/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1696693555832113.png StreetBuzz जमीन मुआवजा घोटाला में तत्कालीन SDM निलंबित, राज्य सरकार ने जारी किया गया आदेश Raipur
जमीन मुआवजा घोटाला में तत्कालीन SDM निलंबित, राज्य सरकार ने जारी किया गया आदेश

रायपुर- बिलासपुर जिले में बहुचर्चित अरपा-भैंसाझार-चकरभाठा में भू-अर्जन में किये गये अनियमितता पर सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। कोटा के तत्कालीन एसडीएम रहे और वर्तमान में वरिष्ठ क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी आनंदरूप को सरकार ने सस्पेंड कर दिया है। गौरतलब है कि बिलासपुर जिला में अरपा भैंसाझार परियोजना में एक ही खसरे का अलग-अलग रकबा दिखाकर मुआवजा बांटने में 3 करोड़ 42 लाख 17 हजार 920 रुपये की अनियमितता सामने आयी थी। पहले जांच में कोटा के तत्कालीन एसडीएम आनंद रूप तिवारी, कीर्तिमान सिंह राठौर समेत अन्य अफसरों को दोषी पाया गया था।

इस जांच रिपोर्ट में एसडीएम आनंदरूप का नाम सामने आने के बाद भी उन्हे बिलासपुर आरटीओं की जवाबदारी दे दी गयी थी। इस पूरे मामले में सरकार ने अब एक्शन लेते हुए तत्कालीन एसडीएम आनंदरूप को सस्पेंड कर दिया है। आदेश में सरकार ने स्पष्ट किया है कि रपा-भैंसाझार-चकरभाठा में भू-अर्जन में नहर निर्माण के लिए किये गये भू अर्जन में अनियमितता के कारण सरकार को आर्थिक नुकसान हुआ है। इस गंभीर आर्थिक अनियमितता में लिप्त अफसर आनंदरूप को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश जारी किया गया है

लकड़ी तस्करों का आतंक, डिप्टी रेंजर पर कुल्हाड़ी से किया जानलेवा हमला, अस्पताल में इलाज जारी

बिलासपुर- छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से डिप्टी रेंजर पर जानलेवा हमले का मामला सामने आया है। कोटा के जंगल में लकड़ी तस्करों ने सर्चिंग के दौरान डिप्टी रेंजर अरविंद बंजारे पर कुल्हाड़ी से हमला कर दिया। हमले में डिप्टी रेंजर गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।

जानकारी के अनुसार, वन विभाग की टीम सर्चिंग अभियान पर थी, तभी लकड़ी तस्करों ने वनकर्मियों को देख लिया और दौड़ा-दौड़ाकर हमला करने लगे। अपनी जान बचाने के लिए अन्य वनकर्मी किसी तरह भाग निकले, लेकिन डिप्टी रेंजर अरविंद बंजारे पर तस्करों ने कुल्हाड़ी से वार कर उन्हें लहूलुहान कर दिया।

घटना के बाद डिप्टी रेंजर को पहले कोटा अस्पताल लाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें बिलासपुर रेफर कर दिया गया। उनकी हालत फिलहाल स्थिर बताई जा रही है।

घटना के बाद पुलिस और वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। कार्रवाई करते हुए 17 सागौन के लट्ठे, एक ट्रैक्टर और एक पिकअप वाहन जब्त किया गया है। वहीं, पुलिस ने आरोपियों की पहचान कर ली है और उनकी तलाश शुरू कर दी गई है।

लापता युवक की जंगल में मिली सड़ी-गली लाश, इलाके में फैली सनसनी, जांच में जुटी पुलिस

सरगुजा- जिले के मैनपाट के घने जंगलों में एक युवक की सड़ी-गली लाश मिलने से सनसनी फैल गई है। मृतक की पहचान सूरज उर्फ बबलू यादव के रूप में हुई है, जो बीते तीन दिनों से लापता था। दुर्गंध फैलने पर जब ग्रामीणों ने जंगल में जाकर देखा, तो वहां युवक का शव पड़ा मिला। मामले की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और जांच में जुट गई है। प्रथम दृष्टया हत्या की आशंका जताई जा रही है।

जानकारी के अनुसार, सूरज यादव ग्राम बरडांड (चोरकीपानी) का रहने वाला था। वह 31 मई की दोपहर करीब 3 बजे घर से निकला था, जिसके बाद वापस नहीं लौटा। परिजनों ने उसे आसपास के इलाकों में तलाशा लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। तीन दिन बाद सोमवार को ग्रामीणों को जंगल से तेज दुर्गंध आई। जब उन्होंने मौके पर जाकर देखा तो एक शव सड़ी-गली अवस्था में पड़ा था।

घटनास्थल पर पहुंची सीतापुर पुलिस ने पंचनामा कार्रवाई कर शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और जांच में जुटी हुई है। प्रथम दृष्टया मामला संदिग्ध प्रतीत हो रहा है। युवक की मौत कैसे हुई, उसे ध्यान में रखते हुए पुलिस हर पहलू पर जांच कर रही है।

घर में घुसकर अधेड़ की गला रेतकर हत्या, इलाके में दहशत का माहौल

कवर्धा- छत्तीसगढ़ के कवर्धा से हत्या की सनसनीखेज वारदात सामने आई है. जहां दिनदहाड़े घर में घुसकर अधेड़ व्यक्ति का गला रेतकर मर्डर कर दिया गया. इस वारदात के बाद से इलाके में दहशत का माहौल है. मृतक की पहचान रामगुलाल धुर्वे (उम्र 40 वर्ष) के रूप में हुई है. मामला पांडातराई थाना क्षेत्र के महली गांव का है.

जानकारी के मुताबिक, घटना उस समय हुई जब रामगुलाल अपने घर में अकेले था. इस दौरान आरोपी ने घर के आंगन में हत्या की वारदात को अंजाम दिया. परिजनों और ग्रामीणों ने रामगुलाल के शव को खून से सना हुआ देखा तो तत्काल पुलिस को इसकी सूचना दी.

पुलिस मौके पर पहुंचकर शव को पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा दिया. फिलहाल हत्या के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है. पुलिस लगातार जांच में जुटी है.

दो दिनों में दो हत्याएं

बता दें कि इससे एक दिन पहले पोड़ी क्षेत्र के प्रभाटोला गांव में एक बुजुर्ग की भी हत्या कर दी गई थी. लगातार दो दिनों में हुई हत्या की इन घटनाओं से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है और जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

गोधन न्याय योजना और मनरेगा में भ्रष्टाचार का आरोप: आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे ग्रामीण

पिथौरा- ग्राम पंचायत लाखागढ़ में गोधन न्याय योजना, गौठान निर्माण और मनरेगा के तहत हुए कार्यों में भारी वित्तीय अनियमितताओं को लेकर लंबे समय से चल रहा विवाद अब आंदोलन का रूप ले चुका है। सोमवार को पोमल कोसरिया के नेतृत्व में ग्रामीणों ने पिथौरा तहसील परिसर में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी।

ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत के सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक ने योजनाओं के नाम पर हजारों रुपये का भ्रष्टाचार किया है। पोमल कोसरिया का कहना है कि बिना कार्य कराए ही राशि का भुगतान कर दिया गया। उन्होंने बताया कि पहले शिकायत पर जांच हुई थी और आरोप भी सिद्ध हुए, फिर भी किसी भी जिम्मेदार अधिकारी या जनप्रतिनिधि पर न तो एफआईआर दर्ज हुई और न ही कोई प्रशासनिक कार्रवाई की गई।

बिना अनुमति आंदोलन, पुलिस ने लिया हिरासत में

भूख हड़ताल शुरू होने के कुछ घंटों के भीतर ही पिथौरा पुलिस ने तहसीलदार के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए पोमल कोसरिया, तारेन्स कोसरिया, उर्मिला कोसरिया, पुनिया बाई कोसरिया और गीता बंजारे को हिरासत में ले लिया। पुलिस का कहना है कि आंदोलन की पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी और यह सरकारी स्थल पर आयोजित किया जा रहा था।

पिथौरा थाना प्रभारी एसआई दिलीप ठाकुर ने बताया कि तहसील परिसर में बिना अनुमति प्रदर्शन करना नियम विरुद्ध है, इसलिए आंदोलनकारियों को हटाया गया। वहीं, एसडीएम ओंकारेश्वर सिंह ने स्पष्ट किया कि क्षेत्र में आंदोलन के लिए कोई अधिकृत स्थल निर्धारित नहीं है, इसलिए अनुमति देना संभव नहीं था।

थाने में भी जारी रहा विरोध, प्रशासन पर भेदभाव के आरोप

हिरासत में लिए गए ग्रामीणों ने थाने में ही भूख हड़ताल जारी रखी और स्पष्ट किया कि जब तक जिम्मेदारों पर एफआईआर दर्ज कर कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती, वे पीछे नहीं हटेंगे। कुछ घंटों बाद पुलिस ने सभी आंदोलनकारियों को छोड़ दिया।

प्रशासन ने दी सफाई, ग्रामीणों ने बताया ‘मनमानी जांच’

जनपद पंचायत पिथौरा के सीईओ चंद्रप्रकाश मनहर ने कहा कि मामले की दोबारा जांच कराई गई थी, जिसमें पूर्व में अधूरे रहे कार्यों को बाद में पूर्ण पाया गया है, इसलिए अब कोई कार्रवाई जरूरी नहीं समझी गई।

वहीं आंदोलन का नेतृत्व कर रहे पोमल कोसरिया ने आरोप लगाया कि जिला पंचायत द्वारा पूर्व में की गई जांच में दोष साबित होने के बाद भी, जनपद स्तर पर तीसरी बार मनमानी तरीके से जांच कराकर जिम्मेदारों को बचाने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि योजना बंद होने के बाद भी गोबर खरीदी कर गौठान में डंप करना नियमविरुद्ध है, जिसे जिला पंचायत महासमुंद ने भी गंभीरता से लिया था, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

सरपंच ने बताया आरोपों को निराधार

पंचायत के सरपंच प्रियरंजन कोसरिया ने सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि सभी कार्यों का मूल्यांकन एसडीओ आरईएस द्वारा कराया गया था और उन्हें पूर्ण पाया गया। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक त्रुटियां कार्य पूर्ण होने के साथ ही स्वतः समाप्त मानी जाती हैं। उन्होंने साफ कहा, “मेरे द्वारा कोई भ्रष्टाचार नहीं किया गया है।”

NSUI ने निकाली ‘भ्रष्टाचार’ की बारात, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में करोड़ों के घोटाले का आरोप

रायपुर- इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में बायोटेक इनक्यूबेशन सेंटर के निर्माण में करोड़ों रुपये के कथित घोटाले का एनएसयूआई ने भंडाफोड़ किया है। इस भ्रष्टाचार के विरोध में NSUI ने “भ्रष्टाचार की बारात” निकालकर अनोखे अंदाज में प्रदर्शन किया।

ढोल-नगाड़ों की थाप पर एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने नाचते हुए आधे किलोमीटर लंबी सांकेतिक बारात निकाली। बारात में कुलपति का मुखौटा पहनकर एक व्यक्ति को घोड़े पर बैठाया गया था, दूल्हे की तरह सजाया गया था। नकली नोटों से भरा सूटकेस “दहेज” में दिया गया। इस बारात में एक व्यक्ति ने कृषि मंत्री रामविचार नेताम का मुखौटा पहनकर हिस्सा लिया और कुलपति की “भ्रष्टाचार की बहू” से प्रतीकात्मक शादी कराई।

एनएसयूआई का आरोप है कि बिना लोक निर्माण विभाग (PWD) की निगरानी के बायोटेक इनक्यूबेशन सेंटर का निर्माण कराया गया और नॉन-एसओआर दरों पर मनमाना भुगतान किया गया। निर्माण कार्य अब भी अधूरा है, फिर भी करोड़ों रुपये का भुगतान पहले ही किया जा चुका है। विश्वविद्यालय की खरीदी में 30–40% तक कमीशन लिया गया।

दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई की मांग

प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे एनएसयूआई प्रदेश प्रभारी महामंत्री हेमंत पाल ने कहा, ये बारात नहीं, ये भ्रष्टाचार के खिलाफ जनजागरूकता की घंटी है। छात्र अब चुप नहीं बैठेंगे। कुलपति और उनके संरक्षणदाताओं की जवाबदेही तय होनी चाहिए। एनएसयूआई की मुख्य मांग है कि कुलपति को तत्काल बर्खास्त किया जाए। पूरी परियोजना की निष्पक्ष उच्चस्तरीय जांच हो, दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। NSUI ने चेतावनी दी है कि यदि मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो पूरे प्रदेश में उग्र आंदोलन छेड़ा जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी राज्य शासन और विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।

रेरा का बड़ा फैसला: प्रमोटर को 28 लाख रुपये ब्याज सहित लौटाने का आदेश, आवंटी को मिली राहत

रायपुर- छत्तीसगढ़ रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) ने रियल एस्टेट क्षेत्र में उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक अहम फैसला सुनाया है। रेरा ने आशीर्वाद अपार्टमेंट परियोजना (कोहका, जिला दुर्ग) से जुड़े एक मामले में प्रमोटर को निर्देश दिया है कि वह आवंटी को 28.71 लाख रुपये की राशि ब्याज सहित तत्काल लौटाए।

यह मामला उस समय प्रकाश में आया जब यह पाया गया कि आवंटी और प्रमोटर के बीच अनुबंध होने के दो साल बाद भी फ्लैट का पजेशन नहीं दिया गया। निर्माण कार्य लंबे समय तक अधूरा रहा, जिससे आवंटी को मानसिक, सामाजिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा।

रेरा के आदेशानुसार, प्रमोटर द्वारा मूलधन 23 लाख 71 हजार रुपये और उस पर 5 लाख रुपये ब्याज सहित कुल 28 लाख 71 हजार रुपये की राशि लौटाई जाएगी। प्राधिकरण ने स्पष्ट किया कि प्रमोटर की लापरवाही ने उपभोक्ता का विश्वास तोड़ा है और साथ ही रेरा कानून का उल्लंघन किया है ।

रेरा रजिस्ट्रार ने इस संदर्भ में कहा कि रेरा का उद्देश्य है कि प्रत्येक होमबायर को समय पर उसका अधिकार मिले। यह आदेश उसी दिशा में एक मजबूत संदेश है कि कोई भी प्रमोटर उपभोक्ता के साथ धोखाधड़ी या देरी नहीं कर सकता।

रेरा के इस निर्णय से न केवल पीड़ित उपभोक्ता को राहत मिली है, बल्कि यह अन्य खरीदारों के लिए भी एक सकारात्मक संदेश बनेगा। रेरा ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे सजग रहें और समय पर अपने अधिकारों की रक्षा के लिए इस मंच पर शिकायत दर्ज करें।

बर्खास्त प्रो. शाहिद अली और संजय द्विवेदी को क्लीन चिट देने का प्रयास, शिकायत मिलने पर राष्ट्रपति सचिवालय ने मुख्य सचिव के पास भेजा मामला

रायपुर-  सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सेवाएं समाप्त किए गए कर्मचारी को बैक डोर लाने के प्रयास का विरोध शुरू हो गया है. यह मामला कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय रायपुर का है, जहां बर्खास्त प्रो. शाहिद अली और संजय द्विवेदी को क्लीन चिट देने के लिए उठाए जाने वाले कदम पर सवाल उठ रहे हैं. चंडीगढ़ के डॉ. आशुतोष मिश्रा की शिकायत पर राष्ट्रपति सचिवालय ने मामले को मुख्य सचिव के पास भेजा है.

बता दें कि क्लर्क रैंक के विश्विद्यालय कर्मचारी आकाश चंद्रवंशी ने बर्खास्त प्रो. शाहिद अली और संजय द्विवेदी के मामले में फिर से विचार करने रजिस्ट्रार को पत्र लिखा था. इस पर चंडीगढ़ के डॉ. आशुतोष मिश्रा ने आपत्ति जताई है और 29 मई 2025 को पत्र लिख कर इसे उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों के नोटिस में लाया है. उनके पत्र का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रपति सचिवालय ने उसी दिन मुख्य सचिव को मामला ईमेल के जरिए जांच के लिए भेजा है.

एक के पत्र के आधार पर इस मामले को 20 मई 2025 को विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद की बैठक में लाया गया था. डॉ. आशुतोष मिश्रा ने अधिकारियों से आग्रह किया है कि आकाश चंद्रवंशी के इस कदम, भाषा, प्रस्ताव और पत्र की जांच की जाए. उन्होंने कहा कि शाहिद अली का मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट में तय हो चुका है. सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय पर कानूनी राय लेने के बाद विश्वविद्यालय ने उन्हें बर्खास्त कर दिया. इस कार्यवाही को पहले ही कार्यकारिणी परिषद द्वारा अनुमोदित किया जा चुका है. फिर इसे पिछले दरवाजे से कैसे और क्यों आगे बढ़ाया जा रहा है.

17 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिसंबर में शाहिद अली की सेवाएं रीडर / एसोसिएट प्रोफेसर के पद से समाप्त कर दी गई थीं. क्लर्क रैंक के विश्विद्यालय के कर्मचारी आकाश चंद्रवंशी ने 1 अप्रैल 2025 को रजिस्ट्रार को पत्र भेज कर इस मामले में फिर से विचार करने का आग्रह किया था. इस मामले को 20 मई 2025 को विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद की बैठक में लाया गया था. एजेंडा को ‘किसी भी अन्य आइटम श्रेणी’ के रूप में रखा गया और बिंदु 16 के तहत पारित किया गया कि इस पर कानूनी राय ली जानी चाहिए, जबकि इस बारे में पहले ही उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद कानूनी राय ली जा चुकी है. इस पत्र के पीछे निहित परिप्रेक्ष्य का उल्लेख करते हुए ऐसी मंशा पर शिकायत की गई है.

आकाश चंद्रवंशी द्वारा रजिस्ट्रार को लिए गए पत्र पर चंडीगढ़ के डॉ. आशुतोष मिश्रा ने आपत्ति जताई है और 29 मई 2025 को पत्र लिख कर इसे उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों के नोटिस में लाया है. उनके पत्र का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रपति सचिवालय ने उसी दिन मुख्य सचिव को मामला ईमेल के जरिए जांच के लिए भेजा है.

आकाश चंद्रवंशी ने अपने पत्र में एक और मुद्दा संजय द्विवेदी का भी लिखा है कि उसे भी एग्जीक्यूट काउंसिल पर विचार करने के लिए लाया जाए. डॉक्टर मिश्रा ने बताया कि इसके बारे में पहले ही कार्यकारी परिषद की बैठक में आदेश हो चुका है कि 2005 में संजय द्विवेदी की विश्वविद्यालय में नियुक्ति और सर्टिफिकेट्स के आधार पर उन पर कानूनी कार्यवाही की जाए और शाहिद अली पर केस भी चलाया जाए तो अब कैसे, क्यों और किस आधार पर विश्विद्यालय पीछे हटने का प्रयास कर रहा है.

डॉ आशुतोष मिश्रा ने अपनी शिकायत में लिखा है कि शाहिद अली और संजय द्विवेदी दोनों ने अनुभव प्रमाण पत्र का इस्तेमाल नौकरी पाने के लिए 2005 में किया था, जो कि गोपा बागची ( शाहिद अली की पत्नी) द्वारा गुरु घासीदास विश्विद्यालय से जारी किया गया था. रीडर/एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में उन दोनों की नियुक्ति को बिलासपुर उच्च न्यायालय में चुनौती भी दी गई तथा इस केस पर अंतिम निर्णय से पूर्व ही संजय द्विवेदी ने कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय में कार्य करने के 6 माह के भीतर पद छोड़ दिया था.

डॉ. आशुतोष मिश्रा ने अधिकारियों से आग्रह किया है कि आकाश चंद्रवंशी के इस कदम, भाषा, प्रस्ताव और पत्र की जांच की जाए, क्योंकि शाहिद अली का मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट में तय हो चुका है. सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय पर कानूनी राय लेने के बाद विश्वविद्यालय ने उन्हें बर्खास्त कर दिया है. इस कार्यवाही को पहले ही कार्यकारिणी परिषद द्वारा अनुमोदित किया जा चुका है, फिर इसे पिछले दरवाजे से कैसे और क्यों आगे बढ़ाया जा रहा है और कार्यकारिणी परिषद के अन्य सभी सदस्यों को अंधेरे में रखा जा रहा है.

कर चोरी करने वाले व्यवसायियों के विरूद्ध स्टेट जीएसटी की बड़ी कार्यवाही

रायपुर- मेसर्स अरिहंत स्टील नारायणपुर जिला नारायणपुर के व्यवसाय स्थल पर स्टेट जीएसटी विभाग जगदलपुर द्वारा 31 मई को जांच की कार्यवाही की गई है। जब मौके पर जांच टीम पहुंची तो, देखा कि उनके व्यवसाय स्थल पर व्यवसाय से संबंधित कोई भी लेखा पुस्तक या सॉफ्टवेयर जैसे कि टैली का संधारण नहीं पाया गया, जबकि जीएसटी के प्रावधानों के अनुरूप व्यवसाय स्थल पर समस्त लेखा पुस्तकें रखा जाना अनिवार्य है। व्यवसायी ने बताया कि समस्त बिल, कर सलाहकार द्वारा जारी किया जाता है। इस कारण कर अपवंचन की संभावना और भी प्रबल हो गई। आगे जांच में पाया गया कि वर्ष 2021-22 से वर्ष 2024-25 तक कुल टर्न ओव्हर लगभग 16 करोड़ रुपये से अधिक किन्तु उस पर कर का नगद भुगतान मात्र 43 हजार रुपये का वर्तमान अवधि तक किया गया है।

साथ ही साथ जब ई-वे बिल की जांच की गई तो पता चला कि वर्ष 2021-22 से वर्ष 2024-25 तक माल की खरीदी 8.21 करोड़ रुपये की गई किंतु माल की सप्लाई के लिए कोई ई-वे बिल जारी नही किया गया। जिससे यह पता चलता है कि माल का विक्रय आम उपभोक्ता को किया गया है किन्तु बिल को अन्य व्यवसायियों को बेचकर बोगस इनपुट टैक्स का लाभ दिया गया है, जिससे कि केन्द्र सरकार के साथ राज्य सरकार को कर राजस्व की अत्यधिक हानि हुई है। जांच के दौरान व्यवसायी के द्वारा अपनी गलती / त्रुटि स्वीकार करते हुए स्वैच्छिक रूप से 10 लाख रुपये का कर भुगतान करने की मंशा जाहिर की, किंतु जीएसटी विभाग के अधिकारियों ने व्यवसाय स्थल पर उपलब्ध स्टॉक की मात्रा (अनुमानित कीमत 90 लाख रुपये ) के समर्थन में व्यवसायी से लेखा पुस्तकें एवं अन्य दस्तावेज प्रस्तुत करने की मांग की। व्यवसायी की ओर से कोई भी जानकारी एवं दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया। व्यवसायी द्वारा अपने परिचित कुछ मीडियाकर्मियों एवं व्यवसायियों को एकत्रित कर जांच टीम पर दबाव डालने का प्रयास किया गया। व्यवसायी के असहयोगात्मक रवैये एवं कर अपवंचन की विस्तृत जांच हेतु स्थानीय पुलिस की उपस्थिति में आगामी कार्यवाही तक व्यवसाय स्थल सील बंद किया गया है।

युक्तियुक्तकरण : BEO ने पद का किया दुरुपयोग, हिंदी टीचर पत्नी को बताया गणित का टीचर, आयुक्त द्वारा किया गया सस्पेंड

दुर्ग-  युक्तियुक्तकरण में लापरवाही को लेकर आज दो बड़ी कार्रवाई हुई है। एक ओर जहां बालोद में जिला शिक्षा अधिकारी को युक्तियुक्तकरण से अलग कर दिया गया, तो वहीं एक BEO को सस्पेंड कर दिया गया। दुर्ग जिले के विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी (BEO) गोविंद साव को शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में कर्तव्य में गंभीर लापरवाही और कदाचार का दोषी पाए जाने पर तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। आरोप है कि साव ने अपनी पत्नी को अतिशेष घोषित होने से बचाने के लिए दस्तावेजों में हेरफेर कर जानकारी में कुटरचना की। दुर्ग संभाग के आयुक्त सत्यनारायण राठौर ने कलेक्टर दुर्ग के प्रतिवेदन के आधार पर यह कार्रवाई की है।

दुर्ग जिले के विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी गोविंद साव पर पद का दुरुपयोग कर पत्नी को लाभ पहुंचाने का आरोप सिद्ध होने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। निलंबन की यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकृत, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 9 (1)(क) के तहत की गई है।

निलंबन आदेश के अनुसार, निलंबन अवधि में साव का मुख्यालय कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग रहेगा और उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता प्रदान किया जाएगा। साव पर आरोप है कि उन्होंने युक्तियुक्तकरण के अंतर्गत परिशिष्ट-02 में अपनी पत्नी कुमुदनी साव को “उच्च वर्ग शिक्षक (हिंदी)” के बजाय “उच्च वर्ग शिक्षक (गणित)” के रूप में दर्ज किया। यह बदलाव जानबूझकर इसलिए किया गया ताकि गणित विषय की आवश्यकता बताकर उनकी पत्नी को अतिशेष शिक्षकों की सूची से बाहर रखा जा सके।

इस प्रकार की कुटरचना एक जिम्मेदार अधिकारी के पद पर रहते हुए न केवल प्रशासनिक प्रक्रिया का उल्लंघन है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम 03 के भी प्रतिकूल है, जो अधिकारियों से निष्पक्षता, ईमानदारी और पारदर्शिता की अपेक्षा करता है।कलेक्टर दुर्ग द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन में इस विषय को गंभीरता से उठाया गया था। इसके आधार पर संभागीय आयुक्त ने तुरंत संज्ञान लेते हुए साव को निलंबित किया और उनके विरुद्ध विभागीय जांच की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी गई है।