*मनरेगा योजना रोजगार सेवकों प्रधानों के लिए बनी लूट खसोट का अड्डा*
चंदौली- स्थानीय विकास खंड में मनरेगा योजना में फर्जी हाजिरी भरकर सरकारी धन हड़पने का खेल नही ले रहा रुकने का नाम।मनरेगा योजना ग्राम प्रधानों के लिए दुधारू गाय साबित हो रही है ग्रामीणों ने इसकी निष्पक्ष जाँच कराने की मांग किया है।
ग्रामीणों की माने तो सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक मनरेगा योजना ग्राम पंचायतो में विकास कार्य के नाम पर रोजगार सेवको,ग्राम प्रधान व अधिकारी मिलकर कर कच्चे, पक्के कार्यों में मानक के बिपरीत सरकारी धन का बंदरबांट करने में लगे हुए है । इस योजना में गाँव के विकास के नाम परअंदरखाने में खूब लूट खसोट का खेल चल रहा है l ज़ब कि जनपद के आला अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी चुप्पी साध रखे है ।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिकरोजगार सेवकों द्वारा मनरेगा मजदूरों की ऑनलाइन हाजिरी में गोलमाल करते हैl अपने रिकार्ड में उपस्थिति कुछ और ज़ब कि मौके पर केवल कुछ ही मजदूर कार्य करते है।
नाम व गांव न छापने कि शर्तो पर मनरेगा मजदूरों का कहना है कि ग्राम प्रधानों द्वारा ऐसे लोगो का जॉब कार्ड बनाया गया है जो कभी कार्य नहीं करते है लेकिन उनकी हाजिरी लग जाती है और बैंको से भुकतान भी कमीशन की सेटिंग के बाद हो जाता है। इस प्रकार देखा जाय तो सरकारी धन का बंदरबांट करने में रोजगार सेवकों व ग्राम प्रधान का मुख्य रोलरहता है ।ज़ब कि सरकार इस योजना को सफल बनाने के लिए हर वर्ष गाँवो में मनरेगा के तहत कराये गए कार्यों का सोशल ऑडिट टीम के माध्यम से ऑडिट कराती रहती है जो केवल खाना पूर्ति तक सीमित रहता है l
ग्रामीणों ने मनरेगा योजना के कार्यों की निष्पक्ष जाँच कराने के लिए शासन से मांग किया है l
Dec 30 2024, 19:49