30 गांवों में गंगा का पानी घुसा,स्थिति बदहाल,एक महीने से खतरे के निशान से ऊपर जलस्तर, नावों की कमी से लोग पानी में चलने को मजबूर
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फर्रुखाबाद l गंगा की बाढ़ ने तहसील क्षेत्र अमृतपुर के गांवों में जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। लगातार बढ़ते जलस्तर के कारण 30 से अधिक गांव जलमग्न हैं। पिछले एक माह से हालात में कोई सुधार नहीं हुआ, जिससे ग्रामीणों की रोजी-रोटी और जीवन-यापन दोनों प्रभावित हो रहे हैं।अंबरपुर गांव गंगा की बाढ़ से चारों ओर से घिर गया है।
गांव के 100 से अधिक परिवार प्रभावित हैं।आवागमन के लिए केवल एक नाव उपलब्ध है, जिससे ग्रामीणों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है।कई लोग ट्रैक्टर और बैलगाड़ियों का सहारा लेकर सुरक्षित जगह तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।दारापुर निवासी रुद्र प्रताप रोजाना घुटनों तक पानी में चलकर जरूरी सामान लाते हैं। पानी में लगातार रहने से उनके पैरों में खुजली और फोड़े-फुंसी की समस्या हो गई है।प्रभावित गांवों में तीसराम की मड़ैया, आशा की मड़ैया, पट्टी बदनपुर, डांडीपुर, अहिलामई, चाचूपुर, चित्रकूट और करनपुर घाट शामिल हैं।कई परिवारों ने छतों पर अस्थायी झोपड़ी बनाकर आशियाना तैयार कर लिया है।खाद्य सामग्री और सब्जियों की भारी किल्लत हो गई है।पीने का पानी दूषित हो चुका है, लोग नहर या हैंडपंप का पानी पीने को मजबूर हैं।दवाइयों की कमी से बीमार लोग परेशान हैं, खासकर बच्चे और बुजुर्ग अधिक प्रभावित हैं।स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र बंद हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।रविवार सुबह नरौरा बांध से गंगा नदी में 1,91,442 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। शाम क़ो 1,69,626 म्यूसेक पानी छोड़ा गया।जिले में गंगा का जलस्तर 137.25 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान से 15 सेंटीमीटर ऊपर है।बीते एक माह से गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बना हुआ है।रामगंगा का स्तर भी लगातार बढ़ रहा है, जिससे खतरा और बढ़ सकता है।वहीं रामगंगा में 30739 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इससे रामगंगा का जलस्तर 137.05 सेंटीमीटर पर पहुंच गया है।
प्रशासन की ओर से कुछ गांवों में 8 नाव और एक स्टीमर लगाई गई हैं, लेकिन जरूरत के मुकाबले संख्या बेहद कम है।राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग की टीमें गांव-गांव जाकर हालात का जायजा ले रही हैं।प्रभावित परिवारों को सूखा राशन और राहत सामग्री बांटने की प्रक्रिया शुरू की गई है।बीमार और गर्भवती महिलाओं को नाव से बाहर निकालकर एंबुलेंस के जरिए अस्पताल पहुंचाया जा रहा है।ग्रामीणों ने कहा कि प्रशासन की कोशिशें पर्याप्त नहीं हैं। उनका कहना है नावों की संख्या बढ़ाई जाए।हर गांव में चिकित्सा टीम और मोबाइल एंबुलेंस भेजी जाए।प्रभावित परिवारों को साफ पीने का पानी और पशुओं के लिए चारा उपलब्ध कराया जाए। फिलहाल गंगा और रामगंगा दोनों नदियों के जलस्तर पर नजर बनाए रखी जा रही है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यदि अगले कुछ दिनों में पानी कम नहीं हुआ तो स्थिति और भयावह हो सकती है।
Sep 07 2025, 19:12