RO-ARO पेपर लीक के लिए प्रिंसिपल ने सेंटर किया था हाईजैक,राजीव नयन के गुर्गे को सेंटर का सुपरिंटेंडेंट बनाया,प्रत्येक स्टूडेंट्स 5 लाख में डील क
कृष्ण राज सिंह
प्रयागराज।RO/ARO भर्ती परीक्षा का पेपर प्रयागराज से लीक हुआ था। जरिया बनीं बिशप जॉनसन गर्ल्स विंग कटरा की प्रिंसिपल पारुल सोलोमन। STF उन्हें पकड़ चुकी है। अब इस नेटवर्क में और कौन-कौन जुड़ा हुआ है, इसकी तफ्तीश की जा रही है।
परीक्षा लीक कांड का मास्टरमाइंड राजीव नयन मिश्र आखिर प्रिंसिपल पारुल तक कैसे पहुंचा? पारुल ने कैसे सेंटर से पेपर बाहर तक पहुंचाया? इन सवालों के साथ s b ने STF टीम से बात की।
सामने आया कि राजीव नयन का राइट हैंड अर्पित विनीत हंसराज पेपर सिक्योरिटी क्रैक करने के लिए पारुल सोलोमन तक पहुंचा। ये डील 5 लाख प्रति परीक्षार्थी के हिसाब से तय हुई। पारुल सोलोमन ने अर्पित को सेंटर का सुपरिंटेंडेंट बनाया, ताकि पेपर आसानी से लीक कराया जा सके। उसके ही लोगों को सेंटर में सेट किया।
STF ने अर्पित को पहले ही गिरफ्तार कर लिया था। अब पारुल से पूछताछ की जा रही है। उसके 3 बैंक अकाउंट की जांच चल रही है। ईडी ने भी अब तक 73 अकाउंट फ्रीज किए हैं।
राजीव ने अर्पित से कहा- प्रिंसिपल को सेट करो, 5 लाख प्रति बच्चा देंगे
STF की पूछताछ में सामने आया कि म्योराबाद के रहने वाले अर्पित विनीत हंसराज के पिता बिशन जॉनसन कॉलेज के कर्मचारी रहे हैं। उनके पास भर्ती परीक्षा के सेंटर की जिम्मेदारी थी।
परीक्षा लीक कांड के मास्टरमाइंड राजीव नयन मिश्र के लिए अर्पित काम करता था। राजीव को पता था कि RO/ARO भर्ती परीक्षा का सेंटर बिशप कॉलेज में पड़ेगा। यहां पर सिक्योरिटी को तोड़ना आसान होगा।
राजीव ने ही अर्पित को टारगेट दिया था कि पहले प्रिंसिपल पारुल सोलोमन को सेट करो। ऑफर दिया कि 1 परीक्षार्थी से हमें 12 लाख मिल रहे हैं, इसमें से 5 लाख आप लोगों को दिया जाएगा।
पेपर से पहले बिशप कॉलेज में मीटिंग हुई इसके बाद अर्पित ने पारुल सोलोमन से बातचीत शुरू की। पूरी प्लानिंग समझाई। सेटिंग होने के बाद राजीव नयन के खास विजय प्रकाश के साथ अर्पित और पारुल की पहली मीटिंग बिशप कॉलेज में ही हुई।
तय हुआ कि परीक्षा से पहले किसी भी तरह अर्पित को परीक्षा सेंटर में ही रहना होगा। तब पारुल ने अर्पित को फर्जी तरीके से बिशप कॉलेज का कर्मचारी बनाया। कॉलेज के रिकॉर्ड में अर्पित को 10 हजार वेतन पर रखा गया। ऐसा इसलिए किया गया, ताकि अर्पित को सेंटर में रखा जा सके।
इतना ही नहीं, पारुल ने उसे सेंटर सुपरिंटेंडेंट बना दिया। यही वह लीकेज थी, जहां से पेपर लीक किया जा सका। STF नेटवर्क को तलाशते हुए अर्पित तक पहुंच गई। उसने पूछताछ में पारुल सोलोमन का भेद खोल दिया। 21 सितंबर, 2024 को पारुल को गिरफ्तार किया गया। कॉलेज की CCTV ने भी अर्पित की कहानी को ही सपोर्ट किया है।
STF ने बुलाया, मगर सोलोमन नहीं गई जून, 2024 को STF ने अर्पित विनीत हंसराज को अरेस्ट किया, तब सबसे पहले प्रिंसिपल पारुल सोलोमन को नोटिस जारी किया। उनसे जवाब मांगा और उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया, लेकिन वह नहीं गई।
प्रिंसिपल ने अपने वकील के मार्फत जवाब दिया कि अर्पित विनीत हंसराज को इसलिए सेंटर सुपरिंटेंडेंट बनाया, क्योंकि उसे कॉलेज में 10 हजार रुपए प्रतिमाह की नौकरी पर पहले रख लिया गया था। जांच में यह बात भी सामने आई कि अर्पित प्रिंसिपल का इतना खास बन गया था कि उसे पेपर लीक कांड में कई लाख रुपए कैश दिलवाए। इसकी भी जांच हो रही है कि अर्पित से सेटिंग की वजह से ही उसकी बहन को पारुल सोलोमन ने कॉलेज में नौकरी दे दी थी। 2 और लोगों को भी कॉलेज में सेट किया।
अर्पित के 5 बैंक खातों से डीलिंग हुई STF के मुताबिक, अर्पित विनीत के नाम से 5 अलग-अलग बैंक खाते खुलवाए गए थे। इसके लिए अलग-अलग बैंक चुने गए थे। इन अकाउंट के जरिए भोपाल से ट्रांजैक्शन हुए और लोगों को रुपए ट्रांसफर भी किए गए। इन अकाउंट की जानकारी STF ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को सौंपी है। साथ ही, आरोपियों की लिस्ट भी ED को सौंप दी है।
कुर्सी छिनी.. धक्का देकर कॉलेज के बाहर निकाला पारुल सोलोमन डॉयोसिस ऑफ लखनऊ के पूर्व बिशप पीटर बलदेव की बेटी हैं। पारुल हाल में विवादों में तब आईं, जब डॉयोसिस ऑफ लखनऊ के बिशप मॉरिस एडगर दान और उसके साथ के लोगों ने ताला तोड़कर कॉलेज पर कब्जा किया। इसका वीडियो वायरल होने के बाद बिशप समेत अन्य पर FIR दर्ज हुई थी।
मामला 2 जुलाई, 2024 का है। पारुल बाहर से ताला लगवाकर कॉलेज के ऑफिस में बैठी थीं, तभी बिशप और उनके लोग कॉलेज में घुस गए। उन्होंने ऑफिस का दरवाजा हथौड़ी से तोड़ दिया। मोबाइल छीन लिया। पारुल डोंट टच... डोंट टच... बोलती रह गईं। 20-25 मिनट तक हंगामा चला। आखिर में आरोपियों ने पारुल को धक्का दिया। फिर भी नहीं हटीं तो उन्हें कुर्सी समेत उठाकर रूम से बाहर निकाल दिया। 3 जुलाई को प्रिंसिपल की शिकायत पर कर्नलगंज थाने में बिशप मॉरिस एडगर दान समेत 10-12 लोगों पर FIR दर्ज हुई।
प्रयागराज से पेपर भोपाल भेजा, वहां प्रिंट हुई कापी
यूपी RO/ARO का एग्जाम 11 फरवरी, 2024 को हुआ था। इसका नोटिफिकेशन 2023 में जारी किया गया था। इस एग्जाम के शुरू होने से पहले ही पेपर सोशल मीडिया पर वायरल होने की शिकायत मिली थी। इसके बाद इस एग्जाम को कैंसिल कर दिया गया था। यूपी STF को इसकी जांच सौंपी गई थी।
STF के जारी बयान के मुताबिक, पेपर 11 फरवरी की सुबह प्रयागराज के एग्जाम सेंटर बिशप जॉनसन गर्ल्स स्कूल एंड कॉलेज से लीक कराया गया था। इसके साथ ही जांच में ये शक हुआ कि पेपर एग्जाम सेंटर के अलावा कहीं और से भी लीक कराया गया हो सकता है। इस पर प्रिंटिंग प्रेस के बारे में जानकारी ली तो पता चला पेपर भोपाल से छपवाया गया था।
यहां आपको बता दें कि पेपर लीक कांड में पूरा पेपर भले ही प्रयागराज से लीक हुआ, मगर प्रिंटिंग प्रेस से भी टुकड़ों में पेपर का कुछ पार्ट लीक कराया गया था।
इंजीनियरिंग कॉलेज के स्टूडेंट्स पेपर लीक मास्टरमाइंड STF इन्वेस्टिगेशन में सामने आया था कि राजीव नयन मिश्रा, सुभाष प्रकाश, विशाल दुबे और सुनील रघुवंशी (प्रिंटिंग प्रेस कर्मचारी) अलग-अलग प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़े थे। विशाल को जब पता चला कि उसके साथ का पढ़ा हुआ सुनील रघुवंशी प्रिंटिंग प्रेस में नौकरी करता है, तो यह बात विशाल दुबे ने मास्टरमाइंड राजीव नयन मिश्रा उर्फ राहुल और सुभाष प्रकाश को बताई।
विशाल दुबे ने सुनील रघुवंशी को पैसे का लालच देते हुए यूपी में होने वाले किसी भी एग्जाम के क्वेश्चन पेपर छपने पर उसे बताने को कहा। पैसे के लालच में सुनील रघुवंशी तैयार हो गया और उसने प्रिंटिंग प्रेस में एक क्वेश्चन पेपर छपने की बात उसको बता दी। राजीव नयन मिश्रा, विशाल दुबे और सुभाष प्रकाश ने इस प्रश्न पत्र को आउट कराने के लिए सुनील रघुवंशी को तैयार कर लिया।
10 लाख में बेचे क्वेश्चन पेपर
3 फरवरी, 2024 को सुनील मौका देखकर प्रिंटिंग प्रेस मशीन के एक पार्ट को बाहर ठीक कराने के नाम पर अपने पीने के पानी के बोतल के साथ लेकर प्रेस से आ गया। इन्हीं में क्वेश्चन पेपर छिपाकर बाहर लाया था।
दोनों पेपर के लिए अलग-अलग नेटवर्क का इस्तेमाल किया गया। कॉन्स्टेबल एग्जाम के लिए दिल्ली पुलिस के विक्रम पहल के नेटवर्क का इस्तेमाल किया और RO/ ARO में यूपी पुलिस के एक सस्पेंड पुलिस अरुण सिंह और स्कूल डायरेक्टर शरद पटेल के नेटवर्क का यूज किया था।
1 लाख से ज्यादा कैंडिडेट्स हुए थे शामिल RO के 334 और ARO के 77 कुल 411 पोस्ट के लिए 12 फरवरी, 2024 को यूपी के 58 जिलों में 2387 सेंटर्स पर एग्जाम हुआ था। इस एग्जाम के लिए 10.76 लाख कैंडिडेट्स ने अप्लाई किया था। इसमें से लगभग 64% कैंडिडेट्स ने एग्जाम दिया। दावा किया गया कि इस एग्जाम के पहले ही इसके जवाब वॉट्सऐप पर वायरल हो गए थे।
Oct 03 2024, 17:54