रूस-भारत की दोस्ती पर उठाया सवाल, एस जयशंकर ने आस्ट्रेलियाई एंकर को ऐसे किया “लाजवाब”
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विदेश मंत्री एस जशंकर अपने बयानों के लिए जानें जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय मामलों और कूटनीति से जुड़े मामलों में भाषा की बारीकी, उसके टोन, टेनर पर बड़ा ध्यान दिया जाता है। भारतीय विदेश मंत्री इन चीजों में माहीर हैं। इसी कड़ी में एस जयशंकर ने भारत-रूस संबंध पर उठाए गए सवाल का ऐसा जवाब दिया कि वहां मौजूद लोगों की बोलती बंद हो गई।
दरअसल, जयशंकर पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर थे। इस दौरान वहां के एक टीवी चैनल ने उनका इंटरव्यू किया। इंटरव्यू करने वाली पत्रकार एंकर ने भारत की रूस के साथ दोस्ती पर सवाल उठाया और कहा कि इससे ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत के रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं। इस पर हाजिरजवाब जयशंकर ने जो कहा उसके आगे एंकर की बोलने की हिम्मत नहीं हुई। विदेश मंत्री ने अपने जवाब के समर्थन में पाकिस्तान का उदाहरण दिया और कहा कि आपको जैसा दिख रहा है दरअसल वास्तविकता में वैसा नहीं होता।
ऑस्ट्रेलिया की एंकर ने जयशंकर से सवाल किया कि क्या रूस के साथ भारत की दोस्ती से ऑस्ट्रेलिया के साथ रिश्तों में कोई दिक्कत आ रही है। जयशंकर ने जवाब दिया कि उन्हें ऐसा नहीं लगता। उन्होंने कहा कि आज के समय में किसी भी देश के एक्सक्लूसिव रिश्ते नहीं होते। जयशंकर ने पाकिस्तान का उदाहरण देते हुए कहा, 'अगर हम आपके तर्क के हिसाब से सोचें तो हम कह सकते हैं कि पाकिस्तान के साथ कई देशों के रिश्ते हैं। ऐसे में भारत को भी परेशान होने की जरूरत है।'
बताया भारत-रूस संबंध का दुनिया पर क्या असर पड़ा
जयशंकर ने इस दौरान भारत-रूस संबंध का दुनिया पर पड़ने वाले प्रभाव की भी बात की। उन्होंने कहा कि आपके सवाल के उलट रूस के साथ भारत के रिश्ते से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को फायदा हो रहा है। प्रतिबंधों के बावजूद रूस से तेल खरीदने के भारत के फैसले के संदर्भ में उन्होंने कहा कि अगर हमने ऐसा नहीं किया होता तो वैश्विक ऊर्जा बाजार पूरी तरह तबाह हो जाता। वैश्विक स्तर पर ऊर्जा संकट पैदा हो गया होता। इससे पूरी दुनिया में महंगाई चरम पर होती।
रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारत की भूमिका पर कही ये बात
जयशंकर ने इसमें आगे जोड़ा कि रूस के साथ भारत के रिश्ते की वजह से ही हम इस संघर्ष को वार्ता की मेज पर लाने में कामयाब हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि रूस के साथ हमारे अच्छे संबंध हैं। ऐसे में हम रूस और यूक्रेन दोनों के साथ बातचीत करने में सक्षम हैं। हम मानते है कि दुनिया और यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया को भी ऐसे देश की जरूरत है जो जंग को वार्ता की मेज तक लाने में सहयोग कर सके। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा विरले होता है जब कोई जंग युद्ध के मैदान में खत्म हुआ हो, बल्कि अधिकतर समय में यह बातचीत की मेज पर खत्म होता है।
Nov 14 2024, 16:27