*स्वास्थ्य सेवा सुदृढ़ीकरण पर हुई चर्चा, उच्च जोखिम गर्भावस्था को लेकर चली पाठशाला*
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गोरखपुर। जिले के सीएमओ डॉ राजेश झा की अध्यक्षता में मंगलवार को स्वास्थ्य सेवा सुदृढ़ीकरण के संबंध में विविध गतिविधियों के आयोजन हुए। साथ ही प्रत्येक मंगलवार को चलने वाली ई आरोग्य पाठशाला में उच्च जोखिम गर्भावस्था की पहचान और प्रबंधन पर जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) का संवेदीकरण किया गया। इस पाठशाला से कई चिकित्सा अधिकारी भी जुड़े। जिले भर के कोल्ड चेन के इम्युनाइजेशन ऑफिसर (आईओ) का क्षमता संवर्धन किया गया और नगरीय क्षेत्र के स्वास्थ्य केंद्रों के डिजिटलाइजेशन को लेकर प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों से चर्चा की गई। इन सभी कार्यक्रमों की अध्यक्षता करते हुए सीएमओ डॉ झा ने शत प्रतिशत परिणाम आधारित प्रयासों पर विशेष जोर दिया।
सीएमओ डॉ राजेश झा ने बताया कि कोल्ड चेन के आईओ को यूएनडीपी संस्था की मदद से नियमित टीकाकरण कार्यक्रम की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए प्रशिक्षित किया गया। उन्हें बताया गया कि कोल्ड चेन से लेकर समुदाय तक टीके की गुणवत्ता कैसे बनाए रखनी है। कोल्ड चेन प्वाइंट पर टीकों के रखरखाव के बारे में भी जानकारी दी गई। सीएमओ ने बताया कि नगरीय क्षेत्र के प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों से बैठक के दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि सभी केंद्रों पर यथाशीघ्र ऑनलाइन पर्चे जेनरेट करने की व्यवस्था बनाएं। प्रत्येक मरीज की आभा आईडी बनाई जाए और मरीजों व लाभार्थियों को उचित केंद्रों पर संदर्भित किया जाए।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से सीएमओ ने ई आरोग्य पाठशाला की अध्यक्षता करते हुए सभी सीएचओ को निर्देशित किया कि वह उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली महिलाओं की लिस्टिंग कर उनका समुचित प्रबंधन करें। पाठशाला के दौरान इंडिया हेल्थ एक्शन ट्रस्ट और यूपीटीएसयू की सलाहकार व नोडल आरआरटीसी कार्यक्रम डॉ सीमा टंडन ने उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि अगर सही तरीके से सही समय से एचआरपी की पहचान कर ली जाए तो समुदाय स्तर से लेकर अस्पताल स्तर तक बेहतर प्रबंधन कर मातृ शिशु सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। उन्होंने बर्थ प्रिपर्डियनेस कंप्लीकेशन रेडिनेस (बीपीसीआर) की महत्ता को पुनः रेखांकित करते हुए कहा कि अगर बर्थ कम्पेनियन का चुनाव हो जाए और पति, सास या अन्य कोई भी इस प्रकार का कंपेनियन गर्भावस्था के खतरनाक संकेतांकों की पहचान कर सके तो जच्चा बच्चा की सुरक्षा की संभावना बढ़ जाती है।
डॉ टंडन ने एनीमिया की पहचान और प्रबंधन को लेकर भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि एचआरपी महिला का नियमित फॉलो अप होना चाहिए और उसका सही समय पर सही चिकित्सा इकाई में संदर्भन होना चाहिए। गोला ब्लॉक के पकड़ी आयुष्मान आरोग्य मंदिर की सीएचओ प्रियंका यादव और पिपराईच ब्लॉक के भैंसहा की सीएचओ सरिता प्रजापति ने केस के जरिये एचआरपी प्रबंधन के बारे में जानकारी प्राप्त की।
इस अवसर पर एसीएमओ आरसीएच डॉ एके चौधरी, डिप्टी सीएमओ डॉ राजेश कुमार, डॉ अश्विनी चौरसिया, ई आरोग्य पाठशाला की सहयोगी इको इंडिया संस्था से डॉ सत्या, डीपीएम पंकज आनंद, मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता सूर्य प्रकाश, एनयूएचएम की डिवीजनल कंसल्टेंट डॉ प्रीति सिंह और जिला समन्वयक सुरेश सिंह चौहान प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।
Jun 11 2025, 11:59