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सरदार वल्लभ भाई पटेल की पुण्यतिथि पर विशेष: 'लौह पुरुष' ने देश की आजादी में दिया था अहम योगदान


नयी दिल्ली : इतिहास में 15 दिसंबर का दिन बहुत सी महत्वपूर्ण घटनाओं के साथ दर्ज है। आज का दिन देश की आजादी में अहम योगदान देने वाले ‘लौह पुरुष’ सरदार वल्लभ भाई पटेल की पुण्यतिथि के रूप में दर्ज है। 

बता दें कि सरदार पटेल ने आज़ादी के बाद देश के नक्शे को मौजूदा स्वरूप देने में अमूल्य योगदान दिया। इतिहास में 15 दिसंबर की तारीख देश की आजादी में अहम योगदान देने वाले ‘लौह पुरुष’ सरदार वल्लभ भाई पटेल की पुण्यतिथि के रूप में दर्ज है। 

31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के खेड़ा जिले में एक किसान परिवार में पैदा हुए पटेल को उनकी कूटनीतिक क्षमताओं के लिए सदा स्मरण किया जाएगा।

देश के पहले उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल ने आज़ादी के बाद देश के नक्शे को मौजूदा स्वरूप देने में अमूल्य योगदान दिया। भारत रत्न से सम्मानित सरदार पटेल ने 15 दिसंबर 1950 को अंतिम सांस ली। 

देश की एकता में उनके योगदान के सम्मान में गुजरात में नर्मदा नदी के करीब उनकी विशाल प्रतिमा स्थापित की गई है।

जर्मनी का नागरिक निकला चार बार का विधायक, हाई कोर्ट ने सुनाई यह सजा


 नयी दिल्ली :इस बात पर भरोसा कर पाना मुश्किल है कि कोई शख्स भारत के किसी राज्य में चार बार विधायक रहा हो और वह देश का नागरिक ही ना हो। तेलंगाना हाई कोर्ट के एक ताजा फैसले से ऐसा ही एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के नेता चेन्नामनेनी रमेश जर्मन नागरिक हैं और उन्होंने वेमुलावाड़ा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया।

अदालत ने कहा कि चेन्नामनेनी रमेश ने जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके खुद को भारतीय नागरिक दिखाया। कोर्ट ने यह फैसला कांग्रेस के नेता आदी श्रीनिवास की ओर से दायर याचिका पर दिया।

कोर्ट ने लगाया भारी-भरकम जुर्माना

अदालत ने माना कि चेन्नामनेनी रमेश जर्मन दूतावास से ऐसे दस्तावेज अदालत के सामने पेश करने में फेल रहे कि वे अब उस देश (जर्मनी) के नागरिक नहीं हैं। अदालत ने रमेश पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। इसमें से 25 लाख रुपये आदी श्रीनिवास को दिए जाएंगे। श्रीनिवास ने नवंबर 2023 में रमेश को विधानसभा चुनाव में हरा दिया था।

अदालत के फैसले के बाद कांग्रेस नेता आदी श्रीनिवास ने X पर पोस्ट कर कहा, “पूर्व विधायक चेन्नामनेनी रमेश पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया, वह जर्मन नागरिक के तौर पर झूठे दस्तावेजों के आधार पर विधायक चुने गए थे।”

चार बार चुनाव जीत चुके हैं रमेश

रमेश वेमुलावाड़ा सीट से चार बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। 2009 में उन्होंने टीडीपी के टिकट पर चुनाव जीता था जबकि 2010 से 2018 तक तीन बार बीआरएस के टिकट पर विधायक चुने गए।

कानून के मुताबिक, गैर-भारतीय नागरिक चुनाव नहीं लड़ सकते और वोट भी नहीं दे सकते।

साल 2020 में केंद्र सरकार ने तेलंगाना हाई कोर्ट को बताया था कि रमेश के पास जर्मन पासपोर्ट था और यह 2023 तक वैध था। इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आदेश जारी कर कहा था कि रमेश की भारतीय नागरिकता को समाप्त कर दिया जाए क्योंकि उन्होंने अपने आवेदन में जानकारी को छुपाया है। 

गृह मंत्रालय ने कहा था कि रमेश ने गलत बयान/तथ्यों को छिपाकर भारत सरकार को गुमराह किया है। अगर उन्होंने बताया होता कि आवेदन करने से पहले वे एक साल तक भारत में नहीं रहे थे तो मंत्रालय उन्हें नागरिकता नहीं देता।

इसके बाद रमेश ने गृह मंत्रालय के आदेश को अदालत में चुनौती दी थी। अदालत ने उनसे कहा था कि वह एक हलफनामा दाखिल करें जिसमें इस बात की जानकारी दें कि उन्होंने अपना जर्मनी का पासपोर्ट सरेंडर कर दिया है और इस बात का भी सुबूत दें कि उन्होंने जर्मनी की नागरिकता छोड़ दी है।

2013 में अविभाजित आंध्र प्रदेश की हाई कोर्ट ने रमेश को उपचुनाव में मिली जीत को रद्द कर दिया था। इसके बाद रमेश सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे और वहां से हाई कोर्ट के आदेश पर स्टे की मांग की थी।

स्टे के लगे रहने तक उन्होंने 2014 और 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। 2023 के चुनाव में वह हार गए थे।

खरगोन के प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा नहीं रहे, 116 साल की आयु थी बाबा की, लंबे समय से बीमार थे।

प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा ने आज मोक्षदा एकादशी जैसे पावन पर्व पर अपना चोला छोड़ा। माँ नर्मदा जी के पावन तट, ग्राम तेली भट्ट्यांन पर अखंड साधना करने वाले, और अपने संपूर्ण जीवन को भगवान श्रीराम के चरणों में अर्पित करने वाले महान संत श्री सियाराम बाबा जी का आज प्रातः 6 बजे देवलोक गमन हो गया। 

बाबा जी ने जीवन पर्यंत रामायण जी का पाठ करते हुए समाज को धर्म, भक्ति और सदाचार का संदेश दिया। उनकी साधना, तपस्या और प्रभु के प्रति समर्पण हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। 

बाबा का डोला आज सायंकाल निकलेगा। खरगोन ज़िले में कसरावद के निकट माँ नर्मदा के तट पर जहाँ उन्होंने वर्षों तपस्या की उन्हें समाधि मिलेगी।

शालिग्राम गर्ग ने तोड़ा भाई धीरेंद्र शास्त्री से नाता,बोले- हमारे सारे संबंध खत्म


छतरपुर: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री के भाई शालिग्राम ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया है. यह वीडियो सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है. शालिग्राम ने पंडित धीरेंद्र शास्त्री से अपने सारे रिश्ते-नाते तोड़ दिए हैं. 

बागेश्वर बाबा के छोटे भाई ने वीडियो जारी का बताया "अब उनका अपने भाई धीरेन्द्र शास्त्री से कोई लेना-देना नहीं है. शालिग्राम गर्ग ने कहा आज से मेरे किसी भी मेटर या विवाद को उनसे जोड़ कर ना देखा जाए. हमने उनसे जीवन भर के रिश्ते तोड़ दिए हैं.

शालिग्राम ने तोड़े धीरेंद्र शास्त्री से रिश्ते

शालिग्राम ने वीडियो जारी कर कहा कि जितने भी सनातनी हिंदूओं, बालाजी सरकार और बागेश्वर धाम की छवि जो मेरे कारण धूमिल हुई है, उस विषय को लेकर बालाजी सरकार और बागेश्वर सरकार से माफी मांगते हैं. लेकिन आज से मेरे किसी भी मेटर, विवाद या विषय को बागेश्वर धाम से न जोड़ा जाए, क्योंकि आज से ही उनसे हमने अपने पारिवारिक रिश्ते खत्म कर दिए हैं. 

उनसे हमारा कोई रिश्ता या संबंध नहीं है. इसकी जानकारी हमने जिला कोर्ट में भी दे दी है, जिसकी एक कॉपी भी मैंने अपने पास रखी है. इसलिए अब से मेरे किसी भी विषय को बागेश्वर बाबा धीरेंद्र शास्त्री से न जोड़ा जाए. हमारे सारे संबंध समाप्त हो चुके हैं."

विवादों में रह चुके हैं शालिग्राम

गौरतलब है कि बागेश्वर बाबा यानि की पंडित धीरेंद्र शास्त्री के भाई शालिग्राम अकसर विवादों में घिरे रहते हैं. उन पर कई तरह के गंभीर मामले भी दर्ज हो चुके हैं. 21 फरवरी 2023 को एक वीडियो सामने आया था. जिसमें धीरेंद्र शास्त्री का भाई शालिग्राम मुंह में सिगरेट दबाकर गालियां देते हुए कट्टा दिखाकर एक शादी समारोह में राई नृत्य को रुकवा रहे थे. साथ ही दलित परिवार से मारपीट कर रहे थे.यह वीडियो गढ़ा गांव का था।

इस घटना के बाद शालिग्राम पर एससी-एसटी एक्ट सहित कई धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी. हालांकि बाद में शालिग्राम को जिला कोर्ट से जमानत मिल गई थी.

सेवादार के घर घुसकर महिलाओं के फाड़े थे कपड़े

इसके अलावा 1 जून 2024 को छतरपुर के बमीठा थाना स्थित गढ़ा गांव में शालिग्राम अपने दोस्तों के साथ सेवादार जीतू तिवारी के घर घुस गए थे. यहां शालिग्राम ने धमकी थी, फिर दूसरे दिन लाठी-डंडा लेकर मारने पहुंच गए थे. घर में मौजूद महिलाएं, बुजुर्ग और नाबालिग को पीटा था और गालियां दी थी. 

इस घटना में परिवार वालों ने आरोप लगाया था कि शालिग्राम ने महिलाओं के कपड़े भी फाड़े थे. जब इस घटना का वीडियो सामने आया, तब जाकर बमीठा थाना पुलिस ने शालिग्राम के खिलाफ केस दर्ज किया था.

भाई की हरकतों से धीरेंद्र शास्त्री ने किया था किनारा

भाई की इन हरकतों के चलते धीरेंद्र शास्त्री को कई बार लोगों के ट्रोल का शिकार होना पड़ा था. हालांकि धीरेंद्र शास्त्री ने यह कहते हुए किनारा कर लिया था कि मैं कानून के साथ हूं, शालिग्राम के खिलाफ पुलिस सख्त एक्शल ले. जबकि कुछ दिनों बाद अपने बयान पलटते हुए भी नजर आए थे. 27 फरवरी को टीकमगढ़ में प्रेस वार्ता करते हुए उन्होंने "कहा था कि एकतरफा कभी सत्य नहीं होता है. एक पक्ष कभी सत्य नहीं होता है. एक हाथ से कभी ताली नहीं बजती।

दौसा में दर्दनाक हादसा:बोरवेल में गिरा 5 साल का बच्चा,150 फीट पर अटका,बचाव कार्य जारी।


दौसा जिले में एक बड़ा हादसा हुआ, जहां पांच साल का बच्चा घर के पास बने बोरवेल में गिर गया। घटना के बाद स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों ने बच्चे को सकुशल बाहर निकालने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।

बच्चा 300 फीट गहरे बोरवेल में करीब 150 फीट की गहराई पर फंसा हुआ है। जिला कलेक्टर ने बताया कि मासूम को सकुशल बाहर निकालने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।

बोरवेल के समीप खुदाई कर बच्चे तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है। करीब 10 जेसीबी और ट्रैक्टर से तेजी से मिट्टी निकाली जा रही है ¹। रेस्क्यू टीम ने कहा कि हम बच्चे को निकालने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं ।

शालिग्राम गर्ग ने तोड़ा भाई धीरेंद्र शास्त्री से नाता,बोले- हमारे सारे संबंध खत्म


छतरपुर: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री के भाई शालिग्राम ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया है. यह वीडियो सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है. शालिग्राम ने पंडित धीरेंद्र शास्त्री से अपने सारे रिश्ते-नाते तोड़ दिए हैं. 

बागेश्वर बाबा के छोटे भाई ने वीडियो जारी का बताया "अब उनका अपने भाई धीरेन्द्र शास्त्री से कोई लेना-देना नहीं है. शालिग्राम गर्ग ने कहा आज से मेरे किसी भी मेटर या विवाद को उनसे जोड़ कर ना देखा जाए. हमने उनसे जीवन भर के रिश्ते तोड़ दिए हैं.

शालिग्राम ने तोड़े धीरेंद्र शास्त्री से रिश्ते

शालिग्राम ने वीडियो जारी कर कहा कि जितने भी सनातनी हिंदूओं, बालाजी सरकार और बागेश्वर धाम की छवि जो मेरे कारण धूमिल हुई है, उस विषय को लेकर बालाजी सरकार और बागेश्वर सरकार से माफी मांगते हैं. लेकिन आज से मेरे किसी भी मेटर, विवाद या विषय को बागेश्वर धाम से न जोड़ा जाए, क्योंकि आज से ही उनसे हमने अपने पारिवारिक रिश्ते खत्म कर दिए हैं. 

उनसे हमारा कोई रिश्ता या संबंध नहीं है. इसकी जानकारी हमने जिला कोर्ट में भी दे दी है, जिसकी एक कॉपी भी मैंने अपने पास रखी है. इसलिए अब से मेरे किसी भी विषय को बागेश्वर बाबा धीरेंद्र शास्त्री से न जोड़ा जाए. हमारे सारे संबंध समाप्त हो चुके हैं."

विवादों में रह चुके हैं शालिग्राम

गौरतलब है कि बागेश्वर बाबा यानि की पंडित धीरेंद्र शास्त्री के भाई शालिग्राम अकसर विवादों में घिरे रहते हैं. उन पर कई तरह के गंभीर मामले भी दर्ज हो चुके हैं. 21 फरवरी 2023 को एक वीडियो सामने आया था. जिसमें धीरेंद्र शास्त्री का भाई शालिग्राम मुंह में सिगरेट दबाकर गालियां देते हुए कट्टा दिखाकर एक शादी समारोह में राई नृत्य को रुकवा रहे थे. साथ ही दलित परिवार से मारपीट कर रहे थे.यह वीडियो गढ़ा गांव का था।

इस घटना के बाद शालिग्राम पर एससी-एसटी एक्ट सहित कई धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी. हालांकि बाद में शालिग्राम को जिला कोर्ट से जमानत मिल गई थी.

सेवादार के घर घुसकर महिलाओं के फाड़े थे कपड़े

इसके अलावा 1 जून 2024 को छतरपुर के बमीठा थाना स्थित गढ़ा गांव में शालिग्राम अपने दोस्तों के साथ सेवादार जीतू तिवारी के घर घुस गए थे. यहां शालिग्राम ने धमकी थी, फिर दूसरे दिन लाठी-डंडा लेकर मारने पहुंच गए थे. घर में मौजूद महिलाएं, बुजुर्ग और नाबालिग को पीटा था और गालियां दी थी. 

इस घटना में परिवार वालों ने आरोप लगाया था कि शालिग्राम ने महिलाओं के कपड़े भी फाड़े थे. जब इस घटना का वीडियो सामने आया, तब जाकर बमीठा थाना पुलिस ने शालिग्राम के खिलाफ केस दर्ज किया था.

भाई की हरकतों से धीरेंद्र शास्त्री ने किया था किनारा

भाई की इन हरकतों के चलते धीरेंद्र शास्त्री को कई बार लोगों के ट्रोल का शिकार होना पड़ा था. हालांकि धीरेंद्र शास्त्री ने यह कहते हुए किनारा कर लिया था कि मैं कानून के साथ हूं, शालिग्राम के खिलाफ पुलिस सख्त एक्शल ले. जबकि कुछ दिनों बाद अपने बयान पलटते हुए भी नजर आए थे. 27 फरवरी को टीकमगढ़ में प्रेस वार्ता करते हुए उन्होंने "कहा था कि एकतरफा कभी सत्य नहीं होता है. एक पक्ष कभी सत्य नहीं होता है. एक हाथ से कभी ताली नहीं बजती।

डा. आंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस आज


नयी दिल्ली : 6 दिसंबर को डॉ.आंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस मनाया जाता है। इसे महापरिनिर्वाण दिवस क्यों मनाया जाता है, इस मौके पर क्या किया जाता है, आइए जानते हैं.

हमारे संविधान को तैयार करने में डॉ.भीमराव रामजी आंबेडकर की बड़ी भूमिका थी। इसी वजह से वह संविधान निर्माता के तौर पर जाने जाते हैं। वह बड़े समाज सुधारक और विद्वान थे। उनका निधन 6 दिसंबर, 1956 को दिल्ली स्थित उनके घर पर हुआ था यानी आज उनकी पुण्यतिथि है। उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के तौर पर मनाया जाता हैं।

परिनिर्वाण क्या है?

परिनिर्वाण बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांतों और लक्ष्यों में से एक है। इसका वस्तुत: मतलब 'मौत के बाद निर्वाण' है। बौद्ध धर्म के अनुसार, जो निर्वाण प्राप्त करता है वह संसारिक इच्छाओं और जीवन की पीड़ा से मुक्त होगा और वह जीवन चक्र से मुक्त होगा यानी वह बार-बार जन्म नहीं लेगा।

कैसे हासिल होता है निर्वाण?

निर्वाण हासिल करना बहुत मुश्किल है। कहा जाता है कि इसके लिए किसी को बहुत ही सदाचारी और धर्मसम्मत जीवन जीना होता है। 80 साल की आयु में भगवान बुद्ध के निधन को असल महापरिनिर्वाण कहा गया।

डॉ. आंबेडकर ने कब अपनाया था बौद्ध धर्म?

संविधान निर्माता डॉ.भीमराव आंबेडकर ने बरसों तक बौद्ध धर्म का अध्ययन किया था। उसके बाद 14 अक्टूबर, 1956 को उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया था। उनके साथ उनके करीब 5 लाख समर्थक भी बौद्ध धर्म में शामिल हो गए थे।

उनका अंतिम संस्कार कहां हुआ?

उनके पार्थिव अवशेष का अंतिम संस्कार बौद्ध धर्म के नियमों के मुताबिक मुंबई की दादर चौपाटी पर हुआ। जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया, उसक जगह को अब चैत्य भूमि के तौर पर जाना जाता है।

उनकी पुण्यतिथि महापरिनिर्वाण दिवस के तौर पर क्यों मनाई जाती है?

दलितों की स्थिति में सुधार लाने के लिए उन्होंने काफी काम किया और छूआछूत जैसी प्रथा को खत्म करने में उनकी बड़ी भूमिका थी। इसलिए उनको बौद्ध गुरु माना जाता है। उनके अनुयायियों का मानना है कि उनके गुरु भगवान बुद्ध की तरह ही काफी प्रभावी और सदाचारी थे। 

उनका मानना है कि डॉ. आंबेडकर अपने कार्यों की वजह से निर्वाण प्राप्त कर चुके हैं। यही वजह है कि उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस या महापरिनिर्वाण दिन के तौर पर मानाया जाता है।

कैसे मनाते हैं महापरिनिर्वाण दिवस?

आंबेडकर के अनुयायी और अन्य भारतीय नेता इस मौके पर चैत्य भूमि जाते हैं और भारतीय संविधान के निर्माता को श्रद्धांजलि देते हैं।

आज का इतिहास:1907 में आज ही के दिन चिंगरीपोटा रेलवे स्टेशन पर हुई थी डकैती की पहली घटना

नयी दिल्ली : 6 दिसंबर का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 1907 में आज ही के दिन भारत के स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित डकैती की पहली घटना चिंगरीपोटा रेलवे स्टेशन पर हुई थी। 

1997 में 6 दिसंबर के दिन ही क्योटो (जापान) में अंतरराष्ट्रीय जलवायु सम्मेलन शुरू किया था। 

1998 में आज ही के दिन बैंकॉक में 13वें एशियाई खेलों की शुरुआत हुई थी।

2008 में आज ही के दिन भारत व चीन की सेनाओं के बीच संयुक्त युद्धाभ्यास एक्सरसाइज हैंड इन हैंड कर्नाटक के बेलगांव में शुरू हुआ था।

2008 में 6 दिसंबर के दिन ही केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट और रिवर्स रेट में एक प्रतिशत की कटौती की थी।

2006 में आज ही के दिन नासा ने मार्स ग्लोबल सर्वियर द्वारा खिंचे चित्रों को सार्वजनिक किया था।

2002 में 6 दिसंबर के दिन ही स्पेन के कार्लोस मोया को ‘एटीपी यूरोपियन प्लेयर आफ़ द इयर’ ख़िताब दिया गया था।

2001 में आज ही के दिन अफगानिस्तान में तालिबान हथियार डालने पर सहमत हुए थे।

1998 में 6 दिसंबर के दिन ही ह्यूगो शावेज वेनेजुएला के राष्ट्रपति चुने गए थे।

1998 में आज ही के दिन बैंकॉक में 13वें एशियाई खेलों की शुरुआत हुई थी। 

1997 में 6 दिसंबर के दिन ही क्योटो (जापान) में अंतरराष्ट्रीय जलवायु सम्मेलन की शुरआत हुई थी। 

1978 में आज ही के दिन यूरोपीय देश स्पेन में संविधान को अंगीकार किया गया था।

1958 में 6 दिसंबर के दिन ही इटली में विश्व की सबसे लंबी और अत्यंत महत्वपूर्ण सुरंग बनाने का काम शुरू हुआ था।

1926 में आज ही के दिन फिराक गोरखपुरी अपने साहित्यिक जीवन के शुरुआती समय में ब्रिटिश सरकार के राजनीतिक बंदी बनाए गए थे।

1917 में 6 दिसंबर के दिन ही फिनलैंड ने रूस से स्वतंत्रता की घोषणा की थी।

1907 में आज ही के दिन भारत के स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित डकैती की पहली घटना चिंगरीपोटा रेलवे स्टेशन पर हुई थी।

6 दिसंबर को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1896 में आज ही के दिन मध्य प्रदेश के प्रमुख सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्त्ता बृजलाल वियाणी का जन्म हुआ था।

1732 में 6 दिसंबर के दिन ही ईस्ट इंडिया कंपनी के पहले गर्वनर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स का जन्म हुआ था।

6 दिसंबर को हुए निधन

2015 में आज ही के दिन प्रसिद्ध भारतीय चरित्र अभिनेता राम मोहन का निधन हुआ था।

2009 में 6 दिसंबर के दिन ही हिंदी फिल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री बीना राय का निधन हुआ था।

1998 में आज ही के दिन परमवीर चक्र सम्मानित भारतीय सैनिक मेजर होशियार सिंह का निधन हुआ था।

1956 में 6 दिसंबर के दिन ही एक बहुजन राजनीतिक नेता भीमराव आंबेडकर का निधन हुआ था।

विवाह पंचमी: श्रीराम-जानकी की प्रेम कहानी से सीखें वैवाहिक जीवन के मूल्य


सीतामढ़ी : भगवान राम और माता के वैवाहिक जीवन से हमें सीखना चाहिए कि पति-पत्नी को हर परिस्थिति में एक-दूसरे का साथ निभाना चाहिए। भगवान राम और सीता के विवाह उत्सव को विवाह पंचमी पर्व के रूप में मनाया जाता है।

ये त्योहार अगहन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। इस बार ये 8 दिसंबर यानी आज है। मान्यता है कि इसी दिन गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस का लेखन भी पूरा किया था।

श्रीराम एक आदर्श पुरुष माने जाते हैं तो सीता उनकी संगिनी के रूप में महान पत्नी। इनका वैवाहिक जीवन कुछ खास बातों से महान माना जाता है। इनके वैवाहिक जीवन में श्रीराम ने माता सीता पर भरोसा और उनसे नि:स्वार्थ प्रेम किया वहीं माता जानकी ने त्याग और ईमानदारी के साथ हमेशा श्रीराम का साथ दिया। इसलिए हमें भी अपने वैवाहिक जीवन को सुखी बनाने के लिए भगवान राम और मां सीता के जीवन से सीख लेनी चाहिए।

हमेशा दिया साथ भगवान राम को जब वनवास हुआ तो माता सीता ने भी उनके साथ चलने का निर्णय किया। भगवान राम ने माता सीता से महल पर रहने का आग्रह किया, परंतु माता सीता ने भगवान राम के साथ वनवास पर जाने का निर्णय लिया।

भगवान राम और माता के वैवाहिक जीवन से हमें सीखना चाहिए कि पति-पत्नी को हर परिस्थिति में एक-दूसरे का साथ निभाना चाहिए।

त्याग वैवाहिक जीवन को मजबूत बनाने के लिए एक-दूसरे के लिए त्याग भी करना पड़ता है। माता सीता ने महल का त्याग कर भगवान राम के साथ वन में रहने का निर्णय किया था।

अगर आप भी चाहते हैं कि वैवाहिक जीवन मजबूत बने तो एक-दूसरे के लिए त्याग करना सीखें।

भरोसा किसी भी रिश्ते की नींव भरोसा ही होता है। अगर आप रिलेशनशिप को मजबूत बनाना चाहते हैं तो एक-दूसरे के प्रति भरोसा रखें। माता सीता को भगवान राम पर पूरा भरोसा था। रावण जब अपहरण कर माता सीता को लंका ले गया तो माता सीता ने हार नहीं मानी, क्योंकि उन्हें भगवान राम पर पूरा भरोसा था कि वो आएंगे और रावण का अंत कर मुझे यहां से ले जाएंगे।

नि:स्वार्थ प्रेम भगवान राम और माता सीता के वैवाहिक जीवन में किसी भी तरह का कोई स्वार्थ नहीं था। वैवाहिक जीवन को मजबूत बनाने के लिए नि:स्वार्थ भाव से प्रेम करना बहुत जरूरी है। असली प्रेम वही है जो नि:स्वार्थ भाव से किया जाए।

ईमानदारी रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए ईमानदारी का होना बहुत जरूरी है। माता सीता और भगवान राम के वैवाहिक जीवन से हमें सीखना चाहिए कि एक- दूसरे के प्रति ईमानदार कैसे रहा जाए। अगर आप रिलेशनशिप प को मजबूत बनाना चाहते हैं तो एक-दूसरे के प्रति ईमानदार रहें।

श्रीराम-सीता का विवाहोत्सव आज : नेपाल के धनुषा में होता है राम-सीता विवाह, ब्रह्माजी ने लिखी थी विवाह की लग्न पत्रिका

मुंबई की पहचान:गेटवे ऑफ इंडिया का आज ही के दिन हुआ था उद्घाटन

मुंबई : मुंबई आने वाला कोई भी शख्स गेटवे ऑफ इंडिया का दीदार किए बिना नहीं रह सकता है। बता दें कि भारत का प्रवेश द्वार कहलाने वाले इस ऐतिहासिक स्मारक को 100 साल पूरे हो चुके हैं। 4 दिसंबर 1924 को इसे आम जनता के लिए खोला गया और आज भी गेटवे ऑफ इंडिया मुंबई के सबसे आकर्षक स्थलों में शामिल है। 

आइए जानें इससे जुड़े कुछ फैक्ट्स 

4 दिसंबर को आम जनता के लिए खोला गया था Gateway of India, जानें कुछ दिलचस्प फैक्ट्स।

 मुंबई की ट्रिप अधूरी है अगर आपने गेटवे ऑफ इंडिया नहीं देखा। जी हां, इस साल इस ऐतिहासिक स्मारक ने 100 साल पूरे कर लिए हैं। 4 दिसंबर, 1924 को आम जनता के लिए खोला गया यह भव्य स्मारक भारत का प्रवेश द्वार कहलाता है।

जरा सोचिए, साल है 1911 और ब्रिटिश राजा जॉर्ज पंचम (George V) और महारानी मैरी (Queen Mary) भारत की धरती पर पहली बार कदम रखने वाले हैं। उनके स्वागत के लिए मुंबई के अपोलो बंदर पर एक भव्य स्मारक का निर्माण किया जा रहा है- गेटवे ऑफ इंडिया।

बता दें, प्रसिद्ध वास्तुकार जॉर्ज विटेट (George Wittet) द्वारा डिजाइन किया गया यह स्मारक आज मुंबई का प्रतीक बन चुका है और हर पर्यटक के लिए एक आकर्षण का केंद्र है। आइए इस ऐतिहासिक स्मारक की कहानी को विस्तार से जानते हैं।

गेटवे ऑफ इंडिया की कहानी

जब यह तय हुआ कि ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम और महारानी मैरी भारत की यात्रा करेंगे तो उनके स्वागत के लिए एक भव्य स्मारक बनाने की योजना बनाई गई। इस ऐतिहासिक घटना को चिह्नित करने के लिए, मुंबई में एक आश्चर्यजनक संरचना का निर्माण शुरू किया गया, जिसे बाद में गेटवे ऑफ इंडिया के नाम से जाना गया। 

बॉम्बे के तत्कालीन गवर्नर सर जॉर्ज सिनेहैम ने 31 मार्च, 1911 को इस भव्य स्मारक की आधारशिला रखी।

हालांकि, निर्माण कार्य में देरी के कारण जब सम्राट और महारानी 2 दिसंबर, 1911 को मुंबई पहुंचे, तो गेटवे ऑफ इंडिया अभी भी अधूरा था। 

इस चुनौती के बावजूद, स्वागत समारोह को शानदार बनाने के लिए आयोजकों ने इस प्रॉब्लम का एक क्रिएटिव सॉल्यूशन निकाला। उन्होंने कार्डबोर्ड से एक विशाल और भव्य द्वार बनाया, जो गेटवे ऑफ इंडिया के डिजाइन पर आधारित था। इस अस्थायी संरचना ने सम्राट और महारानी को मुंबई में एक यादगार स्वागत किया।

कैसे पड़ा गेटवे ऑफ इंडिया का नाम?

भारत के मुंबई शहर में स्थित गेटवे ऑफ इंडिया एक ऐतिहासिक स्मारक है। इसका निर्माण 20वीं सदी की शुरुआत में हुआ था और इस पर लगभग 21 लाख रुपये खर्च हुए थे।

इस भव्य इमारत को बनाने में पीले बेसाल्ट और कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया था। इसका मुख्य गुंबद 15 मीटर चौड़ा है और इसके लिए ग्वालियर से खूबसूरत जालियां मंगाई गई थीं।

गेटवे ऑफ इंडिया का डिजाइन एक ब्रिटिश वास्तुकार ने किया था और इसे इंडो-सरसेनिक शैली में बनाया गया है। इस इमारत के दोनों ओर इसके निर्माण की कहानी उकेरी गई है। तैयार होने के बाद इसका इस्तेमाल भारत में आने वाले अंग्रेजी अफसरों के स्वागत के लिए किया जाता था, इसलिए इसे 'गेटवे ऑफ इंडिया' नाम दिया गया। 

कहा जाता है कि गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण भारत में ब्रिटिश शासन के अंत का प्रतीक था। आज यह मुंबई का सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल है और यहां हर साल लाखों पर्यटक आते हैं।

एक ऐसा नज़ारा जिसे आप कभी नहीं भूलेंगे

कल्पना कीजिए, आप मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया पर खड़े हैं। आपके सामने विशाल समुद्र फैला हुआ है और दूर ताज महल पैलेस होटल अपनी शान दिखा रहा है। हवा में कबूतर मंडरा रहे हैं और समुद्र की लहरें धीरे-धीरे किनारे पर आकर टूट रही हैं। यह वह जगह है जहां भारत का इतिहास और आधुनिकता एक साथ मिलती है। एंट्री फ्री होने के कारण यहां हर कोई आ सकता है और इस खूबसूरत नजारे का आनंद ले सकता है।