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केरल में बड़ा खुलासा: BMW कारों के मालिक और अच्छे मकानों में रहने वाले लोग उठा रहे सामाजिक सुरक्षा पेंशन का फायदा

केरल में एक चौंका देने वाला खुलासा हुआ है. वित्त विभाग ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन लाभार्थियों के संबंध में एक समीक्षा की , जिसमें पता चला है कि राज्य में बीएमडब्ल्यू कारों के मालिक और अच्छे मकानों में रहने वाले लोग पेंशन का लाभ उठा रहे हैं. ऐसे में इसे लेकर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. वित्त विभाग के सूत्रों के अनुसार पूरे राज्य में ऐसा ऑडिट किया जाएगा, जिसका लक्ष्य सभी गैर पात्र व्यक्तियों को लाभार्थी सूची से हटाना है.

केरल में राजपत्रित अधिकारियों और कॉलेज के प्रोफेसरों समेत लगभग 1,500 सरकारी कर्मचारियों के फर्जी तरीके से सामाजिक सुरक्षा पेंशन हासिल करने से संबंधित खबरें आने के बाद व्यापक आक्रोश फैला हुआ है, जिसके बीच यह नया खुलासा हुआ है. आर्थिक रूप से मजबूत पृष्ठभूमि के लोगों के सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्राप्त करने का यह मामला मलप्पुरम जिले के कोट्टक्कल नगर पालिका से सामने आया है.

एसी में रहने वाले लोग उठा रहे फायदा

अधिकारियों के अनुसार, इस ऑडिट में बीएमडब्ल्यू कारों के मालिकों समेत अपात्र व्यक्तियों के पेंशन का लाभ लेने जैसे चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं. एक अधिकारी ने कहा, ‘कुछ पेंशनभोगी कथित तौर पर एयर कंडीशनर जैसी सुविधाओं वाले घरों में रहते हैं. ऐसे भी उदाहरण मिले, जिनमें सरकारी नौकरी कर चुके पेंशनभोगियों के पति या पत्नी कल्याण पेंशन ले रहे थे.

ऑडिट में हुआ खुलासा

राज्य के वित्त मंत्री के.एन. बाल गोपाल ने कोट्टक्कल मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए शुक्रवार को उन अधिकारियों की सतर्कता जांच के आदेश दिए, जिन्होंने कथित तौर पर गरीबों की सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना में ऐसे समृद्ध व्यक्तियों को शामिल किया था. वित्त मंत्री ने मिली जानकारी के मुताबिक प्रमाण पत्र जारी करने वाले राजस्व अधिकारियों और पेंशन को मंजूरी देने वाले व्यक्तियों के खिलाफ सतर्कता से जांच की जाएगी. कोट्टक्कल नगर पालिका के 7वें वार्ड में सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो इस मामले की जांच करेगी. इस जांच से पहले ब्यूरो ने मलप्पुरम वित्त लेखा परीक्षा विभाग ने पेंशन लाभार्थियों की जांच की थी.

महंगाई कंट्रोल करने के लिए सरकार का शानदार प्लान: 25 लाख टन गेहूं बेचने की तैयारी

भारत सरकार ने महंगाई कंट्रोल करने के लिए शानदार प्लान तैयार कर लिया है. अब आम जनता को महंगी थाली को लेकर परेशान नहीं होना पड़ेगा. सरकार ने खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर लगाम लगाने घोषणा की है. इसके लिए वह मार्च 2025 तक 25 लाख टन एफसीआई गेहूं बेचने जा रही है. अगर महंगाई कम नहीं होती है तो आम जनता की थाली अभी की तुलना में एक्सपेंसिव हो जाएगी.

क्या है पूरी प्लानिंग?

गेहूं की बिक्री सरकार की खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) पहल के तहत की जाएगी. इसका प्रबंधन सरकारी स्वामित्व वाली भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा, आपूर्ति और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है. खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ओएमएसएस के तहत गेहूं के लिए आरक्षित मूल्य उचित एवं औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) अनाज के लिए 2,325 रुपए प्रति क्विंटल और यूआरएस (थोड़ी कम गुणवत्ता वाले) अनाज के लिए 2,300 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है.

31 मार्च, 2025 तक ई-नीलामी के माध्यम से निजी पक्षकारों को गेहूं बेचा जाएगा, जिसमें आटा मिलें, गेहूं उत्पाद बनाने वाले, प्रसंस्करणकर्ता और अंतिम उपयोगकर्ता शामिल हैं. हालांकि, सरकार ने थोक उपयोगकर्ताओं को एफसीआई गेहूं की बिक्री शुरू करने की तारीख के बारे में जानकारी नहीं दी. पिछले साल, एफसीआई ने ओएमएसएस के तहत थोक उपयोगकर्ताओं को 10 लाख टन से अधिक गेहूं बेचा था.

भारत ब्रांड के बैनर तले सरकार कर रही काम

सरकार ने देश में महंगाई को नियंत्रित रखने के लिए मूल्य स्थिरीकरण कोष के अंतर्गत भारत ब्रांड के लिए दूसरा चरण शुरू किया है. इसके तहत आटे के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से 3.69 लाख टन गेहूं और 2.91 लाख टन चावल आवंटित किया है. प्रल्हाद जोशी ने कहा कि भारत ब्रांड के तहत सामान तब तक मिलता रहेगा, जब तक आवंटित किया गया भंडार समाप्त नहीं हो जाता. अगर और अधिक राशन की जरूरत पड़ी तो सरकार के पास पर्याप्त भंडार है. सरकार दोबारा राशन आवंटित कर देगी.

पहले चरण में चावल की कम बिक्री पर मंत्री ने कहा कि सरकार का मकसद कारोबार करना नहीं है. बल्कि सरकार का उद्देश्य ग्राहकों को राहत देना और बाजार में कीमतों को नियंत्रित करना है. अगर बाजार में मांग देखी गई तो सरकार छोटे आकार के पैकट लाने पर विचार करेगी.

लगातार 8वीं बार कम हुआ देश का विदेशी मुद्रा भंडार

देश का विदेशी मुद्रा भंडार 22 नवंबर से 29 नवंबर के बीच 1.31 अरब डॉलर घटकर 656.58 अरब डॉलर पर पहुंच गया. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. इससे पहले, 15 नवंबर को समाप्त सप्ताह में, देश का विदेशी मुद्रा भंडार 17.76 अरब डॉलर की रिकॉर्ड गिरावट के साथ 657.89 अरब डॉलर रहा था.

सितंबर के अंत में विदेशी मुद्रा भंडार 704.88 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया था. उसके बाद से इसमें पिछले कई हफ्ते से गिरावट आ रही है.

क्यों घटा भारत का विदेशी मुद्रा भंडार?

रिजर्व बैंक के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, 22 नवंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा मानी जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियां 3.04 अरब डॉलर घटकर 566.79 अरब डॉलर रही.

डॉलर के संदर्भ में उल्लेखित विदेशी मुद्रा आस्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की घट-बढ़ का प्रभाव शामिल होता है. समीक्षाधीन सप्ताह में स्वर्ण भंडार का मूल्य 1.83 अरब डॉलर बढ़कर 67.57 अरब डॉलर हो गया. विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 7.9 करोड़ डॉलर घटकर 17.98 अरब डॉलर रहा.

रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, आलोच्य सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के पास भारत का आरक्षित भंडार 1.5 करोड़ डॉलर घटकर 4.23 अरब डॉलर रहा.

राजकोषीय घाटा 46.5 प्रतिशत हुआ

केंद्र का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2024-25 के पहले सात महीनों में पूरे साल के लक्ष्य के 46.5 प्रतिशत तक पहुंच गया. सरकारी आंकड़ों में शुक्रवार को यह जानकारी दी गई. लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-अक्टूबर की अवधि के दौरान राजकोषीय घाटा 7,50,824 करोड़ रुपये था. सरकार के व्यय और राजस्व के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहते हैं. वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में घाटा बजट अनुमान का 45 प्रतिशत था.

पाकिस्तान का विदेशी भंडार 2.2 बिलियन बढ़ा

स्टैट बैंक ऑफ पाकिस्तान की रिपोर्ट के अनुसार उसका विदेशी 2.2 बिलियन डॉलर बढ़ गया है. इस समय पाकिस्तान का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 13.1 बिलियन पर पहुंच गया है. पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में जुलाई के बाद इतनी तेजी देखी गई है.

मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में बीजेपी के पूर्व विधायक बहादुर सिंह चौहान के साथ कार्यकर्ताओं ने की मारपीट

उज्जैन जिले के महिदपुर विधानसभा क्षेत्र में हो रहे निर्माण कार्यों का लोकार्पण और भूमि पूजन करने के लिए शुक्रवार को जिले के प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल महिदपुर पहुंचे थे. यहां कार्यक्रम में बीजेपी के तीन बार के पूर्व विधायक बहादुर सिंह चौहान के साथ बीजेपी के ही कार्यकर्ताओं ने न सिर्फ बदसलूकी की, बल्कि मारपीट भी की. बीजेपी के पूर्व विधायक की धुनाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

महिदपुर विधानसभा क्षेत्र के नारायणा में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लोकार्पण के बाद प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल, सांसद अनिल फिरोजिया, बीजेपी जिलाध्यक्ष बहादुर सिंह बोरमुंडला महिदपुर की ओर जा रहे थे, तभी बोरिंग दूध प्लांट के बाहर बीजेपी नेता प्रताप सिंह आर्य ने प्रभारी मंत्री और सांसद का एक स्वागत समारोह आयोजित किया था. इस कार्यक्रम में पूर्व विधायक बहादुर सिंह चौहान को निमंत्रण नहीं दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद भी वह मंच पर पहुंचे और यहां स्वागत समारोह में भागीदारी करने लगे.

जब प्रभारी मंत्री खुद मंच से उतर गए

स्वागत समारोह के बाद बहादुर सिंह चौहान जैसे ही मंच से नीचे उतरे तो कार्यकर्ताओं ने उनकी जमकर धुनाई कर दी. घटना के बाद बहादुर सिंह चौहान और प्रताप सिंह आर्य के समर्थक आमने-सामने भी हुए, लेकिन मौके पर मौजूद पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर सभी कार्यकर्ताओं को अलग-अलग किया. घटना के दौरान यह देखने को मिला कि प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल को खुद यह विवाद शांत करने के लिए मंच से नीचे उतरना पड़ा. साथ ही सांसद अनिल फिरोजिया ने भी माइक लेकर कार्यकर्ताओं को अनुशासन में रहने की हिदायत दी. बताया जा रहा है कि पूरे मामले में महिदपुर थाना पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है

एक-दूसरे के धुर विरोधी हैं प्रताप सिंह आर्य और बहादुर सिंह चौहान

याद रहे कि पूर्व विधायक बहादुर सिंह चौहान और जिला पंचायत सदस्य प्रताप सिंह आर्य एक-दूसरे के धुर विरोधी हैं. वर्तमान में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी दोनों ही एक-दूसरे के सामने चुनाव लड़े थे. आज भी इस विवाद का मुख्य कारण बहादुर सिंह चौहान का प्रताप सिंह आर्य के मंच पर चढ़ना ही था. बताया जाता है कि बहादुर सिंह चौहान के मंच पर चढ़ने के साथ ही कुछ लोग उनका विरोध करने लगे थे. इन्हीं लोगों ने बहादुर सिंह चौहान के मंच से नीचे उतरते ही उन पर हमला कर दिया. बहादुर सिंह चौहान के साथ आए लोग उन्हें बचा पाते, इसके पहले ही कुछ लोगों ने उनके साथ धक्का-मुक्की कर मारपीट की.

उपमुख्यमंत्री नहीं बनेंगे एकनाथ शिंदे, पार्टी के किसी और नेता को देंगे मौका- शिवसेना नेता संजय शिरसाट

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों आए हुए कई दिन बीत चुके हैं, लेकिन मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के नामों पर अभी तक कोई मुहर नहीं लग पाई है. ऐसे में शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने उपमुख्यमंत्री को लेकर मीडिया से बातचीत में कहा है कि पार्टी के प्रमुख एकनाथ शिंदे अगर इस पद पर अपनी सहमति नहीं बनाते हैं तो हम कोई और दूसरा रास्ता निकालेंगे. ऐसी स्थिति में इस पद को पार्टी के किसी और सदस्य को सौंपा जा सकता है.

मीडिया से बातचीत में शिरसाट ने एकनाथ शिंदे के भविष्य को लेकर सवाल पूछे जाने पर कहा कि वो निश्चित रूप से केंद्रीय मंत्री के तौर पर केंद्र में नहीं जाएंगे. महाराष्ट्र चुनावों में महायुति गठबंधन का प्रदर्शन शानदार रहा. इससे पहले पिछले दिनों कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि वह अगले मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा करने के बीजेपी के नेतृत्व के फैसले का बिना किसी विरोध के समर्थन करेंगे. उनकी तरफ से इस फैसले पर किसी तरह की बाधा नहीं दी जाएगी.

महायुति का रहा शानदार प्रदर्शन

इस बार के विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन को कुल 288 सीट में से 232 सीट पर जीत मिली. वहीं बीजेपी का प्रदर्शन भी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शानदार रहा है. शिंदे के बीजेपी के समर्थन देने वाले बयान आने बाद कयास लगाए जा रहे थे कि उन्हें उपमुख्यमंत्री की कमान सौंपी जाएगी. इसी पर शिरसाट ने साफ किया है कि शिंदे उपमुख्यमंत्री के पद को स्वीकार नहीं करेंगे.

किस सीट पर चुनाव जीते थे शिरसाट

महाराष्ट्र की औरंगाबाद विधानसभा पश्चिम सीट पर फिर से जीतने वाले शिरसाट ने कहा कि अगर एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार नहीं करते हैं, तो हमारी पार्टी के किसी और नेता को इसका मौका दिया जाएगा. इसी विषय पर देसाई, जो कि 2022 से 2024 तक शिंदे के गढ़ ठाणे के संरक्षक मंत्री थे. शिंदे के विशाल प्रशासनिक अनुभव को देखते हुए देसाई ने कहा कि उन्हें महाराष्ट्र में शिंदे को अगली सरकार का हिस्सा होना चाहिए.

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में अनोखा पुल, जहां लकड़ी की सीढ़ी से चढ़ते और उतरते हैं लोग।

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर एक ऐसा अनोखा पुल है जहां पर लोग लकड़ी की सीढ़ी के सहारे चढ़ते और उतरते हैं. शादियाबाद के सराय सदकरमें बेसो नदी पर पिछले दस साल से पुल हवा में लटक रहा है.शादियाबाद के सराय सदकरगांव में बेसो नदी बहती है और इसी नदी पर तत्कालीन समाजवादी पार्टी के विधायक सुब्बा राम ने करोड़ों रुपए की लागत से एक पुल निर्माण की आधारशिला रखकर शिलान्यास करने का काम किया गया.

हालांकि पुल बनने का काम तो शुरू हुआ, लेकिन आज तक पूरा नहीं हो पाया. ऐसे में ये पुल आज भी हवा में झूल रहा है. ग्रामीणों के साथ साथ यह अनोखा पुल भी पिछले सात सालों से सम्पर्क मार्ग बनने की राह देख रहा है, लेकिन इसके बनने की कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है.

बेसो नदी पर किया था पुल का शिलान्यास

सपा सरकार के कार्यकाल में लोगों की आवागमन की समस्या को देखते हुए तत्कालीन विधायक सुब्बाराम ने बेसो नदी पर इस पुल का शिलान्यास किया था. पुल का निर्माण जोर-शोर से शुरू हुआ लगभग लगभग पुल तैयार भी हो गया, लेकिन 2017 में सरकार बदलते ही पुल का काम बंद हो गया. ऐसे में तब से लेकर आजतक पुल हवा में झूल रहा है. जानकारी के मुताबिक नदी में पानी कम होता है तो लोग उसमें घुसकर लोग इधर-उधर आते जाते हैं. वहीं नदी में पानी जब ज्यादा होता है, तो लोग लकङी की सीढ़ी के सहारे पुल पर चढ़ते और दूसरी तरफ सीढ़ी के सहारे उतरते हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि कई बार अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक पुल के दोनों तरफ सम्पर्क मार्ग बनाने की मांग की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है. सराय सदकर गांव के रहने वालों ने बताया कि पुल बनाने के लिए उनके जमीनों का उपयोग भी किया गया और उन्हें मुआवजा नहीं दिया. इस वजह से ग्रामीणों ने उस वक्त पुल के निर्माण को रोक दिया, लेकिन विभाग के लोगों ने अभी तक इसमें कोई एक्शन नहीं लिया है.

बीच में रुक गया पुल का निर्माण

इसके अलावा मरदह के कोर गांव और मऊ के गजेंद्रपुर गांव को जोड़ने के लिए भैसही नदी पर करोड़ों रुपये की लागत से पुल का निर्माण भी 12 साल पहले शुरू किया गया. ग़ाज़ीपुर की तरफ का अप्रोच तक कई फीट नीचे कंकड़ डालकर छोड़ दिया गया, जबकि मऊ की तरफ का अप्रोच न बनने के कारण कई फीट गहरा गड्ढा है. पुल बनने से जनपद के कोर, नखतपुर, बिजौरा, मुस्तफाबाद, नेवादा, भोजपुर, मिर्जापुर आदि गांवों के लोगों को समय और श्रम दोनों में बचत होगी.

महाराष्ट्र के गोंदिया में भीषण बस दुर्घटना: 9 लोगों की मौत, कई घायल, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने की मुआवजे की घोषणा

महाराष्ट्र के गोंदिया में भीषण बस दुर्घटना हुई है. इस हादसे में 9 लोगों की मौत हो चुकी है. घायलों में कुछ की हालत बेहद गंभीर है. मृतकों की संख्या बढ़ने की संभावना है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की तरफ से हादसे के पीड़ितों को 10 लाख रुपये की तत्काल सहायता देने का ऐलान किया गया है. घटना के पीछे की वजह बाइक को बचाने के चक्कर में बस का अनियंत्रित होना बताया गया है.

दरअसल, गोंदिया-कोहमारा स्टेट हाई-वे पर खजरी गांव के करीब बाइक को बचाने के चक्कर में शिवशाही बस अनियंत्रित हो गई और पलट गई. बस के पलटने से कुछ लोग उसके नीचे दब गए, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई. शुक्रवार की दोपहर 12 बजे से 12:30 बजे के बीच हुए इस हादसे के बाद मौके पर चीख-पुकार मच गई.

कैसे हुआ हादसा?

हादसे में पलटने वाली बस महाराष्ट्र सड़क परिवहन निगम (MSRTC) की थी. ये बस भंडारा से साकोली लखानी होते हुए गोंदिया की ओर जा रही थी. इस बस का नंबर MH 09 EM 1273 बताया गया है. बस के सामने टर्निंग सड़क थी और अचानक सामने से बाइक आ गई. बाइक चालक को बचाने के चक्कर में बस ड्राइवर ने कट मारा, जिससे बस अनियंत्रित हो गई और पलट गई.

बस में 5 से अधिक यात्री सवार थे

हादसे के वक्त बस में 35 से अधिक यात्री सवार थे, जिनमें से 9 की मौत हो गई है. मौत का आंकड़ा बढ़ भी सकता है. चश्मदीदों के मुताबिक, बस ड्राइवर हादसे के बाद घटनास्थल से फरार हो गया. राहगीरों के सूचना पर एंबुलेंस और पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे. उन्होंने घायलों को इलाज के लिए गोंदिया के जिला शासकीय अस्पताल (केटीएस) में भर्ती कराया. हादसे का शिकार हो चुकी बस को उठाने के लिए क्रेन की मदद ली गई और उसे वहां से हटाया गया. फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है.

संसद में प्रियंका गांधी की एंट्री से कांग्रेस की सियासत में बड़े बदलाव की उम्मीद, जानें


सियासत में एंट्री के 5 साल बाद प्रियंका गांधी लोकसभा पहुंच गई हैं. प्रियंका के शपथ लेने से कांग्रेस और गठबंधन के नेता उत्साहित नजर आ रहे हैं. संजय राउत ने जहां प्रियंका को शेरनी की उपाधि दी है. वहीं खुद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे प्रियंका की एंट्री को ऊर्जा और शक्ति बता रहे हैं

ऐसे में यह चर्चा तेज हो गई है कि प्रियंका के संसद में आने से कांग्रेस के भीतर क्या कुछ बदलेगा?

संगठन से संसदीय राजनीति में प्रियंका

प्रियंका गांधी केरल के वायनाड सीट से सांसद चुनकर आई हैं. 2009 में राजनीतिक परिदृश्य में आए केरल की यह सीट 2019 में सुर्खियां बटोरी थी. 2019 में यहां से राहुल गांधी जीतकर संसद पहुंचे थे.

2024 में भी राहुल को यहां से जीत मिली, लेकिन रायबरेली से जीत जाने की वजह से राहुल ने यह सीट छोड़ दी. इसके बाद राहुल ने प्रियंका को वायनाड सीट की कमान सौंपी.

2019 में प्रियंका गांधी सक्रिय राजनीति में आई थीं. उन्हें तब संगठन में भेज दिया गया था. 2022 तक प्रियंका उत्तर प्रदेश की प्रभारी रहीं, लेकिन उनके नेतृत्व में भी कांग्रेस यूपी में कुछ खास नहीं कर पाई. कांग्रेस ने इसके बाद प्रियंका की ड्यूटी यूपी से हटा दी.

प्रियंका गांधी अभी खरगे की टीम में महासचिव की भूमिका में हैं. हालांकि, उनके पास किसी भी राज्य का प्रभार नहीं है. प्रियंका पहली बार संसदीय राजनीति में आई हैं.

संसद में प्रियंका, कांग्रेस में क्या-क्या बदलेगा?

फ्लोर मैनेजमेंट में भूमिका- पिछले 10 साल में संसद के भीतर कांग्रेस का फ्लोर मैनेजमेंट काफी कमजोर रहा है. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर जब सरकार बिल पेश करने जा रही थी, तब राज्यसभा में कांग्रेस के सचेतक ने ही दल बदल लिया था. प्रियंका के संसद में आने से इसमें सुधार होने की बात कही जा रही है. बड़े मुद्दों पर नई रणनीति के तहत कांग्रेस सरकार को घेर पाएगी.

99 सांसद वाली कांग्रेस मुख्य विपक्ष की भूमिका में है. फ्लोर मैनेजमेंट के लिए सहयोगियों को साधना भी उसी की जिम्मेदारी है. 2024 के चुनाव के बाद स्पीकर चुनाव के वक्त भी कांग्रेस फ्लोर मैनेजमेंट नहीं कर पाई थी. उस वक्त कांग्रेस के रवैए से तृणमूल नाराज हो गई थी.

बाद में राहुल गांधी ने अभिषेक बनर्जी से बात कर पूरे मामले का डैमेज कंट्रोल किया था.

2. कांग्रेस के पास हिंदी भाषी वक्ता- 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उत्तर भारत की डेढ़ दर्जन सीटों पर जीत हासिल की है, लेकिन ऐसा कोई नहीं है, जिसका भाषण पूरे हिंदी बेल्ट में पसंद किया जाता हो. प्रियंका के संसद में आने से कांग्रेस इस क्राइसिस से निपट सकती है.

नेता प्रतिपक्ष के पद पर होने की वजह से राहुल गांधी को अंग्रेजी और हिंदी दोनों ही भाषाओं में बोलना पड़ता है. प्रियंका के आने से यह दुविधा भी खत्म होगी. प्रियंका मजबूती से अपनी बात रखने के लिए जानी जाती हैं. ऐसे में संसद में उनका भाषण कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.

कहा जा रहा है कि प्रियंका मुख्य तौर पर महिलाओं के मुद्दे पर ज्यादा फोकस कर सकती हैं. मल्लिकार्जुन खरगे के एक बयान से इसके संकेत भी मिले हैं. खरगे ने कहा है कि प्रियंका महिलाओं की मजबूत आवाज है.

लोकसभा के बाद देश की सियासत में महिलाएं मुख्य धुरी बनकर उभरी हैं. झारखंड और महाराष्ट्र जैसे चुनाव के नतीजे बदलने में महिलाएं एक्स फैक्टर साबित हुई हैं.

3. गठबंधन की धुरी बन सकती हैं- संसद में प्रियंका गांधी के आने से कांग्रेस को एक फायदा गठबंधन के सहयोगियों को साधने में भी होगा. यूपी के अखिलेश यादव से लेकर अन्य नेताओं से उनके सियासी ताल्लुकात अच्छे हैं. पर्दे के पीछे से गठबंधन में प्रियंका कई बार बड़ी भूमिका निभा चुकी हैं.

संसद में प्रियंका के आने से अब सहयोगी दलों के नेता सीधे उन्हीं से बात करना चाहेंगे. पहले यह वैक्यूम बना हुआ था. यही वजह है कि कांग्रेस नेताओं के साथ-साथ सहयोगी दलों के नेता भी प्रियंका के संसद में आने से उत्साहित हैं.

संजय राउत ने प्रियंका को शेरनी की संज्ञा दी है. सपा की डिंपल भी संसद के भीतर प्रियंका को बधाई देती नजर आईं. वहीं प्रियंका के रोल में हुए इस बदलाव का असर उन नेताओं पर पड़ेगा, जो अभी यह काम देख रहे हैं.

वर्तमान में फ्लोर मैनेजमेंट से लेकर सहयोगियों को साधने तक की जिम्मेदारी केसी वेणुगोपाल पर है. वेणुगोपाल संगठन के महासचिव हैं. साथ ही वे लोकलेखा समिति के भी प्रमुख हैं.

ऐसे में अब प्रियंका के संसद में आने के बाद कहा जा रहा है कि उनका भार कुछ कम हो सकता है.

धीरेंद्र शास्त्री ने बांग्लादेश को लेकर दिया बड़ा बयान , कहा- हिंदू एकता दिखाएं और सरकार को जवाब दें।

बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने बांग्लादेश को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि वहां के हिंदुओं को एकता का परिचय देते हुए सड़कों पर उतरना चाहिए. धीरेंद्र शास्त्री ने बांग्लादेश की सरकार को सनातनी विरोधी बताया. उन्होंने भारत सरकार से इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की बात कही. उन्होंने इस्कॉन को सनातन संगठन बताया.

धीरेंद्र शास्त्री द्वारा 9 दिवसीय हिंदू सनातन एकता पदयात्रा निकाली जा रही है. पदयात्रा निवाड़ी जिले के ओरछा तिगैला पहुंची. यात्रा का समापन ओरछा में शनिवार को होना है. यात्रा के समापन के कुछ घंटो पहले पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने वीडियो जारी कर लोगों से अपील की है. उन्होंने लोगों से कहा है कि जो लोग यात्रा में कल आना चाहते है, वह वहीं रुक जाएं और यात्रा में शामिल ना हो. वह लाइव के माध्यम से शामिल हो जाएं.

‘हिंदू सड़कों पर उतरें, बांग्लादेश सरकार को जवाब दें’

यात्रा के दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मामले को उठाया जाना चाहिए. वहां हिन्दू परिवारों को लूटा जा रहा है. बहन बेटियों की अस्मिता लूटी जा रही है. मंदिर तोड़े जा रहे हैं. अगर वहां के हिंदू बुजदिल न हो कायर न हो तो वह अपनी एकता का परिचय देते हुए सड़कों पर उतरे. उन्होंने कहा कि वहां हिंदू वहां की सरकार को जबाव दें. वह सनातन विरोधी सरकार को जवाब दें.

हरिहर मंदिर की होगी स्थापना- धीरेंद्र शास्त्री

धीरेंद्र शास्त्री ने संभल मामले में कहा कि एएसआई सर्वे आने के बाद जल्द हरिहर मंदिर की स्थापना होगी. यह पैदल यात्रा छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम से ओरछा नगरी तक निकाली जा रही है. यह यात्रा करीब 160 किलोमीटर की है. इसे सनातन हिन्दू एकता पदयात्रा नाम दिया गया है. पदयात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हो रहे हैं.

ये लोग हुए यात्रा में शामिल

यात्रा में पीठाधीश्वर वैदेही वल्लभशरण दास महाराज, दिल्ली से भाजपा सांसद मनोज तिवारी, मध्यप्रदेश के पूर्व गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा, राजस्थान के हवा महल विधायक बालमुकुंद आचार्य, सागर विधायक शैलेन्द्र जैन, मंदसौर जिले के सुवासरा विधायक हरदीप ​सिंह डंग, श्री रामराज संकल्पना ट्रस्ट के मुख्य संरक्षक व राष्ट्रीय हिंद वाहिनी संगठन अयोध्या धाम के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेशचंद द्विवेदी राजू, राष्ट्रीय महामंत्री नवीनचंद शुक्ला, राष्ट्रीय मंत्री शरद नामदेव, राकेश तिवारी, कमलेश नामदेव, एडवोकेट संजय प्रताप सिंह, मनीष गुप्ता, आकाश कनौजिया, विकास कनौजिया सहित राष्ट्रीय हिंदू वाहनी संगठन व श्रीराम राज्य संकल्पना ट्रस्ट के कार्यकर्ता शामिल हुए.

गुरुग्राम में पुलिस एनकाउंटर में मारा गया बिहार का कुख्यात गैंगस्टर सरोज राय, 32 से ज्यादा आपराधिक मामले थे दर्ज, 2 लाख रुपये का था इनाम।

दिल्ली से सटे गुरुग्राम में पुलिस ने कुख्यात गैंगस्टर का एनकाउंटर किया है. गुरुग्राम पुलिस और बिहार पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में बिहार के गैंगस्टर सरोज राय कि एनकाउंटर में मौत हो गई. मारे गए बदमाश पर 2 लाख रुपये का इनाम घोषित था. उसके ऊपर 32 से ज्यादा आपराधिक मुकदमे दर्ज थे. पुलिस के मुताबिक, जब गैंगस्टर को पकड़ने पुलिस पहुंची तो उसने टीम पर हमला कर दिया.

जवाबी फायरिंग में सरोज की मौत हो गई. मुठभेड़ की घटना में एक पुलिस का जवान भी घायल हुआ है. उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इस बीच एक अन्य बदमाश मौके से भागने में सफल रहा. बिहार पुलिस की ओर से गुरुग्राम पुलिस को सूचना मिली थी कि बिहार का कुख्यात बदमाश सरोज राय जिसपर पर पुलिस ने 2 लाख रुपए का इनाम रखा हुआ है वह गुरुग्राम में किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने वाला है.

क्रास फायरिंग में हुई बदमाश की मौत

एसीपी क्राइम वरुण दहिया के मुताबिक, पुलिस को सूचना मिली थी कि गैंगस्टर सरोज राय मेवात से गुरुग्राम में एंट्री करेगा, इसी के बाद गुरुग्राम पुलिस ने अलग-अलग जगह पर नाकेबंदी कर दी. गुरुग्राम के बार गुर्जर चौकी के पास आरोपी ने पुलिस से बचने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने इसे रोकने की कोशिश की तो उसने पुलिस के ऊपर फायरिंग कर दी. एसीपी क्राइम ने बताया कि पुलिस ने क्रास फायरिंग की, जिसमें बदमाश सरोज राय की मौत हो गई. इस घटना में बिहार पुलिस के एक जवान को भी गोली लगी है. उन्हें घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

32 से ज्यादा आपराधिक मामले थे दर्ज

गैंगस्टर सरोज राय के साथ एक अन्य बदमाश भी साथ था. वह पुलिस को चकमा देकर मौके से फरार होने में कामयाब रहा. पुलिस की जांच में मालूम हुआ है कि बदमाश सरोज राय बिहार में एक बड़ा गैंगस्टर था और पिछले काफी समय से उसने आतंक मचाया हुआ था. उसके ऊपर लगभग 32 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं. पुलिस ने जब इस गैंगस्टर को रोकने की कोशिश की तो इसने एक के बाद एक दर्जनों फायरिंग की. पुलिस तफ्तीश में जुटी हुई है कि बिहार के अलावा क्या इसने गुरुग्राम या हरियाणा के अन्य इलाकों में भी किसी तरह की वारदात को अंजाम दिया है.