विकसित राष्ट्र के लिए नवीनतम शोध तकनीकों का उपयोग जरूरी - प्रोफेसर सत्यकाम
प्रयागराज । उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज के विज्ञान विद्याशाखा, नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय एवं शुआट्स के संयुक्त तत्वावधान में रिसेंट एडवांसेज इन रिसर्च टेक्निक: विकसित भारत 2047 विषय पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन मंगलवार को तिलक सभागार में किया गया।कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज के कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने कहा कि शोध किसी भी राष्ट्र की प्रगति का आधार है और भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए नवीनतम शोध तकनीकों का समुचित उपयोग अनिवार्य है।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह, पूर्व निदेशक, डी एस टी, नई दिल्ली ने कहा कि अनुसंधान तभी सार्थक है जब उसके परिणाम समाज और राष्ट्र की प्रगति में योगदान दें। भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए शोध एवं नवाचार को सामाजिक सरोकारों से जोड़ना आवश्यक है। प्रोफेसर सिंह ने डिजिटल इनोवेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सतत विकास विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए।
विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर बृजेश प्रताप सिंह, सांख्यिकी विभाग, बी एच यू, वाराणसी ने कहा कि नई शोध तकनीकें केवल शिक्षा या विज्ञान तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनका प्रयोग स्वास्थ्य, पर्यावरण, कृषि और सामाजिक विकास के लिए भी होना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों और शोधार्थियों को वैश्विक शोध प्रवृत्तियों के साथ कदम मिलाने का आह्वान किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ ज्ञान प्रकाश यादव एवं अतिथियों का स्वागत विज्ञान विद्या शाखा के निदेशक प्रोफेसर आशुतोष गुप्ता ने किया। कार्यशाला के बारे में विस्तृत जानकारी प्रोफेसर ए के मलिक तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ जी पी यादव ने किया।
कार्यशाला में देश-विदेश के विशेषज्ञ और प्रतिभागीगण आॅनलाइन और आॅफलाइन माध्यम से जुड़े रहे। उन्होंने डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग, पर्यावरणीय अध्ययन, स्वास्थ्य विज्ञान, समाजशास्त्रीय शोध तथा अन्य आधुनिक शोध तकनीकों पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। शोधार्थियों एवं प्रतिभागियों के लिए विशेष व्यावहारिक सत्र आयोजित किए गए, जिनमें उन्हें नवीनतम सॉफ़्टवेयर और शोध उपकरणों का प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
कार्यशाला के प्रथम तकनीकी सत्र के वक्ता प्रोफेसर बृजेश प्रताप सिंह, सांख्यिकी विभाग, बी एच यू, वाराणसी ने शोध योजना के विभिन्न चरणों, शोध समस्या की पहचान, उद्देश्यों के निर्धारण तथा उपयुक्त सांख्यिकीय विधियों के चयन पर विस्तार से प्रकाश डाला। श्री सिंह ने बताया कि सही सांख्यिकीय तकनीक अपनाने से शोध निष्कर्ष अधिक विश्वसनीय और उपयोगी बनते हैं। प्रतिभागियों ने उनसे प्रश्न पूछे और शोध कार्य से जुड़े व्यावहारिक पहलुओं पर चर्चा की। कार्यशाला के द्वितीय सत्र के मुख्य वक्ता प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह पूर्व निदेशक, डी एस टी, नई दिल्ली ने शोध विधियों की विभिन्न शैलियों, गुणात्मक एवं मात्रात्मक दृष्टिकोणों, तथा शोध परियोजना लेखन की संरचना पर विस्तार से जानकारी दी। प्रो सिंह ने शोध रिपोर्ट तैयार करने के चरणों, संदर्भ लेखन और निष्कर्ष प्रस्तुत करने की प्रक्रिया पर विशेष बल दिया। कार्यशाला के तीसरे सत्र के मुख्य वक्ता प्रोफेसर माधवेंद्र मिश्रा, प्रबंधन अध्ययन विभाग, आई आई आई टी, प्रयागराज ने शोध समस्या की पहचान, उसके विश्लेषण और समाधान की दिशा में व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाने पर बल दिया। उक्त जानकारी जनसंपर्क अधिकारी डा. प्रभात चन्द्र मिश्र ने दी।



Aug 19 2025, 19:38