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महाराष्ट्र में चुनाव के बीच फूटा बिटकॉइन का बम, सुप्रिया सुले और नाना पटोले आरोपों के घेरे में, जानें पूरा मामला*
#has_supriya_sule_and_mva_raised_funds_through_bitcoin
महाराष्ट्र चुनाव से ठीक एक दिन पहले दो बड़े मामले सामने आए। पहले बीजेपी के दिग्गज नेता और राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े पर वोट के बदले नोट का आरोप लगा। उसके कुछ घंटों के बाद पुणे के पूर्व आईपीएस अधिकारी रवींद्र नाथ पाटिल ने महाविकास अघाड़ी के दो बड़े नेता सुप्रिय सुले और नाना पटोले पर क्रिप्टोकरेंसी घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया। पूर्व आईपीएस अधिकारी रविंद्र नाथ पाटिल ने दावा किया कि सुले और पटोले ने 2018 के क्रिप्टोकरेंसी हेरफेर मामले से बिटकॉइन का दुरुपयोग करके महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए धन जुटाया। उस पैसे का इस्तेमाल अब विधानसभा चुनाव में किया जा रहा है। हालांकि, सुले ने इन आरोपों को खारिज कर दिया और भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) और साइबर क्राइम विभाग में एक आपराधिक शिकायत दर्ज करा दी है। इन आरोपों को लेकर बीजेपी भी महाविकास अघाड़ी पर हमलावर हो गई। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कांग्रेस और महा विकास अघाडी के नेताओं की ओर से तथाकथित बिटकॉइन के कैश ट्रांजैक्शन से जुड़े साक्ष्य, चैट्स और ऑडियो क्लिप्स को मीडिया के सामने रखे हैं। त्रिवेदी ने कहा, एक बहुत ही गंभीर और चिंताजनक तथ्य प्रकाश में आया है जो महा विकास अघाड़ी का असली चेहरा धीरे-धीरे उजागर कर रहा है। इससे यह गंभीर प्रश्न खड़ा हो रहा है। *कांग्रेस से यह सच बताने की मांग* बीजेपी प्रवक्ता ने कांग्रेस से यह सच बताने की मांग की कि क्या वह किसी भी तरह के अवैध बिटकॉइन लेनदेन में शामिल है या मामले में महत्वपूर्ण गवाहों और कानून प्रवर्तन अधिकारियों से जुड़ी हुई है। त्रिवेदी ने कहा, मोहब्बत की दुकान के सामान का भुगतान कहां से किया जा रहा है? कहीं ऐसा तो नहीं कि इस मोहब्बत की दुकान के सामान का भुगतान सात समंदर पार से किया जा रहा हो? मीडिया और न्यूज एजेंसियों की ओर से कुछ लोगों के इंटरव्यू, जिनमें पूर्व अधिकारियों के साक्षात्कार भी शामिल हैं, उनमें जो बातें बताई गई हैं, वह लोकतंत्र के लिए बहुत ही चिंताजनक हैं। इससे इस प्रकार के संकेत मिलते हैं कि मोहब्बत की दुकान का सामान कहीं दुबई से तो नहीं आ रहा है। उन्होंने चुनाव आयोग से भी स्थिति पर कड़ी नजर रखने का आग्रह किया। *बीजेपी ने कांग्रेस पार्टी से पूछे पांच सवाल* • क्या कांग्रेस के नेता बिटकॉइन के किसी भी ट्रांजेक्शन में शामिल है या नहीं ? • डीलर गौरव मेहता की बात कर रहा है, सुप्रिया सुले का नाम ले रहा है, क्या गौरव नामक व्यक्ति से कोई संपर्क है? • इस प्रकार का कोई भी संवाद किसी भी व्यक्ति से हुआ है या नहीं? • आवाज को लेकर सामने आकर बताना होगा. बड़े लोग शामिल होने का दावा है, ये कौन बड़े लोग है? • चुनाव जीतने की कोई संभावना भी देख रहे होते तो यह काम कभी भी ना करते, साफ दिखता है की ये चुनाव हार रहे है? • डिजिटल इंडिया मोदी लाए लेकिन ये सब तो हाई टेक हो रहा था. कॉइन नहीं बिटकॉइन का मामला है क्या? *सुप्रिया सुले ने आरोपों पर दी सफाई* आरोपों के बाद सुप्रिया सुले ने कहा है कि मतदाताओं को गुमराह करने के लिए झूठी खबरें फैलाई जा रही है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, राज्य में मतदान के कुछ घंटों पहले मतदाताओं को गुमराह करने के लिए झूठी सूचना फैलाने के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। हमने बिटकॉइन के दुरुपयोग के झूठे आरोपों के खिलाफ भारतीय निर्वाचन आयोग और साइबर अपराध विभाग में आपराधिक शिकायत दर्ज कराई है। इसके पीछे की मंशा स्पष्ट है, यह निंदनीय है।
दिल्ली में सरकारी कर्मचारी घर से करेंगे काम, बढ़ते प्रदूषण के बीच सरकार का फैसला

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दिल्ली की हवा में गंभीर रूप से खतरनाक हो गई है। दिल्‍ली और एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए आतिशी सरकार ने बुधवार को एक बड़ा फैसला लिया। दिल्‍ली सरकार के अंतर्गत आने वाले सरकारी विभागों के लिए वर्क फ्रॉम होम नीति को लागू किया जा रहा है। दिल्‍ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि राजधानी में 50% सरकारी कर्मचारी अब घर से काम करेंगे।

देश की राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 से थोड़ा सा नीचे आ गया है। लेकिन अभी भी अति गंभीर श्रेणी में है। जबकि बीती सुबह एक्यूआई 500 पर था। शहर में कोहरा छा दिखा। मौसम विभाग ने भी ऑरेंज अलर्ट जारी कर दिया है। मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दृश्यता कम रही। जिसके कारण 119 उड़ानें देरी से हैं और 6 रद्द हो गई हैं। जहरीली हवा के कारण स्कूल और कॉलेजों को बंद कर दिया गया है। शहर में निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है। क्योंकि ग्रेप-4 लागू है। वहीं दिल्ली मंत्री गोपाल राय ने दिल्ली सरकार के 50 फीसदी कर्मचारियों के लिए घर से काम करने की घोषणा की है।

पूरे दिल्‍ली-एनसीआर में युद्ध स्‍तर पर पानी का छिड़काव किया जारहा है। इसके बावजूद भी प्रदूषण का स्‍तर कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। ऐसे में दिल्‍ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्‍स के माध्‍यम से राजधानी के सरकारी कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम पॉलिसी का ऐलान किया। उन्‍होंने बताया कि 50 प्रतिशत कर्मचारी फिलहाल घर से काम करेंगे। इसपर आज दिल्‍ली सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक की जाएगी।

दिल्ली सरकार ने सरकारी दफ्तरों के समय में बदलाव किया गया है। चूंकि अभी 50 प्रतिशत कर्मचारी ही दफ्तर जाएंगे, इसलिए एमसीडी के दफ्तर अब सुबह 8:30 से शाम 5:00 बजे तक खोले जाएंगे। वहीं, दिल्ली सरकार के कार्यालय सुबह 10:00 से शाम 6:30 तक खुलेंगे। दफ्तरों के खुलने-बंद होने के समय में अंतर से प्रदूषण का प्रभाव घटाने की कोशिश की जा रही है।

मौसम वैज्ञानिक डॉ. आनंद शर्मा का कहना है, वर्क फ्रॉम होम और स्कूल-कॉलेज बंद होने से तुरंत प्रदूषण पर लगाम तो नहीं कस जाएगी पर इससे प्रदूषण घटाने में मदद जरूर मिलेगी. यही नहीं, डॉक्टरों ने प्रदूषण के वर्तमान स्तर को स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक बताया है और लोगों को घरों से न निकलने की सलाह दी है। खासकर, बच्चों और बुजुर्गों को इससे बचने के लिए कहा जा रहा है। वहीं, डॉक्टर घर से निकलने पर एन-95 मास्क लगाने की हिदायत दे रहे हैं। ऐसे में वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन कक्षाओं के संचालन से बड़ा फायदा यह होगा कि लोग सीधे प्रदूषण के संपर्क में आने से कुछ हद तक बच सकेंगे।

महाराष्ट्र की सभी 288 सीटों के लिए वोटिंग जारी, सचिन तेंदुलकर से लेकर अक्षय कुमार तक ने किया अपने मताधिकार का प्रयोग

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के लिए चुनाव हो रहे हैं। जहां कई बड़े नेताओं की साख दांव पर लगी है. इस बार राज्य के दिग्गज नेताओं पर सबकी नजर रहेगी कि उन्हें जीत मिलेगी या फिर हार का सामना करना पड़ेगा। चुनावी मैदान में शरद पवार, उद्धव ठाकरे, अजित परावर, देवेंद्र फडणवीस से लेकर सीएम एकनाथ शिंदे तक मौजूद है। अब 23 नवंबर 2024 को महाराष्ट्र चुनाव 2024 के नतीजों के बाद ही पता चल पाएगा कि किसे मिला जनता का आशीर्वाद मिलता है।

महाराष्‍ट्र चुनाव 2024 के लिए वोटिंग शुरू हो गई है। सुबह से ही मतदान केंद्रों पर लोग जुटना शुरू हो गए हैं. महाराष्‍ट्र में केवल एक चरण में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। यहां महयुति के सामने महाविकास अघाड़ी गठबंधन की चुनौती है। महाराष्‍ट्र चुनाव में वोट डालने के लिए कुल 9.70 करोड़ रजिस्‍टर्ड वोटर्स हैं। इनमें 5 करोड़ पुरुष और 4.69 करोड़ महिलाएं शामिल हैं। इसके अलावा चुनाव आयोग के आंकड़ों में 6101 लोग थर्ड जेंडर से भी हैं। अब देखना होगा कि कितने लोग इस बार वोट डालने के लिए घरों से निकलते हैं।

सुप्रिया सुले-युगेंद्र पवार ने डाला वोट

पुणे की बारामती सीट पर राकांपा-शरद पवार की सांसद सुप्रिया सुले ने मतदान किया। जहां उनकी पार्टी से इस बार युगेंद्र पवार को खड़ा किया गया है, वहीं इस सीट पर अजित पवार महायुति के उम्मीदवार हैं। सुप्रिया सुले के कुछ देर बाद ही युगेंद्र भी वोट डालने पहुंचे।

शाइना एनसी ने किया मताधिकार का प्रयोग

शिवसेना नेता और मुंबादेवी सीट से उम्मीदवार शाइना एनसी ने सुबह पहुंचकर ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया। वोट डालने के बाद उन्होंने कहा, "मैं हमारे मुंबई के लोगों से कहूंगी कि आप बाहर आएं और मतदान करें, क्योंकि अगर आप मतदान करते हैं तो आप सवाल कर सकते हैं, प्रश्न चिन्ह उठा सकते हैं। लेकिन जब तक हाथ पर ये निशान नहीं होगा आप कुछ नहीं कर सकते हैं। प्रजातंत्र और लोकतंत्र के इस पर्व में जरूर बाहर आएं और अपनी नैतिक जिम्मेदारी को निभाएं।

बॉलीवुड जगत की हस्तियां भी वोटिंग के लिए पहुंचीं

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए जारी वोटिंग के बीच सुबह-सुबह अभिनेता अक्षय कुमार वोट डालने पहुंचे। उन्होंने कहा, मतदान केंद्र पर बहुत अच्छा इंतजाम किया है। सफाई रखी हुई है, वरिष्ठ नागरिकों के लिए बहुत अच्छी व्यवस्था की है। इसके अलावा फिल्म निर्देशक कबीर खान ने भी मुंबई के एक मतदान केंद्र पहुंचकर वोट डाला। अभिनेता राजकुमार राव ने वोट डालने के बाद कहा, "मतदान बहुत जरूरी है। महाराष्ट्र में सभी लोग जाएं और मतदान करें।

महाराष्‍ट्र चुनाव में युवाओं की भरमार

महाराष्‍ट्र चुनाव में पहली बार वोट डालने वाले युवाओं की भी कमी नहीं हैं। इस बार 18-19 साल की उम्र के फर्स्ट टाइम वोटर्स की संख्‍या 22.2 लाख है। ये वो युवा हैं, जिन्‍होंने लोकसभा चुनाव के बाद अपना वोटर आईडी कार्ड बनवाया है। इसके अलावा 6.41 लाख विकलांग भी इन चुनावों में वोट डालेंगे।

100 साल की उम्र से ज्‍यादा कितने वोटर्स?

महाराष्‍ट्र चुनाव 2024 के आज डाले जा रहे वोटर्स में बुजुर्गों की संख्‍या भी कम नहीं है. यहां 100 साल से ज्‍यादा उम्र के वोटर्स की भरमार है. चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक महाराष्‍ट्र में 100 या इससे ज्‍यादा उम्र के वोटर्स की संख्‍या 47,392 है. अब देखना होगा कि अधिक उम्र की इस बाधा को तोड़कर कितने लोग वोट डालने के लिए मैदान में उतरते हैं.

महाराष्ट्र कैश कांड: उद्धव ठाकरे ने भाजपा को घेरा, कांग्रेस बोली- नोट जिहाद में जुटी बीजेपी*
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महाराष्ट्र चुनाव से ठीक पहले वोट के बदले कैश कांड की एंट्री हो गई है। महाराष्ट्र में भाजपा नेता विनोद तावड़े पर पैसे बांटने का आरोप लगा है।बहुजन विकास अघाड़ी ने विनोद तावड़े पर पैसे बांटने का आरोप लगाया है। हालांकि, भाजपा नेता तावड़े ने इन आरोपों को खारिज किया है। यह घटना ऐसे वक्त में सामने आई है, जब 20 नवंबर को वोटिंग है। इस तरह महाराष्ट्र की सियासी लड़ाई अब कैश कांड पर आ गई है। विपक्षी दलों को मौका मिल गया है। *उनके बीच में शायद आपसी गैंगवार- उद्धव ठाकरे* भाजपा नेता विनोद तावड़े पर पैसा बांटने का आरोप लगने के बाद शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सभी सबूतों के आधार पर कार्रवाई होनी चाहिए। अन्यथा मुझे पूरा भरोसा है कि महाराष्ट्र अपनी तरफ से कार्रवाई करेगा। उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह उनके बीच में शायद आपसी गैंगवार भी हो सकती है। *चुनाव में बीजेपी का खेल खत्म हुआ समझें-संजय राउत* इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए उद्धव सेना के नेता संजय रावत ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि विनोद तावड़े पैसे बांट रहे थे, बहुजन विकास आघाड़ी के लोग वहां घुसे और उन्होंने पैसा जप्त किया है। नालासोपारा में जो हुआ है, वह कैमरे के सामने हुआ है। अब बीजेपी के लोग कह रहे हैं कि वे इसका खुलासा करेंगे, लेकिन इसमें खुलासा करने जैसा क्या है? बीजेपी का असली चेहरा अब जनता के सामने आ गया है। इस घटना के बाद चुनाव में बीजेपी का खेल खत्म हुआ समझें। *कांग्रेस ने भाजपा के साथ चुनाव आयोग को भी लपेटा* महाराष्ट्र कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा, हमें बताया गया है कि विनोद तावड़े के पास से एक डायरी मिली है। इसमें पता चला है कि 10 करोड़ रुपये पहले ही बांटे जा चुके हैं। कल भी उनके पास से पांच करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए थे। मुझे उम्मीद है कि चुनाव आयोग ने भाजपा नेताओं के लिए कोई नया नियम नहीं बनाया है। उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
विदेश में नौकरी की इच्छा वालों के लिए खुशखबरी, जर्मनी जारी करेगा 2 लाख वीजा, इमिग्रेशन नियमों में भी ढील

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एक तरफ अमेरिका में ट्रंप की वापसी के बाद वीजा नियमों को लेकर चिंता जताई जने लगी है, वहीं दूसरी तरफ कनाडा की ट्रूडो सरकार की तरफ से भी सख्ती बढ़ती जा रही है। ऐसे में विदेश जाकर नौकरी करने की इच्छा रखने वालों के लिए जर्मनी से खुशखबरी आई है। जर्मनी सरकार ने प्रवासी कानूनों में बदलाव किए हैं, जिन के बाद जर्मनी में काम करना और भी आसान हो गया है।

जर्मनी की सरकार ने बीते साल अपने श्रम बाजार को बढ़ावा देने के लिए आव्रजन नियमों में ढील दी थी लेकिन अभी कामगारों की कमी का सामना देश कर रहा है। ऐसे जर्मनी ने कुशल श्रमिक वीजा की संख्या पिछले साल की तुलना में इस साल (2024) 10 प्रतिशत बढ़ाने का फैसला लिया है। जर्मनी की सरकार का लिया हुआ यह भारत के लोगों के लिए खुशखबरी है। इस फैसले से भारतीयों का फायदा हो सकता है।

जर्मन सरकार के तीन मंत्रालयों ने एक संयुक्त बयान जारी किया है। इसमें उन्होंने कहा कि इस साल के अंत तक लगभग 2 लाख पेशेवर वीजा जारी किए जाएंगे। इसमें साल 2023 के मुकाबले इस साल 10 प्रतिशत की वृद्धि की गई है. इससे गैर-ईयू देशों के छात्रों को जारी किए गए वीजा में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

जर्मनी की गृह मंत्री नैंसी फेसर ने कहा, प्रतिभाशाली युवा जर्मनी में अपनी पढ़ाई और ट्रेनिंग ज्यादा सरलता से पूरी कर सकते हैं। ऑप्युर्चिनिटी कार्ड कुशल लोगों को सरलता से नौकरी पाने का मौका दे रहा है। वहीं, मंत्री एनालेना बेयरबॉक ने इन सुधारों की सराहना की है और कहा कि देश में श्रम की कमी को इससे पूरा किया जा सकेगा।

डीडब्ल्यू की रिपोर्ट के मुताबिक, जर्मनी की सरकार ने पिछले साल कनाडा से प्रेरित एक प्वाइंट बेस्ड सिस्टम को अपनाया है। इसे ऑप्युर्चिनिटी कार्ड के रूप में जाना जाता है, जो पेशेवरों और विश्वविद्यालय के स्नातकों के लिए देश में एंट्री करने, पढ़ाई करने और काम की तलाश करने को काफी हद तक आसान बना देता है। इससे गैर-यूरोपीय संघ के देशों के कुशल श्रमिकों को उनकी योग्यता को मान्यता दिए बिना जर्मनी में प्रवेश करने की अनुमति मिल गई है।

जर्मनी में योग्यता, ज्ञान और अनुभव के आधार पर यह निर्धारित करने के लिए एक अंक प्रणाली का उपयोग किया जाता है कि कोई व्यक्ति ऑप्युर्चिनिटी कार्ड के लिए पात्र है या नहीं। श्रमिकों की कमी, विदेशी योग्यता की आंशिक मान्यता, आयु, जर्मन और अंग्रेजी भाषा कौशल और जर्मनी से पूर्व संबंध के रूप में सूचीबद्ध व्यवसाय के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त अंक हैं।

भारतीय मछुआरों को पकड़ ले जा रहे थे पाकिस्तानी, भारतीय कोस्ट गार्ड ने बीच समुद्र में ऐसे दौड़ाया

#indian_coast_guard_rescue_7_fishermen_apprehended_by_pakistan

भारतीय तटरक्षक जहाज अग्रिम ने पाकिस्तानी सीमा के पास से सात भारतीय मछुआरों को बचाया। इन मछुआरों को भारत-पाकिस्तान समुद्री सीमा के पास पाकिस्तान समुद्री सुरक्षा एजेंसी (पीएमएसए) ने पकड़ा था। पाकिस्तानी गार्ड्स मछुआरों को जहाज से पाकिस्तान ले जा रहे थे। हालांकि, पाकिस्तानी ऐसा कर पाते इससे पहले ही भारतीय तटरक्षक बल उनके रास्ते में आ गए। मछुआरों को बचाने के लिए भारतीय तटरक्षक जहाज अग्रिम ने दो घंटे तक पाकिस्तानी जहाज का पीछा किया। उसने पाकिस्तानी जहाज को खदेड़कर पकड़ा और सभी भारतीय मछुआरों को सकुशल कैद से छुड़ा लिया है।

रविवार की दोपहर भारतीय तटरक्षक बल को मछली पकड़ने के लिए निषिद्ध क्षेत्र (NFZ) के पास काम कर रही एक नाव 'काल भैरव' की ओर से संकटकालीन संकेत मिला था। इसके बाद नाव और मछुआरों के बचाव में एक जहाज भेजा गया। भारतीय तटरक्षक बल के जहाज ने पाकिस्तानी जहाज नुसरत को रोका और उन्हें भारतीय मछुआरों को छोड़ने पर मजबूर कर दिया।भारतीय जहाज ने पहले पाकिस्तानी समुद्री सुरक्षा एजेंसी के जहाज पीएमएस नुसरत को अलर्ट किया गया। उसे बताया गया कि किसी भी हालत में वह भारतीय क्षेत्र से मछुआरों को नहीं ले जा सकते।

रक्षा अधिकारी ने बताया कि 17 नवंबर को इंडियन कोस्ट गार्ड के शिप को भारतीय मछुआरों की बोट से डिस्ट्रेस कॉल आया जो कि नो फिंशिंग जोन से किया गया था। मैसेज में जानकारी दी कि भारत पाकिस्तान मेरीटाइम बाउंड्री के पास पाकिस्तानी मेरिटाइम सिक्योरिटी एंजेसी ने तकरीबन 3:30 बजे 7 भारतीय मछुआरों को पकड़ा लिया। जानकारी मिलते ही कोस्ट गार्ड के शिप उस इलाके की तरफ बढ़े और उस पाकिस्तानी शिप को रोक लिया और भारतीय मछुआरों को छुड़वाया।

महाराष्ट्र में मतदान से पहले वोट के बदले नोट कांड! बीजेपी नेता विनोद तावड़े के खिलाफ चुनाव आयोग ने दर्ज कराई एफआईआर*
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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग से ठीक पहले कैश कांड का मुद्दा गरमा गया है। मतदान से पहले बीजेपी महासचिव विनोद तावड़े पर गंभीर आरोप लगा है। उन पर पैसे बांटने का आरोप है। इस मामले में चुनाव आयोग ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। दावा किया जा रहा है कि उनके पास 5 करोड़ रुपये थे। इस मामले को लेकर महाराष्ट्र का सियासी पारा हाई हो गया है। विपक्ष बीजेपी पर हमलावर है। कथित तौर पर पैसे बांटने की ये घटना उस वक्त सामने आई जब तावड़े और स्थानीय नेता राजन नाइक होटल पहुंचे थे। इसी दौरान बहुजन विकास अघाड़ी के कार्यकर्ताओं ने उनको घेर लिया। दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच जमकर हंगामा हुआ है। राजन नाइक नालासोपारा विरार सीट से बीजेपी के उम्मीदवार हैं। उनके सामने बहुजन विकास आघाड़ी ने क्षितिज ठाकुर को उतारा है। क्षितिज ठाकुर ने आरोप लगाया कि तावड़े उनके उम्मीदवार राजन नाइक को बांटने के लिए 5 करोड़ रुपये लेकर आए थे। इस मामले पर विरार ईस्ट में खूब हंगामा देखा गया, जहां हितेंद्र ठाकुर के नेतृत्व में बहुजन विकास अघाड़ी (बीवीए) सदस्यों की भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ झड़प हो गई। यह टकराव विरार ईस्ट के होटल विवांता में हुआ, जहां तावड़े ने भाजपा के नालासोपारा निर्वाचन क्षेत्र के उम्मीदवार राजन नाइक के साथ बैठक बुलाई थी। बीवीए कार्यकर्ताओं ने बैठक में बाधा डालते हुए दावा किया कि पैसे बांटे जा रहे थे। वसई विधायक क्षितिज ठाकुर ने एक लाल डायरी दिखाते हुए दावा किया है कि उन्हें 15 करोड़ रुपये के लेन-देन का ब्यौरा देने वाली इस डायरी मिली है। वहीं उनके पिता हितेंद्र ठाकुर का कहना है कि तावड़े ने उनसे कई बार माफ़ी मांगी है। बीवीए प्रमुख हितेंद्र ठाकुर ने कहा, ‘मुझे भाजपा कार्यकर्ताओं ने बताया कि विनोद तावड़े 5 करोड़ रुपये लेकर आ रहे हैं। मैं अपने समर्थकों के साथ आया था। हमें एक डायरी मिली है, जिसमें कुछ भी नहीं है। पुलिस और चुनाव आयोग को कार्रवाई करनी चाहिए। होटल का सीसीटीवी नेटवर्क भी बंद था और मेरे आने के काफी बाद चालू हुआ। मुझे लगता है कि होटल प्रबंधन भी इसमें शामिल है और उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। हालांकि बाद में तावड़े के वाहन की तलाशी ली गई, लेकिन कोई वहां कोई पैसे नहीं मिले। वहीं, खुद पर लगे आरोपों को लेकर विनोद तावड़े की प्रतिक्रिया भी आई है। उनका कहना है किपैसे बांटने का आरोप निराधार है। चुनाव आयोग इस मामले की निष्पक्ष जांच करे।
बंटेंगे तो कटेंगे' नारे पर खुद बीजेपी ही “कट” गई, क्या महाराष्ट्र-झारखंड में होगा असर?*
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महाराष्ट्र और झारखंड में सोमवार शाम से चुनावी शोर समाप्त हो गया है। अब महाराष्ट्र की सभी विधानसभा सीटों और झारखंड के दूसरे चरण की सीटों के लिए बुधवार, 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। वहीं दोनों राज्यों की सभी सीटों के लिए मतों की गणना 23 नवंबर को होगी। इससे पहले दोनों राज्यों में खूब प्रचार हुआ। प्रचार के बीच बीजेपी की तरफ से चुनावी समर में फेंके गए एक नारे बंटेंगे तो कटेंगे को लेकर भी खूब चर्चा रही। हालांकि, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नारे 'बंटेंगे तो कटेंगे' को लेकर बीजेपी ही बंटती दिख रही है। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के इस नारे पर खुद बीजेपी और महायुति की एक राय नहीं बन पाई। बटेंगे तो कटेंगे नारे पर पहले तो एनसीपी अध्यक्ष और डिप्टी सीएम अजीत पवार ने आपत्ति जताई। उसके बाद इस बयान पर भाजपा के 2 बड़े चेहरों- एमएलसी पंकजा मुंडे और राज्यसभा सांसद अशोक चव्हाण ने भी नाराजगी जाहिर की। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या योगी का नारा बीजेपी को लोकसभा चुनावों की तरह बैकफायर न कर जाए। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने इस नारे की चर्चा हर चुनावी सभा में की। महाराष्ट्र में योगी का यह नारा खूब गूंजा। इस नारे पर सियासत ने खूब ऊबालें मारी। इस नारे पर महायुति तो छोड़िये खुद कुछ बीजेपी नेता असहज दिख रहे हैं। इस नारे को लेकर उनके बीच ही तकरार लग रही है। कोई इसे सही बता रहा है तो किसी का कहना है ऐसे नारों की कतई जरूरत नहीं है। महायुति के साथ ही पार्टी के नेता भी इस बयान से असहज नजर आए। पार्टी के नेताओं का साफ कहना है कि महाराष्ट्र में इस तरह के स्लोगन की जरूरत ही नहीं हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे गोपीनाथ मुंडे की बेटी और एमएलसी पंकजा मुंडे ने कहा कि मैं इस नारे का समर्थन सिर्फ इसलिए नहीं करूंगी की योगी आदित्यनाथ और मैं एक ही पार्टी से हैं। मेरा मानना है कि हमें सिर्फ विकास के लिए काम करना चाहिए। पंकजा ने साफ कहा कि एक नेता का काम है कि वह इस भूमि पर रहने वाले हर आदमी को अपना बनाए। इसलिए महाराष्ट्र में ऐसे किसी मुद्दे को नहीं लाना चाहिए। वहीं, बीजेपी से राज्यसभा सांसद अशोक चव्हाण ने कहा कि इस नारे की कोई प्रासंगिकता नहीं है। चुनाव के समय नारे दिए जाते हैं। यह विशेष नारा सही नहीं है और मुझे नहीं लगता कि लोग इसकी सराहना करेंगे। व्यक्तिगत रूप से कहूं तो मैं ऐसे नारों के पक्ष में नहीं हूं। हर राजनीतिक पदाधिकारी को बहुत सोचने के बाद फैसला लेना होता है। हमें यह भी देखना होगा कि किसी की भावनाएं आहत न हों। हालांकि, एक-आध लोगों को छोड़दें तो जिस तरह योगी के नारे को भाजपा नेताओं ने अपनाया है और आरएसएस ने भी इसका समर्थन किया है, उससे एक बात साफ है। भाजपा अपनी हिन्दुत्व की लाइन नहीं छोड़ने वाली है। भले ही उसके सहयोगी जेडीयू और टीडीपी सेकुलरिज्म के समर्थक हैं। योगी के नारे को मिली स्वीकार्यता से यह भी स्पष्ट है कि भाजपा अब हिन्दुत्व की धार को और तेज करेगी। वर्ष 2027 में उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव होना है। संकेत यही है कि दूसरे राज्यों में क्लिक करने वाला योगी का नारा यूपी में भी कारगर साबित हो सकता है। हालांकि इसका टेस्ट झारखंड और महाराष्ट्र में ही हो जाएगा।
मणिपुर में तैनात होंगी सीएपीएफ की 50 अतिरिक्त कंपनियां, हिंसा से निपटने के लिए केन्द्र गंभीर

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मणिपुर एक बार फिर हिंला की आग में सुलग रहा है। लगातार बिगड़ रही कानून व्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार भी सतर्क है और पूरे हालात पर निगाह बनाए हुए है। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य में केंद्रीय पुलिस बल की 50 अतिरिक्त कंपनियां भेजने का फैसला किया है। ये अतिरिक्त टुकड़ियां अगले सप्ताह मणिपुर भेजी जा सकती हैं। केंद्र ने यह फैसला जिरीबाम में हिंसा भड़कने के बाद लिया है।केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को सुरक्षा एजेंसियों के साथ बैठक की। सूत्रों का कहना है कि उच्च स्तरीय बैठक में मणिपुर के हालात को देखते हुए 50 अतिरिक्त कंपनियां भेजने का फैसला किया गया है।

कुल 27 हजार जवान तैनात

सूत्रों के मुताबिक, मणिपुर में 50 कंपनियां यानी 5000 जवानों की अतिरिक्त तैनाती की जाएगी। मणिपुर में अभी तक कुल 27 हजार अर्धसैनिक बलों की तैनाती हो चुकी है। गृह मंत्री ने राज्य में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के डिप्लॉयमेंट के बारे में जानकारी ली। सभी एजेंसियों की निर्देश दिया कि राज्य में शांति बहाली की प्रक्रिया ही सर्वोच्च प्राथमिकता रखी जाए।

इससे पहले गृह मंत्रालय ने बीते हफ्ते ही केंद्रीय बलों की 20 टुकड़ियां भी भेजी थी। जिनमें 15 टुकड़ी सीआरपीएफ जवानों की और 5 टुकड़ी बीएसएफ जवानों की थी।

केंद्रीय बलों की कुल 218 टुकड़ियां तैनात

रिपोर्ट्स के अनुसार, अब अगले हफ्ते जिन 50 टुकड़ियों को भेजने का फैसला हुआ है, उनमें 35 टुकड़ियां सीआरपीएफ की और बाकी बीएसएफ की होंगी। सीआरपीएफ के महानिदेशक एडी सिंह और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के वरिष्ठ अधिकारी पहले ही मणिपुर में कैंप कर रहे हैं। मणिपुर में पिछले सप्ताह की तैनाती के बाद केंद्रीय बलों की कुल 218 टुकड़ियां तैनात हो चुकी हैं।

छह थाना क्षेत्रों में अफस्पा फिर से लागू

मणिपुर के जिरीबाम में महिलाओं और बच्चों की हत्या के बाद से हंगामा जारी है। हाल के दिनों में कई विधायकों के घरों में गुस्साई भीड़ ने तोड़फोड़ और आगजनी की है। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के टकराव में एक व्यक्ति की मौत हुई है। हालात को देखते हुए मणिपुर के छह थाना क्षेत्रों में अफस्पा कानून फिर से लागू कर दिया गया है और इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं। साथ ही कुछ जगहों पर कर्फ्यू लगा दिया गया है।

दिल्ली का हिमाचल भवन होगा कुर्क, जानें हाईकोर्ट के फैसले से कैसे बढ़ी सुक्खू सरकार की परेशानी

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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दिल्ली के 27 सिकंदरा रोड मंडी हाउस स्थित हिमाचल भवन को अटैच करने का आदेश दिया है। यह आदेश इसलिए दिया गया है क्योंकि सुखविंदर सिंह सुक्खू हाइड्रो प्रोजेक्ट लगाने वाली एक कंपनी को 64 करोड़ रुपये नहीं लौटा पाई। सुक्खू सरकार को हाईकोर्ट ने ये राशि चुकाने का आदेश दिया था। लेकिन सरकार ने हाईकोर्ट का ये आदेश नहीं माना।यह रकम अब ब्याज सहित 150 करोड़ रुपये के करीब पहुंच चुकी है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने पारित किया, जिससे प्रदेश सरकार के हाथ-पांव फूल गए हैं और सचिवालय में हलचल मच गई है।

कोर्ट ने ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव को इस बात की तथ्यात्मक जांच करने का आदेश भी दिया कि किस विशेष अधिकारी अथवा अधिकारियों की चूक के कारण 64 करोड़ रुपये की सात प्रतिशत ब्याज सहित अवॉर्ड राशि कोर्ट में जमा नहीं की गई है। कोर्ट ने कहा कि दोषियों का पता लगाना इसलिए आवश्यक है क्योंकि ब्याज को दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों से व्यक्तिगत रूप से वसूलने का आदेश दिया जाएगा।

कोर्ट ने 15 दिन के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट अगली तिथि को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश भी दिया। मामले पर सुनवाई छह दिसंबर को होगी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 13 जनवरी 2023 को प्रतिवादियों को याचिकाकर्ता की ओर से जमा किए गए 64 करोड़ रुपये के अग्रिम प्रीमियम को याचिका दायर करने की तिथि से इसकी वसूली तक सात प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज सहित वापस करने का निर्देश दिया था।

सुक्खू सरकार एक गंभीर संकट

हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार के लिए यह निर्णय एक गंभीर संकट का संकेत है, क्योंकि अदालत ने बिजली कंपनी को न केवल अपनी रकम वसूलने के लिए हिमाचल भवन को नीलाम करने का आदेश दिया है, बल्कि प्रारंभिक प्रीमियम के मामले में पार्षद और अधिकारियों की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाए हैं। अदालत ने आदेश दिया है कि प्रधान सचिव बिजली इस मामले की फैक्ट फाइंडिंग जांच करें और यह पता लगाएं कि कौन से अधिकारी जिम्मेदार थे जिन्होंने वक्त पर रकम नहीं जमा की। अदालत ने यह भी कहा कि ब्याज की रकम उन जिम्मेदार अधिकारियों से वसूली जाए।

क्या है मामला?

यह मामला सेली हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट से जुड़ा है, जिसे मोजर बीयर कंपनी को लाहुल स्पीति में चिनाब नदी पर 400 मेगावाट के हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के लिए दिया गया था। लेकिन परियोजना नहीं लग पाई और मामला आर्बिट्रेशन में चला गया, जहां कंपनी के पक्ष में फैसला आया। आर्बिट्रेटर ने 64 करोड़ रुपये के प्रीमियम के भुगतान का आदेश दिया, लेकिन सरकार ने समय पर यह रकम जमा नहीं की, जिससे ब्याज सहित रकम बढ़कर लगभग 150 करोड़ रुपये हो गई। अदालत ने पहले ही सरकार को आदेश दिया था कि वह रकम जमा करे, लेकिन सरकार ने इसे नजरअंदाज किया। इस कारण हिमाचल भवन को अटैच करने का आदेश दिया गया और अब नीलामी की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।