झारखंड विधानसभा चुनाव 2024: क्या गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले पोड़ैयाहाट विधानसभा सीट पर प्रदीप यादव का किला इस बार ध्वस्त होगा...?
आइये अवलोकन करते हैं इस सीट का इतिहास और प्राप्त मतदान के आकड़ों का...!
झारखंड डेस्क
चुनाव आयोग टीम की झारखंड दौरा और सभी राजनितिक दलों के प्रतिनिधि से मुलाक़ात के बाद विधानसभा चुनाव की आहट शुरू हो गयी है.इस बीच सभी सीटों पर राजनितिक दलों द्वारा अपने प्रत्याशी उतारने और जीत सुनिश्चित करने के लिए दाव-पेंच भी शुरू हो गया है.झारखंड में 81 विधान सभा सीट है जिसमे 80 सीटों पर चुनाव के जरिये विधायकों का चुनाव होता है और एक सीट पर मनोनयन के द्वारा.
हर सीट का अपना अपना गणित है.परिरस्थिति भी है.
आइये आज हम झारखंड के गोड्डा जिले का पोड़ैयाहाट विधानसभा क्षेत्र की बात करते हैं
यह सीट राज्य के हाई प्रोफाइल सीटों में शुमार है. इस क्षेत्र से प्रदीप यादव पार्टी बदल बदल कर लगातार पांच बार से विधायक निर्वाचित होते रहे हैं. इस बार गोड्डा से वे लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन निशिकांत ने उन्हें मात दे दिया. अब उनका इस सीट से विधानसभा चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है.
वे वर्ष 2000 से इस सीट पर पहले भाजपा, फिर जेवीएम और अब कांग्रेस से चुनाव लड़ते रहे हैं.और जीतते रहे हैं.
इनका झामुमो, भाजपा और अन्य के बीच मुकाबला होता रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस क्षेत्र में कांग्रेस से बढ़त लेकर आगामी विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र के वर्तमान विधायक प्रदीप यादव के गढ़ को ध्वस्त करने का संकेत दिया है.
पोड़ैयाहाट विधानसभा में है 40 प्रतिशत आदिवासी-मुस्लिम वोटर
पोड़ैयाहाट विधानसभा क्षेत्र गोड्डा जिले के पोड़ैयाहाट, दुमका जिले के सरैयाहाट प्रखंड के साथ गोड्डा प्रखंड के कुछ पंचायतों तक फैला है। पूर्व के एक आंकड़ों के मुताबिक इस क्षेत्र में आदिवासी मतदाताओं की आबादी 30 प्रतिशत, मुस्लिम 10, यादव 25, दलित 15, ब्राह्मण 5, और अन्य पिछड़ी जातियों की आबादी लगभग 14 प्रतिशत है।
प्रदीप यादव ने यहां से 5 बार विधायक चुने गए
अगर बात करें पोड़ैयाहाट विधानसभा सीट की to वर्ष 2000 से 2019 तक प्रदीप यादव पार्टी बदल बदल कर लगातार पांच बार इस क्षेत्र की जनता का आशीर्वाद बटोरते रहे हैं. 2024 के जून में सम्पन्न गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से जुड़े पोड़ैयाहाट क्षेत्र में भी भाजपा के निशिकांत दूबे कांग्रेस प्रत्याशी और इस क्षेत्र के विधायक प्रदीप यादव से मात्र लगभग 9,540 अधिक वोट हासिल करने में सफल हुए और चौथी बार गोड्डा से सांसद चुने गए. इससे भाजपा ने पिछले पांच चुनावों से लगतार इस सीट पर जीत दर्ज करने वाले कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव की चैन उड़ा दी है. ऐसे भी गोड्डा के भाजपा सांसद डा. निशिकांत दुबे और पोड़ैयाहाट के विधायक प्रदीप यादव के बीच अडानी पावर प्लांट, गोड्डा में रेल सेवा शुरू करने सहित कई मुद्दों को लेकर तल्ख बयानबाजी होते रहे हैं. इसलिए लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा का चुनाव हर चुनाव में पोड़ैयाहाट सुर्खियों में रहा है.
खरगे से नजदीकियां बढ़ने से टिकट मिलना तय है
लोकसभा चुनाव में भाजपा से गहरी शिकस्त खाने के बावजूद हाल के वर्षों में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से नजदीकियां बढ़ने की वजह से प्रदीप यादव को इस बार भी यहां से कांग्रेस का टिकट मिलना तय माना जा रहा है.कांग्रेस इंडिया गठबंधन में शामिल हैं और राज्य में झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के अति करीबी होने की वजह से संभव है कि इस बार इंडिया गठबंधन प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने के लिए झामुमो, कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप यादव के पक्ष में इस सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारे.जिससे भाजपा के बढ़ते कद को रोका जा सके. कांग्रेस के प्रदीप यादव के पक्ष में बने माहौल के बावजूद कांग्रेस के कुछ पुराने कार्यकर्ता भी पार्टी का टिकट हासिल करने के लिए रांची और दिल्ली की दौड़ लगा रहे और कांग्रेस के प्रमुख नेताओं की परिक्रमा कर रहे हैं. वहीं राजद की ओर से भी इस सीट पर दावा ठोकने की चर्चा है.जबकि भाजपा में टिकट के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है. पार्टी प्रत्याशी चयन को लेकर विभिन्न स्तरों पर बैठकों का सिलसिला जारी है.
यहां बीजेपी के आधा दर्जन से अधिक हैं दावेदार
पोड़ैयाहाट विधानसभा सीट पर चर्चा है कि भाजपा कार्यकताओं से रायशुमारी के क्रम में आये पांच सम्भावित प्रत्याशियों की सूची तैयार कर प्रदेश और केन्द्रीय नेतृत्व को भेजा दिया गया है. लोकसभा चुनाव के दौरान पोड़ैयाहाट विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को मिली बढ़त के आधार पर भाजपा के टिकट के प्रबल दावेदारों में गोड्डा के बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे व प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के करीबी समाजसेवी सीताराम पाठक, विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी बजरंगी प्रसाद यादव, जिला परिषद के सदस्य रवीन्द्र कुमार सिंह, पूर्व विधायक प्रशांत कुमार की पत्नी ममता देवी, उनके पुत्र, पूर्व प्रत्याशी गजेन्द्र सिंह, देवेन्द्र सिंह सरीखे कई अन्य नामों की चर्चा है. लेकिन राज्य में चुनिंदा हाईप्रोफाइल हॉट सीटों में शुमार गोड्डा जिले के इस सामान्य सीट पर भाजपा किसे अपना प्रत्याशी बनाती है यह तो आने वाला समय तय करेगा. इसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा. लेकिन इतना तो तय है कि इस सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होगा.
इस सीट से जीत कर प्रदीप यादव बाबूलाल की सरकार में बने थे मंत्री
ज़ब बिहार से अलग होकर 15 नवम्बर 2000 को झारखंड राज्य बना और बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में सरकार बनी तो पहली बार इस क्षेत्र से विधायक चुने गये प्रदीप यादव को मंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.
वर्ष 2005 में भी भाजपा के टिकट पर प्रदीप यादव लगातार दूसरी बार यहां जीत दर्ज की. 2006 में भाजपा में अंदरुनी विवाद बढ़ जाने की बजह से बाबूलाल मरांडी ने भाजपा और कोडरमा के सांसद से इस्तीफा दे दिया. झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक के नाम से नया दल बनाया. इसी क्रम में प्रदीप यादव सरीखे कई दिग्गज विधायकों ने भाजपा से किनारा कर लिया और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम में शामिल हो गये. इसके बाद प्रदीप यादव 2009, 2014 और 2019 तक पार्टी बदल-बदल कर चुनाव मैदान में उतरकर लगातार पांच बार इस क्षेत्र से विधायक चुने गये. 2019 के चुनाव में जेवीएम के टिकट पर पार्टी सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु टिर्की समेत तीन विधायक निर्वाचित हुए. राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार गठन के बाद 2020 में बाबूलाल मरांडी ने भाजपा में जेवीएम का विलय कर दिया. जबकि प्रदीप यादव और बंधु तिर्की कांग्रेस में शामिल हो गए. बाद में प्रदीप यादव इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस पार्टी ने 2024 में सम्पन्न लोकसभा चुनाव में गोड्डा से अपना प्रत्याशी बनाया. लेकिन इस लोकसभा चुनाव में भाजपा के निशिकांत दुबे ने पोड़ैयाहाट विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस से 9 हजार से अधिक वोट लाकर कांग्रेस के सम्भावित उम्मीदवार प्रदीप यादव के समक्ष बड़ी चुनौती पेश कर दी है.
इस बार जयराम महतो की पार्टी की उपस्थिति से बिगाड़ेगी यहां खेल
हालांकि अभी तक विधानसभा चुनाव के तिथि की घोषणा नहीं हुई है.बहरहाल चुनाव की घोषणा के बाद पोड़ैयाहाट विधानसभा क्षेत्र के चुनावी मैदान में विभिन्न दलों के प्रत्याशियों के उतरने पर ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगा. इस बीच हाल के दिनों में झारखंड में खतियान के आधार पर सरकारी रिक्त पदों पर नियुक्ति और स्थानीय युवाओं को सभी क्षेत्र में प्राथमिकता देने की व्यवस्था को लागू करने आदि मुद्दों को लेकर संघर्ष करने वाले जयराम महतो की पार्टी की सक्रियता इस क्षेत्र में भी बढ़ी है.ऐसे में जयराम महतो की पार्टी जेकेबीकेस ने भूईंया, घटवाल,खैतौरी और कुड़मी समुदाय से इस क्षेत्र में अपना उम्मीदवार उतार दिया तो कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के समक्ष मुसीबत खड़ा कर दे तो कोई आश्चर्य नहीं होगा. फिलहाल लोग चुनाव के तिथि के साथ एनडीए में शामिल भाजपा और इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के प्रत्याशियों की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं. इन दलों से कौन प्रत्याशी मैदान में आता है यह देखना दिलचस्प होगा.
2024 के गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से जुड़े पोड़ैयाहाट विधानसभा की वोट की स्थिति
प्रत्याशी -पार्टी - प्राप्त मत
निशिकांत दुबे - भाजपा- 1,07,082
प्रदीप यादव- कांग्रेस- 93,136
वर्ष 2019 में विधानसभा चुनाव परिणाम
प्रत्याशी- पार्टी- प्राप्त मत
प्रदीप यादव- जेवीएम -77,358
गजाधर सिंह- बीजेपी- 63,761
अशोक कुमार- जेएमएम- 34,745
वर्ष 2019 में विधानसभा चुनाव परिणाम
प्रत्याशी- पार्टी- प्राप्त मत
प्रदीप यादव- जेवीएम -77,358
गजाधर सिंह- बीजेपी- 63,761
अशोक कुमार- जेएमएम- 34,745
वर्ष 2014 में विधानसभा चुनाव परिणाम
प्रत्याशी - पार्टी - प्राप्त मत
प्रदीप यादव- जेवीएम -64,036
देवेन्द्र सिंह -बीजेपी -52,878
अशोक कुमार-जेएमएम- 44,737
पोड़ैयाहाट विधानसभा क्षेत्र के राजनीतिक इतिहास
पोड़ैयाहाट विधानसभा क्षेत्र के राजनीतिक इतिहास पर गौर करें तो 1952 में बिहार विधानसभा के प्रथम चुनाव में पोड़ैयाहाट-सह-जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र के नाम से था.जहां से दो सदस्यों के चुनाव का प्रावधान किया गया था. इस चुनाव में दो सदस्यीय इस सीट पर सामान्य जाति से कांग्रेस के जगदीश नारायण मंडल और अजजा से झारखंड पार्टी के चुनका हेम्ब्रम विधायक चुने गए. वहीं 1957 में पोड़ैयाहाट को गोड्डा विधानसभा क्षेत्र से जोड़ दिया गया.इस चुनाव में भी दो सदस्यों के चुनाव का प्रावधान किया गया. जिसमें सामान्य सीट से झारखंड पार्टी के टिकट पर मणिलाल यादव और अजजा से निर्दलीय चुनका हेम्ब्रम विधायक चुने गए. 1962 में अजजा के लिए सुरक्षित एक सदस्यीय पोड़ैयाहाट अलग विधानसभा क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में आया और 1972 तक अजजा के एक सदस्य के लिए सुरक्षित रहा.
1977 में इस सीट को अनारक्षित कर दिया गया. इसके बाद इस क्षेत्र में दो उपचुनाव सहित विधानसभा के लिये 16 चुनाव हुए.इसमें जेएमएम 6,जेवीएम 3, कांग्रेस 2 बार, जनसंघ, जनता पार्टी और प्रजातांत्रिक हुल झारखंड पार्टी के प्रत्याशियों ने एक एक बार इस सीट पर जीत दर्ज की.कांग्रेस से कभी दिग्विजय नेता रहे बिहार विधान परिषद के पूर्व सभापति पृथ्वी चन्द्र किस्कू के साथ जननायक कर्पूरी ठाकुर के अति करीबी और उनके मंत्रिमंडल में संसदीय सचिव के रूप में शामिल संताल परगना में 1974 छात्र आंदोलन की अलख जगाने वाले कमला कांत प्रसाद सिन्हा उर्फ लालू दा भी 1977 में इसी सीट से जनता पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए थे.
इसके बाद इस क्षेत्र का राजनीतिक समीकरण बदल गया. शिबू सोरेन के नेतृत्व में संताल परगना में झारखंड अलग राज्य का आंदोलन परवान चढ़ा.झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के कभी दाहिना हाथ कहलाने तथा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के मुख्यमंत्रित्व काल में सेडो छाया मुख्यमंत्री समझा जाने वाले सूरज मंडल ने 1980 में इस क्षेत्र पर अपनी मजबूत पकड़ बना ली.
1980, 1985, 1990 में झामुमो के टिकट पर सूरज मंडल इस क्षेत्र से लगातार तीन बार विधायक चुने गये. 1991 में सूरज मंडल गोड्डा लोकसभा सीट से झामुमो के टिकट पर सांसद चुने गये.इसके बाद 1992 में इस सीट पर उपचुनाव कराया गया। जिसमें सूरज मंडल को अपना राजनीतिक गुरु समझने वाले प्रशांत कुमार झामुमो के टिकट पर पहली बार इस क्षेत्र से विधायक चुने गए.
1995 में भी झामुमो के टिकट पर प्रशांत कुमार ही विधायक निर्वाचित हुए.लेकिन 2000 में पासा पलटा और कभी बाबूलाल मरांडी के किचन कैबिनेट में शामिल रहे प्रदीप यादव ने दूसरे प्रयास में झामुमो को इस क्षेत्र में गहरी शिकस्त दी और भाजपा के टिकट पर पोड़ैयाहाट में पहली बार कमल खिलाने में सफल हुए.
1952-2019 के बीच पोड़ैयाहाट के निर्वाचित विधायकों की सूची
वर्ष- प्रत्याशी- पार्टी
1952- चुनका हेम्ब्रम (अजजा.) -झापा
1952 जगदीश ना. मंडल(सामा.) कांग्रेस
1957 चुनका हेम्ब्रम (अजजा) निर्दलीय
1957 मणिलाल यादव (सामा.) झापा
1962 यदुनंदन मुर्मू कांग्रेस
1967 एम मुर्मू जनसंघ
1969 एडवर्ड मरांडी पीएचजे
1972 पृथ्वी चंद्र किस्कू कांग्रेस
1977 कमला कांत सिन्हा ज.पा.
1980 सूरज मंडल जेएमएम
1985 सूरज मंडल जेएमएम
1990 सूरज मंडल जेएमएम
1992 प्रशांत कुमार जेएमएम
1995 प्रशांत कुमार जेएमएम
2000 प्रदीप यादव बीजेपी
2003 प्रशांत कुमार जेएमएम
2005 प्रदीप यादव बीजेपी
2009 प्रदीप यादव जेवीएम
2014 प्रदीप यादव जेवीएम
2019 प्रदीप यादव जेवीएम
अपने द्वारा पिछले 25 वर्षों में किये गए विकास कार्यों पर प्रदीप यादव को है भरोसा
प्रदीप यादव वर्ष 2000 से पहले भाजपा, फिर जेवीएम के टिकट पर विधानसभा में लगातार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले वर्तमान विधायक प्रदीप यादव और उनकी पार्टी के समर्थकों का दावा है कि इस क्षेत्र में वर्तमान विधायक ने अपने 25 वर्ष के कार्यकाल में सड़क और पुल पुलिया का जाल बिछाकर लगभग सभी गांवों को सड़कों से जोड़ा है.
जिससे लोगों के लिए आवागमन सुगम हो गया है. वहीं इस क्षेत्र के अधिकांश गांवों में पेयजल, शिक्षा और स्वास्थ्य की समुचित व्यवस्था की गयी है. राज्य सरकार द्वारा राज्य के किसानों के बकाया 50 हजार रुपए के कृषि ऋण माफी योजना के माध्यम से इस क्षेत्र के अनेकों किसानों को ऋण से मुक्ति मिली है. इसके साथ ही हाल में राज्य सरकार ने आम लोगों के दो लाख तक के बैंक ऋण माफी की घोषणा की है.
इस घोषणा से बैंक ऋण की समस्या से परेशान किसान और हजारों गरीब निर्धन परिवारों को ऋण से निजात मिलने की उम्मीद है.
जबकि राज्य सरकार ने 18 से 50 वर्ष तक की बहू बेटियों के लिए मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना को चालू करने का ऐतिहासिक साहसिक फैसला लिया है जिससे इस क्षेत्र की आर्थिक रूप से कमजोर बेसहारा हजारों माता-बहनें लाभान्वित हुई हैं.
जबकि सरकार ने राज्य में सर्वजन पेंशन नामक महत्वाकांक्षी योजना शुरू कर 50 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के बेसहारा व वृद्धों को सहारा दिया है. जिससे लाखों बेसहारा लोगों को नयी ज़िन्दगी मिली है.
बीजेपी भ्रष्टाचार और बेरोजगारी को बनायेगी मुद्दा
सिंचाई योजनाओं के कार्यान्वयन में शिथिलता बरतने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के बदले बढ़ावा देने का भी आरोप लगाते रहे हैं. जिससे क्षेत्र का विकास अवरूद्ध हो गया है. इस वजह से इस बार इस क्षेत्र की जनता इंडिया गठबंधन के वर्तमान विधायक कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप यादव को सबक सिखाने के लिए तैयार है. हाल में सम्पन्न लोकसभा के चुनाव में इस क्षेत्र की जनता ने विधानसभा चुनाव के पहले ही अपना फैसला दे दिया है. स्थानीय लोगों की मानें तो पिछले 25 वर्षों में इस क्षेत्र के किसान की समस्याओं का समाधान नहीं हो सका है.फलस्वरूप एक फसला धान की खेती पर निर्भर यहां के किसान पूरी तरह बरसा के भरोसे खेती करने को विवश हैं। इस क्षेत्र में न कोई फैक्ट्री है और न ही कोई उद्योग है.इस वजह से इस क्षेत्र के हजारों लोग रोजी- रोजगार के सिलसिले में मजदूरी करने दिल्ली, मुम्बई और अन्य दूसरे राज्यों में पलायन करने को मजबूर हैं.आजादी के 75 साल बाद भी इस क्षेत्र में उच्च शिक्षा के लिए कोई बेहतर शिक्षण संस्थान स्थापित नहीं किया जा सका है. इस कारण यहां के बच्चे उच्च शिक्षा के लिए हर दिन देवघर, गोड्डा और दुमका तक का सफर करने को विवश हैं. जबकि लोकसभा हो या विधानसभा प्रत्येक चुनाव में कांग्रेस, भाजपा, झामुमो और अन्य दलों के प्रत्याशी इस क्षेत्र में सिंचाई, शिक्षा स्वास्थ्य,शुद्ध पेयजल आदि सुविधा को बेहतर बनाने के वायदे पर जनता का आशीर्वाद मांगते रहे हैं. लेकिन इस क्षेत्र में न तो कोई उद्योग लगा,न ही अच्छे शिक्षण संस्थान खोले गए.
Sep 24 2024, 19:46