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रेत माफियाओं का आतंक : विरोध करने पर युवक पर चलाई गोली, कांग्रेस ने गठित की 6 सदस्यीय जांच कमेटी

रायपुर- हाल ही में राजनांदगांव जिले में रेत माफियाओं ने अवैध रेत खनन का विरोध करने पर ग्रामीणों से मारपीट की और एक युवक पर गोली चला दी। इस हमले के बाद प्रदेश में सियासत भी तेज हो गई है। अब इस घटना की जांच के लिए कांग्रेस ने 6 सदस्यीय कमेटी गठित की है, जो पूरे घटनाक्रम की विस्तृत जांच कर रिपोर्ट सौंपेगी।

जांच समिति का संयोजक डोंगरगांव विधायक दलेश्वर साहू को बनाया गया है। इसके अलावा विधायक भोलाराम साहू, इंद्रशाह मंडावी, हर्षिता बघेल, जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भागवत साहू और कुलबीर छाबड़ा भी कमेटी में शामिल हैं।

बता दें कि 11 जून की रात राजनांदगांव के मोहड़ गांव में उस समय हड़कंप मच गया, जब अवैध रेत उत्खनन का विरोध कर रहे ग्रामीणों पर माफियाओं ने जानलेवा हमला कर दिया। गोलीबारी में रोशन मंडावी नामक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया, जब गोली उसके गले को छूते हुए निकल गई। उसे तत्काल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहीं दो अन्य घायल ग्रामीणों को भी इलाज के लिए भर्ती कराया गया था।

उपजेल में बंद कैदी की इलाज के दौरान मौत, परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप

बलौदाबाजार- छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले स्थित उप जेल में बंद कैदी उमेंद्र बघेल की इलाज के दौरान शुक्रवार को मौत हो गई, जिससे न केवल जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया, बल्कि मृतक के परिजनों और ग्रामीणों में आक्रोश भी फूट पड़ा। परिजनों ने आरोप लगाया है कि बघेल को झूठे शराब मामले में फंसाया गया था और जेल में उसे प्रताड़ित किया गया, जिसकी वजह से उसकी जान गई। घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस व प्रशासन की ओर से न्यायिक प्रक्रिया के तहत पोस्टमार्टम किया गया और शव को परिजनों को सौंप दिया गया है। लेकिन पीड़ित परिवार ने सरकार से इस मामले में निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

मृतक की पत्नी ने पुलिस और जेल प्रशासन पर लगाए आरोप

मृतक उमेंद्र बघेल की पत्नी शकुंतला बघेल ने पलारी थाना पुलिस और उप जेल बलौदाबाजार के अधिकारियों पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि उनके पति को 8 जून को गांव खैरी से शराब बनाने के झूठे आरोप में गिरफ्तार किया गया। उनका दावा है कि उमेंद्र शराब पीने के आदी जरूर थे, लेकिन वह कभी शराब बनाते या बेचते नहीं थे। उन्होंने कहा, “मेरे पति घर में एकलौते कमाने वाले थे। अब हमारे परिवार के सामने रोटी की भी समस्या आ गई है। अगर जेल में उनकी तबीयत बिगड़ी थी, तो हमें सूचना क्यों नहीं दी गई? यह घोर लापरवाही है।” शकुंतला बघेल ने यह भी आरोप लगाया कि जेल में उनके पति के साथ मारपीट की गई, जिससे उनकी हालत बिगड़ी और बाद में इलाज के दौरान मौत हो गई। उन्होंने इस घटना की न्यायिक जांच कराने और अपने बच्चों के पालन-पोषण के लिए सरकारी सहायता की मांग की है।

पुलिस का पक्ष: न्यायिक प्रक्रिया का पालन किया गया

इस पूरे घटनाक्रम पर बलौदाबाजार के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने बताया कि मृतक उमेंद्र बघेल को 8 जून को ग्राम खैरी से पांच अन्य आरोपियों के साथ शराब बनाते हुए पकड़ा गया था। सभी को आबकारी अधिनियम के तहत गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। अधिकारी ने बताया कि 10 जून को जेल में उमेंद्र की तबीयत खराब होने पर उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान 14 जून की सुबह उसकी मौत हो गई। उन्होंने कहा कि मृतक का पंचनामा और पोस्टमार्टम कार्यवाही न्यायाधीश की मौजूदगी में कराई गई है, और रिपोर्ट आने के बाद ही मृत्यु के वास्तविक कारणों की पुष्टि हो सकेगी।


जेल प्रशासन से नहीं हो सका

संपर्क घटना के बाद जब उप जेल बलौदाबाजार के प्रभारी अभिषेक मिश्रा से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उनसे बात नहीं हो सकी। परिजनों का आरोप है कि जेल प्रशासन ने न तो उन्हें समय पर जानकारी दी और न ही मृत्यु से पूर्व परिजनों से कैदी को मिलने की अनुमति दी। उमेंद्र बघेल की मौत के बाद गांव में मातम पसरा हुआ है। ग्रामीणों और परिजनों ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। मृतक की पत्नी ने सरकार से अपील की है कि वह घटना की न्यायिक जांच कराए और उसके बच्चों के पालन-पोषण के लिए मुआवजा प्रदान करे।

तहसीलदार संजय राठौर ने महिला को मृत बताकर जमीन का किया नामांतरण, कमिश्नर ने किया निलंबित…

सूरजपुर- सूरजपुर जिले के भैयाथान तहसील में पदस्थ तहसीलदार संजय राठौर को एक गंभीर अनियमितता के चलते तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। राठौर पर आरोप है कि उन्होंने एक जीवित महिला को दस्तावेजों में मृत दर्शाकर उनकी निजी भूमि का नामांतरण उनके सौतेले पुत्र के नाम कर दिया। यह मामला न केवल प्रशासनिक स्तर पर संवेदनशील बना हुआ है, बल्कि आम जनता में भी इसे लेकर आक्रोश देखने को मिल रहा है।


महिला की शिकायत से हुआ खुलासा

26 मई 2025 को शैल कुमारी दुबे नामक महिला ने प्रशासन को एक लिखित शिकायत सौंपी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि तहसीलदार संजय राठौर ने कुछ लोगों से मिलीभगत कर उन्हें मृत घोषित कर दिया और उनकी निजी भूमि का अवैध रूप से नामांतरण कर सौतेले पुत्र वीरेंद्रनाथ दुबे के नाम कर दिया गया। उक्त भूमि खसरा नंबर 45/3, रकबा 0.405 हेक्टेयर (नवीन खसरा क्रमांक 344) महिला की व्यक्तिगत संपत्ति थी।

प्रशासन ने की त्वरित जांच

महिला की शिकायत के बाद जिला प्रशासन ने गंभीरता से मामले को लिया। अपर कलेक्टर सूरजपुर एवं तहसीलदार लटोरी की संयुक्त टीम द्वारा मामले की जांच की गई। जांच रिपोर्ट क्रमांक 99/अ.कले./2025 दिनांक 09.06.2025 में पुष्टि हुई कि तहसीलदार संजय राठौर ने जीवित महिला को मृत दर्शाकर अवैध तरीके से भूमि का नामांतरण कराया। यह कृत्य प्रथम दृष्टया न केवल अनैतिक पाया गया, बल्कि पद के दुरुपयोग की श्रेणी में भी आया।


नियमों का उल्लंघन और निलंबन

जांच के आधार पर यह निष्कर्ष निकला कि तहसीलदार राठौर ने अपने पदीय दायित्वों के निर्वहन में घोर लापरवाही बरती है। उनका यह आचरण छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम-3 का स्पष्ट उल्लंघन माना गया। इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए सरगुजा संभाग के आयुक्त नरेंद्र कुमार दुग्गा ने तहसीलदार संजय राठौर को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम 9(1)(क) के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। निलंबन आदेश में स्पष्ट किया गया है कि श्री राठौर को नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी।

श्रमिकों के मेधावी बच्चे होंगे CM साय के हाथों सम्मानित, 2-2 लाख की दी जाएगी प्रोत्साहन राशि

रायपुर-  मुख्यमंत्री नोनी बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना के तहत बोर्ड परीक्षा में कक्षा दसवीं और बारहवीं के टॉप 10 में आए पंजीकृत श्रमिकों के कुल 31 मेधावी छात्र छात्राओं को प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा 15 जून को न्यू सर्किट हाउस में आयोजित कार्यक्रम में दो-दो लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इस मौके पर श्रम मंत्री लखन लाल देवांगन और छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य संन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के अध्यक्ष डॉ. राम प्रताप सिंह भी उपस्थित रहेंगे।

श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन ने बताया कि मंडल के प्रस्तावित कार्यक्रम के तहत, मुख्यमंत्री नोनी बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना के अंतर्गत छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल में 10वीं कक्षा के 26 और 12वीं कक्षा के 5 बच्चों सहित कुल 31 श्रमिक बच्चों को 2 लाख रूपए प्रति छात्र दिए जाएंगे. इसमें 1 लाख रूपए दोपहिया वाहन के लिए और 1 लाख रूपए नकद प्रोत्साहन राशि के रूप में शामिल है। इसी तरह में छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल ने राज्य के 38200 निर्माण श्रमिकों के लिए 19.71 करोड़ रूपए से ज्यादा की सहायता राशि सीधे उनके बैंक खातों में डीबीटी की जायगी। यह राशि विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत प्रदान की जाएगी।

योजनाओं और उनके लाभार्थियों की संख्या और राशि का विवरण इस प्रकार है -मिनीमाता महतारी जतन योजना 1,915 श्रमिकों को 3.83 करोड़ रूपए, मुख्यमंत्री सायकल सहायता योजना 279 श्रमिकों को 10.33 लाख रूपए, मुख्यमंत्री श्रमिक औजार सहायता योजना 6,319 श्रमिकों को 2.19 करोड रूपए, मुख्यमंत्री सिलाई मशीन सहायता योजना 12 श्रमिकों को 94 हजार 800 रूपए, मुख्यमंत्री नौनिहाल छात्रवृत्ति योजना 4,825 श्रमिकों को 96.17 लाख रूपए, मुख्यमंत्री नोनी बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना 155 श्रमिकों को 37.63 लाख रूपए, मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक दीर्घायु सहायता योजना 2 श्रमिकों को 40 हजार रूपए, मुख्यमंत्री निर्माण मजदूर सुरक्षा उपकरण सहायता योजना 4,939 श्रमिकों को 74.08 लाख रूपए, निर्माण श्रमिकों के बच्चे हेतु उत्कृष्ट खेल प्रोत्साहन योजना 1 श्रमिक को 50 हजार रूपए, दीदी ई-रिक्शा सहायता योजना 7 श्रमिकों को 7 लाख रूपए, मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक मृत्यु एवं दिव्यांग सहायता योजना 264 श्रमिकों को 2.64 करोड रूपए़, मुख्यमंत्री नोनी सशक्तिकरण सहायता योजना 2,486 श्रमिकों को 4.97 करोड़ रूपए, मुख्यमंत्री श्रमिक सियान सहायता योजना 372 श्रमिकों को 74.40 लाख रूपए, निर्माण श्रमिकों के बच्चों हेतु निशुल्क गणवेश एवं पुस्तक कॉपी हेतु सहायता राशि योजना 15,066 श्रमिकों 2.00 करोड़ रूपए, मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक आवास सहायता योजना 25 श्रमिकों को 25 लाख रूपए यह पहल राज्य के निर्माण श्रमिकों और उनके परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करने और उनके जीवन स्तर में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

हनीट्रैप में युवक को फंसाकर मांगी 17 लाख की फिरौती, 2 गिरफ़्तार

जांजगीर-चांपा- ज़िले में एक सनसनीखेज हनी ट्रैप और फिरौती मांगने का मामला सामने आया है, जिसमें एक युवक को महिला के झांसे में फंसाकर अपहरण किया गया और उसके परिजनों से 17 लाख रुपये की फिरौती की मांग की गई। लेकिन पुलिस की तत्परता और सायबर सेल की सटीक कार्रवाई से आरोपी ज्यादा देर तक पुलिस की पकड़ से बाहर नहीं रह सके। पुलिस ने महज 6 घंटे में आरोपियों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। इस घटना ने जिलेभर में हड़कंप मचा दिया है।


कैसे हुआ खुलासा?

12 जून 2025 को शाम करीब 7 बजे बसंतपुर निवासी बुधराम साहू ने थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई कि उसका बेटा किशन साहू घर से घूमने के लिए निकला था। लेकिन रात करीब 8 बजे किशन के मोबाइल से एक अज्ञात नंबर से फोन आया। फोन करने वाले ने बताया कि किशन एक लड़की के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ा गया है और उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग की गई है। आरोपियों ने युवक को छोड़ने के एवज में 17 लाख रुपये की मांग की और रकम नहीं देने पर जान से मारने की धमकी भी दी। फोन पर किशन की चीख-पुकार और मारपीट की आवाजें सुनाई दे रही थीं, जिससे उसके परिजनों में डर और बेचैनी फैल गई। उन्होंने तत्काल पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई।

पुलिस की त्वरित कार्रवाई

मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक विजय कुमार पांडेय के निर्देशन में और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उमेश कुमार कश्यप के मार्गदर्शन में थाना जांजगीर और साइबर सेल की संयुक्त टीम बनाई गई। टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए पहरिया के आगे खेतों के बीच स्थित एक बोरवेल मकान में छापा मारा। यहां से अपहृत किशन को सकुशल बरामद कर लिया गया। छापेमारी के दौरान आरोपी अभय कुमार सूर्यवंशी, निवासी वार्ड नं. 11, कुलीपोटा थाना जांजगीर, को मौके से गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि उसने अपनी महिला साथी आयशा बेगम उर्फ अन्नू उर्फ अस्मिता साहू, निवासी वैगिनबंधान, भोजपुर चांपा, के साथ मिलकर किशन को हनी ट्रैप में फंसाया था। पहले वाट्सएप पर बातचीत कर उसे विश्वास में लिया गया और फिर सुनियोजित ढंग से अपहरण की साजिश को अंजाम दिया गया।


आरोपियों से बरामद सामान

पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से घटना में प्रयुक्त एक मोटरसाइकिल, दो स्कूटी और कई मोबाइल फोन बरामद किए हैं। इन मोबाइलों से मिले चैट, कॉल रिकॉर्ड और वीडियो क्लिपिंग्स को साक्ष्य के तौर पर जब्त किया गया है। इस प्रकरण में एक अन्य आरोपी अब भी फरार है, जिसकी तलाश के लिए पुलिस ने विशेष टीम गठित कर दी है। उसके छिपने की संभावित जगहों पर लगातार दबिश दी जा रही है।

कानूनी कार्रवाई

दोनों गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ थाना जांजगीर में धारा 140(2) बीएनएस के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया गया है। पुलिस ने आरोपियों को विधिवत गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर भेज दिया है।

एसपी ने की टीम की सराहना

इस त्वरित कार्रवाई के लिए पुलिस अधीक्षक विजय कुमार पांडेय ने सायबर टीम और थाना जांजगीर पुलिस की सराहना की है। उन्होंने कहा कि अपराधियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा और जिले में कानून व्यवस्था को सख्ती से लागू किया जाएगा।

बालको ने कर्मचारियों के परिवार ने देखा…..संयंत्र में कैसे होता है विश्वस्तरीय एल्युमिनियम का उत्पादन

बालकोनगर- वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने अपने कर्मचारियों के लिए चार-दिवसीय फैमिली ड्राइव का आयोजन किया। इस पहल का उद्देश्य कर्मचारियों के परिवारजनों को एल्यूमिनियम उत्पादन की संपूर्ण प्रक्रिया का प्रत्यक्ष अनुभव कराना था, जिससे उनके मन में संगठन के प्रति जुड़ाव और गर्व की भावना उत्पन्न हो सके। इस पहल के तहत परिवार के लोगों को संयंत्र का समग्र भ्रमण कराया गया। यात्रा की शुरुआत सेंट्रलाइज्ड सिक्योरिटी ऑपरेशन्स सेंटर (सीएसओसी) में सुरक्षा ब्रीफिंग से हुई, जहां उन्हें बालको द्वारा अपनाई गई अत्याधुनिक सुरक्षा प्रक्रियाओं की जानकारी दी गई।

इसके बाद उन्होंने पॉटलाइन में एल्युमिना पाउडर को पिघले हुए धातु (एल्यूमिनियम) के रूप में देखा। इसके साथ ही उन्हें कार्बन एनोड के उत्पादन के बारे में भी बताया जो एल्यूमिनियम उत्पादन प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा है। 1200 मेगावॉट के पावर प्लांट का दौरा भी कराया गया, जहां से संपूर्ण संयंत्र को ऊर्जा प्रदान की जाती है। यात्रा का समापन कास्ट हाउस में हुआ जहां पिघला हुआ एल्यूमिनियम विभिन्न तैयार उत्पाद जैसे इनगॉट्स, रोल्ड प्रोडक्ट्स, वायर रॉड्स और प्राइमरी फाउंड्री अलॉय में परिवर्तित किया जाता है जो विभिन्न प्रमुख उद्योगों में अहम भूमिका निभाते हैं।

बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक राजेश कुमार ने कहा कि बालको में हम मानते हैं कि हमारी असली शक्ति हमारे कर्मचारियों के साथ-साथ उनके परिवारों के अटूट समर्थन में भी है। हमारा विस्तारित ‘बालको परिवार’ वह भावनात्मक आधार है जो हमारे कार्यबल को उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। हम इस योगदान को अत्यधिक महत्व देते हैं और एक ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो समग्र कल्याण, कार्य-जीवन संतुलन और एक साझा उद्देश्य को प्रोत्साहित करती है। लक्ष्मी देवी छीपा ने अनुभव साझा करते हुए कहा कि हमने अपने बच्चों से बालको की विभिन्न कार्यप्रणाली के बारे में सुना था। लेकिन आज उसे प्रत्यक्ष रूप से देखना, समझना और यह जानना कि हमारे परिजन इस 60 वर्ष पुरानी विरासत वाली संस्था में कैसे योगदान दे रहे हैं।

हमारे लिए बहुत गर्व का विषय है। संयंत्र की कार्यप्रणाली और सख्त सुरक्षा उपायों को देखकर बहुत अच्छा लगा। यह अनुभव हमारे लिए यादगार रहेगा। ‘ट्रांसफॉर्म फॉर गुड’ के विज़न के साथ बालको एक समावेशी कार्यस्थल का निर्माण कर रहा है, जहां होली से लेकर ईद तक सभी पर्व पूरे बालको परिवार द्वारा हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते हैं। वेदांता को इसके प्रभावी मानव संसाधन प्रयासों के लिए ‘हैप्पीनेस एंड वेलबीइंग अवार्ड 2025’ और ‘ग्रेट प्लेस टू वर्क 2025’ जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं। कर्मचारियों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए बालको निरंतर कई महत्वपूर्ण और सराहनीय पहलें करता है।

कंपनी की ‘स्पाउस हायरिंग पॉलिसी’ के माध्यम से योग्य और अनुभवी जीवनसाथियों को भी कंपनी के विकास में योगदान देने का अवसर मिलता है। साथ ही व्यापक चिकित्सा कवरेज कर्मचारियों और उनके परिवारों के स्वास्थ्य की पूरी सुरक्षा करता है। बालको के बच्चों के लिए ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन शिविर का आयोजन नियमित रूप से किया जाता है, जिससे वे जीवन के महत्वपूर्ण कौशल सीख सकें। बालकोनगर स्थित बालको टाउनशिप में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, हरियाली से युक्त वातावरण, आवश्यक सुविधाएं और सामाजिक उत्सवों के आयोजन जैसी विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो यहां रहने वाले परिवारों के जीवन स्तर को समृद्ध बनाती हैं।

गृहमंत्री विजय शर्मा का आदेश, थानों में हिंदीं भाषा बनेगी जनभाषा

रायपुर- छत्तीसगढ़ सरकार ने पुलिस व्यवस्था को आम जनता के लिए और अधिक सहज और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक अहम निर्णय लिया है। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा के निर्देश के बाद अब पुलिस की कार्यप्रणाली में प्रयुक्त कठिन उर्दू-फारसी शब्दों को हटाकर उनकी जगह पर सरल और प्रचलित हिंदी शब्दों का प्रयोग किया जाएगा।

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि आम नागरिक जब किसी शिकायत, अपराध सूचना अथवा अन्य कार्य से थाने जाता है, तो वह अक्सर पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर या अन्य दस्तावेजों की भाषा को लेकर असमंजस में रहता है। अन्य भाषाओं के शब्द आम लोगों के लिए अनजाने होते हैं, जिससे वे न तो अपनी बात ठीक से समझा पाते हैं और न ही पूरी प्रक्रिया को ठीक से समझ पाते हैं। उन्होंने कहा कि यदि पुलिस का उद्देश्य नागरिकों की सहायता और सुरक्षा है, तो उसकी भाषा भी ऐसी होनी चाहिए जो नागरिकों की समझ में आए और उनके विश्वास को बढ़ाए।

उपमुख्यमंत्री के निर्देशानुसार पुलिस महानिदेशक द्वारा सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को एक आधिकारिक पत्र जारी किया गया है, जिसमें स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया है कि पुलिस की व्यवहारिक कार्यवाहियों में प्रयुक्त कठिन, पारंपरिक शब्दों को सरल और स्पष्ट हिंदी में बदला जाए। इसके लिए एक शब्द सूची भी तैयार की गई है, जिसमें पुराने कठिन शब्दों के स्थान पर उपयोग किए जाने योग्य सरल विकल्प सुझाए गए हैं।

इस पत्र में यह भी निर्देशित किया गया है कि सभी अधीनस्थ अधिकारियों को इस विषय में अवगत कराया जाए तथा यह सुनिश्चित किया जाए कि यह आदेश केवल औपचारिकता भर न रहे, बल्कि इसका वास्तविक कार्यान्वयन प्रदेश की प्रत्येक पुलिस चौकी, थाने और कार्यालय में दिखे।

छत्तीसगढ़ पुलिस अब केवल कानून का पालन कराने वाली संस्था न होकर जनसंवाद का माध्यम भी बनेगी। भाषा के इस सरलीकरण से शिकायतकर्ता को अपनी बात स्पष्ट रूप से कहने, सुनने और समझने में सुविधा होगी। एफआईआर जैसी प्रक्रिया, जो अब तक केवल अधिवक्ताओं या पुलिस कर्मियों की समझ में आती थी, वह अब आम नागरिक के लिए भी बोधगम्य हो सकेगी।

छत्तीसगढ़ में 16 जून से शुरू होगा शाला प्रवेश उत्सव, मुख्यमंत्री ने जनप्रतिनिधियों से की सहभागिता की अपील

रायपुर-  छत्तीसगढ़ में आगामी 16 जून 2025 से नया शिक्षा सत्र प्रारंभ होने जा रहा है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रदेश के समस्त जनप्रतिनिधियों को पत्र लिखकर “शाला प्रवेश उत्सव” में सक्रिय भागीदारी की अपील की है। यह आयोजन राज्य में शिक्षा के क्षेत्र को सशक्त बनाने और शत-प्रतिशत बच्चों का विद्यालयों में नामांकन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि प्रदेश को शत-प्रतिशत साक्षर बनाने का लक्ष्य चुनौतीपूर्ण अवश्य है, परंतु यह असंभव नहीं है। उन्होंने कहा कि “असंभव को संभव” बनाने के लिए समाज के हर वर्ग को मिलकर सार्थक प्रयास करने होंगे। इसके लिए सबसे पहले यह जरूरी है कि कोई भी बच्चा विद्यालय से वंचित न रहे और सभी बच्चों का समय पर प्रवेश सुनिश्चित हो।

मुख्यमंत्री श्री साय ने यह भी उल्लेख किया कि राज्य में शिक्षा का अधिकार अधिनियम प्रभावशील है, तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि कक्षा 12वीं तक शाला त्याग दर को धीरे-धीरे शून्य किया जाए। इसके लिए शैक्षणिक अवरोधों को पहचानकर उन्हें दूर करने की जिम्मेदारी सभी हितधारकों की साझा है।

मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान: एक ठोस पहल

मुख्यमंत्री श्री साय ने जानकारी दी कि राज्य सरकार द्वारा “मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान” की शुरुआत की जा रही है, जिसका उद्देश्य शासकीय विद्यालयों में शैक्षणिक गुणवत्ता को सुधारना है। इसके साथ ही, सरकार द्वारा शिक्षकों एवं विद्यालयों का युक्तियुक्तकरण करते हुए शिक्षकविहीन और एकल शिक्षकीय विद्यालयों में शिक्षकों की प्राथमिकता से पदस्थापना की गई है, जिससे शिक्षा का अधिकार हर बच्चे तक पहुंच सके।

अधोसंरचना विकास सरकार की प्राथमिकता

मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य में स्कूल शिक्षा क्षेत्र की अधोसंरचना और मूलभूत सुविधाओं के विकास को सरकार ने अपनी शीर्ष प्राथमिकताओं में रखा है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे शाला प्रवेश उत्सव के दौरान अपने-अपने क्षेत्रों में व्यक्तिगत सहभागिता करें और यह सुनिश्चित करें कि कोई भी बच्चा विद्यालय से बाहर न रहे।

सामाजिक सहभागिता से संवरता भविष्य

मुख्यमंत्री ने कहा, “हमने बनाया है, हम ही संवारेंगे” इस परिकल्पना को साकार करने के लिए हम सभी को मिलकर परिणाममूलक कार्य करने होंगे। उन्होंने आशा जताई कि सभी जनप्रतिनिधि इस अभियान का नेतृत्व कर सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करेंगे और छत्तीसगढ़ को एक शिक्षित, सशक्त और आत्मनिर्भर राज्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

शाला प्रवेश उत्सव को बनाएं जनअभियान

मुख्यमंत्री के इस पत्र को राज्य में शिक्षा को लेकर एक जन आंदोलन की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। इससे न केवल बच्चों की स्कूल तक पहुंच बढ़ेगी, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता और सामाजिक सहभागिता को भी एक नई दिशा मिलेगी। प्रदेश सरकार के इस प्रयास से उम्मीद की जा रही है कि छत्तीसगढ़ शिक्षा के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम करेगा और शिक्षा के माध्यम से सामाजिक व आर्थिक सशक्तिकरण को गति मिलेगी।

सेवा समाप्त सहायक शिक्षकों का समायोजन के लिए ओपन काउंसिलिंग 17 से

रायपुर- स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा दिनांक 30 अप्रैल 2025 को जारी आदेश क्रमांक एफ 2-19/2024/20-तीन के तहत सेवा से समाप्त किए गए बी.एड. अर्हताधारी सहायक शिक्षकों को सहायक शिक्षक विज्ञान (प्रयोगशाला) के पद पर समायोजित करने का निर्णय लिया गया है। इस निर्णय के तहत समायोजन की प्रक्रिया ओपन काउंसिलिंग के माध्यम से की जाएगी, जो दिनांक 17 जून 2025 से 26 जून 2025 तक प्रतिदिन शासकीय शिक्षा महाविद्यालय परिसर, शंकर नगर, रायपुर में आयोजित की जाएगी। शिक्षा विभाग ने कुल 2621 अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग में सम्मिलित किया है। इन अभ्यर्थियों के समायोजन हेतु राज्य के 29 जिलों के स्कूलों में 2621 रिक्त पद निर्धारित किए गए हैं। काउंसिलिंग प्रक्रिया को सुव्यवस्थित ढंग से संपन्न कराने के लिए इसे दो पालियों में आयोजित किया जाएगा। प्रथम पाली में 150 एवं द्वितीय पाली में 150 अर्थात प्रतिदिन कुल 300 अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग होगी।

काउंसिलिंग में सम्मिलित होने वाले सभी अभ्यर्थियों की सूची स्कूल शिक्षा विभाग की आधिकारिक वेबसाइट https://eduportal.cg.nic.in/ पर उपलब्ध है। उप संचालक लोक शिक्षण संचालनालय ने अभ्यर्थियों से आग्रह किया है कि वे निर्धारित समय पर आवश्यक दस्तावेजों सहित काउंसिलिंग स्थल पर उपस्थित रहें।

कांग्रेस भवन अटैच : ईडी की कार्रवाई पर कांग्रेस ने उठाया सवाल, कहा- मोदी सरकार के निर्देश पर केंद्रीय एजेंसियां लांघ रही अपनी सीमा

रायपुर- छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 2161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ा एक्शन लेते हुए सुकमा स्थित कांग्रेस भवन को प्रोविशनली अटैच कर दिया है। यह देश में पहला मामला है जब किसी राजनीतिक दल के कार्यालय को ईडी द्वारा अटैच किया गया है। इस कार्रवाई के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई है। कांग्रेस ने इसे केंद्र सरकार की बदले की राजनीति बताते हुए तीखा हमला बोला है।

कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार के निर्देश पर केंद्रीय एजेंसियां अपनी सीमाओं को लांघ रही हैं। आज कांग्रेस के जिला कार्यालय सुकमा को ईडी ने अटैच किया है। यह भाजपा के राजनीतिक षड्यंत्र का एक हिस्सा है। कांग्रेस पार्टी तो अपने जिला कांग्रेस भवन को बनाने के हमारे आय के स्रोत हैं, उसका एक-एक पाई का हिसाब दे देगी।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस आज से नहीं, आज़ादी के पहले से अपने कार्यकर्ताओं के सहयोग से अपना कार्यालय बनाती रही है। रायपुर का कांग्रेस भवन इसका उदाहरण है। जिला कांग्रेस कमेटी के तमाम जितने भवन बनाए गए हैं, वे उसके उदाहरण हैं। विपक्ष में रहते हुए हमने आलीशान शंकर नगर में अपना प्रदेश कांग्रेस का मुख्यालय बनाया है।

सुशील आनंद शुक्ला ने आगे कहा कि हम अपना हिसाब तो दे देंगे, लेकिन क्या ईडी में साहस है कि वह भाजपा के तमाम जिलों में बनाए गए कार्यालयों का भी हिसाब लेगी? 50 करोड़ से 100 करोड़ की लागत से बनाए गए कुशाभाऊ ठाकरे परिसर का भी हिसाब लेगी? 500 करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए आरएसएस मुख्यालय का भी हिसाब लेने ईडी जाएगी या सिर्फ विपक्ष को ही बदनाम करने की साज़िश रचते रहेंगे?