झारखंड के 10 जिलों में आज भारी बारिश का 'येलो' अलर्ट: जनजीवन पर पड़ सकता है असर
रांची, झारखंड: झारखंड में अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश का दौर जारी रहने वाला है, जिससे राज्य के कई हिस्सों में जनजीवन प्रभावित हो सकता है। रांची मौसम विज्ञान केंद्र ने 10 जिलों के लिए 'येलो' अलर्ट जारी किया है, जिसमें व्यापक वर्षा की संभावना जताई गई है। मौसम विभाग के उप निदेशक अभिषेक आनंद ने पुष्टि की है कि 17 जुलाई तक एक अवदाब (depression) और मानसूनी गर्त (monsoon trough) के प्रभाव से राज्य भर में अच्छी बारिश देखने को मिलेगी।
किन जिलों पर है अलर्ट?
मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, जिन 10 जिलों में भारी बारिश का 'येलो' अलर्ट जारी किया गया है, उनमें मुख्य रूप से दक्षिणी और मध्य झारखंड के जिले शामिल हैं। इन जिलों में रहने वाले लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। हालांकि, सटीक जिलों के नाम का उल्लेख विज्ञप्ति में नहीं किया गया है, आमतौर पर ऐसे अलर्ट में रांची, खूंटी, गुमला, सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, लोहरदगा, लातेहार और रामगढ़ जैसे जिले शामिल होते हैं, जहां मॉनसून के दौरान भारी बारिश की संभावना अधिक होती है।
क्या है 'येलो' अलर्ट का मतलब?
'येलो' अलर्ट मौसम विभाग द्वारा जारी की जाने वाली चेतावनियों में से एक है। इसका मतलब है कि मौसम में कुछ अप्रत्याशित बदलाव हो सकते हैं, जिससे स्थितियां सामान्य से थोड़ी खराब हो सकती हैं, लेकिन तुरंत कोई बड़ा खतरा नहीं है। यह लोगों को सतर्क रहने और संभावित जोखिमों के लिए तैयार रहने की सलाह देता है। 'येलो' अलर्ट के दौरान, स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमों को भी तैयार रहने को कहा जाता है ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।
क्यों हो रही है इतनी बारिश?
अभिषेक आनंद ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में बने एक अवदाब और सामान्य मॉनसूनी गर्त के कारण झारखंड में नमी वाली हवाएं तेजी से आ रही हैं। यह अवदाब निम्न दबाव का एक क्षेत्र होता है जो नमी को अपनी ओर खींचता है और व्यापक वर्षा का कारण बनता है। इसके साथ ही, मॉनसूनी गर्त की सक्रियता भी बारिश को बढ़ावा दे रही है। इन दोनों मौसमी प्रणालियों के संयुक्त प्रभाव से ही राज्य में लगातार और तेज बारिश हो रही है, और यह स्थिति 17 जुलाई तक बनी रहेगी।
संभावित प्रभाव और सावधानियां
भारी बारिश के कारण कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। शहरी इलाकों में जलजमाव की स्थिति बन सकती है, जिससे यातायात बाधित हो सकता है। निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को बाढ़ का सामना करना पड़ सकता है। नदियों और नालों का जलस्तर बढ़ने की संभावना है, जिससे आसपास के क्षेत्रों में कटाव और भूस्खलन का खतरा बढ़ सकता है, खासकर पहाड़ी और संवेदनशील इलाकों में।
लोगों को सलाह दी जाती है कि वे:
घरों से तभी निकलें जब बहुत जरूरी हो।
जलभराव वाले इलाकों से दूर रहें।
बिजली के खंभों और तारों से दूरी बनाए रखें।
नदियों और नालों के पास जाने से बचें।
मकानों या पेड़ों के नीचे आश्रय लेने से बचें, जहां भूस्खलन या पेड़ गिरने का खतरा हो।
अपने मोबाइल फोन और आवश्यक सामान को सूखा रखें।
आपातकालीन सेवाओं के संपर्क में रहें।
स्थानीय प्रशासन भी स्थिति पर लगातार नजर रख रहा है और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। आपदा प्रबंधन टीमें अलर्ट पर हैं और जरूरतमंदों को सहायता प्रदान करने के लिए तैयार हैं।
आगे क्या?
मौसम विभाग ने 17 जुलाई के बाद बारिश की तीव्रता में कुछ कमी आने की उम्मीद जताई है, लेकिन मॉनसून के सक्रिय रहने से रुक-रुक कर बारिश जारी रह सकती है। लोगों को सलाह दी जाती है कि वे मौसम विभाग की आधिकारिक वेबसाइट और स्थानीय समाचार चैनलों से अपडेटेड जानकारी लेते रहें। यह महत्वपूर्ण है कि सभी लोग सतर्क रहें और सुरक्षित रहें।
Jul 16 2025, 11:04