*भगवान का निरंतर स्मरण करना ही धर्म-प्रदीप मिश्र, श्रीमद्भागवत कथा का तीसरा दिन*

खजनी गोरखपुर।जिस परमात्मा ने यह सृष्टि, प्रकृति और सुंदर मानव शरीर दिया है उनका नित्य स्मरण करना ही धर्म है।
उक्त विचार श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के तीसरे दिन खजनी ब्लॉक के डोंड़ो गांव में चल रही कथा में व्यास पीठ से अयोध्या से पधारे भागवताचार्य प्रदीप मिश्र ने श्रद्धालुओं को रोचक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि एक बार किसी राज मिस्त्री से किसी ने पूछा कि ऐसी कौन सी चीज है कि जिसके बिना नए भवन का निर्माण नहीं हो सकता, किन्तु यदि उसी भवन को तोड़ा जाए तो वह वस्तु कहीं नजर भी नहीं आती। राज मिस्त्री ने घंटों तक विचार किया किंतु प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाया, अंततः प्रश्नकर्ता ने जवाब देते हुए बताया कि वह वस्तु "पानी" है।
कथा व्यास ने बताया कि ईश्वर का अस्तित्व भी इस संसार में उसी तरह से है, जिसके बिना दुनियां में एक पत्ता भी नहीं हिलता है, किंतु वह साक्षात नजर नहीं आता।उन्होंने बताया कि भगवान ने संसार में हमें स्वतंत्र मानव जीवन दिया है,किंतु इस मानव शरीर से सत्कर्म या बुरे कर्म करना हमारी बुद्धि पर निर्भर करता है। अपने हृदय में निश्छल प्रेम, ईश्वर के प्रति समर्पण और भक्ति की भावनाएं जागृत रख कर मनुष्य सहजता से आत्मिक सुख और ईश्वर की अनुभूति को प्राप्त कर सकता है। कथा के दौरान श्री मिश्र ने भगवान विष्णु के 24 अवतारों का वर्णन करते हुए ध्रुव चरित्र सती प्रसंग, कपिल भगवान के अवतार की कथा का विस्तार सहित वर्णन किया।
उन्होंने कहा कि भगवान की शरण में जाते ही आवश्यकता पड़ने पर किसी न किसी रूप में हमें उनकी कृपा प्राप्त हो जाती है। उन्होंने कहा कि ईश्वर की भक्ति ही कल्याण का साधन है, जीवन में पुण्य जागृत होने पर ही भागवत कथा सुनने का अवसर मिलता है। किसी भी जीव को कष्ट पहुंचाना ही पाप है, कहा कि इस संसार में जो हम किसी और को देना चाहते हैं वही हमें भी प्राप्त होता है।
संगीतमय कथा में मुख्य यजमान श्रीमती उषा शुक्ला, रामअंजोर शुक्ल, श्रीमती मधु शुक्ला, सत्यप्रकाश शुक्ला, निखिल, जयप्रकाश शुक्ल, सात्विक, नितिन शुक्ल, अथर्व, राजन शुक्ला सहित श्रद्धालु श्रोताओं की भारी भीड़ रही।
Jun 10 2025, 18:46
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