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देश के 80 सांसदों ने की दलाई लामा को भारत रत्न देने की मांग, केंद्र को पत्र, चिढ़ जाएगा चीन

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तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को भारत रत्न देने की मांग उठ रही है। देश के सभी राजनीतिक पार्टियों के सांसदों ने केन्द्र सरकार को पत्र लिखा है और दलाई लामा को भारत रत्न देने की मांग की है। सांसदों ने तिब्बती बौद्ध आध्यात्मिक प्रमुख और 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो को संसद में संयुक्त सत्र को संबोधित करने के लिए भी अनुमति देने का आग्रह किया है। यह पत्र ऑल पार्टी इंडियन पार्लियामेंट्री फोरम ऑन तिब्बत ने लिखा है।

सांसदों का ऑल पार्टी इंडियन पार्लियामेंट्री फोरम ऑन तिब्बत दलाई लामा को भारत रत्न दिलाने की मांग कर रहा है। बीजेपी सांसद भर्तृहरि महताब इस फोरम के संयोजक हैं। सांसदों के ऑल पार्टी इंडियन पार्लियामेंट्री फोरम ऑन तिब्बत ने इस संबंध में तिब्बती सरकार के प्रतिनिधियों से भी कई बार मुलाकात की है।

ज्ञापन पर विपक्षी दलों के सांसदों ने भी हस्ताक्षर किए

राज्यसभा सांसद सुजीत कुमार पहले बीजेडी में थे, लेकिन अब बीजेपी में शामिल हो गए हैं। वे इस फोरम के पहले संयोजक थे। दिसंबर 2021 में जब ये फोरम फिर से सक्रिय हुआ, तो सुजीत कुमार ने इसमें अहम भूमिका निभाई। उन्होंने बताया कि उनका ग्रुप दलाई लामा को भारत रत्न देने की मांग कर रहा है। राज्यसभा सांसद सुजीत कुमार ने कहा कि हमने 80 से ज्यादा सांसदों के हस्ताक्षर वाला एक ज्ञापन तैयार किया है। जैसे ही 100 सांसदों के हस्ताक्षर हो जाएंगे, हम इसे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को सौंप देंगे। इस ज्ञापन पर विपक्षी दलों के सांसदों ने भी हस्ताक्षर किए हैं।

बढ़ा सकता है भारत का सॉफ्ट पावर

दलाई लामा 1959 में तिब्बत पर चीनी कब्जे के बाद भारत में शरणार्थी बनकर आए। वह पूरे विश्व के लिए अहिंसा, करुणा और वैश्विक शांति के प्रतीक हैं। उनके योगदान को देखते हुए लोगों का मानना है कि वे भारत रत्न के हकदार हैं, जैसा कि पहले विदेशी हस्तियों- जैसे कि नेल्सन मंडेला (1990), खान अब्दुल गफ्फार खान (1987), और मदर टेरेसा (1980) को दिया गया था। दलाई लामा को यह सम्मान देना भी भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ा सकता है।

मैं पाकिस्तानी सेना का एजेंट था और 26/11 मुंबई अटैक के वक्त...” तहव्वुर राणा का बड़ा कबूलनामा

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26/11 मुंबई हमलों का मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा ने 2008 में हुए आतंकी हमले को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। राणा ने माना है कि हमले का पूरा प्लान पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की निगरानी में बना था। उसने बताया कि वह हमले के समय मुंबई में ही था। सूत्रों के अनुसार, उसने यह भी कहा कि वह पाकिस्तानी सेना का एक भरोसेमंद एजेंट था। तहव्वुर अभी एनआईए की कस्टडी में है और दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है।

हेडली के साथ लश्कर-ए-तैयबा के ट्रेनिंग सेशन में लिया हिस्सा

दिल्ली के तिहाड़ जेल में एनआईए की हिरासत में रहते हुए राणा ने मुंबई क्राइम ब्रांच को पूछताछ के दौरान कई बड़े खुलासे किए हैं। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक राणा ने बताया कि उसने और उसके दोस्त डेविड कोलमैन हेडली ने पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के साथ कई ट्रेनिंग सेशन में हिस्सा लिया था। राणा ने बताया कि उसने हमलों के मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली को छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस जैसे मेन टारगेट को पहचानने में मदद की थी।

खुद को बताया पाकिस्तानी सेना का सबसे भरोसेमंद एजेंट

तहव्वुर ने दावा करते हुए कहा कि वह पाकिस्तानी सेना का सबसे भरोसेमंद एजेंट था। राणा के अनुसार, लश्कर-ए-तैयबा मुख्य रूप से एक जासूसी नेटवर्क के रूप में काम करता था। राणा ने यह भी स्वीकार किया कि मुंबई में अपनी फर्म का इमिग्रेशन सेंटर खोलने का विचार उसी का था और इसके वित्तीय लेनदेन को व्यापार खर्चों के रूप में दर्शाया गया था।

पाकिस्तान ने सऊदी अरब भेजा था

तहव्वुर हुसैन राणा ने माना कि वह 26/11 के हमलों के दौरान मुंबई में था और यह आतंकवादियों की योजना का हिस्सा था। तहव्वुर हुसैन राणा ने छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस जैसे स्थानों पर रेकी की थी। उसका मानना है कि 26/11 के हमले पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के सहयोग से किए गए थे। 64 वर्षीय राणा ने यह भी बताया कि उसे खाड़ी युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा सऊदी अरब भेजा गया था।

ब्रिक्स देशों को ट्रंप की चेतावनी, 10% अतिरिक्‍त टैरिफलगाने की धमकी, क्या भारत की बढ़ने वाली है परेशानी?

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ब्रिक्स देशों को धमकाने की कोशिश की है। ब्राजील में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को बड़ी चेतावनी दे डाली। उन्होंने कहा कि अगर ब्रिक्स देश अमेरिका विरोधी नीति का समर्थन करते हैं तो उन पर 10 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। ब्रिक्स सम्मेलन में ईरान पर अमेरिका और इजराइल के हमलों की निंदा किए जाने के बाद ट्रंप ने नाराजगी जताते हुए ब्रिक्स देशों को चेताया।

यह बयान उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर साझा किया। डोनाल्ड ट्रंप ने लिखा, ‘ब्रिक्स की अमेरिका विरोधी नीतियों से जुड़ने वाले किसी भी देश पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। इस नीति में कोई अपवाद नहीं होगा। इस मामले पर आपका ध्यान देने के लिए धन्यवाद!’

अमेरिका का नाम लिए बिना ईरान पर हमले और टैरिफ की निंदा की

दरअसल, ब्राजील में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल देशों ने अमेरिका का नाम लिए बिना ईरान पर हुए हालिया हमले और व्यापार शुल्क (टैरिफ) की निंदा की। इजराइल की मध्य पूर्व में की जा रही सैन्य कार्रवाई की आलोचना की गई। सम्मेलन के पहले ब्रिक्स देशों ने अमेरिका पर सीधा हमला नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि बढ़ते टैरिफ (शुल्क) से वैश्विक व्यापार पर बुरा असर पड़ रहा है और यह डब्ल्यूटीओ के नियमों के खिलाफ है।

क्या भारत के लिए है बड़ा संदेश

हालांकि, ट्रंप ने इस बयान में यह स्पष्ट नहीं किया कि वह ‘अमेरिका विरोधी नीतियां’ किसे मानते हैं। यही कारण है कि इसके व्याख्या को लेकर भ्रम की स्थिति है। हालांकि उन्होंने जिस अपवाद की बात की है वह सीधे तौर पर भारत है। खासकर भारत जैसे देशों के लिए जो ब्रिक्स का हिस्सा भी हैं और अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी भी निभा रहे हैं।

भारत के लिए बड़ी चुनौती

डोनाल्ड ट्रंप ब्रिक्स को 'एंटी अमेरिका' मानते हैं और उन्हें डर है कि ब्रिक्स देश डॉलर के खिलाफ नई करेंसी जारी कर सकते हैं, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा। ऐसे में भारत के लिए यह स्थिति काफी ज्यादा संवेदनशील और मुश्किल हो जाती है, क्योंकि वह अमेरिका का करीबी सहयोगी भी है और ब्रिक्स का संस्थापक सदस्य भी। ऐसे में ट्रंप की धमकी भारत के लिए थोड़ी मुश्किल हो जाती है। इसका असर भारत-अमेरिका कारोबार पर भी पड़ता है। अब जब वे खुलेआम अतिरिक्त टैरिफ की चेतावनी दे रहे हैं, तो यह सवाल उठता है कि भारत जैसे देश इस आर्थिक दबाव से कैसे निपटेंगे?

भारत ग्लोबल साउथ के नेतृत्व की भूमिका में

ब्रिक्स की शुरुआत 2009 में ब्राजील, रूस, भारत और चीन के साथ हुई थी, बाद में दक्षिण अफ्रीका और 2023 में ईरान, सऊदी अरब, यूएई, मिस्र, इंडोनेशिया और इथियोपिया जैसे देश भी इस समूह में शामिल हो गए। ब्रिक्स के भीतर भारत ग्लोबल साउथ के नेतृत्व की भूमिका भी निभा रहा है। भारत ने हमेशा इस मंच का उपयोग बहुपक्षीयता, वैश्विक दक्षिण की आवाज उठाने और विकासशील देशों के लिए समावेशी व्यवस्था की मांग करने के लिए किया है। हालांकि, चीन और रूस जैसे देशों के कारण ब्रिक्स पर "पश्चिम विरोधी" छवि भी चिपक गई है।

ग्लोबल साउथ के साथ दोहरा मापदंड अपनाया गया”, ब्रिक्स समिट से पीएम मोदी ने किसे दिया कड़ा संदेश?

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ब्राजील के रियो डी जनेरियो में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ब्रिक्स देशों को संबोधित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में वैश्विक आतंकवाद की कड़ी निंदा की और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से एकजुटता का आह्वान किया। ब्रिक्स के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'बहुपक्षवाद, आर्थिक-वित्तीय मामलों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को मजबूत करने' के विषय पर आयोजित सत्र के दौरान बड़ी ताकतों को नसीहत भी दी। उन्होंने कहा कि कहा कि ग्लोबल साउथ को जलवायु वित्त, सतत विकास और प्रौद्योगिकी पहुंच पर सिर्फ दिखावटी चीजें मिली हैं।

आतंकवाद के मुद्दे पर दोहरा मापदंड अपनाने वालों को संदेश

प्रधानमंत्री मोदी अपनी पांच देशों की यात्रा के चौथे चरण में ब्राजील पहुंचे हैं। इससे पहले वे घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो और अर्जेंटीना जा चुके हैं। रियो डी जनेरियो में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुट और स्पष्ट रुख अपनाने की अपील की। पीएम मोदी ने आतंकवाद को मानवता के खिलाफ अपराध करार देते हुए कहा कि आतंकवाद की निंदा हमारा सिद्धांत होनी चाहिए, न कि सुविधा। यह देखना कि हमला किस देश में हुआ और किसके खिलाफ, मानवता के साथ विश्वासघात है। पीएम का यह बयान सीधे तौर पर चीन को संदेश के रूप में देखा जा रहा है। पिछले दिनों चीन में आयोजित एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में उसने संयुक्त बयान के मसौदे में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का जिक्र नहीं किया।

ग्लोबल साउथ 'डबल स्टैंडर्ड' का शिकार-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने आगे कहा कि ग्लोबल साउथ को जो कुछ भी मिला है, वह सिर्फ "टोकन जेस्चर" है। मतलब है कि उन्हें सिर्फ दिखावे के लिए कुछ चीजें दी गई हैं, वास्तव में उनकी मदद नहीं की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि ग्लोबल साउथ 'डबल स्टैंडर्ड' का शिकार रहा है। मतलब, उनके साथ अलग-अलग नियमों के हिसाब से व्यवहार किया गया है।

वैश्विक संस्थाओं में सुधार की जरूरत-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 20वीं सदी में बने वैश्विक संगठन आज की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम नहीं हैं। दुनिया भर में चल रहे युद्ध हों, महामारी हो, आर्थिक संकट हो या साइबर दुनिया में नई चुनौतियां, इन संगठनों के पास कोई समाधान नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आज दुनिया को एक नई, बहुध्रुवीय और समावेशी विश्व व्यवस्था की जरूरत है। इसकी शुरुआत वैश्विक संस्थानों में व्यापक सुधारों से करनी होगी। सुधार केवल दिखावटी नहीं होने चाहिए, बल्कि उनका वास्तविक प्रभाव भी दिखना चाहिए। दुनिया को ऐसे नए सिस्टम की ज़रूरत है जिसमें कई देशों की बात सुनी जाए और सबको शामिल किया जाए। पुराने संगठनों में बदलाव ज़रूरी हैं, और ये बदलाव सिर्फ नाम के लिए नहीं होने चाहिए, बल्कि उनका असर भी दिखना चाहिए।

पीएनबी घोटाले में बड़ी सफलता, भगोड़े नीरव मोदी का भाई नेहल मोदी अमेरिका में गिरफ्तार

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पंजाब नेशनल बैंक के घोटाले में भगोड़ा घोषित नीरव मोदी के भाई नेहाल मोदी को अमेरिका में गिरफ्तार कर लिया गया है। सीबीआई और ईडी के प्रत्यर्पण के अनुरोध के बाद उन पर शिकंजा कसा गया है। अमेरिका के अधिकारियों ने भारत सरकार को इसकी जानकारी दी है। यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, भगोड़े आर्थिक अपराधी नीरव मोदी के भाई को 4 जुलाई को अमेरिकी अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था।

नेहल मोदी भारत के सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक, पीएनबी घोटाले में वांछित हैं। जांच एजेंसियों का आरोप है कि उन्होंने अपने भाई नीरव मोदी की मदद करते हुए करोड़ों रुपये की अवैध कमाई को छिपाया और शेल कंपनियों व विदेशी लेनदेन के जरिए उसे इधर-उधर किया।

2019 में जारी किया गया था रेड नोटिस

साल 2019 में प्रवर्तन निदेशालय ने इंटरपोल से नीरव मोदी को बैंक फंड्स को लूटने में मदद करने के आरोप में नेहल मोदी की भूमिका के लिए उसके खिलाफ रेड नोटिस जारी करने का अनुरोध किया गया था।

कौन है नेहल मोदी?

नेहल मोदी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी मामले में वांछित है। नेहल मोदी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में कथित 13,600 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी वाले बैंक लेनदेन के मामले के आरोपी और भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी का भाई है। 46 वर्ष का नेहल मोदी बेल्जियम का नागरिक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से की गई जांच में नेहल मोदी को नीरव मोदी की आपराधिक आय को वैध बनाने के लिए काम करने वाले अहम शख्स पाया गया था। नीरव मोदी ब्रिटेन से प्रत्यर्पण की कार्रवाई का सामना कर रहा है।

काले धन को सफेद करने और छुपाने अहम भूमिका

जांच में सामने आया है कि उसने अपने भाई नीरव मोदी के लिए काले धन को सफेद करने और छुपाने में अहम भूमिका निभाई थी। ईडी और सीबीआई की जांच में ये भी पाया गया है कि नेहाल मोदी ने कई शेल कंपनियों के जरिए बड़ी रकम को विदेशों में इधर-उधर किया। उसका मकसद था धोखाधड़ी से कमाई गई रकम को ट्रैक से बाहर रखना।

नेहल की गिरफ्तारी भारतीय एजेंसियों के लिए अहम

बता दें कि नीरव मोदी खुद इस समय ब्रिटेन में प्रत्यर्पण प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं। नेहल मोदी के प्रत्यर्पण मामले की अगली सुनवाई 17 जुलाई 2025 को तय की गई है। जिसमें स्थिति की समीक्षा (स्टेटस कॉन्फ्रेंस) होगी। इस सुनवाई के दौरान नेहल मोदी जमानत की अर्जी भी दे सकते हैं, जिसे अमेरिकी अभियोजन पक्ष विरोध करेगा। यह गिरफ्तारी भारत की जांच एजेंसियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

20 साल बाद एक मंच पर ठाकरे ब्रदर्स, राज और उद्धव ने एक दूसरे को लगाया गले

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महाराष्ट्र की राजनीति ने एक बड़ा मोड़ लिया है।महाराष्ट्र में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक बार फिर एक साथ आ गए हैं। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे आज 20 सालों के बाद एक स्टेज पर एक साथ नजर आ रहे हैं।उद्धव और राज ठाकरे आज मुंबई में 'मराठी विजय सभा' में मंच साझा किया। मराठी भाषा के लिए दोनों भाई सारे गिले-शिकवे भुलाकर एक मंच पर साथ आए और एक दूसरे को गले लगाया।

महाराष्ट्र सरकार द्वारा हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने के लिए दो सरकारी प्रस्तावों को रद्द करने के बाद, उद्धव ठाकरे गुट (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) मुंबई के वर्ली डोम में एक संयुक्त रैली की। 'विजय रैली' मुंबई के वर्ली इलाके में एनएससीआई डोम में आयोजित की गई। जहां इन दोनों नेताओं ने महाराष्ट्र सरकार की तीन-भाषा नीति को वापस लेने की खुशी में लोगों को संबोधित किया।

जो काम बालासाहेब नहीं कर पाए, वो फडणवीस ने किया-राज ठाकरे

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा, मैंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरा महाराष्ट्र किसी भी राजनीति और लड़ाई से बड़ा है। आज 20 साल बाद मैं और उद्धव एक साथ आए हैं। जो काम बालासाहेब नहीं कर पाए, वो देवेंद्र फडणवीस ने किया... हम दोनों को साथ लाने का काम।

राज ठाकरे ने हिंदी भाषा को अनिवार्य बनाने पर उठाया सवाल

राज ठाकरे ने अपने भाषण में महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को अनिवार्य बनाने पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को ऐसा नहीं करना चाहिए। कई राज्यों में हिंदी भाषा बोली जाती है लेकिन उन राज्यों का कोई विकास नहीं हुआ।150 साल मराठाओं ने भारत पर राज किया। राज ठाकरे ने कहा, नीति लागू करने से भाषा लागू नहीं होती। राज ठाकरे ने कहा, महाराष्ट्र को कोई तिरछी आंख से नहीं देख सकता।

अब हम एक हुए हैं, एक साथ रहने के लिए-उद्धव

विजय रैली को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, बहुत सालों के बाद मैं और राज ठाकरे एक मंच पर मिले। राज ठाकरे ने बहुत बेहतरीन भाषण दिया। उन्होंने आगे बड़ा सियासी संदेश दे दिया है। उन्होंने कहा, अब हम एक हुए हैं, एक साथ रहने के लिए। उद्धव ठाकरे ने आगे कहा, अभी तो चुनाव नहीं है, हमको बाल ठाकरे ने बताया था कि सत्ता आती है, जाती है, लेकिन अपनी ताकत एक साथ होने में होनी चाहिए। हमारी ताकत एकता में है। संकट आने पर हम सब एक हो जाते हैं। हम सबको एक रहना चाहिए।

उद्धव का बीजेपी पर निशाना

मंच से बीजेपी पर निशाना साधते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, बीजेपी अफवाहों की फैक्टी है, बीजेपी की पॉलिसी यूज एंड थ्रो की है। बीजेपी पर अटैक करते हुए उन्होंने कहा, बीजेपी हमें क्या हिंदूत्व सिखाएगी। उन्होंने आगे कहा, न्याय के लिए हम बाहुबली बनने को तैयार है।

चीन जाने वाले हैं एस जयशंकर, जानें गलवान झड़प के बाद क्यों खास है विदेश मंत्री का ये पहला दौरा

#sjaishankarsfirstvisittochinaaftergalwanclash

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बाद अब विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर भी अगले सप्ताह चीन की यात्रा पर जा रहे हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भाग लेने के लिए 13 जुलाई के आसपास चीन का दौरा करेंगे। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 2020 के सैन्य गतिरोध के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव आने के बाद विदेश मंत्री जयशंकर की यह पहली चीन यात्रा होगी।

इस साल एससीओ की अध्यक्षता चीन कर रहा है। चीन एससीओ का वर्तमान अध्यक्ष है और वह समूह की बैठकों की मेजबानी कर रहा है। विदेश मंत्री जयशंकर की यह यात्रा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए चीनी शहर चिंगदाओ की यात्रा के कुछ ही हफ्तों बाद हो रही है। इस समिट में शामिल होने के लिए विदेश मंत्री एस जशंकर चीन की यात्रा करेंगे।

चीनी विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक की भी संभावना

विदेश मंत्री एस जयशंकर की 14 और 15 जुलाई को तिआनजिन में आयोजित एससीओ के विदेश मंत्रियों की काउंसिल बैठक में शामिल होने से पहले बीजिंग में अपने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक करने की संभावना है। दोनों देश के विदेश मंत्रियों के बीच होने वाली यह बैठक भारत और चीन के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच चल रही उन सीरिज बैठकों का हिस्सा होगी, जिसका मकसद दोनों देश के द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करना और लंबे समय से जारी सीमा विवाद का समाधान ढूंढना है।

गलवान घाटी की हिंसा के बाद जयशंकर का पहला दौरा

यह दौरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह गलवान घाटी की हिंसक झड़प (जून 2020) के बाद जयशंकर की पहली चीन यात्रा होगी। इससे पहले वे अपने चीनी समकक्ष से विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर मिलते रहे हैं, लेकिन यह दौरा द्विपक्षीय संबंधों की बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

पांच साल में पहली बार प्रतिनिधिमंडल स्तर पर बैठक

विदेश मंत्री का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत-चीन संबंधों को सामान्य करने की दिशा में कई उच्चस्तरीय मुलाकातें हो चुकी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अक्टूबर 2023 में रूस के कजान में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान हुई द्विपक्षीय बैठक ने इस प्रक्रिया को गति दी। यह बैठक पांच वर्षों में पहली बार प्रतिनिधिमंडल स्तर पर हुई थी। इसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बीजिंग का दौरा किया और विभिन्न जटिल मुद्दों पर गहन चर्चा की।

शाही ईदगाह मामले में हिंदू पक्ष को झटका, हाईकोर्ट ने खारिज विवादित ढांचा घोषित करने की मांग वाली याचिका

#allahabad_high_court_order_on_declaring_shahi_idgah_as_a_disputed_structure

मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट से हिंदू पक्ष को बड़ा झटका दिया है। मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मामले में शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह से जुड़ी संपत्ति को विवादित घोषित करने से इनकार कर दिया।

पिछली सुनवाई पर बहस पूरी होने पर हाईकोर्ट ने फैसला रिजर्व कर लिया था। साथ ही निर्णय के लिए चार जुलाई की तारीख नियत की थी। जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र की सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की अदालत ने वादी महेंद्र प्रताप सिंह की ओर से दाखिल अर्जी खारिज कर दी।

हिंदू पक्ष के सूट नंबर 13 में वादी अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने यह अर्जी दाखिल की थी। उन्होंने मासरे आलम गिरी से लेकर मथुरा के कलेक्टर रहे एफ एस ग्राउस तक के समय की लिखी पुस्तकों का अदालत में हवाला दिया था। सूट नंबर 13 के वादी द्वारा आवेदन A-44 प्रस्तुत किया गया था, जिसमें संबंधित स्टेनोग्राफर को इस मूल मुकदमे की संपूर्ण आगे की कार्रवाई में शाही ईदगाह मस्जिद के स्थान पर “विवादित ढांचा” शब्द का उपयोग करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। हालांकि मुस्लिम पक्ष द्वारा इस आवेदन पर लिखित आपत्ति दायर की गई थी।

साथ ही दावा किया था कि मथुरा की शाही मस्जिद भी श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मूल गर्भगृह को तोड़कर ही बनाई गई है। हालांकि हिंदू पक्ष की इस मांग पर मुस्लिम पक्ष ने विरोध जताया था। साथ ही कोर्ट में लिखित आपत्ति भी दाखिल की थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की कोर्ट ने शाही ईदगाह को विवादित ढांचा घोषित करने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

झारखंड में ईडी की बड़ी कार्रवाई, पूर्व विधायक अंबा प्रसाद के करीबियों के ठिकानों पर रेड

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प्रवर्तन निदेशालय ने झारखंड की पूर्व विधायक अंबा प्रसाद से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक बार फिर बड़ी कार्रवाई की है। शुक्रवार को ईडी ने रांची और हजारीबाग सहित कुल 8 ठिकानों पर छापामारी की। यह छापेमारी अंबा प्रसाद के रिश्तेदारों और करीबियों के ठिकानों पर की गई है। ईडी की एक टीम रांची के हरमू रोड स्थित किशोरगंज में और दूसरी टीम हजारीबाग के बड़कागांव में छापेमारी कर रही है।

बताया जा रहा है कि यह छापेमारी आरकेटीसी ट्रांसपोर्टिंग कंपनी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के तहत हो रही है। ईडी की टीमों ने रांची, हजारीबाग और बड़कागांव समेत कुल आठ लोकेशनों पर एक साथ सर्च ऑपरेशन शुरू किया है। विशेष रूप से यह कार्रवाई अंबा प्रसाद के करीबी संजीत के रांची के किशनगंज इलाके में स्थित आवास, उनके निजी सहायक संजीव साव, मनोज दांगी और पंचम कुमार के बड़कागांव स्थित ठिकानों पर चल रही है।

ईडी की टीम ने इससे पहले 18 मार्च 2024 को भी अंबा प्रसाद के हजारीबाग स्थित ठिकानों पर छापेमारी की थी। ईडी ने उनके पिता योगेंद्र साव और उनके सगे संबंधियों के कुल 17 ठिकानों पर छापा मारा था। अवैध खनन, लेवी वसूली समेत कई मामलों को लेकर ईडी ने दबिश दी थी। उस कार्रवाई में भी कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ जब्त किए गए थे, जिनके आधार पर जांच को आगे बढ़ाया गया था।

पूर्व मंत्री योगेंद्र प्रसाद और अंबा प्रसाद को प्रवर्तन निदेशालय ने जमीन से जुड़े मामलों में समन भी भेजा था। फिलहाल सभी जगहों पर जांच और दस्तावेजों की जब्ती की कार्रवाई जारी है।

पुतिन ने तालिबान को दी मान्यता, ऐसा करने वाला पहला देश बना, क्या भारत ले सकेगा ये फैसला?

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रूस ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता दे दी है। ऐसा करने वाला वह पहला देश है।वर्ष 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में उसकी सरकार को औपचारिक रूप से अभी तक अन्य किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है। मगर अब रूस ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। इसके साथ ही मॉस्को ने तालिबान को अपने प्रतिबंधित संगठनों की सूची से भी हटा दिया।

रूसी विदेश मंत्रालय ने बताया कि उसने अफगानिस्तान के नए राजदूत गुल हसन हसन से प्रमाण पत्र प्राप्त किया है। मंत्रालय ने कहा कि अफगान सरकार की आधिकारिक मान्यता द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देगी। रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा हमारा मानना है कि अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात की सरकार को आधिकारिक मान्यता देने से हमारे देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादक द्विपक्षीय सहयोग के विकास को बढ़ावा मिलेगा।

“साहसी निर्णय दूसरों के लिए उदाहरण होगा”

वहीं, अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया और तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे “अन्य देशों के लिए एक अच्छा उदाहरण” कहा। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने अफगानिस्तान में रूस के राजदूत दिमित्री झिरनोव के साथ काबुल में बैठक की। एक्स पर बैठक का वीडियो पोस्ट करते हुए मुत्ताकी ने कहा, यह साहसी निर्णय दूसरों के लिए उदाहरण होगा। अब जब मान्यता की प्रक्रिया शुरू हो गई है तो रूस सभी से आगे है। मुत्ताकी ने कहा, 'यह हमारे संबंधों के इतिहास में एक बड़ा मील का पत्थर है।

2021 में लागू हुआ था तालिबानी शासन

तालिबान का शासन 2021 में अफगानिस्तान में लागू हुआ था। तालिबान ने अगस्त 2021 में अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी के बाद अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। जिसके बाद से वह देश पर शासन कर रहा है। हालांकि, उसे अभी तक किसी देश ने उसकी सरकार को मान्यता नहीं दी थी।

क्या भारत भी तालिबान को मान्यता देगा?

पुतिन के इस फैसले के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत भी तालिबान को मान्यता देगा? दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के समय पाकिस्तान के दावों पर तालिबान ने भारत का साथ दिया। बिक्रम मिस्री तालिबान विदेश मंत्री से मिल भी चुके हैं।