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आय से अधिक संपत्ति का मामला : EOW-ACB ने 30 साल बाद कोर्ट में पेश किया चालान, सेवानिवृत्त हो चुके हैं आरोपित अधिकारी

रायपुर- छत्तीसगढ़ में आय से अधिक संपत्ति के मामले में EOW-ACB ने 30 साल बाद कोर्ट में चालान पेश किया है. यह मामला 1995 का है. तब आरोपित अधिकारी की आयु 55 वर्ष थी, अब वह 85 वर्ष के हैं और आरोपित अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं.


जानिए पूरा मामला

छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश एक था तब ईओडब्लू भोपाल ने 13 सितंबर 1995 को मामला पंजीबद्ध कर ईओडब्लू की रायपुर शाखा को मामला सौंप दिया था. तब भोपाल में पदस्थ खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के तत्कालीन ज्वाईंट डायरेक्टर डीडी भूतड़ा के विरुध्द कार्यवाही में ईओडब्लू ने बिलासपुर में राईस मिल, कई जमीनें, स्वर्णाभूषण सहित पांच लाख रुपए नगद बरामद कर किया था. इस मामले में 30 सालों से चार्जशीट/फ़ाइनल रिपोर्ट ही कोर्ट में दाखिल नहीं हुई थी. तीस वर्षों के बाद इओडब्लू ने जो अंतिम प्रतिवेदन पेश किया है, उसमें यह बताया है कि ईओडब्लू ने कार्यवाही की तब आरोपी डीडी भूतड़ा ने आय से 303.4 प्रतिशत अधिक अनुपातहीन संपत्ति अर्जित की थी.

आरटीई के तहत निशुल्क शिक्षा के लिए पहले चरण की लॉटरी प्रक्रिया पूरी, 23 जिलों में 44,054 सीटों पर छात्रों का हुआ चयन

रायपुर-  निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 (RTE) के अंतर्गत शैक्षणिक सत्र 2025-26 में प्रवेश के लिए आरटीई पोर्टल के माध्यम से प्रथम चरण की लॉटरी प्रक्रिया सोमवार को लोक शिक्षण संचालनालय, नवा रायपुर में शुरू हुई. यह प्रक्रिया 5 मई से 6 मई 2025 तक चलेगी.

पहले दिन कुल 23 जिलों के 44,054 सीटों पर लॉटरी निकाली गई. शेष 10 जिलों की लॉटरी प्रक्रिया 6 मई को पूरी की जाएगी. उसके बाद स्कूल में दाख़िला की प्रक्रिया सात मई से 30 मई तक की होगी.

इन जिलों की निकाली गई लॉटरी

इस वर्ष राज्य के सभी 33 जिलों से कुल 1,05,372 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से जांच उपरांत 69,553 आवेदन स्वीकृत किए गए हैं. लॉटरी प्रक्रिया के माध्यम से कुल 6,628 निजी स्कूलों की 52,007 सीटों पर चयन किया जाएगा.

किस जिले से आए कितने आवेदन

दूसरे चरण की पूरी शेड्यूल

इच्छुक पालक 20 जून से 30 जून 2025 तक आरटीई पोर्टल के माध्यम से नए आवेदन कर सकेंगे. इसके बाद 1 जुलाई से 8 जुलाई के बीच दस्तावेजों की जांच की जाएगी. योग्य आवेदकों के लिए लॉटरी प्रक्रिया 14 और 15 जुलाई को आयोजित की जाएगी, जिसके बाद चयनित छात्रों का स्कूलों में दाख़िला 18 जुलाई से 31 जुलाई तक किया जाएगा.

लॉटरी प्रक्रिया के दौरान लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक ऋतुराज रघुवंशी, उप संचालक आशुतोष चौरे, सहायक संचालक महेश नायक, आरटीई सेल के अधिकारी, प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन से राजीव गुप्ता, पालकगण एवं पालक संघ के प्रतिनिधि उपस्थित रहे.

बता दें कि आरटीई के तहत राज्य सरकार निजी स्कूलों में प्रवेश पाने वाले इन बच्चों की पढ़ाई का संपूर्ण खर्च वहन करती है. यह दाखिला स्कूलों में दर्ज छात्र संख्या के अनुसार 25 प्रतिशत आरक्षित सीटों पर दिया जाता है.

सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को लिखा पत्र, दिवंगत शिक्षकों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति देने की उठाई मांग

रायपुर- रायपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद एवं वरिष्ठ भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल ने एक बार फिर आमजन से जुड़े संवेदनशील मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है। उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर पंचायत एवं नगरीय निकाय संवर्ग के दिवंगत शिक्षकों के 1242 आश्रित परिजनों को अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान करने का आग्रह किया है।

श्री अग्रवाल ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि शिक्षा कर्मी कल्याण संघ, छत्तीसगढ़ के बैनर तले दिवंगत शिक्षकों के परिजनों ने कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में राजधानी रायपुर के बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर 307 दिनों तक आंदोलन किया। इस आंदोलन के दौरान परिजनों ने जल सत्याग्रह, दण्डवत आंदोलन, जेल भरो आंदोलन और महिलाओं द्वारा मुण्डन जैसी मार्मिक गतिविधियों के माध्यम से अपनी पीड़ा को व्यक्त किया, जिससे संपूर्ण प्रदेश की आत्मा व्यथित हो उठी थी।

श्री अग्रवाल ने बताया कि उस समय वे स्वयं, तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष डॉ. रमन सिंह एवं भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ इस आंदोलन में परिजनों के साथ खड़े थे तथा भाजपा ने सत्ता में आने पर जल्द से जल्द अनुकम्पा नियुक्ति देने का वादा किया था।

उन्होंने पत्र में जानकारी दी कि वर्तमान में मात्र 27 पात्र आवेदकों को ही अनुकम्पा नियुक्ति दी गई है, जबकि लगभग 1242 आश्रित परिजन अब भी नियुक्ति की प्रतीक्षा कर रहे हैं। अधिकांश को टीईटी अर्हता के अभाव में अपात्र घोषित कर दिया गया है, जबकि कई की आयु सीमा भी पार हो रही है।

सांसद श्री अग्रवाल ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि इस विषय को मानवीय दृष्टिकोण एवं संवेदनशीलता के आधार पर लेते हुए राज्य कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर नियमों में आवश्यक शिथिलता दी जाए, ताकि शैक्षणिक योग्यता के अनुरूप इन परिजनों को शिक्षा विभाग एवं पंचायत विभाग में रिक्त तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों जैसे लिपिक, विज्ञान शिक्षक, भृत्य आदि पर नियुक्ति दी जा सके।

हाल ही में दिवंगत शिक्षकों के परिजनों ने श्री अग्रवाल से भेंट कर अपनी समस्याएं साझा की थीं और उन्हें ज्ञापन सौंपकर न्याय की गुहार लगाई थी। बृजमोहन अग्रवाल ने राज्य सरकार से इस गंभीर एवं संवेदनशील विषय पर शीघ्र निर्णय लेने की अपील की है, जिससे इन परिवारों को राहत मिल सके और वे सम्मानपूर्वक जीवन यापन कर सकें।

FICCI ने विदेश व्यापार महानिदेशालय को लिखा पत्र, RODTEP योजना के विस्तार की उठाई मांग

रायपुर- आरओडीटीईपी योजना के भविष्य को लेकर उत्पन्न अनिश्चितता को लेकर भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (FICCI) ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के विदेश व्यापार महानिदेशालय को पत्र लिखा है। पत्र में एडवांस ऑथोराइज़ेशन (एए), एक्सपोर्ट ओरिएंटेड यूनिट्स (ईओयू) और स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एसईजेड) के तहत काम करने वाली इकाइयों के लिए निर्यात उत्पादों पर शुल्कों या करों में छूट (आरओडीटीईपी) योजना के तत्काल विस्तार की मांग की है।

FICCI ने वाणिज्य मंत्रालय को लिखे पत्र में 5 फरवरी 2025 के बाद इन एक्सपोर्ट ओरिएंटेड जोन में स्थित इकाइयों के लिए आरओडीटीईपी लाभ की समाप्ति पर चिंता जाहिर की है। मंत्रालय से आग्रह किया है कि कम से कम 30 सितंबर 2025 तक विस्तार की अधिसूचना में तेजी लाई जाए। मौजूदा वैश्विक अनिश्चितताओं को देखते हुए FICCI ने इस जरूरत पर जोर दिया है कि भारतीय मैन्युफैक्चरिंग की लागत प्रतिस्पर्धी बनाए रखने और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारतीय निर्यातकों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए एए/ईओयू/एसईजेड इकाइयों को इस योजना के तहत बरकरार रखा जाना चाहिए।

FICCI का प्रतिनिधित्व फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज (एफआईएमआई) और एल्युमीनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एएआई) जैसे शीर्ष उद्योग निकायों द्वारा हाल ही में किए गए इसी तरह के प्रस्तुतीकरण के बाद आया है, जो वैश्विक व्यापार के बारे में उद्योग जगत की आशंकाओं को दर्शाता है। भारत के उद्योग को आगे ले जाने में एल्युमीनियम की प्रमुख भूमिका है, जिसमें 20 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया गया है। इससे भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एल्युमीनियम उत्पादक देश बन गया है।

इससे पहले अपने प्रस्तुतीकरण में एफआईएमआई ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत के एल्युमीनियम निर्यात का लगभग 45 प्रतिशत एए/ईओयू/एसईजेड लोकेशनों पर स्थित इकाइयों से आता है। इसमें बताया गया कि आरओडीटीईपी समर्थन वापस लेने से वैश्विक कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने कि भारतीय कंपनियों की क्षमता काफी कम हो गई है, क्योंकि अंतर्निहित कर और शुल्क जो एल्युमीनियम उत्पादन लागत का 10 प्रतिशत तक है, वे छूट-रहित और अनसुलझे रहेंगे।

वाणिज्य मंत्रालय के प्रगतिशील उपायों की सराहना करते हुए फिक्की ने आगाह किया है कि कारोबारी माहौल में बहुत दबाव है। ऐसे में देश की निर्यात प्रतिस्पर्धा को बहाल करने के लिए आरओडीटीईपी कवरेज को बढ़ाने में होने वाली देरी नुकसानदेह साबित होगी। गौरतलब है कि एफआईएमआई ने अपने प्रतिनिधित्व में बताया था कि इससे उत्पादन में कटौती, नौकरी छूटने और भारतीय एल्युमीनियम सेक्टर में डॉमेस्टिक वैल्यू ऐडिशन में बाधा उत्पन्न हो सकती है, जिसकी वर्तमान वार्षिक क्षमता 41 लाख टन है। तरक्की के रास्ते पर इंडस्ट्री को गतिमान रखने के लिए घरेलू क्षमता विस्तार के लिए नए निवेश महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे।

वैश्विक व्यापार में जारी चुनौतियों को देखते हुए FICCI ने कहा कि एए/ईओयू/एसईजेड निर्यातकों के लिए विस्तार मिलने से उद्योग को वह निश्चितता और स्थिरता मिलेगी, जिसकी उसे बहुत जरूरत है। FICCI ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार की त्वरित कार्रवाई समानता बहाल करने और वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरने की भारत की महत्वाकांक्षा को सहयोग देने में बेहद अहम साबित होगी।

एक प्रगतिशील कदम उठाते हुए वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2026 के लिए आरओडीटीईपी योजना के लिए 18,000 करोड़ रुपए के बजट को मंजूरी दे दी है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 16,575 करोड़ रुपए था। अब एएआई, एफआईएमआई और FICCI सहित अग्रणी उद्योग संगठन डीटीए के अनुरूप एए/ईओयू/एसईजेड इकाइयों के लिए आरओडीटीईपी योजना को 5 फरवरी 2025 से आगे बढ़ाकर कम से कम 30 सितंबर 2025 तक करने की वकालत कर रहे हैं। उद्योग जगत को उम्मीद है कि सरकार आरओडीटीईपी विस्तार को औपचारिक रूप से अधिसूचित करने के लिए शीघ्र कार्रवाई करेगी। यद्यपि भू-राजनीतिक संकट और वैश्विक मंदी के चलते आगे बढ़ना मुश्किल हो रहा है, किंतु फिर भी एए/ईओयू/एसईजेड के लिए आरओडीटीईपी का विस्तार उद्योग को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनने में मदद करेगा और अनिश्चित वैश्विक परिदृश्य के बीच भारतीय निर्यात की निरंतर वृद्धि सुनिश्चित हो पाएगी।

सुशासन तिहार : रायपुर नगर निगम में 7 मई से समाधान शिविर, जानें कहां-कब होगा आयोजन

रायपुर-  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देशानुसार “सुशासन तिहार 2025” के तहत नगर पालिक निगम रायपुर व्यापक जनसंपर्क अभियान चला रहा है. प्रथम चरण के अंतर्गत 8 अप्रैल से 11 अप्रैल 2025 तक सभी 10 जोनों में आमजन की मांगों एवं शिकायतों से संबंधित ऑनलाइन व ऑफलाइन आवेदन प्राप्त किए गए. इसके बाद द्वितीय चरण में प्राप्त शिकायतों और मांगों का गुणवत्तापूर्ण समाधान तेजी से किया जा रहा है. अब सुशासन तिहार 2025 के तृतीय चरण में रायपुर नगर निगम की ओर से 7 मई से सभी 10 जोनों में सार्वजनिक स्थलों पर जोनवार समाधान शिविरों का आयोजन किया जा रहा है.

समाधान शिविरों में अधिकारी आवेदकों को उनके आवेदन पर की गई कार्यवाही की जानकारी देंगे और शासन की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी देंगे, ताकि पात्र हितग्राही योजनाओं का लाभ सुगमता से प्राप्त कर सकें.

जानिए जोनवार कहां-कब लगेगा समाधान शिविर

  • जोन 1: 10 मई – दही हांडी मैदान, गुढ़ियारी
  • जोन 2: 7 मई – शहीद स्मारक भवन, जीई रोड
  • जोन 3: 13 मई – बीटीआई ग्राउंड, शंकर नगर
  • जोन 4: 15 मई – सरदार बलवीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम
  • जोन 5: 19 मई – डीडी नगर सामुदायिक भवन, सेक्टर-2
  • जोन 6: 20 मई – शहीद संजय यादव उच्चतर माध्यमिक शाला, टिकरापारा
  • जोन 7: 23 मई – पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम, जीई रोड
  • जोन 8: 27 मई – सामुदायिक भवन, भारत माता स्कूल के सामने, टाटीबंध
  • जोन 9: 28 मई – इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, कम्युनिटी हॉल, जोरा

जोन 10: 30 मई – सामुदायिक भवन, गुरुद्वारा, देवपुरी.

शालेय शिक्षक संघ ने शिक्षा सचिव और DPI संचालक से की मुलाकात, युक्तियुक्तकरण और पदोन्नति को लेकर की चर्चा, सुझाव के साथ रखी मांगे…

रायपुर- शालेय शिक्षक संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज मंत्रालय और संचालनालय में शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी और नव नियुक्त DPI संचालक ऋतुराज रघुवंशी से मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने किया. मुलाकात का उद्देश्य प्रदेश में चल रहे युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया और रायपुर संभाग की लंबित पदोन्नति के मुद्दों पर चर्चा करना था.

युक्तियुक्तकरण में विसंगतियों पर जताई आपत्ति

संगठन ने युक्तियुक्तकरण से संबंधित वर्तमान दिशा-निर्देशों और मापदंडों में पाई जा रही विसंगतियों और व्यावहारिक समस्याओं को अधिकारियों के समक्ष रखा. संगठन ने सुझाव दिया कि शिक्षकविहीन और एकल शिक्षक विद्यालयों में प्राथमिकता से पदस्थापन हो, जबकि पुराने सेटअप के साथ छेड़छाड़ न की जाए, जिससे शिक्षा व्यवस्था और बच्चों के गुणवत्ता युक्त शिक्षाधिकार पर असर न पड़े.

पदोन्नति को प्राथमिकता देने की मांग

प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने रायपुर संभाग की लंबित पदोन्नतियों का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया और अधिकारियों से आग्रह किया कि युक्तियुक्तकरण से पहले पदोन्नति प्रक्रिया पूर्ण की जाए. उनका कहना था कि यदि पदोन्नतियां पहले कर दी जाएं, तो कई स्थानों पर युक्तियुक्तकरण की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी. उन्होंने बताया कि अधिकारीगणों ने संगठन की बातों को गंभीरता से सुना और सकारात्मक प्रतिक्रिया दी, जिससे उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इन पर अमल होगा.

प्राथमिक शिक्षा पर विशेष जोर

प्रांतीय महासचिव धर्मेश शर्मा ने कहा कि मौजूदा मापदंडों से प्रदेश के कई स्कूलों में अव्यवस्था फैल रही है और इससे प्राथमिक शिक्षा प्रणाली प्रभावित हो रही है. उन्होंने चेताया कि 2008 के सेटअप से हटकर यदि शिक्षकों की संख्या कम की जाती है, तो इससे बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन होगा.

मुख्यमंत्री को सौंपा गया ज्ञापन

शालेय शिक्षक संघ ने आज की मुलाकात के दौरान माननीय मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन और सुझाव पत्र भी सौंपा है, जिसमें युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को शिक्षकों और छात्रों दोनों के हित में सुधारने की मांग की गई है.

प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे ये पदाधिकारी

प्रांतीय मीडिया प्रभारी जितेंद्र शर्मा ने बताया कि इस प्रतिनिधिमंडल में प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे, प्रांतीय महासचिव धर्मेश शर्मा, कार्यकारी प्रांताध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी, प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ. सांत्वना ठाकुर समेत अन्य पदाधिकारी शामिल थे.

सेवानिवृत्त अधीक्षिका को प्रमोशन से रखा गया वंचित, हाईकोर्ट ने समाज कल्याण विभाग के अफसरों पर जताई सख्त नाराजगी, कहा-

बिलासपुर- छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने समाज कल्याण विभाग की सेवानिवृत्त अधीक्षिका मंगला शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए विभाग के अधिकारियों पर सख्त नाराजगी जताई है और कड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता को प्रमोशन नहीं देना था इसलिए विभागीय अधिकारियों ने जानबुझकर अड़ंगा लगाया. कोर्ट ने विभाग को 90 दिनों के भीतर समीक्षा डीपीसी (विभागीय पदोन्नति समिति) आयोजित कर निर्णय लेने का निर्देश दिया है.

क्या है मामला

मंगला शर्मा ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में बताया कि उन्होंने 15 फरवरी 1972 को प्रोबेशन ऑफिसर (क्लास-III) के रूप में नौकरी शुरू की थी और 19 अक्टूबर 1981 को अधीक्षक (राजपत्रित सहायक निदेशक कैडर) के पद पर पदोन्नत हुईं थीं. 31 मार्च 2017 को वे सेवानिवृत्त हो गईं. लेकिन उनके करियर के महत्वपूर्ण पड़ाव यानी उप निदेशक पद की पदोन्नति से उन्हें जानबूझकर वंचित किया गया.

22 नवंबर 2007 को हुई डीपीसी में उन्हें एसीआर (वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि) उपलब्ध नहीं होने का हवाला देकर पदोन्नति के योग्य नहीं माना गया. जबकि अधिवक्ता संदीप दुबे ने कोर्ट को बताया कि 3 जून, 3 मार्च, 8 मई और 4 जून 2007 को संबंधित अधिकारी द्वारा याचिकाकर्ता की एसीआर संयुक्त संचालक को भेज दी गई थी. इसके बावजूद उन्हें पदोन्नति नहीं दी गई और जूनियर अधिकारियों को आगे बढ़ा दिया गया.

हाईकोर्ट ने 28 अगस्त 2017 को अपने आदेश में विभाग को निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता के पदोन्नति मामले पर विचार कर निर्णय लें. इस आदेश की अवहेलना पर मंगला शर्मा ने अवमानना याचिका दायर की, जिस पर 14 मई 2018 को फिर से कोर्ट ने आदेश दिया कि पूर्व के निर्देशों का अक्षरश: पालन किया जाए. लेकिन विभाग ने 4 जून 2018 को उनका आवेदन खारिज कर दिया.

न्यायमूर्ति एनके चंद्रवंशी की एकलपीठ ने सुनवाई के बाद कहा कि मंगला शर्मा को 2007 की डीपीसी में अवैध रूप से उप निदेशक के पद पर पदोन्नति से वंचित किया गया है. यह स्पष्ट रूप से दुर्भावनापूर्ण कृत्य है. अदालत ने सचिव, समाज कल्याण विभाग द्वारा पारित 4 जून 2018 के आदेश को निरस्त करते हुए समीक्षा डीपीसी आयोजित करने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने कहा- समीक्षा डीपीसी आयाेजित कर लें निर्णय

कोर्ट से सचिव समाज कल्याण विभाग को नोटिस जारी कर निर्देशित किया है कि वे 22.11.2007 को हुए डीपीसी की तर्ज पर समीक्षा डीपीसी बुलाएं, ताकि याचिकाकर्ता के सहायक निदेशक/उप निदेशक, पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग के पद पर पदोन्नति के मामले पर विचार किया जा सके. कोर्ट ने कहा है कि जिस तिथि से उसके कनिष्ठों को उक्त पद पर पदोन्नत किया गया था, तथा उसके पश्चात, याचिकाकर्ता को दिए जाने वाले वेतन और अन्य सेवानिवृत्ति देय राशि के संबंध में परिणाम का पालन किया जाएगा. कोर्ट ने 90 दिनों की अवधि के भीतर पूरी कार्रवाई करने कहा है.

सुशासन तिहार: CM साय ने PM आवास योजना को लेकर दिया बड़ा बयान, कहा- लेन-देन की शिकायत मिलने पर कलेक्टर होंगे सस्पेंड…

कोरबा- छत्तीसगढ़ में सुशासन तिहार के तीसरे चरण की आज शुरुआत हो चुकी है. इसके तहत सभी जिलों में समाधान शिविर का आयोजन कर लोगों की समस्याओं का समाधान किया जा रहा है. इस दौरान सीएम साय समाधान शिविरों का औचक निरीक्षण कर रहे हैं. सीएम साय पहले सक्ती के करिगांव में पहुंचे थे. वहां सौगातों का पिटारा खोलने के बाद सीएम साय कोरबा के मदनपुर पहुंचे, जहां उन्होंने लोगों की समस्याओं को सुनकर उनका समाधान किया. इसी बीच उन्होंने PM आवास योजना को लेकर बड़ा बयान दिया है.

सीएम विष्णुदेव साय ने कोरबा के मदनपुर में आयोजित समाधान शिविर में पीएम आवास योजना में किसी प्रकार के लेन-देन (रिश्वतखोरी) होने पर जिले के कलेक्टर पर गाज गिरने की बात कही है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना में किसी प्रकार की लेन-देन की शिकायत मिलने पर अब सीधे कलेक्टर को सस्पेंड किया जाएगा. हालांकि उन्होंने इस मामले में अब तक उन्हें ऐसी कोई शिकायत नहीं मिलने की भी बात कही.

वहीं जल जीवन मिशन को लेकर भी सीएम साय ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने बिना जलस्त्रोत जानें कई जगहों पर पानी की टंकी लगा दी. हमारी सरकार इनका सुधार कर रही है. इसके बाद हर घर पानी पहुंचेगा.

बता दें कि सीएम साय ने कोरबा के मदनपुर में लोगों से मुलाकात कर लगभग सभी आवेदनों का निराकरण किया. इससे पहले आज सीएम साय ने सक्ती जिले के करिगांव में सौगातों का पिटारा खोला. यहां मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने नया पंचायत भवन के निर्माण से लेकर मंदिर के सौंदर्यीकरण की घोषणाएं की. और अब वे जांजगीर पहुंच चुके हैं.

छत्तीसगढ़ शराब घोटालाः सुप्रीम कोर्ट की ईडी पर तल्ख टिप्पणी, कहा- बिना सबूत के आरोप लगाने का आपने नया पैटर्न बनाया

नई दिल्ली-  छत्तीसगढ़ शराब घोटाले मामले केस में बंद आरोपी अरविंद सिंह की जमानत याचिका सोमवार (5 मई) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ईडी पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि बिना सबूत के आरोप लगाने का ED ने आजकल नया पैटर्न बनाया है। दरअसल सुनवाई के दौरान ED के वकील ने एसवी राजू ने आरोपी के खिलाफ सबूत पेश करने का समय मांगा था। इस दौरान जस्टिस अभय एस ओका ने ED की जांच पर सवाल खड़े किया।

सुनवाई के दौरान जस्टिस अभय एस ओका ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच पर सवाल उठाए, जिसमें आरोपी पर 40 करोड़ रुपये कमाने का आरोप है, लेकिन कंपनी से संबंध साबित नहीं हुआ। जस्टिस ओका ने कहा कि ईडी बिना सबूत के आरोप लगाता है, यह एक पैटर्न है। ईडी के वकील एसवी राजू ने सबूत पेश करने के लिए समय मांगा।

बचा दें कि यह कथित घोटाला 2019-2022 के बीच हुआ था, जिसमें 2,161 करोड़ रुपये की हानि का अनुमान है। ईडी ने आरोपी अरविंद सिंह पर 40 करोड़ रुपये कमाने का आरोप लगाया है। ईडी के वकील एसवी राजू ने सबूत पेश करने के लिए समय मांगा। इसके बाद शीर्ष न्यायालय ने मामला अगली सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया।

अनगिनत मामलों में हम यही देख रहे-जस्टिस

सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दर्ज किए गए अनगिनत मामलों में यही देख रहे हैं कि आप बिना किसी सबूत के सिर्फ आरोप लगाते हैं। यह एक पैटर्न सा हो गया है। बता दे कि पिछली सरकार के दौरान ED की जांच में यह सामने आया था कि प्रदेश के आबकारी विभाग में 2000 करोड़ से अधिक के राजस्व का नुकसान सरकार को हुआ है। वही ED ने इसमें तत्कालीन आईएएस अनिल टुटेजा , आबकारी विभाग के अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी कारोबारी अनवर ढेबर और अरविंद सिंह समेत नेताओं और मंत्रियों के सिंडिकेट का खुलासा किया था।

क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?

यह घोटाला 2019 से 2022 के बीच राज्य के सरकारी शराब दुकानों से अवैध तरीके से शराब बेचने का था, जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान होने का आरोप है। इस घोटाले में लगभग दो हजार करोड़ रुपए के नुकसान का खुलासा हुआ है। ED की जांच में यह सामने आया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के शासनकाल में आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी ए.पी. त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के गठजोड़ ने यह घोटाला किया। ED ने इस मामले में 28 दिसंबर 2024 को कवासी लखमा और उनके परिवार के सदस्यों के घरों पर छापे मारे थे और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस जब्त किए थे, जिनमें अपराध से अर्जित आय के सबूत मिले थे।

तेंदूपत्ता बोनस घोटाला : EOW-ACB की बड़ी लापरवाही, DFO को दंतेवाड़ा की जगह रायपुर में किया पेश, कोर्ट ने लगाई फटकार, जानिए पूरा मामला…

रायपुर- तेंदूपत्ता बोनस घोटाले मामले में EOW-ACB की बड़ी लापरवाही सामने आई है. निलंबित डीएफओ अशोक पटेल को गिरफ्तार कर दंतेवाड़ा के विशेष कोर्ट में पेश करना था, लेकिन EOW ने उसे रायपुर कोर्ट में पेश कर दो बार रिमांड पर ले लिया. इस पर रायपुर के विशेष कोर्ट ने EOW-ACB को कड़ी फटकार लगाई है. इसके बाद डीएफओ को दंतेवाडा विशेष कोर्ट में पेश कर अशोक पटेल को 9 मई तक न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया.

जानिए क्या है तेंदूपत्ता बोनस घोटाला

आरोप है कि वर्ष 2021-22 में वन विभाग ने तेंदूपत्ता बोनस वितरण के दौरान लगभग 7 करोड़ रुपये की आर्थिक अनियमितता की. यह राशि तेंदूपत्ता संग्राहकों को अप्रैल-मई 2022 में वितरित की जानी थी, लेकिन राशि के आहरण के बावजूद आदिवासी संग्राहकों को भुगतान नहीं किया गया. जब इस मामले की जानकारी पूर्व विधायक मनीष कुंजाम को हुई तो उन्होंने जनवरी 2025 में कलेक्टर सुकमा और सीसीएफ को पत्र लिखकर मामले की जांच की मांग की.

शिकायत के बाद कलेक्टर और वन विभाग ने अलग-अलग जांच समितियां गठित की. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तेंदूपत्ता संग्राहकों के बयान दर्ज किए गए, जिनमें तत्कालीन डीएफओ सुकमा अशोक पटेल की भूमिका सामने आई. प्रारंभिक जांच में दोषी पाए जाने पर उन्हें तत्काल निलंबित कर दिया गया. इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो (EOW/ACB) ने अशोक कुमार पटेल और अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी की धाराओं में केस दर्ज किया. 8 अप्रैल 2025 को एफआईआर दर्ज होने के बाद 10 अप्रैल को छापेमार कार्रवाई की गई.

पिछले दिनों छापेमारी में ACB-EOW को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, बैंक खातों की जानकारी और निवेश से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए. चौंकाने वाली बात यह रही कि डीएफओ ऑफिस के कर्मचारी राजशेखर पुराणिक के घर से 26 लाख 63 हजार 700 रुपए कैश मिले थे.