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सूचना निदेशालय पहुंचे नवागत निदेशक विशाल सिंह, विभागीय कार्यों का किया गहन निरीक्षण- समर्पण भाव से काम करने के दिए निर्देश

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के नवागत सूचना निदेशक विशाल सिंह ने गुरुवार को सूचना निदेशालय का निरीक्षण किया। सुबह 9:30 बजे निदेशालय पहुंचने के बाद उन्होंने निदेशालय के प्रत्येक तल पर स्थित प्रभागों और अधिकारियों के कक्षों का गहन निरीक्षण किया तथा कर्मचारियों से निष्ठा और समर्पण के साथ कार्य करने के निर्देश दिए।

- प्रभागों की कार्यप्रणाली की ली विस्तृत जानकारी

निदेशक श्री सिंह ने विभिन्न प्रभागों के कार्यों का प्रत्यक्ष अवलोकन किया और प्रभागीय प्रभारी अधिकारियों से कार्य प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी ली। निरीक्षण के दौरान वह कार्मिकों की कार्यप्रणाली से संतुष्ट नजर आए।

- प्रचार में सोशल मीडिया का हो प्रभावी इस्तेमाल: विशाल सिंह

निदेशक ने कर्मचारियों से कहा कि सूचना विभाग की भूमिका आज के समय में बहुत अहम है। सरकार की योजनाओं, नीतियों और उपलब्धियों को आमजन तक पहुँचाने में नवीन तकनीकों व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का प्रभावी उपयोग किया जाए।

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि विभाग को आवश्यक संसाधनों से सुसज्जित करना जरूरी है ताकि कार्य में गुणवत्ता और गति बनी रहे।

-- विभिन्न प्रभागों का किया निरीक्षण

नवागत निदेशक ने पंचम, चतुर्थ, तृतीय, द्वितीय एवं प्रथम तल पर स्थित निम्नलिखित प्रमुख प्रभागों का निरीक्षण किया:

विज्ञापन प्रभाग

प्रकाशन एवं निरीक्षा शाखा

गीत एवं नाट्य प्रभाग

सूचना का अधिकार प्रकोष्ठ

संदर्भ शाखा, टीवी शाखा, लेखा प्रभाग

फोटो शाखा, संपादकीय कक्ष, प्रेस प्रभाग

* वेब/डिजिटल मीडिया एवं निकासी प्रभाग

प्रत्येक प्रभाग में उन्होंने कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों से बातचीत की, कार्य संबंधी जानकारियाँ लीं और आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए।

-- जनपदीय कार्यालयों को और सक्रिय बनाने पर बल

क्षेत्र प्रचार प्रभाग के निरीक्षण के दौरान उन्होंने कहा कि जनपदीय सूचना कार्यालयों की भूमिका और अधिक सक्रिय होनी चाहिए, और स्थानीय खबरों पर विशेष नजर रखी जानी चाहिए। प्रशासन प्रभाग में सकारात्मक सोच के साथ कार्य करने का सुझाव दिया गया।

-- निरीक्षण में ये अधिकारी रहे मौजूद:

संयुक्त निदेशक: दिनेश कुमार गुप्ता

वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी: संजय कुमार सिंह

सहायक निदेशकगण: जितेन्द्र प्रताप सिंह, सतीश भारती, संजय कुमार

अन्य विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारी

यूपी : अब एडेड इंटर कॉलेजों में भी प्रवक्ता पद के लिए बीएड अनिवार्य, शासनादेश जारी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में राजकीय इंटर कॉलेजों की तर्ज पर अब एडेड इंटर कॉलेजों में भी प्रवक्ता (PGT) पद के लिए बीएड की डिग्री अनिवार्य कर दी गई है। शिक्षा विभाग ने इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया है। अब केवल परास्नातक की डिग्री प्रवक्ता बनने के लिए पर्याप्त नहीं होगी।

-- क्या था पहले नियम?

अब तक: इंटर में पढ़ाने के लिए सिर्फ परास्नातक (Post Graduation) की डिग्री पर्याप्त थी।

सहायक अध्यापक (हाईस्कूल स्तर) के लिए स्नातक के साथ बीएड या बीएड के समकक्ष डिप्लोमा भी मान्य थे।

--- अब क्या बदला?

PGT (प्रवक्ता) बनने के लिए परास्नातक + बीएड दोनों अनिवार्य होंगे।

सहायक अध्यापक और प्रवक्ता दोनों पदों के लिए अब केवल बीएड की डिग्री को ही मान्यता दी जाएगी।

बीएड समकक्ष डिप्लोमा, जैसे कि महाराष्ट्र का बॉम्बे आर्ट और अन्य राज्यों के शिक्षण डिप्लोमा, अब मान्य नहीं होंगे।

--- राजकीय कॉलेजों में पहले ही लागू है यह नियम

राजकीय इंटर कॉलेजों में पहले से ही यह संशोधन लागू हो चुका है, जहां प्रवक्ता पद के लिए बीएड की अनिवार्यता लागू है। अब यही व्यवस्था एडेड कॉलेजों में भी लागू कर दी गई है।

पुलकित खरे ने उप्र कौशल विकास मिशन के मिशन निदेशक का पदभार संभाला

लखनऊ। पुलकित खरे ने उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के नवनियुक्त मिशन निदेशक के पद का कार्यभार ग्रहण करने के बाद गुरुवार को लखनऊ स्थित मिशन मुख्यालय में आयोजित परिचय सत्र में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों से परिचय प्राप्त कर उनकी जिम्मेदारियों की जानकारी ली। उन्होंने मुख्यालय स्थित विभिन्न प्रकोष्ठों का निरीक्षण भी किया तथा मिशन की कार्यप्रणाली और भविष्य की योजनाओं की जानकारी लेते हुए संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। परिचय सत्र में अपर मिशन निदेशक प्रिया सिंह सहित मिशन से जुड़े अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।

मिशन निदेशक पुलकित खरे ने अपने सेवाकाल में अलीगढ़ में संयुक्त मजिस्ट्रेट, फिर अलीगढ़, बुलंदशहर, शाहजहाँपुर और वाराणसी में मुख्य विकास अधिकारी के रूप में कार्य किया। इसके पश्चात् उन्होंने वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, हरदोई, पीलीभीत और मथुरा के जिलाधिकारी, उत्तर प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण के सीईओ, ग्रेटर नोएडा के एसीईओ तथा नियोजन विभाग में विशेष सचिव जैसे उत्तरदायित्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।

मई के अंत तक लागू होगी नई ट्रांसफर नीति, कर्मचारियों को मिलेगा एक महीने का मौका

लखनऊ। राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। लंबे समय से तबादलों का इंतजार कर रहे कर्मचारियों का इंतजार अब खत्म होने वाला है। राज्य सरकार मई के अंत तक 2025-26 की नई स्थानांतरण नीति को मंजूरी दे सकती है।

नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग ने नई नीति पर काम शुरू कर दिया है। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इस बार तबादलों के लिए कर्मचारियों को एक महीने का समय मिल सकता है।

-- 01 जून से लागू हो सकती है नीति :-

सूत्रों के मुताबिक, सरकार की कोशिश है कि 01 जून से नीति लागू कर दी जाए, जिससे कर्मचारियों को 30 जून तक तबादले का मौका मिल सके। नीति को अंतिम रूप देकर मई के अंत तक कैबिनेट में पेश किया जाएगा।

-- क्या होंगे नई नीति के प्रमुख प्रावधान ?

समूह 'क' और 'ख' के वे अधिकारी जिनकी सेवा किसी जिले में 3 साल और मंडल में 7 साल पूरी हो चुकी है, उनका तबादला किया जा सकेगा। समूह 'ग' और 'घ' में सबसे पुराने अधिकारियों को प्राथमिकता के आधार पर स्थानांतरित किया जाएगा।

'क' और 'ख' श्रेणी में अधिकतम 20% और 'ग' व 'घ' श्रेणी में 10-15% तक ट्रांसफर की सीमा हो सकती है। इस सीमा से अधिक तबादलों के लिए मुख्यमंत्री की अनुमति आवश्यक होगी।

-- मानव संपदा पोर्टल से होगा पूरा प्रोसेस डिजिटल

स्थानांतरण की पूरी प्रक्रिया मानव संपदा पोर्टल से डिजिटल रूप में की जाएगी। कार्यभार ग्रहण और नियुक्ति की प्रक्रिया भी ऑनलाइन होगी, जिससे अधिकारियों की सर्विस बुक और वेतन विवरण भी डिजिटाइज हो सकेंगे।

-- आकांक्षी जिलों और विशेष जरूरतों के लिए भी प्रावधान

आकांक्षी जिलों में रिक्त पदों को भरना पहले की तरह प्राथमिकता में रहेगा। दिव्यांग बच्चों के अभिभावकों के तबादले ऐसी जगह किए जाएंगे जहां इलाज की सुविधा उपलब्ध हो।

हाथीपुर गांव पहुंचा शुभम का पार्थिव शरीर, राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार

कानपुर/लखनऊ। पहलगाम में हुए आतंकी हमले में जान गंवाने वाले कारोबारी शुभम द्विवेदी का पार्थिव शरीर बुधवार देर रात हाथीपुर गांव पहुंचा। शव के पहुंचते ही परिजनों में कोहराम मच गया। जिसे देखो उसी की आंखें नम नजर आईं। रोते बिलखते परिजन आरोपितों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

कैबिनेट मंत्री राकेश सचान भी एंबुलेंस के साथ पहुंचे

इससे पहले शुभम का शव विशेष विमान से लखनऊ स्थित चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचा। जहां पर उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने मृतक को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए परिजनों से मिलकर केंद्र और प्रदेश सरकार की ओर से हर संभव मदद का आश्वाशन दिया। इसके बाद 14 गाड़ियों के काफिले के साथ कैबिनेट मंत्री राकेश सचान उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय अमौसी एयरपोर्ट से कानपुर स्थित हाथीपुर गांव में एंबुलेंस के साथ पहुंचे।

एंबुलेंस के पहुंचते ही चारों तरफ चींख पुकार मच गई

सन्नाटे के बीच एंबुलेंस के पहुंचते ही चारों तरफ चींख पुकार मच गई। परिजन एक दूसरे के कंधे पर सिर रखकर रोते हुए नजर आए। तो वहीं मौजूद परिवार के अन्य सदस्यों ने एंबुलेंस से सबको उतार कर शव डीप फ्रीजर में रखवाया। गुरुवार को महाराजपुर स्थित ड्योढ़ी घाट में राजकीय सम्मान के साथ पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया जाएगा। उधर घटना की पल-पल की जानकारी सीएम योगी आदित्यनाथ भी ले रहे हैं। बताया जा रहा है कि अंतिम संस्कार में मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी शामिल होने के लिए गुरुवार को कानपुर पहुंचेंगे।

30 साल से फरार खालिस्तानी आतंकी मंगत सिंह गिरफ्तार

लखनऊ । उत्तर प्रदेश एटीएस की नोएडा यूनिट और गाज़ियाबाद पुलिस की साहिबाबाद थाना टीम ने संयुक्त अभियान में एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। टीम ने खालिस्तान कमांडो फोर्स (KCF) से जुड़े मोस्ट वांटेड फरार आतंकी मंगत सिंह उर्फ मंगा को 30 वर्षों के लंबे फरारी के बाद गिरफ्तार कर लिया है। मंगत सिंह की गिरफ्तारी को खालिस्तानी नेटवर्क के खिलाफ चल रही कार्रवाई में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।

25,000 का इनामी, चार गंभीर मामले दर्ज

मंगत सिंह पर गाज़ियाबाद पुलिस द्वारा 25,000 का इनाम घोषित किया गया था। उसके खिलाफ थाना साहिबाबाद में दर्ज मामलों में टाडा, हत्या के प्रयास, आर्म्स एक्ट और फिरौती जैसे चार गंभीर मुकदमे शामिल हैं। मंगत सिंह को 1993 में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था, लेकिन 16 अगस्त 1995 को जमानत पर रिहा होने के बाद वह कानून से बचते हुए फरार हो गया था।

गुप्त सूचना से मिली गिरफ्तारी में सफलता

ATS को खुफिया इनपुट मिला था कि मंगत सिंह इस समय पंजाब के जिला अमृतसर के गांव टिम्मोवाल, थाना खिलचियाँ में छिपा हुआ है। इस सूचना को तकनीकी और सहयोगी एजेंसियों की मदद से पुष्ट किया गया और फिर एक संयुक्त अभियान चलाकर बुधवार को उसे गिरफ्तार कर लिया गया।गिरफ्तार आरोपी मंगत सिंह पुत्र गुरुदत्त, मूल रूप से गाज़ियाबाद का निवासी था और KCF का सक्रिय सदस्य रहा है।

परिवारिक पृष्ठभूमि भी आतंक से जुड़ी

गौरतलब है कि मंगत सिंह का सगा भाई संगत सिंह, खालिस्तान कमांडो फोर्स का प्रमुख (चीफ) था, जिसकी वर्ष 1990 में पंजाब पुलिस के साथ मुठभेड़ में मौत हो गई थी। मंगत सिंह भी उसी संगठन की गतिविधियों में वर्षों तक सक्रिय रूप से शामिल रहा।

अब होगा कानूनन हिसाब

मंगत सिंह को गिरफ्तारी के बाद गाज़ियाबाद लाया गया है और अब उससे संबंधित मामलों में आगे की कानूनी प्रक्रिया चलाई जा रही है। एटीएस और स्थानीय पुलिस की इस सफलता को खालिस्तानी आतंकवाद के विरुद्ध एक निर्णायक कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है।

विशाल सिंह ने निदेशक सूचना का पदभार ग्रहण किया

लखनऊ। सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के नव नियुक्त निदेशक विशाल सिंह ने बुधवार को निदेशक सूचना का पदभार ग्रहण किया। पदभार ग्रहण करने के उपरांत उन्होंने मुख्यालय पं. दीनदयाल उपाध्याय सूचना परिसर में वरिष्ठ अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ बैठक कर विभागीय कार्यप्रगति की जानकारी ली और आगामी कार्यों की प्राथमिकताओं पर विचार-विमर्श कर जरूरी निर्देश दिये।

निदेशक सूचना ने बैठक में कहा कि सूचना विभाग शासन की नीतियों, योजनाओं तथा कार्यक्रमों को आमजन तक प्रभावी ढंग से पहुँचाने में सेतु का कार्य कर रहा है। उन्होंने अधिकारियों से अपेक्षा की कि वे नवाचार, पारदर्शिता और समयबद्धता के साथ कार्य करें, ताकि राज्य सरकार की उपलब्धियों का जन-जन तक व्यापक प्रचार-प्रसार हो सके।

श्री सिंह मूलतः जौनपुर के निवासी हैं। इसके पहले वे नगर आयुक्त अयोध्या नगर निगम तथा उपाध्यक्ष, अयोध्या विकास प्राधिकरण तथा जिलाधिकारी भदोही एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी, भदोही औद्योगिक विकास प्राधिकरण में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

गांवों को जोड़ने वाली सड़कें ग्रामीण हाईवे जैसी दिखनी चाहिए: केशव प्रसाद मौर्य

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत निर्मित की जा रही ग्रामीण सड़कों की गुणवत्ता और दृष्टिकोण को लेकर अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण सड़कें ऐसी होनी चाहिए कि वे 'ग्रामीण हाईवे' जैसी प्रतीत हों।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत और टिकाऊ सड़क नेटवर्क बनाकर गांवों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने निर्माण कार्य में लगे अभियंताओं से आग्रह किया कि वे नवाचार, गुणवत्ता, समयबद्धता और पारदर्शिता के साथ कार्य करें।

एफडीआर तकनीक से आ रहा निर्माण क्षेत्र में परिवर्तन

मौर्य ने विशेष रूप से एफडीआर (फुल डेप्थ रिक्लेमेशन) तकनीक पर जोर देते हुए कहा कि अब सभी पीएमजीएसवाई की सड़कें इसी तकनीक से बनाई जाएं। उन्होंने कहा कि यह तकनीक न केवल टिकाऊ है, बल्कि पारंपरिक निर्माण की तुलना में अधिक पर्यावरण अनुकूल और लागत प्रभावी भी है। इसमें पहले से बनी सड़क को खोदकर उसी सामग्री का पुनः उपयोग किया जाता है, जिससे पत्थर और गिट्टी जैसी बाहरी सामग्री की आवश्यकता नहीं पड़ती।

इंजीनियर बनें ‘फील्ड वर्कर’, सिर्फ सुपरवाइजर नहीं

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि अभियंता केवल निरीक्षण करने वाले अधिकारी न रहें, बल्कि स्वयं मौके पर मौजूद रहकर कार्य कराएं, इससे न केवल गुणवत्ता बढ़ेगी बल्कि कार्य में टीम भावना और पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा, "काम ऐसा हो कि देखकर गर्व हो और जनता को इसका सीधा लाभ मिले।"

5992 करोड़ की लागत से 747 सड़कें स्वीकृत

यूपीआरआरडीए के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अखण्ड प्रताप सिंह ने जानकारी दी कि PMGSY के तहत 747 सड़कों (कुल लंबाई 5820.79 किमी) को एफडीआर तकनीक से बनाने की मंजूरी दी गई है, जिसकी कुल लागत लगभग ₹5992 करोड़ है।

अब तक : -

535 सड़कों का कार्य पूर्ण

5101 किमी में एफडीआर बेस पूरा

4775 किमी में डामरीकरण पूर्ण

₹4396.12 करोड़ खर्च

* गांवों को सशक्त बनाने की दिशा में मजबूत कदम

मौर्य ने कहा कि भारत गांवों में बसता है, और गांवों की मजबूती के लिए सड़क कनेक्टिविटी अहम भूमिका निभाती है। उन्होंने सभी इंजीनियरों और ठेकेदारों से आपसी समन्वय के साथ काम करने का आग्रह करते हुए कहा कि "अगर काम की गति और पद्धति सही होगी, तो काम की कोई कमी नहीं होगी।"

मिर्जापुर में 131 करोड़ की 7 पर्यटन परियोजनाएं स्वीकृत, विंध्यधाम क्षेत्र को मिलेगा नया स्वरूप

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने मिर्जापुर जनपद में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 131.51 करोड़ रुपये लागत की सात विकास परियोजनाओं को स्वीकृति दी है। ये परियोजनाएं जनप्रतिनिधियों और जिलाधिकारी के प्रस्तावों के आधार पर मंजूर की गई हैं, जिनका उद्देश्य विंध्यवासिनी धाम सहित क्षेत्र के प्रमुख धार्मिक व पर्यटन स्थलों को बेहतर सुविधाओं से लैस करना है।

राज्य के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि विंध्याचल क्षेत्र में मल्टीलेवल पार्किंग और पर्यटक सुविधा केंद्र के निर्माण पर 45.63 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जबकि मां की पैड़ी के पर्यटन विकास पर 46.76 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है। इसके अतिरिक्त, विंध्यधाम में उत्तर प्रदेश तीर्थ विकास परिषद कार्यालय का निर्माण 23.73 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा।

जयवीर सिंह ने कहा, “विंध्यधाम में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध होने से श्रद्धालुओं की संख्या में निश्चित ही वृद्धि होगी। इससे न केवल धार्मिक पर्यटन को बल मिलेगा, बल्कि स्थानीय लोगों को भी रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।”

उन्होंने बताया कि कार्यदायी संस्थाओं को निर्धारित कर शासनादेश जारी कर दिया गया है। सभी परियोजनाओं के निर्माण में समयबद्धता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।

अन्य स्वीकृत परियोजनाओं में शामिल हैं:

प्राचीन शिवाला, ग्राम मिलगौर – ₹62.54 लाख

बालूघाट, चुनार – पक्का स्नान घाट का निर्माण – ₹11.79 करोड़

दुलारो माता मंदिर, ग्राम डेरवा – ₹48.90 लाख

कोटारानाथ मंदिर, महूगढ़ – ₹47.77 लाख

लखनऊ: सेन्ट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ की "स्वाभिमान बैठक", परिवहन निगम के निजीकरण के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का ऐलान

लखनऊ। परिवहन निगम के निजीकरण की संभावनाओं और कर्मचारियों के भविष्य पर मंडरा रहे खतरे को लेकर सेन्ट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ, लखनऊ क्षेत्र की अहम बैठक आयोजित की गई। बैठक को "चालक-परिचालक स्वाभिमान बैठक" का नाम दिया गया, जो प्रांतीय निर्देशों के अनुरूप आयोजित की गई थी। इसका उद्देश्य कर्मचारियों को जागरूक कर आगामी संघर्ष के लिए तैयार करना था।

बैठक की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष त्रिलोकी व्यास ने की, जबकि प्रमुख वक्ता प्रांतीय महामंत्री जसवंत सिंह ने संगठन की ओर से अब तक किए गए प्रयासों और सरकार की निष्क्रियता को लेकर चिंता जाहिर की। उन्होंने बताया कि अगस्त 2024 में प्रमुख सचिव परिवहन से सकारात्मक वार्ता हुई थी, लेकिन उसके बावजूद आज तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई। यहां तक कि 15 फरवरी को मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा गया, परंतु उसका भी कोई असर नहीं दिखा।

जसवंत सिंह ने चेतावनी देते हुए कहा, "अगर परिवहन निगम को खत्म कर निजी हाथों में सौंपने की कोशिशें नहीं रुकीं, तो यह संघर्ष अब आर-पार का होगा। अगर बलिदान की जरूरत पड़ी, तो मैं खुद आगे आकर बलिदान देने को तैयार हूं।"

उन्होंने निगम प्रबंधन और कुछ संगठनों पर निजी लाभ के लिए मिलीभगत करने और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप भी लगाया।

बैठक में आलमबाग, अवध, कैसरबाग, हैदरगढ़, उपनगरीय चारबाग और रायबरेली डिपो के कई कर्मचारी मौजूद रहे। प्रमुख रूप से उपस्थित लोगों में मीसम जैदी, चंद्र प्रताप सिंह, शेखर सक्सेना, संतोष सिंह, आरिफ हुसैन, रामकुमार, चंद्रशेखर शुक्ला और अरुण सिंह शामिल थे।