/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif StreetBuzz बेंगलुरु में दो नए शहरों की घोषणा: KWIN V/S SWIFT City, जानें क्या हैं समानताएं और अंतर Mamta kumari
बेंगलुरु में दो नए शहरों की घोषणा: KWIN V/S SWIFT City, जानें क्या हैं समानताएं और अंतर


बेंगलुरु : हाल ही में कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु में एक और नए शहर को बसाने की घोषणा कर दी है। बेंगलुरु के इलेक्ट्रॉनिक सिटी के तर्ज पर ही अब SWIFT City को बसाया जाएगा। बेंगलुरु को देश की सिलीकॉन सिटी कहा जाता है। कर्नाटक को सिलीकॉन स्टेट बनाने के उद्देश्य से ही बेंगलुरु में इन नए शहरों को बसाया जा रहा है, ताकि नए-नए औद्योगिक घरानों, स्टार्टअप आदि को बेंगलुरु के लिए आकर्षित किया जा सकें।

इससे पहले इसी साल सितंबर में कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु में एक और शहर KWIN City को बसाने की घोषणा की थी। ऐसे में आपके मन में यह सवाल जरूर आया होगा कि KWIN और SWIFT City में क्या अंतर होगा? या बेंगलुरु में बसाए जाने वाले दोनों नए शहरों KWIN और SWIFT City में समानताएं क्या होने वाली हैं?

KWIN City bangalore PC : AI

तो चलिए पता लगाते हैं, बेंगलुरु में बसाए जाने वाले KWIN और SWIFT City की क्या विशेषताएं हैं और दोनों में क्या-क्या अंतर होगा?

क्या है KWIN और SWIFT City?

KWIN City - नॉलेज (Knowledge), वेलबिइंग (Wellbeing), इनोवेशन (Innovation)

SWIFT City - स्टार्टअप (Startup), वर्कस्पेसेस (Workspaces), इनोवेशन (Innovation), फाइनेंस (Finance), टेक्नोलॉजी (Technology)

क्या होगी लोकेशन?.

KWIN City बेंगलुरु से करीब 60 किमी की दूरी पर बसाया जाएगा। जानकारी के अनुसार इसे कर्नाटक सरकार डोड्डास्पेटे और डोड्डाबल्लपुर के बीच बसाना चाहती है, जो सैटेलाइट टाउन रिंग रोड पर मौजूद है। बेंगलुरु का केम्पेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (KIA) से मात्र 1 घंटे की दूरी पर मौजूद होने की वजह से उम्मीद की जा रही है कि यहां निवेशक आसानी से मिल जाएंगे।

वहीं दूसरी ओर SWIFT City सारजापुर के पास बसाने की योजना है। इसे NH44 और NH48 के पास बसाया जाएगा, जहां से आईटी हब पास में होंगे। बेहतर यातायात के लिए यहां पर 150 मीटर चौड़ी सड़क बनायी जाएगी जो नए-नए स्टार्टअप्स को यहां आने के लिए आकर्षित करेगी।.

दो अलग-अलग नए शहरों को बसाने की वजह और अंतर?

कर्नाटक सरकार ने कुछ महीनों के अंतराल में ही बेंगलुरु में दो अलग-अलग शहरों को बसाने की घोषणा की है। इन दोनों शहरों को बसाने की वजहें ही इन दोनों शहरों में सबसे बड़ा अंतर साबित होने वाला है। इसके साथ ही दोनों शहरों के आकार में भी बहुत बड़ा, लगभग दोगुना का फर्क है। दोनों शहरों में कौन से मुख्य अंतर है, आइए जान लें 

KWIN City को मुख्य रूप से शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों, शोध केंद्र, वैश्विक स्वास्थ्य केंद्रों आदि को आकर्षित करने और उनका हब बनाने के लिए बसाने की योजना है।

वहीं SWIFT City को कर्नाटक का औद्योगिक विकास करने के लिए बसाया जाएगा। दावा किया जा रहा है कि कर्नाटक को बतौर सिलीकॉन स्टेट एक नयी पहचान दिलाएगा।

KWIN City को 2000 एकड़ के क्षेत्र में जबकि इससे ठीक आधे यानी 1000 एकड़ के क्षेत्र में बसाया जाएगा SWIFT City।

SWIFT City में स्टार्टअप, औद्योगिक वर्कप्लेस, लोगों के रहने के लिए घर और बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल आदि बनाए जाएंगे। 

वहीं KWIN City शैक्षणिक केंद्रों का हब होगा। उम्मीद की जा रही है कि KWIN City राज्य के GDP को बढ़ाने में भी मददगार साबित होगी।

क्या होगी KWIN और SWIFT City की विशेषताएं?

KWIN City की विशेषताओं की बात करें तो इसे 2000 एकड़ के विशाल क्षेत्र में बसाने की योजना बनायी गयी है। 

यह मुख्य रूप से शिक्षा, शोध और स्वास्थ्य के हब के तौर पर बसाया जाएगा। कर्नाटक के मंत्री एमबी पाटिल ने संभावना जाहिर की थी कि KWIN City को बसाने से लगभग ₹40,000 करोड़ के निवेश की संभावना है और लगभग 80,000 रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। इसे बेंगलुरु के इंटरनेशनल एयरपोर्ट को ध्यान में रखते हुए मुख्य शहर से महज 60 किमी की दूरी पर बसाया जाएगा।

वहीं SWIFT City को विश्वस्तरीय सुविधाओं के साथ 1000 एकड़ के क्षेत्र में बसाया जाएगा। इसे IT हब को ध्यान में रखते हुए बसाया जा रहा है। यह स्टार्टअप, कंपनियां छोटे-मध्यम आकार के वर्कप्लेस लीज पर, खरीद सकती हैं या फिर शेयरिंग मॉडल पर ले सकती हैं। 

नेशनल हाईवे के पास होने की वजह से सड़क मार्ग से यातायात को सुगम बनाने के लिए SWIFT City में लगभग 150 मीटर चौड़ी सड़क बनाने की योजना है।

बेंगलुरु में 14 साल का रिकॉर्ड टूटा, तापमान 12.4°C तक गिरा

बेंगलुरु: IMD ने मंगलवार रात को तापमान 12.4°C तक गिरने का अनुमान लगाया था। यह 14 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया। 2011 में 24 दिसंबर को तापमान 12.8°C तक गिरा था। खासतौर पर बुजुर्गों और बच्चों का ध्यान रखना जरूरी है। सुबहजंशं के समय धुंध या कोहरे के कारण यातायात में भी परेशानी हो सकती है। इसलिए लोगों को सावधानी से वाहन चलाने की सलाह दी जाती है।

आईएमडी के अनुसार, आमतौर पर बेंगलुरु में दिसंबर की रातों का औसत न्यूनतम तापमान 15.7°C रहता है। लेकिन इस बार तापमान में काफी गिरावट देखी जा रही है। यह गिरावट तटीय क्षेत्रों में कम दबाव के कारण हुई लगातार बारिश की वजह से है।

 इस ठंड से बचने के लिए लोगों को गर्म कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है। आईएमडी आने वाले दिनों में मौसम पर नजर बनाए हुए है और लोगों को समय-समय पर अपडेट जारी करता रहेगा।

सीटेट परीक्षा में पकड़ा गया मुन्ना भाई, दूसरे के स्थान पर परीक्षा देने का आरोप


सुल्तानपुर: कोतवाली नगर के गोपाल पब्लिक स्कूल ओमनगर में सीटेट (केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा) के दौरान एक मुन्ना भाई पकड़ा गया. वह दूसरे के स्थान पर परीक्षा दे रहा था. कोतवाली नगर पुलिस उससे पूछताछ कर रही है. इस संबंध में स्कूल के प्राचार्य ने तहरीर दी है.

जानकारी के अनुसार, रविवार को गोपाल पब्लिक स्कूल में CTET का आयोजन था. प्रथम पाली में सुबह 9.30 से दिन में 12 बजे तक परीक्षा आयोजित थी. इस क्रम में प्रयागराज के तेलीयरगंज निवासी प्रकाश वीर मिश्रा के स्थान पर परीक्षा देते हुए गौरव सिंह निवासी इंद्रपुर छीड़ी, थाना शादीयाबाद गाजीपुर को पकड़ा गया. उसे फर्जी पैन कार्ड के जरिए पकड़ा गया है. वो फर्जी कार्ड से स्कूल के अंदर पहुंचा था और परीक्षा दे रहा था.

इस बीच तकनीकी टीम पहुंची, जिसने उसे पकड़ लिया. उससे पूछताछ के दौरान इसका खुलासा हुआ कि वह किसी और के स्थान पर परीक्षा देने के लिए आया था.

पकड़े गए गौरव ने बताया कि परीक्षा देने के लिए उसने 60 हजार रुपये लिए थे. कहा कि पैसे की बहुत जरूरत थी इसलिए ऐसा किया. हालांकि मुन्ना भाई को पुलिस बुलाकर हवाले कर दिया गया. पुलिस उसे लेकर कोतवाली नगर ले आई है. 

नगर कोतवाल नारद मुनि सिंह ने बताया कि केंद्र व्यस्थापक रजनीश श्रीवास्तव ने तहरीर दी है. जिसके आधार पर विधिक कार्रवाई की जा रही है. वहीं, परीक्षा में और किसी तरह की गड़बड़ी नहीं मिली है. बता दें कि सीटेट के लिए प्रदेश भर में केंद्र बनाए गए हैं.

परीक्षा देने जा रही छात्रा की सड़क दुर्घटना में मौत: सुल्तानपुर में पिता के साथ CTET परीक्षा देने जा रही छात्रा हादसे का शिकार हो गई. धनपतगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत पीरो सरैया गांव के पास हलियापुर-बेलवाई हाइवे पर सुबह बाइक सवार पिता और बेटी को ट्रेलर ने टक्कर मार दी, जिसमें बेटी की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई.

ग्राम पंचायत सुख बडेरी मजरे रघुवीर का पुरवा की अंतिमा (23) पिता राम अजोर उर्फ कुबरी के साथ बाइक पर सीटेट की परीक्षा देने सुल्तानपुर जा रही थी. घर से 6 किलोमीटर दूर हलियापुर-बेलवाई मार्ग पर पीरो सरैया गांव के पास पहुंचे थे तभी ओवरटेक करने के दौरान सामने से ट्रेलर से बाइक जा टकराई, जिससे अंतिमा की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई।

जयपुर में निजी कोचिंग में 10 स्टूडेंट्स अचानक बेहोश, अस्पताल में कराया गया भर्ती

जयपुर:- राजधानी जयपुर के महेश नगर थाना इलाके में एक प्राइवेट कोचिंग में अचानक 10 स्टूडेंट्स के बेहोश होने का मामला सामने आया है. रविवार देर शाम को क्लास रूम में ही स्टूडेंट्स की सांसे फूलने लगी. उसके बाद सभी को आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया सूचना के बाद मौके पर पुलिस अधिकारी भी पहुंचे।

बताया जा रहा है कि कोचिंग में क्लास के दौरान एसी के अंदर से गैस की बदबू आई, जिससे स्टूडेंट्स बेहोश होने लगे. हालांकि, सभी छात्र- छात्राओं की हालत में सुधार बताया जा रहा है.

महेश नगर थाना अधिकारी कविता शर्मा ने बताया कि रिद्धि सिद्धि तिराहे के पास एक निजी कोचिंग के स्टूडेंट्स बेहोश हो गए. रविवार देर शाम को कोचिंग की दूसरी मंजिल पर क्लास चल रही थी. करीब 7 बजे क्लास रूम में अजीब सी बदबू आने लगी, जिसकी वजह से करीब 10 स्टूडेंट बेहोश हो गए।

स्टूडेंट के बेहोश होने पर तुरंत उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया. सभी स्टूडेंट्स की हालत में सुधार है. स्टूडेंट से पूछने पर पता चला कि एक अजीब सी बदबू आने की वजह से वो बेहोश हो गए थे. बीमार पड़े 10 विद्यार्थियों में 8 छात्राएं, 1 कुक और एक छात्र शामिल है. इनमें से 2 को सोमानी अस्पताल रेफर किया गया है।

घटना के बाद प्रशासन में भी हड़कंप मच गया. वहीं, स्टूडेंट के परिजनों के साथ ही काफी संख्या में छात्र मौके पर पहुंचे. छात्र नेता निर्मल चौधरी अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गए, जहां पुलिस से उनकी झड़प हो गई. छात्र नेता निर्मल चौधरी ने कहा कि यह कोचिंग संस्थान की लापरवाही से घटना हुई है. साथ ही उन्होंने इस मामले में कार्रवाई की मांग की है।

पुलिसकर्मियों से झड़प होने के बाद कुछ छात्र नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. वहीं, भीड़ को भी हटाने का प्रयास किया गया.

सूचना के बाद जयपुर शहर की सांसद मंजू शर्मा अस्पताल पहुंचीं, जहां उन्होंने बीमार पड़े छात्र-छात्राओं से मुलाकात की. 

इस दौरान छात्र-छात्राओं ने सांसद को पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया. वहीं, अस्पताल के डॉक्टर से भी बातचीत करके स्टूडेंट्स की हालत के बारे में जानकारी ली. इसके तुरंत बाद उन्होंने इस मामले में जांच करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया।

परिजनों से भी मुलाकात करके बच्चों के स्वास्थ्य की जानकारी ली. डॉक्टर का कहना है कि बच्चों को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी.

नगर निगम प्रशासन हुआ सक्रिय : कोचिंग संस्थान में हुए हादसे के बाद नगर निगम प्रशासन भी सक्रिय हो गया है. मामले की जानकारी मिलते ही मानसरोवर जोन के अधिकारी मौके पर पहुंचे. जयपुर ग्रेटर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर के निर्देश पर आयुक्त ने कमेटी का गठन किया है. 

महापौर ने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी. साथ ही उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा निगम की प्राथमिकता है.एसीपी सोडाला योगेश चौधरी के मुताबिक घटना के बाद पुलिस मौके पर पहुंची थी. क्लास रूम में गटर की बदबू आ रही थी. 

कोचिंग के ऊपर किचन में खाना बनाया जा रहा था. इस दौरान खाने में कुक ने तड़का दिया था, लेकिन तड़के के धुएं को ऐसी के फैन ने अंदर ले लिया. वहीं, धुआं क्लास में बैठे छात्र-छात्राओं तक पहुंचा, जिसकी वजह से छात्र-छात्राएं बेहोश हो गए. खैर, घटना की असल वजह जांच के बाद सामने आएगी।

मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन का निधन, 73 साल की उम्र में ली अंतिम सांस


मशहूर तबला वादक और म्यूजिक कंपोजर जाकिर हुसैन का 73 साल की उम्र में निधन हो गया है। वह अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में इलाज करा रहे थे, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली। जाकिर हुसैन को दिल की बीमारी थी और पिछले हफ्ते भी वह अस्पताल में भर्ती रहे थे। 

जाकिर हुसैन ने अपने करियर में तीन ग्रैमी अवॉर्ड जीते थे और उन्हें 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से नवाजा गया था। वह एक प्रतिभाशाली एक्टर भी थे और उन्होंने 12 फिल्मों में काम किया था, जिनमें 'हीट एंड डस्ट' और 'साज' शामिल हैं। 

जाकिर हुसैन के पिता भी थे तबला प्लेयर, जीते थे ये सम्मान

9 मार्च 1951 को जन्मे जाकिर हुसैन ने अपने करियर में तीन ग्रैमी अवॉर्ड ही नहीं जीते थे, बल्कि उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से भी नवाजा गया था। उनके पिता उस्ताद अल्लाह रक्खा कुरैशी भी तबला वादक थे। जाकिर हुसैन ने पढ़ाई पूरी करने के बाद संगीत की दुनिया में आ गए। उनका रुझान बचपन से ही तबले की धुन की ओर हो गया था।

11 साल की उम्र में किया था पहला कॉन्सर्ट

जाकिर हुसैन ने 11 साल की उम्र में अमेरिका में अपना पहला कॉन्सर्ट करके सबको हैरान कर दिया था। उन्होंने 12 साल की उम्र से ही पिता के साथ कॉन्सर्ट में जाना शुरू कर दिया था। जाकिर हुसैन की अमेरिका में भी तूती बोलती थी। साल 2016 में उन्हें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ऑल स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया था। इसमें शामिल होने वाले जाकिर हुसैन पहले भारतीय संगीतकार रहे।

जाकिर हुसैन की पत्नी और बेटियां

पर्सनल लाइफ की बात करें तो उस्ताद जाकिर हुसैन ने Antonia Minnecola से शादी की थी, जो एक कथक डांसर और टीचर होने के साथ ही उनकी मैनेजर भी हैं। उनकी दो बेटियां हैं।

आज का इतिहास:2008 में आज ही के दिन नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के गठन के प्रस्ताव को मिली थी मंजूरी

नयी दिल्ली : 15 दिसंबर का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 2008 में आज ही के दिन केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आतंकवादी घटना से निपटने के लिए नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। 

1953 में 15 दिसंबर को ही भारत की एस विजयलक्ष्मी पंडित संयुक्त राष्ट्र महासभा के आठवें सत्र की प्रथम महिला अध्यक्ष चुनी गई थीं।

2008 में आज ही के दिन केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आतंकवादी घटना से निपटने के लिए नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। 

2007 में 15 दिसंबर के दिन ही पाकिस्तान में आपातकालीन नागरिक क़ानून लागू हुआ था।

2005 में आज ही के दिन ईराक में नई सरकार के गठन के लिए मतदान खत्म हुआ था।

2004 में 15 दिसंबर को ही प्रधानमंत्री ने दूरदर्शन की फ्री टू एयर डीटीएच सेवा ‘डीडी डायरेक्‍ट +’ का शुभारंभ किया था।

2001 में आज ही के दिन इटली में पीसा की झुकी मीनार को 11 साल बंद रहने के बाद दोबारा खोला गया था।

2000 में 15 दिसंबर के दिन ही चेरनोबिल रिएक्टर सदा के लिए बंद किया गया था।

1997 में आज ही के दिन अरुंधति रॉय को उनके उपन्यास ‘द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ के लिए ब्रिटेन के सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार ‘बुकर पुरस्कार’ दिया गया था।

1994 में 15 दिसंबर को ही पलाऊ संयुक्त राष्ट्र का 185वां सदस्य बना था।

1993 में आज ही के दिन जेनेवा में गैट (व्यापार एवं तटकर पर आम सहमति) विश्व व्यापार समझौते पर 126 देशों ने साइन किए थे।

1992 में 15 दिसंबर को ही जाने माने फिल्म निर्माता सत्यजीत रे को सिनेमा जगत में उनकी उपलब्धियों के लिए स्पेशल ऑस्कर दिया गया था।

1976 में आज ही के दिन न्यूजीलैंड से स्वतंत्र हुआ समोआ संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बना था।

1953 में 15 दिसंबर को ही भारत की एस विजयलक्ष्मी पंडित संयुक्त राष्ट्र महासभा के आठवें सत्र की प्रथम महिला अध्यक्ष चुनी गई थीं।

1911 में आज ही के दिन बनारस हिदूं यूनिवर्सिटी सोसाइटी की स्थापना हुई थी।

15 दिसंबर को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1992 में आज ही के दिन भारतीय कंप्यूटर इंजिनियर पियूष कमल का जन्‍म हुआ था।

1988 में 15 दिसंबर को ही भारतीय महिला पहलवान गीता फोगाट का जन्‍म हुआ था।

1976 में आज ही के दिन देश के महान फुटबॉलर बाईचुंग भूटिया का जन्‍म हुआ था।

1932 में 15 दिसंबर के दिन ही भारत के भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन. शेषन का जन्म हुआ था।

15 दिसंबर को हुए निधन

2000 में आज ही के दिन पत्रकार तथा लेखक गौर किशोर घोष का निधन हुआ था।

1985 में 15 दिसंबर को ही मॉरिशस के गवर्नर शिवसागर रामगुलाम का निधन हुआ था।

1966 में आज ही के दिन दुनिया की सबसे बड़ी एनीमेशन कंपनी के संस्थापक वॉल्ट डिज़नी का निधन हुआ था।

1950 में 15 दिसंबर को ही भारत के स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी एवं स्वतन्त्र भारत के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल का निधन हुआ था।

बैतूल में जलपरी जैसे बच्चे का जन्म, 10 घंटे बाद मौत।

बैतूल: जिला अस्पताल में शनिवार को एक दुर्लभ शिशु ने जन्म लिया जो चर्चा का विषय बन गया. नवजात के पैर किसी जलपरी की तरह जुड़े हुए थे. जिससे इसे मरमेड बेबी कहा जा रहा है. इस तरह के दुर्लभ बच्चे को देखकर मेडिकल स्टाफ सहित सभी लोग हैरान हो गए. हालांकि नवजात ने जन्म के बाद 10 घंटे तक जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष किया लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

नहीं हो पाया जेंडर डिटरमिनेशन

बच्चे की देखरेख कर रही जिला अस्पताल की स्टॉफ नर्स संगीता खातरकर ने बताया कि "भैंसदेही ब्लॉक के खानापुर गांव से 19 वर्षीय महिला को प्रसव के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भैंसदेही में भर्ती कराया गया था. जहां नार्मल प्रसव के बाद एक बेबी ने जन्म लिया. लेकिन नवजात के दोनों पैर जुड़े हुए थे. उसकी मेडिकल स्थिति ठीक नहीं होने पर उसे सुबह करीब 9 बजे जिला अस्पताल रेफर किया गया था. इसका नीचे का हिस्सा पूरी तरह चिपका हुआ था. जिसकी वजह से उसके जेंडर डिटरमिनेशन (जननांग) की पहचान नहीं हो रही थी. यह पहचानना मुश्किल था कि वह बालक है या बालिका है."

हार्ट और सांस लेने में थी तकलीफ

बताया गया कि प्रसूता की उम्र महज 19 साल है. यह महिला की पहली डिलीवरी थी. वहीं, जन्म के समय बच्चे का वजन सामान्य बच्चों से कम पाया गया. बेहतर इलाज के लिए जच्चा-बच्चा दोनों को भैंसदेही से जिला अस्पताल रेफर किया गया. डॉक्टर के अनुसार बच्चे को सांस लेने में तकलीफ आ रही थी और उसका हार्ट भी ठीक से काम नहीं कर रहा था. जिससे इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. जबकि जच्चा की हालत सामान्य है।

सरदार वल्लभ भाई पटेल की पुण्यतिथि पर विशेष: 'लौह पुरुष' ने देश की आजादी में दिया था अहम योगदान


नयी दिल्ली : इतिहास में 15 दिसंबर का दिन बहुत सी महत्वपूर्ण घटनाओं के साथ दर्ज है। आज का दिन देश की आजादी में अहम योगदान देने वाले ‘लौह पुरुष’ सरदार वल्लभ भाई पटेल की पुण्यतिथि के रूप में दर्ज है। 

बता दें कि सरदार पटेल ने आज़ादी के बाद देश के नक्शे को मौजूदा स्वरूप देने में अमूल्य योगदान दिया। इतिहास में 15 दिसंबर की तारीख देश की आजादी में अहम योगदान देने वाले ‘लौह पुरुष’ सरदार वल्लभ भाई पटेल की पुण्यतिथि के रूप में दर्ज है। 

31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के खेड़ा जिले में एक किसान परिवार में पैदा हुए पटेल को उनकी कूटनीतिक क्षमताओं के लिए सदा स्मरण किया जाएगा।

देश के पहले उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल ने आज़ादी के बाद देश के नक्शे को मौजूदा स्वरूप देने में अमूल्य योगदान दिया। भारत रत्न से सम्मानित सरदार पटेल ने 15 दिसंबर 1950 को अंतिम सांस ली। 

देश की एकता में उनके योगदान के सम्मान में गुजरात में नर्मदा नदी के करीब उनकी विशाल प्रतिमा स्थापित की गई है।

जर्मनी का नागरिक निकला चार बार का विधायक, हाई कोर्ट ने सुनाई यह सजा


 नयी दिल्ली :इस बात पर भरोसा कर पाना मुश्किल है कि कोई शख्स भारत के किसी राज्य में चार बार विधायक रहा हो और वह देश का नागरिक ही ना हो। तेलंगाना हाई कोर्ट के एक ताजा फैसले से ऐसा ही एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के नेता चेन्नामनेनी रमेश जर्मन नागरिक हैं और उन्होंने वेमुलावाड़ा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया।

अदालत ने कहा कि चेन्नामनेनी रमेश ने जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके खुद को भारतीय नागरिक दिखाया। कोर्ट ने यह फैसला कांग्रेस के नेता आदी श्रीनिवास की ओर से दायर याचिका पर दिया।

कोर्ट ने लगाया भारी-भरकम जुर्माना

अदालत ने माना कि चेन्नामनेनी रमेश जर्मन दूतावास से ऐसे दस्तावेज अदालत के सामने पेश करने में फेल रहे कि वे अब उस देश (जर्मनी) के नागरिक नहीं हैं। अदालत ने रमेश पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। इसमें से 25 लाख रुपये आदी श्रीनिवास को दिए जाएंगे। श्रीनिवास ने नवंबर 2023 में रमेश को विधानसभा चुनाव में हरा दिया था।

अदालत के फैसले के बाद कांग्रेस नेता आदी श्रीनिवास ने X पर पोस्ट कर कहा, “पूर्व विधायक चेन्नामनेनी रमेश पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया, वह जर्मन नागरिक के तौर पर झूठे दस्तावेजों के आधार पर विधायक चुने गए थे।”

चार बार चुनाव जीत चुके हैं रमेश

रमेश वेमुलावाड़ा सीट से चार बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। 2009 में उन्होंने टीडीपी के टिकट पर चुनाव जीता था जबकि 2010 से 2018 तक तीन बार बीआरएस के टिकट पर विधायक चुने गए।

कानून के मुताबिक, गैर-भारतीय नागरिक चुनाव नहीं लड़ सकते और वोट भी नहीं दे सकते।

साल 2020 में केंद्र सरकार ने तेलंगाना हाई कोर्ट को बताया था कि रमेश के पास जर्मन पासपोर्ट था और यह 2023 तक वैध था। इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आदेश जारी कर कहा था कि रमेश की भारतीय नागरिकता को समाप्त कर दिया जाए क्योंकि उन्होंने अपने आवेदन में जानकारी को छुपाया है। 

गृह मंत्रालय ने कहा था कि रमेश ने गलत बयान/तथ्यों को छिपाकर भारत सरकार को गुमराह किया है। अगर उन्होंने बताया होता कि आवेदन करने से पहले वे एक साल तक भारत में नहीं रहे थे तो मंत्रालय उन्हें नागरिकता नहीं देता।

इसके बाद रमेश ने गृह मंत्रालय के आदेश को अदालत में चुनौती दी थी। अदालत ने उनसे कहा था कि वह एक हलफनामा दाखिल करें जिसमें इस बात की जानकारी दें कि उन्होंने अपना जर्मनी का पासपोर्ट सरेंडर कर दिया है और इस बात का भी सुबूत दें कि उन्होंने जर्मनी की नागरिकता छोड़ दी है।

2013 में अविभाजित आंध्र प्रदेश की हाई कोर्ट ने रमेश को उपचुनाव में मिली जीत को रद्द कर दिया था। इसके बाद रमेश सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे और वहां से हाई कोर्ट के आदेश पर स्टे की मांग की थी।

स्टे के लगे रहने तक उन्होंने 2014 और 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। 2023 के चुनाव में वह हार गए थे।

खरगोन के प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा नहीं रहे, 116 साल की आयु थी बाबा की, लंबे समय से बीमार थे।

प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा ने आज मोक्षदा एकादशी जैसे पावन पर्व पर अपना चोला छोड़ा। माँ नर्मदा जी के पावन तट, ग्राम तेली भट्ट्यांन पर अखंड साधना करने वाले, और अपने संपूर्ण जीवन को भगवान श्रीराम के चरणों में अर्पित करने वाले महान संत श्री सियाराम बाबा जी का आज प्रातः 6 बजे देवलोक गमन हो गया। 

बाबा जी ने जीवन पर्यंत रामायण जी का पाठ करते हुए समाज को धर्म, भक्ति और सदाचार का संदेश दिया। उनकी साधना, तपस्या और प्रभु के प्रति समर्पण हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। 

बाबा का डोला आज सायंकाल निकलेगा। खरगोन ज़िले में कसरावद के निकट माँ नर्मदा के तट पर जहाँ उन्होंने वर्षों तपस्या की उन्हें समाधि मिलेगी।