जलवायु परिवर्तन और लॉस एंजिल्स की आग: 32 जलवायु वैज्ञानिकों का विश्लेषण
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वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन के तहत 32 जलवायु वैज्ञानिकों ने हाल में एक विश्लेषण प्रकाशित किया, जिसमें उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन ने लॉस एंजिल्स के जंगलों की आग को और भी अधिक विनाशकारी बना दिया है। इस विश्लेषण के अनुसार, यदि मानवजनित जलवायु परिवर्तन न होता, तो ऐसी परिस्थितियाँ 35% कम संभावित होतीं। यह बढ़ता हुआ खतरा मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन के जलने से उत्पन्न गर्मी और शुष्क मौसम के कारण है, जो आग की घटनाओं को और भी गंभीर बना रहे हैं।
आग की बढ़ती गंभीरता
विश्लेषण में वैज्ञानिकों ने यह पाया कि आग की परिस्थितियाँ – गर्म, शुष्क और तेज हवाएँ – जलवायु परिवर्तन के कारण ज्यादा गंभीर हो गई हैं। इनके कारण लॉस एंजिल्स में आग लगने की संभावना 35% अधिक हो गई है। इससे भी अधिक चिंताजनक यह है कि अगर वैश्विक तापमान 2.6 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ता है, जैसा कि 2100 तक होने का अनुमान है, तो आग लगने की संभावना और बढ़ जाएगी। वैज्ञानिकों ने इस बात की भी चेतावनी दी कि यदि जलवायु परिवर्तन के कारण यह वृद्धि जारी रहती है, तो आने वाले वर्षों में इस प्रकार की घटनाएँ और भी बढ़ सकती हैं।
डोनाल्ड ट्रम्प की जलवायु नीतियाँ और उनका प्रभाव
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल में पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका का बाहर निकलना और जलवायु नीतियों में बदलाव ने जलवायु संकट को और बढ़ा दिया। ट्रम्प के शासन में जलवायु परिवर्तन को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, और कई नीतियाँ उलट दी गईं। इसके कारण जलवायु परिवर्तन के प्रभावों में तेजी आई है, जैसे कि जंगलों में आग लगने की घटनाओं में वृद्धि।
सूखा और आग के मौसम की बढ़ती संभावना
विश्लेषण में यह पाया गया कि अक्टूबर से दिसंबर तक कम वर्षा होने की संभावना अब औद्योगिक-पूर्व जलवायु की तुलना में लगभग 2.4 गुना अधिक हो गई है। इसका मतलब यह है कि सूखा और आग के मौसम की संभावना बढ़ गई है। विशेष रूप से सांता एना हवाओं के दौरान आग लगने की संभावना अधिक होती है, जो दिसंबर और जनवरी के महीनों में सबसे तेज होती हैं। इन हवाओं के कारण आग जल्दी फैल जाती है और इसका प्रभाव काफी गंभीर हो सकता है।
जंगली आग का विनाशकारी प्रभाव
एलए में हाल ही में हुई जंगली आग को शहर के इतिहास की सबसे विनाशकारी आग माना गया है। इस आग ने लगभग 10,000 घरों और वाणिज्यिक संपत्तियों को नष्ट कर दिया और 28 लोगों की जान ले ली। इसके अलावा, यह आग कैलिफोर्निया में एक बहुत महंगा नुकसान साबित हुई है। अनुमान के अनुसार, आग के कारण हुए निजी बीमाकृत नुकसान का आंकड़ा $27.2 बिलियन था, जबकि AccuWeather ने कुल नुकसान को $250 बिलियन से अधिक होने का अनुमान जताया है।
इसके अलावा, इस आग के कारण स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ा, क्योंकि जंगल की आग से निकलने वाला धुंआ और प्रदूषण सांस की बीमारियाँ उत्पन्न कर सकता है। यह सभी घटनाएँ जलवायु परिवर्तन के कारण और भी गंभीर हो गई हैं।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव और अगली पीढ़ियों के लिए खतरे
जलवायु परिवर्तन ने जंगली आग के मौसम को लंबा और खतरनाक बना दिया है। शुष्क, ज्वलनशील स्थितियाँ अब औद्योगिक-पूर्व जलवायु के मुकाबले औसतन 23 दिनों तक लंबी रहती हैं। इन सूखे स्थितियों के कारण आग लगने की संभावना अधिक होती है। वहीं, वर्षा के पैटर्न में भी परिवर्तन हो रहा है, जिससे सूखा कुछ वर्षों तक लंबा हो सकता है। जलवायु परिवर्तन के कारण, पौधों से नमी अधिक तेजी से वाष्पित हो रही है, जिससे वे जल्दी जल सकते हैं और आग की स्थिति और भी विकराल हो जाती है।
जलवायु मॉडलिंग और भविष्य के प्रभाव
शोधकर्ताओं ने जलवायु मॉडलिंग प्रयोगों में दो बहु-मॉडल समूहों का उपयोग किया: समुद्री सतह तापमान (SST)-संचालित वैश्विक परिसंचरण उच्च-रिज़ॉल्यूशन मॉडल और क्षेत्रीय जलवायु मॉडल। इन प्रयोगों से पता चला कि यदि दुनिया अपने वर्तमान उत्सर्जन पथ पर चलती रही, तो औद्योगिक-पूर्व स्तरों से तापमान में 3.1 डिग्री सेल्सियस तक वृद्धि हो सकती है, जैसा कि उत्सर्जन अंतर रिपोर्ट 2024 में कहा गया है। इसका मतलब यह है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और बढ़ेंगे, और आग जैसी घटनाओं में वृद्धि होगी।
जलवायु नीतियाँ और भविष्य की दिशा
अमेरिका में बिडेन प्रशासन ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उन्होंने 2035 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 2005 के स्तर से 61-66% तक कम करने का लक्ष्य रखा है। यह कदम जलवायु संकट से निपटने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है। हालांकि, ट्रम्प प्रशासन के तहत पेरिस जलवायु समझौते से बाहर निकलने और जलवायु नीतियों को रद्द करने के कारण जलवायु संकट को और बढ़ावा मिला था।
वर्तमान में, कई देश जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कदम उठा रहे हैं। 2035 के लिए राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) के तहत कई देशों ने उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य तय किए हैं। इनमें से चार देश – यूएई, ब्राजील, अमेरिका और उरुग्वे – ने अपने जलवायु लक्ष्यों को प्रस्तुत किया है। इस प्रकार, जलवायु नीति में बदलाव और उत्सर्जन में कमी की दिशा में और प्रयास किए जा रहे हैं।
यह समय है कि हम जलवायु परिवर्तन के समाधान के लिए वैश्विक स्तर पर कदम उठाएँ और जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करने के लिए त्वरित उपाय करें। अगर हम इसी दिशा में काम करते हैं, तो हम जलवायु संकट से निपटने में सक्षम हो सकते हैं और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और स्थिर पर्यावरण सुनिश्चित कर सकते हैं।
Jan 31 2025, 20:03