भाकियू नेताओं ने प्रशासन को चेतावनी दी थी कि जब तक समाधान नहीं होता, आंदोलन जारी रहेगा।
ब्रह्म प्रकाश शर्मा
जानसठ /मुजफ्फरनगर । तहसील जानसठ में भारतीय किसान यूनियन (अराजनीतिक) तहसील अध्यक्ष के नेतृत्व में चल रहा जोरदार धरना-प्रदर्शन तब समाप्त हुआ जब उप-जिलाधिकारी राजकुमार भारती ने स्वयं हस्तक्षेप करते हुए किसानों की सभी लंबित और गंभीर समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल करने का आश्वासन दिया। भाकियू नेताओं ने प्रशासन को चेतावनी दी थी कि जब तक समाधान नहीं होता, आंदोलन जारी रहेगा।
बुधवार को जानसठ तहसील पर चल रहे धरना-प्रदर्शन में किसानों का मुख्य मुद्दा अथाई गाँव निवासी अनुसूचित जाति के किसान नीरज कुमार पुत्र सत्यपाल सिंह का था। नीरज कुमार ने अपनी शिकायत में बताया कि उनकी कृषि भूमि खसरा संख्या 440 और 442 पर स्थित है, जिसके लिए उन्होंने दो वर्ष पूर्व बिजली का ट्यूबवेल कनेक्शन लिया था। किसान नीरज कुमार का आरोप है कि गाँव के कुछ प्रभावशाली किसान उन्हें अपनी कृषि भूमि तक बिजली की लाइन बिछाने से रोक रहे हैं। यह विरोध इसलिए हो रहा है क्योंकि खसरा संख्या 432, 433 और 445 के बीच स्थित सरकारी चकरोड को इन दबंगों ने अवैध रूप से कब्जा कर दबा दिया है। इस अवरोध के कारण न केवल नीरज कुमार बल्कि अन्य किसानों को भी खेत तक पहुँचने में भीषण असुविधा हो रही है। धरना प्रदर्शन के दौरान भाकियू (अराजनीतिक) के तहसील अध्यक्ष अंकित जावला ने स्पष्ट किया कि यदि प्रशासन तुरंत सरकारी रास्ते को कब्जा मुक्त नहीं कराता और किसान नीरज कुमार की बिजली लाइन नहीं बनवाता, तो संगठन का अराजनीतिक प्रदर्शन जारी रहेगा। यूनियन ने इस मामले को दलित किसान के उत्पीड़न और सरकारी संपत्ति पर कब्जे से जोड़ा। वहीं दूसरी ओर तहसील अध्यक्ष अंकित जावला और वरिष्ठ नेता मुकेश कुमार ने एसडीएम के समक्ष दो अन्य ज्वलंत मुद्दों को मजबूती से रखते हुए बताया कि गंग नहर ग्राम निरगाजनी में पनचक्की का पुल क्षतिग्रस्त हो जाने से शुकताल-भोकरहेड़ी मार्ग और बरला हाईवे तक का आवागमन पूरी तरह से बंद हो गया है। जिला प्रशासन ने पुल पर दीवार खड़ी कर रास्ता बंद कर दिया है, जिससे जनता को भारी परेशानी हो रही है। यूनियन ने मांग की कि स्थाई या अस्थाई पुल का निर्माण युद्धस्तर पर कराया जाए। किसानों ने बताया कि हाजीपुर जहांगीरपुर में चकबंदी के दौरान बनाए गए सरकारी नाले पर भू-माफियाओं ने अवैध कब्जा कर लिया है। जल निकासी न होने के कारण मानसून के समय खेतों में पानी भर जाता है, जिससे करोड़ों रुपयों की फसलें हर साल नष्ट हो जाती हैं, जो सीधा राष्ट्र का नुकसान है। यूनियन ने मांग की कि नालों को तत्काल कब्जा मुक्त कराकर किसानों को राहत दी जाए। सभी बिंदुओं पर किसानों के गुस्से को देखते हुए, एसडीएम जानसठ राजकुमार भारती ने मौके पर ही हस्तक्षेप किया और सभी समस्याओं का एक निश्चित समय सीमा के भीतर समाधान करने का आश्वासन दिया। एसडीएम के आश्वासन के बाद भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने चल रहे धरने को समाप्त करने की घोषणा की। इस अवसर पर यूनियन के अन्य नेता सुलेमान, मो. बाबू ,मुकेश कुमार, प्रवीण कुमार नीरज, ऋषिपाल इरशाद आदि बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। हालांकि किसानों ने फिलहाल प्रशासन के आश्वासन पर संतोष व्यक्त किया है, लेकिन चेतावनी दी है कि यदि समाधान में विलंब होता है, तो वे एक बार फिर उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे।








7 hours ago
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