तिब्बती बच्चों को अपने माता पिता से अलग कर रहा चीन, ये है ड्रैगन का खतरनाक प्लान
#china_erasing_tibetan_culture_by_systematically
चीन जबरन तिब्बत कर कब्जा जमाना चाहता है। इसके लिए चीन खतरनाक चालें चल रहा है। चीन ने अपने इस मकसद के लिए तिब्बती बच्चों को “हथियार” बनाया है। चीन ने तिब्बत की संस्कृति को कमजोर करने और वहां चीनी संस्कृति फैलाने के लिए बच्चों को जरिया बनाया है। चीन बच्चों के जरिए तिब्बत की संस्कृति उसकी आत्मा को खत्म करने की फिराक में है। इसलिए वह जबरन तिब्बती बच्चों को बोर्डिंग स्कूल में भेज रहा है।
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों और तिब्बती कार्यकर्ताओं ने चीन पर यह आरोप लगाया है। चीन का मकसद तिब्बत पर अपना नियंत्रण और मजबूत करना है। इसके लिए वह तिब्बती बच्चों को उनकी भाषा के बजाय खासतौर पर बनाए गए बॉर्डिंग स्कूलों में चीनी भाषा पढ़ा रहा है। तिब्बत के छह साल से ज्यादा उम्र के तीन-चौथाई तिब्बती छात्र इन स्कूलों में जा रहे हैं, जहां चीनी भाषा में पढ़ाई होती है। चीन ने तिब्बत में बड़ी संख्या में ये स्कूल और छात्रावास बनाएं हैं, जिनमें फ्री दाखिला मिलता है।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, तिब्बत में बने इन बॉर्डिंग स्कूलों में तिब्बती भाषा, संस्कृति और बौद्ध धर्म की जगह चीनी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा दिया जाता है। वहीं, चीनी अधिकारी कहते हैं कि ये स्कूल तिब्बती बच्चों को चीनी भाषा और आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी कौशल सीखने में मदद करते हैं। उनका कहना है कि परिवार अपनी मर्जी से बच्चों को इन मुफ्त स्कूलों में भेजते हैं। चीन इन स्कूलों का विस्तार कर रहा है। चीन यह दिखाना चाहता है कि खुश और स्वस्थ तिब्बती बच्चे गर्व से खुद को चीनी बता रहे हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीनी अधिकारी तिब्बती बच्चों को इन आवासीय स्कूलों में भेजने के लिए दबाव बनाते हैं। इसमें माता-पिता के पास अपने बच्चों को स्कूल भेजने के अलावा कोई चारा नहीं होता। कई माता-पिता अपने बच्चों से लंबे समय तक नहीं मिल पाते।
वहीं, चीन के दावे के उलट कई शोध पत्रों और रिपोर्टों में तिब्बती बच्चों पर इन स्कूलों के बुरे मनोवैज्ञानिक प्रभावों के बारे में चेतावनी दी गई है। इनमें बच्चों में चिंता, अकेलापन, अवसाद और दूसरी मानसिक परेशानियां शामिल हैं।
तिब्बत एक्शन इंस्टीट्यूट का अनुमान है कि 6 से 18 साल की उम्र के करीब 8 लाख तिब्बती बच्चे चीन के स्कूलों में पढ़ रहे हैं। यानी कि हर 4 में से 3 बच्चे चीन के अप्रत्यक्ष नियंत्रण में है, जिन्हें वह तिब्बती संस्कृति को मिटाने के लिए हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है।
Jan 15 2025, 09:51