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साढ़े सात करोड़ से देवघर, मोहनपुर व देवीपुर में बनेंगे तीन पुल

रांची : ग्रामीण विकास विभाग के विशेष प्रमंडल से देवघर, मोहनपुर व देवीपुर में कुल साढ़े सात करोड़ की लागत से तीन पुलों का निर्माण होगा. गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे के निर्देश पर विभागीय सचिव ने तीन पुलाें की स्वीकृति दी है. विभाग ने पुलों की स्वीकृति देने के बाद टेंडर निकाल दिया है.

ग्रामीण विकास विभाग ने दी स्वीकृति

ग्रामीण विकास विभाग के विशेष प्रमंडल से देवघर, मोहनपुर व देवीपुर में कुल साढ़े सात करोड़ की लागत से तीन पुलों का निर्माण होगा. गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे के निर्देश पर विभागीय सचिव ने तीन पुलाें की स्वीकृति दी है. विभाग ने पुलों की स्वीकृति देने के बाद टेंडर निकाल दिया है. इसमें देवघर प्रखंड में गौरीपुर पंचायत स्थित गम्हरिया व कर्णकोल गांव के बीच जोरिया में 2.27 करोड़ की लागत से पुल बनेंगे. देवीपुर प्रखंड में पिपराटोला गांव के जोरिया में 1.68 करोड़ की लागत से पुल बनेंगे व मोहनपुर प्रखंड में विश्वानी से मीनीडीह जाने वाले रास्ते में छातमी नदी के मनीडीह घाट पर 3.51 करोड़ की लागत से पुल का निर्माण कराया जायेगा. 

तीनों पुल का निर्माण कार्य 15 से 18 महीने में पूरा हो जायेगा. टेंडर प्रक्रिया भी 12 दिसंबर तक पूरे हो जायेंगे. तीनों पुल का निर्माण होने से ग्रामीणों को एक छोर के गांव से दूसरे छोर के गांव तक जाने में चार से पांच किलोमीटर की दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी. हजारों लोगों को आवागमन में सुविधा हो जायेगी.

चुनाव के दौरान ही देवघर, मोहनपुर व देवीपुर प्रखंड के ये तीन गांवों के ग्रामीणों ने पुल की इस समस्या से अवगत कराया था. विभागीय सचिव को जल्द पुल की स्वीकृति का निर्देश दिया गया था. पुल का टेंडर हो गया है. जनवरी से पुल का निर्माण कार्य चालू करा दिया जायेगा. पुल बन जाने से दर्जनों गांव के लोगों को राहत मिलेगी.

बुढ़ैश्वरी मंदिर में वार्षिक पूजनोत्सव सह तीन दिवसीय नवान्न मेला संपन्न*

झा.डेस्क देवघर के मधुपुर प्रखंड स्थित बुढ़ैई में आयोजित तीन दिवसीय नवान्न मेला में डेढ़ लाख से अधिक की संख्या में भीड़ पहुंचा. मेला बुधवार देर रात को संपन्न हो गया. मेला के पहले व दूसरे दिन बुढ़ैश्वरी माता व तिलेश्वरी मंदिर में विधिवत पूजा हुआ. जबकि अंतिम दिन सिर्फ मेला आयोजित हुआ. बताते चले कि तीसरे दिन गली मेला में जगह की कमी के कारण मेला पहाड़ में ही रहा. जहां हमेशा से दो दिन मेला लगते आ रहा था. मेला में तारामची, झूला, मौत का कुआं समेत अन्य सैंकड़ों दुकान लगायी गयी. मेला में लकड़ी के बने सामान में चौकी, दरवाजा, चौखट, पलंग, खटिया आदि सामान की खूब बिक्री हुई. इसके अलावा खाने पीने की दुकान, मनिहारी और खिलौने आदि दुकानें लगायी गयी है. मेला में दंडाधिकारी व पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति किया गया था. बताते चले कि बुढ़ैई नवान्न मेला पूरे इलाके में नई फसल के रूप में धान उपज होने के खुशी में दशकों से आयोजित होता रहा है. धान फसल कटने के बाद इलाके के लोग नये चूड़े व दही का प्रसाद मंदिर में चढ़ाते है. साथ ही वार्षिक पूजनोत्सव व बकरे की बलि समेत मुंडन संस्कार आदि होता है.
देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर में अब तक 43 लाख से अधिक लोगों ने किया जलार्पण, यह चीज रही आकर्षण का केंद्र


डेस्क: देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर में हर साल की भांति इस साल भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है. चौथी सोमवारी में भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी. अब सिर्फ पांचवी यानी अंतिम सोमवारी ही बची है. इस दौरान शिव भक्तों की सुविधा का विशेष ध्यान रखा गया. जिला प्रशासन भी पूरी तरह मुस्तैद दिखाई पड़ा और दूर दराज से आए भक्तों की मदद करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. ऐसे में सवाल ये उठता है कि अब तक बाबा मंदिर में कितने भक्तों ने जलार्पण किया. जिला प्रशासन द्वारा जारी सरकारी आंकड़ों की मानें तो अब 43 लाख 46 हजार 227 लोगों ने जलार्पण किया.

जिसमें 1 लाख 31 हजार 453 लोगों ने बाबा भोले नाथ पर शीघ्रदर्शनम के माध्यम से जलार्पण किया. वहीं, 14 अगस्त तक बाबा मंदिर की आय 5 करोड़ 42 लाख 55 हजार 702 रुपये हुई. गौरतलब है कि सावन का महीना अब ढलान पर है. अब सिर्फ पांचवी यानी कि अंतिम सोमवारी ही शेष है. इसके बावजूद कांवड़ियों की भीड़ में कोई कमी नहीं आ रही है. स्थिति ये रहती है कि शाम हो जाने के कारण हजारों कांवड़िये जलार्पण करने से वंचित रह जाते हैं. बाह्य अरघा की व्यवस्था होने से शिव भक्तों को काफी राहत मिल रही है. भक्तों के उत्साह का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अहले सुबह 4 बजे से भक्तों की लंबी कतार लगनी शुरू हो जाती है.

 देवघर के बाबा मंदिर के लिए रवाना होते हैं. वहीं, कुछ श्रद्धालु देवघर के शिवगंगा से भी जल का उठाव करते हैं. इन दोनों ही जगहों पर एनडीआरएफ की टीम मुस्तैद रहती है. वहीं, यहां पर श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा बलों जवान भी अलर्ट पर थे. एसपी समेत अन्य वरीय पुलिस अधिकारी सुरक्षा व्यवस्था की कड़ी मॉनिटरिंग करते दिखाई पड़े. लेकिन इस दौरान भक्तों के उत्साह कोई कमी नहीं दिखाई दी. चाहे बारिश हो या धूप सभी भक्ति में लीन दिखाई दिये.

श्रावणी मेला में कांवरियों को लेजर शो खूब लुभा रहा है. शिवगंगा सरोवर व जलसार पार्क में लेजर शो कार्यक्रम को देख श्रद्धालु बेहतर अनुभूति प्राप्त करते हैं. वाटर प्रोजक्टर के माध्यम से लेजर शो में बाबा मंदिर से जुड़े इतिहास के साथ-साथ शिवलिंग की स्थापना और देवघर से जुड़े इतिहास को दर्शाया जाता है. इस आलौकिक लेजर शो का प्रसारण श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है. इसके अलावा बाबा बैद्यनाथ मंदिर व टॉवर चौक पर लेजर मैपिंग लाइट से श्रद्धालुओं को एक नयी अनुभूति प्राप्त हो रही है.

झारखंड के नाराज परीक्षार्थी आज मुख्यमंत्री का करेंगे पुतला दहन, कल आवास घेराव की तैयारी


डेस्क: झारखंड सीजीएल की तैयारी करने वाले परीक्षार्थियों का धर्य अब जवाब दे चुका है. अब वे आर-पार की लड़ाई लड़ने की तैयारी में हैं. शुक्रवार को सभी जिलों में छात्रों का संगठन मुख्यमंत्री का पुतला दहन करेंगे. वहीं, शनिवार को मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे. दरअसल छात्र लंबे समय से सीजीएल परीक्षा की तिथि निर्धारित करने की मांग कर रहे हैं. हालांकि हाल ही में कर्मचारी चयन आयोग ने 21 और 22 सितंबर को परीक्षा की तिथि निर्धारित कर दी है, लेकिन परीक्षा उसी तारीख में होगी या नहीं यह स्पष्ट नहीं है.

छात्रों का इसके पीछे का तर्क ये है कि उस डेट में पहले से ही उत्पाद सिपाही, झारखंड फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर समेत कई परीक्षाओं की तिथि निर्धारित है. ऐसे में आयोग कैसे उस परीक्षा को आयोजित कर पाएगा. वहीं, कई लोगों का कहना है कि सरकारी नौकरियों की तैयारी करने वाले कई अभ्यर्थी उत्पाद सिपाही, जेपीएससी समेत कई परीक्षाओं के लिए आवेदन किया है. ऐसे में वह छात्र कैसे परीक्षा में बैठ पाएगा.

उल्लेखनीय है कि झारखंड सीजीएल की परीक्षा 28 जनवरी और 4 फरवरी 2024 को ही निर्धारित की गयी थी. परीक्षा संपन्न तो हो गयी लेकिन पेपर लीक हो जाने के कारण उस परीक्षा को रद्द करना पड़ा. इसके बाद छात्र संगठनों ने जेएसएससी कार्यालय के सामने जमकर बवाल काटा था. आक्रोशित छात्रों ने आयोग के कार्यालय का शीशा तोड़ा डाला था. तो वहीं उस वक्त के तत्कालीन अध्यक्ष नीरज सिन्हा की गाड़ी पर तोड़फोड़ की गयी थी. इस मामले में 4000 छात्रों के ऊपर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. जबकि 15 छात्रों को नामजद आरोपी बनाया गया था. बता दें कि यह साल 2015 की वैकेंसी है. लेकिन हर बार परीक्षा की तारीख आगे बढ़ने से अब तक एग्जाम नहीं हो पाया है. इस वजह से छात्र आक्रोशित हैं.

आज है पुत्रदा एकादशी, इस कथा के बिना अधूरा है पुत्रदा एकादशी व्रत, संतान की होगी प्राप्ति

नयी दिल्ली : हर महीने में 2 बार एकादशी व्रत किया जाता है। सावन माह की पुत्रदा एकादशी का व्रत आज 16 अगस्त 2024 को किया जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी व्रत करने से संतान प्राप्ति और बच्चे की तरक्की से जुड़ी सभी तरह की परेशानियों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत बिना अधूरा कथा पाठ करने से अधूरा माना जाता है ।

एकादशी तिथि को शुभ माना जाता है।

इस दिन श्रीहरि की पूजा होती है।

सावन में पुत्रदा एकादशी व्रत किया जाता है। एकादशी तिथि पर विधिपूर्वक भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मत है कि पुत्रदा एकादशी व्रत करने से साधक को भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही यश कीर्ति सुख और समृद्धि में भी वृद्धि होती है। अगर आप भी संतान की प्राप्ति चाहते हैं, तो सावन की पुत्रदा एकादशी का व्रत करें और पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ करें। इससे साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होगा। आइए पढ़ते हैं पुत्रदा एकादशी व्रत कथा।

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा

प्राचीन कथा के अनुसार, द्वापर युग के शुरुआत में एक नगरी थी, जिसका नाम महिरूपति था। इस नगरी में महीजित नाम का राजा राज्य करता था। लेकिन उसको पुत्र न होने की वजह से राजा को राज्य सुखदायक नहीं लगता था।

पुत्रदा एकादशी पर राशि अनुसार करें इन चीजों का दान, चमक उठेगा सोया हुआ भाग्य

पुत्र की प्राप्ति के लिए राजा ने कई तरह के उपाय किए। लेकिन पुत्र सुख प्राप्त नहीं हुआ। एक बार राजा ने सभी ऋषि-मुनियों, सन्यासियों और विद्वानों को बुलाया और उनसे पुत्र प्राप्ति के उपाय पूछे। सभी ने राजा की समस्या को सुनकर कहा कि हे राजन तुमने पूर्व जन्म में सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन तालाब से एक गाय को जल नहीं पीने दिया था, जिसकी वजह से गाय ने तुम्हे संतान न होने का श्राप दिया था। इसकी वजह से तुम पुत्र की प्राप्ति से वंचित हो।

इसके पश्चात ऋषि-मुनियों ने कहा कि अगर तुम सावन की एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करोगे, तो इस श्राप से मुक्ति पा सकते हो। जिसके बाद तुम्हें संतान की प्राप्ति हो सकती है। इसके बाद राजा न सच्चे मन से सावन की एकादशी का व्रत किया। 

इस व्रत के पुण्य से राजा की पत्नी गर्भवती हुई और पुत्र को जन्म दिया। धार्मिक मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और साधक की सभी मुरादें पूरी होती हैं।

बॉलीवुड के मशहूर फिल्म निर्देशक डेविड धवन का 73वां बर्थडे आज,आइए जानते है निर्देशक की जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बाते।

नयी दिल्ली : डेविड धवन बॉलीवुड के मशहूर फिल्म निर्देशक हैं, जिनकी फिल्मों के बिना इंडस्ट्री अधूरी है। निर्देशक अपनी फिल्मों से हंसा-हंसाकर दर्शकों के पेट में दर्द करवा चुके हैं। कई साल से वह दर्शकों का अपनी फिल्मों के जरिए मनोरंजन कर रहे हैं। लोगों का उनकी फिल्मों के साथ खास जुड़ाव रहता है। 

डेविड धवन इंडस्ट्री को अपने करियर के दो से ज्यादा के दशक में कई सुपरहिट फिल्में दे चुके हैं। निर्देशक ने बॉलीवुड के कई बड़े सुपरस्टार्स के करियर को चमकाया है। वहीं, उनकी कई बेहतरीन फिल्मों के कारण उन्हें 'किंग ऑफ कॉमेडी' का टैग भी मिला।डेविड धवन आज अपना 73वां जन्मदिन मना रहे हैं। चलिए इस खास मौके पर जानते हैं निर्देशक की जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बाते।

निर्देशक डेविड धवन का जन्म 16 अगस्त 1951 में अगरतला में हुआ था। उनका नाम राजिंदर धवन रखा गया। निर्देशक का पिता बैंक में मैनेजर थे, जिनका ट्रांसफर कानपुर हो गया था। डेविड ने कानपुर से अपनी पढ़ाई की। 12वीं पास करने के बाद उनका रुझान फिल्मों की और हो गया और उन्होंने सोचा कि वह फिल्म इंडस्ट्री में ही काम करेंगे। इसके बाद उन्होंने एफटीआईआई में दाखिला लिया, जहां उन्होंने अभिनय से लेकर निर्देशन और एडिटिंग तक की बारीकियां सीखीं। 

अभिनय सीखने के बावजूद डेविड ने निर्देशन और एडिटिंग का रास्ता चुना, क्योंकि वह शुरुआत में ही समझ चुके थे कि वह अभिनय नहीं कर पाएंगे, इसलिए उन्होंने फिल्म मेकिंग पर खास ध्यान दिया।

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद डेविड धवन ने बॉलीवुड इंडस्ट्री में कदम रखा और एडिटर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की। डेविड की पहली फिल्म 1984 में आई 'सारांश' थी, जिसमें अनुपम खेर ने मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म का निर्देशन महेश भट्ट ने किया था और एडिटिंग डेविड धवन ने की थी। 

एडिटिंग के बाद डेविड धवन ने अपना हाथ निर्देशन में आजमाया और बहुत जल्दी इस लाइन में अपना सिक्का जमा लिया। डेविड ने 1989 में आई फिल्म 'ताकतवर' से अपना निर्देशन डेब्यू किया था, जिसमें गोविंदा और संजय दत्त मुख्य भूमिका में नजर आए थे। अपनी पहली फिल्म से ही बतौर निर्देशक डेविड धवन इंडस्ट्री में छा गए। इसके बाद लगातार वह अपनी फिल्मों के जरिए सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए।

निर्देशक में 90 के दशक से लेकर अब तक बॉलीवुड के कई बड़े सितारों के साथ काम किया, लेकिन उनकी सबसे ज्यादा जोड़ी गोविंदा के साथ जमी। इस जोड़ी ने कई सुपरहिट फिल्में दीं। दोनों ने एक साथ 17 फिल्मों में काम किया, जिनमें से अधिकतर हिट साबित हुई थीं। डेविड ने 'स्वर्ग', 'आंखें', 'शोला और शबनम', 'साजन चले ससुराल', 'जुड़वा', 'बड़े मियां छोटे मियां', 'दुल्हन हम ले जायेंगे', 'मुझसे शादी करोगी', 'पार्टनर', 'चश्मे बद्दूर', 'मैं तेरा हीरो' और 'जुड़वा 2' सहित कई सुपरहिट फिल्में इंडस्ट्री को दीं। डेविड धवन ने अपने करियर में करीब 42 फिल्मों का निर्देशन किया, जिनमें से 17 फिल्में उन्होंने गोविंदा के साथ की थीं। हालांकि, बाद में दोनों के रिश्ते में दरार आने के बाद कभी वह साथ नहीं दिखे।

डेविड धवन की तमाम सुपरहिट फिल्मों की बदौलत उन्हें किंग ऑफ कॉमेडी के टैग से भी नवाजा गया। वहीं डेविड धवन की निजी जिंदगी के बारे में बात करें तो उन्होंने करुणा चोपड़ा धवन के साथ शादी की, जिनसे उन्हें दो बच्चे हुए- रोहित धवन और वरुण धवन। उनके बेटे वरुण धवन ने बतौर अभिनेता बॉलीवुड इंडस्ट्री में कदम रखा और अपना नाम कमाया।

भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज पुण्यतिथि,आइए जानते है उनसे जुड़ी कुछ खास बाते

भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के उन महान नेताओं में से एक थे जिनका योगदान न केवल राजनीति में, बल्कि देश की सामाजिक और सांस्कृतिक धारा में भी महत्वपूर्ण रहा है। उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें:

1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी था। अटल जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर से पूरी की और आगे की पढ़ाई कानपुर के डीएवी कॉलेज से की, जहाँ से उन्होंने राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।

2. राजनीतिक करियर की शुरुआत:

वाजपेयी जी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय जन संघ से की, जिसे आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी के रूप में पुनर्गठित किया गया। 1957 में वे पहली बार बलरामपुर, उत्तर प्रदेश से सांसद चुने गए। इसके बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिनमें विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री का पद भी शामिल है।

3. प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल:

अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने। पहली बार 1996 में, दूसरी बार 1998 में और तीसरी बार 1999 में। उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किए, जिसने भारत को विश्व स्तर पर एक मजबूत परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया।

4. भारत रत्न सम्मान:

अटल बिहारी वाजपेयी को 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। यह सम्मान उन्हें भारतीय राजनीति और समाज में उनके अद्वितीय योगदान के लिए दिया गया।

5. कवि और लेखक:

अटल बिहारी वाजपेयी एक प्रख्यात कवि और लेखक भी थे। उनकी कविताओं में देशभक्ति, समाज सुधार और मानवीय संवेदनाओं की झलक मिलती है। "मेरी इक्यावन कविताएँ" उनकी प्रमुख काव्य संग्रह में से एक है।

6. विनम्रता और सर्वसम्मति की राजनीति:

वाजपेयी जी की राजनीति की सबसे बड़ी खासियत उनकी विनम्रता और सभी दलों के साथ मिलकर काम करने की क्षमता थी। उनकी नेतृत्व क्षमता और सर्वसम्मति बनाने की कला ने उन्हें सभी दलों में सम्मान दिलाया।

7. स्वास्थ्य और निधन:

अटल बिहारी वाजपेयी का स्वास्थ्य उनके जीवन के अंतिम वर्षों में धीरे-धीरे बिगड़ता गया। 16 अगस्त 2018 को उनका निधन हो गया, जिससे पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।

अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि के अवसर पर, हमें उनके महान विचारों और उनकी सेवाओं को याद करते हुए उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। उनका जीवन हमें प्रेरित करता है कि हम अपनी मातृभूमि की सेवा में हमेशा समर्पित रहें।

आज का इतिहास:1990 में आज ही के दिन ही चीन ने अपना पहला न्यूक्लियर टेस्ट किया था,जाने 16 अगस्त से जुड़े महत्वपूर्ण घटनाक्रम

नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 16 अगस्त का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई हैं।

16 अगस्त का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 2012 में आज ही के दिन विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को इक्वाडोर ने राजनीतिक शरण दी थी।

2010 में 16 अगस्त को ही नई दिल्ली में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के लिए एआर रहमान के रचे थीम गीत जियो उठो बढ़ो जीतो को स्वीकृति दी गई थी।

2018 में आज ही के दिन भारत रत्न से सम्मानित अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु हुई थी।

2008 में आज ही के दिन कांगो में तैनात 125 भारतीय पुलिस अधिकारियों को संयुक्त राष्ट्र शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

2006 में आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र परिषद ने हैती में अपने अभियान को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया था।

2004 में 16 अगस्त को ही ओलंपिक नौकायन में ऑस्ट्रेलियाई और अमेरिकी टीम ने वर्ल्ड रिकाॅर्ड बनाया था।

2000 में आज ही के दिन वेरेंटर्स सागर में रूस की परमाणु पनडुब्बी दुर्घटनाग्रस्त हुई थी।

1990 में 16 अगस्त के दिन ही चीन ने अपना पहला न्यूक्लियर टेस्ट किया था।

1960 में आज ही के दिन साइप्रस को ब्रिटेन से छुटकारा मिला था और वहां इस दिन को फ्रीडम के रूप में मनाया जाता है।

1943 में 16 अगस्त को ही बुल्गारिया के जार बोरिस तृतीय अडोल्फ़ हिटलर से मिले थे।

1924 में आज ही के दिन नीदरलैंड-तुर्की के बीच शांति समझौते पर साइन हुए थे।

1918 में आज ही के दिन दूसरी लोकसभा के सदस्य टी. गणपति का जन्म हुआ था।

1787 में 16 अगस्त के दिन ही तुर्की ने रूस के खिलाफ युद्ध की घोषणा की थी।

1777 में आज ही के दिन ही अमेरिका ने ब्रिटेन को बेन्निनगटोन के युद्ध में हराया था।

आइए जानते है कैसे करे राइस वाटर का इस्तेमाल की चेहरे की चमक हमेशा बनी रहें


राइस वाटर, या चावल का पानी, चेहरे की चमक को बनाए रखने के लिए एक प्राचीन और प्राकृतिक उपाय है। इसमें मौजूद विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट्स आपकी त्वचा को स्वस्थ और निखारने में मदद करते हैं। आइए जानते हैं कैसे करें राइस वाटर का इस्तेमाल:

1. राइस वाटर कैसे बनाएं:

चावल धोएं: आधा कप चावल लें और इसे पानी में अच्छे से धो लें ताकि धूल और गंदगी निकल जाए।

भिगोना: धोए गए चावल को 2-3 कप पानी में 30 मिनट के लिए भिगो दें।

पानी छानें: भीगे हुए चावल से पानी को छान लें। यही पानी राइस वाटर के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।

2. राइस वाटर का उपयोग कैसे

 करें:

फेस वॉश: आप राइस वाटर को फेस वॉश की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे चेहरा धोने पर त्वचा को नमी और पोषण मिलेगा।

टोनर: राइस वाटर को टोनर के रूप में उपयोग करें। इसे एक स्प्रे बॉटल में भर लें और चेहरे पर हल्के हाथों से स्प्रे करें। कुछ मिनट के बाद चेहरे को साफ पानी से धो लें।

फेस मास्क: राइस वाटर को बेसन, मुल्तानी मिट्टी, या ऐलोवेरा जेल में मिलाकर फेस मास्क बना सकते हैं। इसे 15-20 मिनट तक चेहरे पर लगाएं और फिर ठंडे पानी से धो लें।

हफ्ते में दो बार: इस प्रक्रिया को हफ्ते में 2-3 बार दोहराएं। इससे त्वचा में निखार आएगा और त्वचा स्वस्थ दिखेगी।

3. राइस वाटर के फायदे:

त्वचा को नमी: राइस वाटर त्वचा को गहराई से मॉइस्चराइज करता है, जिससे आपकी त्वचा मुलायम और चमकदार बनती है।

एंटी-एजिंग: इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा की उम्र बढ़ने के संकेतों को कम करने में मदद करते हैं।

पिगमेंटेशन कम करता है: नियमित इस्तेमाल से त्वचा का रंग साफ होता है और काले धब्बे कम होते हैं।

4. सावधानियाँ:

अगर आपको किसी प्रकार की एलर्जी या संवेदनशीलता है, तो पहले पैच टेस्ट जरूर करें।

हमेशा ताजा राइस वाटर का ही इस्तेमाल करें, इसे लंबे समय तक न रखें।

राइस वाटर का नियमित उपयोग आपकी त्वचा को चमकदार और स्वस्थ बनाए रख सकता है। 

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लाल किले में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की सीट को लेकर विवाद, ओलंपिक पदक विजेताओं के साथ बैठे आए नजर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी हिस्सा लिया। स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान राहुल गांधी को ओलंपिक पदक विजेताओं के साथ सबसे आखिरी पंक्ति में बैठे नजर आए। जैसे ही ये तस्वीरें आई, कांग्रेस ने सवाल उठा दिया। अब राहुल गांधी की सीट को लेकर विवाद हो गया है।

प्रोटोकॉल के मुताबिक, लोकसभा में विपक्ष के नेता, जिनका दर्जा कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है, उनको हमेशा आगे की पंक्ति में सीट दी जाती है। जहां फिलहाल भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, शिवराज सिंह चौहान, अमित शाह और एस जयशंकर बैठे थे। 

ऐसे में कांग्रेस ने राहुल गांधी की सीट को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। पार्टी के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा, "रक्षा मंत्रालय इतना खराब व्यवहार क्यों कर रहा है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को चौथी कतार में बैठाया गया है। नेता प्रतिपक्ष का पद किसी भी केंद्रीय मंत्री से बड़ा होता है। लोकसभा में वह प्रधानमंत्री के बाद आते हैं। राजनाथ सिंह जी आप रक्षा मंत्रालय को राष्ट्रीय समारोह का राजनीतिकरण करने की इजाजत कैसे दे सकते हैं। आपसे इसकी उम्मीद नहीं थी।"

कांग्रेस की इस आपत्ति पर रक्षा मंत्रालय का बयान आया है।रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी के लिए आगे की सीट रिजर्व थी, लेकिन उन्होंने अपनी मर्जी से लाइन में पीछे बैठने का फैसला किया।

बता दें कि सफेद कुर्ता-पायजामा पहने राहुल गांधी भारतीय हॉकी टीम के फॉरवर्ड गुरजंत सिंह के बगल में बैठे नजर आ रहे हैं। आगे की रो में मनु भाकर और सरबजोत सिंह जैसे ओलंपिक पदक विजेता बैठे थे। ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह और पीआर श्रीजेश सहित टीम के सदस्य भी राहुल गांधी से आगे बैठे थे।

बता दें कि एक दशक में यह पहली बार था जब विपक्ष का कोई नेता स्वतंत्रता दिवस प्रोग्राम के लिए लाल किले पर मौजूद रहा।ऐसे में उसे पीछे बैठे जाने पर विवाद हो गया है।