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धनबाद : चिटाही बस्ती से 12 लाख की चोरी, मामला दर्ज

धनबाद,बाघमारा : बरोरा थाना क्षेत्र के चिटाही बस्ती निवासी सुभाष महतो के बंद घर का ताला तोड़कर अज्ञात चोरों ने बुधवार की रात नगद समेत 12 लाख रुपए की संपत्ति चोरी कर ली . 

घटना के समय गृहस्वामी अपने परिवार के साथ बोकारो स्थित ससुराल में था. घटना की जानकारी गुरुवार शाम ससुराल से घर पहुंचने पर हुई. चोरी की घटना भुक्तभोगी दहशत में हैं. 

इस मामले में भुक्तभोगी सुभाष महतो के लिखित शिकायत पर बरोरा पुलिस मामला दर्ज कर लिया है. पुलिस मामले की जांच में जुटी है. पुलिस को दिये शिकायत में कहा है कि 2 अक्टूबर को अपने परिवार के साथ बोकारो स्थित कुम्हरी ससुराल गया था. 

3 अक्टूबर को शाम जब घर पहुंचे तो पत्नी ताला खोलने गयी तो पहले खुला नहीं. बाद में एक झटके में खुल गया इससे हमलोग की अजीब महसूस हुआ. हड़बड़ाकर घर के अंदर गये तो देखा कि आलमीरा खुला पडा हुआ था. सामान बिखरा हुआ था. आलमीरा के अंदर रखा सामान की खोजबीन करने पर पता चला कि आलमीरा में कमेटी से लेकर रखा 3 .50 लाख , पहले से रखा 2 लाख तथा पर्स में रखा 50 हजार सहित कुल 6 लाख तथा पत्नी का रखा लगभग 6 लाख का गहना गायब था. 

चोरों ने लगभग 12 लाख की चोरी कर लिया .

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024: क्या जामा विधानसभा पर झामुमो का रहेगा कब्जा या जनता शिबू सोरेन परिवार क़ी तीसरी पीढ़ी को देगी मौका...?

 -विनोद आनंद

झारखंड में ज्यों ज्यो विधानसभा चुनाव का समय नज़दीक आ रहा है सभी राजनितिक दल अपनी अपनी तैयारी में मशगूल हो गए हैं, इसके साथ हीं पार्टी भी इस पर मंथन करना शुरू कर दिया है कि किस कैंडिडेट को किस सीट से उतारा जाय ताकि जीत सुनिश्चित हो सके.

खास कर कुछ पारम्परिक सीट पर जहाँ किसी पार्टी और किसी व्यक्ति विशेष का वर्षो से आधिपात्य रहा है, आज हम बात करेंगे दुमका जिला के जामा विधानसभा सीट का जहाँ शिबू सोरेन परिवार का वर्षो से वर्चस्व रहा है.

जामा विधानसभा सीट से झामुमो 13 चुनावों में 8 बार बाजी मारी है. इसी सीट से शिबू सोरेन, दुर्गा सोरेन और फिर सीता सोरेन विधायक रहीं हैं. इस सीट पर हैट्रिक जमाने के बाद अब सीता बीजेपी में हैं. लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से वह इस सीट से उम्मीदवार नहीं बन पाएंगी. ऐसे में सवाल उठ रहा हैं कि क्या शिबू सोरेन की तीसरी पीढ़ी अब यहां से चुनाव लड़ेगी.

 आइये हम नज़र ड़ालते हैं इस रिपोर्ट में जानिए इस सीट के पुरे समीकरण परजामा विधानसभा सीट क़ी स्थिति


यह सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ माना जाता रहा है.यह सीट दुमका जिले का एसटी रिजर्व सीट है, जहां करीब 45 फीसदी आदिवासी मतदाता हैं. इसके अलावा करीब 6 फीसदी यादव और 22 प्रतिशत अन्य पिछड़ी जातियां हैं. यहां से शिबू सोरेन के साथ उनके पुत्र स्वर्गीय दुर्गा सोरेन और फिर दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन विधायक रह चुकी हैं. 

पर इस बार इस क्षेत्र की परिस्थितियां बिल्कुल बदल चुकी है, झामुमो की टिकट पर लगातार तीन बार से चुनाव जीत रही सीता सोरेन अब भाजपा में हैं. जबकि झामुमों की भी इस इलाके में अच्छी पकड़ है.

1980 से अब तक आठ चुनाव में सात बार झामुमो का रहा कब्जा


अगर झामुमो क़ी स्थिति का इस सीट पर आकलन करें तो पिछले चार दशक से हो रहे चुनाव में 1980 के बाद से अब तक जामा क्षेत्र में आठ बार विधानसभा के हुए चुनाव में सात बार झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बाजी मारी है. जबकि सिर्फ एक बार 2005 में यह सीट भाजपा के खाते में गई थी.

शिबू सोरेन का बड़ा बेटा दुर्गा सोरेन ने यहां से किया था अपनी राजनितिक पारी क़ी शुरुआत


अगर हम पिछले इतिहास पर नज़र डालें तो झामुमो के पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन ने जब अपने बड़े बेटे दुर्गा सोरेन को राजनीति में उतारा तो उनके लिए एक सीट की तलाश थी. 

1995 के विधानसभा चुनाव में गुरुजी ने अपने पुत्र दुर्गा सोरेन को जामा सीट की टिकट थमाई और दुर्गा ने यहां शानदार जीत दर्ज की. 2000 के चुनाव में लगातार दूसरी बार दुर्गा सोरेन यहीं से विधायक बने, लेकिन 2005 के चुनाव में दुर्गा सोरेन के काफी नजदीकी कार्यकर्ता सुनील सोरेन से उनकी अनबन हो गई थी. भाजपा ने इस मौके का फायदा उठाया और सुनील सोरेन को अपनी पार्टी में लाकर प्रत्याशी बना दिया. सुनील सोरेन बीजेपी के भरोसे पर खरे उतरे और उन्होंने दुर्गा सोरेन को शिकस्त देकर जामा सीट को भाजपा के झोली में डाल दिया.जामा विधानसभा सीट का इतिहास


जामा विधानसभा क्षेत्र 1967 में अस्तित्व में आया था.तब से अब तक यहां कुल 13 बार चुनाव हुए हैं। इनमें जेएमएम को 8 बार, कांग्रेस को 2 बार, भाजपा और एक निर्दलीय उम्मीदवार को एक-एक बार जीत मिली है.

1967 में मुंशी हांसदा ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में यहां जीत हासिल की थी.उसके बाद 1969, 1972 और 1977 में कांग्रेस के मदन बेसरा ने लगातार तीन बार जीत दर्ज की.

1980 में जेएमएम के देवान सोरेन ने जीत हासिल कर पार्टी का खाता खोला और यहां जेएमएम का दबदबा कायम हो गया। 1985 में पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन खुद मैदान में उतरे और विधायक चुने गए. उनके बाद 1990 में जेएमएम के मोहरिल मुर्मू जीते.और तब से अब तक एक आध बाऱ छोड़ दिया जाए तो लगातार झामुमो का कब्ज़ा रहा.2019 में जामा विधानसभा चुनाव परिणाम


प्रत्याशी  पार्टी  प्राप्त मत

सीता सोरेन -जेएमएम -60925

सुरेश मुर्मू  -बीजेपी  -58499

अर्जुन मरांडी। - जेेवीएम- 5897

2014 में जामा विधानसभा चुनाव परिणाम


प्रत्याशी -   पार्टी   -प्राप्त मत

सीता सोरेन- जेएमएम। -53250

सुरेश मुर्मू  -बीजेपी - 50344

सुखलाल सोरेन। - जेेवीएम। -9263


2009 में जामा विधानसभा चुनाव परिणाम


प्रत्याशी  -पार्टी - प्राप्त मत

सीता सोरेन। -जेएमएम- 38550

लुखी राम टुडू - एलटीएसडी- 1572

2005 में जामा विधानसभा चुनाव परिणाम


प्रत्याशी पार्टी  प्राप्त मत

सुनील सोरेन बीजेपी 44073

दुर्गा सोरेन झामुमो 37443

मनोज कुमार सिंह आरजेडी 4254

जामा में वर्ष 1967 से लेकर 2000 तक के विधायक


वर्ष    उम्मीदवार   पार्टी

1967 मुंशी हासंदा निर्दलीय

1969 मदन बेसरा कांग्रेस

1972 मदन बेसरा कांग्रेस

1977 मदन बेसरा कांग्रेस

1980 देवान सोरेन बजेएमएम

1985 शिबू सोरेन जेएमएम

1990 मोहरिल मुर्मू जेएमएम

1995 दुर्गा सोरेन जेएमएम

2000 दुर्गा सोरेन जेएमएम

2005 सुनील सोरेन बीजेपी

2009 सीता सोरेन जेएमएम

2014 सीता सोरेन जेएमएम

2019 सीता सोरेन जेएमएम

2009 में सीता सोरेन आईं राजनीतिक मैदान में


2009 में शिबू सोरेन के बड़े पुत्र दुर्गा सोरेन की मृत्यु हो गई और इसी वर्ष जब चुनाव हुए तो गुरुजी ने अपने पुत्रवधू सीता सोरेन को जामा विधानसभा से चुनावी मैदान में उतारा. इधर भाजपा ने 2005 के विधायक सुनील सोरेन को 2009 का लोकसभा चुनाव लड़ाया था और जब वे यह चुनाव शिबू सोरेन से हार गए थे, तब उनका विधानसभा टिकट भी काट दिया और उनकी जगह भाजपा प्रत्याशी बने मनोज सिंह पहाड़िया. मतलब पहली बार चुनाव लड़ रही सीता सोरेन के सामने मनोज सिंह पहाड़िया भाजपा के उम्मीदवार थे. इस चुनाव में सीता सोरेन ने बड़े आराम से दस हजार से अधिक मतों से चुनाव जीता और विधानसभा पहुंची. इसके बाद 2014 और 2019 का चुनाव जीतकर सीता सोरेन में हैट्रिक लगाई.

2024 में सीता सोरेन को भाजपा में शामिल होने के बाद क्या है इस सीट क़ी स्थिति


लोकसभा चुनाव 2024 चुनाव के ठीक पहले जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया। विधानसभा सदस्यता से त्यागपत्र देने के बाद सीता सोरेन ने बीजेपी टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा। इस चुनाव में सीता सोरेन भले ही कुछ वोटों के अंतर से हार गई, लेकिन जामा विधानसभा क्षेत्र में सीता सोरेन ने बीजेपी को बढ़त दिलाने में सफलता हासिल कीउम्मीदवार पार्टी   प्राप्त मत

नलिन सोरेन जेएमएम। 78778

सीता सोरेन बीजेपी 89211

अब इस सीट का दाबेदार सीता सोरेन की बेटी जयश्री सोरेन


लोकसभा चुनाव के दौरान सीता सोरेन के बीजेपी में शामिल होने के बाद अब सीता सोरेन और दुर्गा सोरेन की बड़ी बेटी जयश्री सोरेन भी काफी सक्रिय नजर आ रहीं हैं। जयश्री सोरेन लगातार जामा विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न गांवों में जनसंपर्क अभियान चला रही हैं। ऐसे में इस बात की संभावना जताई जा रही है कि विधानसभा चुनाव 2024 में सीता सोरेन की जगह जयश्री सोरेन ही उम्मीदवार होंगी। वहीं जिस तरह से सीता सोरेन इन दिनों बीजेपी के विभिन्न कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं, उसे लेकर यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि जयश्री सोरेन बीजेपी से उम्मीदवार हो सकती हैं। हालांकि जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन अपनी बड़ी पोती जयश्री सोरेन को काफी मानते हैं। दादी रूपी सोरेन का भी उनसे काफी लगाव है, ऐसे में यदि शिबू सोरेन की ओर से जयश्री सोरेन को जेएमएम टिकट पर लड़ने को कहा जाता है, तो इससे इनकार करना जयश्री सोरेन के लिए मुश्किल होगा।

बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ 19 अक्टूबर को आहुत हड़ताल को लेकर मौन जुलुस निकाल कर हड़ताल का दिया नोटिस

बोकारो :बीएकेएस ने मौन रूप से जाकर दिया हड़ताल का नोटिस। सेल बोनस की मांग को लेकर बोकारो स्टील प्लांट में 19 अक्टूबर को हड़ताल है।

 बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ 19 अक्टूबर को आहुत हड़ताल के परिप्रेक्ष्य में गुरुवार को मौन जुलुस निकाल कर हड़ताल का नोटिस दिया गया।

बीएकेएस ने इसके लिए पहले मुंह पर अँगुली रखकर मौन जुलुस निकाला तथा प्रशासनिक भवन के सामने आकर औद्योगिक संबंध विभाग के सहायक महाप्रबंधक मो. आरिफ हुसैन को हड़ताल का नोटिस सौंपा। इसके साथ ही हड़ताल नोटिस की प्रति उप मुख्य श्रमआयुक्त (केंद्रीय) धनबाद , सीएलसी , डीसी, एसपी को भी भेजा गया है।

यूनियन का कहना है कि सेल कर्मियों का बोनस फॉर्मूला शुरू से विवादित रहा है। मात्र तीन यूनियनो के हस्ताक्षर से कठिन गणितीय फॉर्मूला को सेल प्रबंधन द्वारा जबरदस्ती लागू किया गया। जिसके आधार पर अधिकतम 28000 रुपया बोनस राशि ही बन रही थी। चाहे प्रोडक्शन तथा मुनाफा कितना भी हो। बोनस फॉर्मूला निरस्त करने को लेकर बीएकेएस ने कई बार पत्राचार किया था। विगत 28 सितम्बर को विशाल मशाल जुलुस भी निकाला था।

हड़ताल नोटिस और सेल प्रबंधन से मांग

1. वेज रीविजन का एमओए , 15% MGB , 35% पर्क्स तथा 39 माह का फिटमेंट एरियर , 58 माह का पर्क्स का एरियर का भुगतान।

2 . एनजेसीएस संविधान का उल्लंघन बंद हो।

3 . प्रति टन क्रुड स्टील प्रोडक्शन के हिसाब से प्रोडक्शन रिलेटेड पे लागु हो।

4 . बोकारो के स्थांतरित कर्मचारियों का स्थांतरण वापस हो।

5 . बोकारो इस्पात संयंत्र में सेक्रेट बैलेट इलेक्शन के तहत यूनियनों का मेंबरशिप वेरिफिकेशन कराया जाए.

हमारी यूनियन के सदस्य पूरी तरह अनुशासित तथा जुझारू हैं, जो कि मशाल जुलुस तथा आज मौन जुलुस से प्रदर्शित होता है। कंपनी की पॉलिसी गौण कर अधिकारियों के निजी पॉलिसी लागू करने के कारण बीएसएल कार्मिक काफी आक्रोशित हैं। अब बोकारो में 30 जून 2021 से भी विशाल हड़ताल होगी।

आज पांच अक्टूबर से सेविका - सहायिका जाएगी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर

झारखंड डेस्क

धनबाद:आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ के आह्वाहन पर पांच अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल को सफल बनाने को लेकर बाघमारा प्रखंड के सेविका सहायिकाओं ने पत्राचार शुक्रवार सीडीपीओ व जिला मुख्यालय को किया। 

 प्रखंड अध्यक्ष पार्वती देवी ने बताया कि संघ की ओर से 23 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास पर आठ सूत्री मांग पत्र सौंपा गया था। उस वक्त सरकार के प्रतिनिधि सुदिव्य कुमार सोनु ने आश्वासन दिया था कि कैबिनेट की बैठक में मांगों पर विचार किया जाएगा। 

मगर कैबिनेट की बैठक में किसी तरह का पहल नहीं किया जाने पर संघ के आह्वाहन पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चली जाएगी। साथ ही बताया कि हमारी मांगों में नियमावली में सुधार ,मानदेय बढ़ोतरी, पूर्ण सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने व नियमिती करने, मोबाइल एवं पोषाहार की राशि बाजार दर के समान भुगतान करने आदि मांग शामिल है। कहा कि मांगे पुरी होने तक प्रखंड के सभी सेविका सहायिका अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेगी।

जामताड़ा पुलिस ने छह साइबर अपराधी को किया गिरफ्तार,

जामताड़ा : साइबर ठगों से रहिये सावधान नही तो आपकी बैंक अकाउंट खाली हो जाएगी। साइबर अपराधी फर्जी बैंक अधिकारी और बिजली अधिकारी बनकर लोगों को फोन करके सोलह अंक का ए टी एम नंबर, सी वी वी नंबर एवं ओ टी पी नंबर प्राप्त कर विभिन्न इ वॉलेट एवं फर्जी बैंक खातों के माध्यम से अपने खातों में ट्रंसफर कर साईबर ठग ठगी कर रहे हैं।

 आज पुलिस अधीक्षक एहतेशाम वकारीब को गुप्त सूचना मिली कि जामताड़ा थाना अंतर्गत ग्राम पाण्डेडीह एवं करमाटाँड़ थानान्तर्गत ग्राम माणिकपुरा, सिकरपोसनी एवं मट्टाँड़ में साइबर अपराधियों के द्वारा विभिन्न बैकों के ग्राहकों को अपनी ठगी का शिकार बना रहे हैं। 

सूचना के आधार पर एसपी ने पु०नि०-सह-थाना प्रभारी, अब्दुल रहमान के नेतृत्व में पु०नि०, जयन्त तिर्की, पु०अ०नि० मनीष कुमार गुप्ता, पु०अ०नि० प्रशांत कुमार, साईबर अपराध थाना, जामताड़ा एवं अन्य पुलिसकर्मी को शामिल करते हुए उंक्त स्थानों पर छापेमारी की गई।

जिसमें छः साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया। वही आज साइबर अपराध थाना में इंस्पेक्टर जयंत तिर्की ने प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर जामताड़ा और करमाटांड़ थाना के विभिन्न क्षेत्रों में साइबर अपराधियों के विरुद्ध छापेमारी अभियान चलाया गया। जिसमें छः साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। इनलोगों के पास से 19 मोबाइल, 36 सिमकार्ड, ए टी एम कार्ड, आधार कार्ड व नगद दस हजार पांच सौ रुपए बरामद हुआ है। इस संबंध में इनके विरूद्ध जामताड़ा साईबर अपराध थाना में विभिन्न धाराओं के अंतर्गत कांड दर्ज किया गया है। गिरफ्तार अभियुक्तों को जेल भेजा जा रहा है। वहीं गिरफ्तार हुए सभी अपराधियों पर पहले से भी कई अपराधों ने आरोपित थे। गिरफ्तार अभियुक्तों का कार्यक्षेत्र मुलत: पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा है।

झारखंड में कल हेमंत विस्व सरमा महिलाओं और युवाओं के लिए घोषणा करेंगे भाजपा कि ओर अपनी पांच योजनाएं

रांची। झारखंड में चुनावी दाव पेंच शुरू हो गयी है, इधर हेमंत सोरेन ने महिला वोटर को अपने पक्ष में करने के लिए माइयाँ योजना शुरू की, महिलाओं के खाते में प्रत्येक महीना 1000 रूपये देना भी शुरू कर दिया तो दूसरी तरफ भाजपा की ओर से झारखंड के विधान सभा चुनाव सह प्रभारी हेमंत विश्व सरमा ने कहा की अगर भाजपा सरकार झारखंड में बनती है तो झारखंड के दीदी को 2100 रुपये प्रतिमाह देना शुरू करेगी।

 इसके लिए 'गोगो दीदी योजना' की पूरी तैयारी कर ली गई है। उन्होंने कहा कि मंईयां सम्मान योजना से सिर्फ ठगने का काम चल रहा है।

इस बीच सरमा ने एक मीडिया चैनल से बात करते हुए कहा कि भाजपा जो बोलती है उसे अवश्य पूरा करती है। हिमंत विस्वा सरमा 

इस बीच उन्होंने संकेत दिया कि  "कल हम झारखंड के लिए (भाजपा का) पूरा घोषणापत्र जारी तो नहीं किया जा रहा हैं, लेकिन हम युवाओं और महिलाओं की आकांक्षाओं को साकार करने के लिए राज्य के लिए अपने पांच मुख्य बिंदु जनता के सामने सामने रखेंगे...".

जदयू झारखंड में 11 सीटों पर लड़ेगी विधानसभा चुनाव, एक प्रतिनिधि खीरू महतो के नेतृत्व में पार्टी सुप्रीमो नीतीश कुमार से मिलकर बताया अपना निर्णय


झारखंड में विधानसभा चुनावों को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। भाजपा, कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के अलावा जनता दल यूनाइटेड(जदयू) भी यहां विधानसभा चुनावों में हिस्सा लेगी। ऐसे में जदयू ने प्रदेश की 11 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बनाया है। 

इस दौरान जदयू ने झारखंड की 3 विधानसभा सीटों पर जीत का पूरा भरोसा है.इन सीटों पर जदयू को अपने लिए काफी संभावनाएं दिख रही हैं।

इस सन्दर्भ में प्रदेश जनता दल यूनाइटेड का एक प्रतिनिधिमंडल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह बिहार के सीएम नीतीश कुमार से उनके पटना स्थित मुख्यमंत्री आवास पर मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद खीरू महतो कर रहे थे। 

इस दौरान झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ व्यापक रूप से चर्चा हुई।

वहीं, खीरू महतो ने मुख्यमंत्री से झारखंड में 11 सीटों की मांग की है । प्रदेश अध्यक्ष ने झरिया, टुंडी, मांडू, छतरपुर के साथ मांडर विधानसभा में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन की रिपोर्ट भी सौंपी है । 

प्रदेश नेतृत्व की बात को गंभीरतापूर्वक सुनते मुख्यमंत्री ने सकारात्मक आश्वासन दिया है । साथ ही कहा कि वे पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष सहित भाजपा शीर्ष नेतृत्व के साथ बात करेंगे।

जदयू की प्राथमिकता में हैं 3 सीटें

तमाड़, पूर्वी जमशेदपुर, मांडू जैसी सीटें ऐसी हैं, जो जदयू की प्राथमिकता में शामिल हैं। हाल ही में पूर्व मंत्री राजा पीटर ने जदयू की सदस्यता ली है। माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें तमाड़ सीट से उम्मीदवार बना सकती है। वहीं, पूर्वी जमशेदपुर के वर्तमान विधायक सरयू राय भी हाल ही में जदयू में शामिल हुए थे। वहीं खीरू महतो पूर्व में मांडू विधानसभा से विधायक भी रह चुके हैं।

धनबाद में हो रहे कोयलाचोरी में अधिकारियों की मिली भगत की सीबीआई जाँच का कोर्ट के आदेश का सांसद ढुल्लु महतो ने किया स्वागत


झा. डेस्क 

धनबाद के सांसद ढुल्लू महतो ने झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा कोयला के धंधे में धनबाद में पदस्थापित रहे पुलिस अधिकारियों की भूमिका की सीबीआई जांच का स्वागत किया है. साथ ही कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच उच्च न्यायालय की निगरानी में ही होनी चाहिए.

 सांसद ढुल्लू महतो ने शुक्रवार को सर्किट हाउस में पत्रकारों से बीतचीत कर रहे थे. जहां उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला सत्य की जीत है. साथ ही उन्होंने दोषी अगर कोई पुलिस अधिकारी साबित होता है तो उसे कठोर सजा दी जाय.

सांसद ढुल्लू महतो अरबों रूपये की वसूली का आरोप लगाया

धनबाद सांसद ढुल्लू महतो ने कहा कि वे इसके लिए लगातार वे प्रयासरत थे. धनबाद के पूर्व पुलिस अधिकारी के कार्यकाल में अवैध खनन में अरबों रुपये की लूट और वसूली हुई. सैकड़ों लोगों की जान गयी. इसके लिए तत्कालीन अधिकारी जिम्मेदार हैं. 

उन्होंने कोर्ट से मांग किया है कि जिन लोगों के कारण इतनी मौत हुई उन्हें फांसी सजा दी जाए. उन्होंने बताया कि सरकार को इस मुद्दे पर दर्जनों बार पत्राचार किया गया. लेकिन, कार्रवाई के बजाय उस ऐसे लोगों को प्रोन्नति दी जाती रही. अब न्यायालय से ही उम्मीद है. 

इसके अलावे कई गंभीर आरोप भी लगाये. साथ ही कहा कि सत्ताधारी दल का एक नेता पूर्व पुलिस अधिकारी से सांठ-गांठ कर अपने यहां अवैध लोहा, कोयला गिरावा कर कारोबार करता रहा. ऐसे नेताओं पर भी कार्रवाई होनी चाहिए.

सीएम से कहा चाहे तो आप मेरा भी जाँच करा लें 

सांसद ने कहा कि झामुमो वाले कहते हैं कि हेमंत है तो हिम्मत है. उन्होंने बाघमारा विधायक रहते हुए कई बार सदन में कोयला चोरी, अवैध वसूली का मुद्दा उठाया. उन्होंने राज्य सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि वो चाहे तो मेरे खिलाफ जांच करा लें. उनके खिलाफ कई झूठे मुकदमा हुए. लेकिन, आर्थिक अपराध का कोई मुकदमा नहीं हुआ है. प्रेस वार्ता में उनके साथ भाजपा नेता संजीव अग्रवाल, संजय झा, नितिन भट्ट, मिल्टन पार्तसारथी भी मौजूद थे.

चुनाव आयोग ने मंजूनाथ भजंत्री को रांची के डीसी के रूप में निर्वाचन पदाधिकारी बनाये जाने को हाईकोर्ट के फैसले का उल्लंघन बताया

झा. डेस्क 

रांची : चुनाव आयोग ने मंजूनाथ भजंत्री को रांची डीसी सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी के पद पर पदस्थापित करने के आदेश को हाईकोर्ट के फैसले का उल्लंघन बताया है. आयोग ने मुख्य सचिव को पत्र लिख कर छह दिसंबर, 2021 के आदेश का अनुपालन करने का कहा है. 

साथ ही 15 दिनों में कार्रवाई रिपोर्ट आयोग को भेजने का आदेश दिया. 

आयोग ने छह दिसंबर, 2021 को आदेश जारी कर देवघर के तत्कालीन उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री को पद से हटाने, विभागीय कार्यवाही करने और आयोग की अनुमति के बिना चुनाव कार्य से जुड़े पद पर पदस्थापित नहीं करने का आदेश दिया था.

 पत्र में क्या है..?

चुनाव आयोग बनाम मंजूनाथ भजंत्री व अन्य के मामले में मुख्य सचिव को यह पत्र लिखा गया है. कहा गया है कि मधुपुर उप चुनाव में तत्कालीन उपायुक्त द्वारा आयोग के वोटर टर्न आउट एप और प्रेस कांफ्रेंस में अलग अलग आंकड़ा पेश किये जाने की वजह से उन्हें 26 अप्रैल 2021 को उपायुक्त के पद से हटा दिया गया था. 

चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के बाद सरकार ने उन्हें फिर से देवघर उपायुक्त के पद पर पदस्थापित करने का आदेश दिया था. इसके करीब छह महीने बाद मुख्य निर्वाची अधिकारी (सीइओ) ने आयोग को रिपोर्ट भेज कर यह जानकारी दी कि उपायुक्त ने चुनाव आचार संहिता खत्म होने के बाद आचार संहिता उल्लंघन के आरोप में सांसद निशिकांत दूबे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है.

आयोग ने उपायुक्त से मांगा था स्पष्टीकरण

चुनाव आयोग ने इस पर उपायुक्त से स्पष्टीकरण पूछा. जवाब संतोषप्रद नहीं होने की वजह से छह दिसंबर, 2021 को आयोग ने उपायुक्त को हटाने और भविष्य में आयोग की अनुमति के बिना चुनाव से जुड़े काम में पदस्थापित नहीं करने का आदेश दिया. पर सरकार ने उन्हें पद से नहीं हटाया. 23 दिसंबर, 2021 को कार्मिक विभाग की ओर से आयोग के एक पत्र लिख कर कहा गया कि आयोग अपना आदेश वापस ले, क्योंकि आचार संहिता समाप्त होने के बाद इस तरह का आदेश देने का अधिकार आयोग को नहीं है. इस तरह के आदेश से राज्य की संप्रभुता प्रभावित होती है.

चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव को पत्र भेजकर मांगी थी राय

मुख्य सचिव के राज्य से बाहर होने के आधार पर कार्मिक ने यह पत्र लिखा था. आयोग ने 15 दिसंबर, 2022 को पत्र भेज कर इस मामले में मुख्य सचिव की राय मांगी, जो नहीं मिली. 26 दिसंबर को मंजूनाथ भजंत्री से जिला निर्वाचन पदाधिकारी का काम वापस लेते हुए डीडीसी को सौंप दिया गया. इस बीच मंजूनाथ भजंत्री ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर (5716/22) चुनाव आयोग के छह दिसंबर 2021 के आदेश को चुनौती दी. इसमें चुनाव आयोग के आदेश के नियम विरुद्ध बताया गया.

हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग के आदेश को बताया था सही

सिंगल बेंच ने सुनवाई के बाद भजंत्री की याचिका को स्वीकार कर लिया. इस फैसले के खिलाफ चुनाव आयोग ने हाईकोर्ट में एलपीए (244/24) दायर की. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद 30 सितंबर 2024 को अपना फैसला सुनाते हुए चुनाव आयोग के आदेश को सही करार दिया. न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि आयोग का निर्देश मानना राज्य के लिए बाध्यकारी है. आयोग का आदेश नहीं मानना संविधान के मूल ढांचे पर प्रहार करने जैसा है.

चुनाव आयोग ने मंजूनाथ भजंत्री को रांची के डीसी के रूप में निर्वाचन पदाधिकारी बनाये जाने को हाईकोर्ट के फैसले का उल्लंघन बताया


झा. डेस्क 

रांची : चुनाव आयोग ने मंजूनाथ भजंत्री को रांची डीसी सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी के पद पर पदस्थापित करने के आदेश को हाईकोर्ट के फैसले का उल्लंघन बताया है. आयोग ने मुख्य सचिव को पत्र लिख कर छह दिसंबर, 2021 के आदेश का अनुपालन करने का कहा है. 

साथ ही 15 दिनों में कार्रवाई रिपोर्ट आयोग को भेजने का आदेश दिया. 

आयोग ने छह दिसंबर, 2021 को आदेश जारी कर देवघर के तत्कालीन उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री को पद से हटाने, विभागीय कार्यवाही करने और आयोग की अनुमति के बिना चुनाव कार्य से जुड़े पद पर पदस्थापित नहीं करने का आदेश दिया था.

 पत्र में क्या है..?

चुनाव आयोग बनाम मंजूनाथ भजंत्री व अन्य के मामले में मुख्य सचिव को यह पत्र लिखा गया है. कहा गया है कि मधुपुर उप चुनाव में तत्कालीन उपायुक्त द्वारा आयोग के वोटर टर्न आउट एप और प्रेस कांफ्रेंस में अलग अलग आंकड़ा पेश किये जाने की वजह से उन्हें 26 अप्रैल 2021 को उपायुक्त के पद से हटा दिया गया था. 

चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के बाद सरकार ने उन्हें फिर से देवघर उपायुक्त के पद पर पदस्थापित करने का आदेश दिया था. इसके करीब छह महीने बाद मुख्य निर्वाची अधिकारी (सीइओ) ने आयोग को रिपोर्ट भेज कर यह जानकारी दी कि उपायुक्त ने चुनाव आचार संहिता खत्म होने के बाद आचार संहिता उल्लंघन के आरोप में सांसद निशिकांत दूबे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है.

आयोग ने उपायुक्त से मांगा था स्पष्टीकरण

चुनाव आयोग ने इस पर उपायुक्त से स्पष्टीकरण पूछा. जवाब संतोषप्रद नहीं होने की वजह से छह दिसंबर, 2021 को आयोग ने उपायुक्त को हटाने और भविष्य में आयोग की अनुमति के बिना चुनाव से जुड़े काम में पदस्थापित नहीं करने का आदेश दिया. पर सरकार ने उन्हें पद से नहीं हटाया. 23 दिसंबर, 2021 को कार्मिक विभाग की ओर से आयोग के एक पत्र लिख कर कहा गया कि आयोग अपना आदेश वापस ले, क्योंकि आचार संहिता समाप्त होने के बाद इस तरह का आदेश देने का अधिकार आयोग को नहीं है. इस तरह के आदेश से राज्य की संप्रभुता प्रभावित होती है.

चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव को पत्र भेजकर मांगी थी राय

मुख्य सचिव के राज्य से बाहर होने के आधार पर कार्मिक ने यह पत्र लिखा था. आयोग ने 15 दिसंबर, 2022 को पत्र भेज कर इस मामले में मुख्य सचिव की राय मांगी, जो नहीं मिली. 26 दिसंबर को मंजूनाथ भजंत्री से जिला निर्वाचन पदाधिकारी का काम वापस लेते हुए डीडीसी को सौंप दिया गया. इस बीच मंजूनाथ भजंत्री ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर (5716/22) चुनाव आयोग के छह दिसंबर 2021 के आदेश को चुनौती दी. इसमें चुनाव आयोग के आदेश के नियम विरुद्ध बताया गया.

हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग के आदेश को बताया था सही

सिंगल बेंच ने सुनवाई के बाद भजंत्री की याचिका को स्वीकार कर लिया. इस फैसले के खिलाफ चुनाव आयोग ने हाईकोर्ट में एलपीए (244/24) दायर की. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद 30 सितंबर 2024 को अपना फैसला सुनाते हुए चुनाव आयोग के आदेश को सही करार दिया. न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि आयोग का निर्देश मानना राज्य के लिए बाध्यकारी है. आयोग का आदेश नहीं मानना संविधान के मूल ढांचे पर प्रहार करने जैसा है.