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हनीट्रैप में युवक को फंसाकर मांगी 17 लाख की फिरौती, 2 गिरफ़्तार

जांजगीर-चांपा- ज़िले में एक सनसनीखेज हनी ट्रैप और फिरौती मांगने का मामला सामने आया है, जिसमें एक युवक को महिला के झांसे में फंसाकर अपहरण किया गया और उसके परिजनों से 17 लाख रुपये की फिरौती की मांग की गई। लेकिन पुलिस की तत्परता और सायबर सेल की सटीक कार्रवाई से आरोपी ज्यादा देर तक पुलिस की पकड़ से बाहर नहीं रह सके। पुलिस ने महज 6 घंटे में आरोपियों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। इस घटना ने जिलेभर में हड़कंप मचा दिया है।


कैसे हुआ खुलासा?

12 जून 2025 को शाम करीब 7 बजे बसंतपुर निवासी बुधराम साहू ने थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई कि उसका बेटा किशन साहू घर से घूमने के लिए निकला था। लेकिन रात करीब 8 बजे किशन के मोबाइल से एक अज्ञात नंबर से फोन आया। फोन करने वाले ने बताया कि किशन एक लड़की के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ा गया है और उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग की गई है। आरोपियों ने युवक को छोड़ने के एवज में 17 लाख रुपये की मांग की और रकम नहीं देने पर जान से मारने की धमकी भी दी। फोन पर किशन की चीख-पुकार और मारपीट की आवाजें सुनाई दे रही थीं, जिससे उसके परिजनों में डर और बेचैनी फैल गई। उन्होंने तत्काल पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई।

पुलिस की त्वरित कार्रवाई

मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक विजय कुमार पांडेय के निर्देशन में और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उमेश कुमार कश्यप के मार्गदर्शन में थाना जांजगीर और साइबर सेल की संयुक्त टीम बनाई गई। टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए पहरिया के आगे खेतों के बीच स्थित एक बोरवेल मकान में छापा मारा। यहां से अपहृत किशन को सकुशल बरामद कर लिया गया। छापेमारी के दौरान आरोपी अभय कुमार सूर्यवंशी, निवासी वार्ड नं. 11, कुलीपोटा थाना जांजगीर, को मौके से गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि उसने अपनी महिला साथी आयशा बेगम उर्फ अन्नू उर्फ अस्मिता साहू, निवासी वैगिनबंधान, भोजपुर चांपा, के साथ मिलकर किशन को हनी ट्रैप में फंसाया था। पहले वाट्सएप पर बातचीत कर उसे विश्वास में लिया गया और फिर सुनियोजित ढंग से अपहरण की साजिश को अंजाम दिया गया।


आरोपियों से बरामद सामान

पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से घटना में प्रयुक्त एक मोटरसाइकिल, दो स्कूटी और कई मोबाइल फोन बरामद किए हैं। इन मोबाइलों से मिले चैट, कॉल रिकॉर्ड और वीडियो क्लिपिंग्स को साक्ष्य के तौर पर जब्त किया गया है। इस प्रकरण में एक अन्य आरोपी अब भी फरार है, जिसकी तलाश के लिए पुलिस ने विशेष टीम गठित कर दी है। उसके छिपने की संभावित जगहों पर लगातार दबिश दी जा रही है।

कानूनी कार्रवाई

दोनों गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ थाना जांजगीर में धारा 140(2) बीएनएस के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया गया है। पुलिस ने आरोपियों को विधिवत गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर भेज दिया है।

एसपी ने की टीम की सराहना

इस त्वरित कार्रवाई के लिए पुलिस अधीक्षक विजय कुमार पांडेय ने सायबर टीम और थाना जांजगीर पुलिस की सराहना की है। उन्होंने कहा कि अपराधियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा और जिले में कानून व्यवस्था को सख्ती से लागू किया जाएगा।

बालको ने कर्मचारियों के परिवार ने देखा…..संयंत्र में कैसे होता है विश्वस्तरीय एल्युमिनियम का उत्पादन

बालकोनगर- वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने अपने कर्मचारियों के लिए चार-दिवसीय फैमिली ड्राइव का आयोजन किया। इस पहल का उद्देश्य कर्मचारियों के परिवारजनों को एल्यूमिनियम उत्पादन की संपूर्ण प्रक्रिया का प्रत्यक्ष अनुभव कराना था, जिससे उनके मन में संगठन के प्रति जुड़ाव और गर्व की भावना उत्पन्न हो सके। इस पहल के तहत परिवार के लोगों को संयंत्र का समग्र भ्रमण कराया गया। यात्रा की शुरुआत सेंट्रलाइज्ड सिक्योरिटी ऑपरेशन्स सेंटर (सीएसओसी) में सुरक्षा ब्रीफिंग से हुई, जहां उन्हें बालको द्वारा अपनाई गई अत्याधुनिक सुरक्षा प्रक्रियाओं की जानकारी दी गई।

इसके बाद उन्होंने पॉटलाइन में एल्युमिना पाउडर को पिघले हुए धातु (एल्यूमिनियम) के रूप में देखा। इसके साथ ही उन्हें कार्बन एनोड के उत्पादन के बारे में भी बताया जो एल्यूमिनियम उत्पादन प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा है। 1200 मेगावॉट के पावर प्लांट का दौरा भी कराया गया, जहां से संपूर्ण संयंत्र को ऊर्जा प्रदान की जाती है। यात्रा का समापन कास्ट हाउस में हुआ जहां पिघला हुआ एल्यूमिनियम विभिन्न तैयार उत्पाद जैसे इनगॉट्स, रोल्ड प्रोडक्ट्स, वायर रॉड्स और प्राइमरी फाउंड्री अलॉय में परिवर्तित किया जाता है जो विभिन्न प्रमुख उद्योगों में अहम भूमिका निभाते हैं।

बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक राजेश कुमार ने कहा कि बालको में हम मानते हैं कि हमारी असली शक्ति हमारे कर्मचारियों के साथ-साथ उनके परिवारों के अटूट समर्थन में भी है। हमारा विस्तारित ‘बालको परिवार’ वह भावनात्मक आधार है जो हमारे कार्यबल को उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। हम इस योगदान को अत्यधिक महत्व देते हैं और एक ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो समग्र कल्याण, कार्य-जीवन संतुलन और एक साझा उद्देश्य को प्रोत्साहित करती है। लक्ष्मी देवी छीपा ने अनुभव साझा करते हुए कहा कि हमने अपने बच्चों से बालको की विभिन्न कार्यप्रणाली के बारे में सुना था। लेकिन आज उसे प्रत्यक्ष रूप से देखना, समझना और यह जानना कि हमारे परिजन इस 60 वर्ष पुरानी विरासत वाली संस्था में कैसे योगदान दे रहे हैं।

हमारे लिए बहुत गर्व का विषय है। संयंत्र की कार्यप्रणाली और सख्त सुरक्षा उपायों को देखकर बहुत अच्छा लगा। यह अनुभव हमारे लिए यादगार रहेगा। ‘ट्रांसफॉर्म फॉर गुड’ के विज़न के साथ बालको एक समावेशी कार्यस्थल का निर्माण कर रहा है, जहां होली से लेकर ईद तक सभी पर्व पूरे बालको परिवार द्वारा हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते हैं। वेदांता को इसके प्रभावी मानव संसाधन प्रयासों के लिए ‘हैप्पीनेस एंड वेलबीइंग अवार्ड 2025’ और ‘ग्रेट प्लेस टू वर्क 2025’ जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं। कर्मचारियों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए बालको निरंतर कई महत्वपूर्ण और सराहनीय पहलें करता है।

कंपनी की ‘स्पाउस हायरिंग पॉलिसी’ के माध्यम से योग्य और अनुभवी जीवनसाथियों को भी कंपनी के विकास में योगदान देने का अवसर मिलता है। साथ ही व्यापक चिकित्सा कवरेज कर्मचारियों और उनके परिवारों के स्वास्थ्य की पूरी सुरक्षा करता है। बालको के बच्चों के लिए ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन शिविर का आयोजन नियमित रूप से किया जाता है, जिससे वे जीवन के महत्वपूर्ण कौशल सीख सकें। बालकोनगर स्थित बालको टाउनशिप में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, हरियाली से युक्त वातावरण, आवश्यक सुविधाएं और सामाजिक उत्सवों के आयोजन जैसी विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो यहां रहने वाले परिवारों के जीवन स्तर को समृद्ध बनाती हैं।

गृहमंत्री विजय शर्मा का आदेश, थानों में हिंदीं भाषा बनेगी जनभाषा

रायपुर- छत्तीसगढ़ सरकार ने पुलिस व्यवस्था को आम जनता के लिए और अधिक सहज और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक अहम निर्णय लिया है। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा के निर्देश के बाद अब पुलिस की कार्यप्रणाली में प्रयुक्त कठिन उर्दू-फारसी शब्दों को हटाकर उनकी जगह पर सरल और प्रचलित हिंदी शब्दों का प्रयोग किया जाएगा।

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि आम नागरिक जब किसी शिकायत, अपराध सूचना अथवा अन्य कार्य से थाने जाता है, तो वह अक्सर पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर या अन्य दस्तावेजों की भाषा को लेकर असमंजस में रहता है। अन्य भाषाओं के शब्द आम लोगों के लिए अनजाने होते हैं, जिससे वे न तो अपनी बात ठीक से समझा पाते हैं और न ही पूरी प्रक्रिया को ठीक से समझ पाते हैं। उन्होंने कहा कि यदि पुलिस का उद्देश्य नागरिकों की सहायता और सुरक्षा है, तो उसकी भाषा भी ऐसी होनी चाहिए जो नागरिकों की समझ में आए और उनके विश्वास को बढ़ाए।

उपमुख्यमंत्री के निर्देशानुसार पुलिस महानिदेशक द्वारा सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को एक आधिकारिक पत्र जारी किया गया है, जिसमें स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया है कि पुलिस की व्यवहारिक कार्यवाहियों में प्रयुक्त कठिन, पारंपरिक शब्दों को सरल और स्पष्ट हिंदी में बदला जाए। इसके लिए एक शब्द सूची भी तैयार की गई है, जिसमें पुराने कठिन शब्दों के स्थान पर उपयोग किए जाने योग्य सरल विकल्प सुझाए गए हैं।

इस पत्र में यह भी निर्देशित किया गया है कि सभी अधीनस्थ अधिकारियों को इस विषय में अवगत कराया जाए तथा यह सुनिश्चित किया जाए कि यह आदेश केवल औपचारिकता भर न रहे, बल्कि इसका वास्तविक कार्यान्वयन प्रदेश की प्रत्येक पुलिस चौकी, थाने और कार्यालय में दिखे।

छत्तीसगढ़ पुलिस अब केवल कानून का पालन कराने वाली संस्था न होकर जनसंवाद का माध्यम भी बनेगी। भाषा के इस सरलीकरण से शिकायतकर्ता को अपनी बात स्पष्ट रूप से कहने, सुनने और समझने में सुविधा होगी। एफआईआर जैसी प्रक्रिया, जो अब तक केवल अधिवक्ताओं या पुलिस कर्मियों की समझ में आती थी, वह अब आम नागरिक के लिए भी बोधगम्य हो सकेगी।

छत्तीसगढ़ में 16 जून से शुरू होगा शाला प्रवेश उत्सव, मुख्यमंत्री ने जनप्रतिनिधियों से की सहभागिता की अपील

रायपुर-  छत्तीसगढ़ में आगामी 16 जून 2025 से नया शिक्षा सत्र प्रारंभ होने जा रहा है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रदेश के समस्त जनप्रतिनिधियों को पत्र लिखकर “शाला प्रवेश उत्सव” में सक्रिय भागीदारी की अपील की है। यह आयोजन राज्य में शिक्षा के क्षेत्र को सशक्त बनाने और शत-प्रतिशत बच्चों का विद्यालयों में नामांकन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि प्रदेश को शत-प्रतिशत साक्षर बनाने का लक्ष्य चुनौतीपूर्ण अवश्य है, परंतु यह असंभव नहीं है। उन्होंने कहा कि “असंभव को संभव” बनाने के लिए समाज के हर वर्ग को मिलकर सार्थक प्रयास करने होंगे। इसके लिए सबसे पहले यह जरूरी है कि कोई भी बच्चा विद्यालय से वंचित न रहे और सभी बच्चों का समय पर प्रवेश सुनिश्चित हो।

मुख्यमंत्री श्री साय ने यह भी उल्लेख किया कि राज्य में शिक्षा का अधिकार अधिनियम प्रभावशील है, तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि कक्षा 12वीं तक शाला त्याग दर को धीरे-धीरे शून्य किया जाए। इसके लिए शैक्षणिक अवरोधों को पहचानकर उन्हें दूर करने की जिम्मेदारी सभी हितधारकों की साझा है।

मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान: एक ठोस पहल

मुख्यमंत्री श्री साय ने जानकारी दी कि राज्य सरकार द्वारा “मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान” की शुरुआत की जा रही है, जिसका उद्देश्य शासकीय विद्यालयों में शैक्षणिक गुणवत्ता को सुधारना है। इसके साथ ही, सरकार द्वारा शिक्षकों एवं विद्यालयों का युक्तियुक्तकरण करते हुए शिक्षकविहीन और एकल शिक्षकीय विद्यालयों में शिक्षकों की प्राथमिकता से पदस्थापना की गई है, जिससे शिक्षा का अधिकार हर बच्चे तक पहुंच सके।

अधोसंरचना विकास सरकार की प्राथमिकता

मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य में स्कूल शिक्षा क्षेत्र की अधोसंरचना और मूलभूत सुविधाओं के विकास को सरकार ने अपनी शीर्ष प्राथमिकताओं में रखा है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे शाला प्रवेश उत्सव के दौरान अपने-अपने क्षेत्रों में व्यक्तिगत सहभागिता करें और यह सुनिश्चित करें कि कोई भी बच्चा विद्यालय से बाहर न रहे।

सामाजिक सहभागिता से संवरता भविष्य

मुख्यमंत्री ने कहा, “हमने बनाया है, हम ही संवारेंगे” इस परिकल्पना को साकार करने के लिए हम सभी को मिलकर परिणाममूलक कार्य करने होंगे। उन्होंने आशा जताई कि सभी जनप्रतिनिधि इस अभियान का नेतृत्व कर सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करेंगे और छत्तीसगढ़ को एक शिक्षित, सशक्त और आत्मनिर्भर राज्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

शाला प्रवेश उत्सव को बनाएं जनअभियान

मुख्यमंत्री के इस पत्र को राज्य में शिक्षा को लेकर एक जन आंदोलन की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। इससे न केवल बच्चों की स्कूल तक पहुंच बढ़ेगी, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता और सामाजिक सहभागिता को भी एक नई दिशा मिलेगी। प्रदेश सरकार के इस प्रयास से उम्मीद की जा रही है कि छत्तीसगढ़ शिक्षा के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम करेगा और शिक्षा के माध्यम से सामाजिक व आर्थिक सशक्तिकरण को गति मिलेगी।

सेवा समाप्त सहायक शिक्षकों का समायोजन के लिए ओपन काउंसिलिंग 17 से

रायपुर- स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा दिनांक 30 अप्रैल 2025 को जारी आदेश क्रमांक एफ 2-19/2024/20-तीन के तहत सेवा से समाप्त किए गए बी.एड. अर्हताधारी सहायक शिक्षकों को सहायक शिक्षक विज्ञान (प्रयोगशाला) के पद पर समायोजित करने का निर्णय लिया गया है। इस निर्णय के तहत समायोजन की प्रक्रिया ओपन काउंसिलिंग के माध्यम से की जाएगी, जो दिनांक 17 जून 2025 से 26 जून 2025 तक प्रतिदिन शासकीय शिक्षा महाविद्यालय परिसर, शंकर नगर, रायपुर में आयोजित की जाएगी। शिक्षा विभाग ने कुल 2621 अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग में सम्मिलित किया है। इन अभ्यर्थियों के समायोजन हेतु राज्य के 29 जिलों के स्कूलों में 2621 रिक्त पद निर्धारित किए गए हैं। काउंसिलिंग प्रक्रिया को सुव्यवस्थित ढंग से संपन्न कराने के लिए इसे दो पालियों में आयोजित किया जाएगा। प्रथम पाली में 150 एवं द्वितीय पाली में 150 अर्थात प्रतिदिन कुल 300 अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग होगी।

काउंसिलिंग में सम्मिलित होने वाले सभी अभ्यर्थियों की सूची स्कूल शिक्षा विभाग की आधिकारिक वेबसाइट https://eduportal.cg.nic.in/ पर उपलब्ध है। उप संचालक लोक शिक्षण संचालनालय ने अभ्यर्थियों से आग्रह किया है कि वे निर्धारित समय पर आवश्यक दस्तावेजों सहित काउंसिलिंग स्थल पर उपस्थित रहें।

कांग्रेस भवन अटैच : ईडी की कार्रवाई पर कांग्रेस ने उठाया सवाल, कहा- मोदी सरकार के निर्देश पर केंद्रीय एजेंसियां लांघ रही अपनी सीमा

रायपुर- छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 2161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ा एक्शन लेते हुए सुकमा स्थित कांग्रेस भवन को प्रोविशनली अटैच कर दिया है। यह देश में पहला मामला है जब किसी राजनीतिक दल के कार्यालय को ईडी द्वारा अटैच किया गया है। इस कार्रवाई के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई है। कांग्रेस ने इसे केंद्र सरकार की बदले की राजनीति बताते हुए तीखा हमला बोला है।

कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार के निर्देश पर केंद्रीय एजेंसियां अपनी सीमाओं को लांघ रही हैं। आज कांग्रेस के जिला कार्यालय सुकमा को ईडी ने अटैच किया है। यह भाजपा के राजनीतिक षड्यंत्र का एक हिस्सा है। कांग्रेस पार्टी तो अपने जिला कांग्रेस भवन को बनाने के हमारे आय के स्रोत हैं, उसका एक-एक पाई का हिसाब दे देगी।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस आज से नहीं, आज़ादी के पहले से अपने कार्यकर्ताओं के सहयोग से अपना कार्यालय बनाती रही है। रायपुर का कांग्रेस भवन इसका उदाहरण है। जिला कांग्रेस कमेटी के तमाम जितने भवन बनाए गए हैं, वे उसके उदाहरण हैं। विपक्ष में रहते हुए हमने आलीशान शंकर नगर में अपना प्रदेश कांग्रेस का मुख्यालय बनाया है।

सुशील आनंद शुक्ला ने आगे कहा कि हम अपना हिसाब तो दे देंगे, लेकिन क्या ईडी में साहस है कि वह भाजपा के तमाम जिलों में बनाए गए कार्यालयों का भी हिसाब लेगी? 50 करोड़ से 100 करोड़ की लागत से बनाए गए कुशाभाऊ ठाकरे परिसर का भी हिसाब लेगी? 500 करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए आरएसएस मुख्यालय का भी हिसाब लेने ईडी जाएगी या सिर्फ विपक्ष को ही बदनाम करने की साज़िश रचते रहेंगे?

शराब घोटाले में ईडी की बड़ी कार्रवाई, सुकमा कांग्रेस भवन किया अटैच, कवासी और हरीश की भी संपत्ति कुर्क

रायपुर- शराब घोटाले की जांच कर रही ED का बड़ा एक्शन सामने आयी है। ईडी ने पूर्व मंत्री कवासी लखमा की संपत्ति सहित कांग्रेस भवन (सुकमा कांग्रेस कार्यालय) को जब्त कर दिया है। ईडी ने कवासी लखमा, उनके बेटे हरीश लखमा की 5.50 करोड़ की संपत्ति और सुकमा कांग्रेस कार्यालय की 68 लाख की संपत्ति को अटैच किया है। आपको बता दें कि शराब घोटाले में पूर्व मंत्री कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश लखमा अभी जेल में है।

जब कवासी लखमा से पूछताछ हुई थी, तो उसी दौरान ये खुलासा हुआ था कि शराब घोटाले के पैसे से कवासी लखमा ने ना सिर्फ अपनी संपत्ति बनायी थी, बल्कि सुकमा में बने कांग्रेस भवन में भी शराब घोटाले का पैसा दिया था। अब ईडी ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए सुकमा कांग्रेस भवन को अटैच कर लिया है। कुल 6 करोड़ 15 लाख 75000 की संपत्ति अटैच किया गया है।

 

कवासी लखमा को 72 करोड़

इसी साल जनवरी में ईडी के वकील सौरभ पांडेय ने जानकारी दी थी, कि पूछताछ के दौरान कवासी लखमा को लेकर कई जानकारी मिली है। शराब घोटाले में जो जांच चल रही है। उसमें अरविंद सिंह ने अपने बयान में बताया था कि शराब कार्टल से 50 लाख रुपये महीने का पेमेंट कवासी लखमा को किया जाता था। वहीं, अरुणपति त्रिपाठी ने अपनी गवाही में बताया था कि पांच लाख रुपये के अलावा हर महीने मंत्री को डेढ़ करोड़ रुपये और दिया जाता था। इस तरह से हर महीने मंत्री को शराब कार्टल से 2 करोड़ रुपये मिलते थे। यही नहीं करीब 36 महीने तक यह घोटाला चला इस हिसाब से मंत्री को 72 करोड़ रुपये मिले हैं।

घोटाले के पैसे बना कांग्रेस भवन

जांच में पता चला है कि एक्साइज विभाग में अफसर इकबाल खान और जैन देवांगन ने भी इस बात की पुष्टि की है कि पैसे की व्यवस्था करके पैसे कवासी लखमा को भेजते थे। सुकमा में इन बैग को कन्हैयालाल कुर्रे कलेक्ट करते थे। जगन्नाथ साहू और इनके बेटे हरीश लखमा के यहां जब सर्चिंग की गई डिजिटल सबूत मिले थे। इस डिजिटल साक्ष्य की जब जांच हुई तो सामने आया कि इस पैसे का उपयोग बेटे का घर बनाने और सुकमा में कांग्रेस भवन बनवाने में किया गया है।

मुख्यमंत्री श्री साय की अभिनव पहल: डिजीलॉकर के माध्यम से लाखों पेंशनरों को बड़ी राहत

रायपुर-  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शासकीय कार्यों में पारदर्शिता, दक्षता और डिजिटल सशक्तिकरण को प्राथमिकता देते हुए उल्लेखनीय कदम उठाया गया है। मुख्यमंत्री श्री साय की पहल पर राज्य के वित्त विभाग एवं पेंशन संचालनालय द्वारा डिजीलॉकर प्लेटफॉर्म के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक पेंशन भुगतान आदेश (ePPO) और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों की डिजिटल उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। यह पहल राज्य सरकार के डिजिटलीकरण संकल्प की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है।

राज्य के लगभग 3.61 लाख सरकारी कर्मचारी और 1.50 लाख पेंशनभोगी अब डिजीलॉकर के माध्यम से अपने जीपीएफ स्टेटमेंट, अंतिम भुगतान आदेश, पेंशन प्रमाण पत्र और पेंशन भुगतान आदेश जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों को कहीं से भी, कभी भी, सुरक्षित एवं प्रमाणिक रूप में प्राप्त कर सकते हैं। इस सुविधा से दस्तावेजों की फिजिकल प्रतियों पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी और कार्यालयों के अनावश्यक चक्कर लगाने से भी राहत मिलेगी, जिससे समय और संसाधनों की बचत होगी।

मुख्यमंत्री श्री साय ने इस अभिनव पहल के सफल क्रियान्वयन के लिए पेंशन संचालनालय की तकनीकी दक्षता, दस्तावेजों के डिजिटलीकरण में की गई मेहनत तथा डिजीलॉकर प्लेटफ़ॉर्म के साथ किए गए समन्वय की सराहना की। यह कदम न केवल प्रशासनिक व्यवस्था को अधिक सक्षम बना रहा है, बल्कि नागरिकों में विश्वास और संतोष भी बढ़ा रहा है।

यह पहल भारत सरकार के डिजिटल इंडिया मिशन की भावना के अनुरूप छत्तीसगढ़ की ओर से एक उदाहरण बनकर उभरी है। मुख्यमंत्री श्री साय की इस पहल से पेंशनरों, कर्मचारियों और प्रशासन—तीनों को सीधा लाभ मिल रहा है।

IED ब्लास्ट में शहीद ASP आकाश राव घटना की जांच करेगी SIA, गृह विभाग ने जारी किया आदेश

रायपुर-  नक्सली के आईईडी ब्लास्ट में शहीद एएसपी आकाश राव घटना की जांच स्टेट इंवेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) करेगी. इसका आदेश गृह विभाग ने जारी किया है. जांच टीम में SIA के एसपी समेत 6 पुलिसकर्मी शामिल हैं. डीजीपी अरूण देव गौतम और SIA डायरेक्टर अंकित गर्ग ने जांच टीम को विशेष निर्देश दिए हैं. जल्द ही टीम सुकमा के कोंटा पहुंचकर घटना की जांच करेगी. बता दें कि 9 जून को सुकमा जिले के कोंटा में गश्त के दौरान आईईडी ब्लास्ट में एएसपी आकाश राव शहीद हुए थे.

बता दें कि ASP आकाश राव गिरपून्जे उप पुलिस अधीक्षक कोन्टा भानुप्रताप चंद्राकर, निरीक्षक सोनल गवला और अन्य जवानों के साथ क्षेत्र में नक्सलियों द्वारा वाहन जलाने की घटना की जांच करने पैदल गश्त पर निकले थे. सर्च ऑपरेशन के दौरान कोन्टा-एर्राबोरा मार्ग पर डोंड्रा के पास IED विस्फोट की चपेट में आने से ASP आकाश राव के साथ भानुप्रताप चंद्राकर (अनुविभागीय पुलिस अधिकारी, कोन्टा) और निरीक्षक सोनल गवला (थाना प्रभारी, कोन्टा) घायल हो गए थे. सभी घायलों को प्रारंभिक उपचार के लिए कोन्टा अस्पताल लाया गया, जहां उपचार के दौरान ASP आकाश राव शहीद हुए थे.

आकाश राव ने वामपंथ उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में दी थी सेवाएं

आकाश राव गिरपून्जे (42 वर्षीय), रायपुर जिले के निवासी थे और 2013 बैच के सीधी भर्ती डीएसपी थे. सुकमा से पहले उन्होंने महासमुंद और रायपुर जिलों में सेवाएं दी हैं. रायपुर के सिविल लाइन थाने में वे CSP भी रहे हैं. वर्ष 2024 से वे कोन्टा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में सेवा दे रहे थे. वे छत्तीसगढ़ पुलिस के सबसे साहसी योद्धाओं में से एक थे, जिन्होंने मानपुर-मोहला और सुकमा जैसे वामपंथ उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दीं.

एक्सीडेंट के बाद घायल बच्ची को लेकर भागे थे दंपती, रास्ते में ही उसने तोड़ा दम, कार की AC चलाकर रखा शव

कोरबा/जांजगीर- जांजगीर जिले के बछौद गांव में बीती शाम दुर्घटना में घायल बच्ची का इलाज के बहाने अपहरण की घटना का खुलासा हो गया है. दुर्घटना में घायल बच्ची की कार में ले जाते रास्ते में मौत हो गई थी, जिसके बाद रातभर कार का एसी चलाकर शव को रखा था. आज सुबह लाश को ठिकाने लगाने ले जाते समय बुजुर्ग पुलिस चेकिंग के दौरान धरा गया.

जानकारी के अनुसार, कोरबा निवासी 70 वर्षीय देवेंद्र प्रसाद वर्मा अपनी पत्नी के साथ कार में बिलासपुर से कोरबा आ रहे थे. इस दौरान जांजगीर जिले के सरहदी गांव बछौद में खेलते-खेलते सड़क पर आई छह वर्षीय शिवांगी की कार से टक्कर हो गई. बच्ची का हालत देख घबराए बुजुर्ग दंपती ने बच्ची को परिजनों को जानकारी दिए बगैर उसे कार में डालकर कोरबा की ओर निकल गए.

बच्ची को अस्पताल तक ले जाते, इसके पहले ही कार में मौत हो गई. घबराए दंपती ने घर में आने के बाद रात भर कार की एसी चलाकर छोड़ दिया, जिससे लाश से कोई बदबू न फैले. रातभर उहापोह में काटने के बाद आज सुबह बुजुर्ग देवेंद्र प्रसाद वर्मा बच्ची के शव को कार में रखे हुए निकला. बच्ची की अपहरण की घटना के बाद सर्चिंग में जुटी पुलिस की टीम ने कोरबा-जांजगीर जिले की सीमा पर आरोपी देवेंद्र वर्मा को पकड़ा.

मामले में बुजुर्ग दंपती के खिलाफ जांजगीर जिले के बलौदा थाना में एफआईआर दर्ज किया गया है, जिसमें बुजुर्ग देवेंद्र कुमार वर्मा के साथ उनकी पत्नी रानी देवी को भी आरोपी बनाया गया है. मामले का पूरा खुलासा जांजगीर पुलिस आज शाम करेगी.