झारखंड विधानसभा चुनाव 2024: क्या जामा विधानसभा पर झामुमो का रहेगा कब्जा या जनता शिबू सोरेन परिवार क़ी तीसरी पीढ़ी को देगी मौका...?
-विनोद आनंद
झारखंड में ज्यों ज्यो विधानसभा चुनाव का समय नज़दीक आ रहा है सभी राजनितिक दल अपनी अपनी तैयारी में मशगूल हो गए हैं, इसके साथ हीं पार्टी भी इस पर मंथन करना शुरू कर दिया है कि किस कैंडिडेट को किस सीट से उतारा जाय ताकि जीत सुनिश्चित हो सके.
खास कर कुछ पारम्परिक सीट पर जहाँ किसी पार्टी और किसी व्यक्ति विशेष का वर्षो से आधिपात्य रहा है, आज हम बात करेंगे दुमका जिला के जामा विधानसभा सीट का जहाँ शिबू सोरेन परिवार का वर्षो से वर्चस्व रहा है.
जामा विधानसभा सीट से झामुमो 13 चुनावों में 8 बार बाजी मारी है. इसी सीट से शिबू सोरेन, दुर्गा सोरेन और फिर सीता सोरेन विधायक रहीं हैं. इस सीट पर हैट्रिक जमाने के बाद अब सीता बीजेपी में हैं. लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से वह इस सीट से उम्मीदवार नहीं बन पाएंगी. ऐसे में सवाल उठ रहा हैं कि क्या शिबू सोरेन की तीसरी पीढ़ी अब यहां से चुनाव लड़ेगी.
आइये हम नज़र ड़ालते हैं इस रिपोर्ट में जानिए इस सीट के पुरे समीकरण परजामा विधानसभा सीट क़ी स्थिति
यह सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ माना जाता रहा है.यह सीट दुमका जिले का एसटी रिजर्व सीट है, जहां करीब 45 फीसदी आदिवासी मतदाता हैं. इसके अलावा करीब 6 फीसदी यादव और 22 प्रतिशत अन्य पिछड़ी जातियां हैं. यहां से शिबू सोरेन के साथ उनके पुत्र स्वर्गीय दुर्गा सोरेन और फिर दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन विधायक रह चुकी हैं.
पर इस बार इस क्षेत्र की परिस्थितियां बिल्कुल बदल चुकी है, झामुमो की टिकट पर लगातार तीन बार से चुनाव जीत रही सीता सोरेन अब भाजपा में हैं. जबकि झामुमों की भी इस इलाके में अच्छी पकड़ है.
1980 से अब तक आठ चुनाव में सात बार झामुमो का रहा कब्जा
अगर झामुमो क़ी स्थिति का इस सीट पर आकलन करें तो पिछले चार दशक से हो रहे चुनाव में 1980 के बाद से अब तक जामा क्षेत्र में आठ बार विधानसभा के हुए चुनाव में सात बार झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बाजी मारी है. जबकि सिर्फ एक बार 2005 में यह सीट भाजपा के खाते में गई थी.
शिबू सोरेन का बड़ा बेटा दुर्गा सोरेन ने यहां से किया था अपनी राजनितिक पारी क़ी शुरुआत
अगर हम पिछले इतिहास पर नज़र डालें तो झामुमो के पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन ने जब अपने बड़े बेटे दुर्गा सोरेन को राजनीति में उतारा तो उनके लिए एक सीट की तलाश थी.
1995 के विधानसभा चुनाव में गुरुजी ने अपने पुत्र दुर्गा सोरेन को जामा सीट की टिकट थमाई और दुर्गा ने यहां शानदार जीत दर्ज की. 2000 के चुनाव में लगातार दूसरी बार दुर्गा सोरेन यहीं से विधायक बने, लेकिन 2005 के चुनाव में दुर्गा सोरेन के काफी नजदीकी कार्यकर्ता सुनील सोरेन से उनकी अनबन हो गई थी. भाजपा ने इस मौके का फायदा उठाया और सुनील सोरेन को अपनी पार्टी में लाकर प्रत्याशी बना दिया. सुनील सोरेन बीजेपी के भरोसे पर खरे उतरे और उन्होंने दुर्गा सोरेन को शिकस्त देकर जामा सीट को भाजपा के झोली में डाल दिया.जामा विधानसभा सीट का इतिहास
जामा विधानसभा क्षेत्र 1967 में अस्तित्व में आया था.तब से अब तक यहां कुल 13 बार चुनाव हुए हैं। इनमें जेएमएम को 8 बार, कांग्रेस को 2 बार, भाजपा और एक निर्दलीय उम्मीदवार को एक-एक बार जीत मिली है.
1967 में मुंशी हांसदा ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में यहां जीत हासिल की थी.उसके बाद 1969, 1972 और 1977 में कांग्रेस के मदन बेसरा ने लगातार तीन बार जीत दर्ज की.
1980 में जेएमएम के देवान सोरेन ने जीत हासिल कर पार्टी का खाता खोला और यहां जेएमएम का दबदबा कायम हो गया। 1985 में पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन खुद मैदान में उतरे और विधायक चुने गए. उनके बाद 1990 में जेएमएम के मोहरिल मुर्मू जीते.और तब से अब तक एक आध बाऱ छोड़ दिया जाए तो लगातार झामुमो का कब्ज़ा रहा.2019 में जामा विधानसभा चुनाव परिणाम
प्रत्याशी पार्टी प्राप्त मत
सीता सोरेन -जेएमएम -60925
सुरेश मुर्मू -बीजेपी -58499
अर्जुन मरांडी। - जेेवीएम- 5897
2014 में जामा विधानसभा चुनाव परिणाम
प्रत्याशी - पार्टी -प्राप्त मत
सीता सोरेन- जेएमएम। -53250
सुरेश मुर्मू -बीजेपी - 50344
सुखलाल सोरेन। - जेेवीएम। -9263
2009 में जामा विधानसभा चुनाव परिणाम
प्रत्याशी -पार्टी - प्राप्त मत
सीता सोरेन। -जेएमएम- 38550
लुखी राम टुडू - एलटीएसडी- 1572
2005 में जामा विधानसभा चुनाव परिणाम
प्रत्याशी पार्टी प्राप्त मत
सुनील सोरेन बीजेपी 44073
दुर्गा सोरेन झामुमो 37443
मनोज कुमार सिंह आरजेडी 4254
जामा में वर्ष 1967 से लेकर 2000 तक के विधायक
वर्ष उम्मीदवार पार्टी
1967 मुंशी हासंदा निर्दलीय
1969 मदन बेसरा कांग्रेस
1972 मदन बेसरा कांग्रेस
1977 मदन बेसरा कांग्रेस
1980 देवान सोरेन बजेएमएम
1985 शिबू सोरेन जेएमएम
1990 मोहरिल मुर्मू जेएमएम
1995 दुर्गा सोरेन जेएमएम
2000 दुर्गा सोरेन जेएमएम
2005 सुनील सोरेन बीजेपी
2009 सीता सोरेन जेएमएम
2014 सीता सोरेन जेएमएम
2019 सीता सोरेन जेएमएम
2009 में सीता सोरेन आईं राजनीतिक मैदान में
2009 में शिबू सोरेन के बड़े पुत्र दुर्गा सोरेन की मृत्यु हो गई और इसी वर्ष जब चुनाव हुए तो गुरुजी ने अपने पुत्रवधू सीता सोरेन को जामा विधानसभा से चुनावी मैदान में उतारा. इधर भाजपा ने 2005 के विधायक सुनील सोरेन को 2009 का लोकसभा चुनाव लड़ाया था और जब वे यह चुनाव शिबू सोरेन से हार गए थे, तब उनका विधानसभा टिकट भी काट दिया और उनकी जगह भाजपा प्रत्याशी बने मनोज सिंह पहाड़िया. मतलब पहली बार चुनाव लड़ रही सीता सोरेन के सामने मनोज सिंह पहाड़िया भाजपा के उम्मीदवार थे. इस चुनाव में सीता सोरेन ने बड़े आराम से दस हजार से अधिक मतों से चुनाव जीता और विधानसभा पहुंची. इसके बाद 2014 और 2019 का चुनाव जीतकर सीता सोरेन में हैट्रिक लगाई.
2024 में सीता सोरेन को भाजपा में शामिल होने के बाद क्या है इस सीट क़ी स्थिति
लोकसभा चुनाव 2024 चुनाव के ठीक पहले जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया। विधानसभा सदस्यता से त्यागपत्र देने के बाद सीता सोरेन ने बीजेपी टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा। इस चुनाव में सीता सोरेन भले ही कुछ वोटों के अंतर से हार गई, लेकिन जामा विधानसभा क्षेत्र में सीता सोरेन ने बीजेपी को बढ़त दिलाने में सफलता हासिल कीउम्मीदवार पार्टी प्राप्त मत
नलिन सोरेन जेएमएम। 78778
सीता सोरेन बीजेपी 89211
अब इस सीट का दाबेदार सीता सोरेन की बेटी जयश्री सोरेन
लोकसभा चुनाव के दौरान सीता सोरेन के बीजेपी में शामिल होने के बाद अब सीता सोरेन और दुर्गा सोरेन की बड़ी बेटी जयश्री सोरेन भी काफी सक्रिय नजर आ रहीं हैं। जयश्री सोरेन लगातार जामा विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न गांवों में जनसंपर्क अभियान चला रही हैं। ऐसे में इस बात की संभावना जताई जा रही है कि विधानसभा चुनाव 2024 में सीता सोरेन की जगह जयश्री सोरेन ही उम्मीदवार होंगी। वहीं जिस तरह से सीता सोरेन इन दिनों बीजेपी के विभिन्न कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं, उसे लेकर यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि जयश्री सोरेन बीजेपी से उम्मीदवार हो सकती हैं। हालांकि जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन अपनी बड़ी पोती जयश्री सोरेन को काफी मानते हैं। दादी रूपी सोरेन का भी उनसे काफी लगाव है, ऐसे में यदि शिबू सोरेन की ओर से जयश्री सोरेन को जेएमएम टिकट पर लड़ने को कहा जाता है, तो इससे इनकार करना जयश्री सोरेन के लिए मुश्किल होगा।
Oct 05 2024, 14:45