*कुंभ भारतीय संस्कृति और सनातन की पुनर्स्थापना है- डॉ संतोष अंश*
( कुंभ का शैक्षिक निहितार्थ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन )
सुलतानपुर,राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के बी एड विभाग द्वारा संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय' कुंभ का शैक्षिक निहितार्थ ' रखा गया था । इस संगोष्ठी में बी एड प्रथम वर्ष एवं द्वितीय वर्ष के प्रशिक्षणार्थियों ने प्रतिभाग किया। डॉ संतोष सिंह अंश ने अपने उदबोधन में कहा कि महाकुंभ का सिर्फ धार्मिक और आध्यात्मिक नहीं वैज्ञानिक महत्व भी है। हमारे ऋषि मुनि बहुत विद्वान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखते थे। माना जाता है कि देवों और असुरों के बीच सागर मंथन से अमृत कलश निकला था उस दिव्य कलश को प्राप्त करने के लिए देव और दानव में 12 दिन महाभयंकर युद्ध हुआ था। उसी समय अमृत की चार बूंद पृथ्वी पर गिरी प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक यह उन जगह के नाम है।
देवताओं के 12 दिन पृथ्वी के 12 साल होते है। सूर्य, पृथ्वी, चंद्र और गुरु यह चारों ग्रह एक विशिष्ट संयोग में आते हैं तब पृथ्वी के सबसे नजदीक 3 जनवरी को आता है। इसी के साथ 14 तारीख को मकर संक्रांति को सूर्य उत्तरायण होते है। पौष पौर्णिमा के दिन विशिष्ट संयोग से गुरु का कुंभ राशि में प्रवेश होता है। पूर्णिमा के दिन बृहस्पति कुंभ राशि में प्रवेश करते है। सूर्य हर 12 साल में सोलर सायकल सूर्य पूरी करता है। सूर्य जब नॉर्थ से साउथ पोल घूमता है उस समय सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड से पृथ्वी का वातावरण प्रभावित होता है। पृथ्वी पर रहने वाले जीव जंतुओं और मानव के लिए यह मैग्नेटिक फील्ड अत्यधिक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती है।
सूर्य चक्र का समय भी कुंभ से जुड़ा हुआ होता है। ठंड के दिन में जब वातावरण में ऑक्सीजन मॉलिक्यूल का घनत्व ज्यादा होता है। वातावरण और पानी में उसे समय ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती है। यह ऑक्सीजन मॉलक्युलस पवित्र मां गंगा नदी, यमुना नदी, सरस्वती नदी के संगम में मिलते है तब पानी में डिसॉल्व ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। हमारे ऋषि मुनियों ने इस वैज्ञानिक कारण को भी ध्यान में रखकर कुंभ की परंपरा विकसित की होगी, ऐसा माना जा सकता है। गुरु ग्रह की गुरुत्वाकर्षण शक्ति, सूर्य का सूर्य चक्र और सोलर स्पॉट नॉर्थ पोल, साउथ पोल परिवर्तन के समय का मैग्नेटिक फील्ड बनती है। जो पृथ्वी पर सकारात्मक ऊर्जा सुमन रिसोनेंस फ्रिक्वान्सी से इंसान के दिमाग में अल्फा किरणों की वृद्धि करती है। इससे मनुष्य के मन को शांति मिलती है और शरीर को निरोगी जीवन देती है। सूर्य की गतिविधियों का पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र पर प्रभाव पड़ता है। जो इंसान की जैविक घड़ी जिसे नींद और जागने का चक्र कहते हैं, उसे बेहतर बनाता है। पृथ्वी, सूर्य, चंद्र और गुरु के खगोलीय संयोग से एकत्रित होकर वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। इस ऊर्जा के साथ सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद, साधु संतों और तपस्वियों की उपस्थिति का वातावरण ही अमृत तुल्य होता है। इस आशीर्वाद के कारण ही वातावरण में जो अमृत वर्षा होती है पानी में PH, घुली हुई ऑक्सीजन और मिनिरल्स सही मात्रा में पानी में मिलते है। जो पवित्र गंगा नदी के जल को आध्यात्मिक और वैज्ञानिक रूप से बहुत उपयोगी और लाभदायक बनाते हैं। इनका हमारे जीवन में बहुत फायदा होता है। आत्मिक शांति मिलती है और जीवन निरोगी होता है। आधुनिक विज्ञान हमारी हजारों साल पुरानी परंपराओं को सिद्ध कर रहा है और सही मान रहा है।
यह भारतीय संस्कृति और सनातन की पुनर्स्थापना है। कुंभ पर्व मानव जीवन में विशेष ऊर्जा का संचार करता है। कुंभ से आत्मशुद्धि, आत्मावलोकन के अवसर मिलते है। कुंभ में समरसता का अदभुत संगम मिलता है। हमें सामाजिक सौहार्द्र की शिक्षा मिलती है। कुंभ से कुशल प्रबंधन, सेवा भाव, सीख सकते है। विविधता में एकता यहाँ दिखती है। कुंभ में लघु विश्व का दर्शन मिलता है। यहाँ बी एड़ के विद्यार्थियों में मारुत कुमार, साक्षी सिंह, अनुभवी सिंह, अर्चिता सिंह, आस्था यादव, अंकुर मिश्रा, सौरभ ने अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ भारती, मैडम शांतिलता कुमारी, डॉ सीमा सिंह उपस्थित रही। कार्यक्रम का संचालन बी एड द्वितीय वर्ष की आभा शर्मा ने किया ।
Jan 18 2025, 14:05