल छीनने और विवाद करने का प्रयास करते दिखाई दे रहे हैं।हैडकांस्टेबल छोटे लाल यादव महराजगंज जिले के बृजमनगंज थाने में तैनात हैं।वह न्यायिक मजिस्ट्रेट फरेन्दा,महराजगंज द्वारा जारी नोटिस शशि आनंद, राजन व नीता को देने गोंडा आये थे।इन सभी को 27 नवंबर को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट फरेन्दा, महराजगंज की अदालत में हाजिर होना था।जब सम्मन लेने से आरोपियों ने मना किया तो हैडकांस्टेबल ने दोबारा सम्मन लेने के लिए कहा तो नाराज होकर आरोपियों द्वारा मारपीट किया गया।आरोपी शशि गौतम उर्फ आनन्द गौतम ने अपने छोटे भाई की शादी महराजगंज जनपद के बृजमनगंज थाना क्षेत्र में एक लड़की से लगाई थी परन्तु कुछ लेन देन को लेकर राजन गौतम ने शादी से इन्कार कर दिया था।जिसका मुकदमा लड़की के पिता ने न्यायालय में दायर किया है।उसी का सम्मन न्यायालय से राजन गौतम और उसके बडे़ भाई शशि आनंद उर्फ आनन्द गौतम व नीता के नाम पर जारी हुआ था।नगर कोतवाल विवेक त्रिवेदी ने बताया कि हेडकांसटेबल छोटे लाल यादव की तहरीर पर दो लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर दोनों लोगों को हिरासत में लेकर पुलिस द्वारा पूरे मामले की शुरू कर दी गयी है।दोनों आरोपियों ने हमारे थाना क्षेत्र के महराजगंज चौकी पर तैनात सिपाही के साथ मारपीट की है तथा साथ ही साथ महराजगंज जिले के बृजमनगंज थाने पर तैनात हेडकांसटेबल छोटे लाल यादव के साथ भी मारपीट की है।

हजारीबाग गौशाला परिसर में हजारीबाग यूथ विंग द्वारा कंबल वितरण, सेवा भावना का अद्भुत उदाहरण

हजारीबाग - कोलकाता पिंजरापोल सोसाइटी द्वारा संचालित हजारीबाग गौशाला परिसर में मंगलवार को सेवा और समर्पण की अनोखी मिसाल पेश करते हुए जिले की अग्रणी सामाजिक संस्था हजारीबाग यूथ विंग द्वारा गौशाला कर्मचारियों के बीच कंबल वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह वार्षिक कार्यक्रम संस्था द्वारा उन कर्मचारियों के सम्मान में किया जाता है, जो पूरे वर्ष गौमाता की सेवा में निष्ठापूर्वक लगे रहते हैं। कार्यक्रम की शुरुआत गौसेवा से हुई। संस्था के सभी सदस्यों ने गौमाता को गुड़, चोकर एवं अन्य पौष्टिक सामग्री खिलाकर अपनी सेवा भावना व्यक्त की। इसके बाद गौशाला में कार्यरत सभी कर्मचारियों को कंबल वितरित किए गए, जिससे उन्हें शीतकाल में राहत मिल सके। हजारीबाग यूथ विंग ने यह कदम उन कर्मियों के प्रति सम्मान के रूप में उठाया है, जिनकी निष्ठा, त्याग और सेवा भावना सचमुच प्रशंसनीय है। संस्था के संरक्षक चंद्र प्रकाश जैन ने कहा कि हजारीबाग यूथ विंग का उद्देश्य केवल सामाजिक गतिविधियों का संचालन करना नहीं, बल्कि समाज के उन अनाम सेवकों को सम्मान देना भी है, जो चुपचाप अपनी जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं। गौशाला के ये कर्मचारी दिन-रात गौमाता की सेवा करते हैं। यह कंबल वितरण हमारे प्यार और सम्मान का प्रतीक है। संस्था के अध्यक्ष करण जायसवाल ने कहा कि सेवा ही हमारी पहचान है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हमने गौशाला कर्मचारियों को कंबल देकर उनकी सेवा भावना को सम्मानित किया है। जल्द ही संस्था द्वारा शीतकालीन राहत अभियान प्रारंभ किया जाएगा, जिसके तहत जरूरतमंद लोगों तक गर्म कपड़े और आवश्यक सामग्री पहुंचाई जाएगी। हमारा संकल्प है कि समाज के प्रत्येक वर्ग तक सहायता पहुंचे। कार्यक्रम में संस्था के सभी पदाधिकारी एवं सदस्य सक्रिय रूप से उपस्थित रहे और उन्होंने मिलकर सेवा व सहयोग का संदेश दिया। हजारीबाग यूथ विंग ने भविष्य में भी ऐसे सामाजिक कार्यों को निरंतर जारी रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। मौके पर संरक्षक चंद्र प्रकाश जैन, उपाध्यक्ष विकास तिवारी,सचिव रितेश खण्डेलवाल, सह सचिव अभिषेक पांडे, कोषाध्यक्ष गुंजन मद्धेशिया,संस्था के मार्गदर्शक जय प्रकाश खण्डेलवाल,संजय कुमार, कार्यकारिणी सदस्य मोहम्मद ताजुद्दीन, रोहित बजाज, प्रमोद खण्डेलवाल, सेजल सिंह,विवेक तिवारी,प्रज्ञा कुमारी,बजरंग अग्रवाल,उदित तिवारी,योगेंद्र मिश्रा सहित कई लोग मौजूद रहें।

भारत ने साउथ अफ्रीका को हराया, विराट-कुलदीप और हर्षित ने रांची में दिलाई जीत

साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में बुरी तरह हारने वाली टीम इंडिया ने वनडे सीरीज में जोरदार आगाज करते हुए पहले मैच में जीत दर्ज कर ली. रांची में खेले गए पहले वनडे में टीम इंडिया ने विराट कोहली के शानदार और रिकॉर्डतोड़ शतक की मदद से 349 रन का बड़ा स्कोर खड़ा किया. इसके बाद हर्षित राणा के पहले ओवर और कुलदीप यादव के बीच के ओवर में किए करिश्मे से साउथ अफ्रीका को 332 रन पर रोक दिया. इस तरह भारत ने 17 रन से जीत दर्ज करते हुए 3 मैच की सीरीज में 1-0 की बढ़त ले ली.

कोहली का शतक, रोहित-राहुल भी चमके

रांची के JSCA क्रिकेट स्टेडियम में टीम इंडिया ने पहले बैटिंग की और शहर की खुशनुमा दोपहर में फैंस के लिए ये कदम अच्छा साबित हुआ. रांची के दर्शकों को विराट कोहली और रोहित शर्मा की बेहतरीन साझेदारी देखने का मौका मिला. एक महीने पहले सिडनी में कमाल की मैच जिताऊ पार्टनरशिप करने वाले दोनों दिग्गजों ने यहां भी शतकीय साझेदारी की और 136 रन जोड़े. रोहित (57) ने जहां अर्धशतक जमाया तो वहीं विराट ने शतक जड़कर ही दम लिया.

कोहली ने वनडे करियर का 52वां शतक जमाया और इस तरह सचिन तेंदुलकर के एक फॉर्मेट में सबसे ज्यादा शतक के रिकॉर्ड को तोड़ दिया. तेंदुलकर ने टेस्ट में 51 शतक लगाए थे. वहीं रांची के मैदान पर कोहली का ये तीसरा शतक था. उन्होंने सिर्फ 120 गेंदों में 135 रन ठोके, जिसमें 11 चौके और 7 छक्के थे. वहीं कप्तान केएल राहुल (60) ने भी अर्धशतक जमाया, जबकि रवींद्र जडेजा (32) ने भी तेज पारी खेली. साउथ अफ्रीका के लिए कॉर्बिन बॉश समेत 4 तेज गेंदबाजों ने 2-2 विकेट लिए.

हर्षित-कुलदीप ने 3-3 गेंदों में किया खेल

टीम इंडिया की पारी के बाद ये साफ था कि साउथ अफ्रीका के लिए भी रन बनाना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा. मगर दूसरे ही ओवर में हर्षित राणा (3/65) ने कहर बरपा दिया. अपने ओवर की पहली गेंद पर उन्होंने रायन रिकल्टन को बोल्ड किया और तीसरी गेंद पर क्विंटन डिकॉक को आउट कर दिया. दोनों ही खाता नहीं खोल सके. फिर अर्शदीप सिंह (2/64) ने तीसरी सफलता दिलाते हुए कप्तान एडन मार्करम को पवेलियन लौटाया. सिर्फ 11 रन पर ही 3 विकेट गिर गए थे लेकिन इसके बावजूद साउथ अफ्रीका के बल्लेबाजों ने हमला जारी रखा और अहम साझेदारी करते हुए भारत को आसानी से आगे नहीं आने दिया.

खास तौर पर मैथ्यू ब्रीत्जकी (72) और मार्को यानसन (70) की 97 रन की तूफानी साझेदारी ने टीम इंडिया को मुश्किल में डाल दिया था. मगर यहीं पर 34वें ओवर में कुलदीप यादव (4/68) ने तीन गेंदों के अंदर इन दोनों को पवेलियन लौटाते हुए टीम इंडिया की वापसी करवा दी. हालांकि इसके बाद भी साउथ अफ्रीका ने आसानी से हथियार नहीं डाले. कॉर्बिन बॉश (67) ने धुआंधार बल्लेबाजी करते हुए सिर्फ 40 गेंदों में अर्धशतक जमा दिया. आखिरी ओवर में साउथ अफ्रीका को 18 रन की जरूरत थी लेकिन प्रसिद्ध कृष्णा ने दूसरी गेंद पर बॉश को आउट करते हुए साउथ अफ्रीका की उम्मीदों को खत्म किया.

*पुलिस लाइन में रिक्रूट्स का शौर्य चमका,तीन दिवसीय खेल महोत्सव संपन्न* सुलतानपुर।पुलिस लाइन सुलतानपुर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे रिक्रूट्स के
*पुलिस लाइन में रिक्रूट्स का शौर्य चमका,तीन दिवसीय खेल महोत्सव संपन्न*


सुलतानपुर।पुलिस लाइन सुलतानपुर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे रिक्रूट्स के लिए आयोजित तीन दिवसीय खेल प्रतियोगिता एकता और शौर्य रविवार को उत्साह के साथ संपन्न हुई। पुलिस अधीक्षक कुँवर अनुपम सिंह के निर्देशन में हुए इस आयोजन में रिक्रूट्स ने एथलेटिक्स, कोर्ट गेम्स और टीम खेलों में दमखम दिखाया।एसपी ने फीता काटकर प्रतियोगिता का शुभारंभ किया और रिक्रूट्स को खेलों के माध्यम से टीम भावना, अनुशासन और निर्णय क्षमता को मजबूत करने का संदेश दिया। तीन दिनों तक चले इस आयोजन में 1600 मीटर दौड़, रिले, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल, रस्साकसी और चेस जैसे मुकाबलों में प्रतिभागियों ने शानदार प्रदर्शन किया।खेलों के दौरान अपर पुलिस अधीक्षक सहित क्षेत्राधिकारी लाइन, प्रतिसार निरीक्षक, प्रभारी आरटीसी और समस्त आरटीसी स्टाफ मौजूद रहा। अधिकारियों ने खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाया और उनके प्रदर्शन की सराहना की।बैडमिंटन में टोली नंबर 02 के मनोज सिंह चेस्ट 47 व अशोक धाकड़ चेस्ट 46 विजेता रहे, जबकि टोली 09 के रितिक चंदेल चेस्ट 255 व साहिल यादव चेस्ट 261 उपविजेता बने।टेबल टेनिस में टोली नंबर 01 से साहिल यादव चेस्ट 261 और रितिक चंदेल चेस्ट 255 विजेता रहे, वहीं टोली 02 के शशांक कुमार चेस्ट 157 व सतेन्द्र कुमार चेस्ट 175 उपविजेता रहे।
गृहस्थ आश्रम : जीवन-दर्शन का स्वर्णिम मध्यस्थ
संजीव सिंह बलिया! गृहस्थ आश्रम : भारतीय जीवन-दर्शन का केंद्रबिंदु भारतीय ज्ञान परम्परा का प्रवाह हजारों वर्षों से ऐसे चलता आया है, मानो हिमालय की शाश्वत शृंखलाओं से निकली कोई दिव्य नदी हो—कभी शांत, कभी प्रचण्ड, परन्तु सदैव जीवनदायिनी। इस परम्परा में गृहस्थ आश्रम कभी न तो उपेक्षा का विषय रहा है, न ही निन्दा का। भारतीय मानस समझता रहा है कि जीवन केवल संन्यास की पथरीली कंदराओं में ही नहीं, बल्कि गृहस्थी के दीप-स्तंभों में भी वैसे ही प्रकाशित होता है जैसे किसी मन्दिर की ज्योति में ईश्वर का तेज। भारत के ऋषि-कुल को देखें तो प्रतीत होगा कि हमारा समाज वास्तव में “ऋषियों की संतान” है। लगभग प्रत्येक ऋषि—अत्रि, वशिष्ठ, कश्यप, याज्ञवल्क्य—सभी गृहस्थ थे; उनकी ऋचाएँ, ब्रह्मज्ञान और अध्यात्म की ऊँचाइयाँ गृहस्थ जीवन की गोद में ही पलकर विराटता प्राप्त कर सकीं। सोलह संस्कारों में विवाह को प्रमुख इसलिए कहा गया कि यह न केवल एक वैयक्तिक संस्कार था, बल्कि सम्पूर्ण समाज के संतुलन का आधार-स्तंभ था—मानो मनुष्य-जीवन का वह द्वार जहाँ से कर्तव्य, प्रेम, त्याग और सृजन सब मिलकर प्रवेश करते हों। सनातन वैदिक धर्म ने मनुष्य-जीवन को सौ वर्ष का पूर्ण वृत्त मानकर उसे चार आश्रमों में विभाजित किया—ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास। यह विभाजन मात्र आयु-क्रम नहीं था; यह जीवन का एक चतुर्ऋतु-चक्र था—ब्रह्मचर्य वसंत की तरह ज्ञान और उत्साह का; गृहस्थ ग्रीष्म की भाँति कर्म, तप और दायित्व का; वानप्रस्थ शरद की तरह मन्द, उज्ज्वल और अनुभवों का; और संन्यास हेमंत की तरह निर्मल, शांत और मोक्षमार्ग का। सबको इन चारों से होकर गुजरना था ताकि व्यक्ति जीवन को सम्पूर्ण रूप में जी सके और अन्ततः समाज को अपनी परिपक्व प्रतिभा अर्पित कर सके। जो पंथ जीवन के प्रारम्भिक वर्षों में ही संन्यास अनिवार्य कर बैठे—वे एक ओर सूखे हुए वृक्षों की तरह खड़े रहे, जिनकी जड़ें समाज की मिट्टी से कट गईं; और जब जड़ों का रस ही समाप्त हो जाए, तो वृक्ष कितने दिन टिक सकता है? फलतः ऐसे पंथ काल के थपेड़ों में विलीन हो गए। भारतीय इतिहास पर दृष्टि डालें तो ऐसा प्रतीत होता है मानो प्रवृत्ति और निवृत्ति किसी विशाल समुद्र में उठती-गिरती लहरों की तरह हैं—कभी प्रवृत्ति की ज्वार, तो कभी निवृत्ति का भाटा। वैदिक काल कर्म, यज्ञ और सामाजिक सक्रियता का युग था; उपनिषदकाल में निवृत्ति के बीज अंकुरित हुए—मौन, ध्यान, आत्मबोध शिखर की ओर बढ़े; बौद्ध काल में निवृत्ति ने वटवृक्ष का रूप ले लिया—विस्तार, गहराई और व्यापकता के साथ; और पुनः मुगल व आधुनिक युग में प्रवृत्ति ने अपनी जमीन वापस पा ली—कर्म, समाज, कुटुम्ब और राष्ट्र की चेतना उन्नत हुई। इस प्रकार भारत में प्रवृत्ति से निवृत्ति और निवृत्ति से प्रवृत्ति का आवागमन निरंतर चलता रहा—मानो सूर्य दिन में चमके और रात में चन्द्रमा; दोनों आवश्यक, दोनों पूरक। समाज ने मनुष्य को सामाजिक बनाया है; इसलिए समाज का ऋण चुकाए बिना संन्यास लेकर पलायन कर जाना भारतीय मनस्विता का मार्ग नहीं रहा। वन ही सत्य का एकमात्र द्वार नहीं—गृहस्थ का अन्न, गृहस्थ की अग्नि और गृहस्थ की करुणा से ही ऋषियों का वन-जीवन पोषित हुआ। गृहस्थ आश्रम बिना पानी के वह नदी होता, जिसमें न तो प्रवाह होता न जीवन। अतः संन्यास को भी वही व्यक्ति ग्रहण करता था जिसने गृहस्थ-धर्म को पूर्ण निष्ठा से निभाया हो—तभी उसका संन्यास समाज के लिए प्रकाश-दीप होता था, पलायन नहीं। भारतीय जीवन-दर्शन कभी एकांगी नहीं रहा। उसने प्रवृत्ति और निवृत्ति, गृहस्थ और संन्यास, कर्म और ध्यान—सबको एक ही सूत्र में पिरोया। इससे सम्बंधित दृष्टांत महाभारत के वन पर्व में वर्णित है, जिसमें ऋषि माकंदव्य ने युधिष्ठिर को यह कहानी सुनाई थी। इसे कपोतोपाख्यान (कबूतर की कहानी) के नाम से जाना जाता है। यह कहानी धर्म, वैराग्य, और गृहस्थ धर्म के श्रेष्ठ आदर्शों को दर्शाती है -एक समय की बात है, एक अति सुंदर और गुणवान ऋषिकुमार थे, जो बचपन से ही विरक्त (दुनिया से मोह रहित) और तपस्वी स्वभाव के थे। वह ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए वन में वास करते थे। उसी राज्य में एक राजकुमारी थी, जो अत्यंत रूपवती और धर्मात्मा थी। जब वह विवाह योग्य हुई, तो राजा ने उसका स्वयंवर आयोजित किया। देश-विदेश के अनेक राजकुमार और प्रतिष्ठित व्यक्ति उस स्वयंवर में उपस्थित हुए। राजकुमारी ने जब सभा में उपस्थित सभी लोगों को देखा, तो उसे कोई भी अपने योग्य नहीं लगा। तभी उसकी दृष्टि उस ऋषिकुमार पर पड़ी जो किसी कारणवश सभा में मौजूद थे। ऋषिकुमार का तेजस्वी रूप, शांत स्वभाव और वैराग्य से भरा व्यक्तित्व राजकुमारी को इतना भाया कि उसने लेशमात्र भी विचार किए बिना, उन ऋषिकुमार के गले में वरमाला डाल दी। यह देखकर पूरी सभा चकित रह गई, क्योंकि ऋषिकुमार तो वैरागी थे और विवाह के बंधन से दूर रहना चाहते थे। जैसे ही राजकुमारी ने ऋषिकुमार को वरमाला पहनाई, तो ऋषिकुमार को लगा कि उनका ब्रह्मचर्य भंग हो रहा है और वह सांसारिक मोह-माया के बंधन में फंस रहे हैं। राजकुमारी के चयन को स्वीकार न करते हुए, वह तत्काल उस स्वयंवर सभा से उठकर गहन वन की ओर भाग गए। राजकुमारी भी उनके पीछे भागी, लेकिन ऋषिकुमार वैराग्य की धुन में तेजी से आगे निकल गए और घने जंगल में अदृश्य हो गए। राजकुमारी ने जब ऋषिकुमार को भागते हुए देखा, तो वह अत्यंत दुखी हुई और राजा से कहा कि वह उसी ऋषिकुमार को पति के रूप में स्वीकार करेंगी। राजा अपनी बेटी के हठ के कारण चिंतित हुए और अपने मंत्री के साथ उस ऋषिकुमार को ढूंढने के लिए जंगल की ओर निकल पड़े। काफी देर तक भटकने के बाद भी वे ऋषिकुमार को नहीं ढूंढ पाए। राजा और मंत्री दोनों ही जंगल में रास्ता भटक गए और दिन ढलने लगा। वे भूख-प्यास से व्याकुल हो गए और थककर एक विशाल वृक्ष के नीचे बैठ गए। जिस पेड़ के नीचे राजा और मंत्री बैठे थे, उसी पर एक कबूतर (कपोत) अपनी पत्नी कबूतरी (कपोती) के साथ एक घोंसले में रहता था। जब कबूतरी ने नीचे राजा और मंत्री को ठंड से ठिठुरते और भूख से पीड़ित देखा, तो वह अपने पति कबूतर से बोली - "हे नाथ! ये दोनों अतिथि हैं और भूख-प्यास से व्याकुल हैं। अतिथि का सत्कार करना गृहस्थ का परम धर्म है। हमारे पास इन्हें देने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन हमें किसी भी प्रकार से इनकी सेवा करनी चाहिए।" कबूतर, जो धर्मात्मा और परम ज्ञानी था, अपनी पत्नी के धर्मनिष्ठ विचार से अत्यंत प्रसन्न हुआ और बोला -"तुम धन्य हो प्रिये! आज तुमने मुझे गृहस्थ धर्म का सच्चा महत्व समझा दिया।" सबसे पहले, कबूतर पास से सूखी टहनियाँ और घास लाकर लाया और एक जगह पर आग जलाई, ताकि राजा और मंत्री ठंड से बच सकें। फिर कबूतर ने राजा से कहा - "हे अतिथि! मैं आपका सत्कार कैसे करूँ? मेरे पास आपको खिलाने के लिए कोई अन्न नहीं है। इसलिए, मैं स्वयं ही आपकी क्षुधा शांत करने के लिए अपने शरीर की आहुति देता हूँ। आप मुझे पकाकर अपनी भूख मिटाइए।" यह कहकर, वह धर्मात्मा कबूतर बिना किसी संकोच के धधकती आग में कूद गया और अपने प्राणों का त्याग कर दिया। राजा और मंत्री यह देखकर बहुत दुखी और शर्मिंदा हुए। अभी उनकी भूख पूरी तरह शांत नहीं हुई थी। तब कबूतरी ने अपने पति के पदचिह्नों पर चलते हुए राजा से कहा - "महाराज! मेरे पति ने अतिथि धर्म का पालन किया है। मैं भी उनके मार्ग पर चलते हुए आपकी सेवा करना चाहती हूँ। मेरी देह भी आपकी क्षुधा शांत करने में सहायक हो।" और कबूतरी भी तुरंत उस आग में कूद गई और अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। कबूतर दम्पत्ति के इस अभूतपूर्व आत्म-त्याग और अतिथि सत्कार को देखकर राजा और मंत्री की आँखें खुल गईं। उनकी भूख तो शांत हुई या नहीं, लेकिन उनका अहंकार और मोह पूरी तरह शांत हो गया। उन्होंने कबूतर दम्पत्ति के चरणों में सिर नवाया और उस स्थान को छोड़कर वापस लौट गए। ऋषि माकंदव्य ने युधिष्ठिर से कहा - सन्यासी हो तो उस ऋषिकुमार की तरह जिसने राज्य-वैभव और राजकुमारी के प्रेम को ठुकराकर वैराग्य को सर्वोपरि माना और मोह से बचने के लिए जंगल में भाग गया। गृहस्थ हो तो कबूतर दम्पत्ति की तरह जिन्होंने अपने जीवन का मोह त्यागकर, केवल 'अतिथि सत्कार' और 'गृहस्थ धर्म' के पालन को ही अपना परम कर्तव्य समझा। यह कथा सिखाती है कि सच्चा त्याग वैराग्य में भी है और निःस्वार्थ सेवा भाव से युक्त गृहस्थ जीवन में भी है। ऋषिकुमार का त्याग विरक्ति का प्रतीक है, जबकि कबूतर दम्पत्ति का त्याग परमार्थ (दूसरों के हित) का प्रतीक है। यह वह भूमि है जहाँ कृषक हल चलाते समय भी ऋग्वेद की ऋचाएँ गाता है, और संन्यासी गहन समाधि में भी “सर्वभूतहिते रतः” का संकल्प लेता है। अतः भारत की आत्मा का सन्देश स्पष्ट है—जीवन को सम्पूर्णता में जियो, प्रत्येक आश्रम का सम्मान करो, और समाज को कुछ दिए बिना किसी एक मार्ग को श्रेष्ठ कहकर दूसरे को तुच्छ मत समझो। गृहस्थ हो या संन्यासी—दोनों भारतीय संस्कृति के दो पंख हैं; एक भी टूट जाए तो उड़ान अधूरी रह जाती है। ©® डॉ. विद्यासागर उपाध्याय
कटकमदाग में दिनदहाड़े चोरी का खुलासा: 3 आरोपी गिरफ्तार, सोना–चांदी के भारी मात्रा में गहने बरामद

कटकमदाग थाना क्षेत्र के विष्णुपुरी गली नंबर 15 में 22 नवंबर 2025 को हुई दिनदहाड़े चोरी की घटना का हजारीबाग पुलिस ने खुलासा कर दिया है। पिंकी कुमारी के बंद घर का ताला तोड़कर हुए इस चोरी कांड में अज्ञात चोरों ने सोने और चांदी के कई गहने चुरा लिए थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए अपर पुलिस अधीक्षक (मुख्यालय) अमित कुमार के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया था।

पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कुल 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। मुख्य आरोपी सुभाष चन्द्र बोस उर्फ टैक्सी (25 वर्ष), जो डोकोटांड, लोहसिंघना का रहने वाला है, को पुलिस ने उस समय पकड़ा जब वह विष्णुपुरी गली नंबर 4 में फिर से चोरी की फिराक में घूम रहा था। इसकी निशानदेही पर भोला प्रसाद सोनी (46 वर्ष), निवासी तिलैया, थाना दारु और अमित दुबे (21 वर्ष), निवासी कस्तूरीखाप, थाना कटकमदाग को गिरफ्तार किया गया।

गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने सोना और चांदी के भारी मात्रा में गहने बरामद किए हैं। इसमें 54.5 ग्राम सोना (नेकलेस, दुर्गा माँ का लॉकेट, मांगटीका, टॉप्स, नोज पिन, बाला और कली सोना) और 653.55 ग्राम चाँदी (कटोरी, चम्मच, पायल, बिछिया, सिक्के, ब्रेसलेट और चेन) शामिल हैं। साथ ही 1 आर्टिफिशियल ज्वेलरी सेट, लीवफास्ट कंपनी का 1 इन्वर्टर, FND कंपनी का होम थियेटर, 1 लैपटॉप-चार्जर और जेवर गलाने का सामान भी बरामद किया गया है।

मुख्य आरोपी ‘टैक्सी’ ने पूछताछ में स्वीकार किया है कि वह पहले भी कई चोरियों में शामिल रहा है। उसकी गिरफ्तारी से कुल 10 पुराने कांडों का खुलासा हुआ है, जिनमें कटकमदाग क्षेत्र में 4, लोहसिंघना क्षेत्र में 2 और सदर क्षेत्र में 4 चोरियां शामिल हैं।

इस सफल कार्रवाई में अपर पुलिस अधीक्षक अमित कुमार, इंस्पेक्टर शाहिद रजा (पेलावल अंचल), थाना प्रभारी प्रमोद कुमार, SI चितरंजन कुमार, SI विक्की ठाकुर और तकनीकी शाखा की टीम शामिल रही। पुलिस टीम की इस उपलब्धि से क्षेत्र में सुरक्षा और पुलिस के प्रति विश्वास और मजबूत हुआ है।

*पौराणिक ज्ञान विद्यार्थी की व्याख्यात्मक क्षमता को बढ़ाता है- प्रो निशा सिंह*
अंग्रेजी विभाग द्वारा क्विज प्रतियोगिता का सफल आयोजन प्रतियोगिता में खुशी गुप्ता ने प्रथम,शशि प्रभा द्वितीय, मुस्कान एवं गौरव गॉड तृतीय स्थान हासिल किया।

सुलतानपुर,राणा प्रताप पी.जी. कॉलेज के अंग्रेजी विभाग द्वारा विद्यार्थियों की शैक्षिक दक्षता एवं प्रतियोगी दृष्टिकोण को सुदृढ़ करने हेतु एक क्विज प्रतियोगिता का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में बी.ए. प्रथम, तृतीय और पंचम सेमेस्टर के छात्रों–छात्राओं ने उत्साहपूर्वक प्रतिभाग किया। प्रतियोगिता में बी.ए. तृतीय सेमेस्टर की छात्रा खुशी गुप्ता ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया। बी.ए. प्रथम सेमेस्टर की छात्रा शशि प्रभा द्वितीय स्थान पर रहीं। वहीं बी.ए. प्रथम सेमेस्टर की ही छात्रा मुस्कान एवं गौरव गॉड ने शानदार प्रस्तुति देते हुए संयुक्त रूप से तृतीय स्थान हासिल किया। यह क्विज आगामी विश्वविद्यालय परीक्षा की दृष्टि से विद्यार्थियों की तैयारी को मजबूत करने तथा उनकी विषयगत समझ को विकसित करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रो. निशा सिंह ने की। उन्होंने प्रतियोगिता के दौरान विद्यार्थियों से पौराणिक ग्रंथों से संबंधित प्रश्न भी पूछे। इस पहल का उद्देश्य विद्यार्थियों की भारतीय पौराणिक ज्ञान–परंपरा की समझ को परखना तथा उन्हें अपने सांस्कृतिक अध्ययन के प्रति प्रेरित करना था। अपने उद्बोधन में प्रो. निशा सिंह ने कहा कि “अंग्रेजी साहित्य के अध्ययन में पौराणिक सन्दर्भों, मिथकीय चरित्रों एवं सांस्कृतिक प्रतीकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। पौराणिक ज्ञान विद्यार्थी की व्याख्यात्मक क्षमता को बढ़ाता है और साहित्यिक आलोचना की दृष्टि को विस्तृत बनाता है। आगामी परीक्षाओं में भी ऐसे संदर्भ अत्यंत उपयोगी सिद्ध होंगे।” उन्होंने विद्यार्थियों को नियमित अध्ययन, संदर्भग्रंथों के उपयोग और बहुविषयी दृष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा दी।प्रतियोगिता में आर्या मिश्रा, आकृति सिंह, मुस्कान पांडे, शोभित, आकांक्षा सिंह, शिफा खान, फातिमा खातून, रश्मि, नेहा, सानिया बानो, अर्पित सिंह, नीरज मौर्य, विकास कुमार, मोहम्मद अकरम, अदिति पाल, रिचा सिंह आदि छात्रों–छात्राओं ने प्रतिभाग कर कार्यक्रम को सफल बनाया।कार्यक्रम का संचालन अंग्रेजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर श्रीमती ज्योति सक्सेना ने कुशलतापूर्वक किया। अंग्रेजी विभाग द्वारा आयोजित यह गतिविधि विद्यार्थियों के ज्ञानवर्धन एवं आत्मविश्वास को बढ़ाने में अत्यंत सहायक सिद्ध हुई।
आजमगढ़ : एमएलसी ने अधिवक्ता संघ भवन का किया शिलान्यास,  फूलपुर में 10 लाख से बनेगा अधिवक्ता संघ भवन
सिद्धेश्वर पाण्डेय
  व्यूरो चीफ
आजमगढ़।  जिले के फूलपुर तहसील परिसर में अधिवक्ता संघ भवन का शिलान्यास बृहस्पतिवार को विधान परिषद सदस्य रामसूरत राजभर ने विधिवत पूजन अर्चन कर किया। यह संघ भवन 10 लाख रूपये में निर्मित होगा । इस दौरान एमएलसी राम सूरत राजभर ने कहा अधिवक्ताओं के हित में जो भी जरूरत होगी काम करूंगा और सरकार भी अधिवक्ता हित मे काम कर रही है । अधिवक्ता भवन के शिलान्यास के दौरान एमएलसी राम सूरत राजभर ने कहा कि मैं खुद अधिवक्ता संघ का सदस्य रहा हूं हमारी सरकार ने हमेशा ही अधिवक्ता समाज के हित में काम किया है। इसके अलावा अन्य जो भी अधिवक्ताओं को आवश्यकता पड़ेगी मै निश्चित रूप से उसे पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं। अधिवक्ता हमेशा लोगो को न्याय दिलाने का कार्य करता है। अधिवक्ता समाज अपने कार्यों से समाज को एक नई दिशा और ऊंचाई प्रदान कर सकता है। फूलपुर हमारा तहसील क्षेत्र है । इसे चमकाना हमारी जिम्मेदारी बनती है ।
बार संघ अध्यक्ष विनोद यादव ने कहा कि अधिवक्ता संघ भवन न रहने से काफी दिक्कतें होती थी एमएलसी महोदय ने वादा किया था उन्होंने आज इस वादे को पूरा किया है। उन्होंने आज ही दस लाख रुपए रिलीज कर दिया है। उन्होंने शुद्ध पेय जल सहित अन्य सुविधाएं मुहैय्या करने का आश्वासन दिया उन्होंने उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन मंत्री संजय यादव ने किया। इस मौके पर पूर्व अध्यक्ष राम नारायण यादव, इंदुशेखर पाठक, श्री नाथ सिंह, लालचंद यादव, रमेश चंद शुक्ला, सैयद शमीम काजिम, ओमप्रकाश चौहान, श्रीराम यादव, सुभाष, आफताब, अंगद, राजकुमार, जावेद, मुमताज मंसूरी, ईश्वर देव मौर्य आदि लोग थे।
आजमगढ़ : एमएलसी ने अधिवक्ता संघ भवन का किया शिलान्यास ,फूलपुर में 10 लाख से बनेगा अधिवक्ता संघ भवन

  सिद्धेश्वर पाण्डेय
    व्यूरो चीफ
आजमगढ़। जिले के फूलपुर तहसील परिसर में अधिवक्ता संघ भवन का शिलान्यास बृहस्पतिवार को विधान परिषद सदस्य रामसूरत राजभर ने विधिवत पूजन अर्चन कर किया। यह संघ भवन 10 लाख रूपये में निर्मित होगा । इस दौरान एमएलसी राम सूरत राजभर ने कहा अधिवक्ताओं के हित में जो भी जरूरत होगी काम करूंगा और सरकार भी अधिवक्ता हित मे काम कर रही है । अधिवक्ता भवन के शिलान्यास के दौरान एमएलसी राम सूरत राजभर ने कहा कि मैं खुद अधिवक्ता संघ का सदस्य रहा हूं हमारी सरकार ने हमेशा ही अधिवक्ता समाज के हित में काम किया है। इसके अलावा अन्य जो भी अधिवक्ताओं को आवश्यकता पड़ेगी मै निश्चित रूप से उसे पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं। अधिवक्ता हमेशा लोगो को न्याय दिलाने का कार्य करता है। अधिवक्ता समाज अपने कार्यों से समाज को एक नई दिशा और ऊंचाई प्रदान कर सकता है। फूलपुर हमारा तहसील क्षेत्र है । इसे चमकाना हमारी जिम्मेदारी बनती है ।
बार संघ अध्यक्ष विनोद यादव ने कहा कि अधिवक्ता संघ भवन न रहने से काफी दिक्कतें होती थी एमएलसी महोदय ने वादा किया था उन्होंने आज इस वादे को पूरा किया है। उन्होंने आज ही दस लाख रुपए रिलीज कर दिया है। उन्होंने शुद्ध पेय जल सहित अन्य सुविधाएं मुहैय्या करने का आश्वासन दिया उन्होंने उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन मंत्री संजय यादव ने किया। इस मौके पर पूर्व अध्यक्ष राम नारायण यादव, इंदुशेखर पाठक, श्री नाथ सिंह, लालचंद यादव, रमेश चंद शुक्ला, सैयद शमीम काजिम, ओमप्रकाश चौहान, श्रीराम यादव, सुभाष, आफताब, अंगद, राजकुमार, जावेद, मुमताज मंसूरी, ईश्वर देव मौर्य आदि लोग थे।
बाराबंकी में तेज रफ्तार डंपर रेल ट्रैक पर गिरा, हिल गई गरीब रथ , बड़ा हादसा टला
लखनऊ । बाराबंकी में रामनगर से फतेहपुर मार्ग पर अगानपुर गांव के पास बुधवार रात एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। प्लाई से लदा एक तेज रफ्तार डंपर अचानक अनियंत्रित होकर पुल की रेलिंग तोड़ते हुए करीब 25–30 फीट नीचे रेलवे लाइन पर जा गिरा। ठीक उसी समय दूसरी लाइन पर अमृतसर से बिहार जा रही गरीब रथ सुपरफास्ट एक्सप्रेस गुजर रही थी, जिसके चालक ने सूझबूझ दिखाते हुए इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को समय रहते रोक लिया।

जोरदार धमाका होने से सहमे लोग

डंपर के गिरते ही जोरदार धमाका हुआ, जिससे पूरी ट्रेन हिल गई और यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई। कई यात्री अनहोनी की आशंका में ट्रेन से नीचे उतर आए। लोगों को शुरुआत में लगा कि कोई विस्फोट हुआ है, लेकिन ट्रैक पर पलटा डंपर देखकर सभी ने राहत की सांस ली।

ओवरहेड बिजली लाइन टूटी, बुढ़वल–गोंडा रेलमार्ग बाधित

डंपर के सीधे बिजली तारों पर गिरने से ओवरहेड इलेक्ट्रिक लाइन (ओएचई) बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई, जिसके चलते बुढ़वल–गोंडा रेलमार्ग पर ट्रेनों का संचालन तुरंत रोक दिया गया। बुढ़वल जंक्शन से सीतापुर, गोरखपुर–बिहार और बाराबंकी–लखनऊ की लाइनें जुड़ती हैं, ऐसे में सैकड़ों यात्रियों की यात्राएं प्रभावित हुईं।रेल विभाग की कई टीमें मौके पर पहुंचकर नुकसान का आकलन और मरम्मत कार्य में जुट गईं। देर रात तक विद्युत लाइन दुरुस्त न हो पाने के कारण कई ट्रेनों को अयोध्या–मनकापुर मार्ग पर डायवर्ट किया गया।

डंपर चालक को काटकर निकाला गया, हालत गंभीर

डंपर बुरी तरह मलबे में दब गया था। कड़ी मशक्कत के बाद चालक को वाहन के केबिन को काटकर बाहर निकाला गया। उसकी पहचान पंकज कुमार, निवासी मनिहारी गांव, थाना करनैलगंज (गोंडा) के रूप में हुई है। चालक को गंभीर हालत में लखनऊ ट्रॉमा सेंटर रेफर किया गया।

धमाका होने पर ट्रेन के दरवाजे पर बैठक लोग सहम गए

सहरसा (बिहार) निवासी पिंटू ने बताया हम ट्रेन के दरवाजे पर बैठे थे कि अचानक जबरदस्त धमाका हुआ। ऊपर से चिंगारियां गिर रही थीं। लगा पूरा डिब्बा पलट जाएगा। दुकानदार राजबहादुर ने कहा पहले रेलिंग टूटने की आवाज आई, फिर ऐसा लगा जैसे पूरी ट्रेन पटरी से उछल गई हो। नीचे देखा तो डंपर उलटा लटका था। वाराणसी निवासी यात्री चमन सिंह ने बताया पहले लगा कि बम धमाका हुआ है। कुछ यात्री तो घबराकर हनुमान चालीसा पढ़ने लगे।”

रेलवे ने ट्रेनों का रूट बदला

पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने जानकारी दी कि ओएचई लाइन पूरी तरह टूटने के कारण सभी ट्रेनों को बाराबंकी–अयोध्या–मनकापुर रूट पर डायवर्ट किया गया है। गोरखपुर और बिहार से आने वाली ट्रेनों को भी वैकल्पिक मार्ग से लखनऊ भेजा जा रहा है।एसपी अर्पित विजयवर्गीय ने कहा कि डंपर फतेहपुर की तरफ से तेज रफ्तार में आ रहा था, जो पुल की रेलिंग तोड़कर सीधा रेलवे लाइन पर जा गिरा। समय रहते ट्रेन रुक जाने से बड़ा रेल हादसा टल गया।
सम्मन देने गये दो पुलिस कर्मियों से मारपीट, दो आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज

गोंडा।जिले के नगर कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत सम्मन देने गये दो पुलिस कर्मियों पर हमला कर दिया गया।बताते चलें कि महराजगंज जनपद से आये दिव्यांग हेडकांसटेबल छोटे लाल यादव व नगर कोतवाली क्षेत्र के महराजगंज पुलिस चौकी पर तैनात सिपाही अरुण कुमार गुप्ता के साथ इमामबाड़ा के चमरटोलिया गांव में मारपीट की गई।इस दौरान उनके मोबाइल भी पटक कर तोड़ दिये गये, जिससे उसकी स्क्रीन भी टूट गयी।मारपीट में हेड कांस्टेबल छोटे लाल यादव व सिपाही अरुण कुमार गुप्ता घायल हो गए।उनका गोंडा मेडिकल कॉलेज में इलाज करवाया गया।पुलिस के अनुसार,आरोपियों ने सम्मन लेने से इन्कार कर दिया और पुलिस कर्मियों से मारपीट कर जान से मारने की धमकी दी।नगर कोतवाली पुलिस ने हेडकांसटेबल छोटे लाल यादव की तहरीर पर शशि आनंद व राजन के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा,मारपीट व गाली गलौज की धाराओं में मुकदमा दर्ज दोनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया है और मामले की जांच उपनिरीक्षक मनीष कुमार को सौंपी गई है।पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है।उक्त घटना का एक 53 सेकेण्ड का वीडियो भी सामने आया है,जो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।वीडियो में हैडकांस्टेबल छोटे लाल यादव वीडिओ रिकार्डिंग करते दिख रहे हैं,जबकि कांस्टेबल अरुण कुमार गुप्ता आरोपियों से सम्मन लेने के लिए कह रहे हैं।इस दौरान भी आरोपी पुलिसकर्मियों के मोबाइल छीनने और विवाद करने का प्रयास करते दिखाई दे रहे हैं।हैडकांस्टेबल छोटे लाल यादव महराजगंज जिले के बृजमनगंज थाने में तैनात हैं।वह न्यायिक मजिस्ट्रेट फरेन्दा,महराजगंज द्वारा जारी नोटिस शशि आनंद, राजन व नीता को देने गोंडा आये थे।इन सभी को 27 नवंबर को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट फरेन्दा, महराजगंज की अदालत में हाजिर होना था।जब सम्मन लेने से आरोपियों ने मना किया तो हैडकांस्टेबल ने दोबारा सम्मन लेने के लिए कहा तो नाराज होकर आरोपियों द्वारा मारपीट किया गया।आरोपी शशि गौतम उर्फ आनन्द गौतम ने अपने छोटे भाई की शादी महराजगंज जनपद के बृजमनगंज थाना क्षेत्र में एक लड़की से लगाई थी परन्तु कुछ लेन देन को लेकर राजन गौतम ने शादी से इन्कार कर दिया था।जिसका मुकदमा लड़की के पिता ने न्यायालय में दायर किया है।उसी का सम्मन न्यायालय से राजन गौतम और उसके बडे़ भाई शशि आनंद उर्फ आनन्द गौतम व नीता के नाम पर जारी हुआ था।नगर कोतवाल विवेक त्रिवेदी ने बताया कि हेडकांसटेबल छोटे लाल यादव की तहरीर पर दो लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर दोनों लोगों को हिरासत में लेकर पुलिस द्वारा पूरे मामले की शुरू कर दी गयी है।दोनों आरोपियों ने हमारे थाना क्षेत्र के महराजगंज चौकी पर तैनात सिपाही के साथ मारपीट की है तथा साथ ही साथ महराजगंज जिले के बृजमनगंज थाने पर तैनात हेडकांसटेबल छोटे लाल यादव के साथ भी मारपीट की है।

हजारीबाग गौशाला परिसर में हजारीबाग यूथ विंग द्वारा कंबल वितरण, सेवा भावना का अद्भुत उदाहरण

हजारीबाग - कोलकाता पिंजरापोल सोसाइटी द्वारा संचालित हजारीबाग गौशाला परिसर में मंगलवार को सेवा और समर्पण की अनोखी मिसाल पेश करते हुए जिले की अग्रणी सामाजिक संस्था हजारीबाग यूथ विंग द्वारा गौशाला कर्मचारियों के बीच कंबल वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह वार्षिक कार्यक्रम संस्था द्वारा उन कर्मचारियों के सम्मान में किया जाता है, जो पूरे वर्ष गौमाता की सेवा में निष्ठापूर्वक लगे रहते हैं। कार्यक्रम की शुरुआत गौसेवा से हुई। संस्था के सभी सदस्यों ने गौमाता को गुड़, चोकर एवं अन्य पौष्टिक सामग्री खिलाकर अपनी सेवा भावना व्यक्त की। इसके बाद गौशाला में कार्यरत सभी कर्मचारियों को कंबल वितरित किए गए, जिससे उन्हें शीतकाल में राहत मिल सके। हजारीबाग यूथ विंग ने यह कदम उन कर्मियों के प्रति सम्मान के रूप में उठाया है, जिनकी निष्ठा, त्याग और सेवा भावना सचमुच प्रशंसनीय है। संस्था के संरक्षक चंद्र प्रकाश जैन ने कहा कि हजारीबाग यूथ विंग का उद्देश्य केवल सामाजिक गतिविधियों का संचालन करना नहीं, बल्कि समाज के उन अनाम सेवकों को सम्मान देना भी है, जो चुपचाप अपनी जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं। गौशाला के ये कर्मचारी दिन-रात गौमाता की सेवा करते हैं। यह कंबल वितरण हमारे प्यार और सम्मान का प्रतीक है। संस्था के अध्यक्ष करण जायसवाल ने कहा कि सेवा ही हमारी पहचान है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हमने गौशाला कर्मचारियों को कंबल देकर उनकी सेवा भावना को सम्मानित किया है। जल्द ही संस्था द्वारा शीतकालीन राहत अभियान प्रारंभ किया जाएगा, जिसके तहत जरूरतमंद लोगों तक गर्म कपड़े और आवश्यक सामग्री पहुंचाई जाएगी। हमारा संकल्प है कि समाज के प्रत्येक वर्ग तक सहायता पहुंचे। कार्यक्रम में संस्था के सभी पदाधिकारी एवं सदस्य सक्रिय रूप से उपस्थित रहे और उन्होंने मिलकर सेवा व सहयोग का संदेश दिया। हजारीबाग यूथ विंग ने भविष्य में भी ऐसे सामाजिक कार्यों को निरंतर जारी रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। मौके पर संरक्षक चंद्र प्रकाश जैन, उपाध्यक्ष विकास तिवारी,सचिव रितेश खण्डेलवाल, सह सचिव अभिषेक पांडे, कोषाध्यक्ष गुंजन मद्धेशिया,संस्था के मार्गदर्शक जय प्रकाश खण्डेलवाल,संजय कुमार, कार्यकारिणी सदस्य मोहम्मद ताजुद्दीन, रोहित बजाज, प्रमोद खण्डेलवाल, सेजल सिंह,विवेक तिवारी,प्रज्ञा कुमारी,बजरंग अग्रवाल,उदित तिवारी,योगेंद्र मिश्रा सहित कई लोग मौजूद रहें।