तिरंगा यात्रा और बंदे मातरम के नारों के हुजूम के बीच लाया गया युवा अग्निवीर का पार्थिव शरीर
पंकज कुमार श्रीवास्तव
कन्नौज।"बस इतना याद रहे, एक साथी और भी था। आखिर आर्मी के ट्रेनिंग कैंप में गैस सिलेंडर से लगी आग की घटना में घायल होने के बाद उपचार के दौरान शहीद हुये युवा अग्निवीर का पार्थिव शरीर रविवार को उनके पैतृक गांव लाया गया, तो अंतिम बिदाई देने को जनसैलाब उमड़ पड़ा।
राजकीय सम्मान के साथ सौरव को उनके पिता ने मुखाग्नि दी, तो हर आंख नम नजर आई। अंतिम बिदाई के दौरान भारी भीड़ के बीच आर्मी के अधिकारियों से लेकर जिले के डीएम सुभ्रांत कुमार शुक्ला, एसपी अमित कुमार आनंद, विधायक कैलाश राजपूत सहित अन्य कई शासन प्रशासन के अधिकारियों से लेकर राजनैतिक दलों के लोगों ने भी शहीद सौरव पाल को बिदाई दी।
बताते चलें कि कन्नौज जिले के तहसील तिर्वा क्षेत्र के उमर्दा चौकी के भखरा गांव निवासी राकेश पाल के दो पुत्र सौरव और उत्कर्ष उर्फ गोलू के अलावा दो बेटियां पूजा और अर्चना हैं। दोनों बेटियों की शादी हो चुकी है, जबकि छोटा बेटा उत्कर्ष बीएससी कंप्लीट करने के बाद पुलिस की तैयारी कर रहा है।राकेश की पत्नी की मौत बीते करीब 7 वर्ष पूर्व हो चुकी है।
सौरव पाल बीते वर्ष 2022 में अग्निवीर योजना के तहत आर्मी डिफेंस कारीडोर (भारतीय सेना) में भर्ती हुये थे। ट्रेनिंग के बाद सौरव की ट्रेनिंग के बाद राजस्थान के भरतपुर में नियुक्ति हुई थी। विगत दो दिन पूर्व मथुरा में आर्मी ट्रेनिंग सेंटर में अचानक गैस सिलेंडर से लगी भयावह आग की घटना में सौरव घायल हो गये थे। उपचार हेतु हॉस्पिटल में भर्ती कराये जाने के दौरान सौरव ने दम तोड दिया था।
घटना की सूचना जब सौरव के परिजनों तक पहुंची तो कोहराम मच गया था। जिसके बाद परिजन सौरव का शव लेने के लिये मौके के लिये रवाना हो गये थे।
रविवार की सुबह आर्मी की गाड़ी में अधिकारियों की मौजूदगी में बलिदानी सौरव का शव जैसे ही जिले की तहसील सीमा में पहुंचने के बाद तिर्वा कन्नौज मार्ग स्थित एक्सप्रेस वे के फगुआ कट पर पहुंचा। यहां बड़ी संख्या में मौजूद भीड़ बंदे मातरम के नारे लगाते हुये और तिरंगा लहराते हुये बाइक जलूस की शक्ल में उमड़ पड़ी। बलिदानी की गाड़ी तिर्वा कन्नौज मार्ग फगुआ कट से तिर्वा नगर से होते हुये उमर्दा चौकी क्षेत्र के गांव भखरा के लिये रवाना हुई, तो बलिदानी की अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब जलूस की शक्ल में बंदेमातरम और तिरंगा लहराते हुये सौरव के गांव तक पहुंचा।
यहां सौरव के पैतृक गांव में एक खेत में सौरव को पिता राकेश पाल द्वारा अग्नि दी गई। इसके पहले मौके पर शहीद की अंतिम बिदाई में मौके पर पहुंचे आर्मी के अधिकारियों के अलावा जिले के डीएम, एसपी, विधायक, शासन प्रशासन के अन्य अधिकारियों से लेकर राजनैतिक दलों के लोगों ने भी शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर के बीच राजकीय सम्मान के साथ अंतिम बिदाई दी। बलिदानी सौरव के कई सहपाठी काफी उदास नजर आ रहे थे। उनका कहना था, कि सौरव बीती जुलाई में घर आया था, तो सभी से गले मिला था, और इस बार छुट्टी मिली, तो दीपावली पर घर आकर सभी के साथ दिवाली मनायेगा की बात कहकर वापस गया था। दिल लगे सहपाठियों को परिजनों को क्या पता था, कि सौरव अब छुट्टी पर कभी नहीं आयेगा। बल्कि दिवाली से पहले ही उसका तिरंगे में लिपटा हुआ शव ।
सुबह बलिदानी को सैकड़ों की संख्या में लोगों की भीड़ ने आंखों से सौरव को बिदा किया। परिजनों का हाल भी बेहाल था, फिर भी पिता लड़खड़ाती जवान में मानो यही कह रहा था, कि आखिर बेटे ने देश की सेवा में अपने प्राण न्योछावर किये है, हमको अपने बेटे पर गर्व है।
Oct 25 2024, 16:21