सरकार अमीरों की अधिकतम सीमा तय करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई - जयप्रकाश बंधु
चंदौली । देश की सबसे ज्वलंत समस्या समाजिक असमानता है।जो कभी भी नहीं हल होने वाले समस्याओं का रुप धारण कर लिया है। जबतक समाजिक विषमताएं दूर नहीं होंगे। तब तक भारत विकसित राष्ट्र नहीं बन सकता है। आजादी के इन पचहत्तर वर्षों में चाहे जितनी भी सरकारें आईं। सभी ने इस विषय को हमेशा ही अनदेखा किया है। चुकी समाजिक असमानता की जड़ में हमारे समाज में आर्थिक विषमताओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है।जिस पर आजतक किसी भी सरकार द्वारा कोई ठोस पहल नहीं किया गया है। वर्तमान में एवं भविष्य में भी सरकार के स्तर पर ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है।इस देश की एक बड़ी आबादी आज भी आर्थिक गुलामी की जिंदगी जीने को विवश है।
आर्थिक समानता के लिए कभी भी कोई प्रयास सरकारों द्वारा नहीं किया जाना इस समाजिक विसंगति के खाईं को दिन प्रति दिन चौड़ा करने का काम किया है। आर्थिक राष्ट्रवाद की अवधारणा को जैसे तिलांजलि दे दिया गया है। सरकारें हमेशा हीं गरीबी की सीमा का निर्धारण तो करती रही है। किन्तु कभी भी किसी भी सरकार द्वारा अमीरी की अधिकतम सीमा तय करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई है। जबतक इस देश में अमीरी की अधिकतम सीमा तय नहीं होगा तब तक इस समाजिक विसंगति को दूर नहीं किया जा सकता है। जनता पार्टी का स्पष्ट रुप से मानना है कि एक आंदोलन अमीरी की अधिकतम सीमा तय करने के लिए इस देश की पहली जरूरत है। जनता पार्टी इस मुद्दे को लेकर लोक विमर्श के लिए निकल पड़ीं है।हम इस महान भारत के जन गण का आह्वान करते हैं कि आइए एक लड़ाई आर्थिक आजादी के लिए शुरू करने के लिए अपने को तैयार करें।
Nov 03 2024, 15:02