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माता वैष्णो देवी मंदिर के लिए प्रस्तावित रोपवे परियोजना का विरोध: हितधारकों को बेरोजगारी का डर, रोका गया काम

जम्मू-कश्मीर में त्रिकुटा की पहाड़ियों पर विराजमान माता वैष्णो देवी मंदिर के लिए प्रस्तावित रोपवे परियोजना का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा.सोमवार लगातार चौथे दिन इस योजना के हितधारकों ने उग्र प्रदर्शन किया. इस दौरान कांग्रेस के नेता भी हितधारकों के प्रदर्शन में शामिल रहे. हालात को देखते हुए ताराकोट मार्ग से सांझी छत के बीच 250 करोड़ रुपये लागत वाले इस प्रस्तावित रोपवे का काम रोक दिया गया है. बड़ा सवाल यह कि लोग इस रोपवे का विरोध क्यों क रहे हैं? इस सवाल का जवाब योजना के उद्देश्य में ही छिपा है.

दरअसल अभी माता वैष्णो देवी की चढ़ाई में कम से कम 7 घंटे लगते हैं. इसके लिए श्रद्धालुओं को 13 किमी की दूरी या तो पैदल चलकर पूरी करनी होती है या फिर टट्टू या पालकी से जाना होता है. ऐसे हालात में कई बार श्रद्धालु ना तो पैदल चलने में समर्थ होते हैं और ना ही वह पालकी या टट्टू पर सवारी में ही सहज होते हैं. इसी समस्या के समाधान के तौर पर श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने इस रोपवे प्रस्ताव पर आगे बढ़ने की योजना बनाई थी. बोर्ड का दावा है कि रोपवे प्रोजेक्ट पूरा होने से माता मंदिर की दूरी महज एक घंटे की रह जाएगी.

श्रद्धालुओं को मिलेगी बेहतर सुविधा

श्रीमाता श्राइन बोर्ड के मुताबिक अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस रोपवे में यात्रा करने से किसी श्रद्धालु को कोई दिक्कत भी नहीं होगी. बड़ी बात यह कि इस सुविधा से लोगों का समय और पैसा तो बचेगा ही, उन्हें किसी तरह की मानसिक या शारीरिक परेशानी से भी नहीं जूझना होगा. बोर्ड के मुताबिक इस सुविधा से माता मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी और इससे यहां पर्यटन का दायरा भी बढ़ेगा. बावजूद इसके, योजना के हित धारक विरोध में हैं. इसलिए जरूरी है कि उनका भी दर्द समझ लिया जाए.

हितधारकों को सता रहा बेरोजगारी का डर

दरअसल योजना का विरोध करने वाले सभी हितधारक टट्टू वाले और पालकी वाले हैं. उन्हें डर है कि रोपवे प्रोजेक्ट आते ही वह बेरोजगार भी हो जाएंगे. उनका डर जायज भी है. अभी वह श्रद्धालुओं से मनमानी रकम वसूल करते हैं और यहां उनकी मोनोपॉली चलती है. वहीं जब रोपवे बन जाएगा तो लोग इनसे उलझने के बजाय रोपवे की सेवाएं लेना ज्यादा पसंद करेंगे. हितधारकों को संबोधित करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह जामवाल ने भी इस आशंका को दोहराया. कहा कि रोपवे का काम दो साल में पूरा हो जाएगा. इसके बाद यहां सेवा देने वाले बेरोजगार हो जाएंगे.

केजरीवाल ने किया बड़ा एलान, खोली जा रही है 80 हजार नई वृद्धावस्था पेंशन, 5 लाख 30 हजार बुजुर्गों को मिलेगा लाभ,

आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि 80 हजार नई वृद्धावस्था पेंशन खोली जा रही है. साल 2015 में जब हमारी सरकार बनी थी तब दिल्ली में 3 लाख 32 हजार बुजुर्गों को पेंशन मिलती थी. इसे बढ़ाकर पिछले 9 सालों में सवा लाख पेंशन और एड की गई हैं. फिलहाल दिल्ली में करीब साढ़े चार लाख बुजुर्गों को पेंशन मिल रही है.

केजरीवाल ने कहा है कि अब दिल्ली के 5 लाख 30 हजार बुजुर्गों को पेंशन दी जाएगी. कई साल से ये पेंशन बंद थे, लंबे समय से ये मांग की जा रही थी. 60 से 69 साल के बुजुर्गों को अभी 2000 रुपए पेंशन मिलती है, जबकि 70 साल से ऊपर के बुजुर्गों को 2500 मिलते हैं. ये पेंशन देश में सबसे ज्यादा है. आप नेता ने भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोलते हुए कहा कि जहां डबल इंजन की सरकारें हैं वहां बुजुर्गों को 500-600 मिलते हैं, हमारी सिंगल इंजन की सरकार में 2500 रुपए मिलते हैं. केजरीवाल ने कहा कि बुजुर्गों के पेंशन रोकना पाप है, जेल से आते ही हमने इसे शुरू कराया है.

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने श्रवण कुमार की तरह दिल्ली के बुजुर्गों के लिए काम किया है. एक के बाद एक दिल्ली के रुके हुए काम शुरू हो रहे हैं. केजरीवाल ने दिल्ली के एक लाख बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा करवाई हैं. बुजुर्गों की पेंशन काफी समय से रुकी हुई थी.

बीजेपी का षड्यंत्र फेल हो गया- आतिशी

उन्होंने कहा कि दिल्ली के काम रोकने के लिए केंद्र और बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया क्योंकि जो काम वे दिल्ली के लोगों के लिए कर रहे थे वो बीजेपी अपने किसी राज्य में नहीं कर पा रही थी, लेकिन दिल्ली के लोगों के प्यार और आशीर्वाद से बीजेपी का षड्यंत्र फेल हो गया. केजरीवाल जेल से बाहर आ गए और एक के बाद एक दिल्ली के रुके हुए काम वो शुरू हो रहे हैं. वहीं, आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि केजरीवाल जब छोटे मुकदमे में जेल में थे तब तक दिल्ली के बुजुर्गों की पेंशन रोक दी गई थी. 24 घंटे में ही इसके लिए 10 हजार आवेदन भी आ गए हैं.

उत्तर प्रदेश का दर्दनाक मामला: नहीं मिली कोई मदद… पत्नी की मौत के बाद ठेले पर शव रख 50 KM चला पति, बेटों ने नहीं दिया कंधा!

माता-पिता अपने बच्चों के लिए जी-जान लगा देते हैं. खूब मेहनत करते हैं और बच्चों को किसी तरह की परेशानी नहीं उठाने देते. उनकी हर ख्वाहिश पूरी करते हैं. बच्चों की हर जिद पूरी करते हैं लेकिन जब बच्चे बड़े होते हैं तो अक्सर कुछ बच्चे ये सब भूल जाते हैं कि उनके माता-पिता ने उनके लिए क्या-क्या किया. माता-पिता अपना फर्ज अच्छे से निभा लेते हैं लेकिन बच्चे बूढ़े माता-पिता का ख्याल रखने का अपना फर्ज भूल जाते हैं.

ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश के मऊ से सामने आया है, जहां एक बूढ़ा शख्स अपनी पत्नी के शव को बलिया के नगरा से 50 किमी दूर रघौली तक पैदल लेकर पहुंचा. पति मजदूरी करके अपनी बीमार पत्नी का इलाज करा रहा था लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. इसके बाद घर ले जाने के लिए पति ने लोगों से अपील की लेकिन किसी ने उस बूढ़े व्यक्ति की मदद नहीं की. फिर वह ठेले पर अपनी पत्नी के शव को डालकर चल दिया. उसने बताया कि उनकी चार संतान हैं लेकिन सभी उनसे अलग रहती हैं.

अंतिम संस्कार का खर्चा

यह मामला दादनपुर का है, जहां रहने वाली महिला की बलिया के नगरा में इलाज के दौरान मौत हो गई, जिसके बाद उसका पति अपनी पत्नी के शव को लेकर पैदल चल दिया. हालांकि जब इस मामले की जानकारी पुलिस को हुई, तो घोसी के कोतवाल ने शव को उसके गांव दादनपुर अहिरौली भिजवाया. इसके साथ ही उन्होंने अंतिम संस्कार का भी पूरा खर्च उठाया.

झाड़-फूंक कराने के लिए कहा

गुलाबचंद्र शनिवार को अपनी पत्नी को दादनपुर से बलिया के नगरा लेकर पहुंचा था, लेकिन उसी दिन शाम को उसकी पत्नी ने दम तोड़ दिया. लोगों ने गुलाबचंद्र से उनकी पत्नी का झाड़-फूंक कराने के लिए कहा था. अपनी पत्नी को बचाने की उम्मीद में वो उसे नगरा ले गया था लेकिन उसकी पत्नी बच नहीं पाई. इसके बाद उन्होंने अस्पताल से वापस लाने के लिए अपने पत्नी के शव को ठेले पर रखा और 50 किलोमीटर दूर तक पैदल चले.

महाराष्ट्र में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत पर कंगना रनौत ने उद्धव ठाकरे की हार को लेकर कह दी ये बड़ी बात

महाराष्ट्र में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत पर मंडी से सांसद कंगना रनौत ने खुशी जताई. वहीं, दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे की हार को लेकर उन्होंने कहा, मुझे उनकी हार की उम्मीद थी. कंगना रनौत ने उद्धव ठाकरे पर जमकर निशाना साधा और उन्हें दैत्य कहा

महाराष्ट्र में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत हासिल की और इतिहास रच दिया. बीजेपी ने 132 सीटें जीती, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 57 और अजित पवार की एनसीपी ने 41 सीटें जीतीं. वहीं, महाविकास अघाड़ी में उद्धव गुट की शिवसेना को 20, कांग्रेस को 16 और शरद पवार की एनसीपी को 10 सीटें मिली.

बीजेपी की जीत पर जताई खुशी

कंगना रनौत ने बीजेपी की फतह पर कहा, हमारी पार्टी के लिए यह ऐतिहासिक जीत है. जाहिर सी बात है हम सब कार्यकर्ता बहुत उत्साहित है. हम पूरे महाराष्ट्र और पूरे भारत की जनता का धन्यवाद करते हैं. साथ ही उन्होंने अपनी पार्टी का जिक्र करते हुए कहा, हमारी जो पार्टी है, उनकी जो विचारधारा है, हमारे पास एक से बड़ कर एक नेतृत्व के लिए लोग हैं.

उद्धव ठाकरे पर साधा निशाना

सांसद कंगना रनौत ने कहा, मुझे उनकी हार की उम्मीद थी. उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा, हम देवताओं को और दैत्यों को कैसे पहचानते हैं. जो महिलाओं की इज्जत उतारते हैं वो दैत्य ही होते हैं और जो महिलाओं को सम्मान देते हैं वो देवता होते हैं. उन्होंने महायुति की प्रशंसा करते हुए कहा, हमारी पार्टी ने आज अगर हम देखें की महाराष्ट्र में महिलाओं को आरक्षण दिया है, अनाज दिया है, गैस सिलेंडर दिए हैं. इससे पता चलता है कि कौन देवता है और कौन दैत्य है. उन्होंने आगे कहा, दैत्य का वो ही हुआ जो हमेशा होता है, उनकी हार हुई.

साल 2020 में उद्धव ठाकरे के सीएम रहते हुए बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने कंगना रनौत का बांद्रा में स्थित बंगले में कथित अवैध परिवर्तनों को ध्वस्त कर दिया था. बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट ने उनके बंगले को ध्वस्त करने के मुंबई नागरिक निकाय के आदेश को रद्द कर दिया था और माना गया कि वह बीएमसी की “दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई” के चलते मुआवजे की हकदार हैं.

2020 में उनके घर को तोड़ने को याद करते हुए कंगना रनौत ने कहा, मेरा घर तोड़ा गया, मेरा अपमान किया गया, गालियां दी गई, तो कहीं न कहीं मुझे लगता है कि बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी वो दिख ही रहा था. कांग्रेस को लेकर सांसद ने कहा, उनको पब्लिक से एक मजबूत जवाब मिला है.

शौक पूरे नहीं होने पर दो इंजीनियरों ने नौकरी छोड़कर बन गए साइबर ठग, मंत्री के साथ 2 करोड़ की ठगी कर फंसे,हुआ गिरफ्तार

लालच बुरी बला है… ये सिर्फ एक कहावत नहीं, बल्कि हकीकत है लेकिन फिर भी कुछ लोग लालच के चलते उलटा काम करते हैं और फिर फंस जाते हैं. ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां दो लोग इंजीनियर की अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर फ्रॉड बन गए और लोगों को लूटने का काम करने लगे. क्योंकि नौकरी की सैलरी से उनके शौक पूरे नहीं हो पा रहे थे. फिर लालच में उन्होंने ठगी का काम करना शुरू कर दिया.

नौकरी छोड़कर ठग बनने वाले दोनों युवकों का खेल तब खत्म हुआ, जब वह कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी के साथ हुई 2 करोड़ से ज्यादा रुपये की ठगी के मामले पकड़े गए. दोनों युवक दिव्यांशु और पुलकित बीटेक पास हैं. दोनों ने तीन साल तक इंजिनीयर के पद पर जॉब की, लेकिन फिर बाद में साइबर ठग बन गए. दोनों के पिता गांव में खेती और प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करते हैं.

टेलीग्राम के जरिए मिले थे

दिव्यांशु और पुलकित के लिंक विदेशों तक हैं. इनके गिरोह के सरगना विदेशों में बैठते हैं, जिनसे वह टेलीग्राम के जरिए मिले थे. हालांकि भारत में दिव्यांशु और पुलकित ही सरगना के तौर पर काम करते हैं. वह शिकार को खोजते हैं और लोगों को ठगने के बाद पैसे को विदेश में ट्रांसफर कर देते हैं. उन्होंने बताया कि वह कई बार विदेश भी गए हैं और थाईलैंड और नेपाल के सरगना से भी मिले हैं.

काम का मिलता है 10 पर्सेंट

दोनों ठग कई घटनाओं को अब तक अंजाम दे चुके हैं, लेकिन इस बार उन्हें ये नहीं पता था कि वह किसके साथ ठगी कर रहे हैं. उनके काम का उन्हें 10 परसेंट कमीशन दिया जाता था, जो काम पूरा होने पर तुरंत गिरोह का सरगना उनके अकाउंट में ट्रांसफर कर देता था. दिव्यांशु और पुलकित दोनों की अभी शादी नहीं हुई है. दोनों को क्लब जाना और महंगे होटलों में ठहरना खूब पसंद हैं और अपने इन्हीं शौक को पूरा करने के लिए वह साइबर ठगी करते हैं.

सीरिया में मिली दुनिया की सबसे पुरानी वर्णमाला,जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने की खोज

पुरातत्व विज्ञान को एक बड़ी उपलब्धि मिली है. जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने सीरिया में एक प्राचीन कब्र से दुनिया का सबसे पुराना वर्णमाला लेखन खोजा है. इस खोज ने अब तक की जानने वाली वर्णमाला आधारित लेखन के इतिहास को लगभग 500 साल पीछे और धकेल दिया है. यह खोज प्राचीन समाजों को संचार के नए तरीकों पर किए गए प्रयोगों की गवाही देती है.

यह खोज सीरिया के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित टेल उम्म-अल-मर्रा नाम की जगह पर हुई. यह जगह शुरुआती कांस्य युग के एक प्राचीन शहरों के रूप में जाना जाता है. इसीलिए पूर्व आरकियोलॉजिस्ट प्रोफेसर ग्लेन श्वार्ट्ज और एम्स्टर्डम जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के पास करीब 16 साल से खुदाई करा रहे थें. इस खुदाई में उनको एम्स्टर्डम यूनिवर्सिटी का भी सहयोग मिला रहा. इस खुदाई के दौरान एक कब्र से उकेरी गई मिट्टी की बेलनाकार वस्तुएं मिलीं, जिन पर इस प्राचीन वर्णमाला लेखन के प्रमाण मौजूद हैं.

ऐसे पता चली कब्र की उम्र

कार्बन-14 डेटिंग तकनीक का उपयोग करके इन कलाकृतियों और कब्र की उम्र की पुष्टि की गई. यह कब्र और उसमें मिले अवशेष लगभग 2400 ईसा पूर्व के हैं. इस खोज को वर्णमाला लेखन की शुरुआत से 500 साल पहले का माना जा रहा है, जिससे यह पता चलता है कि वर्णमाला लेखन की उत्पत्ति अब तक के सोचे गए समय और स्थान से कहीं अलग हो सकती है.

मिट्टी की बेलनाकार वस्तुएं और उनका महत्व

कब्र से प्राप्त मिट्टी की बेलनाकार वस्तुएं अंगुली के आकार की हैं और इनमें छेद किए गए हैं. इन बेलनों को देखकर शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि इन्हें लेबल के रूप में इस्तेमाल किया गया होगा. संभवतः इनसे कब्र में मिली अन्य वस्तुओं, जैसे बर्तन या उनके स्रोत के बारे में जानकारी लिखी गई होगी. हालांकि, लेखन को पढ़ने का कोई तरीका न होने के कारण यह केवल अनुमान ही है.

इस कब्र में छह कंकाल, सोने-चांदी के गहने, बर्तन, एक भाला, और पूरी तरह से संरक्षित मिट्टी के बर्तन भी पाए गए. यह कब्र प्राचीन समाजों की सांस्कृतिक का भी एक प्रमाण है. इससे पता चलता है कि उस समय लोग नए प्रकार के संचार के तरीकों पर प्रयोग कर रहे थे, जो वर्णमाला आधारित लेखन के शुरुआती चरण हो सकते हैं.

वर्णमाला के महत्व और इसका प्रभाव

वर्णमाला लेखन ने लेखन पद्धति में क्रांति ला दी थी, क्योंकि इसने इसे केवल राजपरिवार और अभिजात वर्ग के लिए सीमित रखने के बजाय आम जनता के लिए भी सुलभ बनाया गया. प्रोफेसर ग्लेन श्वार्ट्ज के अनुसार, ‘यह खोज यह दिखाती है कि लोग संचार की नई तकनीकों के साथ पहले से ही प्रयोग कर रहे थे और यह प्रयोग उन स्थानों पर हो रहा था जहां हमने इसकी कल्पना भी नहीं की थी.’

पहले यह माना जाता था कि वर्णमाला का आविष्कार 1900 ईसा पूर्व के आसपास इजिप्ट में हुआ था. इससे यह स्पष्ट हो गया कि वर्णमाला लेखन की उत्पत्ति किसी और क्षेत्र में और कहीं पहले भी हो सकती है. साथ ही इस खोज का अनुमान अगर प्रमाणित हो जाता है तो यह खोज वर्णमाला की उत्पत्ति और प्रसार की पारंपरिक धारणाओं को पूरी तरह से बदलने की क्षमता रखती है.

संस्कृति और तकनीकी प्रगति पर नई दृष्टि

जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी द्वारा की गई यह खोज इस बात का प्रमाण है कि प्राचीन समाजों ने संचार के माध्यमों को बेहतर बनाने के लिए किस हद तक प्रयास किए. प्रोफेसर श्वार्ट्ज ने इस खोज के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह केवल लेखन प्रणाली के इतिहास में एक नया अध्याय नहीं है, बल्कि यह प्राचीन मानव सभ्यताओं के बौद्धिक विकास की एक झलक भी प्रस्तुत करता है.

इस खोज को 21 नवंबर को अमेरिकन सोसाइटी ऑफ ओवरसीज रिसर्च के वार्षिक सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया. शोधकर्ताओं का मानना है कि इन मिट्टी के बेलनों पर लिखे गए पाठ को पढ़ने का तरीका खोजने से इस खोज के महत्व को और भी बढ़ाया जा सकता है. यह खोज पुरातत्व विज्ञान और मानव इतिहास के अध्ययन के क्षेत्र में नई संभावनाओं को जन्म देती है.

देवेंद्र फडणवीस ने जनता के नाम खुला पत्र लिखा, कहा- आपका विश्वास और प्यार हमेशा बना रहे,मैं महाराष्ट्र की जनता को नमन करता हूं.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति फिर से चुनाव में जीत हासिल की है. विधानसभा चुनाव में कुल 288 सीटों में महायुति को 230 सीटें मिली है. इसमें अकेले बीजेपी ने 132 सीटों पर जीत हासिल की है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जीत के बाद भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जनता के नाम खुला पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने राज्य के नागरिकों को धन्यवाद दिया है और कहा है कि आपने जो विश्वास और प्यार दिखाया है, उसके लिए मैं महाराष्ट्र की जनता को नमन करता हूं.

देवेंद्र फडणवीस ने लिखा कि महाराष्ट्र विधानसभा 2024 के चुनाव में महायुति की महान विजय केवल भाजपा-महायुति की ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के प्रत्येक नागरिक के विश्वास की भी है. आपने जो विश्वास और प्यार दिखाया है, उसके लिए मैं महाराष्ट्र की जनता को नमन करता हूं.

उन्होंने लिखा किकड़ी मेहनत, एकजुटता, प्यारी बहनों का आशीर्वाद और सम्मान. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में महाराष्ट्र की सभी जनता ने जो विश्वास दिखाया है, वही इस जीत का सच्चा शिल्पकार है. मैं निर्वाचन क्षेत्र की सभी पार्टियों के नेताओं, पदाधिकारियों, मित्रों और अपने प्रत्येक समर्पित कार्यकर्ताओं का हमेशा ऋणी रहूंगा, जिन्होंने पिछले कुछ दिनों में समय-समय पर मतदाताओं तक पहुंचने का प्रयास किया है!

महायुति को इस जीत ने दी एक नई दिशा

देवेंद्र फडणवीस ने लिखा किआप सभी के समर्थन के कारण महायुति की इस जीत ने एक नई दिशा दी है. यह सफलता हमारे महाराष्ट्र को एक प्रगतिशील और समावेशी भविष्य की ओर ले जाती है. पीएम मोदी के नेतृत्व में, विकसित भारत के साथ-साथ विकसित महाराष्ट्र के सपने को भी प्रेरणा मिलती रहेगी.

उन्होंने लिखा कि एक बार फिर आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. आपका विश्वास और प्यार हमेशा बना रहे. यही ईश्वर के चरणों में प्रार्थना है.

महाराष्ट्र चुनाव में शरद पवार की करारी हार के बाद क्या अब लेंगे संन्यास? जानें क्या कहा

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान एनसीपी शरद चंद्र पवार पार्टी के नेता शरद पवार के रिटायरमेंट की बात हो रही थी. उनकी उम्र 83 साल हो गयी है. उनकी उम्र पर सवाल उठाए जा रहे थे. विपक्षी पार्टियों ने उनके उम्र पर सवाल किए थे. अब चुनाव में शरद पवार की पार्टी की हार हुई है. महाविकास अघाड़ी को भी करारी हार का सामना करना पड़ा है. शरद पवार ने स्वीकार किया कि इस चुनाव परिणाम की उन्हें आशा नहीं थी. वहीं फिर से उनके रिटायरमेंट पर भी सवाल उठने लगे हैं.

रविवार को चुनाव परिणाम के बाद शरद पवार ने पहली बार चुप्पी तोड़ी. प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव के नतीजों और उनके संन्यास को लेकर सवाल पूछे गये. इसका शरद पवार ने जवाब दिया.

उस सवाल पर बोलते हुए शरद पवार ने दो टूक शब्दों में जवाब दिया. उन्होंने कहा कि विरोधियों को मेरे रिटायरमेंट का समय नहीं बताना चाहिए.

मैं घर पर नहीं बैठूंगा-बोले शरद पवार

शरद पवार ने कहा किकल परिणाम घोषित हुआ, आज मैं कराड में हूं. इस नतीजे के बाद कोई भी घर बैठ गया होगा. लेकिन मैं घर पर नहीं बैठूंगा. हमने नहीं सोचा था कि हमारी युवा पीढ़ी को ये परिणाम मिलेगा. उनका आत्मविश्वास बढ़ना चाहिए. उन्हें फिर से खड़ा करना, उनका आत्मविश्वास बढ़ाना, नए जोश के साथ एक उत्पादक पीढ़ी तैयार करना मेरा कार्यक्रम होगा.

विपक्षी पार्टी के लिए विधायक नहीं होने पर जानें क्या बोले

शरद पवार ने एमवीए के पास विपक्षी पार्टी का दर्जा हासिल करने लिए पर्याप्त संख्या में विधायक नहीं होने पर कहा किविपक्षी दल के पास कोई नेता नहीं है, लेकिन एक विपक्षी नेता तो होना ही चाहिए. 1980 में हमारे 52 विधायक थे. तब विपक्ष का कोई नेता नहीं था. हम 6 विधायक थे. लेकिन हमने प्रभावी काम किया और चुनाव जीते. यह पहली बार नहीं है कि राज्य में कोई विपक्ष नहीं है. ऐसी ही स्थिति 1980 में भी बनी थी. ऐसा दो-तीन बार हुआ. बाद में उस समय दो या तीन दल एक साथ आ सकते थे और विपक्षी नेता बना सकते थे. एक बार मैं, एक बार निहाल अहमद और मृणालताई गोरे विपक्ष के नेता थे.

एनसीपी का संस्थापक कौन है? सभी जानते हैं

शरद पवार ने कहा किअजित पवार की सीटें बढ़ी हैं. इससे इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन महाराष्ट्र को पता होना चाहिए कि एनसीपी का संस्थापक कौन है. उन्होंने कहा कि हमारे सहयोगियों और कार्यकर्ताओं ने कड़ी मेहनत की है. उस के साथ कोई समस्या नहीं. मुख्य नेताओं ने बहुत मेहनत की. मुझें नहीं पता ऐसा क्यों हुआ. इस पर विश्लेषण करने की जरूरत है.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति की वापसी: अजित पवार की नजर शरद पवार के विधायकों पर, जानें क्या है अजित पवार की रणनीति

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में फिर से सत्ता में महायुति की वापसी हो गयी है. चुनाव में सत्तारूढ़ महायुति ने 230 सीटें जीती हैं. बीजेपी 132 सीटें जीतने में कामयाब रही है, जबकि शिव सेना शिंदे ग्रुप ने 57 सीटों पर जीत हासिल की है. 41 सीटों पर एनसीपी अजित पवार गुट के उम्मीदवार निर्वाचित हुए हैं, वहीं, महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस को 16, शिवसेना उद्धव ठाकरे को 20 और एनसीपी शरदचंद्र पवार को केवल 10 सीटें मिली हैं. अब अजित पवार की नजर शरद पवार के विधायकों पर है.

इस बीच, एनसीपी के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक हुई. इस बैठक में अजित पवार को एनसीपी के विधायक दल का नेता चुना गया है.रविवार को कई विधायक अजित पवार से मिलने उनके देवगिरी बंगले पर पहुंचे. इस मौके पर उन्होंने सभी विधायकों के साथ बैठक की.

इस बैठक में एनसीपी के ग्रुप लीडर का चयन किया गया है. एनसीपी के कई नेताओं ने अजित पवार को मुख्यमंत्री बनाने की इच्छा जताई है. साथ ही जगह-जगह अजित पवार के भावी मुख्यमंत्री के बैनर भी लगाए गए हैं. लेकिन अजित पवार ने कहा है कि मुख्यमंत्री पद का फैसला वरिष्ठ स्तर पर लिया जाएगा.

शरद पवार के विधायकों पर अजित की नजर

दूसरी, विधानसभा चुनाव में एनसीपी शरद पवार की पार्टी को करारी हार मिली है, लेकिन अजित पवार मोहोल विधानसभा सीट नहीं जीत सके. वहां एनसीपी शरद पवार गुट के उम्मीदवार की जीत हुई है. मालूम हो कि अजित पवार ने उस विजयी उम्मीदवार को फोन किया था.

बताया जाता है कि अजित पवार के उमेश पाटिल और शरद पवार के विजयी उम्मीदवार राजू खरे को बधाई के लिए फोन आए हैं. राष्ट्रवादी शरद पवार गुट के नेता उमेश पाटिल ने यह जानकारी दी है.

मोहोल विधानसभा सीट से जीते उम्मीदवार को किया फोन

मोहोल विधान सभा में राष्ट्रवादी अजित पवार गुट के विधायक यशवन्त माने हार गये. अजित पवार गुट के वरिष्ठ नेता राजन पाटिल के विरोधी उमेश पाटिल को राजू खरे की जीत का सूत्रधार माना जाता है. उन्हें बताया गया है कि अजित पवार ने उन्हें फोन किया था. इससे अटकलें शुरू हो गई हैं.

उमेश पाटिल ने कहा कि हमने राजन पाटिल के अत्याचारी, दमनकारी और सत्तावादी रवैये के प्रति अपने विरोध को एक राय में बदल दिया. राष्ट्रवादी शरद पवार समूह के नेता उमेश पाटिल ने कहा कि अजित पवार ने मुझे फोन किया और मुझे और हमारे उम्मीदवार राजू खरे को बधाई दी.

उत्तर प्रदेश के बरेली में बड़ा हादसा: निर्माणाधीन पुल से रामगंगा नदी में गिरी कार, तीन लोगों की मौके पर मौत, जानें क्या थी हादसे की वजह?

उत्तर प्रदेश के बरेली में बड़ा हादसा हो गया, जहां निर्माणाधीन पुल से रामगंगा नदी में अचानक कार जा गिरी, जिसमें सवार तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई. घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस बरेली के फरीदपुर थाने और बदायूं के दातागंज थाने की पुलिस मौके पर पहुंच गई. मौके पर पहुंची पुलिस ने कार को जेसीबी की मदद से नदी से बाहर निकाला.

कार में सवार तीनों लोगों की मौत होने के बाद हड़कंप मच गया. पुलिस ने तीनों के शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और पुलिस मामले की जांच पड़ताल में जुट गई है. दरअसल यह हादसा जीपीएस नेविगेशन के चलते हुआ है. बताया जा रहा हैं कि पुल अधूरा है. बाढ़ के चलते पुल का अगला हिस्सा नदी में बह गया था, जिस वजह से तेज रफ्तार कार सीधे पुल से नीचे जा गिरी.

जेसीबी की मदद से निकाले शव

फिलहाल मौके पर भारी पुलिस बल को तैनात किया गया है. ये हादसा इतना खतरनाक था कि कार सवार तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई और कार पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई. कार से शवों को जेसीबी की मदद से बाहर निकाला गया. हादसे की खबर सुनकर आसपास के ग्रामीण भी मौके इकट्ठे हो गए और भारी भीड़ जुड़ गई, जिस वजह से लंबा जाम भी लग गया

गूगल मैप पर गलत डायरेक्शन

हम अक्सर गूगल मैप की मदद से एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं. इस हादसे में भी कार सवार युवक गूगल मैप का इस्तेमाल कर अपने किसी रिश्तेदार के यहां शादी में जा रहे थे. गूगल मैप पर गलत रास्ता दिखाए जाने से उनकी कार पुल से नीचे जा गरी और तीनों लोगों की मौत हो गई. तीनों मृतकों की पहचान हो गई है. इस हादसे में जान गंवाने वाले विवेक और कौशल कुमार दोनों भाई थे और उनके साथ तीसरा शख्स उनका दोस्त था. उनके परिवार वालों को जानकारी दे दी गई है.