सिंधी अनुवाद में रोजगार के तेजी से बढ़े है अवसर: डॉ. दिनकर
अयोध्या। भारत सरकार के मैसूर स्थित राष्ट्रीय अनुवाद परिषद में सीनियर रिसोर्स पर्सन डॉ० दिनकर प्रसाद ने सिंधी अनुवादकों की भारी कमी की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए सिंधी युवाओं का अनुवाद के क्षेत्र में कैरियर बनाने का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने के बाद सभी भारतीय भाषाओं में अनुवाद रोजगार के अवसरों में तेजी आई है। किंतु अन्य भाषाओं की तुलना में सिंधी अनुवादकों की भारी कमी बनी हुई है।
डॉ० राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या के आवासीय परिसर में संचालित अमर शहीद संत कँवरराम साहिब सिंधी अध्ययन केंद्र में अध्ययनरत एम० ए० सिंधी के विद्यार्थियों को डॉ० दिनकर अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस के अवसर पर आॅनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मशीन कभी भी सटीक अनुवाद नहीं कर सकती है, इसलिए अच्छे अनुवादकों की मांग हमेशा बनी रहती है। डॉ० प्रसाद ने कहा कि संसार में जब से लेखन कार्य आरंभ हुआ है तभी से अनुवाद भी हो रहे हैं।
अनुवादक का उतना ही सम्मान होता है जितना कि मूल लेखक का।कार्यक्रम में फिरोजाबाद की संस्कृत विदुषी डॉ० तुलसी देवी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि संस्कृत साहित्य में अनुवाद को ब्रह्मानंद सहोदर कहा गया है और अनुवाद से पूरी वसुधा कुटुंब बन जाती है। श्री गंगानगर, राजस्थान के श्री करन वाणी ने सिंधी अनुवाद कार्य में तकनीकी शब्दावली की कमी की ओर ध्यान आकृष्ट किया। अयोध्या के श्री कपिल कुमार ने सिंधी साहित्य में अनुवाद साहित्य की लंबी परंपरा पर विस्तृत आलेख पढ़ा। उन्होंने बताया कि जगत आडवाणी ने अकेले 200 से अधिक पुस्तकों का अनुवाद किया है।
जोधपुर की पूजा कल्याणी ने कहा कि अनुवाद कार्य मातृभाषा की भक्ति है और अनुवाद ही सार्वभौमिक पहचान प्रदान करता है। नोएडा की ज्योति मूलानी ने बताया कि अनुवाद क्षेत्र में सक्रिय भाषिणी एप्लीकेशन में क्षेत्रीय भाषाओं का इस्तेमाल एक क्रांतिकारी कदम है। जयपुर की माया वसंदाणी ने कहा कि किसी अनुवाद को पढ़ते समय पाठक को शब्दकोश की आवश्यकता नहीं पड़नी चाहिए। लखनऊ से सुदाम चंदवाणी ने कहा कि गूगल पर सिंधी की मांग न होने से सिंधी में गूगल ट्रांसलेशन उपलब्ध नहीं है, उन्होंने सिंधी का उपयोग बढ़ाये जाने पर बल दिया। अयोध्या की सपना खटनानी ने अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस को स्वयं के बनाये चित्रों से प्रदर्शित किया।
इस कार्यक्रम में रेलवे पुलिस बल के रिटायर्ड आई.जी. और एम० ए० सिंधी के विद्यार्थी राजाराम ने परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए कहा कि जब तक सिंधी को उचित राजाश्रय प्राप्त नहीं होगा, तब तक सिंधी का संपूर्ण विकास संभव नहीं है। सिंधी अध्ययन केंद्र के सलाहकार ज्ञानप्रकाश टेकचंदानी ह्यसरलह्य ने बतौर सूत्रधार कहा कि कुरान का पहला अनुवाद सिंधी भाषा में हुआ था। इस अवसर पर एम० ए० सिंधी के विद्यार्थियों दुर्गा संतानी, रेनू पंजवानी, वंदना दानवानी, पिंकी भोपानी, प्रताप राय, नीतू चंदानी आदि विद्यार्थियों ने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई।
Sep 30 2024, 20:32