इन महापुरुषों की जिंदगी में रहा महिलाओं का खास योगदान, हर कदम पर चलीं साथ
हर पुरुष की सफलता में कहीं न कहीं किसी महिला का हाथ जरूर होता है…ये लाइन आपने कई बार सुनी होगी और यह काफी हद तक सच भी है. जिंदगी में किसी पुरुष को आगे बढ़ाने में सहयोग करने वाली उनकी पत्नी, बहन, मां कोई भी हो सकती है. महिलाएं जहां कंधे से कंधा मिलाकर चलना जानती हैं तो वह पूरी तरह समर्पित होकर साथ भी देना जानती हैं. भारत के इतिहास में कई ऐसी महिलाएं हुई हैं, जिन्होंने न सिर्फ अपनी वीरता का प्रमाण दिया है, बल्कि अपने समर्पण से भी देश को सींचा है. भारत की धरती पर कई महापुरुष हुए हैं और उनकी जिंदगी में उन्हें आगे बढ़ाने से लेकर हर स्थिति में साथ चलने तक महिलाओं का खास योगदान रहा है. आज अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर बात करेंगे ऐसी ही महिलाओं के बारे में जिनका देश के महापुरुषों के जीवन में खास योगदान रहा और देश की आजादी में भी इन महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
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एक महिला अगर पुरुष की हर परिस्थिति में साथ देने का ठान ले तो वह उसे अर्श तक ले जाने का दम रखती है और हर परिस्थिति में उसके साथ जीवन निर्वाह भी कर सकती है. ऐसी ही न जाने कितनी कहानियां हैं जो हमारे देश की महिलाओं की गाथा कहती हैं. देश में योगदान देने वाले महापुरुषों की तो काफी बातें की जाती हैं, लेकिन उनकी जिंदगी में भी किसी न किसी महिला का योगदान जरूर रहा है तो चलिए उनके बारे में भी जान लेते हैं.
कस्तूरबा गांधी
गांधी जी को देश का बापू कहा जाता है और देश का बच्चा-बच्चा आज भी उनके बारे में जानता है. गांधी जी ने देश को आजादी दिलाने के लिए हर भरसक प्रयास किया और खुद को पूरी तरह से समर्पित कर दिया, वहीं उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी भी हर कदम पर उनके साथ रहीं. यहां तक कि उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलनों में भी हिस्सा लिया और जेल भी गईं. इस दौरान उन्होंने काफी कष्ट भी सहे. वहीं महात्मा गांधी की मां पुतलीबाई का भी एक प्रेरणा के रूप में उनके जीवन में खास योगदान रहा.
सावित्री बाई फुले
ज्योतिबा फुले एक समाजसुधारक, लेखक होने के साथ क्रांतिकारी कार्यकर्ता भी थे तो वहीं उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले ने भी देश के लिए अहम भूमिका निभाई है. सावित्रीबाई फुले का महिलाओं की साक्षरता में खास योगदान रहा है. आज भी उनके किए कार्य प्रेरणा हैं. वह भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं और अपने पति ज्योतिवाराव फुलें का साथ मिलकर उन्होंने कई स्कलों की स्थापना की और समाज को सुधारने की तमाम कोशिशें की.
सुशीला दीदी
एक ऐसी महिला जिसने देश के क्रांतिकारियों के लिए अपने गहनों तक को बेच दिया था, उनका नाम है सुशीला, जिन्हें सुशीला दीदी के नाम से जाना गया. भारत की स्वाधीनता आंदोलन के दौरान मातृशक्ति का खास योगदान रहा है. सुशीला दीदी वह महिला थीं, जिन्हें स्कूल से ही देशभक्ति की प्रेरणा अपनी महिला प्राचार्य से मिली थी और उन्होंने एक पंजाबी गीत भी लिखा जो क्रांतिकारियों की पसंदीदा गीत बना. इसके अलावा वह क्रांतिकारियों तक गुप्त सूचनाएं भेजना, क्रांति की अलख जगाने केलिए पर्चे वितरित करना, जैसे काम भी करती थीं.
Mar 08 2025, 12:44