झरिया पुनर्वास का संशोधित मास्टर प्लान अभी केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए लंबित
इसे धरातल पर उतारने के लिए हो सकती है रागिनी सिंह कि बड़ी भूमिका
झा. डेस्क
झरिया से इस बाऱ रागनी सिंह भाजपा की टिकट पर चुनाव जीत गयी है. रागनी सिंह विधायक बनी है तब भी और नहीं थी तब भी लगातार झरिया के जनता के साथ रही. उसके हर सुख दुख में वह यहां के लोगों के साथ खड़ी दिखी.
संजीव सिंह भी जब तक विधायक रहे जनता से उनका सीधा जुड़ाव रहा है. अब चुकी जनता ने उन्हें अपना प्रतिनिधि चुनकर विधानसभा भेज दिया है. तो जनता की अपेक्षा भी उनसे बढ़ गयी. और अभी अवसर भी है वह चाहेगी तो इस अवसर पर झरिया की जनता को बड़ा तोहफा दिला सकती है.
दरअसल झरिया में भूमिगत आग सौ साल से भी पुरानी है. झरिया में विस्थापन बड़ी समस्या है. अगर कहा जाय तो विस्थापन और प्रदूषण ही झरिया की सबसे बड़ी समस्या है. यह समस्या झरिया से नव निर्वाचित विधायक रागिनी सिंह के लिए यह बड़ी चुनौती भी है, तो अग्नि परीक्षा भी है.
ऐसा इस लिए कि झरिया का संशोधित मास्टर प्लान अभी केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए लंबित है. इस बीच यह सूचना आई है कि झरिया के संशोधित पुनर्वास योजना को कैबिनेट से मंजूरी के पूर्व नए कोयला सचिव बीसीसीएल की भूमिगत आग प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर सकते है.
यह भी सूचना है कि दौरे की तिथि 29 नवंबर को प्रस्तावित है. वैसे लोकसभा का सत्र चलने के कारण तिथि में बदलाव भी हो सकता है. सूत्र बताते हैं कि कोयला सचिव ने झरिया पुनर्वास पर इसी महीने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बीसीसीएल के सीएमडी सहित अन्य अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की थी. समीक्षा बैठक के दौरान उन्होंने आग प्रभावित क्षेत्रों को देखने की इच्छा व्यक्त की थी. झरिया पुनर्वास योजना पहले लोकसभा चुनाव एवं उसके बाद झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर जारी आचार संहिता में फंसी हुई थी. अब आचार संहिता की अवधि समाप्त हो गई है.
इसलिए उम्मीद है कि झरिया पुनर्वास की संशोधित योजना को जल्द कैबिनेट से स्वीकृति मिल सकती है. एक लाख चार हज़ार परिवारों का पुनर्वास उक्त योजना से हो सकता है.
कई मुद्दों पर योजना को कैबिनेट से स्वीकृति मिलने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी कि क्या और कैसे होने है. अति संवेदनशील क्षेत्रों में रह रहे लोगों का पुनर्वास पहले चरण में किया जाना है. झरिया से इस बार फिर भाजपा की जीत हुई है. अगर कैबिनेट से मंजूरी मिल जाए और पुनर्वास का काम तेज गति से हो तो एक लाख चार हज़ाए परिवारों को राहत मिल सकती है. इसके लिए रागिनी सिंह की बड़ी भूमिका हो सकती है. ऐसा इसलिए कि केंद्र में भाजपा कि सरकार है, रागिनी सिंह भाजपा से विधायक हैं और अगर वे इस दिशा में पहल करेगी, केंद्र सरकार से बात करेगी, कोयला मंत्रालय के सचिव को कंविन्स करेगी तो यह काम जल्द और आसानी से हो सकता है इससे जनता के बीच रागिनी सिंह के इस पहल का उपलब्धि का अच्छा संदेश जायेगा. और इसका क्रेडिट रागिनी सिंह के खाते में जा सकता है.
वैसे, झरिया अब वह झरिया नहीं रही. जिसके लिए झरिया जानी जाती थी. धनबाद की झरिया देश की अनूठी कोयला बेल्ट है. दुनियाभर से अच्छी गुणवत्ता का कोयला झरिया में ही मिलता है. विशेषता यह भी है कि यह कोयला जमीन के बहुत करीब होता है. कोयला खनन का यहां इतिहास बहुत पुराना है. 1884 से झरिया इलाके में कोयला का खनन किया जा रहा है. भूमिगत आग का पता भी 1919 में इसी इलाके से चला. कोयलांचल की अर्थव्यवस्था का प्रमुख केंद्र पहले झरिया थी. आज भी कमोवेश है.
Nov 28 2024, 18:39