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*ऑपरेशन सिंदूर पर ट्रंप का रिएक्शन, बोले- उम्मीद है सब जल्दी खत्म होगा*
पहलगाम आतंकी हमले में 26 मासूमों की मौत के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा था। भारत ने पाकिस्तान पर एक के बाद एक कड़े प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए। पाकिस्तान ने भी कई बड़े कदम उठाए थे। साथ ही पड़ोसी देश से लगातार सीजफायर का उल्लंधन किया जा रहा था। इस बीच बुधवार देर रात भारतीय सेना ने पाकिस्तान में घुसकर इस हमले का बदला ले लिया। पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर भारतीय एयरस्ट्राइक पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का बयान आया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका को पहले से कुछ होने की आशंका थी और उन्हें उम्मीद है कि यह बहुत जल्दी खत्म हो जाएगा।


*पता था कि भारत जरूर कुछ करेगा-ट्रंप*
भारतीय एयरस्ट्राइक पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि पुराने अनुभवों के आधार पर उन्हें पता था कि भारत जरूर कुछ करेगा। ट्रंप ने आगे कहा कि मैंने इसके बारे में तब सुना जब मैं ओवल के दरवाजे से अंदर जा रहा था। मुझे लगता है कि लोगों को अतीत के कुछ अंशों के आधार पर पता था कि कुछ होने वाला है। वे लंबे समय से लड़ रहे हैं। अगर आप इसके बारे में सोचें तो वे कई दशकों और सदियों से लड़ रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि यह बहुत जल्दी खत्म हो जाएगा।



*संयुक्त राष्ट्र की संयम बरतने की अपील*
जहां एक तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस तनाव के जल्दी खत्म होने की उम्मीद जताई है। वहीं दूसरी ओर सयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भारत और पाकिस्तान से सैन्य संयम बरतने का आह्वान किया है। एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि दुनिया दोनों देशों के बीच सैन्य टकराव बर्दाश्त नहीं कर सकती।महासचिव गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि महासचिव नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारतीय सैन्य अभियानों को लेकर बहुत चिंतित हैं। वह दोनों देशों से अधिकतम सैन्य संयम बरतने का आह्वान करते हैं। दुनिया भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य टकराव बर्दाश्त नहीं कर सकती।


*भारत ने केवल आतंकी ढांचों को निशाना बनाया* बता दें कि 22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की जान पाकिस्तान से आए आतंकियों ने ले ली थी। घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया था कि भारत इसका जवाब देगा। और ठीक हुआ। पाकिस्तान के भाड़े के आतंकियों ने भारतीय महिलाओं के मस्तक से 15 दिन पहले जो सिंदूर उजाड़े थे, भारत ने उसका प्रतिशोध ले लिया है। भारतीय सशस्त्र बलों ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके के अंदर मिसाइलों से हमला किया। हमले सुनियोजित थे। कुल नौ ठिकानों को निशाना बनाया गया। इसमें यह ध्यान रखा गया कि पाकिस्तान का कोई सैन्य ठिकाना इसकी जद में न आए। भारत ने इस मामले में संयम बरता और सिर्फ आतंकी ढांचों को निशाना बनाया।
*भारत की एयर स्ट्राइक से बौखलाया पाकिस्तान, पीएम शहबाज ने दी गीदड़भभकी, बोले- 'हम इसका जवाब देंगे'*
भारतीय सेना ने बुधवार को पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए पाकिस्तान के भीतर नौ स्थानों पर हमला किया है। बुधवार तड़के भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया। भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकियों के नौ ठिकानों पर हमले किए। सेना ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी ढांचे को निशाना बनाया गया, जहां से भारत के खिलाफ आतंकवादी हमलों की योजना बनाई गई और निर्देशित किया गया। इस बीच पाकिस्तान ने भी भारतीय स्ट्राइक की बात कबूल कर ली है।

*शहबाज बोले- युद्ध वाला कदम*
पड़ोसी मुल्क के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने खुद यह बात कबूल की है। भारत की एयरस्ट्राइक पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का बयान सामने आया है। शहबाज ने न सिर्फ भारतीय स्ट्राइक की पुष्टि की, बल्कि इसे युद्ध वाला कदम करार दिया। शहबाज ने लिखा, पाकिस्तान के डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में पांच स्थानों पर हमले किए गए हैं। पाकिस्तान को इस युद्ध के कृत्य का जोरदार तरीके से जवाब देने का पूरा अधिकार है। इसका जवाब दिया जा रहा है। पूरा देश पाकिस्तानी सशस्त्र बलों के साथ खड़ा है। पूरे पाकिस्तानी राष्ट्र का मनोबल और भावना उच्च है। पाकिस्तानी राष्ट्र और पाकिस्तानी सशस्त्र बल जानते हैं कि इससे कैसे निपटना है। हम उनके इरादों में कभी सफल नहीं होने देंगे।



*पाकिस्तानी सेना ने क्या कहा?*
इससे पहले इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने भी भारत के स्ट्राइक की बात कबूली। जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने कहा कि भारत द्वारा दागी गई मिसाइलों ने पीओके के कोटली और मुजफ्फराबाद और पंजाब प्रांत के बहावलपुर को निशाना बनाया। चौधरी ने कहा कि मिसाइल हमलों में तीन पाकिस्तानी मारे गए और 12 घायल हो गए। जनरल अहमद शरीफ चौधरी के अनुसार, इस हमले में एक बच्चे की मौत हो गई, जबकि एक पुरुष और एक महिला गंभीर रूप से घायल हो गए. देर रात प्रेस वार्ता के दौरान, डीजी आईएसपीआर ने कहा, "अब से कुछ समय पहले भारत ने बहवलपुर के अहमद ईस्ट इलाके में सुभानउल्लाह मस्जिद, कोटली और मुजफ्फराबाद में तीन जगहों पर हवाई हमले किए।


*क्या बोला पाकिस्तान का विदेश विभाग*
हमले के तुरंत बाद पाकिस्तान की बौखलाहट साफ-साफ देखने को मिली है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने दुनिया के सामने इस हमले की निंदा की है। विदेश विभाग ने कहा, पाकिस्तान अकारण और जबरदस्त आक्रामकता की कड़ी निंदा करता है। उसने यह भी दावा किया कि भारतीय वायु सेना के जेट पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र में घुसे जो पाकिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन है।


*15 दिन बाद भारत ने अपना बदला*
पहलगाम आतंकी हमले के 15 दिन बाद भारत ने अपना बदला लिया है। भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जहां से भारत के खिलाफ साजिश रची जा रही थी। पाकिस्तान लगातार कह रहा था कि भारत हमला कर सकता है और आखिरकार भारत ने पाकिस्तान के अंदर घुस कर मारा है। जानकारी के मुताबिक, भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर स्ट्राइक की। भारतीय सशस्त्र बलों इस ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया है।
*भारत ने पाकिस्तान पर की एयर स्ट्राइक, 9 आतंकी ठिकानों को किया तबाह*
भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में एयरस्ट्राइक की है। एक साथ 9 ठिकानों पर हमला किया गया है। भारत आज यानी कि 7 मई को पूरे देश में मॉक ड्रिल कराने वाला था, इससे ठीक पहले भी पाकिस्तान के कई ठिकानों पर हमला कर दिया है। पहलगाम आतंकी हमले के 15 दिन बाद भारत ने अपना बदला ले लिया। भारतीय सशस्त्र बलों इस ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया है।


*भारतीय सेना ने अपने एक्स हैंडल*
स्ट्राइक की जानकारी भारतीय सेना ने अपने एक्स हैंडल पर दी। कुछ समय बाद, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया- भारत माता की जय! बुधवार शाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर डिटेल प्रेस ब्रीफिंग की जाएगी। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि भारतीय बलों ने उन आतंकवादी ढांचे को निशाना बनाया है, जहां से भारत के खिलाफ आतंकवादी हमलों की योजना बनाई गई और निर्देशित किया गया था। कुल मिलाकर नौ जगहों को निशाना बनाया गया है। हमारी कार्रवाई केंद्रित, पहले से तय और प्रकृति में गैर-उग्र रही है। किसी भी पाकिस्तानी सैन्य सुविधा को निशाना नहीं बनाया गया है। मंत्रालय ने कहा कि भारत ने टारगेट के चयन और हमले के तरीके में काफी संयम दिखाया है। ये कदम पहलगाम में हुए बर्बर आतंकवादी हमले के मद्देनजर उठाए गए हैं, जिसमें 25 भारतीयों और एक नेपाली नागरिक की हत्या कर दी गई थी। हम इस प्रतिबद्धता पर खरे उतर रहे हैं कि इस हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाएगा। मंत्रालय ने कहा कि जल्द ही ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विस्तृत जानकारी दी जाएगी।


*पाकिस्तान और पीओके पर हमला*
इस बीच समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में कई ठिकानों पर हमले भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना ने संयुक्त अभियान चलाकर किया। सेनाओं ने सटीक हमला करने वाले हथियारों का इस्तेमाल करके दहशतगर्दों को मिट्टी में मिलाने का काम किया। सेना ने भारतीय जमीन से ही दहशतगर्दों को सबक सिखाने का काम किया है।


*जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के ठिकानों* एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि भारतीय सेना ने भारत में आतंकवादी गतिविधियों को प्रायोजित करने में उनकी भूमिका के लिए जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर के शीर्ष नेतृत्व को निशाना बनाने के इरादे से हमलों के लिए स्थान का चयन किया था। हमलों में भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की तीनों सेनाओं की सटीक हमला करने वाली हथियार प्रणालियों का इस्तेमाल किया गया, जिसमें लोइटरिंग हथियार भी शामिल थे। पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी शिविरों पर हमलों के निर्देशांक खुफिया एजेंसियों द्वारा मुहैया कराए गए थे। हमले भारतीय धरती से ही किए गए।


*पाकिस्तान ने बॉर्डर पर फिर सीजफायर*
भारतीय सेना की स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान में अफतराफरी का माहौल है। सोशल मीडिया पर लोकल्स के हवाले से कई वीडियो सामने आए हैं। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से घबराए पाकिस्तान ने बौखलाहट में बॉर्डर पर फिर सीजफायर तोड़ा। पुंछ-राजौरी इलाके में भीमबेर गली में आर्टिलरी फायरिंग की खबर है। भारतीय सेना मुंहतोड़ मगर संतुलित जवाब दे रही है।
*चीन पर इतना सितम क्यों? दूसरों को राहत देकर ट्रंप ने ड्रैगन पर चलाया 125% टैरिफ का डंडा*
डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ वॉर से दुनिया में हाहाकार मचा दिया है। ट्रंप अपनी टैरिफ वाली छड़ी कभी दाएं घुमा रहे हैं कभी बाएं। जिस टैरिफ का एलान कर ट्रंप ने 2 अप्रैल 2025 को अमेरिका के लिए मुक्ति का दिन बताया था, 9 अप्रैल को उसी टैरिफ के एलान को 90 दिन के लिए टाल दिया गया। यानी आने वाले 90 दिनों तक दुनियाभर के देशों ने राहत की सांस ली है। हालांकि, इस सूची में चीन का नाम नहीं है। जी हां, दुनिया के बाकी देशों को टैरिफ से राहत देते हुए ट्रंप ने चीन पर 125% टैरिफ लगाने का एलान कर दिया। ट्रंप ने टैरिफ से सबसे ज्यादा दर्द चीन को दिया है। बुधवार को वॉशिंगटन ने सभी चीनी वस्तुओं के आयात पर 125 प्रतिशत का टैरिफ लगाने की घोषणा की। चीन पर पहले ही 20% का टैरिफ लगा हुआ था। पिछले हफ़्ते ही राष्ट्रपति ट्रंप ने अतिरिक्त 34% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। यह 9 अप्रैल को लागू होना था लेकिन इसके चंद घंटे पहले ट्रंप ने इसमें 50% टैरिफ और बढ़ाने की घोषणा कर दी।चीन ने इसके जवाब में बुधवार को अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ को 50% बढ़ाते हुए 84% कर दिया। इसके बाद बुधवार को अचानक ट्रंप ने चीन पर टैरिफ को 125% करने का एलान कर दिया। इसी के साथ बड़ी घोषणा करते हुए अमेरिका ने बाकी देशों को 90 दिन की छूट देते हुए रेसिप्रोकल टैरिफ घटाकर एक समान 10 फ़ीसदी कर दिया।


ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर इसकी घोषणा की।ट्रंप ने कहा, चीन को 125 प्रतिशत टैरिफ का दंड भुगतना पड़ेगा, जबकि वॉशिंगटन ने बाकी 75 दिनों पर 90 दिनों की रोक लगा दी है, जिनके खिलाफ 2 अप्रैल को पारस्परिक टैरिफ लगाया गया था। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के खिलाफ टैरिफ का बढ़ाने का ऐलान करते हुए ट्रंप ने चीन के ऊपर दुनिया के बाजारों के प्रति सम्मान की कमी का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा, 'चीन ने दुनिया के बाजारों के प्रति सम्मान में जो कमी दिखाई है, उसके आधार पर मैं अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए गए टैरिफ को तत्काल प्रभाव से बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर रहा हूं।'


टैरिफ वापस लेने के फैसले से दुनिया के ज्यादातर देशों ने राहत की सांस ली, लेकिन ट्रंप ने साफ कर दिया कि चीन पर सितम जारी रहेगा। उस पर सिर्फ दबाव बढ़ेगा। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर चीन को राहत क्यों नहीं दी गई?


*चीन को राहत क्यों नहीं?*
ट्रंप लंबे समय से चीन को आर्थिक मोर्चे पर मुख्य खलनायक के रूप में देखते रहे हैं। उन्होंने बीजिंग पर सस्ते माल की डंपिंग करने, मुद्रा बाजार में हेरफेर करने और अमेरिकी बौद्धिक संपदा की चोरी करने का आरोप लगाया है। उन्होंने बार-बार यह भी दावा किया है कि चीनी नेता यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उनके साथ कैसे बातचीत की जाए? वाशिंगटन और बीजिंग के बीच बातचीत महीनों से बंद है। ट्रंप ने अपने बयानों में कहा है, "चीन एक सौदा करना चाहता है। लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि इसे कैसे करना है।" डोनाल्ड ट्रंप के सहयोगियों का कहना है कि 125% टैरिफ का उद्देश्य बीजिंग को बातचीत के लिए राजी करना है। लेकिन साथ ही इसका उद्देश्य अमेरिकी विनिर्माण को भी बचाना है। ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि वे "दुनिया को कबाड़ (चीनी सामानों) से भर जाने" से बचाना चाहते हैं। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट के अनुसार चीन 'आक्रामक हो रहा है' जबकि बाकी दुनिया 'हमारे करीब आ रही है।'


*अलग-थलग पड़ेगा चीन*
डोनाल्ड ट्रंप ने बीजिंग को जिस तरह से निशाना बनाया है और बाकी दुनिया को राहत दी है, इसने साफ संकेत दिया है कि अमेरिका एक ही मुख्य विरोधी है और वो है चीन। ट्रंप का प्रयास अमेरिका और बाकी देशों के बीच के 'व्यापारिक टकराव ' को कम करते हुए केवल चीन पर ध्यान केंद्रित करने की ओर है। ट्रंप के इस ऐलान के बाद चीन दुनिया में अलग-थलग पड़ सकता है। खासतौर पर जब वह अमेरिका के खिलाफ लगातार जवाबी टैरिफ से हमला कर रहा है। बुधवार को ही चीन ने अमेरिकी आयात पर 84 फीसदी टैरिफ का ऐलान किया था।


*अमेरिकी और चीन का आपसी व्यापार कितना है?* चीन के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा, अमेरिकी अर्थव्यवस्था के एक प्रतिशत के करीब है। अमेरिका और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछले साल करीब 585 अरब डॉलर का रहा। इसमें अमेरिका ने चीन से 440 अरब डॉलर का आयात किया जबकि चीन ने अमेरिका से 145 अरब डॉलर का आयात किया। इसकी वजह से साल 2024 में अमेरिका का चीन के साथ 295 अरब डॉलर का व्यापार घाटा था। हालांकि यह कुल अमेरिकी अर्थव्यवस्था के 1% के बराबर है, लेकिन अमेरिकी अर्थव्यवस्था के आकार को देखते हुए यह अच्छा ख़ासा व्यापार घाटा है। लेकिन यह एक ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े से काफ़ी कम है, जिसका डोनाल्ड ट्रंप ने इस सप्ताह दावा किया था। जब ट्रंप पहली बार राष्ट्रपति बने थे तो उन्होंने चीन की वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगाया था। उनके बाद राष्ट्रपति बने जो बाइडन ने इन टैरिफ को बरकरार रखा। इन टैरिफ की वजह से चीन से अमेरिकी आयात में कमी आई और 2016 में जहां यह कुल अमेरिकी आयात का 21% था, पिछले साल यह गिरकर 13% हो गया। इसलिए व्यापार को लेकर चीन पर अमेरिकी निर्भरता पिछले एक दशक में कम हुई है।
*मोहनलाल की फिल्म बनी सियासी विवाद की वजह, कांग्रेस को बीजेपी-आरएसेस के खिलाफ मिला “हथियार”*
अभिनेता मोहनलाल की फिल्म एल2: एम्पुरान ने सियासी विवाद खड़ा कर दिया है। मोहनलाल और पृथ्वीराज सुकुमारन की फिल्म 'एल2: एम्पुरान' रिलीज होते ही विवादों में फंस गई है। 2002 के गुजरात दंगों के कथित संदर्भ और केंद्रीय जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग की कहानी कह ही फिल्म ने राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है। पहले दिन संघ परिवार ने सोशल मीडिया पर फिल्म की आलोचना की, जबकि कांग्रेस और वामपंथी मंचों के एक वर्ग ने दक्षिणपंथी राजनीति को कटघरे में खड़ा कर रही के फिल्म की सराहना की है।



'एल2: एम्पुरान' में कुछ विजुअल्स दिखाए गए हैं, जिन्हें 2002 के गुजरात दंगों और नरसंहार के रेफरेंस से जोड़कर देखा जा रहा है। फिल्म की शुरुआत सांप्रदायिक हिंसा के सीन्स से होती है, जो स्क्रीन पर 15 मिनट से अधिक समय तक चलते है, जबकि टाइटल सीक्वेंस में दिखाए गई तस्वीरें गोधरा कांड से मिलती-जुलती लगती हैं, जिसमें भगवा कपड़े पहने लोगों को ले जा रही साबरमती एक्सप्रेस के एक कोच को जला दिया गया था। वहीं भीड़ द्वारा की गई हिंसा भी दिखाई गई है, जिसमें कई मुसलमान मारे जाते हैं। फिल्म में कुछ सीक्वेंस बिल्किस बानो केस से भी मिलते-जुलते हैं, जिसमें 11 लोगों को एक परिवार के कई सदस्यों के सामूहिक बलात्कार और हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था। भीड़ का नेतृत्व करने वाले बाबा बजरंगी का किरदार, बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी से मिलता-जुलता प्रतीत होता है, जिन्हें नरोदा पाटिया हत्याकांड की साजिश रचने के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।



हमारे देश की सियासत को प्रभावित करने वाले घटनाओं में का जिक्र किया जाए तो “गुजरात दंगा” उसमें प्रमुखता से अपना स्थान रखता है। भले ही मेकर्स का कहना है कि फिल्म पूरी तरह से काल्पनिक है। फिल्म ने रिलीज के साथ ही सियासी हलचल को भी जन्म दे दिया है। केरल स्टोरी की तरह ये फिल्म भी राजनीतिक गलियारों में शोर मचा रही है। कांग्रेस इस फिल्म की जमकर तारीफ कर रही है और इसे बीजेपी-आरएसएस के खिलाफ एक बड़े हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है।


*कांग्रेस क्या कहती है?*
केरल युवा कांग्रेस के अध्यक्ष और पलक्कड़ के विधायक राहुल ममकुट्टाथिल ने मोहनलाल और निर्देशक पृथ्वीराज सुकुमारन के खिलाफ प्रतिक्रिया की निंदा की है। एक फेसबुक पोस्ट में, ममकुट्टाथिल ने लिखा कि एम्पुरान ने "केरल के क्षेत्रीय गौरव" पर कब्जा कर लिया है, जैसा कि केजीएफ और पुष्पा ने अपने-अपने उद्योगों के लिए किया था। फिल्म के राजनीतिक पहलुओं को लेकर हो रही आलोचना के बीच उन्होंने लिखा: "वही लोग जिन्होंने द कश्मीर फाइल्स और द केरला स्टोरी जैसी फिल्मों के लिए 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' की वकालत की थी, अब एम्पुरान पर हमला कर रहे हैं। उनका आक्रोश उनके अपने विरोधाभासों को उजागर करता है।" उन्होंने मोहनलाल के खिलाफ एक "संगठित घृणा अभियान" करार दिया, जिसकी भी उन्होंने निंदा की और कहा कि किसी भी तरह की "सफाई" अतीत के दागों को नहीं धो सकती।


*फिल्म पर क्या बोली बीजेपी?*
वहीं, बीजेपी ने इस पूरे विवाद से दूरी बनाते हुए प्रतिक्रिया दी। पार्टी के राज्य सचिव एस सुरेश ने कहा, एम्पुरान कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। केरल बीजेपी इसमें दखल नहीं देगी। फिल्म प्रेमियों को यह स्वतंत्रता है कि वे इसे देखें, समर्थन करें या आलोचना करें।
*ट्रंप ने चीन पर आजमाया यूक्रेन वाला दांव, टैरिफ में कटौती के लिए रखी ये शर्त*
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक राजनेता होने के साथ-साथ एक अच्छे बिजनेसमैन भी है। ट्रंप 2 अप्रैल से कई देशों पर टैरिफ लादने वाले हैं और इसी दिन को उन्होंने ‘लिबरेश डे' यानी आजादी का दिन करार दिया है। इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि वो कुछ देशों को रियायत दे सकते हैं और उनपर 2 अप्रैल से टैरिफ नहीं लादा जाएगा। उन देशों में चीन का नाम भी शामिल है। अपने ‘टैरिफ वॉर’ के तहत ट्रंप ने सबसे पहले चीन को निशाना बनाया था। लेकिन अब इस मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति ने यू-टर्न लेते दिख रहे हैं।



*चीन को टैरिफ से राहत के लिए रखी शर्त*
ट्रंप ने ओवल ऑफिस में मीडिया से बात करते हुए बताया कि वह चीन पर लगाए टैरिफ में कुछ राहत दे सकते हैं। हालांकि इसके लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक बड़ी शर्त भी रख दी। ट्रंप ने कहा कि अगर चीन लोकप्रिय वीडियो शेयरिंग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टिकटॉक बिक्री के लिए राजी हो जाता है, तो वह चीन को टैरिफ में कुछ छूट दे सकते हैं। ट्रंप ने कहा है कि शायद मैं इसे पूरा करने के लिए टैरिफ में थोड़ी कमी कर दूं या कुछ और करूं। इसका मतलब है कि ट्रंप टिक टॉप डील को फाइनल करने के लिए चीन को कुछ फायदे दे सकते हैं।



*समझौते के लिए डेडलाइन बढ़ाने को तैयार*
ट्रंप ने कहा कि टिक टॉक पर चीन के साथ किसी तरह का समझौता होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर यह समय पर नहीं हुआ तो वह डेडलाइन को 5 अप्रैल से आगे बढ़ा देंगे। ट्रंप ने कहा, 'चीन को इसमें एक भूमिका निभानी होगी, संभवतः मंजूरी के रूप में और मुझे लगता है कि वे ऐसा करेंगे।' मतलब, चीन की मंजूरी इस डील के लिए जरूरी है।



*अमेरिका में टिकटॉक का भविष्य अनिश्चित*
टिकटॉक को लंबे समय से प्राइवेसी और डेटा के लिहाज से सुरक्षित नहीं माना जाता। भारत में इसी वजह से इसे बैन किया जा चुका है। अमेरिका में भी पिछले कुछ समय से इसे बैन करने की मांग उठाई जा रही है। ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से ठीक पहले इसे बैन भी कर दिया गया था, लेकिन फिर ट्रंप ने इस पर लगे बैन को हटाकर इसे 75 दिन की राहत देने का फैसला लिया। राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश से टिकटॉक को 75 दिनों की मोहलत दी है, जिसके तहत टिकटॉक को अमेरिका में अपने बिजनेस को किसी अमेरिकी कंपनी को बेचना होगा। ट्रंप चाहते हैं कि अमेरिका के पास टिकटॉक का 50 फीसदी मालिकाना हक रहे। यह मोहलत पांच अप्रैल को समाप्त हो जाएगी। इसके बाद चीनी एप को अमेरिका में प्रतिबंध का सामना करना पड़ सकता है।



*क्या टिकटॉक बेचने पर राजी होगा चीन?*
ट्रंप ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि अमेरिका, टिकटॉक को खरीदने में रुचि रखने वाले चार ग्रुप्स से बातचीत कर रहा है। हालांकि ट्रंप ने यह भी साफ कर दिया है कि अमेरिका में टिकटॉक तभी चलेगा, जब चीन उसे किसी अमेरिकी कंपनी को बेचने के लिए राज़ी हो जाएगा। हालांकि चीन के इस ऐप को बेचने की उम्मीद न के बराबर है, क्योंकि चीन के लिए टिकटॉक काफी फायदेमंद है।
*क्या भारत की आंखों में धूल झोंक रहें मुइज्‍जू ?
मालदीव और चीन के बीच होने जा रही बड़ी डील* जब मालदीव की सत्ता में मोहम्‍मद मुइज्‍जू आए, तो उन्होंने भारत की जगह चीन के साथ रिश्तों को तरजीह दी। हालांकि, भारत के साथ पंगा लेने का असर तुरंत दिखने लगा। देश की अर्थव्यवस्था को को डगमगाता देख मोहम्‍मद मुइज्‍जू भारत के “पांव पकड़ने” को मजबूर हो गए। हालांकि, लगता मुइज्‍जू बस भारत के साथ दोस्ती का दिखावा कर रहे हैं। दूसरी तरफ चीन के साथ रिश्तों को और मजबूत करने की कोशिश में लगे हुए हैं।


मालदीव और चीन के बीच हिंद महासागर में मछलियों की गतिविधियों का पता लगाने और समुद्र की रासायनिक और भौतिक जानकारी इकट्ठा करने के लिए समुद्र में मछली एकत्रीकरण उपकरणों (एफएडी) पर उपकरण लगाने को लेकर बातचीत चल रही है। हिंद महासागर में इस तरह का रिसर्च रणनीतिक प्रभावों को लेकर चिंता को बढ़ाता है।ये डिवाइसेस इस तरह से बनाए गए होते हैं कि मछल‍ियों की हरकत पर नजर रखते हुए केमिकल और फिजिकल समुद्री डेटा को भी इकट्ठा कर सकते हैं। चीन अगर अपने प्‍लान में सफल होता है तो वह हिंद महसागर में भारतीय नौसेना की हर हरकत पर आसानी से नजर रख पाएगा।


जानकारों का मानना है कि चीन एफएडी की मदद से मछलियों को इकट्ठा करता रहा है लेकिन इसके जरिए समुद्र का पूरा डेटा हासिल कर लिया जाता है। इससे चीन आसानी से भारत और अन्‍य देशों के खिलाफ सैन्‍य जासूसी को अंजाम दे सकता है। दरअसल, यह डिवाइस पानी के तापमान, खारेपन, तरंगों और अन्‍य चीजों को माप लेता है। यह डेटा नेवी के ऑपरेशन खासतौर पर सबमरीन के लिए बेहद जरूरी है। इससे सबमरीन आसानी से बिना पकड़ में आए एक जगह से दूसरी जगह पर आसानी से जाती हैं।


मालदीव के मत्स्य पालन और महासागर संसाधन मंत्री अहमद शियाम ने चीन के दूसरे समुद्र विज्ञान संस्थान की एक वरिष्ठ टीम से मुलाकात की थी। बैठक के बाद, मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि यह बातचीत दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने पर केंद्रित थी। साथ ही, चीन के अधिकारी मालदीव के पर्यटन और पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों के साथ-साथ मौसम विज्ञान विभाग के अधिकारियों से भी मिले थे।


यह घटनाक्रम ऐसे समय पर हुआ है जब मालदीव के जलक्षेत्र में चीन की मौजूदगी लगातार बढ़ती जा रही है। इससे पहले साल 2024 में चीन का महाशक्तिशाली जासूसी जहाज शियांग यांग होंग 03 भी मालदीव आया था।यह चीनी जासूसी जहाज ठीक उस समय मालदीव पहुंचा था जब मुइज्‍जू सरकार और भारत सरकार के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया था। यह श्रीलंका भी जाना चाहता था लेकिन कोलंबो की सरकार ने भारत के कहने पर अनुमति नहीं दी थी।
*इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर उठ रहे सवाल, प्राइवेट पार्ट पकड़ना और नाड़ा तोड़ना रेप क्यों नहीं?*
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया है। इस फैसले में कहा गया था कि किसी महिला गलत तरीके से पकड़ना और उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना रेप नहीं माना जाएगा, बल्कि यह निर्वस्त्र करने के इरादे से किया गया हमला माना जाएगा। हालांकि, कोर्ट ने ये कहा कि ये मामला गंभीर यौन हमले के तहत आता है। अब कोर्ट के इस फैसले पर सवाल उठ रहे हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह बात उत्तर प्रदेश के कासगंज इलाके में 2021 मामले पर की, जब कुछ लोगों ने नाबालिग लड़की के साथ जबरदस्ती की थी। कासगंज की विशेष जज की अदालत में इस नाबालिग लड़की की मां ने पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया था, लेकिन अभियुक्तों ने इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। बाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के बाद ये फ़ैसला सुनाया।
इलाहाबाद कोर्ट के इस फैसले की हर तरफ निंदा हो रही है। सरकार का पक्ष हो या विपक्षी पार्टियों की राय हो या फिर आम जनता की बात हो, सभी एक सुर में इस फैसले पर आपत्ति जता रहे हैं। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के हाल के एक फैसले की कड़े शब्दों निंदा की है। कोर्ट के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री ने इसे गलत फैसला भी बताया है। साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले पर ध्यान देने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के फैसले से समाज में गलत संदेश जाएगा।
कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, जो कानून एक औरत की सुरक्षा के लिए बना है, इस देश की आधी आबादी उससे क्या उम्मीद रखे। जानकारी के लिए बता दूं भारत महिलाओं के लिए असुरक्षित देश है।
कोर्ट के इस फैसले पर डीसीड्ब्यू की पूर्व प्रमुख और आप सांसद स्वाति मालीवाल ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण। मैं फैसले में की गई टिप्पणियों से बहुत स्तब्ध हूं। यह बहुत शर्मनाक स्थिति है। उन पुरुषों द्वारा किया गया कृत्य बलात्कार के दायरे में क्यों नहीं आता? मुझे इस फैसले के पीछे का तर्क समझ में नहीं आया। सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। ये फैसला आईपीसी की धारा 376 के तहत दिया गया है और इसके प्रावधान अलग हैं। धारा 375 बलात्कार को परिभाषित करती है जिसके मुताबिक जब तक मुंह, या प्राइवेट पार्ट्स मे लिंग या किसी वस्तु का प्रवेश ना हो, वो बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता है। जस्टिस मिश्रा ने इस केस में साफ किया कि सेक्शन 376, 511 आईपीसी या 376 आईपीसी और पॉक्सो एक्ट के सेक्शन 18 का मामला नहीं बनता है।



*क्या कहता है कानून?*
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट अनिल कुमार सिंह श्रीनेत बताते हैं कि इसी साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में कहा है कि अगर आरोपी पॉक्सो एक्ट और आईपीसी के तहत रेप मामले में दोषी करार दिया जाता है तो जिन कानूनी प्रावधान में अधिकतम सजा होगी वही लागू होगी। दरअसल, अदालत यह मैसेज देना चाहती है कि रेप जैसे गंभीर अपराधों में सख्त से सख्त सजा होनी चाहिए। इस मामले में भी अदालत ने साफ तौर पर कहा था कि कोई अपराध आईपीसी और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (पॉक्सो) दोनों के तहत आता है, तो पॉक्सो एक्ट की धारा-42 के अनुसार उस कानून के तहत सजा दी जाएगी जिसमें अधिक कठोर सजा हो। इस मामले में आईपीसी की धारा के तहत रेप मामले में ज्यादा कठोर सजा का प्रावधान है और ऐसे में वही सजा दी जाएगी। आरोपी की ओर से दलील दी गई थी कि पॉक्सो एक्ट में प्रावधान है कि वह स्पेशल एक्ट है और वह दूसरे कानूनी प्रावधान पर वरीयता रखता। ऐसे में आईपीसी के तहत अधिकतम सजा नहीं होनी चाहिए लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया।



*ऐसे ही मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट को लग चुकी है फटकार*
वहीं, बीते साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने पॉस्को के एक मामले को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट को जमकर फटकार लगाई थी। उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मामलों में हाई कोर्ट क्यों 'समझौते' की ओर झुकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने सहमति से यौन संबंध को अपराध से मुक्त करने का सुझाव देने पर कलकत्ता हाईकोर्ट को फटकार लगाई थी। उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाईकोअर् का कर्तव्य साक्ष्य के आधार पर यह पता लगाना था कि क्या पोक्सो अधिनियम की धारा 6 और आईपीसी की धारा 376 के तहत अपराध किए गए थे। आईपीसी की धारा 375 में अठारह वर्ष से कम उम्र की महिला के साथ उसकी सहमति से या उसके बिना संबंध बनाना बलात्कार का अपराध बनता है।



*क्या है मामला?*
ये मामला 2021 का है। मामले में लड़की की मां ने आरोप लगाया था कि 10 नंवबर 2021 को शाम पांच बजे जब वो अपनी 14 वर्षीय बेटी के साथ देवरानी के गांव से लौट रही थी तो अभियुक्त पवन, आकाश और अशोक मोटरसाइकिल पर उन्हें रास्ते में मिले। पवन ने उनकी बेटी को घर छोड़ने का भरोसा दिलाया और इसी विश्वास के तहत उन्होंने अपनी बेटी को जाने दिया। लेकिन रास्ते में मोटरसाइकिल रोककर इन तीनों लोगों ने लड़की से बदतमीजी की और उसके प्राइवेट पार्ट्स को छुआ। उसे पुल के नीचे घसीटा और उसके पायजामी का नाड़ा तोड़ दिया। मां के मुताबिक तभी वहां से ट्रैक्टर से गुजर रहे दो व्यक्तियों सतीश और भूरे ने लड़की का रोना सुना। अभियुक्तों ने उन्हें तमंचा दिखाया और फिर वहां से भाग गए। जब नाबालिग की मां ने पवन के पिता अशोक से शिकायत की तो उन्हें जान की धमकी दी गई जिसके बाद वे थाने गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
ये मामला कासगंज की विशेष कोर्ट में पहुंचा जहां पवन और आकाश पर आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), पॉक्सो एक्ट की धारा 18 (अपराध करने का प्रयास) और अशोक के खिलाफ धारा 504 और 506 लगाई गईं। इस मामले में सतीश और भूरे गवाह बने, लेकिन इस मामले को अभियुक्तों की तरफ से इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। जिसके बाद अब इस मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाया है।
*प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार संघ मुख्यालय जा रहे मोदी, भाजपा अध्यक्ष चुनाव से पहले ये दौरा अहम क्यों?*
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस महीने के अंत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मुख्यालय जाएंगे। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार आरएसएस मुख्यालय जा रहे हैं। पीएम मोदी आरएसएस के दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर के नाम पर विश्वस्तरीय माधव नेत्रालय की आधारशिला रखेंगे। इस उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में वे सरसंघचालक मोहन भागवत के साथ मंच भी साझा करेंगे। भाजपा अध्यक्ष के चुनाव से पहले पीएम नरेंद्र मोदी का आरएसएस मुख्यालय जाना काफी अहम माना जा रहा है। वहीं, कई और सवाल भी उठ रहे हैं। दरअसल, नरेंद्र मोदी आठ वर्ष की उम्र में ही आरएसएस से जुड़ गए थे। वो संघ में विभिन्न पदों पर काम किया और प्रचारक भी रहे। फिर प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने के बाद आरएसएस मुख्यालय जाने में इतना वक्त क्यों लग गया? पीएम मोदी ने दो कार्यकाल पूरा कर लेने और तीसरे कार्यकाल के नौ महीने बीत जाने तक का इंतजार क्यों किया?


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागपुर दौरे के लिए 30 मार्च की तारीख चुनी है, जिस दिन हिंदू नववर्ष शुरू हो रहा है। उसी दिन, मोदी नागपुर में आरएसएस समर्थित पहल माधव नेत्र अस्पताल की आधारशिला रखने वाले हैं। उद्घाटन समारोह में मोदी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ मंच साझा करेंगे, जो 2014 के बाद तीसरा और 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद पहला मौका हो सकता है। कार्यक्रम के बाद मोदी के नागपुर के रेशम बाग में आरएसएस मुख्यालय जाने की संभावना है।


*बीजेपी के नए अध्यक्ष की नियुक्ति से पहले मुलाकात* यह पहली बार होगा, जब देश का कोई प्रधानमंत्री आरएसएस के हेडक्वॉर्टर में जा रहे हैं। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी पहली बार है, जब पीएम मोदी आरएसएस के किसी दफ्तर में जाएंगे। यात्रा के दौरान मोदी और भागवत के बीच आमने-सामने की बैठक होने की उम्मीद है, चर्चा से ध्यान आकर्षित होने की संभावना है, खासकर जब भाजपा ने अभी तक अपने अगले अध्यक्ष की घोषणा नहीं की है।


*भैयाजी जोशी करेंगे स्वागत*
मोदी रेशमबाग में स्मृति मंदिर भी जाएंगे। वह आरएसएस के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देंगे। संघ की परंपरा है कि रेशमबाग हेडगेवार स्मृति मंदिर में कोई कितनी भी बड़ी हस्ती क्यों न जाए, उनके स्वागत के लिए अखिल भारतीय पदाधिकारी उपस्थित नहीं रहते। सिर्फ स्थानीय स्तर के पदाधिकारी ही स्वागत के लिए मौजूद रहते हैं। लेकिन, पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहुंचने पर संघ के पूर्व सरकार्यवाह और वर्तमान में अखिल भारतीय कार्यकारी सदस्य सुरेश भैयाजी जोशी मौजूद रहेंगे। चूंकि भैयाजी जोशी हेडगेवार स्मारक समिति के अध्यक्ष हैं, इसलिए वो पीएम मोदी का स्वागत करेंगे। इसके पूर्व अटल बिहारी बाजपेयी जब प्रधानमंत्री रहते गए थे, तब भी कोई शीर्ष पदाधिकारी मौजूद नहीं रहा था।


*आरएसएस-बीजेपी में तनाव की अटकलें के बीच मुलाकात*
यह मुलाकात ऐसे समय में हो रही है जब आरएसएस और बीजेपी नेतृत्व के बीच तनाव की अटकलें लगाई जा रही हैं। हालांकि, हालिया कई मौकों पर प्रधानमंत्री मोदी ने आरएसएस की खुलकर तारीफ की है। मराठी साहित्य सम्मेलन के मंच पर जहां उन्होंने अपने जीवन में संघ के प्रभाव को बताया था, वहीं पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ पॉडकास्ट में भी पीएम मोदी ने आरएसएस के सौ साल की उपलब्धियों की चर्चा की।
*औरंगजेब की कब्र हटाना आसान नहीं, ये है राह में सबसे बड़ा “रोड़ा”*
मुगल शासक औरंगजेब को लेकर विवाद थमता नहीं दिख रहा है। हाल ही में रिलीज हुई छावा फिल्म के बाद मुगल शासक औरंगजेब को लेकर पूरे देश में बहस छिड़ गई है। इस फिल्म में औरंगजेब को बेहद क्रूर शासक दिखाया गया है। वहीं, महाराष्ट्र के सपा नेता अबू आजमी ने औरंगजेब को महान शासक बता डाला। जिसके बाद तूफान खड़ा हो गया। उनके इस बयान ने आग में घी का काम किया। हालांकि अबू आजमी ने तो अपना बयान वापस ले लिया, लेकिन अब औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग तेज होने लगी है। राज्य के हिंदुवादी संगठनों ने औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग की है। ऐसा नहीं होने पर बाबरी स्टाइल में कारसेवा करने की चेतावनी दी है। महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर (पहले औरंगाबाद) में स्थित औरंगजेब की कब्र हटाने का मामला तूल पकड़ने लगा है। बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद ने महाराष्ट्र सरकार से इसे जल्द हटाने की मांग की है। विश्व हिंदू परिषद महाराष्ट्र और गोवा के क्षेत्रीय मंत्री गोविंद शेंडे ने औरंगजेब की कब्र को गुलामी का प्रतीक बताया। उन्होंने सोमवार को कहा- औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी महाराज को मारने से पहले 40 दिनों तक यातना दी थी। ऐसे क्रूर शासक का निशान क्यों रहना चाहिए।


*बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद का प्रदर्शन* औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग को लेकर सोमवार को महाराष्ट्र भर में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद की ओर से प्रदर्शन किया गया। इस दौरान मुगल आक्रांताओं के पुतले भी जलाए जा रहे हैं। उधर, विवाद के बीच कब्र की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। विभिन्न स्थानों पर बैरिकेड्स लगा दिए गए हैं। ऐसी व्यवस्था की गई है कि वहां केवल एक ही व्यक्ति प्रवेश कर सके। औरंगजेब के मकबरे का मुख्य द्वार पुलिस ने बंद कर दिया है। औरंगजेब की कब्र के पास जाना भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। फिलहाल औरंगजेब के मकबरे को बाहर से ही देख सकते हैं। *एएसआई संरक्षित है औरंगजेब की कब्र* इन सब के बीच बड़ा सवाल यह है कि क्या औरंगजेब की कब्र को हटाना इतना आसान है? तो इसका जवाब 'न' में है क्योंकि यह संरचना ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) संरक्षित है और वक्फ की संपत्ति भी। ऐसे में राज्य सरकार को इसे हटाने में कई कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ेगा।


*ऐतिहासिक धरोहरों के लिए देश में क्या कानून?* मुगल बादशाह की कब्र होने के नाते ये अब एक राष्ट्रीय धरोहर है। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि ऐतिहासिक धरोहरों के लिए देश में क्या कानून है। इसकी देखभाल कौन करता है और क्या सरकार चाहे तो इनको हटा या ढहा सकती है? जब देश आजाद हुआ तो उस समय 2826 ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षण की श्रेणी में रखा गया था। 2014 में ये संख्या बढ़कर 3650 हो गई थी। भारत में इन ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण का काम भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) करता है।


*धरोहरों के संरक्षण को लेकर क्या कहता है संविधान*
संविधान के अनुच्छेद 42 और 51 A(एफ) में बताया गया है कि देश की धरोहरों का संरक्षण करना राष्ट्रीय जिम्मेदारी है। सभी धरोहरों के संरक्षण की जिम्मेदारी एएसआई के पास है. प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 की धारा 4 (1) के तहत केंद्र सरकार को ये अधिकार प्राप्त है कि वो किसी भी ऐतिहासिक इमारत या अन्य धरोहर को राष्ट्रीय महत्व का घोषित कर दे। संविधान के अनुसार संसद द्वारा बनाए कानून के तरह ये राज्य सरकार की जिम्मेदारी होगी कि वो राष्ट्रीय ऐतिहासिक धरोहर, इमारतों और आलेखों का संरक्षण और उसकी सुरक्षा करे। अगर उसे नुकसान पहुंचाने और तोड़फोड़ की कोशिश की जा रही हो तो उससे संरक्षण दे। अगर कोई उसे हटाने या उसमें बदलाव की कोशिश करता है तो ऐसे मामले में भी संरक्षण प्रदान करे। कुल मिलाकर ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण और नियमन सरकार की जिम्मेदारी है।


*कहां हैं पेंच?*
ऐसे में औरंगजेब की कब्र को कानूनी तौर से महाराष्ट्र सरकार तब तक नहीं हटा सकती है जब तक कब्र एएसआई द्वारा संरक्षित है लेकिन Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains Act (AMASR) जिसके तहत औरंगजेब की कब्र को संरक्षण मिलता है, उसी कानून के सेक्शन-35 में प्रावधान है कि अगर सरकार को लगता है कि इमारत ने अपना राष्ट्रीय धरोहर का महत्व खो दिया है तो वह किसी भी संरक्षित स्मारक को हटा सकती है लेकिन इसमें भी कई पेंच है।


*पहले संरक्षित सूची से हटाना होगा*
एएसआई के नियमों के मुताबिक, उसके द्वारा संरक्षित किसी भी स्मारक को संरक्षण सूची से हटाने के लिए राज्य सरकार, एएसआई का सर्किल जिस पर स्मारक के संरक्षण का जिम्मा है या फिर किसी अन्य सरकारी संस्था में से किसी एक को कारणों के साथ एएसआई या फिर सरकार को AMASR Act के सेक्शन-35 के तहत एक प्रपोजल देना होगा कि उनके द्वारा नामित स्मारक जो एएसआई की संरक्षण सूची में है उसे संरक्षण की सूची से हटाए जाए। औरंगजेब के कब्र के मामले में चूंकि महाराष्ट्र सरकार इच्छा व्यक्त कर चुकी है तो महाराष्ट्र सरकार को एएसआई या फिर संस्कृति मंत्रालय के नाम औरंगजेब की कब्र को संरक्षित सूची से हटाने का प्रपोजल देना होगा।